Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Nov - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Nov-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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3 | Murali 03-Nov-2018 | 128264 | 2018-12-19 02:03:55 | |
4 | Murali 04-Nov-2018 | 144078 | 2018-12-19 02:03:55 | |
5 | Murali 05-Nov-2018 | 130306 | 2018-12-19 02:03:55 | |
6 | Murali 06-Nov-2018 | 127941 | 2018-12-19 02:03:55 | |
7 | Murali 07-Nov-2018 | 126732 | 2018-12-19 02:03:55 | |
8 | Murali 08-Nov-2018 | 119781 | 2018-12-19 02:03:55 | |
9 | Murali 09-Nov-2018 | 119694 | 2018-12-19 02:03:55 | |
10 | Murali 10-Nov-2018 | 132633 | 2018-12-19 02:03:55 | |
11 | Murali 11-Nov-2018 | 135035 | 2018-12-19 02:03:55 | |
12 | Murali 12-Nov-2018 | 125277 | 2018-12-19 02:03:55 | |
13 | Murali 13-Nov-2018 | 126007 | 2018-12-19 02:03:55 | |
14 | Murali 14-Nov-2018 | 105753 | 2018-12-19 02:03:55 | |
15 | Murali 15-Nov-2018 | 114187 | 2018-12-19 02:03:55 | |
16 | Murali 16-Nov-2018 | 118921 | 2018-12-19 02:03:55 | |
17 | Murali 17-Nov-2018 | 129415 | 2018-12-19 02:03:55 | |
18 | Murali 18-Nov-2018 | 138287 | 2018-12-19 02:03:55 | |
19 | Murali 19-Nov-2018 | 127282 | 2018-12-19 02:03:56 | |
20 | Murali 20-Nov-2018 | 132762 | 2018-12-19 02:03:56 | |
21 | Murali 21-Nov-2018 | 126535 | 2018-12-19 02:03:56 | |
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Details ( Page:- Murali 07-Nov-2018 )
07-11-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - जितना तुम बाप को याद करेंगे उतना तुम्हारी बुद्धि का ताला खुलेगा, जिन्हें घड़ी-घड़ी बाप की याद भूल जाती है, वह हैं अनलकी बच्चे''
प्रश्नः-खाता जमा करने का आधार क्या है? सबसे बड़ी कमाई किसमें है?
उत्तर:-खाता जमा होता है दान करने से। जितना तुम दूसरों को बाप का परिचय देंगे उतना आमदनी वृद्धि को पाती जायेगी। मुरली से तुम्हारी बहुत बड़ी कमाई होती है। यह मुरली सांवरे से गोरा बनाने वाली है। मुरली में ही खुदाई जादू है। मुरली से ही तुम मालामाल बनते हो।
गीत:-हमें उन राहों पर चलना है.......
ओम् शान्ति।
रूहानी बाप समझा रहे हैं बच्चों को कि बच्चे गिरना और सम्भलना है। घड़ी-घड़ी बाप को भूलते हो अर्थात् गिरते हो। याद करते हो तो सम्भलते हो। माया बाप की याद भुलवा देती है क्योंकि नई बात है ना। ऐसे तो कोई बाप को कभी भूलते नहीं। स्त्री कभी अपने पति को भूलती नहीं। सगाई हुई और बुद्धियोग लटका। भूलने की बात नहीं होती। पति, पति है। बाप, बाप है। अब यह तो है निराकार बाप, जिसको साजन भी कहते हैं। सजनी कहा जाता है भक्तों को। इस समय सब हैं भक्त। भगवान् एक है। भक्तों को सजनियां, भगवान् को साजन या भक्तों को बालक, भगवान् को बाप कहा जाता है। अब पतियों का पति वा पिताओं का पिता वह एक है। हर एक आत्मा का बाप परमात्मा तो है ही। वह लौकिक बाप हर एक का अलग-अलग है। यह पारलौकिक परमपिता सभी आत्माओं का बाप एक ही गॉड फादर है, उनका नाम है शिवबाबा। सिर्फ गॉड फादर, माउण्ट आबू लिखने से बताओ चिट्ठी पहुँचेगी? नाम तो लिखना पड़े ना। यह तो बेहद का बाप है। उनका नाम है शिव। शिवकाशी कहते हैं ना। वहाँ शिव का मन्दिर है। जरूर वहाँ भी गये होंगे। दिखाते हैं ना राम यहाँ गया, वहाँ गया, गांधी यहाँ गया....... तो बरोबर शिवबाबा का भी चित्र है। परन्तु वह तो है निराकार। उनको फादर कहा जाता है, और किसको सबका फादर कह नहीं सकते। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का भी वह फादर है। उनका नाम है शिव। काशी में भी मन्दिर हैं, उज्जैन में भी शिव का मन्दिर है। इतने मन्दिर क्यों बने हैं, कोई भी नहीं जानते। जैसे लक्ष्मी-नारायण की पूजा करते हैं, कहते हैं यह स्वर्ग के मालिक थे परन्तु स्वर्ग कब था, यह मालिक कैसे बने, यह कोई नहीं जानते। पुजारी जिसकी पूजा करे उनके ही आक्यूपेशन को न जाने तो इसको अन्धश्रधा कहा जायेगा ना। यहाँ भी बाबा कहते हैं परन्तु पूरा परिचय नहीं है। मात-पिता को जानते नहीं। लक्ष्मी-नारायण के पुजारी पूजा करते हैं, शिव के मन्दिर में जाकर महिमा करते हैं, गाते हैं तुम मात-पिता....... परन्तु वह कैसे मात-पिता है, कब बने थे - कुछ भी नहीं जानते। भारतवासी ही बिल्कुल नहीं जानते। क्रिश्चियन, बौद्धी आदि अपने क्राइस्ट को, बुद्ध को याद करते हैं। झट उनकी बायोग्राफी को बतायेंगे - क्राइस्ट फलाने समय पर क्रिश्चियन धर्म की स्थापना करने आया था। भारतवासी किसको भी पूजते हैं, उनको पता नहीं है कि यह कौन हैं? न शिव को, न ब्रह्मा-विष्णु-शंकर को, न जगत अम्बा, जगतपिता को, न लक्ष्मी-नारायण को जानते, सिर्फ पूजा करते रहते हैं। उन्हों की बायोग्राफी क्या है, कुछ भी नहीं जानते। बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं - तुम जब स्वर्ग में थे तो तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों पवित्र थे, तुम राज्य करते थे। तुम जानते हो बरोबर हम राज्य करते थे, हमने पुनर्जन्म लिये, 84 जन्म भोगते-भोगते बादशाही गँवा दी। गोरे से काले बन गये हैं। सुन्दर थे, अब श्याम बन गये हैं। आजकल नारायण को सांवरा दिखाते हैं तो सिद्ध होता है वही कृष्ण नारायण था। परन्तु इन बातों को बिल्कुल समझते नहीं।
यादव हैं मूसल इन्वेंट करने वाले और कौरव-पाण्डव भाई-भाई थे। वह आसुरी भाई और यह दैवी भाई थे। यह भी आसुरी थे, इन्हों को बाप ने ऊंच बनाकर दैवी भाई बनाया है। दोनों भाइयों का क्या हुआ? बरोबर पाण्डवों की जीत हुई, कौरव विनाश हो गये। यहाँ बैठे हुए भी भल मम्मा-बाबा कहते हैं परन्तु जानते नहीं हैं। बाप की श्रीमत पर नहीं चलते हैं। जानते नहीं हैं कि बाबा हमको राजयोग सिखला रहे हैं। निश्चय नहीं रहता। देह-अभिमानी होने कारण, देह के मित्र-सम्बन्धियों आदि को याद करते हैं। यहाँ तो देही बाप को याद करना है। यह नई बात हो गई। मनुष्य कोई समझा न सके। यहाँ मात-पिता के पास बैठे हुए भी उनको जानते नहीं। यह वन्डर है ना। जन्म ही यहाँ हुआ। फिर भी जानते नहीं क्योंकि निराकार है। उनको अच्छी रीति समझ नहीं सकते। उसकी मत पर नहीं चलते तो फिर आश्चर्यवत् भागन्ती हो जाते हैं। जिससे स्वर्ग का 21 जन्मों का वर्सा मिलता है, उनको नहीं जानने से भाग जाते हैं। जो बाप को जानते हैं उनको बख्तावर कहा जाता है। दु:ख से लिबरेट करने वाला तो एक ही बाप है। दुनिया में दु:ख तो बहुत है ना। यह है ही भ्रष्टाचारी राज्य। ड्रामा अनुसार फिर भी 5 हजार वर्ष बाद ऐसी ही भ्रष्टाचारी सृष्टि होगी, फिर बाप आकर सतयुगी श्रेष्ठाचारी स्वराज्य स्थापन करेंगे। तुम मनुष्य से देवता बनने आये हो। यह है मनुष्यों की दुनिया। देवताओं की दुनिया सतयुग में होती है। यहाँ हैं पतित मनुष्य, पावन देवतायें सतयुग में होते हैं। यह तुमको ही समझाया जाता है जो तुम ब्राह्मण बने हो। जो ब्राह्मण बनते जायेंगे उनको समझाते जायेंगे। सब तो ब्राह्मण नहीं बनेंगे। जो ब्राह्मण बनते हैं वही फिर देवता बनेंगे। ब्राह्मण न बना तो देवता बन न सके। बाबा-मम्मा कहा तो ब्राह्मण कुल में आया। फिर है सारा पढ़ाई के पुरुषार्थ पर मदार। यह किंगडम स्थापन हो रही है और इब्राहम, बुद्ध आदि कोई किंगडम स्थापन नहीं करते हैं। क्राइस्ट अकेला आया। किसी में प्रवेश कर क्रिश्चियन धर्म स्थापन किया फिर जो क्रिश्चियन धर्म की आत्मायें ऊपर में हैं, वह आती रहती हैं। अभी सब क्रिश्चियन्स की आत्मायें यहाँ हैं। अभी अन्त में सबको वापिस जाना है। बाप सभी का गाइड बन सबको दु:ख से लिबरेट करते हैं। बाप ही है सारी ह्युमिनटी का लिबरेटर और गाइड। सब आत्माओं को वापस ले जायेंगे। आत्मा पतित होने कारण वापिस जा नहीं सकती है। निराकारी दुनिया तो पावन है ना। अभी यह साकारी सृष्टि पतित है। अब इन सबको पावन कौन बनाये, जो निराकारी दुनिया में जा सकें? इसलिए बुलाते हैं ओ गॉड फादर आओ। गॉड फादर आकर बतलाते हैं कि मैं एक ही बार आता हूँ, जब सारी दुनिया भ्रष्टाचारी बन जाती है। कितनी गोलियां, बारुद आदि बनाते रहते हैं - एक-दो को मारने के लिए। एक तो बाम्ब्स बना रहे हैं दूसरे फिर नैचुरल कैलेमिटीज़, फ्ल्ड्स, अर्थ क्वेक आदि होंगी, बिजली चमकेगी, बीमार पड़ जायेंगे क्योंकि खाद तो बननी है ना। गन्द की ही खाद बनती है ना। तो इस सारी सृष्टि को खाद चाहिए जो फिर फर्स्ट क्लास उत्पत्ति हो। सतयुग में सिर्फ भारत ही था। अब इतने सबका विनाश होना है। बाप कहते हैं मैं आकर दैवी राजधानी स्थापन करता हूँ और सब ख़त्म हो जायेंगे, बाकी तुम स्वर्ग में जायेंगे। स्वर्ग को तो सब याद करते हैं ना। परन्तु स्वर्ग कहा किसको जाता है - यह कोई को पता नहीं। कोई भी मरेगा कहेंगे स्वर्गवासी हुआ। अरे, कलियुग में जो मरेंगे तो जरूर पुनर्जन्म कलियुग में ही लेंगे ना। इतना भी अक्ल कोई में नहीं है। डॉक्टर आफ फिलॉसाफी आदि नाम रखाते हैं, समझते कुछ नहीं। मनुष्य मन्दिर में रहने वाले थे। वह है क्षीर सागर, यह है विषय सागर। यह सब बातें बाप ही समझाते हैं। पढ़ायेंगे तो मनुष्यों को, जानवर को तो नहीं पढ़ायेंगे।
बाप समझाते हैं यह ड्रामा बना हुआ है। जैसा साहूकार मनुष्य वैसा फरनीचर होगा। गरीब के पास ठिक्कर-ठोबर होगा, साहूकार के पास तो इतने वैभव होंगे। तुम सतयुग में साहूकार बनते हो तो तुम्हारे हीरे-जवाहरों के महल होते हैं। वहाँ पर कोई गन्दगी आदि नहीं होती, बांस नहीं होती। यहाँ तो बांस होती है इसलिए अगरबत्ती आदि जगाई जाती है। वहाँ तो फूलों आदि में नैचुरल खुशबू रहती है। अगरबत्ती जलाने की दरकार नहीं पड़ती, उनको हेविन कहा जाता है। बाप हेविन का मालिक बनाने के लिए पढ़ाते हैं। देखो, कैसे साधारण है। ऐसे बाप को याद करना भी भूल जाते हैं! निश्चय पूरा नहीं तो भूल जाते हैं। जिससे स्वर्ग का वर्सा मिलता है, ऐसे मात-पिता को भूल जाना कैसी बदकिस्मती है। बाप आकर ऊंच ते ऊंच बनाते हैं। ऐसे मात-पिता की मत पर न चले तो 100 परसेन्ट मोस्ट अनलकी कहेंगे। नम्बरवार तो होंगे ना। कहाँ पढ़ाई से विश्व का मालिक बनना, कहाँ नौकर चाकर बनना! तुम समझ सकते हो हम कहाँ तक पढ़ते हैं। वहाँ सिर्फ धर्म पितायें आते हैं धर्म स्थापन करने, यहाँ मात-पिता है क्योंकि प्रवृत्ति मार्ग है ना। पवित्र प्रवृत्ति मार्ग था। अभी है अपवित्र प्रवृत्ति मार्ग। लक्ष्मी-नारायण पवित्र थे तो उन्हों की सन्तान भी पवित्र थी। तुम जानते हो हम क्या बनेंगे? मात-पिता कितना ऊंच बनाते हैं तो फालो करना चाहिए ना! भारत को ही मदर फादर कन्ट्री कहा जाता है। सतयुग में सब पवित्र थे, यहाँ पतित हैं। कितना अच्छी रीति समझाया जाता है परन्तु बाप को याद नहीं करते तो बुद्धि का ताला बन्द हो जाता है। सुनते-सुनते पढ़ाई छोड़ देते हैं तो ताला एकदम बंद हो जाता है। स्कूल में भी नम्बरवार हैं। पत्थरबुद्धि और पारसबुद्धि कहा जाता है। पत्थरबुद्धि कुछ भी समझते नहीं, सारे दिन में 5 मिनट भी बाप को याद नहीं करते। 5 मिनट याद करेंगे तो इतना ही ताला खुलेगा। जास्ती याद करेंगे तो अच्छी रीति ताला खुल जायेगा। सारा मदार याद पर है। कोई-कोई बच्चे बाबा को पत्र लिखते हैं - प्रिय बाबा वा प्रिय दादा। अब सिर्फ प्रिय दादा पोस्ट में चिट्ठी डालो तो मिलेगी? नाम तो चाहिए ना! दादा-दादियां तो दुनिया में बहुत हैं। अच्छा!
आज दीपावली है। दीपावली पर नया खाता रखते हैं। तुम सच्चे सच्चे ब्राह्मण हो। वह ब्राह्मण लोग व्यापारियों से नया खाता रखाते हैं। तुमको भी अपना नया खाता रखना है। परन्तु यह है नई दुनिया के लिए। भक्ति मार्ग का खाता है बेहद घाटे का। तुम बेहद का वर्सा पाते हो, बेहद की सुख-शान्ति पाते हो। यह बेहद की बातें बेहद का बाप बैठ समझाते हैं और बेहद का सुख पाने वाले बच्चे ही यह सब समझ सकते हैं। बाप के पास कोटों में कोई ही आते हैं। चलते-चलते कमाई में घाटा पड़ता है तो जो जमा किया है वह भी ना हो जाती है। तुम्हारा खाता वृद्धि को तब पाता है जब कोई को दान देते हो। दान नहीं देते हो तो आमदनी की वृद्धि नहीं होती है। तुम पुरुषार्थ करते हो आमदनी की वृद्धि हो। वह तब होगी जब किसको दान करेंगे, फायदा प्राप्त करायेंगे। कोई को बाप का परिचय दिया, गोया जमा हुआ। परिचय नहीं देते हो तो जमा भी नहीं होता है। तुम्हारी कमाई बहुत-बहुत बड़ी है। मुरली से तुम्हारी सच्ची कमाई होती है, सिर्फ यह मालूम पड़ जाए कि मुरली किसकी है? यह भी तुम बच्चे जानते हो जो सांवरे बन गये हैं उन्हों को ही गोरा बनने के लिए मुरली सुननी है। मुरली तेरी में है जादू। खुदाई जादू कहते हैं ना। तो इस मुरली में खुदाई जादू है। यह ज्ञान भी तुमको अभी है। देवताओं में यह ज्ञान नहीं था। जब उनमें ही ज्ञान नहीं था तो पिछाड़ी वालों में ज्ञान कैसे हो सकता? शास्त्र आदि भी जो बाद में बनते हैं वह सब ख़त्म हो जायेंगे। तुम्हारी यह सच्ची गीतायें तो बहुत थोड़ी हैं। दुनिया में तो वह गीतायें लाखों की अन्दाज में होंगी। वास्तव में यह चित्र ही सच्ची गीता हैं। उस गीता से इतना नहीं समझ सकेंगे जितना इन चित्रों से समझ सकेंगे। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अच्छी रीति पढ़ाई पढ़कर स्वयं को बख्तावर (तकदीरवान) बनाना है। देवता बनने के लिए पक्का ब्राह्मण बनना है।
2) देही बाप को याद करने के लिए देही-अभिमानी बनना है। देह को भी भूलने का अभ्यास करना है।
वरदान:-दिव्य गुणों के आह्वान द्वारा सर्व अवगुणों की आहुति देने वाले सन्तुष्ट आत्मा भव
जैसे दीपावली पर विशेष सफाई और कमाई का ध्यान रखते हैं। ऐसे आप भी सब प्रकार की सफाई और कमाई का लक्ष्य रख सन्तुष्ट आत्मा बनो। सन्तुष्टता द्वारा ही सर्व दिव्य गुणों का आह्वान कर सकेंगे फिर अवगुणों की आहुति स्वत: हो जायेगी। अन्दर जो कमजोरियाँ, कमियां, निर्बलता, कोमलता रही हुई है, उन्हें समाप्त कर अब नया खाता शुरू करो और नये संस्कारों के नये वस्त्र धारण कर सच्ची दीपावली मनाओ।
स्लोगन:-ब्राह्मण कुल के दीपक वही बन सकते जिनके स्मृति की ज्योति सदा जगी हुई है।
07/11/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, the more you remember the Father, the more the locks on your intellects will open. Those who repeatedly forget to have remembrance of the Father are called unlucky children.
Question:What is the basis of accumulating in your account? What brings the greatest income?
Answer:You accumulate in your account by donating. To whatever extent you give the Father’s introduction to others, to that extent, your income increases. You earn a huge income by studying the murlis. These murlis change you from ugly to beautiful. There is Godly magic in the murli. It is by studying the murli that you become very wealthy.
Song:We have to follow the path on which we may fall and have to be cautious.
Om Shanti
The spiritual Father explains to you children: Children, you have to fall and you have to be cautious. To forget the Father repeatedly means to fall and to remember the Father is to be cautious. Maya makes you forget the Father. This is a new aspect. In fact, no one can ever forget his father. A wife would never forget her husband. As soon as they become engaged, their intellects yoga is connected to one another. There is no question of forgetting. A husband is a husband and a father is a father. Now, this one is the incorporeal Father and is also called the Bridegroom. Devotees are called brides. At this time all are devotees whereas there is only the one God. Devotees are called brides and God is called the Bridegroom. Similarly, devotees are called children and God is called the Father. Now, the Husband of all husbands and the Father of all fathers is One. The Supreme Soul is in fact the Father of every single soul, whereas each one has an individual physical father. That parlokik, Supreme Father is the only one God, the Father, of all souls. His name is Shiv Baba. If you simply address an envelope: God, the Father, Mount Abu, would your letter arrive here? You have to write the name on it. That one is the unlimited Father. His name is Shiva. People talk about Shiva Kashi. There is a Shiva Temple there. Surely, He must have been there too. They show that Rama went here and there and that Gandhi went here and there. So, it is true that there is an image of Shiv Baba here and there. However, He is incorporeal. He is called the Father. No one else can be called the Father of all. He is also the Father of Brahma, Vishnu and Shankar. His name is Shiva. There is the temple to Him at Kashi and there is also a temple in Ujjain. No one knows why so many temples have been built to Him. Similarly, those who worship Lakshmi and Narayan say that they were the masters of heaven, but no one knows when heaven existed or how they became the masters of it. If worshippers do not know the occupation of the ones they worship, they are called those with blind faith. Here, too, although some of you say “Baba”, you still don’t have full recognition. You don’t know the Mother and Father. The worshippers of Lakshmi and Narayan worship them. They also go to the temples of Shiva and praise Him and sing: You are the Mother and Father. However, they don’t know how He is their Mother and Father or when He became that. The people of Bharat do not understand anything at all. Christians and Buddhists etc. remember Christ and Buddha. They can instantly tell you their biography, that Christ came at such-and- such a time to establish the Christian religion, whereas the people of Bharat do not know anything about the ones they worship. They don’t know anything about Shiva, nor do they know Brahma, Vishnu or Shankar, or the World Mother (Jagadamba) or the World Father or Lakshmi or Narayan; they just continue to worship them. They don’t know anything about their biographies. The Father sits here and explains to souls: When you were in the golden age, souls and bodies were both pure; you used to rule there. You know that you truly ruled there. Then, while taking rebirth and experiencing 84 births, you lost that kingdom and from beautiful, you became ugly. You were beautiful, but have now become ugly. Nowadays, they make Narayan's picture dark blue too, to show that Krishna was Narayan. However, people don’t understand these aspects at all. The Yadavas were the ones who invented the missiles and the Kauravas and the Pandavas were brothers. Those brothers were devilish whereas these brothers are divine. These brothers also used to be devilish. However, the Father makes them into elevated, divine brothers. So, what happened to the two sets of brothers? There was definitely victory for the Pandavas whereas the Kauravas were destroyed. While sitting here, although some say “Mama” and “Baba”, they don’t know them. They do not follow the Father’s shrimat. They don’t know that Baba is teaching them Raja Yoga. They are not able to maintain that faith. Because of being body conscious, they remember their bodily friends and relatives etc. Here, you have to remember the bodiless Father. This is a new aspect which no human being is able to explain. Even while sitting here with the Mother and Father, some don’t recognise Him. This is a wonder. Although they have taken birth here, they don’t recognise Him, because He is incorporeal. They are not able to understand Him clearly. Then, because they don't follow His directions, they become those who run away, even after having been amazed by the knowledge. If they do not recognise the One who gives them the inheritance of heaven for 21 births, they run away. Those who recognise the Father are said to be fortunate. It is only the one Father who liberates everyone from sorrow. There is a great deal of sorrow in the world. In any case, this kingdom is corrupt. According to the drama, after 5000 years, there will again be the same corrupt world. Then the Father will come again to establish the pure and elevated kingdom of self- sovereignty of the golden age. You have come here to become deities from human beings. This is the world of human beings. The world of deities exists in the golden age. Here, there are impure human beings. Pure deities exist in the golden age. Only those who become Brahmins have this explained to them. Those who become Brahmins will continue to receive explanations. Not everyone will become a Brahmin. Those who become Brahmins are the ones who will later become deities. If they don’t become Brahmins, they cannot become deities. Once they say “Mama” and “Baba,” they enter the Brahmin clan. Then, everything else depends on how much effort they make to study. A kingdom is being established. Abraham and Buddha etc. do not establish a kingdom. Christ came alone and entered someone’s body to establish the Christian religion. Then the souls who belong to the Christian religion continued to follow him down from up above. All the Christian souls are now here. Now, at the end, everyone has to go back home. The Father becomes the Guide for everyone and liberates them from sorrow. The Father is the Liberator and the Guide for the whole of humanity. He will take all souls back. Souls cannot return home because they are impure. The incorporeal world is pure. This corporeal world is now impure. Now, who can purify them all, so that they can return to the incorporeal world? This is why they call out: O God, the Father, come! God, the Father, comes and tells us that He only comes once, when the whole world has become corrupt. They continue to make so many bullets and bombs etc. in order to kill one another. On the one hand, they are making bombs, and on the other hand, there will be natural calamities, floods and earthquakes etc. Lightening will flash, and people will fall ill, because fertilizer has to be made! Fertilizer is usually made out of rubbish. This whole world is going to need manure in order to produce first-class crops. Only Bharat existed in the golden age. So many are now going to be destroyed. The Father says: I come to establish the deity kingdom; everything else is to be destroyed and you will then go to heaven. Everyone remembers heaven, but no one knows what heaven is. When someone dies, they say that he has gone to heaven. Ah! but if someone dies in the iron age, he would surely take rebirth in the iron age. Some don’t even have this much sense. Although they give themselves such titles as Doctor of Philosophy etc., they don’t understand anything. Human beings used to be worthy of living in a temple. That was the ocean of milk whereas it is now the ocean of poison. It is the Father who explains all of these things. He teaches human beings. He doesn’t teach animals. The Father explains: This drama is predestined. As is a wealthy person, so is his furniture. The poor have clay pots whereas the wealthy would have so many material possessions. You are wealthy in the golden age and so you have palaces of gold and diamonds. There is neither dirt etc. there, nor any bad odours. Here, there are bad odours. This is why incense sticks are lit. There, there is the natural fragrance of flowers etc. There is no need to light incense sticks there. It is called heaven! The Father is teaching you in order to make you into the masters of heaven. Just look how ordinary He is! You even forget to remember such a Father. You forget Him because you don’t have full faith. It is a matter of such misfortune to forget the Mother and Father from whom you receive your inheritance of heaven. The Father comes and makes you the highest of all. If you do not follow the directions of such a Mother and Father, you would be considered to be 100% most unlucky. Everyone will be numberwise. There is such a huge difference between becoming a master of the world by studying and becoming a maid or servant. You can understand to what extent you are studying. Elsewhere, founders of religions come to establish their religions, whereas here, there is the Mother and Father because this is the family path. It used to be the pure family path and it is now the impure family path. When Lakshmi and Narayan were pure, their children were also pure. You understand what you will become. The Mother and Father makes you so elevated and so you should follow Him. It is Bharat that is called the Mother Father country. In the golden age, everyone was pure whereas here, everyone is impure. Everything is explained so clearly to you, yet you do not remember the Father, and so the locks on your intellects remain closed. While listening, you renounce the study; the locks on your intellect become completely locked. In schools, too, they are numberwise. Reference is made to a stone intellect and a divine intellect. Those with stone intellects do not understand anything, because they don’t remember the Father for even five minutes out of the whole day. If they were to remember Him for five minutes, the locks on their intellects would open that much. If they were to remember Him more, the locks would open fully. Everything depends on remembrance. Some children write a letter to Baba addressed: “Dear Baba” or “Dear Dada”. Now, if you simply address the letter to “Dear Dada” and post it, would it arrive here? You definitely need to write the name. There are many Dadas and Dadis in the world. Achcha. Today is Deepawali. People open new accounts at Deepawali. You are true Brahmins. Those brahmin priests make businessmen open new accounts. You also have to keep new accounts, but these are for the new world. The accounts of the path of devotion are of unlimited loss. You attain the unlimited inheritance and you attain unlimited peace and happiness. The unlimited Father sits here and explains these unlimited aspects, but only the children who are to receive unlimited happiness are able to understand all of these things. Only a handful out of multimillions come to the Father. Some, while moving along, start losing their income. Then, whatever they have accumulated is cancelled. Your account increases when you donate to others. If you do not donate, your income does not increase. You are making effort to increase your income. That will only happen when you donate to others and enable them to receive benefit. To give the Father’s introduction to someone means to accumulate. If you do not give the Father’s introduction, you do not accumulate anything. Your income is extremely great. You can earn a true income by studying the murli, but you need to know whose murli it is. You children also know that those who have become ugly have to listen to the murli in order to become beautiful. “There is magic in Your murli”. They speak of God's magic. So, there is Godly magic in this murli. It is now that you have this knowledge. Deities did not have this knowledge. Since they didn’t have this knowledge, how could those who came after them have this knowledge? All the scriptures that were written later on will also be destroyed. There are very few of your true Gitas, whereas they must number hundreds of thousands in the world. In fact, it is these pictures that are the true Gita. They are not able to understand as much from those Gitas as they can from these pictures. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Study very well and make yourself fortunate. In order to become a deity, become a firm Brahmin.
2. In order to remember the bodiless Father, become soul conscious. Practise forgetting your body.
Blessing:May you be a contented soul who invokes divine virtues by making an offering of all your defects into the sacrificial fire.
On Deepawali, special attention is paid to cleanliness and to earning an income. Similarly, you have to keep the aim of having cleanliness in every way and also of earning an income and becoming a contented soul. It is only with contentment that you are able to invoke all the divine virtues. The offering of defects will then be made automatically. Finish weaknesses, deficiencies, feelings of being powerless and the delicate nature that remain within you and now begin a new account, wear the new clothes of new sanskars and celebrate the true Deepawali.
Slogan:Only those whose light of awareness is constantly lit can become the lamps of the Brahmin clan.
"मीठे बच्चे - जितना तुम बाप को याद करेंगे उतना तुम्हारी बुद्धि का ताला खुलेगा, जिन्हें घड़ी-घड़ी बाप की याद भूल जाती है, वह हैं अनलकी बच्चे''
प्रश्नः-खाता जमा करने का आधार क्या है? सबसे बड़ी कमाई किसमें है?
उत्तर:-खाता जमा होता है दान करने से। जितना तुम दूसरों को बाप का परिचय देंगे उतना आमदनी वृद्धि को पाती जायेगी। मुरली से तुम्हारी बहुत बड़ी कमाई होती है। यह मुरली सांवरे से गोरा बनाने वाली है। मुरली में ही खुदाई जादू है। मुरली से ही तुम मालामाल बनते हो।
गीत:-हमें उन राहों पर चलना है.......
ओम् शान्ति।
रूहानी बाप समझा रहे हैं बच्चों को कि बच्चे गिरना और सम्भलना है। घड़ी-घड़ी बाप को भूलते हो अर्थात् गिरते हो। याद करते हो तो सम्भलते हो। माया बाप की याद भुलवा देती है क्योंकि नई बात है ना। ऐसे तो कोई बाप को कभी भूलते नहीं। स्त्री कभी अपने पति को भूलती नहीं। सगाई हुई और बुद्धियोग लटका। भूलने की बात नहीं होती। पति, पति है। बाप, बाप है। अब यह तो है निराकार बाप, जिसको साजन भी कहते हैं। सजनी कहा जाता है भक्तों को। इस समय सब हैं भक्त। भगवान् एक है। भक्तों को सजनियां, भगवान् को साजन या भक्तों को बालक, भगवान् को बाप कहा जाता है। अब पतियों का पति वा पिताओं का पिता वह एक है। हर एक आत्मा का बाप परमात्मा तो है ही। वह लौकिक बाप हर एक का अलग-अलग है। यह पारलौकिक परमपिता सभी आत्माओं का बाप एक ही गॉड फादर है, उनका नाम है शिवबाबा। सिर्फ गॉड फादर, माउण्ट आबू लिखने से बताओ चिट्ठी पहुँचेगी? नाम तो लिखना पड़े ना। यह तो बेहद का बाप है। उनका नाम है शिव। शिवकाशी कहते हैं ना। वहाँ शिव का मन्दिर है। जरूर वहाँ भी गये होंगे। दिखाते हैं ना राम यहाँ गया, वहाँ गया, गांधी यहाँ गया....... तो बरोबर शिवबाबा का भी चित्र है। परन्तु वह तो है निराकार। उनको फादर कहा जाता है, और किसको सबका फादर कह नहीं सकते। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का भी वह फादर है। उनका नाम है शिव। काशी में भी मन्दिर हैं, उज्जैन में भी शिव का मन्दिर है। इतने मन्दिर क्यों बने हैं, कोई भी नहीं जानते। जैसे लक्ष्मी-नारायण की पूजा करते हैं, कहते हैं यह स्वर्ग के मालिक थे परन्तु स्वर्ग कब था, यह मालिक कैसे बने, यह कोई नहीं जानते। पुजारी जिसकी पूजा करे उनके ही आक्यूपेशन को न जाने तो इसको अन्धश्रधा कहा जायेगा ना। यहाँ भी बाबा कहते हैं परन्तु पूरा परिचय नहीं है। मात-पिता को जानते नहीं। लक्ष्मी-नारायण के पुजारी पूजा करते हैं, शिव के मन्दिर में जाकर महिमा करते हैं, गाते हैं तुम मात-पिता....... परन्तु वह कैसे मात-पिता है, कब बने थे - कुछ भी नहीं जानते। भारतवासी ही बिल्कुल नहीं जानते। क्रिश्चियन, बौद्धी आदि अपने क्राइस्ट को, बुद्ध को याद करते हैं। झट उनकी बायोग्राफी को बतायेंगे - क्राइस्ट फलाने समय पर क्रिश्चियन धर्म की स्थापना करने आया था। भारतवासी किसको भी पूजते हैं, उनको पता नहीं है कि यह कौन हैं? न शिव को, न ब्रह्मा-विष्णु-शंकर को, न जगत अम्बा, जगतपिता को, न लक्ष्मी-नारायण को जानते, सिर्फ पूजा करते रहते हैं। उन्हों की बायोग्राफी क्या है, कुछ भी नहीं जानते। बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं - तुम जब स्वर्ग में थे तो तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों पवित्र थे, तुम राज्य करते थे। तुम जानते हो बरोबर हम राज्य करते थे, हमने पुनर्जन्म लिये, 84 जन्म भोगते-भोगते बादशाही गँवा दी। गोरे से काले बन गये हैं। सुन्दर थे, अब श्याम बन गये हैं। आजकल नारायण को सांवरा दिखाते हैं तो सिद्ध होता है वही कृष्ण नारायण था। परन्तु इन बातों को बिल्कुल समझते नहीं।
यादव हैं मूसल इन्वेंट करने वाले और कौरव-पाण्डव भाई-भाई थे। वह आसुरी भाई और यह दैवी भाई थे। यह भी आसुरी थे, इन्हों को बाप ने ऊंच बनाकर दैवी भाई बनाया है। दोनों भाइयों का क्या हुआ? बरोबर पाण्डवों की जीत हुई, कौरव विनाश हो गये। यहाँ बैठे हुए भी भल मम्मा-बाबा कहते हैं परन्तु जानते नहीं हैं। बाप की श्रीमत पर नहीं चलते हैं। जानते नहीं हैं कि बाबा हमको राजयोग सिखला रहे हैं। निश्चय नहीं रहता। देह-अभिमानी होने कारण, देह के मित्र-सम्बन्धियों आदि को याद करते हैं। यहाँ तो देही बाप को याद करना है। यह नई बात हो गई। मनुष्य कोई समझा न सके। यहाँ मात-पिता के पास बैठे हुए भी उनको जानते नहीं। यह वन्डर है ना। जन्म ही यहाँ हुआ। फिर भी जानते नहीं क्योंकि निराकार है। उनको अच्छी रीति समझ नहीं सकते। उसकी मत पर नहीं चलते तो फिर आश्चर्यवत् भागन्ती हो जाते हैं। जिससे स्वर्ग का 21 जन्मों का वर्सा मिलता है, उनको नहीं जानने से भाग जाते हैं। जो बाप को जानते हैं उनको बख्तावर कहा जाता है। दु:ख से लिबरेट करने वाला तो एक ही बाप है। दुनिया में दु:ख तो बहुत है ना। यह है ही भ्रष्टाचारी राज्य। ड्रामा अनुसार फिर भी 5 हजार वर्ष बाद ऐसी ही भ्रष्टाचारी सृष्टि होगी, फिर बाप आकर सतयुगी श्रेष्ठाचारी स्वराज्य स्थापन करेंगे। तुम मनुष्य से देवता बनने आये हो। यह है मनुष्यों की दुनिया। देवताओं की दुनिया सतयुग में होती है। यहाँ हैं पतित मनुष्य, पावन देवतायें सतयुग में होते हैं। यह तुमको ही समझाया जाता है जो तुम ब्राह्मण बने हो। जो ब्राह्मण बनते जायेंगे उनको समझाते जायेंगे। सब तो ब्राह्मण नहीं बनेंगे। जो ब्राह्मण बनते हैं वही फिर देवता बनेंगे। ब्राह्मण न बना तो देवता बन न सके। बाबा-मम्मा कहा तो ब्राह्मण कुल में आया। फिर है सारा पढ़ाई के पुरुषार्थ पर मदार। यह किंगडम स्थापन हो रही है और इब्राहम, बुद्ध आदि कोई किंगडम स्थापन नहीं करते हैं। क्राइस्ट अकेला आया। किसी में प्रवेश कर क्रिश्चियन धर्म स्थापन किया फिर जो क्रिश्चियन धर्म की आत्मायें ऊपर में हैं, वह आती रहती हैं। अभी सब क्रिश्चियन्स की आत्मायें यहाँ हैं। अभी अन्त में सबको वापिस जाना है। बाप सभी का गाइड बन सबको दु:ख से लिबरेट करते हैं। बाप ही है सारी ह्युमिनटी का लिबरेटर और गाइड। सब आत्माओं को वापस ले जायेंगे। आत्मा पतित होने कारण वापिस जा नहीं सकती है। निराकारी दुनिया तो पावन है ना। अभी यह साकारी सृष्टि पतित है। अब इन सबको पावन कौन बनाये, जो निराकारी दुनिया में जा सकें? इसलिए बुलाते हैं ओ गॉड फादर आओ। गॉड फादर आकर बतलाते हैं कि मैं एक ही बार आता हूँ, जब सारी दुनिया भ्रष्टाचारी बन जाती है। कितनी गोलियां, बारुद आदि बनाते रहते हैं - एक-दो को मारने के लिए। एक तो बाम्ब्स बना रहे हैं दूसरे फिर नैचुरल कैलेमिटीज़, फ्ल्ड्स, अर्थ क्वेक आदि होंगी, बिजली चमकेगी, बीमार पड़ जायेंगे क्योंकि खाद तो बननी है ना। गन्द की ही खाद बनती है ना। तो इस सारी सृष्टि को खाद चाहिए जो फिर फर्स्ट क्लास उत्पत्ति हो। सतयुग में सिर्फ भारत ही था। अब इतने सबका विनाश होना है। बाप कहते हैं मैं आकर दैवी राजधानी स्थापन करता हूँ और सब ख़त्म हो जायेंगे, बाकी तुम स्वर्ग में जायेंगे। स्वर्ग को तो सब याद करते हैं ना। परन्तु स्वर्ग कहा किसको जाता है - यह कोई को पता नहीं। कोई भी मरेगा कहेंगे स्वर्गवासी हुआ। अरे, कलियुग में जो मरेंगे तो जरूर पुनर्जन्म कलियुग में ही लेंगे ना। इतना भी अक्ल कोई में नहीं है। डॉक्टर आफ फिलॉसाफी आदि नाम रखाते हैं, समझते कुछ नहीं। मनुष्य मन्दिर में रहने वाले थे। वह है क्षीर सागर, यह है विषय सागर। यह सब बातें बाप ही समझाते हैं। पढ़ायेंगे तो मनुष्यों को, जानवर को तो नहीं पढ़ायेंगे।
बाप समझाते हैं यह ड्रामा बना हुआ है। जैसा साहूकार मनुष्य वैसा फरनीचर होगा। गरीब के पास ठिक्कर-ठोबर होगा, साहूकार के पास तो इतने वैभव होंगे। तुम सतयुग में साहूकार बनते हो तो तुम्हारे हीरे-जवाहरों के महल होते हैं। वहाँ पर कोई गन्दगी आदि नहीं होती, बांस नहीं होती। यहाँ तो बांस होती है इसलिए अगरबत्ती आदि जगाई जाती है। वहाँ तो फूलों आदि में नैचुरल खुशबू रहती है। अगरबत्ती जलाने की दरकार नहीं पड़ती, उनको हेविन कहा जाता है। बाप हेविन का मालिक बनाने के लिए पढ़ाते हैं। देखो, कैसे साधारण है। ऐसे बाप को याद करना भी भूल जाते हैं! निश्चय पूरा नहीं तो भूल जाते हैं। जिससे स्वर्ग का वर्सा मिलता है, ऐसे मात-पिता को भूल जाना कैसी बदकिस्मती है। बाप आकर ऊंच ते ऊंच बनाते हैं। ऐसे मात-पिता की मत पर न चले तो 100 परसेन्ट मोस्ट अनलकी कहेंगे। नम्बरवार तो होंगे ना। कहाँ पढ़ाई से विश्व का मालिक बनना, कहाँ नौकर चाकर बनना! तुम समझ सकते हो हम कहाँ तक पढ़ते हैं। वहाँ सिर्फ धर्म पितायें आते हैं धर्म स्थापन करने, यहाँ मात-पिता है क्योंकि प्रवृत्ति मार्ग है ना। पवित्र प्रवृत्ति मार्ग था। अभी है अपवित्र प्रवृत्ति मार्ग। लक्ष्मी-नारायण पवित्र थे तो उन्हों की सन्तान भी पवित्र थी। तुम जानते हो हम क्या बनेंगे? मात-पिता कितना ऊंच बनाते हैं तो फालो करना चाहिए ना! भारत को ही मदर फादर कन्ट्री कहा जाता है। सतयुग में सब पवित्र थे, यहाँ पतित हैं। कितना अच्छी रीति समझाया जाता है परन्तु बाप को याद नहीं करते तो बुद्धि का ताला बन्द हो जाता है। सुनते-सुनते पढ़ाई छोड़ देते हैं तो ताला एकदम बंद हो जाता है। स्कूल में भी नम्बरवार हैं। पत्थरबुद्धि और पारसबुद्धि कहा जाता है। पत्थरबुद्धि कुछ भी समझते नहीं, सारे दिन में 5 मिनट भी बाप को याद नहीं करते। 5 मिनट याद करेंगे तो इतना ही ताला खुलेगा। जास्ती याद करेंगे तो अच्छी रीति ताला खुल जायेगा। सारा मदार याद पर है। कोई-कोई बच्चे बाबा को पत्र लिखते हैं - प्रिय बाबा वा प्रिय दादा। अब सिर्फ प्रिय दादा पोस्ट में चिट्ठी डालो तो मिलेगी? नाम तो चाहिए ना! दादा-दादियां तो दुनिया में बहुत हैं। अच्छा!
आज दीपावली है। दीपावली पर नया खाता रखते हैं। तुम सच्चे सच्चे ब्राह्मण हो। वह ब्राह्मण लोग व्यापारियों से नया खाता रखाते हैं। तुमको भी अपना नया खाता रखना है। परन्तु यह है नई दुनिया के लिए। भक्ति मार्ग का खाता है बेहद घाटे का। तुम बेहद का वर्सा पाते हो, बेहद की सुख-शान्ति पाते हो। यह बेहद की बातें बेहद का बाप बैठ समझाते हैं और बेहद का सुख पाने वाले बच्चे ही यह सब समझ सकते हैं। बाप के पास कोटों में कोई ही आते हैं। चलते-चलते कमाई में घाटा पड़ता है तो जो जमा किया है वह भी ना हो जाती है। तुम्हारा खाता वृद्धि को तब पाता है जब कोई को दान देते हो। दान नहीं देते हो तो आमदनी की वृद्धि नहीं होती है। तुम पुरुषार्थ करते हो आमदनी की वृद्धि हो। वह तब होगी जब किसको दान करेंगे, फायदा प्राप्त करायेंगे। कोई को बाप का परिचय दिया, गोया जमा हुआ। परिचय नहीं देते हो तो जमा भी नहीं होता है। तुम्हारी कमाई बहुत-बहुत बड़ी है। मुरली से तुम्हारी सच्ची कमाई होती है, सिर्फ यह मालूम पड़ जाए कि मुरली किसकी है? यह भी तुम बच्चे जानते हो जो सांवरे बन गये हैं उन्हों को ही गोरा बनने के लिए मुरली सुननी है। मुरली तेरी में है जादू। खुदाई जादू कहते हैं ना। तो इस मुरली में खुदाई जादू है। यह ज्ञान भी तुमको अभी है। देवताओं में यह ज्ञान नहीं था। जब उनमें ही ज्ञान नहीं था तो पिछाड़ी वालों में ज्ञान कैसे हो सकता? शास्त्र आदि भी जो बाद में बनते हैं वह सब ख़त्म हो जायेंगे। तुम्हारी यह सच्ची गीतायें तो बहुत थोड़ी हैं। दुनिया में तो वह गीतायें लाखों की अन्दाज में होंगी। वास्तव में यह चित्र ही सच्ची गीता हैं। उस गीता से इतना नहीं समझ सकेंगे जितना इन चित्रों से समझ सकेंगे। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अच्छी रीति पढ़ाई पढ़कर स्वयं को बख्तावर (तकदीरवान) बनाना है। देवता बनने के लिए पक्का ब्राह्मण बनना है।
2) देही बाप को याद करने के लिए देही-अभिमानी बनना है। देह को भी भूलने का अभ्यास करना है।
वरदान:-दिव्य गुणों के आह्वान द्वारा सर्व अवगुणों की आहुति देने वाले सन्तुष्ट आत्मा भव
जैसे दीपावली पर विशेष सफाई और कमाई का ध्यान रखते हैं। ऐसे आप भी सब प्रकार की सफाई और कमाई का लक्ष्य रख सन्तुष्ट आत्मा बनो। सन्तुष्टता द्वारा ही सर्व दिव्य गुणों का आह्वान कर सकेंगे फिर अवगुणों की आहुति स्वत: हो जायेगी। अन्दर जो कमजोरियाँ, कमियां, निर्बलता, कोमलता रही हुई है, उन्हें समाप्त कर अब नया खाता शुरू करो और नये संस्कारों के नये वस्त्र धारण कर सच्ची दीपावली मनाओ।
स्लोगन:-ब्राह्मण कुल के दीपक वही बन सकते जिनके स्मृति की ज्योति सदा जगी हुई है।
07/11/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, the more you remember the Father, the more the locks on your intellects will open. Those who repeatedly forget to have remembrance of the Father are called unlucky children.
Question:What is the basis of accumulating in your account? What brings the greatest income?
Answer:You accumulate in your account by donating. To whatever extent you give the Father’s introduction to others, to that extent, your income increases. You earn a huge income by studying the murlis. These murlis change you from ugly to beautiful. There is Godly magic in the murli. It is by studying the murli that you become very wealthy.
Song:We have to follow the path on which we may fall and have to be cautious.
Om Shanti
The spiritual Father explains to you children: Children, you have to fall and you have to be cautious. To forget the Father repeatedly means to fall and to remember the Father is to be cautious. Maya makes you forget the Father. This is a new aspect. In fact, no one can ever forget his father. A wife would never forget her husband. As soon as they become engaged, their intellects yoga is connected to one another. There is no question of forgetting. A husband is a husband and a father is a father. Now, this one is the incorporeal Father and is also called the Bridegroom. Devotees are called brides. At this time all are devotees whereas there is only the one God. Devotees are called brides and God is called the Bridegroom. Similarly, devotees are called children and God is called the Father. Now, the Husband of all husbands and the Father of all fathers is One. The Supreme Soul is in fact the Father of every single soul, whereas each one has an individual physical father. That parlokik, Supreme Father is the only one God, the Father, of all souls. His name is Shiv Baba. If you simply address an envelope: God, the Father, Mount Abu, would your letter arrive here? You have to write the name on it. That one is the unlimited Father. His name is Shiva. People talk about Shiva Kashi. There is a Shiva Temple there. Surely, He must have been there too. They show that Rama went here and there and that Gandhi went here and there. So, it is true that there is an image of Shiv Baba here and there. However, He is incorporeal. He is called the Father. No one else can be called the Father of all. He is also the Father of Brahma, Vishnu and Shankar. His name is Shiva. There is the temple to Him at Kashi and there is also a temple in Ujjain. No one knows why so many temples have been built to Him. Similarly, those who worship Lakshmi and Narayan say that they were the masters of heaven, but no one knows when heaven existed or how they became the masters of it. If worshippers do not know the occupation of the ones they worship, they are called those with blind faith. Here, too, although some of you say “Baba”, you still don’t have full recognition. You don’t know the Mother and Father. The worshippers of Lakshmi and Narayan worship them. They also go to the temples of Shiva and praise Him and sing: You are the Mother and Father. However, they don’t know how He is their Mother and Father or when He became that. The people of Bharat do not understand anything at all. Christians and Buddhists etc. remember Christ and Buddha. They can instantly tell you their biography, that Christ came at such-and- such a time to establish the Christian religion, whereas the people of Bharat do not know anything about the ones they worship. They don’t know anything about Shiva, nor do they know Brahma, Vishnu or Shankar, or the World Mother (Jagadamba) or the World Father or Lakshmi or Narayan; they just continue to worship them. They don’t know anything about their biographies. The Father sits here and explains to souls: When you were in the golden age, souls and bodies were both pure; you used to rule there. You know that you truly ruled there. Then, while taking rebirth and experiencing 84 births, you lost that kingdom and from beautiful, you became ugly. You were beautiful, but have now become ugly. Nowadays, they make Narayan's picture dark blue too, to show that Krishna was Narayan. However, people don’t understand these aspects at all. The Yadavas were the ones who invented the missiles and the Kauravas and the Pandavas were brothers. Those brothers were devilish whereas these brothers are divine. These brothers also used to be devilish. However, the Father makes them into elevated, divine brothers. So, what happened to the two sets of brothers? There was definitely victory for the Pandavas whereas the Kauravas were destroyed. While sitting here, although some say “Mama” and “Baba”, they don’t know them. They do not follow the Father’s shrimat. They don’t know that Baba is teaching them Raja Yoga. They are not able to maintain that faith. Because of being body conscious, they remember their bodily friends and relatives etc. Here, you have to remember the bodiless Father. This is a new aspect which no human being is able to explain. Even while sitting here with the Mother and Father, some don’t recognise Him. This is a wonder. Although they have taken birth here, they don’t recognise Him, because He is incorporeal. They are not able to understand Him clearly. Then, because they don't follow His directions, they become those who run away, even after having been amazed by the knowledge. If they do not recognise the One who gives them the inheritance of heaven for 21 births, they run away. Those who recognise the Father are said to be fortunate. It is only the one Father who liberates everyone from sorrow. There is a great deal of sorrow in the world. In any case, this kingdom is corrupt. According to the drama, after 5000 years, there will again be the same corrupt world. Then the Father will come again to establish the pure and elevated kingdom of self- sovereignty of the golden age. You have come here to become deities from human beings. This is the world of human beings. The world of deities exists in the golden age. Here, there are impure human beings. Pure deities exist in the golden age. Only those who become Brahmins have this explained to them. Those who become Brahmins will continue to receive explanations. Not everyone will become a Brahmin. Those who become Brahmins are the ones who will later become deities. If they don’t become Brahmins, they cannot become deities. Once they say “Mama” and “Baba,” they enter the Brahmin clan. Then, everything else depends on how much effort they make to study. A kingdom is being established. Abraham and Buddha etc. do not establish a kingdom. Christ came alone and entered someone’s body to establish the Christian religion. Then the souls who belong to the Christian religion continued to follow him down from up above. All the Christian souls are now here. Now, at the end, everyone has to go back home. The Father becomes the Guide for everyone and liberates them from sorrow. The Father is the Liberator and the Guide for the whole of humanity. He will take all souls back. Souls cannot return home because they are impure. The incorporeal world is pure. This corporeal world is now impure. Now, who can purify them all, so that they can return to the incorporeal world? This is why they call out: O God, the Father, come! God, the Father, comes and tells us that He only comes once, when the whole world has become corrupt. They continue to make so many bullets and bombs etc. in order to kill one another. On the one hand, they are making bombs, and on the other hand, there will be natural calamities, floods and earthquakes etc. Lightening will flash, and people will fall ill, because fertilizer has to be made! Fertilizer is usually made out of rubbish. This whole world is going to need manure in order to produce first-class crops. Only Bharat existed in the golden age. So many are now going to be destroyed. The Father says: I come to establish the deity kingdom; everything else is to be destroyed and you will then go to heaven. Everyone remembers heaven, but no one knows what heaven is. When someone dies, they say that he has gone to heaven. Ah! but if someone dies in the iron age, he would surely take rebirth in the iron age. Some don’t even have this much sense. Although they give themselves such titles as Doctor of Philosophy etc., they don’t understand anything. Human beings used to be worthy of living in a temple. That was the ocean of milk whereas it is now the ocean of poison. It is the Father who explains all of these things. He teaches human beings. He doesn’t teach animals. The Father explains: This drama is predestined. As is a wealthy person, so is his furniture. The poor have clay pots whereas the wealthy would have so many material possessions. You are wealthy in the golden age and so you have palaces of gold and diamonds. There is neither dirt etc. there, nor any bad odours. Here, there are bad odours. This is why incense sticks are lit. There, there is the natural fragrance of flowers etc. There is no need to light incense sticks there. It is called heaven! The Father is teaching you in order to make you into the masters of heaven. Just look how ordinary He is! You even forget to remember such a Father. You forget Him because you don’t have full faith. It is a matter of such misfortune to forget the Mother and Father from whom you receive your inheritance of heaven. The Father comes and makes you the highest of all. If you do not follow the directions of such a Mother and Father, you would be considered to be 100% most unlucky. Everyone will be numberwise. There is such a huge difference between becoming a master of the world by studying and becoming a maid or servant. You can understand to what extent you are studying. Elsewhere, founders of religions come to establish their religions, whereas here, there is the Mother and Father because this is the family path. It used to be the pure family path and it is now the impure family path. When Lakshmi and Narayan were pure, their children were also pure. You understand what you will become. The Mother and Father makes you so elevated and so you should follow Him. It is Bharat that is called the Mother Father country. In the golden age, everyone was pure whereas here, everyone is impure. Everything is explained so clearly to you, yet you do not remember the Father, and so the locks on your intellects remain closed. While listening, you renounce the study; the locks on your intellect become completely locked. In schools, too, they are numberwise. Reference is made to a stone intellect and a divine intellect. Those with stone intellects do not understand anything, because they don’t remember the Father for even five minutes out of the whole day. If they were to remember Him for five minutes, the locks on their intellects would open that much. If they were to remember Him more, the locks would open fully. Everything depends on remembrance. Some children write a letter to Baba addressed: “Dear Baba” or “Dear Dada”. Now, if you simply address the letter to “Dear Dada” and post it, would it arrive here? You definitely need to write the name. There are many Dadas and Dadis in the world. Achcha. Today is Deepawali. People open new accounts at Deepawali. You are true Brahmins. Those brahmin priests make businessmen open new accounts. You also have to keep new accounts, but these are for the new world. The accounts of the path of devotion are of unlimited loss. You attain the unlimited inheritance and you attain unlimited peace and happiness. The unlimited Father sits here and explains these unlimited aspects, but only the children who are to receive unlimited happiness are able to understand all of these things. Only a handful out of multimillions come to the Father. Some, while moving along, start losing their income. Then, whatever they have accumulated is cancelled. Your account increases when you donate to others. If you do not donate, your income does not increase. You are making effort to increase your income. That will only happen when you donate to others and enable them to receive benefit. To give the Father’s introduction to someone means to accumulate. If you do not give the Father’s introduction, you do not accumulate anything. Your income is extremely great. You can earn a true income by studying the murli, but you need to know whose murli it is. You children also know that those who have become ugly have to listen to the murli in order to become beautiful. “There is magic in Your murli”. They speak of God's magic. So, there is Godly magic in this murli. It is now that you have this knowledge. Deities did not have this knowledge. Since they didn’t have this knowledge, how could those who came after them have this knowledge? All the scriptures that were written later on will also be destroyed. There are very few of your true Gitas, whereas they must number hundreds of thousands in the world. In fact, it is these pictures that are the true Gita. They are not able to understand as much from those Gitas as they can from these pictures. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Study very well and make yourself fortunate. In order to become a deity, become a firm Brahmin.
2. In order to remember the bodiless Father, become soul conscious. Practise forgetting your body.
Blessing:May you be a contented soul who invokes divine virtues by making an offering of all your defects into the sacrificial fire.
On Deepawali, special attention is paid to cleanliness and to earning an income. Similarly, you have to keep the aim of having cleanliness in every way and also of earning an income and becoming a contented soul. It is only with contentment that you are able to invoke all the divine virtues. The offering of defects will then be made automatically. Finish weaknesses, deficiencies, feelings of being powerless and the delicate nature that remain within you and now begin a new account, wear the new clothes of new sanskars and celebrate the true Deepawali.
Slogan:Only those whose light of awareness is constantly lit can become the lamps of the Brahmin clan.
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