Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
Who can see this article:- All
Your last visit to this page was @ 2018-11-24 19:48:34
Create/ Participate in Quiz Test
See results
Show/ Hide Table of Content of This Article
A |
Article Rating
|
Participate in Rating,
See Result
|
Achieved( Rate%:- NAN%, Grade:- -- ) |
B | Quiz( Create, Edit, Delete ) |
Participate in Quiz,
See Result
|
Created/ Edited Time:- 13-11-2018 01:33:45 |
C | Survey( Create, Edit, Delete) | Participate in Survey, See Result | Created Time:- |
D |
Page No | Photo | Page Name | Count of Characters | Date of Last Creation/Edit |
---|---|---|---|---|
1 | Murali 1st Oct 2018 | 113370 | 2018-11-13 01:33:45 | |
2 | Murali 02- Oct 2018 | 132948 | 2018-11-13 01:33:45 | |
3 | Murali 03-Oct-2018 | 125177 | 2018-11-13 01:33:45 | |
4 | Murali 04-Oct-2018 | 118934 | 2018-11-13 01:33:45 | |
5 | Murali 05-Oct-2018 | 133374 | 2018-11-13 01:33:45 | |
6 | Murali 06-Oct-2018 | 133043 | 2018-11-13 01:33:45 | |
7 | Murali 07-Oct-2018 | 135426 | 2018-11-13 01:33:45 | |
8 | Murali 08-Oct-2018 | 118475 | 2018-11-13 01:33:45 | |
9 | Murali 09-Oct-2018 | 113426 | 2018-11-13 01:33:46 | |
10 | Murali 10-Oct-2018 | 123819 | 2018-11-13 01:33:46 | |
11 | Murali 11-Oct-2018 | 133485 | 2018-11-13 01:33:46 | |
12 | Murali 12th Oct 2018 | 12264 | 2018-11-13 01:33:46 | |
13 | Murali 13th Oct 2018 | 120124 | 2018-11-13 01:33:46 | |
14 | Murali 14th Oct 2018 | 132308 | 2018-11-13 01:33:46 | |
15 | Murali 15th Oct 2018 | 124161 | 2018-11-13 01:33:46 | |
16 | Murali 16th Oct 2018 | 128293 | 2018-11-13 01:33:46 | |
17 | Murali 17th Oct 2018 | 120298 | 2018-11-13 01:33:46 | |
18 | Murali 18th Oct 2018 | 118916 | 2018-11-13 01:33:46 | |
19 | Murali 19th Oct 2018 | 117510 | 2018-11-13 01:33:46 | |
20 | Murali 20th Oct 2018 | 117518 | 2018-11-13 01:33:46 | |
21 | Murali 21st Oct 2018 | 130603 | 2018-11-13 01:33:46 | |
22 | Murali 22nd Oct 2018 | 135192 | 2018-11-13 01:33:46 | |
23 | Murali 23rd Oct 2018 | 113654 | 2018-11-13 01:33:46 | |
24 | Murali 24th Oct 2018 | 128826 | 2018-11-13 01:33:46 | |
25 | Murali 25th Oct 2018 | 124802 | 2018-11-13 01:33:46 | |
26 | Murali 26th Oct 2018 | 117905 | 2018-11-13 01:33:46 | |
27 | Murali 27th Oct 2018 | 125168 | 2018-11-13 01:33:46 | |
28 | Murali 28th Oct 2018 | 105833 | 2018-11-13 01:33:46 | |
29 | Murali 29th Oct 2018 | 124953 | 2018-11-13 01:33:46 | |
30 | Murali 30th Oct 2018 | 235865 | 2018-11-13 01:33:46 |
Rating for Article:– Prajapita Brahma kumaris Murali - Oct- 2018 ( UID: 181111102328 )
Rating Module ( How to get good rate? See Tips )
If an article has achieved following standard than it is accepted as a good article to promote. Article Grade will be automatically promoted to A grade. (1) Count of characters: >= 2500
(2) Writing Originality Grand total score: >= 75%
(3) Grand Total score: >= 75%
(4) Count of raters: >= 5 (including all group member (mandatory) of specific group)
(5) Language of Article = English
(6) Posted/ Edited date of Article <= 15 Days
(7) Article Heading score: >=50%
(8) Article Information Score: >50%
If the article scored above rate than A grade and also if it belongs to any of the below category of article than it is specially to made Dotted underlined "A Grade". This Article Will be chosen for Web Award.
Category of Article: Finance & banking, Insurance, Technology, Appliance, Vehicle related, Gadgets, software, IT, Income, Earning, Trading, Sale & purchase, Affiliate, Marketing, Medicine, Pharmaceuticals, Hospital, Money, Fashion, Electronics & Electricals, Jobs & Job work, Real estate, Rent Related, Advertising, Travel, Matrimonial, Marriage, Doctor, Food & beverages, Dining, Furniture & assets, Jewellery, ornaments, Gold, Diamond, Silver, Computer, Men Wear, Women’s wear, Dress, style, movie, film, entertainment.
* Give score to this article. Writer has requested to give score/ rating to this article.( Select rating from below ).
* Please give rate to all queries & submit to see final grand total result.
SN | Name Parameters For Grading | Achievement (Score) | Minimum Limit for A grade | Calculation of Mark |
---|---|---|---|---|
1 | Count of Raters ( Auto Calculated ) | 0 | 5 | 0 |
2 | Total Count of Characters in whole Articlein all pages.( Auto Calculated ) | 3715670 | 2500 | 1 |
3 | Count of Days from Article published date or, Last Edited date ( Auto Calculated ) | 2202 | 15 | 0 |
4 | Article informative score ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 40% | 0 |
5 | Total % secured for Originality of Writings for this Article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 60% | 0 |
6 | Total Score of Article heading suitability to the details description in Pages. ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 50% | 0 |
7 | Grand Total Score secured on over all article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 55% | 0 |
Grand Total Score & Article Grade | --- |
SI | Score Rated by Viewers | Rating given by (0) Users |
---|---|---|
(a) | Topic Information:- | NAN% |
(b) | Writing Skill:- | NAN% |
(c) | Grammer:- | NAN% |
(d) | Vocabulary Strength:- | NAN% |
(e) | Choice of Photo:- | NAN% |
(f) | Choice of Topic Heading:- | NAN% |
(g) | Keyword or summary:- | NAN% |
(h) | Material copied - Originality:- | NAN% |
Your Total Rating & % | NAN% |
Show/ Hide Rating Result
Details ( Page:- Murali 15th Oct 2018 )
15-10-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - बेहद सर्विस के लिए तुम्हारी बुद्धि चलनी चाहिए। ऐसी बड़ी घड़ी बनाओ जिसके कांटों में रेडियम हो जो दूर से ही चमकता रहे।
प्रश्नः-सर्विस की वृद्धि के लिए कौन-सी युक्ति रचनी चाहिए?
उत्तर:-जो-जो महारथी होशियार बच्चे हैं उनको अपने पास बुलाना चाहिए। महारथी बच्चे चक्कर लगाते रहें तो सर्विस वृद्धि को पाती रहेगी। इसमें ऐसा नहीं समझना चाहिए कि हमारा मान कम हो जायेगा। बच्चों को कभी भी देह-अभिमान में नहीं आना चाहिए। महारथियों का बहुत-बहुत रिगार्ड रखना चाहिए।
गीत:-यह वक्त जा रहा है ........
ओम् शान्ति।
घड़ी का नाम सुना तो बेहद की घड़ी याद पड़ी। यह है बेहद की घड़ी, इसमें सारी बुद्धि से समझने की बात है। उनका भी बड़ा कांटा और छोटा कांटा है। सेकेण्ड का बड़ा कांटा चलता रहता है। अब रात के 12 बजे हैं यानी रात पूरी हो फिर दिन शुरू होना है। यह बेहद की घड़ी कितनी बड़ी होनी चाहिए। इसमें कांटे जो बनाये जाएं उसमें रेडियम भी देना चाहिए, जो दूर से चमकता रहे। घड़ी तो अपने आप समझाती है। कोई भी नया आये तो घड़ी आकर देखे। बुद्धि भी कहती है बरोबर कांटा अन्त में आकर पहुँचा है। कोई भी समझ सकता है कि विनाश जरूर होना चाहिए। फिर है सतयुग की आदि। सतयुग में बहुत थोड़ी आत्मायें होती हैं। तो इतनी सब आत्मायें जरूर वापिस जाती होंगी। चित्रों पर समझना है बहुत सहज। ऐसी घड़ी कोई बनाये तो बहुत खरीद करके भी घर में रखें। इन पर समझाना है। यह कलियुगी भ्रष्टाचारी दुनिया है। अनेक धर्म भी हैं। विनाश भी सामने खड़ा है। नेचुरल कैलेमिटीज भी होनी है। अब इन लक्ष्मी-नारायण आदि को भी सतयुग की बादशाही कैसे मिली? जरूर बाप द्वारा मिली होगी। पतित-पावन आते ही हैं पतित दुनिया में, संगम पर। पावन दुनिया में तो बाप को आना नहीं है। यह गोले पर समझाने के लिए बड़ी फर्स्टक्लास बात है और इस पर समझाना किसको भी बड़ा सहज है। जिनके पास पैसे बहुत हैं वह तो आर्टिस्ट को झट ऑर्डर दे और झट चीज तैयार हो जाए। गवर्मेन्ट का काम तो इतने में हो जाता, यहाँ तो मुश्किल कोई काम करते हैं। कोई अच्छा आर्टिस्ट चित्र बनाता है तो वह शोभता भी है। आजकल आर्ट का मान बहुत है। डांस का आर्ट कितना दिखाते हैं, समझते हैं पहले ऐसे डांस होते थे। परन्तु ऐसे कोई है नहीं। तो यह बेहद की घड़ी फट से बनानी चाहिए। जो अच्छी रीति मनुष्य समझ जाएं। कलर भी ऐसा अच्छा हो जो चमकता रहे। पतित-पावन कोई मनुष्य तो हो नहीं सकता। मनुष्य पतित हैं ना तब तो गाते हैं। पावन दुनिया भी स्वर्ग है। मनुष्य तो नहीं समझते कि कृष्ण ही श्याम है फिर सुन्दर बनता है इसलिए नाम पड़ा है श्याम-सुन्दर। हम भी पहले नहीं समझते थे, अभी बुद्धि में है बरोबर काम चिता पर बैठने से काला हो जाता है अर्थात् आत्मा पतित हो जाती है। यह भी स्पष्ट करके लिखना है। वर्सा देते हैं परमपिता परमात्मा और श्राप देते हैं रावण। मनुष्यों की बुद्धि फिर चली जाती है रघुपति राघव राजा राम तरफ, परन्तु राम तो है परमपिता परमात्मा। यह सब बुद्धि चलाकर चित्र बनाना चाहिए क्योंकि आजकल अपने को भगवान् तो सब कहते रहते। तुम जानते हो बाप तो एक ही है। बाकी हम सब आत्मायें परमधाम में परमात्मा के साथ जाकर रहेंगी। उस समय बाप भी ब्रह्माण्ड का मालिक, हम भी ब्रह्माण्ड के मालिक हैं। फिर बाप कहते हैं तुम बच्चों को मैं विश्व का मालिक बनाता हूँ। और भल कोई कितना भी बड़ा राजा हो ऐसे नहीं कहेंगे कि हम विश्व के मालिक हैं। बाप तो विश्व का मालिक बना रहे हैं। तो ऐसे मात-पिता पर कितना कुर्बान जाना चाहिए। उनकी श्रीमत मशहूर है। उस पर चलते-चलते पिछाड़ी में आकर श्रीमत का पूरा पालन करते हैं। अभी अगर श्रीमत पर पूरा चलें तो श्रेष्ठ बन जाएं, कितना माथा मारना पड़ता है। जब तक यज्ञ है तब तक पुरुषार्थ चलता रहेगा।
यह है रुद्र ज्ञान यज्ञ। वह भी रुद्र यज्ञ करते हैं शान्ति के लिए। उससे तो शान्ति हो न सके। बाप का तो एक ही यज्ञ है, जिसमें सारी सामग्री स्वाहा हो जाती है और सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिलती रहती है। वह कितने यज्ञ रचते हैं, फायदा कोई नहीं। तुम बच्चे हो नानवायोलेन्स। पवित्रता बिगर कोई स्वर्ग में जा न सके। यह है पिछाड़ी का समय। पतित दुनिया, भ्रष्टाचारी रावण की दुनिया, 100 प्रतिशत अपवित्रता, अशान्ति, दु:खी, रोगी..... यह सब लिखना पड़े और फिर स्वर्ग में हैं श्रेष्ठाचारी, 100 प्रतिशत पवित्रता-सुख-शान्ति निरोगी। वह है रावण का श्राप, यह है शिवबाबा का वर्सा - पूरी लिखत होनी चाहिए। भारत फलाने समय से फलाने समय तक श्रेष्ठाचारी था फिर फलाने समय से भ्रष्टाचारी बना है। लिखत ऐसी हो जो देखने से समझ जाएं। समझाने से भी बुद्धि में नशा चढ़ेगा। इस धन्धे में ही रहने से फिर प्रैक्टिस हो जायेगी। वह सर्विस 8 घण्टा करते हैं तो यह भी 8 घण्टा करनी चाहिए। सेन्टर पर बच्चियाँ जो हैं उनमें भी नम्बरवार हैं। कोई को तो सर्विस का बहुत शौक है। जहाँ-तहाँ भागते रहते हैं। कोई तो एक ही जगह पर आराम से बैठ जाते हैं, उनको आलराउन्डर नहीं कहेंगे। महारथियों को तो कुछ समझते नहीं हैं तो सर्विस भी ढीली पड़ जाती है। बहुतों को अपना अंहकार बहुत रहता है। हमारा मान हो, दूसरा कोई आयेगा तो हमारा मान कम हो जायेगा। यह नहीं समझते कि महारथी तो मदद करेंगे। अपना अहंकार रहता है, ऐसे भी बुद्धू हैं। बाप कहते हैं सच्ची दिल पर ही साहेब राज़ी होता है। बाबा के पास समाचार तो आते रहते हैं ना। बाबा हर एक की रग को समझते हैं। यह बाबा भी अनुभवी है।
तो यह गोले की समझानी बहुत अच्छी है। यह समझानी तुम्हारी निकलेगी तो तुम्हारी सर्विस बहुत अच्छी विहंग मार्ग की हो जायेगी। अभी तो चींटी मार्ग की सर्विस है। अपने ही देह-अभिमान में रहते हैं, इसलिए बुद्धि चलती नहीं। अभी यह है विहंग मार्ग की सर्विस। सर्विसएबुल बच्चों का माथा चलता रहेगा - क्या-क्या बनाना चाहिए। चित्रों पर समझाना बहुत सहज है। अभी कलियुग है, सतयुग स्थापन होता है। बाप ही सबको वापिस ले जायेंगे। वहाँ है सुख, यहाँ है दु:ख। सब पतित हैं। पतित मनुष्य कोई को भी मुक्ति-जीवनमुक्ति दे नहीं सकते हैं। यह सब हैं भक्ति मार्ग की कारोबार सिखलाने वाले। गुरू सब हैं भक्ति मार्ग के। ज्ञान मार्ग का गुरू कोई है नहीं। यहाँ तो कितनी मेहनत करनी पड़ती। भारत को स्वर्ग बनाने में जादूगरी का खेल हैं ना इसलिए उनको जादूगर भी कहते हैं। कृष्ण को कभी जादूगर नहीं कहेंगे। कृष्ण को भी श्याम से सुन्दर बनाने वाला वह बाप है। समझाने का बड़ा नशा चाहिए। बाहर में जाना चाहिए। गरीब ही अच्छा उठाते हैं। साहूकारों में उम्मीद कम रहती है। 100 गरीब तो एक-दो साहूकार, 5-7 साधारण निकलेंगे। ऐसे ही काम चलता है। धन की इतनी दरकार नहीं रहती, गवर्मेन्ट ने देखो कितना बारूद बनाया है। दोनों समझते हैं विनाश हो जायेगा, हम विनाश को पायेंगे, तब मलूक (शिकारी) कौन बनेंगे? कहानी है ना दो बिल्ले लड़े मक्खन बीच में बन्दर को मिल गया। कृष्ण के मुख में मक्खन दिखाते हैं। है यह स्वर्ग रूपी मक्खन। यह बातें मुश्किल कोई समझ सकते हैं। यहाँ 20-25 वर्ष रहने वाले भी कुछ नहीं समझते। पहले-पहले भट्ठी बनी, उसमें कितने आये, कितने चले गये। कोई जम गये हैं। ड्रामा में कल्प पहले भी ऐसे ही हुआ था। अब भी ऐसे हो रहा है। चित्र जितने बड़े होंगे उतना कोई को भी समझाना सहज होगा। लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी जरूरी है। झाड़ से पता पड़ता है भक्ति कल्ट कब से शुरू होता है। ब्रह्मा की रात दो युग फिर ब्रह्मा का दिन दो युग। मनुष्य तो समझते नहीं फिर कहेंगे ब्रह्मा तो सूक्ष्मवतन में है। परन्तु प्रजापिता तो जरूर यहाँ ही होगा। कितने गुह्य राज़ हैं जो शास्त्रों में तो हो नहीं सकते। मनुष्यों ने सब उल्टे चित्र देखे हैं, उल्टा ज्ञान सुना है। ब्रह्मा को भी बहुत भुजायें दी हैं। यह जो भी शास्त्र आदि हैं वह सब हैं भक्ति मार्ग की सामग्री। यह कब से शुरू होती है, दुनिया नहीं जानती। मनुष्य भक्ति कितनी करते हैं, समझते हैं भक्ति बिगर भगवान् मिल नहीं सकता। लेकिन जब पूरी दुर्गति हो तब तो भगवान् मिलेगा सद्गति के लिए। यह हिसाब-किताब तुम जानते हो। आधाकल्प से भक्ति शुरू होती है। बाप कहते हैं - यह वेद, उपनिषद, यज्ञ-तप आदि सब हैं भक्ति मार्ग के। यह सब ख़त्म होने हैं। सबको काला बनना ही है फिर गोरा बनाने बाप को आना पड़े। बाप कहते हैं मैं कल्प के संगम युगे-युगे आता हूँ, न कि युगे-युगे। दिखाते हैं कच्छ अवतार, मच्छ अवतार, परशुराम अवतार........। यह भगवान् के अवतार हैं, फिर पत्थर-भित्तर में भगवान् कैसे हो सकता है। मनुष्य कितने बेसमझ हो गये हैं। बाप ने आकर कितना समझदार बनाया है। महिमा भी करनी पड़े - परमपिता परमात्मा ज्ञान का सागर, पवित्रता का सागर है। कृष्ण की यह महिमा हो नहीं सकती। कृष्ण के भक्त फिर कृष्ण के लिए कह देते हैं कि सर्वव्यापी है। कितना चटक पड़ते हैं। उनसे निकालकर फिर बाप का परिचय देते हैं सब आत्मायें भाई-भाई हैं, सब फादर थोड़ेही हो सकते हैं, फिर याद किसको किया जाता है? गॉड फादर को बच्चे याद करते हैं, समझाने वाला भी बेहद बुद्धि वाला चाहिए। बच्चों की बुद्धि हद में फंस पड़ती है। एक जगह ही बैठ जाते हैं। बिजनेसमैन जो होते हैं वह बड़ी-बड़ी ब्रान्चेज खोलते हैं। जितना जो सेन्टर्स खोले वह मैनेजर अच्छा। फिर सेन्टर पर भी मदार है। यह है अविनाशी ज्ञान रत्नों की दुकान। किसकी? ज्ञान सागर की। कृष्ण में तो यह नॉलेज थी नहीं, न उस समय लड़ाई ही लगी है। प्वाइन्ट तो बहुत हैं, जो धारण कर समझानी है। सभा में चित्र रखे हों जो सब देखें। घड़ी का चित्र बहुत अच्छा है। इस चक्र को जानने से चक्रवर्ती बनेंगे। स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। घड़ी पर समझाना बहुत सहज है। कितने पुराने बच्चे लायक ही नहीं बनते। अपने को मिया मिट्ठू समझ बैठते, फालतू खुश होते। सर्विस नहीं करेंगे तो कौन समझेंगे कि यह दानी हैं। दान भी अशर्फियों का करना चाहिए या पाई पैसे का? यह चित्र अन्धों के आगे आइना है। आइने में अपना मुख देखेंगे। पहले बन्दर की शक्ल थी, अभी मन्दिर की शक्ल बन रही है। मन्दिर में रहने लायक बनने का पुरुषार्थ करना है। यह है पतित दुनिया, वह है पावन दुनिया, जो शिवबाबा स्थापन कर रहे हैं। जो श्रीमत पर नहीं चलते उनकी बुद्धि में कभी धारणा हो नहीं सकती। बाप कहते हैं प्रतिदिन तुमको गुह्य बताता हूँ तो जरूर ज्ञान की वृद्धि होती जायेगी।
कोई-कोई प्रश्न उठाते हैं - 8 बादशाही कैसे चलेगी? इस हिसाब से इतनी बादशाही होनी चाहिए। बाप कहते हैं तुम लोग इन बातों में क्यों पड़ते हो? पहले बाप और उनके वर्से को तो याद करो। वहाँ की जो रस्म रिवाज होगी वह चलेगी। बच्चे जिस रीति से पैदा होते होंगे, उस रीति से होंगे। तुम क्यों इसमें जाते हो? विकार की बात मुख पर क्यों लाते हो? यह चित्र किसको सौगात में देना बहुत अच्छा है। यह गॉड फादरली गिफ्ट है। ऐसी गॉड फादरली गिफ्ट कौन नहीं ले जायेंगे। क्रिश्चियन लोग और किसका लिटरेचर आदि नहीं लेते, उनको अपने धर्म का नशा रहता है। बाप तो कहते हैं देवता धर्म सबसे ऊंच है। वह समझते हैं कि हमको इन क्रिश्चियन से बहुत पैसे मिलते हैं। परन्तु यह तो ज्ञान की बातें हैं। जो ज्ञान उठाते हैं वही बाप से वर्सा पाते हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विश्व का मालिक बनाने वाले मात-पिता पर दिल से कुर्बान जाना है। उनकी श्रीमत पर अच्छी रीति चल श्रेष्ठ बनना है।
2) अपनी दिल सदा सच्ची रखनी है। अहंकार में नहीं आना है। अशर्फियों का दान करना है। ज्ञान दान करने में महारथी बनना है। 8 घण्टा ईश्वरीय सर्विस जरूर करनी है।
वरदान:-अपनी जिम्मेवारियों के सब बोझ बाप को दे सदा निश्चिंत रहने वाले सफलता सम्पन्न सेवाधारी भव
जो बच्चे जितना स्वयं हल्के रहते हैं, उतना सेवा और स्वयं सदा ऊपर चढ़ते रहते अर्थात् उन्नति को पाते रहते इसलिए सब जिम्मेवारियों के बोझ बाप को देकर स्वयं निष्फुरने रहो। किसी भी प्रकार के मैं पन का बोझ न हो। सिर्फ याद के नशे में रहो। बाप के साथ कम्बाइन्ड रहो तो जहाँ बाप है वहाँ सेवा तो स्वत: हुई पड़ी है। करावनहार करा रहा है तो हल्के भी रहेंगे और सफलता सम्पन्न भी बन जायेंगे।
स्लोगन:-बेहद ड्रामा के हर दृश्य को निश्चित जानकर सदा निश्चिंत रहो।
15/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, your intellects should work for unlimited service. Make a large clock with hands of radium so that it can be seen shining from a distance.
Question:What method should you use to increase service?
Answer:
Invite the clever maharathi children to your centre. Service will grow when the maharathi children continue to tour around. You should not think that regard for you would decrease if you did this. You children should never become body conscious. Have a great deal of regard for the maharathis.
Song:This time is passing by.
Om Shanti
When I heard the word ‘clock’ I remembered the unlimited clock. This is an unlimited clock. It is all a matter of using your intellect to understand. That clock has a large hand as well as a small hand. The large hand of seconds continues to move. It is now midnight which means that the night is ending and the day is about to begin. Therefore, how big should you make this unlimited clock? You should make its hands of radium so that they can be seen shining from a distance. The clock explains itself. When a newcomer comes, let him come and see the clock. The intellect says that the hand of the clock has now truly reached the end so that anyone can understand from seeing it that destruction definitely has to take place and that the golden age will start again. There are very few souls in the golden age and so all the other souls will definitely go back home. It is very easy to understand with pictures. If anyone were to create such a clock, many people would buy this clock to have at their home. You have to explain that this iron-aged world is degraded. There are many religions. Destruction is standing ahead. There will also be natural calamities. Now, how did Lakshmi and Narayan receive their kingdom of the golden age? Surely, they must have received it from the Father. The Purifier comes into the impure world at the confluence age. The Father does not have to come into the pure world. This is a first-class aspect in the explanation of the cycle and it is very easy to explain this to anyone. Those who have a lot of money should quickly order an artist to prepare these pictures straight away. Any Government task is done just like that, whereas here scarcely any do such tasks. If a very good artist painted these pictures well, they would look very nice. Nowadays there is great regard for art. They perform the art of dance so much. They believe that, previously, there used to be such dancing, but that was not so. Therefore, you should have these unlimited clocks made instantly so that people can understand very clearly. The colour should also be good so that it constantly sparkles. No human being can be the Purifier. Human beings are impure and this is why they sing. The pure world is heaven. People don’t know that it is Krishna who becomes ugly and then becomes beautiful. This is why he is called the ugly and the beautiful one. Previously, we did not understand this either. It is now in our intellects that by sitting on the pyre of lust we definitely become ugly, that is, souls become impure. You also have to write clearly that the Supreme Father, the Supreme Soul, gives you your inheritance and that Ravan curses you. However, people’s intellects go towards King Rama of the Raghav clan of the silver age, but Rama is the Supreme Father, the Supreme Soul. You should use your intellects to create these pictures, because these days everyone calls himself God. You understand that there is only one Father and that all souls will go and reside in the supreme abode with the Supreme Soul. At that time, the Father is the Master of Brahmand (the element of light) and we souls are also the masters of Brahmand. The Father says: I am making you into the masters of the world. No other king, no matter how great he may be, can claim to be the master of the world. The Father is making you into the masters of the world. Therefore, you should surrender yourselves to such a Mother and Father. His shrimat is very well known. By following it, you will gradually be able to follow it fully by the end. If you were to follow it fully at present, you would become elevated. You have to beat your heads so much! Your efforts will continue for as long as the sacrificial fire lasts. This is the sacrificial fire of the knowledge of Rudra. People also create sacrificial fires of Rudra in order to attain peace. However, there can’t be peace through those. There is only the one sacrificial fire created by the Father into which the ingredients of the whole world are sacrificed and through which you attain liberation-in-life in a second. They create so many sacrificial fires, yet there is no benefit in them. You children are non-violent. No one can go to heaven without becoming pure. This is the final period. You have to write that this is the impure world, the corrupt world of Ravan. There is 100% impurity, peacelessness, sorrow and disease, whereas in the golden age everyone is elevated. There is 100% purity, happiness and peace and everyone is free from disease. That is Ravan’s curse and this is the inheritance from Shiv Baba. Your literature should fully explain from what time to what time Bharat was elevated and then, from what time to what time it became degraded. The literature should be such that anyone simply glancing at it can understand these things. By explaining to others, your intellect’s intoxication will rise. By staying engaged in this business, you will develop this practice. People go to work for eight hours and so you have to do this service for eight hours. The daughters who live at the centres are also numberwise. Some have a lot of interest in doing service; they are constantly running around everywhere whereas others simply sit down somewhere in comfort. Such souls cannot be called all-rounders. Because they don’t think much of the maharathis, service becomes slack. Many have a lot of arrogance about themselves. They think that people should have regard for them and that if anyone else came to their centre, their regard would decrease. They don’t understand that the maharathis who come would help them. They are arrogant about themselves; there are such foolish ones. The Father says: The Lord and Master is pleased with an honest heart. Baba continues to receive all the news and is able to know the pulse of each one. This Baba is also experienced. The explanation of the cycle is very good. When you give this explanation of yours, service will become very fast and great. At present, service is at an ant’s pace. Because you remain body conscious, your intellects do not function well. You now have to do fast service. The intellects of serviceable children continue to work on what should be created. It is very easy to explain using pictures. It is now the iron age and the golden age is being established. It is the Father who takes everyone back. There, there is happiness whereas here, there is sorrow and all are impure. Impure human beings cannot grant liberation or liberation-in-life to anyone. All of those gurus teach you activities of the path of devotion. All the gurus belong to the path of devotion. There are no gurus on the path of knowledge. Here, you have to make a lot of effort. To make Bharat into heaven is a game of magic and this is why He is called the Magician. Krishna cannot be called the Magician. It is that Father who makes Krishna beautiful from ugly. You need great intoxication in order to explain this. You should go out to serve. The poor take to this knowledge very well. There is less hope for the rich. Against one hundred poor ones, there would probably be one or two rich ones and five or seven ordinary ones that emerge. Everything continues like this. There isn’t much concern for wealth. Just look how many armaments the Government makes. Both sides understand that there will be destruction; we will attain destruction. Then, who will become the hunter? There is the story of the two cats fighting for the butter and the monkey taking it from between them. Krishna has been portrayed with butter in his mouth. That butter represents heaven. Hardly anyone understands these things. Even those who have been here for 20 to 25 years don’t understand anything. When Baba created the bhatti, many came and many flew away. Even so, many remained here. The same thing happened in the previous cycle of the drama and the same thing is happening now. The larger the pictures are made, the easier it is to explain them to others. The picture of Lakshmi and Narayan is essential. From the picture of the tree, it is understood when the cult of devotion begins. The first two ages represent the day of Brahma and the other two represent the night of Brahma. Human beings don’t understand anything and then they say that Brahma is in the subtle region. The Father of Humanity would definitely be here. These are such deep matters that they cannot be found in the scriptures. All the pictures that human beings have been looking at are wrong and all the knowledge they have been listening to is wrong. Brahma has been portrayed with many arms. All of those scriptures etc. are the paraphernalia of the path of devotion. No one in the world knows when it began. Human beings do so much devotion because they believe that it’s impossible to meet God without doing devotion. However, it is only when you have become completely degraded that you can meet God and be granted salvation by Him. Only you know this calculation. Devotion begins after half the cycle. The Father says: All the Vedas, Upanishads, sacrificial fires and tapasya etc. belong to the path of devotion. All of that is going to end. Everyone has to become ugly so that the Father has to come and make you beautiful. The Father says: I come at the confluence of every cycle, not in every age. They show My incarnation in a crocodile, a fish etc. If they are the incarnations of God, how could He also be in the pebbles and stones? Human beings have become so senseless! The Father has come and made you so sensible. You have to sing the praise of the Supreme Father, the Supreme Soul, of how He is the Ocean of Knowledge and the Ocean of Purity. This cannot be the praise of Krishna. Devotees of Krishna say that he is omnipresent. They cling to him so much! You have to release them from that and give them the introduction of the Father. All souls are brothers and so how could they all be the Father? In that case, whom would you remember? It is the children who remember God, the Father. Those who explain this should have unlimited intellects. The intellects of the children are trapped in the limited; they just sit in one place. Businessmen open large branches in many places. The more centres they open, the better managers they become. However, it then also depends on the centre. These are the shops of the imperishable jewels of knowledge. Whom do they belong to? To the Ocean of Knowledge. Krishna did not have this knowledge, nor did a battle take place at that time. There are many points which you have to imbibe and explain. The pictures should be put up in a gathering so that everyone can see them. The picture of the clock is very good. By knowing this cycle you become the rulers of the globe. You have to become spinners of the discus of self-realisation. It is very easy to explain with the picture of the clock. So many children who have been here for so long do not become worthy at all. They consider themselves to be very clever. They remain pleased with themselves for no reason. If you don’t do service, who would think that you are a donor? When you donate, should you donate golden guineas or just a few pennies? These pictures are like mirrors for the blind. They will be able to see their faces in these mirrors. Previously, you saw a monkey’s face and now your face is becoming worthy of being in a temple. You have to make effort in order to become worthy of being in a temple. This is the impure world whereas the world that Shiv Baba is creating will be completely pure. The intellects of those who do not follow shrimat are not able to imbibe any of this. The Father says: Day by day, I explain deeper aspects to you and this knowledge will definitely grow. Some ask the question: How can there be eight kingdoms? According to these calculations there should be this many kingdoms. The Father says: Why do you people go into this? First, remember the Father and His inheritance. Whatever customs and systems are there they will continue. Children will be born there as per the system there. Why do you go into that? Why do you allow your mouths to bring up the subject of vice? It is very good to give these pictures to someone as a gift. They are Godfatherly gifts. Who wouldn’t accept such a Godfatherly gift? Christians do not accept literature from anyone else because they have pride in their own religion. The Father says: The deity religion is the highest of all. People think that they would receive a lot of money from the Christians. However, these things are about knowledge. Only those who take this knowledge will receive the inheritance from the Father. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Sacrifice yourself from deep within your heart to the Mother and Father who makes you into a master of the world. Follow His shrimat very well and become elevated.
2. Always keep your heart honest. Do not become arrogant. Donate the golden guineas and become a maharathi in donating knowledge. You must definitely do eight hours a day of Godly service.
Blessing:May you become a totally successful server who remains constantly carefree by giving all the burdens of your responsibilities to the Father.
The children who remain light are themselves able to ascend and ascend in service too, that is, they continue to make progress. Therefore, give the burdens of all your responsibilities to the Father and remain carefree. Let there not be any type of burden of the consciousness of “I”. Simply maintain the intoxication of remembrance. Remain combined with the Father for where there is the Father, service is already accomplished. When Karankaravanhar is making you do everything, you will then remain light and you will have total success.
Slogan:Know with certainly every scene of the unlimited drama and remain constantly carefree.
''मीठे बच्चे - बेहद सर्विस के लिए तुम्हारी बुद्धि चलनी चाहिए। ऐसी बड़ी घड़ी बनाओ जिसके कांटों में रेडियम हो जो दूर से ही चमकता रहे।
प्रश्नः-सर्विस की वृद्धि के लिए कौन-सी युक्ति रचनी चाहिए?
उत्तर:-जो-जो महारथी होशियार बच्चे हैं उनको अपने पास बुलाना चाहिए। महारथी बच्चे चक्कर लगाते रहें तो सर्विस वृद्धि को पाती रहेगी। इसमें ऐसा नहीं समझना चाहिए कि हमारा मान कम हो जायेगा। बच्चों को कभी भी देह-अभिमान में नहीं आना चाहिए। महारथियों का बहुत-बहुत रिगार्ड रखना चाहिए।
गीत:-यह वक्त जा रहा है ........
ओम् शान्ति।
घड़ी का नाम सुना तो बेहद की घड़ी याद पड़ी। यह है बेहद की घड़ी, इसमें सारी बुद्धि से समझने की बात है। उनका भी बड़ा कांटा और छोटा कांटा है। सेकेण्ड का बड़ा कांटा चलता रहता है। अब रात के 12 बजे हैं यानी रात पूरी हो फिर दिन शुरू होना है। यह बेहद की घड़ी कितनी बड़ी होनी चाहिए। इसमें कांटे जो बनाये जाएं उसमें रेडियम भी देना चाहिए, जो दूर से चमकता रहे। घड़ी तो अपने आप समझाती है। कोई भी नया आये तो घड़ी आकर देखे। बुद्धि भी कहती है बरोबर कांटा अन्त में आकर पहुँचा है। कोई भी समझ सकता है कि विनाश जरूर होना चाहिए। फिर है सतयुग की आदि। सतयुग में बहुत थोड़ी आत्मायें होती हैं। तो इतनी सब आत्मायें जरूर वापिस जाती होंगी। चित्रों पर समझना है बहुत सहज। ऐसी घड़ी कोई बनाये तो बहुत खरीद करके भी घर में रखें। इन पर समझाना है। यह कलियुगी भ्रष्टाचारी दुनिया है। अनेक धर्म भी हैं। विनाश भी सामने खड़ा है। नेचुरल कैलेमिटीज भी होनी है। अब इन लक्ष्मी-नारायण आदि को भी सतयुग की बादशाही कैसे मिली? जरूर बाप द्वारा मिली होगी। पतित-पावन आते ही हैं पतित दुनिया में, संगम पर। पावन दुनिया में तो बाप को आना नहीं है। यह गोले पर समझाने के लिए बड़ी फर्स्टक्लास बात है और इस पर समझाना किसको भी बड़ा सहज है। जिनके पास पैसे बहुत हैं वह तो आर्टिस्ट को झट ऑर्डर दे और झट चीज तैयार हो जाए। गवर्मेन्ट का काम तो इतने में हो जाता, यहाँ तो मुश्किल कोई काम करते हैं। कोई अच्छा आर्टिस्ट चित्र बनाता है तो वह शोभता भी है। आजकल आर्ट का मान बहुत है। डांस का आर्ट कितना दिखाते हैं, समझते हैं पहले ऐसे डांस होते थे। परन्तु ऐसे कोई है नहीं। तो यह बेहद की घड़ी फट से बनानी चाहिए। जो अच्छी रीति मनुष्य समझ जाएं। कलर भी ऐसा अच्छा हो जो चमकता रहे। पतित-पावन कोई मनुष्य तो हो नहीं सकता। मनुष्य पतित हैं ना तब तो गाते हैं। पावन दुनिया भी स्वर्ग है। मनुष्य तो नहीं समझते कि कृष्ण ही श्याम है फिर सुन्दर बनता है इसलिए नाम पड़ा है श्याम-सुन्दर। हम भी पहले नहीं समझते थे, अभी बुद्धि में है बरोबर काम चिता पर बैठने से काला हो जाता है अर्थात् आत्मा पतित हो जाती है। यह भी स्पष्ट करके लिखना है। वर्सा देते हैं परमपिता परमात्मा और श्राप देते हैं रावण। मनुष्यों की बुद्धि फिर चली जाती है रघुपति राघव राजा राम तरफ, परन्तु राम तो है परमपिता परमात्मा। यह सब बुद्धि चलाकर चित्र बनाना चाहिए क्योंकि आजकल अपने को भगवान् तो सब कहते रहते। तुम जानते हो बाप तो एक ही है। बाकी हम सब आत्मायें परमधाम में परमात्मा के साथ जाकर रहेंगी। उस समय बाप भी ब्रह्माण्ड का मालिक, हम भी ब्रह्माण्ड के मालिक हैं। फिर बाप कहते हैं तुम बच्चों को मैं विश्व का मालिक बनाता हूँ। और भल कोई कितना भी बड़ा राजा हो ऐसे नहीं कहेंगे कि हम विश्व के मालिक हैं। बाप तो विश्व का मालिक बना रहे हैं। तो ऐसे मात-पिता पर कितना कुर्बान जाना चाहिए। उनकी श्रीमत मशहूर है। उस पर चलते-चलते पिछाड़ी में आकर श्रीमत का पूरा पालन करते हैं। अभी अगर श्रीमत पर पूरा चलें तो श्रेष्ठ बन जाएं, कितना माथा मारना पड़ता है। जब तक यज्ञ है तब तक पुरुषार्थ चलता रहेगा।
यह है रुद्र ज्ञान यज्ञ। वह भी रुद्र यज्ञ करते हैं शान्ति के लिए। उससे तो शान्ति हो न सके। बाप का तो एक ही यज्ञ है, जिसमें सारी सामग्री स्वाहा हो जाती है और सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिलती रहती है। वह कितने यज्ञ रचते हैं, फायदा कोई नहीं। तुम बच्चे हो नानवायोलेन्स। पवित्रता बिगर कोई स्वर्ग में जा न सके। यह है पिछाड़ी का समय। पतित दुनिया, भ्रष्टाचारी रावण की दुनिया, 100 प्रतिशत अपवित्रता, अशान्ति, दु:खी, रोगी..... यह सब लिखना पड़े और फिर स्वर्ग में हैं श्रेष्ठाचारी, 100 प्रतिशत पवित्रता-सुख-शान्ति निरोगी। वह है रावण का श्राप, यह है शिवबाबा का वर्सा - पूरी लिखत होनी चाहिए। भारत फलाने समय से फलाने समय तक श्रेष्ठाचारी था फिर फलाने समय से भ्रष्टाचारी बना है। लिखत ऐसी हो जो देखने से समझ जाएं। समझाने से भी बुद्धि में नशा चढ़ेगा। इस धन्धे में ही रहने से फिर प्रैक्टिस हो जायेगी। वह सर्विस 8 घण्टा करते हैं तो यह भी 8 घण्टा करनी चाहिए। सेन्टर पर बच्चियाँ जो हैं उनमें भी नम्बरवार हैं। कोई को तो सर्विस का बहुत शौक है। जहाँ-तहाँ भागते रहते हैं। कोई तो एक ही जगह पर आराम से बैठ जाते हैं, उनको आलराउन्डर नहीं कहेंगे। महारथियों को तो कुछ समझते नहीं हैं तो सर्विस भी ढीली पड़ जाती है। बहुतों को अपना अंहकार बहुत रहता है। हमारा मान हो, दूसरा कोई आयेगा तो हमारा मान कम हो जायेगा। यह नहीं समझते कि महारथी तो मदद करेंगे। अपना अहंकार रहता है, ऐसे भी बुद्धू हैं। बाप कहते हैं सच्ची दिल पर ही साहेब राज़ी होता है। बाबा के पास समाचार तो आते रहते हैं ना। बाबा हर एक की रग को समझते हैं। यह बाबा भी अनुभवी है।
तो यह गोले की समझानी बहुत अच्छी है। यह समझानी तुम्हारी निकलेगी तो तुम्हारी सर्विस बहुत अच्छी विहंग मार्ग की हो जायेगी। अभी तो चींटी मार्ग की सर्विस है। अपने ही देह-अभिमान में रहते हैं, इसलिए बुद्धि चलती नहीं। अभी यह है विहंग मार्ग की सर्विस। सर्विसएबुल बच्चों का माथा चलता रहेगा - क्या-क्या बनाना चाहिए। चित्रों पर समझाना बहुत सहज है। अभी कलियुग है, सतयुग स्थापन होता है। बाप ही सबको वापिस ले जायेंगे। वहाँ है सुख, यहाँ है दु:ख। सब पतित हैं। पतित मनुष्य कोई को भी मुक्ति-जीवनमुक्ति दे नहीं सकते हैं। यह सब हैं भक्ति मार्ग की कारोबार सिखलाने वाले। गुरू सब हैं भक्ति मार्ग के। ज्ञान मार्ग का गुरू कोई है नहीं। यहाँ तो कितनी मेहनत करनी पड़ती। भारत को स्वर्ग बनाने में जादूगरी का खेल हैं ना इसलिए उनको जादूगर भी कहते हैं। कृष्ण को कभी जादूगर नहीं कहेंगे। कृष्ण को भी श्याम से सुन्दर बनाने वाला वह बाप है। समझाने का बड़ा नशा चाहिए। बाहर में जाना चाहिए। गरीब ही अच्छा उठाते हैं। साहूकारों में उम्मीद कम रहती है। 100 गरीब तो एक-दो साहूकार, 5-7 साधारण निकलेंगे। ऐसे ही काम चलता है। धन की इतनी दरकार नहीं रहती, गवर्मेन्ट ने देखो कितना बारूद बनाया है। दोनों समझते हैं विनाश हो जायेगा, हम विनाश को पायेंगे, तब मलूक (शिकारी) कौन बनेंगे? कहानी है ना दो बिल्ले लड़े मक्खन बीच में बन्दर को मिल गया। कृष्ण के मुख में मक्खन दिखाते हैं। है यह स्वर्ग रूपी मक्खन। यह बातें मुश्किल कोई समझ सकते हैं। यहाँ 20-25 वर्ष रहने वाले भी कुछ नहीं समझते। पहले-पहले भट्ठी बनी, उसमें कितने आये, कितने चले गये। कोई जम गये हैं। ड्रामा में कल्प पहले भी ऐसे ही हुआ था। अब भी ऐसे हो रहा है। चित्र जितने बड़े होंगे उतना कोई को भी समझाना सहज होगा। लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी जरूरी है। झाड़ से पता पड़ता है भक्ति कल्ट कब से शुरू होता है। ब्रह्मा की रात दो युग फिर ब्रह्मा का दिन दो युग। मनुष्य तो समझते नहीं फिर कहेंगे ब्रह्मा तो सूक्ष्मवतन में है। परन्तु प्रजापिता तो जरूर यहाँ ही होगा। कितने गुह्य राज़ हैं जो शास्त्रों में तो हो नहीं सकते। मनुष्यों ने सब उल्टे चित्र देखे हैं, उल्टा ज्ञान सुना है। ब्रह्मा को भी बहुत भुजायें दी हैं। यह जो भी शास्त्र आदि हैं वह सब हैं भक्ति मार्ग की सामग्री। यह कब से शुरू होती है, दुनिया नहीं जानती। मनुष्य भक्ति कितनी करते हैं, समझते हैं भक्ति बिगर भगवान् मिल नहीं सकता। लेकिन जब पूरी दुर्गति हो तब तो भगवान् मिलेगा सद्गति के लिए। यह हिसाब-किताब तुम जानते हो। आधाकल्प से भक्ति शुरू होती है। बाप कहते हैं - यह वेद, उपनिषद, यज्ञ-तप आदि सब हैं भक्ति मार्ग के। यह सब ख़त्म होने हैं। सबको काला बनना ही है फिर गोरा बनाने बाप को आना पड़े। बाप कहते हैं मैं कल्प के संगम युगे-युगे आता हूँ, न कि युगे-युगे। दिखाते हैं कच्छ अवतार, मच्छ अवतार, परशुराम अवतार........। यह भगवान् के अवतार हैं, फिर पत्थर-भित्तर में भगवान् कैसे हो सकता है। मनुष्य कितने बेसमझ हो गये हैं। बाप ने आकर कितना समझदार बनाया है। महिमा भी करनी पड़े - परमपिता परमात्मा ज्ञान का सागर, पवित्रता का सागर है। कृष्ण की यह महिमा हो नहीं सकती। कृष्ण के भक्त फिर कृष्ण के लिए कह देते हैं कि सर्वव्यापी है। कितना चटक पड़ते हैं। उनसे निकालकर फिर बाप का परिचय देते हैं सब आत्मायें भाई-भाई हैं, सब फादर थोड़ेही हो सकते हैं, फिर याद किसको किया जाता है? गॉड फादर को बच्चे याद करते हैं, समझाने वाला भी बेहद बुद्धि वाला चाहिए। बच्चों की बुद्धि हद में फंस पड़ती है। एक जगह ही बैठ जाते हैं। बिजनेसमैन जो होते हैं वह बड़ी-बड़ी ब्रान्चेज खोलते हैं। जितना जो सेन्टर्स खोले वह मैनेजर अच्छा। फिर सेन्टर पर भी मदार है। यह है अविनाशी ज्ञान रत्नों की दुकान। किसकी? ज्ञान सागर की। कृष्ण में तो यह नॉलेज थी नहीं, न उस समय लड़ाई ही लगी है। प्वाइन्ट तो बहुत हैं, जो धारण कर समझानी है। सभा में चित्र रखे हों जो सब देखें। घड़ी का चित्र बहुत अच्छा है। इस चक्र को जानने से चक्रवर्ती बनेंगे। स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। घड़ी पर समझाना बहुत सहज है। कितने पुराने बच्चे लायक ही नहीं बनते। अपने को मिया मिट्ठू समझ बैठते, फालतू खुश होते। सर्विस नहीं करेंगे तो कौन समझेंगे कि यह दानी हैं। दान भी अशर्फियों का करना चाहिए या पाई पैसे का? यह चित्र अन्धों के आगे आइना है। आइने में अपना मुख देखेंगे। पहले बन्दर की शक्ल थी, अभी मन्दिर की शक्ल बन रही है। मन्दिर में रहने लायक बनने का पुरुषार्थ करना है। यह है पतित दुनिया, वह है पावन दुनिया, जो शिवबाबा स्थापन कर रहे हैं। जो श्रीमत पर नहीं चलते उनकी बुद्धि में कभी धारणा हो नहीं सकती। बाप कहते हैं प्रतिदिन तुमको गुह्य बताता हूँ तो जरूर ज्ञान की वृद्धि होती जायेगी।
कोई-कोई प्रश्न उठाते हैं - 8 बादशाही कैसे चलेगी? इस हिसाब से इतनी बादशाही होनी चाहिए। बाप कहते हैं तुम लोग इन बातों में क्यों पड़ते हो? पहले बाप और उनके वर्से को तो याद करो। वहाँ की जो रस्म रिवाज होगी वह चलेगी। बच्चे जिस रीति से पैदा होते होंगे, उस रीति से होंगे। तुम क्यों इसमें जाते हो? विकार की बात मुख पर क्यों लाते हो? यह चित्र किसको सौगात में देना बहुत अच्छा है। यह गॉड फादरली गिफ्ट है। ऐसी गॉड फादरली गिफ्ट कौन नहीं ले जायेंगे। क्रिश्चियन लोग और किसका लिटरेचर आदि नहीं लेते, उनको अपने धर्म का नशा रहता है। बाप तो कहते हैं देवता धर्म सबसे ऊंच है। वह समझते हैं कि हमको इन क्रिश्चियन से बहुत पैसे मिलते हैं। परन्तु यह तो ज्ञान की बातें हैं। जो ज्ञान उठाते हैं वही बाप से वर्सा पाते हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विश्व का मालिक बनाने वाले मात-पिता पर दिल से कुर्बान जाना है। उनकी श्रीमत पर अच्छी रीति चल श्रेष्ठ बनना है।
2) अपनी दिल सदा सच्ची रखनी है। अहंकार में नहीं आना है। अशर्फियों का दान करना है। ज्ञान दान करने में महारथी बनना है। 8 घण्टा ईश्वरीय सर्विस जरूर करनी है।
वरदान:-अपनी जिम्मेवारियों के सब बोझ बाप को दे सदा निश्चिंत रहने वाले सफलता सम्पन्न सेवाधारी भव
जो बच्चे जितना स्वयं हल्के रहते हैं, उतना सेवा और स्वयं सदा ऊपर चढ़ते रहते अर्थात् उन्नति को पाते रहते इसलिए सब जिम्मेवारियों के बोझ बाप को देकर स्वयं निष्फुरने रहो। किसी भी प्रकार के मैं पन का बोझ न हो। सिर्फ याद के नशे में रहो। बाप के साथ कम्बाइन्ड रहो तो जहाँ बाप है वहाँ सेवा तो स्वत: हुई पड़ी है। करावनहार करा रहा है तो हल्के भी रहेंगे और सफलता सम्पन्न भी बन जायेंगे।
स्लोगन:-बेहद ड्रामा के हर दृश्य को निश्चित जानकर सदा निश्चिंत रहो।
15/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, your intellects should work for unlimited service. Make a large clock with hands of radium so that it can be seen shining from a distance.
Question:What method should you use to increase service?
Answer:
Invite the clever maharathi children to your centre. Service will grow when the maharathi children continue to tour around. You should not think that regard for you would decrease if you did this. You children should never become body conscious. Have a great deal of regard for the maharathis.
Song:This time is passing by.
Om Shanti
When I heard the word ‘clock’ I remembered the unlimited clock. This is an unlimited clock. It is all a matter of using your intellect to understand. That clock has a large hand as well as a small hand. The large hand of seconds continues to move. It is now midnight which means that the night is ending and the day is about to begin. Therefore, how big should you make this unlimited clock? You should make its hands of radium so that they can be seen shining from a distance. The clock explains itself. When a newcomer comes, let him come and see the clock. The intellect says that the hand of the clock has now truly reached the end so that anyone can understand from seeing it that destruction definitely has to take place and that the golden age will start again. There are very few souls in the golden age and so all the other souls will definitely go back home. It is very easy to understand with pictures. If anyone were to create such a clock, many people would buy this clock to have at their home. You have to explain that this iron-aged world is degraded. There are many religions. Destruction is standing ahead. There will also be natural calamities. Now, how did Lakshmi and Narayan receive their kingdom of the golden age? Surely, they must have received it from the Father. The Purifier comes into the impure world at the confluence age. The Father does not have to come into the pure world. This is a first-class aspect in the explanation of the cycle and it is very easy to explain this to anyone. Those who have a lot of money should quickly order an artist to prepare these pictures straight away. Any Government task is done just like that, whereas here scarcely any do such tasks. If a very good artist painted these pictures well, they would look very nice. Nowadays there is great regard for art. They perform the art of dance so much. They believe that, previously, there used to be such dancing, but that was not so. Therefore, you should have these unlimited clocks made instantly so that people can understand very clearly. The colour should also be good so that it constantly sparkles. No human being can be the Purifier. Human beings are impure and this is why they sing. The pure world is heaven. People don’t know that it is Krishna who becomes ugly and then becomes beautiful. This is why he is called the ugly and the beautiful one. Previously, we did not understand this either. It is now in our intellects that by sitting on the pyre of lust we definitely become ugly, that is, souls become impure. You also have to write clearly that the Supreme Father, the Supreme Soul, gives you your inheritance and that Ravan curses you. However, people’s intellects go towards King Rama of the Raghav clan of the silver age, but Rama is the Supreme Father, the Supreme Soul. You should use your intellects to create these pictures, because these days everyone calls himself God. You understand that there is only one Father and that all souls will go and reside in the supreme abode with the Supreme Soul. At that time, the Father is the Master of Brahmand (the element of light) and we souls are also the masters of Brahmand. The Father says: I am making you into the masters of the world. No other king, no matter how great he may be, can claim to be the master of the world. The Father is making you into the masters of the world. Therefore, you should surrender yourselves to such a Mother and Father. His shrimat is very well known. By following it, you will gradually be able to follow it fully by the end. If you were to follow it fully at present, you would become elevated. You have to beat your heads so much! Your efforts will continue for as long as the sacrificial fire lasts. This is the sacrificial fire of the knowledge of Rudra. People also create sacrificial fires of Rudra in order to attain peace. However, there can’t be peace through those. There is only the one sacrificial fire created by the Father into which the ingredients of the whole world are sacrificed and through which you attain liberation-in-life in a second. They create so many sacrificial fires, yet there is no benefit in them. You children are non-violent. No one can go to heaven without becoming pure. This is the final period. You have to write that this is the impure world, the corrupt world of Ravan. There is 100% impurity, peacelessness, sorrow and disease, whereas in the golden age everyone is elevated. There is 100% purity, happiness and peace and everyone is free from disease. That is Ravan’s curse and this is the inheritance from Shiv Baba. Your literature should fully explain from what time to what time Bharat was elevated and then, from what time to what time it became degraded. The literature should be such that anyone simply glancing at it can understand these things. By explaining to others, your intellect’s intoxication will rise. By staying engaged in this business, you will develop this practice. People go to work for eight hours and so you have to do this service for eight hours. The daughters who live at the centres are also numberwise. Some have a lot of interest in doing service; they are constantly running around everywhere whereas others simply sit down somewhere in comfort. Such souls cannot be called all-rounders. Because they don’t think much of the maharathis, service becomes slack. Many have a lot of arrogance about themselves. They think that people should have regard for them and that if anyone else came to their centre, their regard would decrease. They don’t understand that the maharathis who come would help them. They are arrogant about themselves; there are such foolish ones. The Father says: The Lord and Master is pleased with an honest heart. Baba continues to receive all the news and is able to know the pulse of each one. This Baba is also experienced. The explanation of the cycle is very good. When you give this explanation of yours, service will become very fast and great. At present, service is at an ant’s pace. Because you remain body conscious, your intellects do not function well. You now have to do fast service. The intellects of serviceable children continue to work on what should be created. It is very easy to explain using pictures. It is now the iron age and the golden age is being established. It is the Father who takes everyone back. There, there is happiness whereas here, there is sorrow and all are impure. Impure human beings cannot grant liberation or liberation-in-life to anyone. All of those gurus teach you activities of the path of devotion. All the gurus belong to the path of devotion. There are no gurus on the path of knowledge. Here, you have to make a lot of effort. To make Bharat into heaven is a game of magic and this is why He is called the Magician. Krishna cannot be called the Magician. It is that Father who makes Krishna beautiful from ugly. You need great intoxication in order to explain this. You should go out to serve. The poor take to this knowledge very well. There is less hope for the rich. Against one hundred poor ones, there would probably be one or two rich ones and five or seven ordinary ones that emerge. Everything continues like this. There isn’t much concern for wealth. Just look how many armaments the Government makes. Both sides understand that there will be destruction; we will attain destruction. Then, who will become the hunter? There is the story of the two cats fighting for the butter and the monkey taking it from between them. Krishna has been portrayed with butter in his mouth. That butter represents heaven. Hardly anyone understands these things. Even those who have been here for 20 to 25 years don’t understand anything. When Baba created the bhatti, many came and many flew away. Even so, many remained here. The same thing happened in the previous cycle of the drama and the same thing is happening now. The larger the pictures are made, the easier it is to explain them to others. The picture of Lakshmi and Narayan is essential. From the picture of the tree, it is understood when the cult of devotion begins. The first two ages represent the day of Brahma and the other two represent the night of Brahma. Human beings don’t understand anything and then they say that Brahma is in the subtle region. The Father of Humanity would definitely be here. These are such deep matters that they cannot be found in the scriptures. All the pictures that human beings have been looking at are wrong and all the knowledge they have been listening to is wrong. Brahma has been portrayed with many arms. All of those scriptures etc. are the paraphernalia of the path of devotion. No one in the world knows when it began. Human beings do so much devotion because they believe that it’s impossible to meet God without doing devotion. However, it is only when you have become completely degraded that you can meet God and be granted salvation by Him. Only you know this calculation. Devotion begins after half the cycle. The Father says: All the Vedas, Upanishads, sacrificial fires and tapasya etc. belong to the path of devotion. All of that is going to end. Everyone has to become ugly so that the Father has to come and make you beautiful. The Father says: I come at the confluence of every cycle, not in every age. They show My incarnation in a crocodile, a fish etc. If they are the incarnations of God, how could He also be in the pebbles and stones? Human beings have become so senseless! The Father has come and made you so sensible. You have to sing the praise of the Supreme Father, the Supreme Soul, of how He is the Ocean of Knowledge and the Ocean of Purity. This cannot be the praise of Krishna. Devotees of Krishna say that he is omnipresent. They cling to him so much! You have to release them from that and give them the introduction of the Father. All souls are brothers and so how could they all be the Father? In that case, whom would you remember? It is the children who remember God, the Father. Those who explain this should have unlimited intellects. The intellects of the children are trapped in the limited; they just sit in one place. Businessmen open large branches in many places. The more centres they open, the better managers they become. However, it then also depends on the centre. These are the shops of the imperishable jewels of knowledge. Whom do they belong to? To the Ocean of Knowledge. Krishna did not have this knowledge, nor did a battle take place at that time. There are many points which you have to imbibe and explain. The pictures should be put up in a gathering so that everyone can see them. The picture of the clock is very good. By knowing this cycle you become the rulers of the globe. You have to become spinners of the discus of self-realisation. It is very easy to explain with the picture of the clock. So many children who have been here for so long do not become worthy at all. They consider themselves to be very clever. They remain pleased with themselves for no reason. If you don’t do service, who would think that you are a donor? When you donate, should you donate golden guineas or just a few pennies? These pictures are like mirrors for the blind. They will be able to see their faces in these mirrors. Previously, you saw a monkey’s face and now your face is becoming worthy of being in a temple. You have to make effort in order to become worthy of being in a temple. This is the impure world whereas the world that Shiv Baba is creating will be completely pure. The intellects of those who do not follow shrimat are not able to imbibe any of this. The Father says: Day by day, I explain deeper aspects to you and this knowledge will definitely grow. Some ask the question: How can there be eight kingdoms? According to these calculations there should be this many kingdoms. The Father says: Why do you people go into this? First, remember the Father and His inheritance. Whatever customs and systems are there they will continue. Children will be born there as per the system there. Why do you go into that? Why do you allow your mouths to bring up the subject of vice? It is very good to give these pictures to someone as a gift. They are Godfatherly gifts. Who wouldn’t accept such a Godfatherly gift? Christians do not accept literature from anyone else because they have pride in their own religion. The Father says: The deity religion is the highest of all. People think that they would receive a lot of money from the Christians. However, these things are about knowledge. Only those who take this knowledge will receive the inheritance from the Father. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Sacrifice yourself from deep within your heart to the Mother and Father who makes you into a master of the world. Follow His shrimat very well and become elevated.
2. Always keep your heart honest. Do not become arrogant. Donate the golden guineas and become a maharathi in donating knowledge. You must definitely do eight hours a day of Godly service.
Blessing:May you become a totally successful server who remains constantly carefree by giving all the burdens of your responsibilities to the Father.
The children who remain light are themselves able to ascend and ascend in service too, that is, they continue to make progress. Therefore, give the burdens of all your responsibilities to the Father and remain carefree. Let there not be any type of burden of the consciousness of “I”. Simply maintain the intoxication of remembrance. Remain combined with the Father for where there is the Father, service is already accomplished. When Karankaravanhar is making you do everything, you will then remain light and you will have total success.
Slogan:Know with certainly every scene of the unlimited drama and remain constantly carefree.
End of Page
Please select any one of the below options to give a LIKE, how do you know this unit.