Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
Who can see this article:- All
Your last visit to this page was @ 2018-11-24 19:48:34
Create/ Participate in Quiz Test
See results
Show/ Hide Table of Content of This Article
A |
Article Rating
|
Participate in Rating,
See Result
|
Achieved( Rate%:- NAN%, Grade:- -- ) |
B | Quiz( Create, Edit, Delete ) |
Participate in Quiz,
See Result
|
Created/ Edited Time:- 13-11-2018 01:33:45 |
C | Survey( Create, Edit, Delete) | Participate in Survey, See Result | Created Time:- |
D |
Page No | Photo | Page Name | Count of Characters | Date of Last Creation/Edit |
---|---|---|---|---|
1 | Murali 1st Oct 2018 | 113370 | 2018-11-13 01:33:45 | |
2 | Murali 02- Oct 2018 | 132948 | 2018-11-13 01:33:45 | |
3 | Murali 03-Oct-2018 | 125177 | 2018-11-13 01:33:45 | |
4 | Murali 04-Oct-2018 | 118934 | 2018-11-13 01:33:45 | |
5 | Murali 05-Oct-2018 | 133374 | 2018-11-13 01:33:45 | |
6 | Murali 06-Oct-2018 | 133043 | 2018-11-13 01:33:45 | |
7 | Murali 07-Oct-2018 | 135426 | 2018-11-13 01:33:45 | |
8 | Murali 08-Oct-2018 | 118475 | 2018-11-13 01:33:45 | |
9 | Murali 09-Oct-2018 | 113426 | 2018-11-13 01:33:46 | |
10 | Murali 10-Oct-2018 | 123819 | 2018-11-13 01:33:46 | |
11 | Murali 11-Oct-2018 | 133485 | 2018-11-13 01:33:46 | |
12 | Murali 12th Oct 2018 | 12264 | 2018-11-13 01:33:46 | |
13 | Murali 13th Oct 2018 | 120124 | 2018-11-13 01:33:46 | |
14 | Murali 14th Oct 2018 | 132308 | 2018-11-13 01:33:46 | |
15 | Murali 15th Oct 2018 | 124161 | 2018-11-13 01:33:46 | |
16 | Murali 16th Oct 2018 | 128293 | 2018-11-13 01:33:46 | |
17 | Murali 17th Oct 2018 | 120298 | 2018-11-13 01:33:46 | |
18 | Murali 18th Oct 2018 | 118916 | 2018-11-13 01:33:46 | |
19 | Murali 19th Oct 2018 | 117510 | 2018-11-13 01:33:46 | |
20 | Murali 20th Oct 2018 | 117518 | 2018-11-13 01:33:46 | |
21 | Murali 21st Oct 2018 | 130603 | 2018-11-13 01:33:46 | |
22 | Murali 22nd Oct 2018 | 135192 | 2018-11-13 01:33:46 | |
23 | Murali 23rd Oct 2018 | 113654 | 2018-11-13 01:33:46 | |
24 | Murali 24th Oct 2018 | 128826 | 2018-11-13 01:33:46 | |
25 | Murali 25th Oct 2018 | 124802 | 2018-11-13 01:33:46 | |
26 | Murali 26th Oct 2018 | 117905 | 2018-11-13 01:33:46 | |
27 | Murali 27th Oct 2018 | 125168 | 2018-11-13 01:33:46 | |
28 | Murali 28th Oct 2018 | 105833 | 2018-11-13 01:33:46 | |
29 | Murali 29th Oct 2018 | 124953 | 2018-11-13 01:33:46 | |
30 | Murali 30th Oct 2018 | 235865 | 2018-11-13 01:33:46 |
Rating for Article:– Prajapita Brahma kumaris Murali - Oct- 2018 ( UID: 181111102328 )
Rating Module ( How to get good rate? See Tips )
If an article has achieved following standard than it is accepted as a good article to promote. Article Grade will be automatically promoted to A grade. (1) Count of characters: >= 2500
(2) Writing Originality Grand total score: >= 75%
(3) Grand Total score: >= 75%
(4) Count of raters: >= 5 (including all group member (mandatory) of specific group)
(5) Language of Article = English
(6) Posted/ Edited date of Article <= 15 Days
(7) Article Heading score: >=50%
(8) Article Information Score: >50%
If the article scored above rate than A grade and also if it belongs to any of the below category of article than it is specially to made Dotted underlined "A Grade". This Article Will be chosen for Web Award.
Category of Article: Finance & banking, Insurance, Technology, Appliance, Vehicle related, Gadgets, software, IT, Income, Earning, Trading, Sale & purchase, Affiliate, Marketing, Medicine, Pharmaceuticals, Hospital, Money, Fashion, Electronics & Electricals, Jobs & Job work, Real estate, Rent Related, Advertising, Travel, Matrimonial, Marriage, Doctor, Food & beverages, Dining, Furniture & assets, Jewellery, ornaments, Gold, Diamond, Silver, Computer, Men Wear, Women’s wear, Dress, style, movie, film, entertainment.
* Give score to this article. Writer has requested to give score/ rating to this article.( Select rating from below ).
* Please give rate to all queries & submit to see final grand total result.
SN | Name Parameters For Grading | Achievement (Score) | Minimum Limit for A grade | Calculation of Mark |
---|---|---|---|---|
1 | Count of Raters ( Auto Calculated ) | 0 | 5 | 0 |
2 | Total Count of Characters in whole Articlein all pages.( Auto Calculated ) | 3715670 | 2500 | 1 |
3 | Count of Days from Article published date or, Last Edited date ( Auto Calculated ) | 2202 | 15 | 0 |
4 | Article informative score ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 40% | 0 |
5 | Total % secured for Originality of Writings for this Article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 60% | 0 |
6 | Total Score of Article heading suitability to the details description in Pages. ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 50% | 0 |
7 | Grand Total Score secured on over all article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 55% | 0 |
Grand Total Score & Article Grade | --- |
SI | Score Rated by Viewers | Rating given by (0) Users |
---|---|---|
(a) | Topic Information:- | NAN% |
(b) | Writing Skill:- | NAN% |
(c) | Grammer:- | NAN% |
(d) | Vocabulary Strength:- | NAN% |
(e) | Choice of Photo:- | NAN% |
(f) | Choice of Topic Heading:- | NAN% |
(g) | Keyword or summary:- | NAN% |
(h) | Material copied - Originality:- | NAN% |
Your Total Rating & % | NAN% |
Show/ Hide Rating Result
Details ( Page:- Murali 03-Oct-2018 )
03-10-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - तुम्हें बड़ा विचित्र उस्ताद मिला है, तुम उसकी श्रीमत पर चलो तो डबल सिरताज देवता बन जायेंगे''
प्रश्नः-पढ़ाई में कभी भी थकावट न आये उसका सहज पुरुषार्थ क्या है?
उत्तर:-पढ़ाई के बीच में जो कभी निंदा-स्तुति, मान-अपमान होता है, उसमें स्थिति समान रहे, उसे एक खेल समझो तो कभी थकावट नहीं आयेगी। सबसे जास्ती निंदा तो कृष्ण की हुई है, कितने कलंक लगाये हैं, फिर ऐसे कृष्ण को पूजते भी हैं। तो यह गाली मिलना कोई नई बात नहीं है इसलिए पढ़ाई में थकना नहीं है, जब तक बाप पढ़ा रहे हैं, पढ़ते रहना है।
गीत:-बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम...... ओम् शान्ति।
यह किसने कहा? किसने फ़रमाया और किसको? यह तो तुम बच्चे ही जानते हो, जिनको ही गोप-गोपियाँ कहा जाता है। तो उन्होंने अपने बाप गोपीवल्लभ को याद किया। ऐसा बाप सिवाए परमपिता परमात्मा के कोई हो नहीं सकता। तो याद उनको करते हैं, जो होकर जाते हैं। उनका फिर बाद में गायन होता है। मिसाल - जैसे क्राईस्ट आया, क्रिश्चियन धर्म स्थापन करके कहाँ चला नहीं गया, उनको पालना तो जरूर करनी है, पुनर्जन्म में आना है। परन्तु जो धर्म स्थापन करके गये हैं उनका वर्ष-वर्ष बर्थ डे मनाते हैं। भक्ति मार्ग में उनको याद किया जाता है। वैसे ही आजकल दशहरे का भी उत्सव मनाते हैं। मनाना होता है तो जरूर शुभ ही होगा। कोई अच्छा करके जाते हैं तो उनका उत्सव मनाया जाता है। दीपमाला का भी उत्सव मनाया जाता है। कृष्ण जयन्ती मनाई जाती है। जो होकर जाते हैं उनका फिर उत्सव मनाते हैं। अब भारतवासियों को तो यह पता है नहीं कि यह राखी उत्सव आदि क्यों मनाते हैं। क्या हुआ था? क्राइस्ट-बुद्ध आदि को जानते हैं कि यह धर्म स्थापन करने आये थे। इस समय सभी आसुरी सम्प्रदाय हैं। तुम हो ईश्वरीय सम्प्रदाय। अब बाप राम आकर दैवी श्रेष्ठाचारी बना रहे हैं अथवा ऐसे कहें कि परमपिता आकर स्वर्ग का उद्घाटन कर रहे हैं अथवा फाउन्डेशन डाल रहे हैं। ओपनिंग सेरीमनी भी कह सकते हैं। भारत में श्रेष्ठाचारी महाराजा-महारानी होकर गये हैं, सतयुगी देवी-देवतायें डबल सिरताज थे। पवित्रता का ताज भी था और रत्नजड़ित ताज भी था। विकारी राजाओं को सिर्फ रत्नजड़ित ताज होता है। डबल ताज वालों की सिंगल ताज वाले पूजा करते हैं। परन्तु कब होकर गये, कैसे राज्य पाया यह किसको पता नहीं है। लक्ष्मी-नारायण इतने श्रेष्ठ डबल सिरताज देवी-देवता थे, उन्हों को ऐसा श्रेष्ठ बनाने वाला कौन, यह बाप बैठ समझाते हैं। अभी दशहरा मनाते हैं, तुम जानते हो जरूर कुछ हुआ है जिस कारण दशहरा मनाते हैं, रावण को जलाते हैं। परन्तु वह जलने की चीज है नहीं। अभी उनका राज्य पूरा होता है। जब तक रामराज्य स्थापन हो जाए तब तक यह भ्रष्टाचारी राज्य चलना है। रावण राज्य ख़त्म हो रामराज्य स्थापन हुआ था, उसकी सेरीमनी मनाते रहते हैं। रावण को जलाते हैं, इससे सिद्ध करते हैं बरोबर भ्रष्टाचारी आसुरी राज्य है। भ्रष्टाचार की भी ग्रेड्स रहती हैं। भ्रष्टाचार द्वापर से शुरू होता है। पहले दो कला भ्रष्टाचार रहता है फिर 4 कला, फिर 8 कला, 10 कला, बढ़ते-बढ़ते 16 कला भ्रष्टाचार हो गया है। अभी फिर 16 कला भ्रष्टाचार को बदलाए 16 कला श्रेष्ठाचारी बनाना एक बाप का ही काम है।
बाप समझाते हैं इस समय रावणराज्य है, रामराज्य श्रेष्ठ राज्य था। अभी वह भ्रष्ट बन गये हैं। श्रेष्ठाचारी भारत को स्वर्ग कहा जाता है। वही राज्य अब भ्रष्टाचारी हो गया है। अब बाप कहते हैं - मैं आया हूँ भ्रष्टाचारी राज्य को श्रेष्ठाचारी राज्य बनाने लिए। यादव कुल भी है, कौरव कुल भी है। यादव कुल में भी अनेक धर्म हैं। जो श्रेष्ठाचारी दैवी धर्म के थे वह धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट बन पड़े हैं। फिर बाप श्रेष्ठ कर्म सिखलाते हैं। भक्ति मार्ग में उत्सव मनाते आये हैं। जरूर भगवान् आया था, 5 हज़ार वर्ष की बात है। बाप ने आकर भ्रष्टाचारी को श्रेष्ठाचारी बनाया था। सारी दुनिया को श्रेष्ठाचारी बनाना बाप का ही काम है, फिर उनकी पालना करने लिए तुमको ऊपर से भेज देते हैं। तुमने जो दैवी धर्म की स्थापना की है, उसकी फिर जाकर पालना करो। ऐसे कोई कहते नहीं, आटोमेटिकली यह ड्रामा अनुसार होता है। तुम श्रेष्ठाचारी बन जायेंगे फिर सृष्टि भी सतोप्रधान श्रेष्ठाचारी बन जायेगी। अभी तो 5 तत्व भी तमोप्रधान हैं। कितनी उथल-पाथल होती रहती है। मनुष्य कितने दु:खी होते हैं। करोड़ों का नुकसान हो जाता है। सतयुग में यह कोई भी उपद्रव नहीं होते। उपद्रव होते हैं नर्क में। उपद्रव भी पहले दो कला वाले थे, अभी 16 कला वाले बन गये हैं। यह सब डीटेल में समझाने की बातें हैं और हैं बहुत सहज, परन्तु समझते नहीं, न समझा सकते हैं। तो यह रावण को जलाना द्वापर से शुरू होता है। ऐसे थोड़ेही कहेंगे 5 हज़ार वर्ष हुए। भक्ति मार्ग शुरू होता है तो यह उपद्रव भी शुरू होते हैं। अब फिर रावण राज्य का विनाश, रामराज्य की स्थापना कैसे होती है सो तुम जानते हो। मनुष्य नहीं जानते रावण क्या है। बाप कहते हैं लंका तो कोई थी नहीं। सतयुग में लंका होती नहीं। बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं। जमुना का कण्ठा है। अजमेर में वैकुण्ठ का मॉडल भी दिखाते हैं परन्तु समझते नहीं। सोने के महल आदि बनाने में वहाँ कोई देर नहीं लगती है। मशीनरी पर झट गलाकर टाइल्स बनाते हैं।
तुम बच्चे जानते हो यह जो साइंस है, जिससे विनाश होता है, वही फिर तुमको वहाँ काम में आयेगी। अभी यह एरोप्लेन आदि बड़ी खुशी के लिए बनाते हैं, उनसे ही विनाश करेंगे। तो यह एरोप्लेन सुख के लिए भी है तो दु:ख के लिए भी है। अल्पकाल लिए सुख है। 100 वर्ष के अन्दर यह सब चीजें निकली हैं। तो 100 वर्ष के अन्दर इतना सब हुआ है। तो तुम विचार करो जब विनाश होगा फिर नई दुनिया में कितने थोड़े समय में सब चीज़े बन जायेंगी। वहाँ तो झट सोने के महल बन जाते हैं। भारत में सोने चाँदी के कितने महल जड़ित से जड़े हुए बनते हैं। वहाँ दरबार बड़ी बनती है। राजे रजवाड़े आपस में मिलते होंगे। उसको पाण्डव सभा नहीं कहेंगे। उसको कहेंगे लक्ष्मी-नारायण के राजधानी की सभा। प्रिन्स-प्रिन्सेज सब आकर बैठते हैं। ब्रिटिश गवर्मेन्ट थी तो प्रिन्स-प्रिन्सेज महाराजाओं की बड़ी सभा लगती थी। सब राजाई ताज लगाकर बैठते थे। नेपाल में बाबा जाते थे तो वहाँ राणा फैमिली की सभा लगती थी। बड़े ताज वाले राणे बैठते थे। उनको महाराजा-महारानी कहते हैं, फिर उनमें भी नम्बरवार होते हैं। रानियाँ नहीं बैठती हैं। वह पर्देनशीन होती हैं। बड़े भभके से बैठते हैं। हम कहते थे यह तो पाण्डव राज्य है। वह अपने को कहते भी सूर्यवंशी हैं। यहाँ थे परन्तु सिंगल ताज वाले। उनसे पहले डबल सिरताज थे। कृष्ण के लिए अनेक बातें लिख दी हैं - फलानी को भगाया, यह किया। परन्तु ऐसी बात तो है नहीं।
जो उत्सव पास्ट हो जाते हैं वह फिर मनाते आते हैं। यह भी उत्सव मनाते हैं। जबकि रावण राज्य को ख़लास कर रामराज्य की स्थापना की, यह तो वर्ष-वर्ष मनाते हैं। तो सिद्ध होता है आसुरी रावण राज्य 5 हजार वर्ष पहले भी था। बाप आया था, आकर रावण राज्य का विनाश कराया था। वही महाभारत लड़ाई खड़ी है। बाकी रावण कोई चीज़ नहीं है। रावण की स्त्री मदोदरी दिखाते हैं। उनको फिर 10 शीश नहीं दिखाते हैं। रावण को 10 शीश दिखाते हैं। विष्णु को 4 भुजा दिखाते हैं। दो लक्ष्मी की, दो नारायण की। वैसे रावण को 10 शीश दिखाते हैं - 5 विकार उनके, 5 विकार मदोदरी के। विष्णु चतुर्भुज भी अर्थ सहित दिखाया है। पूजा भी महालक्ष्मी की करते हैं। महालक्ष्मी को कभी दो भुजा वाला नहीं दिखायेंगे। दीपमाला में लक्ष्मी का आह्वान करते हैं। क्यों, नारायण ने कोई गुनाह किया क्या? लक्ष्मी को भी धन तो नारायण ही देता होगा ना। हाफ पार्टनर होंगे। तो नारायण ने क्या गुनाह किया? वास्तव में धन कोई लक्ष्मी से नहीं मिलता, धन तो जगदम्बा से मिलता है। तुम जानते हो जगत अम्बा सो ही फिर लक्ष्मी बनती है। तो उन्होंने अलग-अलग कर दिया है। जगत अम्बा से हर चीज़ माँगते हैं। कोई भी दु:ख होगा, बच्चा मर जायेगा तो जगत अम्बा को कहेंगे रक्षा करो, बच्चा दो, यह बीमारी दूर करो। बहुत कामनायें रखते हैं। लक्ष्मी के पास एक ही कामना रखकर जाते हैं - धन की। बस। जगत अम्बा सभी कामनायें पूरी करने वाली है। धनवान तो यह बनाती है। इस समय तुम्हारी सब कामनायें पूरी होती हैं। कोई धन नहीं देते हैं, सिर्फ पढ़ाते हैं - जिससे तुम क्या से क्या बन जाते हो और फिर लक्ष्मी बनती हो तो धनवान बन जाती हो। ताकत इस समय तुम्हारे में है जो तुम सब कामनायें पूरी कर सकती हो। जगत अम्बा दान देती है, लक्ष्मी दान थोड़ेही देगी। वहाँ दान देते नहीं। भूख होती ही नहीं। कंगाल कोई होते नहीं। सतयुग में रावण होता नहीं। यहाँ रावण को जलाते हैं। दशहरे के बाद फिर दीपमाला मनाते हैं, खुशियाँ मनाते हैं क्योंकि रावण राज्य विनाश हो रामराज्य स्थापन होगा तो खुशियाँ होंगी। घर-घर में रोशनी हो जाती है। तुम्हारी आत्मा में रोशनी आ जाती है। जो चीज़ संगम पर है वह सतयुग में नहीं होगी। तुम त्रिकालदर्शी हो, वहाँ तो तुम प्रालब्ध भोगते हो। यह नॉलेज सारी भूल जाते हो। संगम पर है ही स्थापना और विनाश। स्थापना हो गई फिर बस। इन सब उत्सवों आदि का तुमको ही ज्ञान है। अज्ञानी मनुष्य तो कुछ भी नहीं समझते। बड़े बखेरे बना देते हैं, है कुछ भी नहीं। तुम प्रैक्टिकल में देख रहे हो सतयुग में यह बातें नहीं होती हैं। नारद की भी बात शास्त्रों में है। तुमसे भी पूछा जाता है - तुम कहते हो बाबा हम लक्ष्मी को वरेंगे अथवा नारायण को वरेंगे। तो बाप कहते हैं अपने में देखो कोई विकार तो नहीं है। अगर क्रोध आदि होगा तो कैसे वर सकेंगे? हाँ, अभी सम्पूर्ण तो कोई बने नहीं है। परन्तु बनना है, इन भूतों को भगाना है तब ही इतना मर्तबा पा सकेंगे। उस्ताद भी बड़ा विचित्र मिला है। बाप तो सर्वगुण सम्पन्न, ज्ञान का सागर, आनन्द का सागर है तो जो आकर बच्चे बनते हैं उनको भी सर्वगुण सम्पन्न, डबल सिरताज देवता बनाते हैं। बरोबर तुम बन रहे हो। देवताओं को दोनों ताज रहते हैं। तुम आये हो बाप से वर्सा लेने। वर्सा लेना है, पढ़ना है। प्वाइन्ट्स तो बहुत निकलती रहती हैं। अगर पढ़ेंगे नहीं तो औरों को कैसे समझा सकेंगे? ड्रामा हूबहू रिपीट हो रहा है। यह नॉलेज अभी तुम समझते हो फिर यह गुम हो जायेगी। यह जो लंका आदि दिखाते हैं, वह भी है नहीं। रावण का जन्म कब हुआ? लिखा हुआ है द्वापर से देवतायें वाम मार्ग में जाते हैं तो विकारी बनना शुरू होते हैं। भक्ति भी पहले अव्यभिचारी थी फिर व्यभिचारी बन जाती है। अभी तो मनुष्य अपनी पूजा कराने लग पड़े हैं। बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ भ्रष्टाचारी दुनिया का विनाश और श्रेष्ठाचारी दुनिया की स्थापना करने। जरूर पहले स्थापना करेंगे फिर विनाश करेंगे। यह हमारा पार्ट कल्प-कल्प का है। भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बनाने में भी टाईम लगता है। जब तक बाप बैठ पढ़ा रहे हैं, पढ़ना है। कल्प पहले जिन्होंने जितना पढ़ा है वही पढ़ेंगे। बहुत बच्चे चलते-चलते कहते - बस, हम चल नहीं सकेंगे। अरे, स्तुति-निंदा, मान-अपमान यह तो सब होगा। तुम पढ़ाई को क्यों छोड़ते हो। सबसे जास्ती निंदा तो कृष्ण की हुई है। कितने कलंक लगाये हैं। फिर ऐसे कृष्ण को पूजते क्यों हैं? वास्तव में गाली अभी इनको (ब्रह्मा को) मिलती है। सारे सिन्ध में निंदा हुई फिर कर तो कुछ भी नहीं सके। यह भी सब खेल है। नई बात नहीं, कल्प पहले भी गाली खाई थी, नदी पार की थी। तुम सिन्ध से निकल इस पार चले आये ना। कृष्ण तो नहीं था, यह दादा आता-जाता था। तुम जानते हो अभी हम राज्य पाते हैं फिर गंवाते हैं। यह भी खेल है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सर्व की मनोकामनायें पूर्ण करने वाली कामधेनु (जगदम्बा) बनना है। दान देते रहना है।
2) स्तुति-निंदा में स्थिति समान रखनी है। यह सब होते पढ़ाई नहीं छोड़नी है। इसे खेल समझ पार करना है।
वरदान:-शुद्ध मन और दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा सेकण्ड में स्वीट होम की यात्रा करने वाले मा. सर्वशक्तिवान भव
साइन्स वाले फास्ट गति के यंत्र निकालने का प्रयत्न करते हैं, उसके लिए कितना खर्चा करते हैं, कितना समय और एनर्जी लगाते हैं, लेकिन आपके पास इतनी तीव्रगति का यंत्र है जो बिना खर्च के सोचा और पहुंचा, आपको शुभ संकल्प का यंत्र मिला है, दिव्य बुद्धि मिली है। इस शुद्ध मन और दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा जब चाहे तब चले जाओ और जब चाहे तब लौट आओ। मास्टर सर्वशक्तिवान को कोई रोक नहीं सकता।
स्लोगन:-दिल सदा सच्ची हो तो दिलाराम बाप की आशीर्वाद मिलती रहेगी।
03/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, you have found the unique Master. Follow His shrimat and you will become double-crowned deities.
Question:What easy effort do you make so that you do not become tired of the study?
Answer:Keep your stage equanimous in praise and defamation, regard and disregard that happens in the study. Consider all of that to be a game and you will never become tired. Krishna has been defamed the most. People have accused him of so many things and yet they also worship such a Krishna. Therefore, taking insults is not a new thing, so never become tired of the study. Continue to study for as long as the Father teaches you.
Song:O Dweller of the Forest, Your name is the support of my life!... Om Shanti
Who said this? Who spoke and to whom? Only you children, who are called gopes and gopis, know this. So, they remembered their Father, Gopi Vallabh. No one, apart from the Supreme Father, the Supreme Soul, can be such a Father. So, they remember those who have been here and gone. They are later praised. For example, Christ came but, having established the Christian religion, he didn't go away anywhere. He definitely had to sustain it; he had to take rebirth. However, every year, people celebrate the birthdays of those who leave after establishing their religion. They are remembered on the path of devotion. In the same way, people celebrate the festival of Dashera nowadays. It is celebrated, so it must definitely be something auspicious. When someone leaves having done something good, his festival is celebrated. Even the festival of Deepmala is celebrated. Krishna’s birthday is also celebrated. They celebrate the festivals of those who have been and gone. The people of Bharat don't know why the festivals of Rakhi, etc. are celebrated. What happened? They know that Christ and Buddha came to establish their religions. At this time, all are the devilish community whereas you are the Godly community. The Father, Rama, has now come and is making you divine and elevated. Or, it can be said that the Supreme Father has come and is having heaven inaugurated, that is, He is laying the foundation for it. It can also be called the opening ceremony. The elevated emperors and empresses in Bharat have been and gone. The golden-aged deities were double crowned. They had crowns of purity and also crowns studded with jewels. Vicious kings only have crowns studded with jewels. Those with single crowns worship those with double crowns. However, no one knows when they came and went or how they received their kingdom. Lakshmi and Narayan were such elevated, double-crowned deities. The Father sits here and explains who made them so elevated. People celebrate Dashera. You know that something must have happened that caused people to celebrate Dashera and burn an effigy of Ravan. However, he is not something that will get burnt. His kingdom is now coming to an end. Until the kingdom of Rama is established, the corrupt kingdom has to continue. People continue to celebrate the ceremony of when the kingdom of Ravan ended and the kingdom of Rama was established. They burn an effigy of Ravan which proves that this truly is the corrupt devilish kingdom. There are also grades of corruption. Corruption begins in the copper age. At first, there are two degrees of corruption, then four degrees, then eight degrees, then ten degrees and, having gradually increased, it has now become 16 degrees of corruption. Now, to change those who are 16 degrees corrupt to 16 degrees elevated is the task of the one Father alone. The Father explains: At this time, it is the kingdom of Ravan. The kingdom of Rama was the elevated kingdom. That has now become corrupt. The elevated Bharat is called heaven. That same kingdom has now become corrupt. The Father says: I have now come to make the corrupt kingdom into the elevated kingdom. There are the Yadava and the Kaurava clans. There are innumerable religions in the Yadava clan. Those who belonged to the elevated deity religion have become corrupt in their religion and their actions. The Father now teaches them how to perform elevated actions. They have been celebrating festivals on the path of devotion. God definitely came; it is a matter of 5000 years. The Father came and made the corrupt beings elevated. It is the Father's task alone to make the whole world elevated. Then, He sends you down from above to sustain it: Go and sustain the deity religion that you established. It isn't that anyone says this; it happens automatically according to the drama. When you become elevated, even the world will become satopradhan and elevated. Now, even the five elements are tamopradhan. There is so much upheaval and people are so unhappy. Damage costing millions is caused. In the golden age, there won't be any of these calamities. Calamities take place in hell. Even the calamities are at first only two degrees whereas they have now become 16 degrees. All of these things have to be explained in detail. They are very easy, but people are unable to understand them or explain to others. So, this burning of Ravan began in the copper age. You cannot say that it started 5000 years ago. When the path of devotion begins, all of these calamities also begin. You now know how the kingdom of Ravan is destroyed and how the kingdom of Rama is established. People don't know what Ravan is. The Father says: There wasn't anything such as Lanka. There is no Lanka in the golden age. There are very few people there. They live by the banks of the River Jamuna. In Ajmer, they show a model of Paradise, but they don't understand it. It doesn't take long to build golden palaces there. They use machinery to melt gold quickly and make tiles etc. You children know that this science through which destruction takes place will be useful to you later on. They make aeroplanes etc. now for great happiness, but they will also carry out destruction through them. So, these aeroplanes are for sorrow as well as happiness. That is temporary happiness. All of these things have been invented in the last hundred years. So, so much has happened in the last hundred years. So, just think: when destruction takes place, all of these things will be created in such a short time in the new world. There, the golden palaces are built very quickly. In Bharat, so many palaces are studded with gold and silver. They have big royal courts there. Royal people would meet there. That would not be called the Pandava gathering. That would be called the gathering of the kingdom of Lakshmi and Narayan. All the princes and princesses also go and sit there. When it was the British Government, there used to be great royal court gatherings of princes, princesses and Maharajas. All the kings would be sitting there wearing their crowns. When Baba used to go to Nepal, they would hold the gathering of the Rana (king) family. Kings with big crowns would sit there. They were called emperors and empresses and they were all numberwise. The queens wouldn’t sit there. They remained behind the curtains. They sat with a lot of grandeur. We used to say that that was the Pandava Government. They called themselves the sun dynasty. They used to exist here too. However, they had single crowns, because it was before them that there were those with double crowns. They have written so many things about Krishna: He abducted so-and-so and did such-and-such. However, there was nothing like that. People continue to celebrate the festivals of things that took place in the past. They also celebrate the festival of when the kingdom of Ravan ended and the kingdom of Rama was established. They celebrate it every year. So, this proves that the devilish kingdom of Ravan also existed 5000 years ago. The Father came and inspired the destruction of the kingdom of Ravan. That same Mahabharat War is just ahead. However, there is no such thing as Ravan. They show Madodri as the wife of Ravan, but they don't show her with ten heads. They show Ravan with ten heads. They show Vishnu with four arms: two arms of Lakshmi and two arms of Narayan. They show Ravan with ten heads: five vices of his and five vices of Madodri. They have also shown the significance of the four-armed image of Vishnu. They also worship Mahalakshmi. They never show Mahalakshmi with two arms. At Deepmala, they invoke Lakshmi. Why? Did Narayan commit a crime? After all, Lakshmi gets her wealth from Narayan anyway; she is a half-partner. So, what crime did Narayan commit? In fact, wealth is not received from Lakshmi. Wealth is received from Jagadamba. You know that Jagadamba then becomes Lakshmi. So, they have separated the two of them. They ask Jagadamba for everything. If they have any sorrow, if their son dies, they pray to Jagadamba: “Protect us.” “Give me a child!” “Remove this illness of mine!” They have many such desires. They go to Lakshmi and only place one desire in front of her and that is for wealth; that’s all! Jagadamba is the one who fulfils all your desires. She is the one who makes you wealthy. At this time, all your desires are being fulfilled. They don't give wealth; they simply teach you through which, from nothing, you become great. Then, when you become Lakshmi, you become wealthy. At this time, you have the power to fulfil all desires. Jagadamba gives donations. Lakshmi does not give donations. Donations are not given there. There is no starvation there. No one is poverty-stricken there. Ravan doesn't exist in the golden age. Here, they burn Ravan. After Dashera, they celebrate Deepmala. They celebrate in happiness. The kingdom of Ravan has been destroyed and the kingdom of Rama established and so there would be happiness; there is light in every home. You souls receive enlightenment. The things that exist at the confluence age do not exist in the golden age. You are trikaldarshi and you experience the reward there. There, you will have forgotten all of this knowledge. At the confluence age, there is establishment and destruction. Once establishment has taken place, that’s it. Only you know about all of those festivals. Ignorant people don't understand anything. They make much out of nothing. You can see in a practical way that those things do not exist in the golden age. The story of Narad is also mentioned in the scriptures. When you are asked, you reply: Baba, I will marry either Lakshmi or Narayan. So, the Father says: Check yourself to see that you don't have any vices. If you have anger etc., how would you be able to marry them? Yes, no one has yet become perfect, but you do have to become that. You have to chase away those evil spirits, because only then will you be able to claim a status. You have found the unique Master. The Father is full of all virtues. He is the Ocean of Knowledge and the Ocean of Bliss and so He also makes those who come and become His children full of all virtues and double-crowned deities. You are truly becoming that. Deities have both crowns. You have come here to claim your inheritance from the Father. You have to claim your inheritance; you have to study. Many points continue to emerge. If you don't study, how would you be able to explain to others? The drama is repeating identically. You understand this knowledge at this time and it will then disappear. The Lanka etc. that they show doesn't really exist. When was Ravan born? It is written that the deities go on to the path of sin in the copper age and that they begin to become vicious. Devotion was at first unadulterated and it then became adulterated. People have now begun to have themselves worshipped. The Father says: I come to carry out establishment of the elevated world and destruction of the corrupt world. Surely, establishment would be carried out first and then destruction. This is My part every cycle. It takes time to make it elevated from corrupt. You have to study for as long as the Father teaches. However much those who studied in the previous cycle studied, they will study the same now. While moving along, many children say: That's it. I am not able to continue any more. Ah! There will be praise and defamation, regard and disregard. Why do you stop studying because of that? It was Krishna who was defamed the most; he was accused of so many things. So, why do people then worship such a Krishna? In fact, it is this one (Brahma) who takes all the insults at this time. He was defamed throughout the whole of Sindh. However, those people were unable to do anything. All of this is a game. It is nothing new. He took insults in the previous cycle too. He crossed the river. You came away from the shore of Sindh to this side. It wasn't Krishna, but this Dada, who used to come and go. You know that you are now claiming the kingdom and that you will then lose it. This too is a game. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. You have to become Kamdhenu (Jagadamba), one who fulfils everyone's desires. Continue to donate.
2. Keep your stage in equanimity in praise and defamation. While all of that happens, you mustn't stop studying. Consider all of it to be a game and get over it.
Blessing:May you be a master almighty authority who travels to the sweet home in a second with the aeroplane of a clean mind and a divine intellect.
Scientists are trying to invent vehicles that have a fast speed and they spend so much money, time and energy on that. However, you have an instrument with such a fast speed that, without spending anything, you just have a thought and you arrive there. You have found the tool of a pure mind and a divine intellect. With the aeroplane of a clean mind and a divine intellect you can fly whenever you want and return whenever you want. No one can stop a master almighty authority.
Slogan:When your heart is always true, you continue to receive blessings from the Father, the Comforter of Hearts.
''मीठे बच्चे - तुम्हें बड़ा विचित्र उस्ताद मिला है, तुम उसकी श्रीमत पर चलो तो डबल सिरताज देवता बन जायेंगे''
प्रश्नः-पढ़ाई में कभी भी थकावट न आये उसका सहज पुरुषार्थ क्या है?
उत्तर:-पढ़ाई के बीच में जो कभी निंदा-स्तुति, मान-अपमान होता है, उसमें स्थिति समान रहे, उसे एक खेल समझो तो कभी थकावट नहीं आयेगी। सबसे जास्ती निंदा तो कृष्ण की हुई है, कितने कलंक लगाये हैं, फिर ऐसे कृष्ण को पूजते भी हैं। तो यह गाली मिलना कोई नई बात नहीं है इसलिए पढ़ाई में थकना नहीं है, जब तक बाप पढ़ा रहे हैं, पढ़ते रहना है।
गीत:-बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम...... ओम् शान्ति।
यह किसने कहा? किसने फ़रमाया और किसको? यह तो तुम बच्चे ही जानते हो, जिनको ही गोप-गोपियाँ कहा जाता है। तो उन्होंने अपने बाप गोपीवल्लभ को याद किया। ऐसा बाप सिवाए परमपिता परमात्मा के कोई हो नहीं सकता। तो याद उनको करते हैं, जो होकर जाते हैं। उनका फिर बाद में गायन होता है। मिसाल - जैसे क्राईस्ट आया, क्रिश्चियन धर्म स्थापन करके कहाँ चला नहीं गया, उनको पालना तो जरूर करनी है, पुनर्जन्म में आना है। परन्तु जो धर्म स्थापन करके गये हैं उनका वर्ष-वर्ष बर्थ डे मनाते हैं। भक्ति मार्ग में उनको याद किया जाता है। वैसे ही आजकल दशहरे का भी उत्सव मनाते हैं। मनाना होता है तो जरूर शुभ ही होगा। कोई अच्छा करके जाते हैं तो उनका उत्सव मनाया जाता है। दीपमाला का भी उत्सव मनाया जाता है। कृष्ण जयन्ती मनाई जाती है। जो होकर जाते हैं उनका फिर उत्सव मनाते हैं। अब भारतवासियों को तो यह पता है नहीं कि यह राखी उत्सव आदि क्यों मनाते हैं। क्या हुआ था? क्राइस्ट-बुद्ध आदि को जानते हैं कि यह धर्म स्थापन करने आये थे। इस समय सभी आसुरी सम्प्रदाय हैं। तुम हो ईश्वरीय सम्प्रदाय। अब बाप राम आकर दैवी श्रेष्ठाचारी बना रहे हैं अथवा ऐसे कहें कि परमपिता आकर स्वर्ग का उद्घाटन कर रहे हैं अथवा फाउन्डेशन डाल रहे हैं। ओपनिंग सेरीमनी भी कह सकते हैं। भारत में श्रेष्ठाचारी महाराजा-महारानी होकर गये हैं, सतयुगी देवी-देवतायें डबल सिरताज थे। पवित्रता का ताज भी था और रत्नजड़ित ताज भी था। विकारी राजाओं को सिर्फ रत्नजड़ित ताज होता है। डबल ताज वालों की सिंगल ताज वाले पूजा करते हैं। परन्तु कब होकर गये, कैसे राज्य पाया यह किसको पता नहीं है। लक्ष्मी-नारायण इतने श्रेष्ठ डबल सिरताज देवी-देवता थे, उन्हों को ऐसा श्रेष्ठ बनाने वाला कौन, यह बाप बैठ समझाते हैं। अभी दशहरा मनाते हैं, तुम जानते हो जरूर कुछ हुआ है जिस कारण दशहरा मनाते हैं, रावण को जलाते हैं। परन्तु वह जलने की चीज है नहीं। अभी उनका राज्य पूरा होता है। जब तक रामराज्य स्थापन हो जाए तब तक यह भ्रष्टाचारी राज्य चलना है। रावण राज्य ख़त्म हो रामराज्य स्थापन हुआ था, उसकी सेरीमनी मनाते रहते हैं। रावण को जलाते हैं, इससे सिद्ध करते हैं बरोबर भ्रष्टाचारी आसुरी राज्य है। भ्रष्टाचार की भी ग्रेड्स रहती हैं। भ्रष्टाचार द्वापर से शुरू होता है। पहले दो कला भ्रष्टाचार रहता है फिर 4 कला, फिर 8 कला, 10 कला, बढ़ते-बढ़ते 16 कला भ्रष्टाचार हो गया है। अभी फिर 16 कला भ्रष्टाचार को बदलाए 16 कला श्रेष्ठाचारी बनाना एक बाप का ही काम है।
बाप समझाते हैं इस समय रावणराज्य है, रामराज्य श्रेष्ठ राज्य था। अभी वह भ्रष्ट बन गये हैं। श्रेष्ठाचारी भारत को स्वर्ग कहा जाता है। वही राज्य अब भ्रष्टाचारी हो गया है। अब बाप कहते हैं - मैं आया हूँ भ्रष्टाचारी राज्य को श्रेष्ठाचारी राज्य बनाने लिए। यादव कुल भी है, कौरव कुल भी है। यादव कुल में भी अनेक धर्म हैं। जो श्रेष्ठाचारी दैवी धर्म के थे वह धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट बन पड़े हैं। फिर बाप श्रेष्ठ कर्म सिखलाते हैं। भक्ति मार्ग में उत्सव मनाते आये हैं। जरूर भगवान् आया था, 5 हज़ार वर्ष की बात है। बाप ने आकर भ्रष्टाचारी को श्रेष्ठाचारी बनाया था। सारी दुनिया को श्रेष्ठाचारी बनाना बाप का ही काम है, फिर उनकी पालना करने लिए तुमको ऊपर से भेज देते हैं। तुमने जो दैवी धर्म की स्थापना की है, उसकी फिर जाकर पालना करो। ऐसे कोई कहते नहीं, आटोमेटिकली यह ड्रामा अनुसार होता है। तुम श्रेष्ठाचारी बन जायेंगे फिर सृष्टि भी सतोप्रधान श्रेष्ठाचारी बन जायेगी। अभी तो 5 तत्व भी तमोप्रधान हैं। कितनी उथल-पाथल होती रहती है। मनुष्य कितने दु:खी होते हैं। करोड़ों का नुकसान हो जाता है। सतयुग में यह कोई भी उपद्रव नहीं होते। उपद्रव होते हैं नर्क में। उपद्रव भी पहले दो कला वाले थे, अभी 16 कला वाले बन गये हैं। यह सब डीटेल में समझाने की बातें हैं और हैं बहुत सहज, परन्तु समझते नहीं, न समझा सकते हैं। तो यह रावण को जलाना द्वापर से शुरू होता है। ऐसे थोड़ेही कहेंगे 5 हज़ार वर्ष हुए। भक्ति मार्ग शुरू होता है तो यह उपद्रव भी शुरू होते हैं। अब फिर रावण राज्य का विनाश, रामराज्य की स्थापना कैसे होती है सो तुम जानते हो। मनुष्य नहीं जानते रावण क्या है। बाप कहते हैं लंका तो कोई थी नहीं। सतयुग में लंका होती नहीं। बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं। जमुना का कण्ठा है। अजमेर में वैकुण्ठ का मॉडल भी दिखाते हैं परन्तु समझते नहीं। सोने के महल आदि बनाने में वहाँ कोई देर नहीं लगती है। मशीनरी पर झट गलाकर टाइल्स बनाते हैं।
तुम बच्चे जानते हो यह जो साइंस है, जिससे विनाश होता है, वही फिर तुमको वहाँ काम में आयेगी। अभी यह एरोप्लेन आदि बड़ी खुशी के लिए बनाते हैं, उनसे ही विनाश करेंगे। तो यह एरोप्लेन सुख के लिए भी है तो दु:ख के लिए भी है। अल्पकाल लिए सुख है। 100 वर्ष के अन्दर यह सब चीजें निकली हैं। तो 100 वर्ष के अन्दर इतना सब हुआ है। तो तुम विचार करो जब विनाश होगा फिर नई दुनिया में कितने थोड़े समय में सब चीज़े बन जायेंगी। वहाँ तो झट सोने के महल बन जाते हैं। भारत में सोने चाँदी के कितने महल जड़ित से जड़े हुए बनते हैं। वहाँ दरबार बड़ी बनती है। राजे रजवाड़े आपस में मिलते होंगे। उसको पाण्डव सभा नहीं कहेंगे। उसको कहेंगे लक्ष्मी-नारायण के राजधानी की सभा। प्रिन्स-प्रिन्सेज सब आकर बैठते हैं। ब्रिटिश गवर्मेन्ट थी तो प्रिन्स-प्रिन्सेज महाराजाओं की बड़ी सभा लगती थी। सब राजाई ताज लगाकर बैठते थे। नेपाल में बाबा जाते थे तो वहाँ राणा फैमिली की सभा लगती थी। बड़े ताज वाले राणे बैठते थे। उनको महाराजा-महारानी कहते हैं, फिर उनमें भी नम्बरवार होते हैं। रानियाँ नहीं बैठती हैं। वह पर्देनशीन होती हैं। बड़े भभके से बैठते हैं। हम कहते थे यह तो पाण्डव राज्य है। वह अपने को कहते भी सूर्यवंशी हैं। यहाँ थे परन्तु सिंगल ताज वाले। उनसे पहले डबल सिरताज थे। कृष्ण के लिए अनेक बातें लिख दी हैं - फलानी को भगाया, यह किया। परन्तु ऐसी बात तो है नहीं।
जो उत्सव पास्ट हो जाते हैं वह फिर मनाते आते हैं। यह भी उत्सव मनाते हैं। जबकि रावण राज्य को ख़लास कर रामराज्य की स्थापना की, यह तो वर्ष-वर्ष मनाते हैं। तो सिद्ध होता है आसुरी रावण राज्य 5 हजार वर्ष पहले भी था। बाप आया था, आकर रावण राज्य का विनाश कराया था। वही महाभारत लड़ाई खड़ी है। बाकी रावण कोई चीज़ नहीं है। रावण की स्त्री मदोदरी दिखाते हैं। उनको फिर 10 शीश नहीं दिखाते हैं। रावण को 10 शीश दिखाते हैं। विष्णु को 4 भुजा दिखाते हैं। दो लक्ष्मी की, दो नारायण की। वैसे रावण को 10 शीश दिखाते हैं - 5 विकार उनके, 5 विकार मदोदरी के। विष्णु चतुर्भुज भी अर्थ सहित दिखाया है। पूजा भी महालक्ष्मी की करते हैं। महालक्ष्मी को कभी दो भुजा वाला नहीं दिखायेंगे। दीपमाला में लक्ष्मी का आह्वान करते हैं। क्यों, नारायण ने कोई गुनाह किया क्या? लक्ष्मी को भी धन तो नारायण ही देता होगा ना। हाफ पार्टनर होंगे। तो नारायण ने क्या गुनाह किया? वास्तव में धन कोई लक्ष्मी से नहीं मिलता, धन तो जगदम्बा से मिलता है। तुम जानते हो जगत अम्बा सो ही फिर लक्ष्मी बनती है। तो उन्होंने अलग-अलग कर दिया है। जगत अम्बा से हर चीज़ माँगते हैं। कोई भी दु:ख होगा, बच्चा मर जायेगा तो जगत अम्बा को कहेंगे रक्षा करो, बच्चा दो, यह बीमारी दूर करो। बहुत कामनायें रखते हैं। लक्ष्मी के पास एक ही कामना रखकर जाते हैं - धन की। बस। जगत अम्बा सभी कामनायें पूरी करने वाली है। धनवान तो यह बनाती है। इस समय तुम्हारी सब कामनायें पूरी होती हैं। कोई धन नहीं देते हैं, सिर्फ पढ़ाते हैं - जिससे तुम क्या से क्या बन जाते हो और फिर लक्ष्मी बनती हो तो धनवान बन जाती हो। ताकत इस समय तुम्हारे में है जो तुम सब कामनायें पूरी कर सकती हो। जगत अम्बा दान देती है, लक्ष्मी दान थोड़ेही देगी। वहाँ दान देते नहीं। भूख होती ही नहीं। कंगाल कोई होते नहीं। सतयुग में रावण होता नहीं। यहाँ रावण को जलाते हैं। दशहरे के बाद फिर दीपमाला मनाते हैं, खुशियाँ मनाते हैं क्योंकि रावण राज्य विनाश हो रामराज्य स्थापन होगा तो खुशियाँ होंगी। घर-घर में रोशनी हो जाती है। तुम्हारी आत्मा में रोशनी आ जाती है। जो चीज़ संगम पर है वह सतयुग में नहीं होगी। तुम त्रिकालदर्शी हो, वहाँ तो तुम प्रालब्ध भोगते हो। यह नॉलेज सारी भूल जाते हो। संगम पर है ही स्थापना और विनाश। स्थापना हो गई फिर बस। इन सब उत्सवों आदि का तुमको ही ज्ञान है। अज्ञानी मनुष्य तो कुछ भी नहीं समझते। बड़े बखेरे बना देते हैं, है कुछ भी नहीं। तुम प्रैक्टिकल में देख रहे हो सतयुग में यह बातें नहीं होती हैं। नारद की भी बात शास्त्रों में है। तुमसे भी पूछा जाता है - तुम कहते हो बाबा हम लक्ष्मी को वरेंगे अथवा नारायण को वरेंगे। तो बाप कहते हैं अपने में देखो कोई विकार तो नहीं है। अगर क्रोध आदि होगा तो कैसे वर सकेंगे? हाँ, अभी सम्पूर्ण तो कोई बने नहीं है। परन्तु बनना है, इन भूतों को भगाना है तब ही इतना मर्तबा पा सकेंगे। उस्ताद भी बड़ा विचित्र मिला है। बाप तो सर्वगुण सम्पन्न, ज्ञान का सागर, आनन्द का सागर है तो जो आकर बच्चे बनते हैं उनको भी सर्वगुण सम्पन्न, डबल सिरताज देवता बनाते हैं। बरोबर तुम बन रहे हो। देवताओं को दोनों ताज रहते हैं। तुम आये हो बाप से वर्सा लेने। वर्सा लेना है, पढ़ना है। प्वाइन्ट्स तो बहुत निकलती रहती हैं। अगर पढ़ेंगे नहीं तो औरों को कैसे समझा सकेंगे? ड्रामा हूबहू रिपीट हो रहा है। यह नॉलेज अभी तुम समझते हो फिर यह गुम हो जायेगी। यह जो लंका आदि दिखाते हैं, वह भी है नहीं। रावण का जन्म कब हुआ? लिखा हुआ है द्वापर से देवतायें वाम मार्ग में जाते हैं तो विकारी बनना शुरू होते हैं। भक्ति भी पहले अव्यभिचारी थी फिर व्यभिचारी बन जाती है। अभी तो मनुष्य अपनी पूजा कराने लग पड़े हैं। बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ भ्रष्टाचारी दुनिया का विनाश और श्रेष्ठाचारी दुनिया की स्थापना करने। जरूर पहले स्थापना करेंगे फिर विनाश करेंगे। यह हमारा पार्ट कल्प-कल्प का है। भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बनाने में भी टाईम लगता है। जब तक बाप बैठ पढ़ा रहे हैं, पढ़ना है। कल्प पहले जिन्होंने जितना पढ़ा है वही पढ़ेंगे। बहुत बच्चे चलते-चलते कहते - बस, हम चल नहीं सकेंगे। अरे, स्तुति-निंदा, मान-अपमान यह तो सब होगा। तुम पढ़ाई को क्यों छोड़ते हो। सबसे जास्ती निंदा तो कृष्ण की हुई है। कितने कलंक लगाये हैं। फिर ऐसे कृष्ण को पूजते क्यों हैं? वास्तव में गाली अभी इनको (ब्रह्मा को) मिलती है। सारे सिन्ध में निंदा हुई फिर कर तो कुछ भी नहीं सके। यह भी सब खेल है। नई बात नहीं, कल्प पहले भी गाली खाई थी, नदी पार की थी। तुम सिन्ध से निकल इस पार चले आये ना। कृष्ण तो नहीं था, यह दादा आता-जाता था। तुम जानते हो अभी हम राज्य पाते हैं फिर गंवाते हैं। यह भी खेल है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सर्व की मनोकामनायें पूर्ण करने वाली कामधेनु (जगदम्बा) बनना है। दान देते रहना है।
2) स्तुति-निंदा में स्थिति समान रखनी है। यह सब होते पढ़ाई नहीं छोड़नी है। इसे खेल समझ पार करना है।
वरदान:-शुद्ध मन और दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा सेकण्ड में स्वीट होम की यात्रा करने वाले मा. सर्वशक्तिवान भव
साइन्स वाले फास्ट गति के यंत्र निकालने का प्रयत्न करते हैं, उसके लिए कितना खर्चा करते हैं, कितना समय और एनर्जी लगाते हैं, लेकिन आपके पास इतनी तीव्रगति का यंत्र है जो बिना खर्च के सोचा और पहुंचा, आपको शुभ संकल्प का यंत्र मिला है, दिव्य बुद्धि मिली है। इस शुद्ध मन और दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा जब चाहे तब चले जाओ और जब चाहे तब लौट आओ। मास्टर सर्वशक्तिवान को कोई रोक नहीं सकता।
स्लोगन:-दिल सदा सच्ची हो तो दिलाराम बाप की आशीर्वाद मिलती रहेगी।
03/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, you have found the unique Master. Follow His shrimat and you will become double-crowned deities.
Question:What easy effort do you make so that you do not become tired of the study?
Answer:Keep your stage equanimous in praise and defamation, regard and disregard that happens in the study. Consider all of that to be a game and you will never become tired. Krishna has been defamed the most. People have accused him of so many things and yet they also worship such a Krishna. Therefore, taking insults is not a new thing, so never become tired of the study. Continue to study for as long as the Father teaches you.
Song:O Dweller of the Forest, Your name is the support of my life!... Om Shanti
Who said this? Who spoke and to whom? Only you children, who are called gopes and gopis, know this. So, they remembered their Father, Gopi Vallabh. No one, apart from the Supreme Father, the Supreme Soul, can be such a Father. So, they remember those who have been here and gone. They are later praised. For example, Christ came but, having established the Christian religion, he didn't go away anywhere. He definitely had to sustain it; he had to take rebirth. However, every year, people celebrate the birthdays of those who leave after establishing their religion. They are remembered on the path of devotion. In the same way, people celebrate the festival of Dashera nowadays. It is celebrated, so it must definitely be something auspicious. When someone leaves having done something good, his festival is celebrated. Even the festival of Deepmala is celebrated. Krishna’s birthday is also celebrated. They celebrate the festivals of those who have been and gone. The people of Bharat don't know why the festivals of Rakhi, etc. are celebrated. What happened? They know that Christ and Buddha came to establish their religions. At this time, all are the devilish community whereas you are the Godly community. The Father, Rama, has now come and is making you divine and elevated. Or, it can be said that the Supreme Father has come and is having heaven inaugurated, that is, He is laying the foundation for it. It can also be called the opening ceremony. The elevated emperors and empresses in Bharat have been and gone. The golden-aged deities were double crowned. They had crowns of purity and also crowns studded with jewels. Vicious kings only have crowns studded with jewels. Those with single crowns worship those with double crowns. However, no one knows when they came and went or how they received their kingdom. Lakshmi and Narayan were such elevated, double-crowned deities. The Father sits here and explains who made them so elevated. People celebrate Dashera. You know that something must have happened that caused people to celebrate Dashera and burn an effigy of Ravan. However, he is not something that will get burnt. His kingdom is now coming to an end. Until the kingdom of Rama is established, the corrupt kingdom has to continue. People continue to celebrate the ceremony of when the kingdom of Ravan ended and the kingdom of Rama was established. They burn an effigy of Ravan which proves that this truly is the corrupt devilish kingdom. There are also grades of corruption. Corruption begins in the copper age. At first, there are two degrees of corruption, then four degrees, then eight degrees, then ten degrees and, having gradually increased, it has now become 16 degrees of corruption. Now, to change those who are 16 degrees corrupt to 16 degrees elevated is the task of the one Father alone. The Father explains: At this time, it is the kingdom of Ravan. The kingdom of Rama was the elevated kingdom. That has now become corrupt. The elevated Bharat is called heaven. That same kingdom has now become corrupt. The Father says: I have now come to make the corrupt kingdom into the elevated kingdom. There are the Yadava and the Kaurava clans. There are innumerable religions in the Yadava clan. Those who belonged to the elevated deity religion have become corrupt in their religion and their actions. The Father now teaches them how to perform elevated actions. They have been celebrating festivals on the path of devotion. God definitely came; it is a matter of 5000 years. The Father came and made the corrupt beings elevated. It is the Father's task alone to make the whole world elevated. Then, He sends you down from above to sustain it: Go and sustain the deity religion that you established. It isn't that anyone says this; it happens automatically according to the drama. When you become elevated, even the world will become satopradhan and elevated. Now, even the five elements are tamopradhan. There is so much upheaval and people are so unhappy. Damage costing millions is caused. In the golden age, there won't be any of these calamities. Calamities take place in hell. Even the calamities are at first only two degrees whereas they have now become 16 degrees. All of these things have to be explained in detail. They are very easy, but people are unable to understand them or explain to others. So, this burning of Ravan began in the copper age. You cannot say that it started 5000 years ago. When the path of devotion begins, all of these calamities also begin. You now know how the kingdom of Ravan is destroyed and how the kingdom of Rama is established. People don't know what Ravan is. The Father says: There wasn't anything such as Lanka. There is no Lanka in the golden age. There are very few people there. They live by the banks of the River Jamuna. In Ajmer, they show a model of Paradise, but they don't understand it. It doesn't take long to build golden palaces there. They use machinery to melt gold quickly and make tiles etc. You children know that this science through which destruction takes place will be useful to you later on. They make aeroplanes etc. now for great happiness, but they will also carry out destruction through them. So, these aeroplanes are for sorrow as well as happiness. That is temporary happiness. All of these things have been invented in the last hundred years. So, so much has happened in the last hundred years. So, just think: when destruction takes place, all of these things will be created in such a short time in the new world. There, the golden palaces are built very quickly. In Bharat, so many palaces are studded with gold and silver. They have big royal courts there. Royal people would meet there. That would not be called the Pandava gathering. That would be called the gathering of the kingdom of Lakshmi and Narayan. All the princes and princesses also go and sit there. When it was the British Government, there used to be great royal court gatherings of princes, princesses and Maharajas. All the kings would be sitting there wearing their crowns. When Baba used to go to Nepal, they would hold the gathering of the Rana (king) family. Kings with big crowns would sit there. They were called emperors and empresses and they were all numberwise. The queens wouldn’t sit there. They remained behind the curtains. They sat with a lot of grandeur. We used to say that that was the Pandava Government. They called themselves the sun dynasty. They used to exist here too. However, they had single crowns, because it was before them that there were those with double crowns. They have written so many things about Krishna: He abducted so-and-so and did such-and-such. However, there was nothing like that. People continue to celebrate the festivals of things that took place in the past. They also celebrate the festival of when the kingdom of Ravan ended and the kingdom of Rama was established. They celebrate it every year. So, this proves that the devilish kingdom of Ravan also existed 5000 years ago. The Father came and inspired the destruction of the kingdom of Ravan. That same Mahabharat War is just ahead. However, there is no such thing as Ravan. They show Madodri as the wife of Ravan, but they don't show her with ten heads. They show Ravan with ten heads. They show Vishnu with four arms: two arms of Lakshmi and two arms of Narayan. They show Ravan with ten heads: five vices of his and five vices of Madodri. They have also shown the significance of the four-armed image of Vishnu. They also worship Mahalakshmi. They never show Mahalakshmi with two arms. At Deepmala, they invoke Lakshmi. Why? Did Narayan commit a crime? After all, Lakshmi gets her wealth from Narayan anyway; she is a half-partner. So, what crime did Narayan commit? In fact, wealth is not received from Lakshmi. Wealth is received from Jagadamba. You know that Jagadamba then becomes Lakshmi. So, they have separated the two of them. They ask Jagadamba for everything. If they have any sorrow, if their son dies, they pray to Jagadamba: “Protect us.” “Give me a child!” “Remove this illness of mine!” They have many such desires. They go to Lakshmi and only place one desire in front of her and that is for wealth; that’s all! Jagadamba is the one who fulfils all your desires. She is the one who makes you wealthy. At this time, all your desires are being fulfilled. They don't give wealth; they simply teach you through which, from nothing, you become great. Then, when you become Lakshmi, you become wealthy. At this time, you have the power to fulfil all desires. Jagadamba gives donations. Lakshmi does not give donations. Donations are not given there. There is no starvation there. No one is poverty-stricken there. Ravan doesn't exist in the golden age. Here, they burn Ravan. After Dashera, they celebrate Deepmala. They celebrate in happiness. The kingdom of Ravan has been destroyed and the kingdom of Rama established and so there would be happiness; there is light in every home. You souls receive enlightenment. The things that exist at the confluence age do not exist in the golden age. You are trikaldarshi and you experience the reward there. There, you will have forgotten all of this knowledge. At the confluence age, there is establishment and destruction. Once establishment has taken place, that’s it. Only you know about all of those festivals. Ignorant people don't understand anything. They make much out of nothing. You can see in a practical way that those things do not exist in the golden age. The story of Narad is also mentioned in the scriptures. When you are asked, you reply: Baba, I will marry either Lakshmi or Narayan. So, the Father says: Check yourself to see that you don't have any vices. If you have anger etc., how would you be able to marry them? Yes, no one has yet become perfect, but you do have to become that. You have to chase away those evil spirits, because only then will you be able to claim a status. You have found the unique Master. The Father is full of all virtues. He is the Ocean of Knowledge and the Ocean of Bliss and so He also makes those who come and become His children full of all virtues and double-crowned deities. You are truly becoming that. Deities have both crowns. You have come here to claim your inheritance from the Father. You have to claim your inheritance; you have to study. Many points continue to emerge. If you don't study, how would you be able to explain to others? The drama is repeating identically. You understand this knowledge at this time and it will then disappear. The Lanka etc. that they show doesn't really exist. When was Ravan born? It is written that the deities go on to the path of sin in the copper age and that they begin to become vicious. Devotion was at first unadulterated and it then became adulterated. People have now begun to have themselves worshipped. The Father says: I come to carry out establishment of the elevated world and destruction of the corrupt world. Surely, establishment would be carried out first and then destruction. This is My part every cycle. It takes time to make it elevated from corrupt. You have to study for as long as the Father teaches. However much those who studied in the previous cycle studied, they will study the same now. While moving along, many children say: That's it. I am not able to continue any more. Ah! There will be praise and defamation, regard and disregard. Why do you stop studying because of that? It was Krishna who was defamed the most; he was accused of so many things. So, why do people then worship such a Krishna? In fact, it is this one (Brahma) who takes all the insults at this time. He was defamed throughout the whole of Sindh. However, those people were unable to do anything. All of this is a game. It is nothing new. He took insults in the previous cycle too. He crossed the river. You came away from the shore of Sindh to this side. It wasn't Krishna, but this Dada, who used to come and go. You know that you are now claiming the kingdom and that you will then lose it. This too is a game. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. You have to become Kamdhenu (Jagadamba), one who fulfils everyone's desires. Continue to donate.
2. Keep your stage in equanimity in praise and defamation. While all of that happens, you mustn't stop studying. Consider all of it to be a game and get over it.
Blessing:May you be a master almighty authority who travels to the sweet home in a second with the aeroplane of a clean mind and a divine intellect.
Scientists are trying to invent vehicles that have a fast speed and they spend so much money, time and energy on that. However, you have an instrument with such a fast speed that, without spending anything, you just have a thought and you arrive there. You have found the tool of a pure mind and a divine intellect. With the aeroplane of a clean mind and a divine intellect you can fly whenever you want and return whenever you want. No one can stop a master almighty authority.
Slogan:When your heart is always true, you continue to receive blessings from the Father, the Comforter of Hearts.
End of Page
Please select any one of the below options to give a LIKE, how do you know this unit.