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Rating for Article:– BRAHMA KUMARIS MURALI - FEB- 2018 ( UID: 180210164338 )
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HINGLISH SUMMARY - 21.02.18 Pratah Murli Om Shanti Babdada Madhuban
Mithe bacche -Baap se sarv sambandho ka sukh lena hai to aur sabse buddhi ki preet nikaal Mamekum yaad karo,yahi manjil hai.
Q- Tum bacche is samay kaun sa achcha karm karte ho,jiske return me sahookar ban jate ho?
A- Sabse achche se achcha karm hai-gyan ratno ka daan karna.Yah abinashi gyan khazana he transfer ho 21 janmo ke liye binashi dhan ban jata hai,isse he malamaal ban jate.Jo jitna gyan ratno ko dharan kar dusro ko dharan karate hain utna sahookar bante hain.Abinashi gyan ratno ka daan karna-yahi hai Sarvotaam seva.
Dharana ke liye mukhya saar:-
1) Swansho swansh Baap ko yaad karna hai,ek bhi swansh byarth nahi gawana hai.Koi bhi karm aisa nahi karna hai jo bikarm ban jaye.
2)Ustaad ke haath me haath de sampoorn pawan banna hai.Kabhi krodh ke vasibhoot hokar maya se haar nahi khani hai.Pahelwan banna hai.
Vardan:-Ek bal ek bharose ke aadhar se safalta prapt karne wale Master Sarvshaktimaan bhava.
Slogan:-Naino me pavitrata ki jhalak ho aur mukh par pavitrata ki muskurahat ho-yahi shrest personality hai.
English Summary -21-02-2018-
Sweet children, in order to claim the happiness of having all relationships with the Father, remove your loving intellects’ yoga away from everyone else and constantly remember Me, your Father, alone. This is the highest destination.
Question:What good actions do you children perform at this time, in return for which you become wealthy?
Answer: The best task of all is to donate the jewels of knowledge. This imperishable treasure of knowledge will be transferred and become perishable wealth for your future 21 births. You become prosperous through this. To the extent that you imbibe the jewels of knowledge and inspire others to imbibe them, you will accordingly become wealthy. To donate the imperishable jewels of knowledge is most elevated service.
Om Shanti
Essence for Dharna:
1. Remember the Father with every breath; don’t waste even one breath. Never perform any such action that it becomes a sin.
2. Put your hand into the hand of the Master and become completely pure. Never be influenced by anger or be defeated by Maya. Remain very strong.
Blessing:May you be a master almighty authority who achieves success on the basis of having one strength and one Support.
The children with true love who move along with one strength and one Support constantly achieve success and will continue to achieve it because true love easily finishes obstacles. When you have the company of the Almighty Authority Father and you have full faith in Him, all trivial matters finish in such a way that it is as though nothing has happened. Even the impossible becomes possible. All situations are resolved just as you pull hair from butter. So, consider yourself to be a master almighty authority and continue to become an embodiment of success.
Slogan:Let there be the sparkle of purity in your eyes and the smile of purity on your lips. This is your elevated personality.
HINDI DETAIL MURALI
21/02/18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“
''मीठे बच्चे - बाप से सर्व संबंधों का सुख लेना है तो और सबसे बुद्धि की प्रीत निकाल मामेकम् याद करो, यही मंजिल है''
प्रश्न:तुम बच्चे इस समय कौन सा अच्छा कर्म करते हो, जिसके रिटर्न में साहूकार बन जाते हो?
उत्तर:सबसे अच्छे से अच्छा कर्म है - ज्ञान रत्नों का दान करना। यह अविनाशी ज्ञान खजाना ही ट्रांसफर हो 21 जन्मों के लिए विनाशी धन बन जाता है, इससे ही मालामाल बन जाते। जो जितना ज्ञान रत्नों को धारण कर दूसरों को धारण कराते हैं उतना साहूकार बनते हैं। अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना - यही है सर्वोत्तम सेवा।
ओम् शान्ति।
शिवबाबा अपने सालिग्राम बच्चों को समझाते हैं। यह है परमात्मा का अपने बच्चों, आत्माओं प्रति ज्ञान। आत्मा, आत्मा को ज्ञान नहीं देती। परमात्मा शिव बैठ ब्रह्मा सरस्वती और तुम लकी स्टार्स बच्चों प्रति बैठ समझाते हैं इसलिए इनको परमात्म ज्ञान कहा जाता है। परमात्मा तो एक ही है बाकी क्रियेशन है क्रियेटर की। जैसे लौकिक बाप ऐसे नहीं कहेगा कि यह सब हमारे रूप हैं। नहीं। कहेगा यह हमारी रचना है। तो यह रूहानी बाप है जिसे भी पार्ट मिला हुआ है। वही मुख्य एक्टर, क्रियेटर और डायरेक्टर है। आत्मा को क्रियेटर नहीं कहेंगे। परमात्मा के लिए कहा जाता है तुम्हरी गत मत तुम ही जानो। उन सब गुरूओं की तो अपनी-अपनी अलग मत है इसलिए परमात्मा आकर एक मत देते हैं। वह है मोस्ट बिलवेड। उस एक के साथ बुद्धियोग लगाना है, और जिनके भी साथ तुम्हारी प्रीत है वह सब धोखा देने वाली है इसलिए उन सबसे बुद्धि निकालनी है। मैं तुमको सब सम्बन्धों का सुख दूंगा सिर्फ मामेकम्, यह है मंजिल। मैं सबका डियरेस्ट डैड (प्यारा पिता) भी हूँ, टीचर भी हूँ, गुरू भी हूँ। तुम समझते हो उस द्वारा हमको जीवनमुक्ति मिलती है। यही अविनाशी ज्ञान खजाना है, यह खजाना ट्रांसफर हो फिर 21 जन्म के लिए विनाशी धन बन जाता है। 21 जन्म हम बहुत मालामाल हो जाते हैं। राजाओं का राजा बनते हैं। इस अविनाशी धन का दान करना है। आगे तो विनाशी धन दान करते थे तो अल्पकाल क्षण भंगुर सुख दूसरे जन्म में मिलता था। कहा जाता है पास्ट जन्म में कुछ दान पुण्य किया है जिसका फल मिला है। वह फल एक जन्म का ही मिलता है। जन्म-जन्मान्तर की प्रालब्ध नहीं कहेंगे। हम जो अब करेंगे उसकी प्रालब्ध हमको जन्म-जन्मान्तर मिलेगी। तो अब यह है अनेक जन्मों की बाज़ी। परमात्मा से बेहद का वर्सा लेना है। सबसे अच्छा कर्म है अविनाशी ज्ञान खजाना दान करना। जितना धारण कर औरों को करायेंगे उतना खुद भी साहूकार बनेंगे, औरों को भी बनायेंगे। यह है सर्वोत्तम सेवा, जिससे सद्गति होती है। देवताओं की रसम-रिवाज़ देखो कैसे सम्पूर्ण निर्विकारी, अहिंसा परमोधर्म है। प्यूरीफिकेशन (सम्पूर्ण पवित्रता) सतयुग त्रेता में ही रहती है। देवतायें ही बहिश्त में रहने वाले हैं, उन्हों को ही ऊंच गाते हैं। जो सूर्यवंशी सतयुग में बनते हैं वही सम्पूर्ण हैं, फिर थोड़ी खाद पड़ जाती है। अब तुम समझते हो देवतायें किस बहिश्त के निवासी हैं। वैकुण्ठ है वन्डरफुल दुनिया, वहाँ दूसरे धर्म वाले जा नहीं सकेंगे। यह सब धर्मो को रचने वाला ऊंचे ते ऊंचा भगवत है। यह देवता धर्म कोई ब्रह्मा नहीं स्थापन करते हैं, यह तो कहते हैं मैं इमप्योर था, मेरे में ज्ञान कहाँ से आया। और सब प्योर सोल्स ऊपर से आती हैं अपना धर्म स्थापन करने। यहाँ तो परमात्मा धर्म स्थापन करते हैं, जब इसमें आते हैं तब इनका नाम ब्रह्मा रखते हैं। कहा जाता है ब्रह्मा देवताए नम:, विष्णु देवताए नम:.... अब प्रश्न उठता है कि इन देवताओं से मनुष्य सृष्टि रची गई क्या? नहीं। परमात्मा कहते हैं मैं जिस साधारण तन में आता हूँ, उसका नाम ब्रह्मा पड़ता है। वह सूक्ष्म ब्रह्मा है, तो दो ब्रह्मा हो गये। इनका ब्रह्मा नाम रखा गया है क्योंकि कहते हैं साधारण तन में आता हूँ। ब्रह्मा के मुख कंवल से ब्राह्मण रचता हूँ। आदि देव से ह्युमिनिटी रची गई, यह हुआ ह्युमिनिटी का पहला बाबा। फिर वृद्धि होती जाती है।
अब तुमको राजाओं का राजा बनाते हैं। परन्तु बनेंगे तब जब देह सहित देह के सब सम्बन्धों से नाता तोड़ेंगे। बाबा मैं तुम्हारा ही हूँ, बस। यह तो निश्चय है हम सो प्रिन्स बनते हैं। चतुर्भुज का साक्षात्कार होता है ना। वह है ही युगल। चित्रों में ब्रह्मा को 10-20 भुजायें दिखाते हैं। काली को कितनी भुजायें दी हैं, इतने बांहों वाली चीज़ तो होती नहीं। यह सब अस्त्र-शस्त्र हैं। अपना है ही प्रवृत्ति मार्ग। बाकी ब्रह्मा की जो इतनी भुजायें दिखाते हैं, समझते हैं यह जो ब्रह्मा के बच्चे हैं वह जैसे इनकी बांहे हैं। बाकी यह काली आदि कुछ नहीं है, जैसे कृष्ण को काला कर दिया है वैसे काली का भी चित्र काला कर दिया है। यह जगदम्बा भी ब्राह्मणी है। हम अपने को भगवान अथवा अवतार नहीं कहते हैं। बाबा कहते हैं सिर्फ मामेकम् याद करो। वास्तव में सब शिव कुमार हैं सालिग्राम। फिर मनुष्य तन में आने से तुम ब्रह्माकुमार ब्रह्माकुमारी कहलाते हो। ब्रह्माकुमार कुमारियां फिर जाकर विष्णुकुमार कुमारियां बनेंगे। बाप क्रियेट करते हैं फिर पालना भी उनको करनी पड़ती है। ऐसे डियरेस्ट डैड के तुम वारिस हो, उनसे तुम सौदा करते हो। यह तो बीच में दलाल है।
बाबा है होली गवर्मेन्ट, वह आये हैं इस गवर्मेन्ट को भी पाण्डव गवर्मेन्ट बनाने। यह है हमारी ऊंच सर्विस। गवर्मेन्ट की प्रजा को हम मनुष्य से देवता बनाते हैं बाबा की मदद से। तो हम उन्हों के सर्वेन्ट हैं ना। हम वर्ल्ड सर्वेन्ट हैं, हम बाबा के साथ आये हैं सारी दुनिया की सर्विस करने। हम कुछ लेते नहीं हैं। विनाशी धन, महल आदि हम क्या करेंगे। हमको तो सिर्फ 3 पैर पृथ्वी चाहिए।
तुम बच्चों को अभी सच्चा-सच्चा ज्ञान मिल रहा है, शास्त्रों के ज्ञान को ज्ञान नहीं कहेंगे, वह भक्ति है। ज्ञान माना सद्गति। सद्गति माना मुक्ति-जीवनमुक्ति। जब तक जीवनमुक्त नहीं हुए हैं तब तक मुक्त भी नहीं हो सकते। हम जीवन-मुक्त होते हैं। बाकी सब मुक्त होते हैं। तब तो कहते हैं तुम्हरी गत मत तुम ही जानों। फिर इसमें भी सर्वव्यापी परमात्मा है, यह बात नहीं रहती। यह तो कहते हैं कल्प-कल्प मैं अपनी मत से सबकी सद्गति करता हूँ। सद्गति के साथ गति आ ही जाती है। नई दुनिया में रहते ही थोड़े हैं। आगे हम कहते थे घट ही में सूर्य, घट ही में चांद, घट ही में 9 लख तारे.... घट में सूर्य इस समय है। घट में शिव है, जिसका ही इतना विस्तार है। फिर घट में मम्मा बाबा और लकी स्टार्स। विवेक भी कहता है सतयुग में जरूर थोड़ी संख्या होनी चाहिए। पीछे वृद्धि होती है। यह सब समझने की बातें हैं। जो जितना प्योर (पवित्र) होगा उतनी धारणा होगी। इमप्योरिटी से धारणा कम होगी। प्योरिटी फर्स्ट। क्रोध का भी भूत रह जाता है तो माया से हार खा लेते हैं। यह युद्ध है ना। उस्ताद को पूरा हाथ देना है। नहीं तो माया बड़ी प्रबल है। जिनका हाथ में हाथ है उनके लिए ही बरसात है। जैसे बाबा साक्षी हो पार्ट भी बजाते हैं, देखते भी हैं। यह तो समझ सकते हो कि माँ बाप और लकी स्टार्स जो अनन्य हैं उनको ही फालो करना है। यह तो समझाया है मुरली पढ़ना कभी नहीं छोड़ना। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
रात्रि क्लास 23-12-58
देखो, आलमाइटी बाबा के यह सब कितने रूहानी कारखाने (सेन्टर्स) हैं। जहाँ से हर एक को रूहानी रत्न मिलते हैं। बाबा है सब कारखानों का सेठ। मैनेजर्स लोग सम्भाल रहे हैं, दुकानें चल रही हैं। दुकान कहो, हॉस्टिल कहो.... यह तुम ब्राह्मणों की फैमिली भी है। तुम्हें अपना जीवन बनाना है एज्यूकेशन से। इसमें रूहानी और जिस्मानी दोनों इक्ट्ठा है। दोनों बेहद के हैं। और वह हैं रूहानी, जिस्मानी दोनों हद के। गुरू लोग जो भी शास्त्रों आदि की रूहानी शिक्षा देते हैं वह सब है हद की। हम किसी मनुष्य को गुरू नहीं मानते। हमारा है एक सतगुरू, जो एक ही रथ में आते हैं। घड़ी-घड़ी उनको याद करेंगे तब ही विकर्म विनाश होंगे। तुमको धन उस ग्रैन्ड फादर से मिलता है, इसलिए उनको याद करना है। कोई भी कर्म ऐसा नहीं करना है जो विकर्म बन जाए। सतयुग में कर्म, अकर्म होते हैं, यहाँ कर्म विकर्म होते हैं क्योंकि 5 भूत हैं। हम बिल्कुल सेफ हैं। बाबा कहते हैं विकार दान में दे दो फिर अगर वापिस लिया तो नुकसान हो जायेगा। ऐसे मत समझना छिपाकर करेंगे तो पता थोड़ेही पड़ेगा। धर्मराज को तो पता पड़ेगा ना। इस समय ही बाबा को अन्तर्यामी कहा जाता है, हर एक बच्चे का रजिस्टर वह देख सकते हैं। हम बच्चों के अन्दर को जानने वाला है इसलिए छिपाना नहीं चाहिए। ऐसे भी चिट्ठी लिखते हैं कि बाबा हमारे से भूल हुई है माफ करना। धर्मराज की दरबार में सजा नहीं देना। जैसेकि डायरेक्ट शिवबाबा को लिखते हैं। बाबा के नाम पर इस पोस्ट बाक्स में चिट्ठी डाल देते हैं। भूल बताने से आधी सजा कम हो जायेगी। यहाँ प्युरिटी बहुत चाहिए। सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पन्न यहाँ बनना है। रिहर्सल यहाँ होगी फिर वहाँ प्रैक्टिकल पार्ट बजाना है। अपनी जांच करनी है - कोई विकर्म तो नहीं करते हैं? संकल्प तो बहुत आयेंगे, माया बहुत परीक्षा लेगी, डरना मत। बहुत नुकसान होंगे, धन्धा नहीं चलेगा, टांग टूट जायेगी, बीमार हो पड़ेंगे.... कुछ भी हो जाए बाबा का हाथ नहीं छोड़ना। अनेक प्रकार की परीक्षायें आयेंगी। पहले-पहले बाबा के सामने आती हैं, इसलिए बाबा बताते हैं खबरदार रहना। पहलवान बनना है।
देखो, भारत में जितनी सबको छुट्टियाँ मिलती हैं इतनी और कहाँ नहीं मिलती, परन्तु यहाँ हमको एक सेकण्ड भी छुट्टी नहीं मिलती क्योंकि बाबा कहते हैं श्वांसों श्वांस याद में रहो। एक एक श्वांस अमोलक है। तो वेस्ट कैसे कर सकते। जो वेस्ट करते हैं वह पद भ्रष्ट करते हैं। इस जन्म का एक एक श्वांस मोस्ट वैल्युबुल है। रात दिन बाबा की सर्विस में रहना चाहिए। तुम आलमाइटी बाबा के ऊपर आशिक हो या उनके रथ पर? या दोनों पर? जरूर दोनों का आशिक होना पड़े। बुद्धि में यह रहेगा कि वह इस रथ में है। उनके कारण तुम इस पर आशिक हुए हो। शिव के मन्दिर में भी बैल रखा हुआ है। वह भी पूजा जाता है। कितनी गुह्य बातें हैं जो रोज़ नहीं सुनते तो कोई कोई प्वांइटस मिस कर देते हैं। रोज़ सुनने वाले कभी प्वाइंटस में फेल नहीं होंगे। मैनर्स भी अच्छे रहेंगे। बाबा की याद में बहुत प्राफिट (फायदा) है। फिर है बाबा की नॉलेज को याद करना। योग में भी प्राफिट, ज्ञान में भी प्राफिट। बाबा को याद करना इसमें है मोस्ट प्राफिट क्योंकि विकर्म विनाश होते हैं और पद भी ऊंच मिलता है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडनाइट, रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) श्वांसों श्वांस बाप को याद करना है, एक भी श्वांस व्यर्थ नहीं गवाना है। कोई भी कर्म ऐसा नहीं करना है जो विकर्म बन जाए।
2) उस्ताद के हाथ में हाथ दे सम्पूर्ण पावन बनना है। कभी क्रोध के वशीभूत होकर माया से हार नहीं खानी है। पहलवान बनना है।
वरदान:एक बल एक भरोसे के आधार से सफलता प्राप्त करने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
जो सच्ची लगन वाले बच्चे एक बल एक भरोसे के आधार से चलते हैं उन्हें सदा सफलता मिलती रही है और मिलती रहेगी क्योंकि सच्ची लगन विघ्नों को सहज ही समाप्त कर देती है। जहाँ सर्वशक्तिमान बाप का साथ है, उस पर पूरा भरोसा है वहाँ छोटी-छोटी बातें ऐसे समाप्त हो जाती हैं जैसे कुछ थी ही नहीं। असम्भव भी सम्भव हो जाता है। मक्खन से बाल समान सब बातें सिद्ध हो जाती हैं। तो ऐसे अपने को मास्टर सर्वशक्तिमान समझ सफलता स्वरूप बनते चलो।
स्लोगन:नयनों में पवित्रता की झलक हो और मुख पर पवित्रता की मुस्कराहट हो - यही श्रेष्ठ पर्सनैलिटी है।
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