Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Nov - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Nov-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali 1st Nov 2018 | 107807 | 2018-12-19 02:03:55 | |
2 | Murali 02-Nov-2018 | 132943 | 2018-12-19 02:03:55 | |
3 | Murali 03-Nov-2018 | 128264 | 2018-12-19 02:03:55 | |
4 | Murali 04-Nov-2018 | 144078 | 2018-12-19 02:03:55 | |
5 | Murali 05-Nov-2018 | 130306 | 2018-12-19 02:03:55 | |
6 | Murali 06-Nov-2018 | 127941 | 2018-12-19 02:03:55 | |
7 | Murali 07-Nov-2018 | 126732 | 2018-12-19 02:03:55 | |
8 | Murali 08-Nov-2018 | 119781 | 2018-12-19 02:03:55 | |
9 | Murali 09-Nov-2018 | 119694 | 2018-12-19 02:03:55 | |
10 | Murali 10-Nov-2018 | 132633 | 2018-12-19 02:03:55 | |
11 | Murali 11-Nov-2018 | 135035 | 2018-12-19 02:03:55 | |
12 | Murali 12-Nov-2018 | 125277 | 2018-12-19 02:03:55 | |
13 | Murali 13-Nov-2018 | 126007 | 2018-12-19 02:03:55 | |
14 | Murali 14-Nov-2018 | 105753 | 2018-12-19 02:03:55 | |
15 | Murali 15-Nov-2018 | 114187 | 2018-12-19 02:03:55 | |
16 | Murali 16-Nov-2018 | 118921 | 2018-12-19 02:03:55 | |
17 | Murali 17-Nov-2018 | 129415 | 2018-12-19 02:03:55 | |
18 | Murali 18-Nov-2018 | 138287 | 2018-12-19 02:03:55 | |
19 | Murali 19-Nov-2018 | 127282 | 2018-12-19 02:03:56 | |
20 | Murali 20-Nov-2018 | 132762 | 2018-12-19 02:03:56 | |
21 | Murali 21-Nov-2018 | 126535 | 2018-12-19 02:03:56 | |
22 | Murali 22-Nov-2018 | 124513 | 2018-12-19 02:03:56 | |
23 | Murali 23-Nov-2018 | 114180 | 2018-12-19 02:03:56 | |
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Details ( Page:- Murali 22-Nov-2018 )
22-11-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - देही-अभिमानी बनने में ही तुम्हारी सेफ्टी है, तुम श्रीमत पर रूहानी सर्विस में लग जाओ, तो देह-अभिमान रूपी दुश्मन वार नहीं करेगा''
प्रश्नः-
विकर्मों का बोझ सिर पर है, उसकी निशानी क्या होगी? उसे हल्का करने की विधि सुनाओ?
उत्तर:-
जब तक विकर्मों का बोझ है तब तक ज्ञान की धारणा नहीं हो सकती। कर्म ऐसे किए हुए हैं जो बार-बार विघ्न डालते हैं, आगे बढ़ने नहीं देते हैं। इस बोझ से हल्का होने के लिए नींद को जीतने वाले निद्राजीत बनो। रात को जागकर बाबा को याद करो तो बोझ हल्का हो जायेगा।
गीत:-
माता ओ माता........
ओम् शान्ति।
यह हुई जगत अम्बा की महिमा क्योंकि यह है नई रचना। एकदम नई रचना तो होती नहीं है। पुरानी से नई होती है। मृत्युलोक से अमरलोक जाना है। यह जैसे जीने और मरने का सवाल है या तो मृत्युलोक में मरकर ख़त्म होना है या तो जीते जी मरकर अमरलोक में चलना है। जगत की माँ माना जगत को रचने वाली। यह जरूर है बाप स्वर्ग का रचयिता है, रचना रचते हैं ब्रह्मा द्वारा। बाप कहते हैं मैं सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राजधानी स्थापन करता हूँ। आना है संगम पर। कहते भी हैं कल्प के संगमयुगे, हर संगमयुगे आता हूँ। क्लीयर समझानी है। सिर्फ मनुष्यों ने भूल कर नाम बदली कर दिया है। सर्वव्यापी का ज्ञान जो सुनाते हैं, उसमें पूछना पड़ता है यह किसने कहा, कब कहा, कहाँ लिखा हुआ है? अच्छा, गीता का भगवान् कौन है, जो ऐसे कहते हैं? श्रीकृष्ण तो देहधारी है, वह तो सर्वव्यापी हो नहीं सकता। श्रीकृष्ण का नाम बदल जाए तो बात आ जाती है बाप पर। बाप को तो वर्सा देना है। कहते हैं मैं राजयोग सिखाता हूँ - सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी का वर्सा देने। नहीं तो 21 जन्म का वर्सा उन्हें किसने दिया? लिखा भी हुआ है ब्रह्मा मुख से ब्राह्मण रचे। फिर ब्राह्मणों को बैठ नॉलेज सुनाते हैं सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त की। तो जो नॉलेज देने वाला है वह जरूर चित्र भी बनायेंगे समझाने लिए। वास्तव में इसमें कोई लिखने-पढ़ने की बात नहीं है। परन्तु यह सहज कर समझाने लिए चित्र बनाये हुए हैं। इनसे बहुत काम हो सकता है। तो जगत अम्बा की भी महिमा है। शिव शक्ति भी कहा जाता है। शक्ति किससे मिलती है? वर्ल्ड ऑलमाइटी बाप से। ‘वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी' यह अक्षर भी महिमा में देना पड़े। अथॉरिटी माना जो भी शास्त्रों आदि की नॉलेज है, वह सब जानते हैं। अथॉरिटी है समझाने की। ब्रह्मा के हाथ में शास्त्र भी दिखाते हैं और कहते हैं ब्रह्मा मुख कमल द्वारा सभी वेद-शास्त्रों का राज़ समझाते हैं। तो अथॉरिटी हुई ना। तुम बच्चों को सभी वेद-शास्त्रों का राज़ समझाते हैं, दुनिया नहीं जानती कि धर्म शास्त्र किसको कहा जाता है। कहा भी जाता है 4 धर्म। उनमें भी एक धर्म है मुख्य। यह है फाउन्डेशन। बनेन ट्री का मिसाल भी दिया जाता है। इनका फाउन्डेशन सड़ गया है। बाकी टाल-टालियां खड़ी हैं, यह मिसाल है। दुनिया में झाड़ तो बहुत हैं। सतयुग में भी झाड़ तो होंगे ना। करके जंगल नहीं, बगीचे होंगे। काम की चीज़ों लिए जंगल भी होंगे। लकड़ा आदि तो चाहिए ना। जंगल में भी पशु-पंछी बहुत रहते हैं। परन्तु वहाँ सब चीज़ें अच्छी फलदायक होती हैं। पशु-पंछी भी शोभा हैं, परन्तु गंद करने वाले नहीं होंगे। यह पशु-पंछी ब्युटी तो चाहिए ना। सृष्टि ही सतोप्रधान है तो सब चीजें सतोप्रधान होती हैं। बहिश्त फिर तो क्या! पहली-पहली मुख्य बात - बाप से वर्सा लेना है। चित्र बनते रहते हैं, उनमें भी लिखना है ब्रह्मा द्वारा स्थापना, विष्णु द्वारा पालना........ यह अक्षर मनुष्य समझते नहीं इसलिए विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण हैं पालना करने वाले। यह तो समझते हैं। कोटों में कोई ही समझेंगे। फिर यह लिखा है आश्चर्यवत् सुनन्ती, कथन्ती........ नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार अपना पद प्राप्त करते हैं। कहाँ न कहाँ यह बातें लिखी हुई हैं। भगवानुवाच अक्षर भी ठीक है। भगवान् की बायोग्राफी अगर बिगड़ जाए तो सब शास्त्र खण्डन हो जायें। देखने में आता है बाप दिन-प्रतिदिन अच्छी-अच्छी प्वाइन्ट्स देते रहते हैं। पहले-पहले तो निश्चय कराना है कि भगवान् ज्ञान का सागर है, मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है। चैतन्य बीज में नॉलेज किसकी होगी? जरूर झाड़ की होगी। तो बाप आकर नॉलेज समझाते हैं ब्रह्मा द्वारा। ब्रह्माकुमार-कुमारियां नाम अच्छा है। प्रजापिता ब्रह्मा के कुमार-कुमारियां तो ढेर हैं। इसमें अन्धश्रधा की कोई बात नहीं। यह तो रचना है ना। बाबा-मम्मा अथवा तुम मात-पिता सब कहते हैं। जगत अम्बा सरस्वती है ब्रह्मा की बेटी। यह तो प्रैक्टिकल में बी.के. है। कल्प पहले भी ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि रची थी, अब फिर जरूर ब्रह्मा द्वारा ही रचना होगी। सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ बाप ही समझाते हैं इसलिए इनको नॉलेजफुल कहा जाता। बीज में जरूर पूरे वृक्ष की नॉलेज होगी। उनकी रचना चैतन्य मनुष्य सृष्टि है। बाप राजयोग भी सिखलाते हैं। परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मणों को बैठ सिखलाते हैं जो ब्राह्मण फिर देवता बनते हैं। सुनने समय मजा तो सबको बहुत आता है, परन्तु देह-अभिमान के कारण धारणा नहीं होती। यहाँ से बाहर गये और ख़लास। अनेक प्रकार का देह-अभिमान है। इसमें बड़ी मेहनत चाहिए।
बाप कहते हैं नींद को जीतने वाले बनो। देह-अभिमान छोड़ो, देही-अभिमानी बनो। रात को जागकर याद करना है क्योंकि तुम्हारे सिर पर जन्म-जन्मान्तर के विकर्मों का बोझा बहुत है जो तुमको धारणा करने नहीं देते हैं। कर्म ऐसे किये हुए हैं, इस कारण देही-अभिमानी नहीं बनते। गपोड़े बहुत मारते हैं, बड़े गपोड़े का चार्ट लिख भेजते हैं कि हम 75 परसेन्ट याद में रहते हैं। परन्तु बाबा कहते हैं - इम्पासिबुल है। सबसे आगे चलने वाला खुद कहता है - कितनी भी कोशिश करता हूँ याद करने की परन्तु माया भुला देती है। सच्चा चार्ट लिखना चाहिए। बाबा भी बतलाते हैं ना तो बच्चों को भी फालो करना चाहिए। फालो नहीं करते तो चार्ट भी नहीं भेजते हैं। पुरूषार्थ के लिए समय मिला हुआ है। यह धारणा कोई मासी का घर नहीं। इसमें थकना नहीं होता है। कोई समझने में टाइम लेते हैं, आज नहीं तो कल समझ लेंगे। बाबा ने कह दिया कि जो देवी-देवता धर्म का होगा और धर्म में कनवर्ट हो गया होगा तो वह आ जायेगा। एक दिन अफ्रीकन्स आदि की भी कॉन्फ्रेन्स होगी। भारत खण्ड में आते रहेंगे। आगे कभी आते नहीं थे। अभी सभी बड़े-बड़े आते रहते हैं। जर्मनी का प्रिन्स आदि यह सब कभी बाहर निकलते नहीं थे। नेपाल का जो किंग था उसने कभी रेल देखी नहीं थी, अपनी हद से बाहर कहाँ जाने का हुक्म नहीं था, पोप कभी बाहर नहीं निकला था, अभी आया। आयेंगे सब क्योंकि यह भारत सभी धर्म वालों का बहुत बड़े ते बड़ा तीर्थ है इसलिए यह एडवरटाइज़ जोर से निकलेगी। तुमको सब धर्म वालों को बतलाना है, निमंत्रण देना है। ज्ञान फिर भी वही उठायेंगे जो देवी-देवता धर्म वाले कनवर्ट हो गये हैं, इसमें समझ चाहिए। अगर समझें तो शंख ध्वनि जरूर करें। हम ब्राह्मण हैं ना, हमको गीता ही सुनानी है। बहुत सहज है, बेहद का बाप है स्वर्ग का रचयिता। उनसे वर्सा पाना हमारा हक है, सबका हक है अपने पियर घर (मुक्तिधाम) में जाने का। मुक्ति-जीवनमुक्ति का हक है। जीवनमुक्ति सबको मिलनी है। जीवनबन्ध से मुक्त हो शान्त में जाते हैं फिर जब आते हैं तो जीवनमुक्त हैं। परन्तु सबको सतयुग में तो जीवनमुक्ति नहीं मिलती। सतयुग में जीवनमुक्ति में थे देवी-देवता। पीछे जो आते हैं कम सुख, कम दु:ख पाते हैं। यह हिसाब-किताब है। सबसे कंगाल भारत ही बना है, जो सबसे ऊंच था। बाप भी कहते हैं - यह देवी-देवता धर्म बहुत सुख देने वाला है। यह बनी बनाई है, सब अपने-अपने समय पर अपना-अपना पार्ट बजाते हैं। हेविनली गॉड फादर ही हेविन स्थापन करते हैं और कोई कर न सके। क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले बरोबर कहते हैं हेविन था, नई दुनिया थी। क्राइस्ट कोई वहाँ थोड़ेही आयेगा। वह अपने समय पर ही आता है। फिर उनको अपना पार्ट रिपीट करना है। यह सब बुद्धि में बैठे तो श्रीमत पर चलें। सबकी बुद्धि एक जैसी नहीं है। श्रीमत पर चलने की हिम्मत चाहिए। फिर शिवबाबा आप जो खिलाओ, जो पहनाओ........ ब्रह्मा और जगत अम्बा द्वारा। ब्रह्मा द्वारा ही सब कुछ करेंगे ना। तो दोनों कम्बाइन्ड हैं। ब्रह्मा द्वारा ही कर्तव्य करेंगे। शरीर तो दो इकट्ठे नहीं हैं। कोई-कोई कम्बाइन्ड शरीर भी देखा है बाबा ने। सोल तो दोनों की अलग-अलग हो गयी। इसमें बाबा प्रवेश करते हैं, वह है नॉलेजफुल। तो नॉलेज किस द्वारा दे? कृष्ण का चित्र तो अलग है। यहाँ तो ब्रह्मा चाहिए। प्रैक्टिकल में ब्रह्माकुमार-कुमारियां कितने हैं, यह कोई अन्धश्रधा तो नहीं है। एडाप्टेड चिल्ड्रेन को भगवान् पढ़ाते हैं। कल्प पहले जो एडाप्ट हुए हैं वही अब होते हैं। बाहर ऑफिस में तो कोई नहीं कहेंगे हम बी.के. हैं। यह गुप्त हो गया। शिवबाबा की सन्तान तो हैं ही। बाकी रचना नई सृष्टि की रचनी होती है। पुरानी से नया बनाते हैं। आत्मा में खाद पड़ने से पुरानी हो जाती है। सोने में ही खाद पड़ती है तो फिर झूठा हो जाता है। आत्मा झूठी होती है तो शरीर भी झूठा हो जाता है, फिर सच्चा कैसे हो? झूठी चीज़ को आग में डालते हैं, पवित्र करने के लिए। तो कितना बड़ा विनाश होता है। यह त्योहार आदि भी सब भारत के हैं। यह किसके और कब के हैं, कोई जानते नहीं। नॉलेज बहुत कम उठा सकते हैं। पिछाड़ी में करके राजाई मिली, उससे क्या? बहुत थोड़ा सुख हुआ ना। दु:ख तो आहिस्ते-आहिस्ते शुरू हो जाता इसलिए अच्छी रीति पुरूषार्थ करना है। कितने नये बच्चे तीखे हो गये हैं। पुराने अटेन्शन नहीं देते। देह-अभिमान बहुत है, सर्विस करने वाला ही दिल पर चढ़ेगा। कहा जाता है ना अन्दर एक, बाहर दूसरा। बाबा अन्दर से प्यार अच्छे-अच्छे बच्चों को करेंगे। कोई बाहर से अच्छे, अन्दर से खराब होते हैं। कोई सर्विस नहीं करते, अन्धों की लाठी नहीं बनते। अभी मरने-जीने का सवाल है। अमरपुरी में ऊंच पद पाना है। मालूम पड़ता है, किस-किस ने कल्प पहले पुरूषार्थ कर ऊंच पद पाया है, वह सब देखने में आता है। जितना-जितना देही-अभिमानी बनेंगे उतना सेफ्टी में चलते रहेंगे। देह-अभिमान हरा देता है। बाप तो कहेंगे - श्रीमत पर जितना रूहानी सर्विस में चल सको उतना अच्छा है। सबको बाबा समझाते हैं। चित्रों पर समझाना बहुत सहज है। ब्रह्माकुमार-कुमारियां तो सब हैं, वह शिवबाबा है बड़ा बाबा। फिर नई सृष्टि रचते हैं। गाते भी हैं मनुष्य से देवता..... सिक्ख धर्म वाले भी उस भगवान की महिमा करते, गुरू नानक के अक्षर बहुत अच्छे हैं। जप साहेब को तो सुख मिलेगा। यह है तन्त (सार), सच्चे साहेब को याद करेंगे तो सुख पायेंगे अर्थात् वर्सा मिलेगा। मानते तो हैं एकोअंकार.. आत्मा को कोई काल नहीं खा सकता। आत्मा मैली होती, बाकी विनाश नहीं होती इसलिए अकाल मूर्त कहते हैं। बाप समझाते हैं मैं अकाल मूर्त हूँ तो आत्मायें भी अविनाशी हैं। हाँ बाकी पुनर्जन्म में आती हैं। हम एकरस हैं। साफ बतलाते हैं - मैं ज्ञान का सागर हूँ, रूप-बसन्त भी हूँ। तो यह बातें समझकर समझानी है। अन्धों की लाठी बनना है। जीयदान देना है। फिर कभी अकाले मृत्यु नहीं होगा। तुम काल पर विजय पाते हो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर रूहानी सर्विस करनी है। अन्धों की लाठी बनना है। शंखध्वनि जरूर करनी है।
2) देही-अभिमानी बनने के लिए याद का चार्ट रखना है। रात को जागकर ख़ास याद करना है। याद में थकना नहीं है।
वरदान:-स्व-परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन के निमित्त बनने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव
आप बच्चों ने स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने का कान्ट्रैक्ट लिया है। स्व-परिवर्तन ही विश्व परिवर्तन का आधार है। बिना स्व-परिवर्तन के कोई भी आत्मा प्रति कितनी भी मेहनत करो, परिवर्तन नहीं हो सकता क्योंकि आजकल के समय में सिर्फ सुनने से नहीं बदलते लेकिन देखने से बदलते हैं। कई बन्धन डालने वाले भी जीवन का परिवर्तन देखकर बदल जाते हैं। तो करके दिखाना, बदलकर दिखाना ही श्रेष्ठ सेवाधारी बनना है।
स्लोगन:-समय, संकल्प और बोल की एनर्जी को वेस्ट से बेस्ट में चेंज कर दो तो शक्तिशाली बन जायेंगे।
22/11/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, your safety lies in becoming soul conscious. Become busy doing spiritual service according to shrimat and then the enemy, any form of body consciousness, will not attack you.
Question:
What indicates you having a burden of sin on your head? What are the methods of making that burden light?
Answer:
While there is a burden of sinful actions, you cannot imbibe knowledge. Such actions have been performed that they repeatedly create obstacles. They don't allow you to progress. In order to lighten that burden, become conquerors of sleep. Stay awake at night and remember Baba and your burden will become light.
Song:
Mother o mother, you are the bestower of fortune for the world.
Om Shanti
This is the praise of Jagadamba because this is a new creation. There cannot be a completely new creation; the old one becomes new. You have to go from the land of death to the land of immortality. This is a question of life and death: you either have to die in the land of death and become completely dead or die alive and go to the land of immortality. “The Mother of the World” means the One who creates the world. It is definite that the Father is the Creator of heaven and that He creates creation through Brahma. The Father says: I establish the sun and moon dynasty kingdoms. I have to come at the confluence age. He says: I come at the confluence age of the cycle. I come at every confluence of the cycles. This is a very clear explanation. It is just that people have made a mistake and changed the name. When people speak of omnipresence, you should ask them: Who said this? When did He say it? Where is this written? Achcha, who is the God of the Gita who says this? Shri Krishna is a bodily being. He cannot be omnipresent. If Shri Krishna’s name is changed, everything falls on the Father. The Father has to give you the inheritance. He says: I teach you Raja Yoga in order to give you the sun and moon dynasty inheritance. Otherwise, who gave him the inheritance for 21 births? It is also written that Brahmins were created through the mouth of Brahma. He sits and speaks the knowledge of the beginning, middle and end of the world to Brahmins. Therefore, surely, the One who gives this knowledge would also have these pictures made in order to explain the knowledge. In fact, there is no question of studying them, but these pictures have been made so that it can be easy to explain. A lot can be achieved with these. So there is praise of Jagadamba. It is also said: Shiv Shaktis. From whom do you receive power? From the World Almighty Father. You also have to write the words "World Almighty Authority" in His praise. “Authority” means that He has all the knowledge of all the scriptures etc. He knows everything. He has the authority to explain it. They show the scriptures in the hands of Brahma and they also say: The secrets of the Vedas and the scriptures are spoken through the lotus-mouth of Brahma. So He is the Authority, is He not? He explains to you children the secrets of all the Vedas and scriptures. The world doesn’t know what the religious scriptures are. It is said that there are four religions. In those, there is also one main religion. That is the foundation. The example of the banyan tree is given. Its foundation has decayed, but its branches and twigs exist. That is just an example. There are many trees in the world. There will be trees in the golden age too. Yes, there won't be jungles there, but there will be gardens. There will be forests for useful things too. Wood etc. will be needed. Many animals and birds live in the forests. However, everything there would be very good and fruitful. Birds and animals will also be the beauty there. There won’t be anything there that would make things dirty. The beauty of birds and animals is also needed. The world itself is satopradhan and so everything is also satopradhan. What else would you expect in Paradise? The first and foremost thing is that you have to claim your inheritance from the Father. Pictures continue to be made and you have to write on them: Establishment through Brahma, sustenance through Vishnu… People don't understand these words and this is why there is the dual-form of Vishnu, Lakshmi and Narayan, who sustain everything there. They understand this. Only a handful out of multimillions will understand. Then, it is also written: There are those who are amazed by the knowledge when they listen to it, they relate it to others and then they claim their status, numberwise, according to the effort they make. These things are written somewhere or other. The words "God speaks" are also right. If the biography of God is ruined, then all the scriptures become false. It is seen that, day by day, the Father continues to give you very good points. First of all, you have to make them have the faith that God is the Ocean of Knowledge, the Seed of the human world tree. What knowledge would the living Seed have? It would surely be of the tree. The Father comes and explains the knowledge through Brahma. The name, ‘Brahma Kumars and Kumaris’, is good. There are many kumars and kumaris of Prajapita Brahma. There is no question of blind faith in this. This is the creation. Everyone says: Baba, Mama. Or: You are the Mother and Father. Jagadamba, Saraswati, is the daughter of Brahma. She is a BK in a practical way. The new world was created through Brahma a cycle ago. Therefore, it would surely be created through Brahma now too. Only the Father explains the secrets of the beginning, the middle and the end of the world. This is why He is called knowledge-full. The Seed would definitely have knowledge of the whole tree. His creation is the living human world. The Father teaches you Raja Yoga. The Supreme Father, the Supreme Soul, sits here and teaches you Brahmins through Brahma. You Brahmins will then become deities. You all enjoy this a great deal at the time of listening to Him but, because of body consciousness, not all of you are able to imbibe it. As soon as you leave here, everything finishes. There are many types of body consciousness. A lot of effort is needed in this. The Father says: Become conquerors of sleep. Renounce body consciousness. Become soul conscious. Stay awake at night and remember the Father because you each have a great burden of the sins of many births on your head and it doesn't allow you to imbibe knowledge. You have performed such actions that you don't become soul conscious. You tell a lot of lies. You write a chart of big lies and send it to Baba: I stay in remembrance 75% of the time. However, Baba says: That is impossible. The one who is ahead of everyone else says: No matter how much I try to stay in remembrance, Maya makes me forget. You should write an honest chart. Baba himself tells his own experience and so children should follow him. They don't follow him and so they don’t even send their chart. You have been given time to make effort. To imbibe this knowledge is not like going to your aunty's home! You mustn't become tired in this. Some take time to understand. If not today, tomorrow they will understand. Baba has already said that those who belong to the deity religion and have been converted to other religions will come here. One day, there will also be a conference of those from Africa. They will continue to come to the land of Bharat. Previously, they never used to come here. Now, all the eminent people continue to come. The prince of Germany never used to go outside. The king of Nepal had never seen a railway. He didn't have permission to go outside his own boundary. The Pope himself never went out anywhere, but then he came here. Everyone will come because this Bharat is the biggest pilgrimage place for those of all religions. This is why this will be advertised very powerfully. You have to tell this to those of all religions and invite them. Only those of the deity religion who have been converted will take this knowledge. Understanding is required for this. If someone understands, he will definitely blow the conch shell. We are Brahmins and we have to relate the Gita alone. It is very easy. The unlimited Father is the Creator of heaven. It is our right to claim our inheritance from Him. Everyone has a right to go to their Parent’s home, the land of liberation. They all have a right to liberation and liberation-in-life. Everyone is to receive liberation-in-life. You become free from bondage-in-life and go into peace. Then, when you come down here, you are liberated-in-life. However, not everyone receives liberation-in-life in the golden age. It is the deities who have liberation-in-life in the golden age. Those who come later experience less happiness and less sorrow. This is the account. Bharat alone which was the highest has become the most poverty-stricken. The Father Himself says: This deity religion is one that gives a lot of happiness. This drama is predestined. All come and play their own parts at their own time. Only Heavenly God, the Father, establishes heaven. No one else can do this. They say that 3000 years before Christ there truly was heaven, there was the new world. Christ would not come there. He comes at his own time. He has to repeat his part again. Only when all of this sits in your intellect will you follow shrimat. Not everyone's intellect is the same. Courage is needed to follow shrimat. Then, Shiv Baba, whatever You feed me, whatever You give me to wear… it would be through Brahma and Jagadamba. Everything would be done through Brahma, would it not, and so, both (Shiv and Brahma) are combined. He carries out His task through Brahma alone. There are not two bodies together. Baba has seen some with combined bodies (Siamese twins). The souls of the two are separate. Baba enters this one. He is knowledge-full. So, through whom would He give knowledge? The image of Krishna is separate. Brahma is needed here. There are so many Brahma Kumars and Kumaris. This is not blind faith. God is teaching the adopted children. Those who were adopted in the previous cycle are the ones who are adopted now. No one will say in the offices outside that they are BKs. This is incognito. You are the children of Shiv Baba anyway. However, creation has to be created for the new world. He makes the old one new. When a soul has alloy mixed in him, he becomes old. When gold has alloy mixed in it, it becomes false. When souls become false, even the bodies become false. So, how can they become real again? False things are put on a fire to purify them. So, such a huge destruction takes place. All those festivals etc. are Bharat’s. No one knows whose they are or since when they have been celebrated. Very few people are able to take knowledge. Perhaps they receive a kingdom at the end, but what is the benefit of that? That is very little happiness, is it not? Sorrow begins gradually. This is why you have to make effort very well. So many new children have become very clever. The older ones don't pay as much attention; they have a lot of body consciousness. Only those who do service are able to climb onto to Baba's heart. It is said: Inside they are one thing and outside something else. Baba gives a lot of love from within to the good children. Some are good externally, but internally, they are bad. Some don't do any service; they don't become sticks for the blind. Now, it is a question of life and death. You have to claim a high status in the land of immortality. You can recognise the ones who made effort in the previous cycle and claimed a high status. All of that is visible. The more soul conscious you become, the more you will be able to live in safety. Body consciousness defeats you. The Father says: The more spiritual service you are able to do, according to shrimat, the better it is. Baba explains to everyone. It is very easy to explain using pictures. All of you are Brahma Kumars and Kumaris. That Shiv Baba is the Senior Baba and He creates a new world. It is sung: It didn't take God long to change human beings into deities. Even those of the Sikh religion praise that God. The words that Guru Nanak used are very good. Remember the name of the Lord and you will receive happiness. This is the essence: If you remember the true Lord, you will receive happiness, that is, you will receive the inheritance. They believe in the one incorporeal One. Death cannot come to souls. Souls become dirty, but they don't get destroyed. This is why it is called an immortal image. The Father explains: I am the Immortal Image and so souls are also immortal, but they do come into rebirth. I am always the same. He tells you very clearly: I am the Ocean of Knowledge, Rup and also Basant. You have to understand these things and then explain them. You have to become sticks for the blind and give the donation of life. Then, there will never be untimely death. You gain victory over death. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Do spiritual service according to shrimat. Become a stick for the blind. Definitely blow the conch shell.
2. In order to become soul conscious, keep a chart of remembrance. Specially stay awake at night and stay in remembrance. Don't become tired of remembrance.
Blessing:May you be an elevated server who becomes an instrument for world transformation by having self-transformation.
[font=Calibri]You children have taken the contract of bringing about world transformation through self-transformation. Self-transformation is the basis of world transformation. No matter how much effort you make on any soul without your self-transformation, there can be no any transformation. This is because, in today’s world, people do not change just by hearing something, but they change when they see a change. Many who cause bondage change themselves when they see the transformation in your life. So, to demonstrate this by doing it, to demonstrate it by changing yourself is to become an elevated server.[/font]
[font=Calibri]Slogan:Change the energy of your time, thoughts and words from waste into best and you will become powerful.[/font]
"मीठे बच्चे - देही-अभिमानी बनने में ही तुम्हारी सेफ्टी है, तुम श्रीमत पर रूहानी सर्विस में लग जाओ, तो देह-अभिमान रूपी दुश्मन वार नहीं करेगा''
प्रश्नः-
विकर्मों का बोझ सिर पर है, उसकी निशानी क्या होगी? उसे हल्का करने की विधि सुनाओ?
उत्तर:-
जब तक विकर्मों का बोझ है तब तक ज्ञान की धारणा नहीं हो सकती। कर्म ऐसे किए हुए हैं जो बार-बार विघ्न डालते हैं, आगे बढ़ने नहीं देते हैं। इस बोझ से हल्का होने के लिए नींद को जीतने वाले निद्राजीत बनो। रात को जागकर बाबा को याद करो तो बोझ हल्का हो जायेगा।
गीत:-
माता ओ माता........
ओम् शान्ति।
यह हुई जगत अम्बा की महिमा क्योंकि यह है नई रचना। एकदम नई रचना तो होती नहीं है। पुरानी से नई होती है। मृत्युलोक से अमरलोक जाना है। यह जैसे जीने और मरने का सवाल है या तो मृत्युलोक में मरकर ख़त्म होना है या तो जीते जी मरकर अमरलोक में चलना है। जगत की माँ माना जगत को रचने वाली। यह जरूर है बाप स्वर्ग का रचयिता है, रचना रचते हैं ब्रह्मा द्वारा। बाप कहते हैं मैं सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राजधानी स्थापन करता हूँ। आना है संगम पर। कहते भी हैं कल्प के संगमयुगे, हर संगमयुगे आता हूँ। क्लीयर समझानी है। सिर्फ मनुष्यों ने भूल कर नाम बदली कर दिया है। सर्वव्यापी का ज्ञान जो सुनाते हैं, उसमें पूछना पड़ता है यह किसने कहा, कब कहा, कहाँ लिखा हुआ है? अच्छा, गीता का भगवान् कौन है, जो ऐसे कहते हैं? श्रीकृष्ण तो देहधारी है, वह तो सर्वव्यापी हो नहीं सकता। श्रीकृष्ण का नाम बदल जाए तो बात आ जाती है बाप पर। बाप को तो वर्सा देना है। कहते हैं मैं राजयोग सिखाता हूँ - सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी का वर्सा देने। नहीं तो 21 जन्म का वर्सा उन्हें किसने दिया? लिखा भी हुआ है ब्रह्मा मुख से ब्राह्मण रचे। फिर ब्राह्मणों को बैठ नॉलेज सुनाते हैं सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त की। तो जो नॉलेज देने वाला है वह जरूर चित्र भी बनायेंगे समझाने लिए। वास्तव में इसमें कोई लिखने-पढ़ने की बात नहीं है। परन्तु यह सहज कर समझाने लिए चित्र बनाये हुए हैं। इनसे बहुत काम हो सकता है। तो जगत अम्बा की भी महिमा है। शिव शक्ति भी कहा जाता है। शक्ति किससे मिलती है? वर्ल्ड ऑलमाइटी बाप से। ‘वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी' यह अक्षर भी महिमा में देना पड़े। अथॉरिटी माना जो भी शास्त्रों आदि की नॉलेज है, वह सब जानते हैं। अथॉरिटी है समझाने की। ब्रह्मा के हाथ में शास्त्र भी दिखाते हैं और कहते हैं ब्रह्मा मुख कमल द्वारा सभी वेद-शास्त्रों का राज़ समझाते हैं। तो अथॉरिटी हुई ना। तुम बच्चों को सभी वेद-शास्त्रों का राज़ समझाते हैं, दुनिया नहीं जानती कि धर्म शास्त्र किसको कहा जाता है। कहा भी जाता है 4 धर्म। उनमें भी एक धर्म है मुख्य। यह है फाउन्डेशन। बनेन ट्री का मिसाल भी दिया जाता है। इनका फाउन्डेशन सड़ गया है। बाकी टाल-टालियां खड़ी हैं, यह मिसाल है। दुनिया में झाड़ तो बहुत हैं। सतयुग में भी झाड़ तो होंगे ना। करके जंगल नहीं, बगीचे होंगे। काम की चीज़ों लिए जंगल भी होंगे। लकड़ा आदि तो चाहिए ना। जंगल में भी पशु-पंछी बहुत रहते हैं। परन्तु वहाँ सब चीज़ें अच्छी फलदायक होती हैं। पशु-पंछी भी शोभा हैं, परन्तु गंद करने वाले नहीं होंगे। यह पशु-पंछी ब्युटी तो चाहिए ना। सृष्टि ही सतोप्रधान है तो सब चीजें सतोप्रधान होती हैं। बहिश्त फिर तो क्या! पहली-पहली मुख्य बात - बाप से वर्सा लेना है। चित्र बनते रहते हैं, उनमें भी लिखना है ब्रह्मा द्वारा स्थापना, विष्णु द्वारा पालना........ यह अक्षर मनुष्य समझते नहीं इसलिए विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण हैं पालना करने वाले। यह तो समझते हैं। कोटों में कोई ही समझेंगे। फिर यह लिखा है आश्चर्यवत् सुनन्ती, कथन्ती........ नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार अपना पद प्राप्त करते हैं। कहाँ न कहाँ यह बातें लिखी हुई हैं। भगवानुवाच अक्षर भी ठीक है। भगवान् की बायोग्राफी अगर बिगड़ जाए तो सब शास्त्र खण्डन हो जायें। देखने में आता है बाप दिन-प्रतिदिन अच्छी-अच्छी प्वाइन्ट्स देते रहते हैं। पहले-पहले तो निश्चय कराना है कि भगवान् ज्ञान का सागर है, मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है। चैतन्य बीज में नॉलेज किसकी होगी? जरूर झाड़ की होगी। तो बाप आकर नॉलेज समझाते हैं ब्रह्मा द्वारा। ब्रह्माकुमार-कुमारियां नाम अच्छा है। प्रजापिता ब्रह्मा के कुमार-कुमारियां तो ढेर हैं। इसमें अन्धश्रधा की कोई बात नहीं। यह तो रचना है ना। बाबा-मम्मा अथवा तुम मात-पिता सब कहते हैं। जगत अम्बा सरस्वती है ब्रह्मा की बेटी। यह तो प्रैक्टिकल में बी.के. है। कल्प पहले भी ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि रची थी, अब फिर जरूर ब्रह्मा द्वारा ही रचना होगी। सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ बाप ही समझाते हैं इसलिए इनको नॉलेजफुल कहा जाता। बीज में जरूर पूरे वृक्ष की नॉलेज होगी। उनकी रचना चैतन्य मनुष्य सृष्टि है। बाप राजयोग भी सिखलाते हैं। परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मणों को बैठ सिखलाते हैं जो ब्राह्मण फिर देवता बनते हैं। सुनने समय मजा तो सबको बहुत आता है, परन्तु देह-अभिमान के कारण धारणा नहीं होती। यहाँ से बाहर गये और ख़लास। अनेक प्रकार का देह-अभिमान है। इसमें बड़ी मेहनत चाहिए।
बाप कहते हैं नींद को जीतने वाले बनो। देह-अभिमान छोड़ो, देही-अभिमानी बनो। रात को जागकर याद करना है क्योंकि तुम्हारे सिर पर जन्म-जन्मान्तर के विकर्मों का बोझा बहुत है जो तुमको धारणा करने नहीं देते हैं। कर्म ऐसे किये हुए हैं, इस कारण देही-अभिमानी नहीं बनते। गपोड़े बहुत मारते हैं, बड़े गपोड़े का चार्ट लिख भेजते हैं कि हम 75 परसेन्ट याद में रहते हैं। परन्तु बाबा कहते हैं - इम्पासिबुल है। सबसे आगे चलने वाला खुद कहता है - कितनी भी कोशिश करता हूँ याद करने की परन्तु माया भुला देती है। सच्चा चार्ट लिखना चाहिए। बाबा भी बतलाते हैं ना तो बच्चों को भी फालो करना चाहिए। फालो नहीं करते तो चार्ट भी नहीं भेजते हैं। पुरूषार्थ के लिए समय मिला हुआ है। यह धारणा कोई मासी का घर नहीं। इसमें थकना नहीं होता है। कोई समझने में टाइम लेते हैं, आज नहीं तो कल समझ लेंगे। बाबा ने कह दिया कि जो देवी-देवता धर्म का होगा और धर्म में कनवर्ट हो गया होगा तो वह आ जायेगा। एक दिन अफ्रीकन्स आदि की भी कॉन्फ्रेन्स होगी। भारत खण्ड में आते रहेंगे। आगे कभी आते नहीं थे। अभी सभी बड़े-बड़े आते रहते हैं। जर्मनी का प्रिन्स आदि यह सब कभी बाहर निकलते नहीं थे। नेपाल का जो किंग था उसने कभी रेल देखी नहीं थी, अपनी हद से बाहर कहाँ जाने का हुक्म नहीं था, पोप कभी बाहर नहीं निकला था, अभी आया। आयेंगे सब क्योंकि यह भारत सभी धर्म वालों का बहुत बड़े ते बड़ा तीर्थ है इसलिए यह एडवरटाइज़ जोर से निकलेगी। तुमको सब धर्म वालों को बतलाना है, निमंत्रण देना है। ज्ञान फिर भी वही उठायेंगे जो देवी-देवता धर्म वाले कनवर्ट हो गये हैं, इसमें समझ चाहिए। अगर समझें तो शंख ध्वनि जरूर करें। हम ब्राह्मण हैं ना, हमको गीता ही सुनानी है। बहुत सहज है, बेहद का बाप है स्वर्ग का रचयिता। उनसे वर्सा पाना हमारा हक है, सबका हक है अपने पियर घर (मुक्तिधाम) में जाने का। मुक्ति-जीवनमुक्ति का हक है। जीवनमुक्ति सबको मिलनी है। जीवनबन्ध से मुक्त हो शान्त में जाते हैं फिर जब आते हैं तो जीवनमुक्त हैं। परन्तु सबको सतयुग में तो जीवनमुक्ति नहीं मिलती। सतयुग में जीवनमुक्ति में थे देवी-देवता। पीछे जो आते हैं कम सुख, कम दु:ख पाते हैं। यह हिसाब-किताब है। सबसे कंगाल भारत ही बना है, जो सबसे ऊंच था। बाप भी कहते हैं - यह देवी-देवता धर्म बहुत सुख देने वाला है। यह बनी बनाई है, सब अपने-अपने समय पर अपना-अपना पार्ट बजाते हैं। हेविनली गॉड फादर ही हेविन स्थापन करते हैं और कोई कर न सके। क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले बरोबर कहते हैं हेविन था, नई दुनिया थी। क्राइस्ट कोई वहाँ थोड़ेही आयेगा। वह अपने समय पर ही आता है। फिर उनको अपना पार्ट रिपीट करना है। यह सब बुद्धि में बैठे तो श्रीमत पर चलें। सबकी बुद्धि एक जैसी नहीं है। श्रीमत पर चलने की हिम्मत चाहिए। फिर शिवबाबा आप जो खिलाओ, जो पहनाओ........ ब्रह्मा और जगत अम्बा द्वारा। ब्रह्मा द्वारा ही सब कुछ करेंगे ना। तो दोनों कम्बाइन्ड हैं। ब्रह्मा द्वारा ही कर्तव्य करेंगे। शरीर तो दो इकट्ठे नहीं हैं। कोई-कोई कम्बाइन्ड शरीर भी देखा है बाबा ने। सोल तो दोनों की अलग-अलग हो गयी। इसमें बाबा प्रवेश करते हैं, वह है नॉलेजफुल। तो नॉलेज किस द्वारा दे? कृष्ण का चित्र तो अलग है। यहाँ तो ब्रह्मा चाहिए। प्रैक्टिकल में ब्रह्माकुमार-कुमारियां कितने हैं, यह कोई अन्धश्रधा तो नहीं है। एडाप्टेड चिल्ड्रेन को भगवान् पढ़ाते हैं। कल्प पहले जो एडाप्ट हुए हैं वही अब होते हैं। बाहर ऑफिस में तो कोई नहीं कहेंगे हम बी.के. हैं। यह गुप्त हो गया। शिवबाबा की सन्तान तो हैं ही। बाकी रचना नई सृष्टि की रचनी होती है। पुरानी से नया बनाते हैं। आत्मा में खाद पड़ने से पुरानी हो जाती है। सोने में ही खाद पड़ती है तो फिर झूठा हो जाता है। आत्मा झूठी होती है तो शरीर भी झूठा हो जाता है, फिर सच्चा कैसे हो? झूठी चीज़ को आग में डालते हैं, पवित्र करने के लिए। तो कितना बड़ा विनाश होता है। यह त्योहार आदि भी सब भारत के हैं। यह किसके और कब के हैं, कोई जानते नहीं। नॉलेज बहुत कम उठा सकते हैं। पिछाड़ी में करके राजाई मिली, उससे क्या? बहुत थोड़ा सुख हुआ ना। दु:ख तो आहिस्ते-आहिस्ते शुरू हो जाता इसलिए अच्छी रीति पुरूषार्थ करना है। कितने नये बच्चे तीखे हो गये हैं। पुराने अटेन्शन नहीं देते। देह-अभिमान बहुत है, सर्विस करने वाला ही दिल पर चढ़ेगा। कहा जाता है ना अन्दर एक, बाहर दूसरा। बाबा अन्दर से प्यार अच्छे-अच्छे बच्चों को करेंगे। कोई बाहर से अच्छे, अन्दर से खराब होते हैं। कोई सर्विस नहीं करते, अन्धों की लाठी नहीं बनते। अभी मरने-जीने का सवाल है। अमरपुरी में ऊंच पद पाना है। मालूम पड़ता है, किस-किस ने कल्प पहले पुरूषार्थ कर ऊंच पद पाया है, वह सब देखने में आता है। जितना-जितना देही-अभिमानी बनेंगे उतना सेफ्टी में चलते रहेंगे। देह-अभिमान हरा देता है। बाप तो कहेंगे - श्रीमत पर जितना रूहानी सर्विस में चल सको उतना अच्छा है। सबको बाबा समझाते हैं। चित्रों पर समझाना बहुत सहज है। ब्रह्माकुमार-कुमारियां तो सब हैं, वह शिवबाबा है बड़ा बाबा। फिर नई सृष्टि रचते हैं। गाते भी हैं मनुष्य से देवता..... सिक्ख धर्म वाले भी उस भगवान की महिमा करते, गुरू नानक के अक्षर बहुत अच्छे हैं। जप साहेब को तो सुख मिलेगा। यह है तन्त (सार), सच्चे साहेब को याद करेंगे तो सुख पायेंगे अर्थात् वर्सा मिलेगा। मानते तो हैं एकोअंकार.. आत्मा को कोई काल नहीं खा सकता। आत्मा मैली होती, बाकी विनाश नहीं होती इसलिए अकाल मूर्त कहते हैं। बाप समझाते हैं मैं अकाल मूर्त हूँ तो आत्मायें भी अविनाशी हैं। हाँ बाकी पुनर्जन्म में आती हैं। हम एकरस हैं। साफ बतलाते हैं - मैं ज्ञान का सागर हूँ, रूप-बसन्त भी हूँ। तो यह बातें समझकर समझानी है। अन्धों की लाठी बनना है। जीयदान देना है। फिर कभी अकाले मृत्यु नहीं होगा। तुम काल पर विजय पाते हो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर रूहानी सर्विस करनी है। अन्धों की लाठी बनना है। शंखध्वनि जरूर करनी है।
2) देही-अभिमानी बनने के लिए याद का चार्ट रखना है। रात को जागकर ख़ास याद करना है। याद में थकना नहीं है।
वरदान:-स्व-परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन के निमित्त बनने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव
आप बच्चों ने स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने का कान्ट्रैक्ट लिया है। स्व-परिवर्तन ही विश्व परिवर्तन का आधार है। बिना स्व-परिवर्तन के कोई भी आत्मा प्रति कितनी भी मेहनत करो, परिवर्तन नहीं हो सकता क्योंकि आजकल के समय में सिर्फ सुनने से नहीं बदलते लेकिन देखने से बदलते हैं। कई बन्धन डालने वाले भी जीवन का परिवर्तन देखकर बदल जाते हैं। तो करके दिखाना, बदलकर दिखाना ही श्रेष्ठ सेवाधारी बनना है।
स्लोगन:-समय, संकल्प और बोल की एनर्जी को वेस्ट से बेस्ट में चेंज कर दो तो शक्तिशाली बन जायेंगे।
22/11/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, your safety lies in becoming soul conscious. Become busy doing spiritual service according to shrimat and then the enemy, any form of body consciousness, will not attack you.
Question:
What indicates you having a burden of sin on your head? What are the methods of making that burden light?
Answer:
While there is a burden of sinful actions, you cannot imbibe knowledge. Such actions have been performed that they repeatedly create obstacles. They don't allow you to progress. In order to lighten that burden, become conquerors of sleep. Stay awake at night and remember Baba and your burden will become light.
Song:
Mother o mother, you are the bestower of fortune for the world.
Om Shanti
This is the praise of Jagadamba because this is a new creation. There cannot be a completely new creation; the old one becomes new. You have to go from the land of death to the land of immortality. This is a question of life and death: you either have to die in the land of death and become completely dead or die alive and go to the land of immortality. “The Mother of the World” means the One who creates the world. It is definite that the Father is the Creator of heaven and that He creates creation through Brahma. The Father says: I establish the sun and moon dynasty kingdoms. I have to come at the confluence age. He says: I come at the confluence age of the cycle. I come at every confluence of the cycles. This is a very clear explanation. It is just that people have made a mistake and changed the name. When people speak of omnipresence, you should ask them: Who said this? When did He say it? Where is this written? Achcha, who is the God of the Gita who says this? Shri Krishna is a bodily being. He cannot be omnipresent. If Shri Krishna’s name is changed, everything falls on the Father. The Father has to give you the inheritance. He says: I teach you Raja Yoga in order to give you the sun and moon dynasty inheritance. Otherwise, who gave him the inheritance for 21 births? It is also written that Brahmins were created through the mouth of Brahma. He sits and speaks the knowledge of the beginning, middle and end of the world to Brahmins. Therefore, surely, the One who gives this knowledge would also have these pictures made in order to explain the knowledge. In fact, there is no question of studying them, but these pictures have been made so that it can be easy to explain. A lot can be achieved with these. So there is praise of Jagadamba. It is also said: Shiv Shaktis. From whom do you receive power? From the World Almighty Father. You also have to write the words "World Almighty Authority" in His praise. “Authority” means that He has all the knowledge of all the scriptures etc. He knows everything. He has the authority to explain it. They show the scriptures in the hands of Brahma and they also say: The secrets of the Vedas and the scriptures are spoken through the lotus-mouth of Brahma. So He is the Authority, is He not? He explains to you children the secrets of all the Vedas and scriptures. The world doesn’t know what the religious scriptures are. It is said that there are four religions. In those, there is also one main religion. That is the foundation. The example of the banyan tree is given. Its foundation has decayed, but its branches and twigs exist. That is just an example. There are many trees in the world. There will be trees in the golden age too. Yes, there won't be jungles there, but there will be gardens. There will be forests for useful things too. Wood etc. will be needed. Many animals and birds live in the forests. However, everything there would be very good and fruitful. Birds and animals will also be the beauty there. There won’t be anything there that would make things dirty. The beauty of birds and animals is also needed. The world itself is satopradhan and so everything is also satopradhan. What else would you expect in Paradise? The first and foremost thing is that you have to claim your inheritance from the Father. Pictures continue to be made and you have to write on them: Establishment through Brahma, sustenance through Vishnu… People don't understand these words and this is why there is the dual-form of Vishnu, Lakshmi and Narayan, who sustain everything there. They understand this. Only a handful out of multimillions will understand. Then, it is also written: There are those who are amazed by the knowledge when they listen to it, they relate it to others and then they claim their status, numberwise, according to the effort they make. These things are written somewhere or other. The words "God speaks" are also right. If the biography of God is ruined, then all the scriptures become false. It is seen that, day by day, the Father continues to give you very good points. First of all, you have to make them have the faith that God is the Ocean of Knowledge, the Seed of the human world tree. What knowledge would the living Seed have? It would surely be of the tree. The Father comes and explains the knowledge through Brahma. The name, ‘Brahma Kumars and Kumaris’, is good. There are many kumars and kumaris of Prajapita Brahma. There is no question of blind faith in this. This is the creation. Everyone says: Baba, Mama. Or: You are the Mother and Father. Jagadamba, Saraswati, is the daughter of Brahma. She is a BK in a practical way. The new world was created through Brahma a cycle ago. Therefore, it would surely be created through Brahma now too. Only the Father explains the secrets of the beginning, the middle and the end of the world. This is why He is called knowledge-full. The Seed would definitely have knowledge of the whole tree. His creation is the living human world. The Father teaches you Raja Yoga. The Supreme Father, the Supreme Soul, sits here and teaches you Brahmins through Brahma. You Brahmins will then become deities. You all enjoy this a great deal at the time of listening to Him but, because of body consciousness, not all of you are able to imbibe it. As soon as you leave here, everything finishes. There are many types of body consciousness. A lot of effort is needed in this. The Father says: Become conquerors of sleep. Renounce body consciousness. Become soul conscious. Stay awake at night and remember the Father because you each have a great burden of the sins of many births on your head and it doesn't allow you to imbibe knowledge. You have performed such actions that you don't become soul conscious. You tell a lot of lies. You write a chart of big lies and send it to Baba: I stay in remembrance 75% of the time. However, Baba says: That is impossible. The one who is ahead of everyone else says: No matter how much I try to stay in remembrance, Maya makes me forget. You should write an honest chart. Baba himself tells his own experience and so children should follow him. They don't follow him and so they don’t even send their chart. You have been given time to make effort. To imbibe this knowledge is not like going to your aunty's home! You mustn't become tired in this. Some take time to understand. If not today, tomorrow they will understand. Baba has already said that those who belong to the deity religion and have been converted to other religions will come here. One day, there will also be a conference of those from Africa. They will continue to come to the land of Bharat. Previously, they never used to come here. Now, all the eminent people continue to come. The prince of Germany never used to go outside. The king of Nepal had never seen a railway. He didn't have permission to go outside his own boundary. The Pope himself never went out anywhere, but then he came here. Everyone will come because this Bharat is the biggest pilgrimage place for those of all religions. This is why this will be advertised very powerfully. You have to tell this to those of all religions and invite them. Only those of the deity religion who have been converted will take this knowledge. Understanding is required for this. If someone understands, he will definitely blow the conch shell. We are Brahmins and we have to relate the Gita alone. It is very easy. The unlimited Father is the Creator of heaven. It is our right to claim our inheritance from Him. Everyone has a right to go to their Parent’s home, the land of liberation. They all have a right to liberation and liberation-in-life. Everyone is to receive liberation-in-life. You become free from bondage-in-life and go into peace. Then, when you come down here, you are liberated-in-life. However, not everyone receives liberation-in-life in the golden age. It is the deities who have liberation-in-life in the golden age. Those who come later experience less happiness and less sorrow. This is the account. Bharat alone which was the highest has become the most poverty-stricken. The Father Himself says: This deity religion is one that gives a lot of happiness. This drama is predestined. All come and play their own parts at their own time. Only Heavenly God, the Father, establishes heaven. No one else can do this. They say that 3000 years before Christ there truly was heaven, there was the new world. Christ would not come there. He comes at his own time. He has to repeat his part again. Only when all of this sits in your intellect will you follow shrimat. Not everyone's intellect is the same. Courage is needed to follow shrimat. Then, Shiv Baba, whatever You feed me, whatever You give me to wear… it would be through Brahma and Jagadamba. Everything would be done through Brahma, would it not, and so, both (Shiv and Brahma) are combined. He carries out His task through Brahma alone. There are not two bodies together. Baba has seen some with combined bodies (Siamese twins). The souls of the two are separate. Baba enters this one. He is knowledge-full. So, through whom would He give knowledge? The image of Krishna is separate. Brahma is needed here. There are so many Brahma Kumars and Kumaris. This is not blind faith. God is teaching the adopted children. Those who were adopted in the previous cycle are the ones who are adopted now. No one will say in the offices outside that they are BKs. This is incognito. You are the children of Shiv Baba anyway. However, creation has to be created for the new world. He makes the old one new. When a soul has alloy mixed in him, he becomes old. When gold has alloy mixed in it, it becomes false. When souls become false, even the bodies become false. So, how can they become real again? False things are put on a fire to purify them. So, such a huge destruction takes place. All those festivals etc. are Bharat’s. No one knows whose they are or since when they have been celebrated. Very few people are able to take knowledge. Perhaps they receive a kingdom at the end, but what is the benefit of that? That is very little happiness, is it not? Sorrow begins gradually. This is why you have to make effort very well. So many new children have become very clever. The older ones don't pay as much attention; they have a lot of body consciousness. Only those who do service are able to climb onto to Baba's heart. It is said: Inside they are one thing and outside something else. Baba gives a lot of love from within to the good children. Some are good externally, but internally, they are bad. Some don't do any service; they don't become sticks for the blind. Now, it is a question of life and death. You have to claim a high status in the land of immortality. You can recognise the ones who made effort in the previous cycle and claimed a high status. All of that is visible. The more soul conscious you become, the more you will be able to live in safety. Body consciousness defeats you. The Father says: The more spiritual service you are able to do, according to shrimat, the better it is. Baba explains to everyone. It is very easy to explain using pictures. All of you are Brahma Kumars and Kumaris. That Shiv Baba is the Senior Baba and He creates a new world. It is sung: It didn't take God long to change human beings into deities. Even those of the Sikh religion praise that God. The words that Guru Nanak used are very good. Remember the name of the Lord and you will receive happiness. This is the essence: If you remember the true Lord, you will receive happiness, that is, you will receive the inheritance. They believe in the one incorporeal One. Death cannot come to souls. Souls become dirty, but they don't get destroyed. This is why it is called an immortal image. The Father explains: I am the Immortal Image and so souls are also immortal, but they do come into rebirth. I am always the same. He tells you very clearly: I am the Ocean of Knowledge, Rup and also Basant. You have to understand these things and then explain them. You have to become sticks for the blind and give the donation of life. Then, there will never be untimely death. You gain victory over death. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Do spiritual service according to shrimat. Become a stick for the blind. Definitely blow the conch shell.
2. In order to become soul conscious, keep a chart of remembrance. Specially stay awake at night and stay in remembrance. Don't become tired of remembrance.
Blessing:May you be an elevated server who becomes an instrument for world transformation by having self-transformation.
[font=Calibri]You children have taken the contract of bringing about world transformation through self-transformation. Self-transformation is the basis of world transformation. No matter how much effort you make on any soul without your self-transformation, there can be no any transformation. This is because, in today’s world, people do not change just by hearing something, but they change when they see a change. Many who cause bondage change themselves when they see the transformation in your life. So, to demonstrate this by doing it, to demonstrate it by changing yourself is to become an elevated server.[/font]
[font=Calibri]Slogan:Change the energy of your time, thoughts and words from waste into best and you will become powerful.[/font]
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