Published by – Goutam Kumar Jena
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali Sep 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Sep-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 23rd Sep 2018 )
23-09-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 18-01-84 मधुबन
स्मृति दिवस का महत्व
 
आज मधुबन वाले बाप मधुबन में बच्चों से मिलने आये हैं। आज अमृतवेले से स्नेही बच्चों के स्नेह के गीत, समान बच्चों के मिलन मनाने के गीत, सम्पर्क में रहने वाले बच्चों के उमंग में आने के उत्साह भरे आवाज, बांधेली बच्चियों के स्नेह भरे मीठे उल्हनें, कई बच्चों के स्नेह के पुष्प बापदादा के पास पहुँचे। देश-विदेश के बच्चों के समर्थ संकल्पों की श्रेष्ठ प्रतिज्ञायें सभी बापदादा के पास समीप से पहुँची। बापदादा सभी बच्चों के स्नेह के संकल्प और समर्थ संकल्पों का रेसपान्ड कर रहे हैं। ''सदा बापदादा के स्नेही भव'' ''सदा समर्थ समान भव, सदा उमंग-उत्साह से समीप भव, लगन की अग्नि द्वारा बन्धनमुक्त स्वतंत्र आत्मा भव'' बच्चों के बन्धनमुक्त होने के दिन आये कि आये। बच्चों के स्नेह के दिल के आवाज, कुम्भकरण आत्माओं को अवश्य जगायेंगे। यही बन्धन में डालने वाले स्वयं प्रभु स्नेह के बन्धन में बंध जायेंगे। बापदादा विशेष बन्धन वाली बच्चियों को शुभ दिन आने की दिल का आथत दे रहे हैं क्योंकि आज के विशेष दिन पर विशेष स्नेह के मोती बापदादा के पास पहुँचते हैं। यही स्नेह के मोती श्रेष्ठ हीरा बना देते हैं। आज का दिन समर्थ दिन है। आज का दिन समान बच्चों को ततत्वम् के वरदान का दिन है। आज के दिन बापदादा शक्ति सेना को सर्व शक्तियों की विल करता है, विल पावर देते हैं। विल की पावर देते हैं। आज का दिन बाप का बैक-बोन बन बच्चों को विश्व के मैदान में आगे रखने का दिन है। बाप अन-नोन है और बच्चे वेलनोन हैं। आज का दिन ब्रह्मा बाप के कर्मातीत होने का दिन है। तीव्रगति से विश्व कल्याण, विश्व परिक्रमा का कार्य आरम्भ होने का दिन है। आज का दिन बच्चों के दर्पण द्वारा बापदादा के प्रख्यात होने का दिन है। जगत के बच्चों को जगत पिता का परिचय देने का दिन है। सर्व बच्चों को अपनी स्थिति, ज्ञान स्तम्भ, शक्ति स्तम्भ अर्थात् स्तम्भ के समान अचल अडोल बनने की प्रेरणा देने का दिन है। हर बच्चा बाप का यादगार शान्ति स्तम्भ है। यह तो स्थूल शान्ति स्तम्भ बनाया है। परन्तु बाप की याद में रहने वाले याद का स्तम्भ आप चैतन्य सभी बच्चे हो। बापदादा सभी चैतन्य स्तम्भ बच्चों की परिक्रमा लगाते हैं। जैसे आज शान्ति स्तम्भ पर खड़े होते हो, बापदादा आप सभी याद में रहने वाले स्तम्भों के आगे खड़े होते हैं। आप आज के दिन विशेष बाप के कमरे में जाते हो। बापदादा भी हर बच्चे के दिल के कमरे में बच्चों से दिल की बातें करते हैं और आप झोपड़ी में जाते हो। झोपड़ी है दिलवर और दिलरूबा की यादगार। दिलरूबा बच्चों से दिलवर बाप विशेष मिलन मनाते हैं। तो बापदादा भी सभी दिलरूबा बच्चों के भिन्न-भिन्न साज़ सुनते रहते हैं। कोई स्नेह की ताल से साज़ बजाते, कोई शक्ति की ताल से, कोई आनन्द, कोई प्रेम की ताल से। भिन्न-भिन्न ताल के साज़ सुनते रहते हैं। बापदादा भी आप सभी के साथ-साथ चक्र लगाते रहते हैं। तो आज के दिन का विशेष महत्व समझा!
 
आज का दिन सिर्फ स्मृति का दिन नहीं लेकिन स्मृति सो समर्थी दिवस है। आज का दिन वियोग वा वैराग्य का दिन नहीं है लेकिन सेवा की जिम्मेवारी के ताजपोशी का दिन है। समर्थी के स्मृति के तिलक का दिन है। ''आगे बच्चे पीछे बाप'' इसी संकल्प को साकार होने का दिन है। आज के दिन ब्रह्मा बाप विशेष डबल विदेशी बच्चों को बाप के संकल्प और आह्वान को साकार रूप देने वाले स्नेही बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। कैसे स्नेह द्वारा बाप के सम्मुख पहुँच गये हैं। ब्रह्मा बाप के आह्वान के प्रत्यक्ष फल स्वरूप, ऐसे सर्व शक्तियों के रस भरे श्रेष्ठ फलों को देख ब्रह्मा बाप बच्चों को विशेष बधाई और वरदान दे रहे हैं। सदा सहज विधि द्वारा वृद्धि को पाते रहो। जैसे बच्चे हर कदम में ''बाप की कमाल है'' यही गीत गाते हैं, ऐसे बापदादा भी यही कहते हैं कि बच्चों की कमाल है। दूरदेशी, दूर के धर्म वाले होते भी कितने समीप हो गये हैं। समीप आबू में रहने वाले दूर हो गये हैं। सागर के तट पर रहने वाले प्यासे रह गये हैं लेकिन डबल विदेशी बच्चे औरों की भी प्यास बुझाने वाले ज्ञान गंगायें बन गये। कमाल है ना बच्चों की इसलिए ऐसे खुशनशीब बच्चों पर बापदादा सदा खुश हैं। आप सभी भी डबल खुश हो ना। अच्छा-
 
ऐसे सदा समान बनने के श्रेष्ठ संकल्पधारी, सर्व शक्तियों के विल द्वारा विल पावर में रहने वाले, सदा दिलवर की दिलरूबा बन भिन्न-भिन्न साज़ सुनाने वाले सदा स्तम्भ के समान अचल-अडोल रहने वाले, सदा सहज विधि द्वारा वृद्धि को पाए वृद्धि को प्राप्त कराने वाले, सदा मुधर मिलन मनाने वाले देश-विदेश के सर्व प्रकार के वैरायटी बच्चों को पुष्प वर्षा सहित बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते।
 
आज सभी स्नेही विशेष सेवाधारी बच्चों को वतन में बुलाया था। जगत अम्बा को भी बुलाया, दीदी को भी बुलाया। विश्व किशोर आदि जो भी अनन्य गये हैं सेवा अर्थ, उन सबको वतन में बुलाया था। विशेष स्मृति दिवस मनाने के लिए सभी अनन्य डबल सेवा के निमित्त बने हुए बच्चे संगम के ईश्वरीय सेवा में भी साथी हैं और भविष्य राज्य दिलाने की सेवा के भी साथी हैं। तो डबल सेवाधारी हो गये ना। ऐसे डबल सेवाधारी बच्चों ने विशेष रूप से सभी मधुबन में आये हुए सहयोगी स्नेही आत्माओं को यादप्यार दी है। आज बापदादा उन्हों की तरफ से याद-प्यार का सन्देश दे रहे हैं। समझा। कोई किसको याद करते, कोई किसको याद करते। बाप के साथ-साथ सेवार्थ एडवांस पुरुषार्थी बच्चों को जिन्होंने भी संकल्प में याद किया उन सभी की याद का रिटर्न सभी ने यादप्यार दिया है। पुष्पशान्ता भी स्नेह से याद करती थी। ऐसे तो नाम कितने का लेंवे। सभी की विशेष पार्टी वतन में थी। डबल विदेशियों के लिए विशेष दीदी ने याद दी है। आज दीदी को विशेष बहुतों ने याद किया ना क्योंकि इन्होंने दीदी को ही देखा है। जगत अम्बा और भाऊ (विश्व किशोर) को तो देखा नहीं इसलिए दीदी की याद विशेष आई। वह लास्ट टाइम बिल्कुल निरसंकल्प और निर्मोही थी। उनको भी याद तो आती है लेकिन वह खींच की याद नहीं है। स्वतंत्र आत्मा है। उन्हों का भी संगठन शक्तिशाली बन रहा है। सब नामीग्रामी है ना। अच्छा-
 
कुछ विदेशी भाई-बहन सेवा पर जाने के लिए बापदादा से छुट्टी ले रहे हैं:
 
सभी बच्चों को बापदादा यही कहते हैं कि जा नहीं रहे हो लेकिन फिर से आने के लिए, फिर से बाप के आगे सेवा कर गुलदस्ता लाने के लिए जा रहे हो इसलिए घर नहीं जा रहे हो, सेवा पर जा रहे हो। घर नहीं सेवा का स्थान है, यही सदा याद रहे। रहमदिल बाप के बच्चे हो तो दु:खी आत्माओं का भी कल्याण करो। सेवा के बिना चैन से सो नहीं सकते। स्वप्न भी सेवा के आते हैं ना। आंख खुली बाबा से मिले फिर सारा दिन बाप और सेवा। देखो, बापदादा को कितना नाज़ है कि एक बच्चा सर्विसएबुल नहीं लेकिन इतने सब सर्विसएबुल हैं। एक-एक बच्चा विश्व कल्याणकारी है। अभी देखेंगे कौन बड़ा गुलदस्ता लाता है। तो जा रहे हैं या फिर से रहे हैं! तो ज्यादा स्नेह किसका हुआ? बाप का या आपका? अगर बच्चों का स्नेह ज्यादा रहे तो बच्चे सेफ हैं। महादानी, वरदानी, सम्पन्न आत्मायें जा रहे हैं, अभी अनेक आत्माओं को धनवान बनाकर, सजाकर बाप के सामने ले आना। जा नहीं रहे हो लेकिन सेवा कर एक से तीन गुना होकर आयेंगे। शरीर से भल कितना भी दूर जा रहे हो लेकिन आत्मा सदा बाप के साथ है। बापदादा सहयोगी बच्चों को सदा ही साथ देखते हैं। सहयोगी बच्चों को सदा ही सहयोग प्राप्त होता है। अच्छा।
 
डबल विदेशी भाई बहिनों के प्रश्न-बापदादा के उत्तर
 
प्रश्न:- कई ब्राह्मण आत्माओं पर भी ईविल सोल्स का प्रभाव पड़ जाता है, उस समय क्या करना चाहिए?
 
उत्तर:- इसके लिए सेवाकेन्द्र का वातावरण बहुत शक्तिशाली सदा रहना चाहिए और साथ में अपना भी वातावरण शक्तिशाली रहे। फिर यह ईविल प्रिट कुछ नहीं कर सकती है। यह मन को पकड़ती हैं। मन की शक्ति कमजोर होने के कारण ही इसका प्रभाव पड़ जाता है। तो शुरू से पहले ही उसके प्रति ऐसे योगयुक्त आत्मायें विशेष योग भट्ठी रख करके उसको शक्ति दें और वह जो योगयुक्त ग्रुप है वह समझे कि हमको यह विशेष कार्य करना है, जैसे और प्रोग्राम होते हैं वैसे यह प्रोग्राम इतना अटेन्शन से करें तो फिर शुरू में उस आत्मा को ताकत मिलने से बच सकती हैं। भले वह आत्मा परवश होने के कारण योग में नहीं भी बैठ सके, क्योंकि उसके ऊपर दूसरे का प्रभाव होता है, तो वह भले ही बैठे लेकिन आप अपना कार्य निश्चय बुद्धि हो करके करते रहो। तो धीरे-धीरे उसकी चंचलता शान्त होती जायेगी। वह ईविल आत्मा पहले आप लोगों के ऊपर भी वार करने की कोशिश करेगी लेकिन आप समझो यह कार्य करना ही है, डरो नहीं तो धीरे-धीरे उसका प्रभाव हट जायेगा।
 
प्रश्न:- सेवाकेन्द्र पर अगर कोई प्रवेशता वाली आत्मायें ज्ञान सुनने के लिए आती हैं तो क्या करना चाहिए?
 
उत्तर:- अगर ज्ञान सुनने से उसमें थोड़ा-सा भी अन्तर आता है या सेकण्ड के लिए भी अनुभव करती है तो उसको उल्लास में लाना चाहिए। कई बार आत्मायें थोड़ा-सा ठिकाना ना मिलने के कारण भी आपके पास आती हैं, बदलने के लिए आया है या वैसे ही पागलपन में जहाँ रास्ता मिला, गया है वह परखना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसे पागल होते हैं जो जहाँ भी देखेंगे दरवाजा खुला है वहाँ जायेंगे। होश में नहीं होते हैं। तो ऐसे कई आयेंगे लेकिन उसको पहले परखना है। नहीं तो उसमें टाइम वेस्ट हो जायेगा। बाकी कोई अच्छे लक्ष्य से आया है, परवश है तो उसको शक्ति देना अपना काम है। लेकिन ऐसी आत्माओं को कभी भी अकेले में अटेण्ड नहीं करना। कुमारी कोई ऐसी आत्मा को अकेले में अटेण्ड करें क्योंकि कुमारी को अकेला देख पागल का पागलपन और निकलता है इसलिए ऐसी आत्मायें अगर समझते हो योग्य हैं, तो उन्हें ऐसा टाइम दो जिस टाइम दो-तीन और हों या कोई जिम्मेवार, कोई बुजुर्ग ऐसा हो तो उस समय उसको बुलाकर बिठाना चाहिए क्योंकि जमाना बहुत गन्दा है और बहुत बुरे संकल्प वाले लोग हैं इसलिए थोड़ा अटेन्शन रखना भी जरूरी है। इसमें बहुत क्लियर बुद्धि चाहिए। क्लियर बुद्धि होगी तो हरेक के वायब्रेशन से कैच कर सकेंगे कि यह किस एम से आया है।
 
प्रश्न:- आजकल किसी-किसी स्थान पर चोरी और भय का वातावरण बहुत है, उनसे कैसे बचे?
 
उत्तर:- इसमें योग की शक्ति बहुत चाहिए। मान लो कोई आपको डराने के ख्याल से आता है तो उस समय योग की शक्ति दो। अगर थोड़ा कुछ बोलेंगी तो नुकसान हो जायेगा इसलिए ऐसे समय पर शान्ति की शक्ति दो। उस समय पर अगर थोड़ा भी कुछ कहा तो उन्हों में जैसे अग्नि में तेल डाला। आप ऐसे रीति से रहो जैसे बेपरवाह हैं, हमको कोई परवाह नहीं है। जो करता है उसको साक्षी होकर अन्दर शान्ति की शक्ति दो तो फिर उसके हाथ नहीं चलेंगे। वह समझेंगे इनको तो कोई परवाह नहीं है। नहीं तो डराते हैं, डर गये या हलचल में आये तो वह और ही हलचल में लाते हैं। भय भी उन्हों को हिम्मत दिलाता है इसलिए भय में नहीं आना चाहिए। ऐसे टाइम पर साक्षीदृष्टा की स्थिति यूज़ करनी है। अभ्यास चाहिए ऐसे टाइम।
 
प्रश्न:- ब्लैसिंग जो बापदादा द्वारा मिलती है, उसका गलत प्रयोग क्या है?
 
उत्तर:- कभी-कभी जैसे बापदादा बच्चों को सर्विसएबल या अनन्य कहते हैं या को0 विशेष टाइटल देते हैं तो उस टाइटल को मिसयूज कर लेते हैं, समझते हैं मैं तो ऐसा बन ही गया। मैं तो हूँ ही ऐसा। ऐसा समझकर अपना आगे का पुरुषार्थ छोड़ देते हैं, इसको कहते हैं मिसयूज़ अर्थात् गलत प्रयोग क्योंकि बापदादा जो वरदान देते हैं, उस वरदान को स्वयं के प्रति और सेवा के प्रति लगाना, यह है सही रीति से यूज़ करना और अलबेला बन जाना, यह है मिसयूज़ करना।
 
प्रश्न:- बाइबिल में दिखाते हैं, अन्तिम समय में एन्टी क्राइस्ट का रूप होगा, इसका रहस्य क्या है?
 
उत्तर:- एन्टी क्राइस्ट का अर्थ है उस धर्म के प्रभाव को कम करने वाले। आजकल देखो उसी क्रिश्चियन धर्म में क्रिश्चियन धर्म की वैल्यू को कम समझते जा रहे हैं, उसी धर्म वाले अपने धर्म को इतना शक्तिशाली नहीं समझते और दूसरों में शक्ति ज्यादा अनुभव करते हैं, यही एन्टी क्राइस्ट हो गये। जैसे आजकल के कई पादरी ब्रह्मचर्य को महत्व नहीं देते और उन्हों को गृहस्थी बनाने की प्रेरणा देने शुरू कर दी है तो यह उसी धर्म वाले जैसे एन्टी क्राइस्ट हुए। अच्छा!
 
वरदान:-
 
बाप के राइट हैण्ड बन हर कार्य में सदा एवररेडी रहने वाले मास्टर भाग्य विधाता भव
 
जो बच्चे राइट हैण्ड बन बाप के हर कार्य में सदा सहयोगी, सदा एवररेडी रहते हैं, आज्ञाकारी बन सदा कहते हाँ बाबा हम तैयार हैं। बाप भी ऐसे सहयोगी बच्चों को सदा मुरब्बी बच्चे, सपूत बच्चे, विश्व के श्रृंगार बच्चे कह मास्टर वरदाता और भाग्य विधाता का वरदान दे देते हैं। ऐसे बच्चे प्रवृत्ति में रहते भी प्रवृत्ति की वृत्ति से परे रहते हैं, व्यवहार में रहते अलौकिक व्यवहार का सदा ध्यान रखते हैं।
 
स्लोगन:-
 
हर बोल और कर्म में सच्चाई सफाई हो तो प्रभू के प्रिय रत्न बन जायेंगे।
 
 
 
23/09/18              Madhuban          Avyakt BapDada               Om Shanti           18/01/84
The importance of the 18th January, the Day of Remembrance.
 
Today, the Father of Madhuban has come to meet the children in Madhuban.
 
1. Today, from amrit vela, the loving songs of the loving children, the songs of the equal children who were celebrating a meeting, the sounds filled with zeal and enthusiasm of the children who are in contact, the love-filled sweet complaints of the children in bondage and the flowers of love of many children reached BapDada. All the elevated promises of powerful thoughts made by the children in this land and abroad came very close to BapDada. BapDada is responding to all the children's thoughts of love and powerful thoughts: May you always be loving to BapDada! May you always be powerful and equal! May you always be close with zeal and enthusiasm! May you be souls who are liberated and free from bondage with the fire of love! The children's days of becoming free from bondage are now almost here. The sound of love from the children's hearts will definitely awaken the Kumbhakarna souls. Those same souls who create bondages will themselves be tied by the bond of God's love. BapDada is giving special reassurance to the hearts of the daughters who are in bondage that their auspicious days are now coming.
 
2. On this special day, the special pearls of love reached BapDada. These pearls of love make you into elevated diamonds.
 
3. Today is the day of power.
 
4. Today is the day for the children who are equal to receive the blessing, "The same applies to you!” (Tat twam).
 
5. Today, BapDada wills all powers to the Shakti Army. He gives you will power. He gives you the power of the will.
 
6. Today is the day when he became the Father's backbone to bring the children in the forefront on the field of the world. The father is unknown and the children are well known.
 
7. Today is the day that Father Brahma became karmateet.
 
8. It is the day for the task of world benefit and for touring around the world with your mind to begin at a fast speed.
 
9. Today is the day for BapDada to be revealed through the mirror of the children.
10.Today is the day to introduce the World Father to the children of the world.
 
11.Today is the day to inspire all of you children to make your stage like a tower of knowledge and a tower of power, that is, to make it as unshakeable and immovable as a tower. Every child is a tower of peace like the father's memorial. That is just a physical Tower of Peace that has been created. However, all of you children in the living form who stay in remembrance of the Father are towers of remembrance. BapDada circles around all of you children who are living towers. Just as on this day you go and stand at the Tower of Peace, so BapDada stands in front of all of you towers who stay in remembrance.
 
12. On this day, you especially go to the Father's room. BapDada also speaks to the children about the things of their hearts in the room of their hearts.
 
13. You also go to Baba's hut. The hut is the memorial of the lover and the Beloved. The beloved Father especially celebrates a meeting with the children who are the lovers. Therefore, BapDada also continues to hear all the different music of the children who are lovers. Some are playing music with the rhythm of love (sneh), some with the rhythm of power, some with bliss and some with love (prem)… BapDada continues to hear the music of different rhythms. BapDada also continues to tour around with all of you. So, did you understand the special importance of today?
 
14. Today is not just the day of remembrance, but it is the day of remembrance and, through that, of power.
 
15. Today is not the day of separation or disinterest, but it is the coronation day of the responsibility of service.
 
16. It is the day of receiving the tilak of the awareness of power.
 
17. It is the day of the thought, "The children are at the front and the father is at the back", becoming the practical form.
 
18. Today, Father Brahma is especially happy to see the double-foreign loving children who are the physical manifestation of the Father's thought and his invocation of them, and how you have arrived in front of the Father with love. You are the practical fruit of Father Brahma’s invocation of you. Seeing such elevated fruit filled with the sweetness (juice) of all powers, Father Brahma is especially congratulating you children and giving you blessings. Constantly continue to progress in an easy manner. Just as children sing, "It is the Father's wonder", at every step, so BapDada also says, "It is the wonder of the children." You are residents of faraway lands, and religions are distant and yet you have come so close. Those who live close by in Abu have become distant. Those who live on the shores of the Ocean are left thirsty whereas the double-foreign children have become the Ganges of knowledge who quench the thirst of others. It is a wonder of the children. Therefore, BapDada is always pleased with the children who have such fortune of happiness. All of you are doubly happy, are you not? Achcha.
 
To those who have the elevated thought of constantly being equal, to those who maintain their will power with the will of all powers, to those who become lovers of the Beloved and play different tunes, to those who remain as constantly unshakeable and immovable as a tower, to those who constantly make progress in an easy manner and make everything grow, to those who constantly celebrate a sweet meeting, to all the variety children in this land and abroad, along with a shower of flowers, BapDada's love, remembrance and namaste.
 
Today, all the loving, special, serviceable children were called to the subtle region. Jagadamba and Didi were also called. Vishwa Kishore and all the specially beloved children who have gone for service were all called to the subtle region, especially to celebrate the day of remembrance. All the specially beloved children who are instruments for double service, are companions in God’s service at the confluence age and are also companions in the service of enabling you to receive the future kingdom. Therefore, they are double servers, are they not? Such double serviceable children have given special love and remembrance to all you loving and co-operative souls who have come to Madhuban. Today, BapDada is giving a message of love and remembrance on their behalf. Do you understand?
 
Some of you remember one person and others remember another. All the advance effort-making children who are instruments for service with the Father, whom you have been remembering in your thoughts, have given all of you love and remembrance in return for your remembrance of them. Pushpa Shanta was also remembering you with love. How many such names can Baba mention? There was a special party for everyone in the subtle region. Didi gave special remembrance to the double-foreigners. Many of you remembered Didi especially today, did you not? Because all of you (double foreigners) only saw Didi. You didn't see Jagadamba or Bhau (Vishwa Kishore). This is why you all remembered Didi especially. In her final moments, she was completely free from any waste thoughts and also free from attachment. She remembers you too - but that is not remembrance that pulls you. She is a liberated soul. Their gathering is also becoming powerful. They are all very well known. Achcha.
 
Some foreign brothers and sisters take leave from BapDada to go on service:
 
BapDada tells all of you children that you are not going, but that you are going to go and serve and come back again and bring a bouquet in front of the Father. This is why you are not going home but are going on service. Always remember that that is not your home but your service place. You are children of the merciful Father. Therefore, also bring benefit to unhappy souls. You are not able to sleep peacefully without doing service. You also have dreams of service, do you not? As soon as you open your eyes, you meet Baba and, throughout the day, you only think of the Father and service. Look, BapDada is so proud that it isn't just one child who is serviceable, but all of you children are serviceable. Every child is a world benefactor. We shall now see who brings a big bouquet. So, are you going? Or, are you going to come back again? So, whose love is greater - the Father's or yours? If the children's love is greater, then the children are safe. Great donors, bestowers of blessings, complete and perfect souls are going. You now have to make many souls wealthy, decorate them and bring them in front of the Father. You are not going, but you will do service and come back having multiplied the number three times. No matter how far away you go physically, you souls are always with the Father. BapDada always gives co-operative children His company. Co-operative children always receive co-operation. Achcha.
 
Questions by double-foreigners to BapDada and His answers.
 
Question: Some Brahmin souls are influenced by evil souls. What should we do at that time?
 
Answer:               In this situation, the atmosphere of the centre has to remain very powerful at all times. Along with this, your own stage must also be powerful. The evil spirits won't then be able to do anything. They catch hold of the mind. Because the power of the mind is weak, those evil spirits influence the soul. So, from the beginning, yogyukt souls need to have special yoga bhatthis and give that (influenced soul) power. A group of yogyukt souls should also understand that they have to perform this special task. Just as you do other programmes, in the same way, you also have to do this programme with as much attention so that, when that soul receives power from the beginning, he can be saved. That soul may not be able to sit in yoga because of being under the influence of someone else. It doesn't matter if that soul doesn't sit in yoga, but you must continue to carry on with your task with faith in your intellect. Then, gradually, the mischief of that soul will continue to calm down. That evil soul will first try to attack you, but you must realise that you have to carry out this task. Don’t be afraid and the influence of that evil soul will slowly be removed.
 
Question: What should we do when souls over whom there is the influence of other souls come to the centre to listen to the knowledge?
 
Answer:               If, by listening to the knowledge, there is some difference in that soul or if that soul experiences something for even a second, then you should put enthusiasm into that soul. Sometimes, souls come to you because of not finding their place; you have to discern whether that soul has come to change or has just found any place in his disturbed state. This is because, sometimes, souls are so disturbed that whenever they see an open door, they will just go in. They are not fully aware. So, many souls like that will come, but you have to discern them first. Otherwise, time would be wasted on them. Sometimes, someone will come with a good aim but is under another influence; it is then your duty to give that one power. However, do not attend to such souls alone by yourself. Kumaris must not attend to such souls by themselves because when such souls see a kumari alone, they become even more disturbed. Therefore, if you feel that such souls are worthy, give them a time to come when there are two or three others present, or when a responsible or mature person is around. Call such souls at such a time and sit with them because the world is very dirty at present and people have very bad thoughts. Therefore, it is essential to pay some attention. A very clear intellect is needed for this. If you have a clear intellect, you will be able to catch from their vibrations what aim they have come with.
 
Question: Nowadays, the atmosphere in some places is very much one of stealing and of fear, so how can we protect ourselves from this?
 
Answer:               A lot of yoga power is needed for this. For instance, when someone comes to you with the thought of frightening you, at that time, give that one the power of yoga. If you say anything at that time, it will cause damage and so, just give the power of silence. If you say anything at that time, it will be like pouring oil on to a fire. Just be nonchalant, as though you are not bothered. Just be a detached observer and give the power of silence to the one misbehaving and he will not use his hands (become violent). He will think that you are not bothered. Otherwise, he would try to frighten you. If you get frightened or shake, he would cause more upheaval. Fear gives them more courage and so do not be afraid. At such a time, use the stage of a detached observer. At that time, you need to use what you have practised.
 
Question: In what way are the blessings we receive from BapDada misused?
 
Answer:               Sometimes, BapDada calls some children serviceable or specially beloved children, or He gives a special title, and so children misuse that title. They think that they have become that already. I am already like that. Considering themselves to be that, they stop making effort. That is known as misusing, that is, not using something properly, because to use the blessing for the self and for service in the way that BapDada has given it to you is the proper way to use it. To become careless is to misuse it.
 
Question: It is shown in the Bible that, in the final moments, there will be the form of anti-Christ. What does this mean? 
Answer:               Anti-Christ means reducing the impact of that religion. Nowadays, if you look at the Christian religion, the value of the Christian religion is considered to be less. Those of that religion do not consider themselves to be so powerful and they experience greater power in others.Those are the ones who are anti-Christ.Nowadays, many priests do not give that importance to celibacy and they have begun to inspire the priests to become householders, so it is as though people of that religion have become anti-Christ. Achcha.
 
Blessing:
 
May you be a master bestower of fortune and, by becoming a right hand of the Father, be constantly ever ready for every task.
 
The children who become the Father’s right hands are also constantly co-operative and ever ready for every task, they are obedient and say, “Yes Baba, I am ready”. The Father calls such children; His constantly especially beloved children, His worthy and obedient children, His children who are the decoration of the world and He gives them the blessing of being master bestowers of blessings and bestowers of fortune. While living at home, such children stay beyond any householder attitude and they always pay attention to keeping their interaction alokik while interacting with everyone.
 
Slogan:
 
Let there be honesty and cleanliness in your every word and deed, and you will become a jewel loved by God.

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