Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 04-Oct-2018 )
04-10-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - देह के सम्बन्धों में बंधन है, इसलिए दु:ख है, देही के सम्बन्ध में रहो तो अथाह सुख मिल जायेगा, एक मात-पिता की याद रहेगी''
प्रश्नः-किस नशे में रहो तो माया पर जीत पाने की हिम्मत आ जायेगी?
उत्तर:-नशा रहे कि कल्प-कल्प हम बाप की याद से माया दुश्मन पर विजयी बन हीरे जैसा बने हैं। खुद खुदा हमारा मात-पिता है, इसी स्मृति वा नशे से हिम्मत आ जायेगी। हिम्मत रखने वाले बच्चे विजयी अवश्य बनते हैं और सदा गॉडली सर्विस पर ही तत्पर रहते हैं।
गीत:-तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है....... ओम् शान्ति।
देवी-देवताओं के पुजारी पारलौकिक मात-पिता को याद तो करते ही आये हैं और भक्त भी जानते हैं हमको भक्ति का फल देने मात-पिता को आना है जरूर। अब वह मात-पिता कौन है - यह तो बिचारे जानते ही नहीं। पुकारते हैं इससे सिद्ध होता है, उनका सम्बन्ध जरूर है। एक होता है लौकिक सम्बन्ध, दूसरा होता है पारलौकिक सम्बन्ध। लौकिक सम्बन्ध तो अनेक प्रकार के हैं। काका, चाचा, मामा आदि-आदि यह है लौकिक बंधन, इसलिए परमपिता परमात्मा को बुलाते हैं। यह तो बच्चों को मालूम है सतयुग में कोई बंधन नहीं। बाप को बुलाते हैं कि हम अभी बन्धन में हैं, आपके सम्बन्ध में आना चाहते हैं। भक्तों को याद है हम अनेक प्रकार के बन्धनों में हैं। देह का सिमरण होने कारण बन्धन बहुत हैं। देही के सम्बन्ध से एक ही मात-पिता याद रहता है। लौकिक और पारलौकिक को याद करने में रात-दिन का फ़र्क है। यह है जिस्मानी बंधन और वह है रूहानी सम्बन्ध। जिस्मानी सम्बन्ध में सतयुग में रहते हैं क्योंकि वहाँ सुख का सम्बन्ध कहेंगे। यहाँ फिर दु:ख का बंधन कहेंगे। उनको सम्बन्ध नहीं कहेंगे। इन बातों का आगे पता नहीं था। अब समझ गये हो, पुकारते जरूर थे - हे मात-पिता आओ। बाप तो जरूर सबको सुख ही देंगे। परन्तु बाप क्या सुख देते हैं - यह किसको पता नहीं है। अभी बाप से सम्बन्ध है, उनसे सदा सुख मिलता है। सुख को सम्बन्ध, दु:ख को बंधन कहेंगे। तो बच्चे मात-पिता को बुलाते हैं कि आकर के ऐसी मीठी-मीठी बातें सुनाओ। वो इनडायरेक्ट बुलाते हैं, तुम डायरेक्ट बुलाते हो। वह भी याद करते हैं - हे परमपिता परमात्मा। पिता है तो जरूर माता भी होनी चाहिए। नहीं तो बाप क्रियेट कैसे करे? शिवबाबा को बच्चे चिट्ठी कैसे लिखेंगे? ऐसे तो वह पढ़ न सके। शिवबाबा तो यहाँ बैठे हैं, इसलिए लिखते हैं शिवबाबा थ्रू ब्रह्मा। शिवबाबा जरूर कोई तो शरीर धारण करते हैं। गाते भी हैं - आत्मायें परमात्मा अलग रहे बहुकाल, सतगुरू उसको कहा जाता है। वह है सर्व का सद्गति दाता। वह आकर इस शरीर में प्रवेश करते हैं। फिर इनको 84 जन्मों का राज़ बैठ बतलाते हैं। ब्रह्मा की रात, ब्रह्मा का दिन गाया हुआ है। पहले है परमपिता परमात्मा रचता। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को रचते हैं। बरोबर परमपिता, ब्रह्मा की रात को फिर ब्रह्मा का दिन बनाने आते हैं। प्रजापिता ब्रह्मा का दिन तो प्रजापिता ब्रह्माकुमार-कुमारियों का भी दिन हुआ। दिन कहा जाता है सतयुग-त्रेता को। रात, द्वापर-कलियुग को। अभी तुम बच्चे आये हो बाप से स्वर्ग का वर्सा लेने। उनके लिये ही गाते हैं त्वमेव माताश्च पिता...... सखा रूप से हल्के रूप में आकर बहलते हैं। मुख्य हैं तीन सम्बन्ध - बाप, टीचर, सतगुरू। इनसे ही फ़ायदा है। बाकी काका, चाचा, मामा आदि सम्बन्धों की कोई बात नहीं। तो सम्पूर्ण बाप जो है वह आकर बच्चों को सम्पूर्ण बनाते हैं। 16 कला सम्पूर्ण तुम बन रहे हो। तुम अनुभवी हो। दूसरा कोई कैसे जाने। जब तक तुम बच्चों के संग में न आये तब तक वह कैसे समझ सके।
अब तुम जानते हो भक्ति मार्ग में भी बंधन है। याद तब करते हैं जबकि रावण रूपी 5 विकारों के बन्धन में हैं। बाप का नाम ही है लिबरेटर। अंग्रेजी अक्षर बहुत अच्छा है। लिबरेट करते हैं मनुष्यों को, लिबरेट किया जाता है दु:ख से, माया के बंधन से लिबरेट करने आते हैं। फिर गाइड भी है। गीता में भी है मच्छरों सदृश्य सबको वापिस ले जाते हैं तो जरूर विनाश भी होगा। यह तो गाया हुआ है ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा विनाश कराते हैं। फिर जो स्थापना करते हैं उन द्वारा ही पालना भी होती है। अभी तुम तैयार हो रहे हो - नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार। देह के बन्धन को बुद्धि से तोड़ना है। सन्यासी लोग तो घरबार छोड़ भाग जाते हैं। तुम गृहस्थ व्यवहार में रहते राजयोग सीखते हो। जनक का भी मिसाल है। वह फिर जाकर अनु जनक बना। बहुत बच्चे कहते हैं जनक मिसल हम अपनी राजधानी में रहते ज्ञान उठावें। अपने घर का तो हरेक राजा है ना। मालिक को राजा कहा जाता है। बाप है, उनकी स्त्री बच्चे आदि हैं - यह हो गई हद की रचना। क्रियेट भी करते हैं, पालना भी करते हैं। बाकी संहार नहीं कर सकते क्योंकि सृष्टि को तो वृद्धि को पाना ही है। सब पैदा ही करते रहते हैं। सिर्फ बेहद का बाप ही आते हैं जो नई रचना रचते हैं और पुरानी का विनाश कराते हैं। नई सृष्टि की स्थापना और पुरानी का विनाश सो तो ब्रह्मा-विष्णु-शंकर का रचयिता परमपिता परमात्मा ही करेंगे। इन बातों को तुम बच्चे अच्छी रीति समझते हो। बातें तो बड़ी सहज है। नाम ही रखा हुआ है सहज योग वा याद। भारत का ज्ञान वा योग नामीग्रामी है।
बाप अभी तुम बच्चों को दैवी मत देते हैं जिससे तुम सदैव हर्षित रहेंगे। मात-पिता से ही नई सृष्टि की रचना होती है। यह तो सब जानते हैं हमको खुदा ने पैदा किया। अभी तुम समझते हो खुदा कैसे आकर नई सृष्टि रचते हैं। नई सृष्टि एडाप्ट करते हैं। मात-पिता तो जरूर हैं। बाप है फिर खुद ही इन द्वारा एडाप्ट करते हैं तो यह बड़ी माता हो गई। फिर पहले नम्बर में सरस्वती को एडाप्ट किया है। बाप ने इनमें प्रवेश किया है ना। यह मम्मा तो एडाप्टेड है। तुम्हारे लिए तो मात-पिता है। हमारे लिए पति भी हुआ तो पिता भी हुआ। प्रवेश कर अपनी वन्नी (युगल) भी मुझे बनाया है और बच्चा भी बनाया है। यह तो बड़ी रमणीक बातें हैं, जो सम्मुख सुनने की हैं। तुम्हारे में भी नम्बरवार समझते हैं। अगर सभी समझते हों तो फिर समझावें। समझा नहीं सकते हैं तो गोया कुछ नहीं समझा। जड़ बीज से झाड़ कैसे पैदा होता है - यह तो कोई भी झट बतला सकता है। इस बेहद के झाड़ का ज्ञान जब तक बाप न आकर समझाये तब तक कोई समझ नहीं सकते। तुम जानते हो हम बाप से राजयोग सीखकर वर्सा ले रहे हैं। यह बुद्धि में होना चाहिए। यह डबल सम्बन्ध है। वहाँ तो सिंगल सम्बन्ध रहता है। पारलौकिक बाप को याद नहीं करते। यहाँ वह सब है बन्धन। तुम जानते हो हम इस समय उस बन्धन में भी हैं। पिता के सम्बन्ध में अब आये हैं, उस बन्धन से छूटने के लिए। आजकल तो कितनी मतें हो गई हैं। आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। पानी के लिए, धरनी के लिए भी लड़ते रहते हैं। यह हमारी हद में है, यह तुम्हारी हद में नहीं है। बिल्कुल ही हद में आ गये हैं। यह भूल गये हैं कि भारतवासी सतयुग में बेहद के मालिक थे। जो मालिक थे वही फिर भूल जाते हैं। भूलना भी जरूर है तब ही फिर बाप आकर समझाते हैं। इन बातों को अभी तुम जानते हो। वहाँ है बंधन। यहाँ मात-पिता से सम्बन्ध है। जानते हो हम श्रीमत पर चल अथाह सुख का वर्सा पा रहे हैं। बाप कहते हैं मैं तुमको सुख का वर्सा देता हूँ। फिर श्राप कौन देते हैं? माया रावण। श्राप में है दु:ख, वर्से में तो सुख होता है। मनुष्य यह नहीं जानते कि मनुष्य को दु:ख का वर्सा कौन देते हैं? बाप सतयुग स्थापन करते हैं तो जरूर सुख का ही वर्सा देंगे। बाप को दु:ख का वर्सा देने वाला थोड़ेही कहेंगे। दु:ख तो दुश्मन देते हैं। परन्तु यह बातें कोई समझते नहीं। कहाँ की बात कहाँ ले गये हैं। कहते हैं लंका लूटी जाती है, सोना ले आते हैं। अब सोना कोई सीलॉन में नहीं रखा है। सोना तो मिलता है खानियों से। कहाँ नदियों से भी मिलता है।
बच्चे जान गये हैं यह अनादि वर्ल्ड ड्रामा है। तुम बच्चों की बुद्धि में नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार बैठा है। जो समझते नहीं, न समझा सकते तो वह क्या पद पायेंगे! पढ़े हुए के आगे भरी ढोयेंगे। राजा-रानी, प्रजा में फ़र्क तो है ना। जैसे यह मम्मा-बाबा जाकर ऊंच पद पाते हैं। तुम भी पुरुषार्थ कर इतना पढ़ो जो मम्मा-बाबा के तख्त पर बैठो, विजय माला का दाना बनो। टैम्पटेशन बहुत दी जाती है। राजयोग है ना। तुम राजयोग से राजाई तो प्राप्त कर लो। कम से कम पुरुषार्थ अनुसार प्रजा तो बनेंगे ही। हमेशा कहा जाता है फालो फादर। तुम बच्चे हो ना। वह फादर फिर यह फादर, यहाँ फिर मदर भी है। नम्बरवन फालो कर रही है। तुम हो भाई-बहन। बाप तो एक होना चाहिए। ओ गॉड फादर सब कहते हैं तो सब भाई-बहन हो गये। और जास्ती कोई सम्बन्ध नहीं। भाई-बहन, बस। और उन्हों का बाप, दादा, भाई, बहनें तो बहुत हैं। बाप एक है, दादा भी एक है। एक प्रजापिता ब्रह्मा है, उनसे फिर रचना रची जाती है। तुम बहन-भाई ही पद पाते हो नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार। बाकी जाकर अपने-अपने झाड़ में लटकेंगे। ठिकाना तो है ना। जहाँ से फिर नम्बरवार आते हैं। यहाँ है जीवनबंध। आत्मायें वहाँ से पहले-पहले सुख में आती हैं इसलिए पहले जीवनमुक्त होती हैं। पहले-पहले होती है स्वर्ग में भारतवासियों की जीवनमुक्ति। कितनी अच्छी-अच्छी बातें बाप सुनाते हैं। मेरा तो एक सर्वोत्तम टीचर दूसरा न कोई। कन्यायें कहेंगी मेरा तो एक शिवबाबा..... कन्याओं को इसमें पूरा अटेन्शन देना है। इस गवर्मेन्ट के हो गये तो फिर ईश्वरीय सर्विस में लग जाना है। फिर आसुरी सर्विस कैसे कर सकती? हर एक के कर्मबन्धन अनुसार राय दी जाती है। देखा जाता है, निकल सकती हैं वा नहीं। अच्छे शुरूड बुद्धि हैं तो फिर ऑन गॉडली सर्विस ओनली हो जाती है। तुम बच्चों की है गॉडली सर्विस, निर्विकारी बनाने की सर्विस। हम सेना हैं। गॉड हमको माया से युद्ध करना सिखलाते हैं। रावण सबसे जास्ती पुराना दुश्मन है। यह सिर्फ तुम ही जानते हो। तुम रावण पर विजय पाकर हीरे जैसा बनेंगे। बच्चों को वह हिम्मत, वह नशा रहना चाहिए। मनुष्य तो लड़ते रहते हैं, सब जगह देखो झगड़ा ही झगड़ा है। हमारा कोई से झगड़ा नहीं। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। माया का वार नहीं होगा। फिर वर्से को याद करो। यह भी किसको सुनाना पड़े ना। बाप का परिचय दे उनसे बुद्धियोग लगाना है। वह हमारा मात-पिता है। शिवबाबा है तो बताओ तुम्हारी माता कौनसी है? यह भी कितनी गुह्य बातें हैं। तुम पूछते हो आत्मा का बाप कौन है? वह भी लिख देंगे परमात्मा है। अच्छा, माता कहाँ है? माता बिगर बच्चों को रचेंगे कैसे? तो फिर जगत अम्बा तरफ चले जायेंगे। अच्छा, जगत अम्बा को कैसे रचा? यह भी किसको पता नहीं है। तुम जानते हो ब्रह्मा की बेटी सरस्वती है। वह भी मुख वंशावली है। रचता तो बाप ही है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मेरा तो एक सर्वोत्तम टीचर दूसरा न कोई - इसी निश्चय से मात-पिता समान पढ़ाई पढ़नी है। पुरुषार्थ में पूरा फालो करना है।
2) देह के बंधन को बुद्धि से तोड़ना है। दैवी मत पर चल सदा हर्षित रहना है। ईश्वरीय सेवा करनी है।
वरदान:-तन मन और दिल की स्वच्छता द्वारा साहेब को राज़ी करने वाले सच्चे होलीहंस भव
स्वच्छता अर्थात् मन-वचन-कर्म, सम्बन्ध सबमें पवित्रता। पवित्रता की निशानी सफेद रंग दिखाते हैं। आप होलीहंस भी सफेद वस्त्रधारी, साफ दिल अर्थात् स्वच्छता स्वरूप हो। तन, मन और दिल से सदा बेदाग अर्थात् स्वच्छ हो। साफ मन वा साफ दिल पर साहेब राज़ी होता है। उनकी सर्व मुरादें अर्थात् कामनायें पूरी होती हैं। हंस की विशेषता स्वच्छता है इसलिए ब्राह्मण आत्माओं को होलीहंस कहा जाता है।
स्लोगन:-जो इस समय सब कुछ सहन करते हैं वही शहनशाह बनते हैं।
04/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, there is bondage in relationships with bodies, therefore there is sorrow. Stay in relationships with souls and you will receive limitless happiness and remain in remembrance of the one Mother and Father.
Question:Which intoxication should you maintain so that you have the courage to conquer Maya?
Answer:Have the intoxication that you have stayed in remembrance of the Father every cycle, that you have become victorious over Maya, your enemy, and become like a diamond. God Himself is our Mother and Father. With this awareness and intoxication, you will receive courage. Children who have courage definitely become victorious and they remain constantly engaged in Godly service.
Song:The heart desires to call out to You.... Om Shanti
The worshippers of the deities have been remembering the parlokik Mother and Father, and the devotees know that the Mother and Father definitely has to come to give us the fruit of our devotion. Those poor people don't know who that Mother and Father is. They call out to Him and this surely proves that they definitely have a relationship with Him. One is a lokik relationship and the other is the parlokik relationship. There are many types of lokik relationships. Paternal and maternal uncles etc. are lokik bondages. This is why they call out to the Supreme Father, the Supreme Soul. Children know that there are no bondages in the golden age. They call out to the Father: We are now in bondage and wish to have a relationship with You. Devotees remember that they are in many types of bondage. Because of remembering the bodies, there are many bondages. When in relationship with souls, you only remember the Mother and Father. There is the difference of day and night between remembering the lokik and the Parlokik. These are physical bondages whereas that is the spiritual relationship. You have physical relationships in the golden age because there are relationships of happiness there. Here, they are said to be bondages of sorrow. They wouldn’t be called relationships here. Previously, you didn't know these things. You have now understood. You definitely used to call out: O Mother and Father, come! The Father would definitely only give happiness to everyone, but no one knows what the happiness is that the Father gives. You now have a relationship with the Father and you receive constant happiness from Him. Happiness is called relationship and sorrow is called bondage. Therefore, children call out to the Mother and Father to come and tell them such sweet things. Those people call out indirectly whereas you call out directly. They also remember: Oh Supreme Father, Supreme Soul. Since there is the Father, there must also surely be the Mother. How else would the Father create? How would children write a letter to Shiv Baba? He wouldn’t be able to read it just like that. Shiv Baba is sitting here. This is why you write: Shiv Babac/oBrahma. Shiv Baba definitely adopts someone's body. It is sung: Souls remained separated from the Supreme Soul for a long time. He is called the Satguru. He is the Bestower of Salvation for All. He comes and enters this body and then tells him the secret of 84 births. The night of Brahma and the day of Brahma have been remembered. First of all is the Supreme Father, the Supreme Soul, the Creator. He creates Brahma, Vishnu and Shankar. Truly, the Supreme Father comes to make the night of Brahma into the day of Brahma. The day of Prajapita Brahma is also the day of the Prajapita Brahma Kumars and Kumaris. The golden and silver ages are called the day and the copper and iron ages are called the night. You children have now come to claim your inheritance of heaven from the Father. It is for Him that you sing: You are the Mother and Father. As the Friend, He comes and entertains you in a light-hearted way. The main three relationships are Father, Teacher and Satguru. Only through these is there benefit. However, there is no question of the relationships of paternal or maternal uncles etc. So the perfect Father comes and makes you children perfect. You are now becoming 16 celestial degrees full. You are experienced. How could anyone else know this? How could they understand any of this unless they came into the company of you children? You now know that there is bondage on the path of devotion too. You remember Him when you are in bondage to Ravan, the five vices. The Father's name is the Liberator. The English word is very good. He liberates you. Human beings are liberated. He comes to liberate you from sorrow and the bondages of Maya. Then, He is also the Guide. It is also mentioned in the Gita that He takes everyone back like a swarm of mosquitoes. Therefore destruction will definitely take place. It is also remembered that He inspires establishment through Brahma and destruction through Shankar. Then sustenance also takes place through the one who carried out establishment. You are now becoming ready, numberwise, according to the effort you make. The bondages of the body have to be broken away from the intellect. Sannyasis leave their homes and families and run away. You study Raja Yoga while living at home. There is the example of Janak. He then became Anu Janak. Many children say that they want to live in their kingdom (home) like Janak and take knowledge. Each one is a king of his own home. The owner is called the king. There is the father, his wife, and their children, and so that is a limited creation. He creates it and also sustains it, but he cannot destroy it because the world has to grow. Everyone continues to create. It is only the unlimited Father who comes to create a new creation and have the old one destroyed. Only the Supreme Father, the Supreme Soul, the Creator of Brahma, Vishnu and Shankar would carry out establishment of the new world and destruction of the old world. You children can understand these things very well. These things are very easy. The very name is easy yoga or remembrance. The knowledge and yoga of Bharat are very well known. The Father is now giving you children divine directions through which you will always remain cheerful. The new world is created by the Mother and Father. Everyone knows that God created them. You now understand how God comes and creates the new world. He adopts (creates) the new world. There are definitely the Mother and Father. There is the Father and then He adopts you through this one and so this one is the senior mother. The first adopted one is Saraswati. The Father entered this one. This Mama is adopted. For you, He is the Mother and Father. For me, He is my Husband and also my Father. He entered me and made me His wife and also His child. These are very entertaining things which you should listen to personally. You too understand these things, numberwise. If you have understood everything, then explain them to others. If you are unable to explain, it means you yourself haven’t understood anything. Anyone can tell you straightaway how a tree grows from a non-living seed. Until the Father comes and explains the knowledge of this unlimited tree, no one can understand it. You know that you are studying Raja Yoga with the Father and claiming your inheritance. This should be in your intellect. This is a double relationship. There, you have a single relationship; you don't remember the parlokik Father. Here, all of these are bondages. You know that at this time you are also in that bondage. You have now entered a relationship with the Father to become free from that bondage. Nowadays, there are so many different directions. They continue to fight and quarrel with each other. They even fight over water and land. “This is within our boundary; this is not within your boundary.” They have become totally limited. They have forgotten that the people of Bharat were the masters of the unlimited in the golden age. Those who were the masters have forgotten this. They definitely had to forget, because it is only then that the Father can come and explain to you. You know these things at this time. There, there is bondage. Here, you have a relationship with the Mother and Father. You know that you follow shrimat and receive the inheritance of limitless happiness. The Father says: I give you the inheritance of happiness. Who then curses you? Maya, Ravan. There is sorrow in a curse and happiness in an inheritance. People don't know who gives them the inheritance of sorrow. The Father establishes the golden age and so He would definitely give you the inheritance of happiness. The Father would not be called one who gives you the inheritance of sorrow. It is an enemy who causes you sorrow. However, no one understands these things. They have put the things of one time period into another. They say that Lanka was looted and that gold was brought over. There isn't any gold in Ceylon. Gold is found in mines and in rivers at some places. You children now know that this is the eternal world drama. This knowledge is in the intellects of you children, numberwise, according to the efforts you make. What status will those who don't understand anything and are unable to explain anything receive? They will have to bow down in front of those who are educated. There is a difference between the kings and queens and the subjects. Just as Mama and Baba go and claim a high status, so you too should make effort and study so much that you sit on the throne of Mama and Baba and become a bead of the rosary of victory. A lot of temptation is given to you. This is Raja Yoga. Claim the kingdom through Raja Yoga. At least make effort through which you will become a subject. It is always said: Follow the father. You are his children. There is that Father, then this father and then there is also the mother. She is number one in following him. You are brothers and sisters. There has to be the one Father. Everyone says: “Oh God, the Father!” and so all are brothers and sisters. There aren't many other relationships: brothers and sisters and that’s all. They have father, grandfather, brother and sister, many relationships. Here, there is one Father and one Dada. There is the one Prajapita Brahma and creation is created through him. You brothers and sisters claim a status, numberwise, according to the efforts you make. All the rest will go and hang in their own section on the tree. They have their destination. They come down from there, numberwise. Here, there is bondage in life. When souls first come, they come into happiness. Therefore, there is first liberation-in-life. First of all, there is the liberation-in-life of the people of Bharat in heaven. The Father tells you such nice things. Mine is the one most elevated Teacher and none other. Kumaris say: Mine is one Shiv Baba. Kumaris have to pay full attention to this. Once you belong to this Government, you have to engage yourself in God’s service. How could you then continue with devilish service? Each of you is given advice according to your own karmic bondages. It is seen whether she is able to become free or not. When someone has a good, shrewd intellect, she can remain on Godly service only. You children are doing Godly service, the service of making others viceless. We are an army. God is teaching us how to battle with Maya. Ravan is our oldest enemy. Only you know this. You will conquer Ravan and then become like a diamond. You children should have that courage and intoxication. People continue to fight. Everywhere you look, there is nothing but fighting. We don't fight with anyone. The Father says: Remember Me and your sins will be absolved. Maya won't attack you then. Then, also remember your inheritance. You also have to relate this to someone. Give the Father's introduction and connect their intellects in yoga to Him. He is our Mother and Father. Since Shiv Baba is the Father, tell us who your mother is. These are also such deep matters. You ask them who the Father of souls is. They would write: The Supreme Soul, God. OK, so where is the Mother? How can He create children without the Mother? So, they would then go towards the World Mother (Jagadamba). Achcha. In that case, how was Jagadamba created? No one knows this either. You know that Saraswati is the daughter of Brahma. She too is mouth-born. Only the Father is the Creator. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Mine is the one most elevated Teacher and none other. With this faith, study like the mother and father. Follow them fully in your efforts.
2. Break the bondages of the body away from your intellect. Follow divine directions and remain constantly cheerful. Do God’s service.
Blessing:May you be a true holy swan who pleases the Lord with the cleanliness of your body, mind and heart.
Cleanliness means purity in your thoughts, words, deeds and relationships. Purity is symbolised by the white colour. You holy swans are also dressed in white. A clean heart means to be an embodiment of cleanliness. To be always flawless in your body, mind and heart means to be clean. The Lord is pleased with a clean mind and a clean heart. All their hopes and desires are fulfilled. The speciality of a swan is cleanliness and this is why Brahmin souls are called holy swans.
Slogan:Those who tolerate (sahan) everything at this time become emperors (Sehanshah).
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