Published by – Goutam Kumar Jena
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali Sep 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Sep-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali -1st Sep 2018 | 129655 | 2018-10-16 21:33:18 | |
2 | Murali - 02-Sep 2018 | 121564 | 2018-10-16 21:33:18 | |
3 | Murali - 03-Sep-2018 | 120034 | 2018-10-16 21:33:18 | |
4 | Murali - 04-sep-2018 | 110516 | 2018-10-16 21:33:19 | |
5 | Murali - 05-Sep - 2018 | 122260 | 2018-10-16 21:33:19 | |
6 | Murali - 06-Sep - 2018 | 125580 | 2018-10-16 21:33:19 | |
7 | Murali 07-Sep -2018 | 128005 | 2018-10-16 21:33:19 | |
8 | Murali 08-Sep-2018 | 132959 | 2018-10-16 21:33:19 | |
9 | Murali - 09 - Sep - 2018 | 127132 | 2018-10-16 21:33:19 | |
10 | Murali - 10-Sep - 2018 | 130321 | 2018-10-16 21:33:19 | |
11 | Murali - 11th - Sep 2018 | 129133 | 2018-10-16 21:33:19 | |
12 | Murali - 12 - Sep -2018 | 126761 | 2018-10-16 21:33:19 | |
13 | Murali - 13th Sep - 2018 | 130419 | 2018-10-16 21:33:19 | |
14 | Murali - 14th Sep - 2018 | 127925 | 2018-10-16 21:33:19 | |
15 | Murali - 15th Sep - 2018 | 131275 | 2018-10-16 21:33:19 | |
16 | Murali - 16th - Sep - 2018 | 103929 | 2018-10-16 21:33:19 | |
17 | Murali 17th Sep 2018 | 127449 | 2018-10-16 21:33:19 | |
18 | Murali 18th Sep -2018 | 119571 | 2018-10-16 21:33:19 | |
19 | Murali - 19th Sep 2018 | 119647 | 2018-10-16 21:33:19 | |
20 | Murali 20th Sep 2018 | 131848 | 2018-10-16 21:33:19 | |
21 | Murali 21st -Sep 2018 | 127385 | 2018-10-16 21:33:19 | |
22 | Murali 22nd Sep 2018 | 129824 | 2018-10-16 21:33:19 | |
23 | Murali 23rd Sep 2018 | 130405 | 2018-10-16 21:33:19 | |
24 | Murali 24th Sep 2018 | 133292 | 2018-10-16 21:33:19 | |
25 | Murali 25th Sep 2018 | 122986 | 2018-10-16 21:33:19 | |
26 | Murali 26th Sep 2018 | 130096 | 2018-10-16 21:33:19 | |
27 | Murali 27th Sep 2018 | 122276 | 2018-10-16 21:33:19 | |
28 | Murali 28th Sep 2018 | 124394 | 2018-10-16 21:33:19 | |
29 | Murali 29th Sep 2018 | 129214 | 2018-10-16 21:33:19 | |
30 | Murali 30th Sep 2018 | 122421 | 2018-10-16 21:33:19 |
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Details ( Page:- Murali 21st -Sep 2018 )
21-09-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - बाप से लॅव और रिगार्ड रखो तो बाप की आशीर्वाद मिलती रहेगी, माया की जंक उतरती जायेगी''
प्रश्नः-
इस चैतन्य बगीचे में कई फूल खिलते ही नहीं, कली के कली रह जाते हैं - क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि पुरुषार्थ में सुस्ती है, याद करने का जो समय है उसमें सोये रहते हैं। सोने वाले अपना समय ऐसे ही गंवा देते हैं। जिन सोया तिन खोया। बन्द कली ही रह जाती। सदा गुलाब के फूल वह हैं जो देवी-देवता धर्म के आलराउन्ड पार्टधारी हैं।
गीत:-
यह वक्त जा रहा है...
ओम् शान्ति।
यह किसने समझाया? बेहद के बाप ने समझाया बच्चों को। बेहद की जो घड़ी है उसमें अभी बाकी थोड़ा टाइम अथवा कुछ मिनट रहे हैं। घण्टे गये, बाकी कुछ मिनट रहे हैं। जो अच्छे सेन्सीबुल बच्चे हैं वह जानते हैं, नम्बरवार तो हैं ना। गुलाब के फूल होते हैं उनमें भी नम्बरवार होते हैं। यहाँ भी गुलाब के फूल हैं लेकिन उसमें कोई बन्द कली हैं, कोई थोड़ा खिले हुए हैं। तुम्हारा देवी-देवता धर्म भी जैसे सदा गुलाब है, सदा आलराउन्ड पार्ट बजाने वाले। तुम सभी धर्मों में ऊंच ते ऊंच धर्म वाले सदा गुलाब हो। दूसरे धर्म वाले फिर नम्बरवार हैं, कोई चम्पा हैं, कोई चमेली हैं, कोई टांगर हैं, कोई अक है। बगीचा तो है ना। सभी धर्मों का बगीचा है। बच्चियां जानती हैं ऊंच ते ऊंच धर्म है ही देवी-देवताओं का। जब सीजन नहीं होती है तब मुखड़ी भी नहीं रहती, कली फूल भी नहीं रहते हैं। (बाबा ने आज बगीचे से एक बड़ा गुलाब का फूल, एक छोटा फूल, एक आधा खिला हुआ फूल, एक कली, एक बन्द कली, एक मुखड़ी... ऐसे वैरायटी लाकर संदली पर रखा है) अब देखो, मुखड़ी भी कोई कच्ची है, कोई आधा खिली हुई है। कोई फूल है, कोई बंद कलियां हैं। कोई मुरझा जाते हैं, बिल्कुल खिलते ही नहीं। बरोबर ऐसा है ना। तो बाप कहते हैं पुरुषार्थ में सुस्ती न करो। ऐसे कली के कली न रह जाओ। कोई आधा में रह जाते, नम्बरवार हैं। समझा जाता है इस हालत में यह क्या पद पायेंगे? समय बहुत थोड़ा है। घड़ी बनाई है, कांटे को अब बदल तो नहीं सकते हैं। युक्ति से ऐसे बनाना चाहिए, जो निशानी रहे। यहाँ से शुरू हो कांटा अब यहाँ तक आकर पहुँचा है। जीरो से शुरू हो फिर कांटा 12 तक आकर पूरा होता है। तो इस चक्र में भी पहले देवी-देवता धर्म निकला, अभी है अन्त। जब से बाप आया है तब से गिना जाता है।
तो बाप कहते हैं - बच्चे, टाइम वेस्ट मत करो। बाप को याद करते रहो। जितना याद करेंगे उतना विकर्म विनाश होंगे। विकर्म तो सबसे होते रहते हैं। ऐसे कोई मत समझे कि हमसे नहीं होता है। इतना अहंकार कोई मत रखे। विकर्म तो बहुत ही गुप्त भी बनते हैं। उनसे बड़ी सम्भाल रखनी है। इस घड़ी से तुमको टाइम का तो पता लग ही जाता है। मनुष्य तो समझते कलियुग अभी बच्चा है। बिल्कुल घोर अन्धियारे में पड़े हुए हैं। अभी तुमको मुर्दों को जगाना है। सवेरे उठकर बाप को याद करना चाहिए। जिन सोया तिन खोया। यानी याद करने का जो समय है वह खोना नहीं है, नहीं तो मुर्दे के मुर्दे रह जायेंगे। कोई तो कली ही रह जाते हैं। बस, तूफान में अच्छी-अच्छी कलियां भी गिर जाती हैं। फूल भी गिरते हैं तो कलियां भी गिरती हैं। फिर जैसे कि कांटे के कांटे रह जाते हैं। दैवी घराने में तो आयेंगे परन्तु प्रजा में आयेंगे। तुम हो ही गुलाब के झाड़ के, परन्तु इसमें खुश नहीं होना चाहिए। भल मनुष्य गाते हैं फलाना स्वर्ग पधारा, परन्तु क्या बना? यह भी कारण होगा ना। यह तो बच्चे समझ सकते हैं जितना बाबा का मोस्ट सर्विसएबुल बच्चा होगा उतना वह बिलवेड भी मोस्ट होगा। यह तो कॉमन बात है। सपूत, आज्ञाकारी, इमानदार बच्चे माँ-बाप को प्यारे लगते हैं। माया बिल्कुल ही बेइमानदार बना देती है। पता भी नहीं पड़ता है कि हमसे बड़ी भारी ग़फलत होती है। बाप कहते हैं जो करेंगे उनको पाना ही है। ऐसा विकर्म नहीं करना जो सजा खानी पड़े। कोई विकर्मों की यहाँ भी सजा पा लेते हैं। कर्मभोग है। गर्भजेल में भी कर्मभोग है। उनसे बड़ा ख़बरदारी से छूटना है, माया बड़ी शैतान है इसलिए बिलवेड मोस्ट बाप को तो हर वक्त याद करते रहना चाहिए। जैसे लौकिक बाप अपने बच्चों को जानते हैं वैसे पारलौकिक बाप भी हर एक बच्चे को जानते हैं। बाप खुद बैठ बतलाते हैं - मैं एक ही इस तन में आता हूँ। कितने ढेर बच्चे हैं। अजुन तो ढेर आयेंगे। झाड़ बढ़ता है। भगवान् के आगे भक्तों की भीड़ होगी। शिव के मन्दिर में इतनी भीड़ नहीं होती। यहाँ तो तुम समझते हो कितनी भीड़ होगी। सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राजधानी स्थापन होनी है। इन बातों में बुद्धि बड़ी विशाल चाहिए। बरोबर भक्त जो इतनी भक्ति करते हैं, उनके सम्मुख भगवान् आयेंगे तो कितनी भीड़ होगी।
तुम जानते हो बाबा हमको राजयोग सिखला रहे हैं परन्तु घर में रहते हुए फिर भी भूल जाते हैं। यह ऐसी विचित्र बात है जो साथ रहते भी फिर भूल जाते हैं। इतना लॅव रिगार्ड नहीं रहता। सुई को कट लगी हुई होगी तो वह चुम्बक को खींच नहीं सकती। योग और ज्ञान भी हो तब कट निकल सके और परमात्मा की आशीर्वाद भी चाहिए ना। माया की जंक लगी हुई है, कोई चीज़ को जंक लगी हुई है तो घासलेट में डालते हैं। तुम्हारी भी योग से जंक निकलती है। आत्मा प्योर हो जाती है। तो बाप समझाते हैं - बच्चे, फूल बनकर दिखाओ। वह समय भी जल्दी आयेगा जो तुम किसके सामने बैठेंगे और झट उसको साक्षात्कार होने लगेंगे। ब्रह्मा और विष्णु का साक्षात्कार तो बहुतों को होता है। डायरेक्शन देते हैं - जाओ बी.के. के पास। ब्रह्मा भी बैठे हैं, ब्रह्माकुमार-कुमारियां भी बैठे हैं। आगे चलकर बहुतों को साक्षात्कार होगा। बाबा साक्षात्कार कराते हैं तुम वहाँ जाओ, मैं वहाँ राजयोग सिखला रहा हूँ, इससे तुम यह पद पा सकते हो। है भी सेकेण्ड की बात। मनमनाभव। मुझे याद करो तो तुम सूर्यवंशी बन जायेंगे। वहाँ हैं दैवी वंशी और यहाँ हैं असुर वंशी। कितना अच्छी रीति समझाया जाता है। कोई चीज़ को महीन करने के लिए कूटा जाता है ना। मकान का फाउन्डेशन पक्का करने के लिए कितनी मेहनत करते हैं। बाप भी कहते हैं जितना हो सके मुझे याद करो। शिवपुरी और विष्णुपुरी को याद करो। यह अन्दर अपने साथ बातें करनी चाहिए। पहले अपने से चिन्तन कर फिर बात करनी होती है - समझाने के लिए। तुमको भी समझाना है।
अब बच्चे एग्जीवीशन में कितनी मेहनत करते हैं। है सारी समझाने की बात। सिर्फ स्लोगन से तो कोई समझ न सके। बाप बैठ समझाते हैं देवी-देवताओं को राज्य कैसे मिला? किसने राजयोग सिखाया? भगवानुवाच - मैं राजयोग सिखलाता हूँ, कहता हूँ मुझे याद करो। शिवपुरी और विष्णुपुरी को याद करो। अब प्रदर्शनी में भी बच्चों को अच्छी रीति समझाना है। मेडीटेशन पर भी समझाना है। हम भी मेडीटेशन करते हैं। चलते-फिरते बाप को याद करते बाप से बातें करते रहते हैं। जैसे कोई प्रोग्राम से कहाँ जाना होता है तो बुद्धि में रहता है आज फलाने के पास हमको जाना है। प्रोग्राम मिला और बुद्धि दौड़ती रहेगी। समय नज़दीक आयेगा, समझेंगे अभी हमको जाना है। तुमको भी अन्दर में यह रहना चाहिए - बस, अभी हमको जाना है बाबा के पास। यह पुरानी खाल छोड़नी है। शिवपुरी में जाना है। इस रावणपुरी को छोड़ना है। यह बड़ी छी-छी गन्दी दुनिया है। अभी हम संगम पर बैठे हैं। यह आइरन एजड शरीर है। बाबा कहते हैं मुझे याद करते रहो तो तुम आत्माओं को शिवपुरी ले जाऊंगा। कृष्ण तो नहीं ले जायेगा। तो यह समझाने की बात है।
अब बाप कहते हैं मुझ शिवबाबा को याद करो। अभी तुम राजयोग सीख रहे हो। तुमको शिवपुरी में आना है, फिर विष्णुपुरी में चले आयेंगे। यह समझाना तो सहज है ना। शिव पुरी मुक्ति से होकर विष्णुपुरी (जीवनमुक्ति) में जाना है। सभी का बाप एक है। मुख्य यह समझाना है। बाकी कितना भी स्लोगन आदि बनायेंगे, मुफ्त खर्चा होता है। चित्र तो सब तुम्हारे पास हैं। कराची में तुम्हारे पास कितने आते थे। बड़े मैदान में टेबुल-कुर्सी रखी रहती थी। जो आते थे उनको बैठ समझाते थे। आगे तो इतना ज्ञान नहीं था। अभी तो बिल्कुल सहज ज्ञान मिला है। बाप को भी जानते हो। बाप है स्वर्ग का रचयिता। उनका फ़रमान है - मुझे और वर्से को याद करो। चित्र दिखाकर इस पर समझाओ। आगे तो समझाने से सुनते-सुनते ध्यान में चले जाते थे। उसी समय तो तुम छोटी-छोटी कलियां थी। बाबा का सारा चमत्कार था। रस्सी खींच लेते थे। अभी तो समझाने की बहुत जरूरत है। आजकल तो आदमी भी बड़े ख़राब हैं। फार्म भराने बिगर आक्यूपेशन का पता पड़ न सके। जैसे वह बैरिस्टरी आदि पढ़ाने वाले टीचर्स होते हैं ना। यह बेहद का बाप कितना बड़ा टीचर है। वह टीचर तो करके बैरिस्टर बनायेगा। बीच में शरीर छूट गया तो बैरिस्टरी भी ख़त्म। ऐसे थोड़ेही दूसरे जन्म में वह चलेगी। यहाँ तुम जो कुछ करते हो, वह साथ ले जाते हो। आत्मा में संस्कार रहते हैं। हाँ, छोटे बच्चे को आरगन्स छोटे हैं इसलिए बोल नहीं सकते हैं। कर्मेन्द्रियों से कुछ कर नहीं सकते परन्तु संस्कार तो ले जाते हैं ना। यह है अविनाशी ज्ञान, बड़ा होकर फिर आए ज्ञान लेंगे। वह आत्मा फिर से आयेगी जरूर। कहाँ न कहाँ किसका कल्याण करेगी। अपने मात-पिता को भी इस तरफ खीचेंगी। भल छोटा बच्चा होगा तो भी मम्मा-बाबा को देखने से ही उनका लॅव कशिश होगा। आरगन्स छोटे होने कारण बात तो नहीं कर सकेंगे। परन्तु लॅव जायेगा हमजिन्स तरफ।
तो यह नॉलेज बड़ी विचित्र, रमणीक और सिम्पुल है। कोई तो बिल्कुल ही ऐसे हैं जो कांटे का कांटा रह जाते हैं। सतयुग है गुलाब का झाड़। अभी तो कांटे हैं। फिर उनसे कोई मुखड़ियां निकल रही हैं। सदा गुलाब तो हैं फिर उनमें नम्बरवार हैं। प्रजा में भी आयेंगे ना। कली बन फिर मुरझाकर ख़त्म हो जायें, यह कोई पढ़ाई थोड़ेही हुई। मुखड़ी बंद की बंद रहेगी तो प्रजा में चले जायेंगे। जो फूल बनते हैं वह राजाई में आयेंगे। बाबा बगीचे में जाते हैं तो बच्चों को समझाने के लिए फूल भी ले आते हैं। अगर अभी पुरुषार्थ कर फूल न बनें तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा। एक तो विकर्मों का बोझा सिर पर है ही फिर और ही सजा खाकर प्रजा में पद पाना, वह किस काम का हुआ। यह तो समझते हो हमारी दैवी राजधानी स्थापन हो रही है। हर एक को समझ सकते हैं कौन-कौन क्या बनेंगे? दिल में रहेगा यह कहाँ तक पढ़ रहे हैं, क्या बनेंगे? अच्छा पढ़ने वाला होगा तो अन्दर प्यार करते रहेंगे। समझेंगे, यह राजाई में आयेंगे। आगे चलकर तुमको बहुत साक्षात्कार होंगे। न पढ़ने वाले फिर बहुत पछतायेंगे। समय बहुत थोड़ा है। फिर इतना गैलप भी कैसे करेंगे। बाप कहते हैं बच्चे बनकर और फिर अगर विकर्म करेंगे तो सौगुणा दण्ड भोगना पड़ेगा। जेल में जाने वाले कई चोरों का धन्धा ही यह हो जाता है - सज़ा खाना, जेल जाना।
अभी तुम पुरुषार्थ कर रहे हो ऊंच ते ऊंच महाराजा-महारानी सूर्यवंशी बनने का। नम्बरवार तो हैं ना। जो भागन्ती हो जायेंगे उनका क्या हाल हो जायेगा! बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं परन्तु तकदीर में नहीं है तो समझते नहीं फिर तो तदबीर कराने वाला क्या कर सकता है? बाप तो कहते हैं फूल बनो, बाप को भूलो मत। ऐसे बाप का हाथ कभी नहीं छोड़ना। माया अजगर कच्चा खा जायेगा। ऐसी ग़फलत नहीं करनी है जो अपना राज्य-भाग्य गँवा बैठो। फिर कल्प-कल्पान्तर ऐसी चलन देखने में आयेगी जैसे अभी देखते हैं। कोई की सतोप्रधान चलन है, कोई की रजो, कोई की तमो........। ग्रहचारी भी अच्छे-अच्छे बच्चों पर बड़ी कड़ी बैठती है। अन्दर के काले, बाहर के अच्छे। ग़फलत होगी तो आत्मा काली हो पड़ेगी। परछाया काला पड़ता है इसलिए बाबा कहते हैं - एक कान से सुन, दूसरे कान से फिर निकाल दो, ईविल बातों के लिए कान बन्द कर दो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा विकर्म विनाश करने की लगन में रहना है। कोई भी विकर्म अभी न हो, इसकी सम्भाल करनी है।
2) माया की ग्रहचारी से बचने के लिए ईविल बातों से कान बन्द कर लेने हैं। अपनी चलन सतो-प्रधान बनानी है। अन्दर बाहर साफ रहना है।
वरदान:-
अमृतवेले के फाउण्डेशन द्वारा सारे दिन की दिनचर्या को ठीक रखने वाले सहज पुरुषार्थी भव
जैसे ट्रेन को पटरी पर खड़ा कर देते हैं तो आटोमेटिकली रास्ते पर चलती रहती है, ऐसे ही रोज़ अमृतवेले याद की लकीर पर खड़े हो जाओ। अमृतवेला ठीक है तो सारा दिन ठीक हो जायेगा। अमृतवेले का फाउण्डेशन पक्का है तो सारा दिन स्वत: सहयोग मिलता रहेगा और पुरुषार्थ भी सहज हो जायेगा। जो सदा बाप की याद और श्रीमत की लकीर के अन्दर रहने वाली ऐसी सच्ची सीतायें हैं उनके नस-नस में एक राम की स्मृति का आवाज रहता है।
स्लोगन:-
बाबा की मदद को कैच करना है तो बुद्धि को एकाग्र कर लो।
21/09/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, by having love and regard for the Father, you will continue to receive the Father's blessings and the rust of Maya will continue to be removed.
Question:
Why is it that some buds in this living garden do not bloom at all, but remain buds all the time?
Answer:
Because there is laziness in their efforts. They remain sleeping at the time of remembrance. Those who remain sleeping waste their time like that. Those who remain sleeping lose everything. They remain closed buds. Constantly blooming roses are those who have all-round parts in the deity religion.
Song:
This time is passing by.
Om Shanti
Who explained this? The unlimited Father explained to you children. Only a short time, that is, only a few more minutes of the unlimited time remains. The hours have gone by; now only a few minutes remain. The good sensible children know this; it is numberwise. Roses are also numberwise. There are roses here, too, but some are closed buds and some have opened a little. Your deity religion is like roses in bloom; they are the ones who always play all-round parts. You are the roses in bloom of the highest of all religions. Those of other religions are numberwise. Some are like magnolias, some like jasmine flowers, some like tangars (other fragrant flowers) and others are like ucks (those with a bitter smell). There is the garden. This is the garden of all religions. You daughters know that the highest-on-high religion is that of the deities. When it is not the season, there aren't even tightly closed buds or any buds or flowers. (Baba had brought various flowers from the garden – a big rose, a small rose, another small flower, one half opened bud, one bud, a closed bud and a newly-born bud – and placed these on the gaddi.) Look, among the closed buds, some are still weak, some have only half opened. Some are flowers and others are closed buds. Some wilt and they don't bloom at all. It is truly like that, is it not? So, the Father says: Don't be lazy in your efforts. Make sure you don't just remain a bud. Some only reach half-way; it is numberwise. It is understood what status someone would claim in that situation. There is very little time. A clock has been made, but the hands of the clock cannot be changed. You should create it cleverly so that that sign remains. The hands began here and have now reached here. The hands start at zero and will finish at 12. So, in this cycle too, the deity religion emerged first and it is now the end. You would begin to count from the time the Father came. Therefore, the Father says: Children, don’t waste your time. Continue to remember the Father. To the extent that you remember Him, accordingly your sins will be absolved. Everyone continues to commit sin. None of you should think that you don’t commit sin; no one should have that much arrogance. There are also many incognito sins committed. You have to be very cautious about them. From this clock, you become aware of the time. People think that the iron age is still a child. They are in extreme darkness. You now have to awaken the corpses. You should wake up early in the morning and remember the Father. Those who remain sleeping lose out, that is, you mustn’t waste the time that is for remembrance. Otherwise, you will remain like corpses. Some remain buds. In storms, even good buds fall. Flowers as well as buds fall. They then remain as they were, like thorns. They will become part of the deity dynasty, but as subjects. You belong to the rose tree, but you mustn’t become happy with just that. Although people say that so-and-so went to heaven, what did he become? There must be a reason for that. You children can understand that you would become most beloved to the extent you are a most serviceable child of Baba’s. This is something common. Worthy, obedient and honest children are loved by their parents. Maya makes you completely dishonest. You are not even able to realise when you are making a great mistake. The Father says: Those who do something definitely have to receive the reward of that. You mustn’t commit any sin for which you would have to experience punishment. Some experience the punishment of their sins here. There is the suffering of karma. There is the suffering of karma in the jail of a womb. You have to be liberated from that with great caution. Maya is very devilish and this is why you should continue to remember the most beloved Father at every moment. Just as a physical father knows his children, in the same way, the spiritual Father also knows each and every child. The Father Himself sits here and tells you: I only come into this one body. There are so many children, and many more will come. The tree continues to grow. There will be a crowd of devotees in front of God. There wouldn’t be as great a crowd in the Shiva Temple. Here, you understand how many crowds there will be. The sun and moon dynasty kingdoms are to be established. You need a very broad and unlimited intellect for these things. When God truly comes in front of the devotees who perform so much devotion, there will be such a great crowd. You know that Baba is teaching us Raja Yoga, but you still forget Him while living at home. This is something so unique that, even though you live together, you forget. There isn’t that much love and regard. If a needle is rusty, a magnet wouldn’t be able to pull it. Only when there is knowledge and yoga can the rust be removed. You also need God’s blessings. Souls are covered with the rust of Maya. Anything that is rusty is immersed in kerosene. Your rust is removed by yoga and the soul also becomes pure. Therefore, the Father explains: Children, make yourself into flowers. The time will also come soon when whoever you sit in front of will immediately begin to have visions. So many have visions of Brahma or Vishnu. They give them a direction to go to the BKs. Brahma is sitting there and there are also the Brahma Kumars and Brahma Kumaris. As you progress further, many will have visions. Baba gives a vision: Go there. I am teaching Raja Yoga there and, through that, you can claim such-and-such a status. This is a matter of a second. Manmanbhav, remember Me and you will become part of the sun dynasty. There, it is the deity clan whereas here, it is the devilish clan. This is explained to you so clearly. In order to make something fine, it is ground. They make so much effort to make the foundation of a building strong. The Father also says: Remember Me as much as possible. Remember the land of Shiva and the land of Vishnu. Continue to talk to yourself internally in this way. First think about these things , then talk to yourself about them in order to understand and explain to others. Some children make so much effort for the exhibitions. It is all a matter of explaining. No one would be able to understand with just slogans. The Father sits here and explains how the deities received their kingdom. Who taught them Raja Yoga? God speaks: I teach Raja Yoga. I tell you to remember Me. Remember the land of Shiva and the land of Vishnu. You children now have to explain very clearly at the exhibitions. You also have to explain about meditation. We also practise meditation. While walking and moving around, we remember the Father and continue to talk to Him. When you have to go to a programme, your intellect is aware: Today, I have to go to so-and-so. As soon as you receive a programme, your intellect runs in that direction. When the time comes close, you will understand that you now have to go there. You should also feel inside: That’s it! We now have to go to Baba. We have to shed these old skins. We have to leave this land of Ravan and go to the land of Shiva. This world is very dirty. We are now sitting at the confluence age. These are iron-aged bodies. Baba says: Remember Me and I will take you souls to the land of Shiva. Krishna will not take you there. These matters have to be explained. Now the Father says: Remember Me, Shiv Baba. You are now studying Raja Yoga. You have to go to the land of Shiva and you will then automatically go to the land of Vishnu. It is easy to explain this. You will go from the land of Shiva, the land of liberation, to the land of Vishnu, the land of liberation-in-life. The Father of all is the One. You have to explain this main thing. No matter how many slogans etc. you make, that is unnecessary expense. You have all the pictures etc. In Karachi, so many used to come to you. You used to keep a table and chair outside on the big area of ground. You would sit and explain to whoever came there. Previously, there wasn’t that much knowledge. You have now received easy knowledge. You also know the Father. The Father is the Creator of heaven. His order is: Remember Me and the inheritance. Show the picture and explain that. Previously, when you used to explain the pictures, while they were listening to you they would go into trance. At that time, you were small buds. All of that was Baba’s magic. He used to pull the string. There is now a great need to explain everything. Nowadays, people are very bad. You cannot tell what someone’s occupation is unless you ask him to fill in a form. Just as there are those teachers etc. who teach you how to become a barrister, so too, this unlimited Father is such a great Teacher. Those teachers would perhaps make you into a barrister. However, if you shed your body while studying, everything you had studied to become a barrister would be finished. It isn’t that that study will continue in the next birth. Whatever you do here, you take that with you. A soul has the sanskars within him. Yes, little children have small organs and are therefore unable to speak. They are unable to do anything with their physical organs, but they do carry those sanskars with them. This knowledge is imperishable, so they will come and take knowledge when they grow older. That soul will definitely come here again. He will bring benefit to someone, somewhere or other. He will pull his parents in this direction. Although he will be a small child, as soon as he sees Mama and Baba, there will be a pull of that love. Because the physical organs are small, he wouldn’t be able to speak, but there would be that love for his equals. So, this knowledge is very unique, entertaining and simple. Some are such that they remain as they are, like thorns. The golden age is a rose tree. You are now thorns. Then, some closed buds emerge from that. There are those who are constant roses, but they are still numberwise. They will become part of the subjects. To become a bud and then wilt and die is as though you have not studied. If a bud remains closed, that one will end up among the subjects. Those who become flowers will become part of the kingdom. When Baba goes into the garden, He brings flowers from there in order to explain to you children. If you don’t make effort and become a flower now, there will be a lot of repentance later on. Firstly, there is already the burden on your heads of the sins committed. So then, of what use is it to experience punishment and then claim a status among the subjects? You understand that your deity kingdom is being established. Baba can understand what each one of you will become. It will remain in His heart to what extent you study and what you will become. If someone studies well, He will continue to have that love inside. He would understand that you will become part of the kingdom. As you progress further, you will have many visions. Those who don’t study will repent a lot at that time. There is very little time left. So, how will you be able to gallop sufficiently? The Father says: If you perform sinful actions after becoming a child, there will have to be one hundred-fold punishment. It becomes the business of many thieves who go to jail: to experience punishment and go to jail. You are now making effort to become the highest-on-high sun-dynasty emperors and empresses. It is numberwise. What will be the condition of those who run away? The Father explains to you so well, but if it is not in your fortune and you don’t understand, what can the One who inspires you to make effort do? The Father says: Become a flower. Don’t forget the Father. Never let go of the hand of such a Father. Maya, the snake, will swallow you raw. Don’t make any mistakes so that you lose your fortune of the kingdom. Your activity of every cycle would then be seen to be the same as your activity of this time. Some have satopradhan behaviour, some have rajo and others have tamo behaviour. Some very good children have very severe omens over them. Internally, they are ugly whereas externally they look good. If you make any mistakes, the soul will become ugly. There is then a dark shadow. This is why Baba says: Hear it through one ear and let it out through the other: close your ears to anything evil. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Always have the deep desire to have your sins absolved. Take care that you don’t commit any sins now.
2. In order to remain safe from the eclipse of the omens of Maya, close your ears to evil things. Let your behaviour be satopradhan. Remain clean inside and out.
Blessing:
May you be an easy effort-maker and keep your daily timetable accurate with the foundation of amrit vela.
Just as a train automatically moves along fine when it is on the rails, similarly, remain concentrated each day, on the line of remembrance at amrit vela. If amrit vela is fine, then the rest of the day will be fine. If the foundation of amrit vela is firm, you will then continue to receive co-operation for the whole day and your efforts will become easy. Those who are true Sitas and constantly stay within the line of remembrance and shrimat of the Father remains aware of the one Rama in their every vein.
Slogan:
In order to catch Baba’s help, keep your intellect concentrated.
''मीठे बच्चे - बाप से लॅव और रिगार्ड रखो तो बाप की आशीर्वाद मिलती रहेगी, माया की जंक उतरती जायेगी''
प्रश्नः-
इस चैतन्य बगीचे में कई फूल खिलते ही नहीं, कली के कली रह जाते हैं - क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि पुरुषार्थ में सुस्ती है, याद करने का जो समय है उसमें सोये रहते हैं। सोने वाले अपना समय ऐसे ही गंवा देते हैं। जिन सोया तिन खोया। बन्द कली ही रह जाती। सदा गुलाब के फूल वह हैं जो देवी-देवता धर्म के आलराउन्ड पार्टधारी हैं।
गीत:-
यह वक्त जा रहा है...
ओम् शान्ति।
यह किसने समझाया? बेहद के बाप ने समझाया बच्चों को। बेहद की जो घड़ी है उसमें अभी बाकी थोड़ा टाइम अथवा कुछ मिनट रहे हैं। घण्टे गये, बाकी कुछ मिनट रहे हैं। जो अच्छे सेन्सीबुल बच्चे हैं वह जानते हैं, नम्बरवार तो हैं ना। गुलाब के फूल होते हैं उनमें भी नम्बरवार होते हैं। यहाँ भी गुलाब के फूल हैं लेकिन उसमें कोई बन्द कली हैं, कोई थोड़ा खिले हुए हैं। तुम्हारा देवी-देवता धर्म भी जैसे सदा गुलाब है, सदा आलराउन्ड पार्ट बजाने वाले। तुम सभी धर्मों में ऊंच ते ऊंच धर्म वाले सदा गुलाब हो। दूसरे धर्म वाले फिर नम्बरवार हैं, कोई चम्पा हैं, कोई चमेली हैं, कोई टांगर हैं, कोई अक है। बगीचा तो है ना। सभी धर्मों का बगीचा है। बच्चियां जानती हैं ऊंच ते ऊंच धर्म है ही देवी-देवताओं का। जब सीजन नहीं होती है तब मुखड़ी भी नहीं रहती, कली फूल भी नहीं रहते हैं। (बाबा ने आज बगीचे से एक बड़ा गुलाब का फूल, एक छोटा फूल, एक आधा खिला हुआ फूल, एक कली, एक बन्द कली, एक मुखड़ी... ऐसे वैरायटी लाकर संदली पर रखा है) अब देखो, मुखड़ी भी कोई कच्ची है, कोई आधा खिली हुई है। कोई फूल है, कोई बंद कलियां हैं। कोई मुरझा जाते हैं, बिल्कुल खिलते ही नहीं। बरोबर ऐसा है ना। तो बाप कहते हैं पुरुषार्थ में सुस्ती न करो। ऐसे कली के कली न रह जाओ। कोई आधा में रह जाते, नम्बरवार हैं। समझा जाता है इस हालत में यह क्या पद पायेंगे? समय बहुत थोड़ा है। घड़ी बनाई है, कांटे को अब बदल तो नहीं सकते हैं। युक्ति से ऐसे बनाना चाहिए, जो निशानी रहे। यहाँ से शुरू हो कांटा अब यहाँ तक आकर पहुँचा है। जीरो से शुरू हो फिर कांटा 12 तक आकर पूरा होता है। तो इस चक्र में भी पहले देवी-देवता धर्म निकला, अभी है अन्त। जब से बाप आया है तब से गिना जाता है।
तो बाप कहते हैं - बच्चे, टाइम वेस्ट मत करो। बाप को याद करते रहो। जितना याद करेंगे उतना विकर्म विनाश होंगे। विकर्म तो सबसे होते रहते हैं। ऐसे कोई मत समझे कि हमसे नहीं होता है। इतना अहंकार कोई मत रखे। विकर्म तो बहुत ही गुप्त भी बनते हैं। उनसे बड़ी सम्भाल रखनी है। इस घड़ी से तुमको टाइम का तो पता लग ही जाता है। मनुष्य तो समझते कलियुग अभी बच्चा है। बिल्कुल घोर अन्धियारे में पड़े हुए हैं। अभी तुमको मुर्दों को जगाना है। सवेरे उठकर बाप को याद करना चाहिए। जिन सोया तिन खोया। यानी याद करने का जो समय है वह खोना नहीं है, नहीं तो मुर्दे के मुर्दे रह जायेंगे। कोई तो कली ही रह जाते हैं। बस, तूफान में अच्छी-अच्छी कलियां भी गिर जाती हैं। फूल भी गिरते हैं तो कलियां भी गिरती हैं। फिर जैसे कि कांटे के कांटे रह जाते हैं। दैवी घराने में तो आयेंगे परन्तु प्रजा में आयेंगे। तुम हो ही गुलाब के झाड़ के, परन्तु इसमें खुश नहीं होना चाहिए। भल मनुष्य गाते हैं फलाना स्वर्ग पधारा, परन्तु क्या बना? यह भी कारण होगा ना। यह तो बच्चे समझ सकते हैं जितना बाबा का मोस्ट सर्विसएबुल बच्चा होगा उतना वह बिलवेड भी मोस्ट होगा। यह तो कॉमन बात है। सपूत, आज्ञाकारी, इमानदार बच्चे माँ-बाप को प्यारे लगते हैं। माया बिल्कुल ही बेइमानदार बना देती है। पता भी नहीं पड़ता है कि हमसे बड़ी भारी ग़फलत होती है। बाप कहते हैं जो करेंगे उनको पाना ही है। ऐसा विकर्म नहीं करना जो सजा खानी पड़े। कोई विकर्मों की यहाँ भी सजा पा लेते हैं। कर्मभोग है। गर्भजेल में भी कर्मभोग है। उनसे बड़ा ख़बरदारी से छूटना है, माया बड़ी शैतान है इसलिए बिलवेड मोस्ट बाप को तो हर वक्त याद करते रहना चाहिए। जैसे लौकिक बाप अपने बच्चों को जानते हैं वैसे पारलौकिक बाप भी हर एक बच्चे को जानते हैं। बाप खुद बैठ बतलाते हैं - मैं एक ही इस तन में आता हूँ। कितने ढेर बच्चे हैं। अजुन तो ढेर आयेंगे। झाड़ बढ़ता है। भगवान् के आगे भक्तों की भीड़ होगी। शिव के मन्दिर में इतनी भीड़ नहीं होती। यहाँ तो तुम समझते हो कितनी भीड़ होगी। सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राजधानी स्थापन होनी है। इन बातों में बुद्धि बड़ी विशाल चाहिए। बरोबर भक्त जो इतनी भक्ति करते हैं, उनके सम्मुख भगवान् आयेंगे तो कितनी भीड़ होगी।
तुम जानते हो बाबा हमको राजयोग सिखला रहे हैं परन्तु घर में रहते हुए फिर भी भूल जाते हैं। यह ऐसी विचित्र बात है जो साथ रहते भी फिर भूल जाते हैं। इतना लॅव रिगार्ड नहीं रहता। सुई को कट लगी हुई होगी तो वह चुम्बक को खींच नहीं सकती। योग और ज्ञान भी हो तब कट निकल सके और परमात्मा की आशीर्वाद भी चाहिए ना। माया की जंक लगी हुई है, कोई चीज़ को जंक लगी हुई है तो घासलेट में डालते हैं। तुम्हारी भी योग से जंक निकलती है। आत्मा प्योर हो जाती है। तो बाप समझाते हैं - बच्चे, फूल बनकर दिखाओ। वह समय भी जल्दी आयेगा जो तुम किसके सामने बैठेंगे और झट उसको साक्षात्कार होने लगेंगे। ब्रह्मा और विष्णु का साक्षात्कार तो बहुतों को होता है। डायरेक्शन देते हैं - जाओ बी.के. के पास। ब्रह्मा भी बैठे हैं, ब्रह्माकुमार-कुमारियां भी बैठे हैं। आगे चलकर बहुतों को साक्षात्कार होगा। बाबा साक्षात्कार कराते हैं तुम वहाँ जाओ, मैं वहाँ राजयोग सिखला रहा हूँ, इससे तुम यह पद पा सकते हो। है भी सेकेण्ड की बात। मनमनाभव। मुझे याद करो तो तुम सूर्यवंशी बन जायेंगे। वहाँ हैं दैवी वंशी और यहाँ हैं असुर वंशी। कितना अच्छी रीति समझाया जाता है। कोई चीज़ को महीन करने के लिए कूटा जाता है ना। मकान का फाउन्डेशन पक्का करने के लिए कितनी मेहनत करते हैं। बाप भी कहते हैं जितना हो सके मुझे याद करो। शिवपुरी और विष्णुपुरी को याद करो। यह अन्दर अपने साथ बातें करनी चाहिए। पहले अपने से चिन्तन कर फिर बात करनी होती है - समझाने के लिए। तुमको भी समझाना है।
अब बच्चे एग्जीवीशन में कितनी मेहनत करते हैं। है सारी समझाने की बात। सिर्फ स्लोगन से तो कोई समझ न सके। बाप बैठ समझाते हैं देवी-देवताओं को राज्य कैसे मिला? किसने राजयोग सिखाया? भगवानुवाच - मैं राजयोग सिखलाता हूँ, कहता हूँ मुझे याद करो। शिवपुरी और विष्णुपुरी को याद करो। अब प्रदर्शनी में भी बच्चों को अच्छी रीति समझाना है। मेडीटेशन पर भी समझाना है। हम भी मेडीटेशन करते हैं। चलते-फिरते बाप को याद करते बाप से बातें करते रहते हैं। जैसे कोई प्रोग्राम से कहाँ जाना होता है तो बुद्धि में रहता है आज फलाने के पास हमको जाना है। प्रोग्राम मिला और बुद्धि दौड़ती रहेगी। समय नज़दीक आयेगा, समझेंगे अभी हमको जाना है। तुमको भी अन्दर में यह रहना चाहिए - बस, अभी हमको जाना है बाबा के पास। यह पुरानी खाल छोड़नी है। शिवपुरी में जाना है। इस रावणपुरी को छोड़ना है। यह बड़ी छी-छी गन्दी दुनिया है। अभी हम संगम पर बैठे हैं। यह आइरन एजड शरीर है। बाबा कहते हैं मुझे याद करते रहो तो तुम आत्माओं को शिवपुरी ले जाऊंगा। कृष्ण तो नहीं ले जायेगा। तो यह समझाने की बात है।
अब बाप कहते हैं मुझ शिवबाबा को याद करो। अभी तुम राजयोग सीख रहे हो। तुमको शिवपुरी में आना है, फिर विष्णुपुरी में चले आयेंगे। यह समझाना तो सहज है ना। शिव पुरी मुक्ति से होकर विष्णुपुरी (जीवनमुक्ति) में जाना है। सभी का बाप एक है। मुख्य यह समझाना है। बाकी कितना भी स्लोगन आदि बनायेंगे, मुफ्त खर्चा होता है। चित्र तो सब तुम्हारे पास हैं। कराची में तुम्हारे पास कितने आते थे। बड़े मैदान में टेबुल-कुर्सी रखी रहती थी। जो आते थे उनको बैठ समझाते थे। आगे तो इतना ज्ञान नहीं था। अभी तो बिल्कुल सहज ज्ञान मिला है। बाप को भी जानते हो। बाप है स्वर्ग का रचयिता। उनका फ़रमान है - मुझे और वर्से को याद करो। चित्र दिखाकर इस पर समझाओ। आगे तो समझाने से सुनते-सुनते ध्यान में चले जाते थे। उसी समय तो तुम छोटी-छोटी कलियां थी। बाबा का सारा चमत्कार था। रस्सी खींच लेते थे। अभी तो समझाने की बहुत जरूरत है। आजकल तो आदमी भी बड़े ख़राब हैं। फार्म भराने बिगर आक्यूपेशन का पता पड़ न सके। जैसे वह बैरिस्टरी आदि पढ़ाने वाले टीचर्स होते हैं ना। यह बेहद का बाप कितना बड़ा टीचर है। वह टीचर तो करके बैरिस्टर बनायेगा। बीच में शरीर छूट गया तो बैरिस्टरी भी ख़त्म। ऐसे थोड़ेही दूसरे जन्म में वह चलेगी। यहाँ तुम जो कुछ करते हो, वह साथ ले जाते हो। आत्मा में संस्कार रहते हैं। हाँ, छोटे बच्चे को आरगन्स छोटे हैं इसलिए बोल नहीं सकते हैं। कर्मेन्द्रियों से कुछ कर नहीं सकते परन्तु संस्कार तो ले जाते हैं ना। यह है अविनाशी ज्ञान, बड़ा होकर फिर आए ज्ञान लेंगे। वह आत्मा फिर से आयेगी जरूर। कहाँ न कहाँ किसका कल्याण करेगी। अपने मात-पिता को भी इस तरफ खीचेंगी। भल छोटा बच्चा होगा तो भी मम्मा-बाबा को देखने से ही उनका लॅव कशिश होगा। आरगन्स छोटे होने कारण बात तो नहीं कर सकेंगे। परन्तु लॅव जायेगा हमजिन्स तरफ।
तो यह नॉलेज बड़ी विचित्र, रमणीक और सिम्पुल है। कोई तो बिल्कुल ही ऐसे हैं जो कांटे का कांटा रह जाते हैं। सतयुग है गुलाब का झाड़। अभी तो कांटे हैं। फिर उनसे कोई मुखड़ियां निकल रही हैं। सदा गुलाब तो हैं फिर उनमें नम्बरवार हैं। प्रजा में भी आयेंगे ना। कली बन फिर मुरझाकर ख़त्म हो जायें, यह कोई पढ़ाई थोड़ेही हुई। मुखड़ी बंद की बंद रहेगी तो प्रजा में चले जायेंगे। जो फूल बनते हैं वह राजाई में आयेंगे। बाबा बगीचे में जाते हैं तो बच्चों को समझाने के लिए फूल भी ले आते हैं। अगर अभी पुरुषार्थ कर फूल न बनें तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा। एक तो विकर्मों का बोझा सिर पर है ही फिर और ही सजा खाकर प्रजा में पद पाना, वह किस काम का हुआ। यह तो समझते हो हमारी दैवी राजधानी स्थापन हो रही है। हर एक को समझ सकते हैं कौन-कौन क्या बनेंगे? दिल में रहेगा यह कहाँ तक पढ़ रहे हैं, क्या बनेंगे? अच्छा पढ़ने वाला होगा तो अन्दर प्यार करते रहेंगे। समझेंगे, यह राजाई में आयेंगे। आगे चलकर तुमको बहुत साक्षात्कार होंगे। न पढ़ने वाले फिर बहुत पछतायेंगे। समय बहुत थोड़ा है। फिर इतना गैलप भी कैसे करेंगे। बाप कहते हैं बच्चे बनकर और फिर अगर विकर्म करेंगे तो सौगुणा दण्ड भोगना पड़ेगा। जेल में जाने वाले कई चोरों का धन्धा ही यह हो जाता है - सज़ा खाना, जेल जाना।
अभी तुम पुरुषार्थ कर रहे हो ऊंच ते ऊंच महाराजा-महारानी सूर्यवंशी बनने का। नम्बरवार तो हैं ना। जो भागन्ती हो जायेंगे उनका क्या हाल हो जायेगा! बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं परन्तु तकदीर में नहीं है तो समझते नहीं फिर तो तदबीर कराने वाला क्या कर सकता है? बाप तो कहते हैं फूल बनो, बाप को भूलो मत। ऐसे बाप का हाथ कभी नहीं छोड़ना। माया अजगर कच्चा खा जायेगा। ऐसी ग़फलत नहीं करनी है जो अपना राज्य-भाग्य गँवा बैठो। फिर कल्प-कल्पान्तर ऐसी चलन देखने में आयेगी जैसे अभी देखते हैं। कोई की सतोप्रधान चलन है, कोई की रजो, कोई की तमो........। ग्रहचारी भी अच्छे-अच्छे बच्चों पर बड़ी कड़ी बैठती है। अन्दर के काले, बाहर के अच्छे। ग़फलत होगी तो आत्मा काली हो पड़ेगी। परछाया काला पड़ता है इसलिए बाबा कहते हैं - एक कान से सुन, दूसरे कान से फिर निकाल दो, ईविल बातों के लिए कान बन्द कर दो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा विकर्म विनाश करने की लगन में रहना है। कोई भी विकर्म अभी न हो, इसकी सम्भाल करनी है।
2) माया की ग्रहचारी से बचने के लिए ईविल बातों से कान बन्द कर लेने हैं। अपनी चलन सतो-प्रधान बनानी है। अन्दर बाहर साफ रहना है।
वरदान:-
अमृतवेले के फाउण्डेशन द्वारा सारे दिन की दिनचर्या को ठीक रखने वाले सहज पुरुषार्थी भव
जैसे ट्रेन को पटरी पर खड़ा कर देते हैं तो आटोमेटिकली रास्ते पर चलती रहती है, ऐसे ही रोज़ अमृतवेले याद की लकीर पर खड़े हो जाओ। अमृतवेला ठीक है तो सारा दिन ठीक हो जायेगा। अमृतवेले का फाउण्डेशन पक्का है तो सारा दिन स्वत: सहयोग मिलता रहेगा और पुरुषार्थ भी सहज हो जायेगा। जो सदा बाप की याद और श्रीमत की लकीर के अन्दर रहने वाली ऐसी सच्ची सीतायें हैं उनके नस-नस में एक राम की स्मृति का आवाज रहता है।
स्लोगन:-
बाबा की मदद को कैच करना है तो बुद्धि को एकाग्र कर लो।
21/09/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, by having love and regard for the Father, you will continue to receive the Father's blessings and the rust of Maya will continue to be removed.
Question:
Why is it that some buds in this living garden do not bloom at all, but remain buds all the time?
Answer:
Because there is laziness in their efforts. They remain sleeping at the time of remembrance. Those who remain sleeping waste their time like that. Those who remain sleeping lose everything. They remain closed buds. Constantly blooming roses are those who have all-round parts in the deity religion.
Song:
This time is passing by.
Om Shanti
Who explained this? The unlimited Father explained to you children. Only a short time, that is, only a few more minutes of the unlimited time remains. The hours have gone by; now only a few minutes remain. The good sensible children know this; it is numberwise. Roses are also numberwise. There are roses here, too, but some are closed buds and some have opened a little. Your deity religion is like roses in bloom; they are the ones who always play all-round parts. You are the roses in bloom of the highest of all religions. Those of other religions are numberwise. Some are like magnolias, some like jasmine flowers, some like tangars (other fragrant flowers) and others are like ucks (those with a bitter smell). There is the garden. This is the garden of all religions. You daughters know that the highest-on-high religion is that of the deities. When it is not the season, there aren't even tightly closed buds or any buds or flowers. (Baba had brought various flowers from the garden – a big rose, a small rose, another small flower, one half opened bud, one bud, a closed bud and a newly-born bud – and placed these on the gaddi.) Look, among the closed buds, some are still weak, some have only half opened. Some are flowers and others are closed buds. Some wilt and they don't bloom at all. It is truly like that, is it not? So, the Father says: Don't be lazy in your efforts. Make sure you don't just remain a bud. Some only reach half-way; it is numberwise. It is understood what status someone would claim in that situation. There is very little time. A clock has been made, but the hands of the clock cannot be changed. You should create it cleverly so that that sign remains. The hands began here and have now reached here. The hands start at zero and will finish at 12. So, in this cycle too, the deity religion emerged first and it is now the end. You would begin to count from the time the Father came. Therefore, the Father says: Children, don’t waste your time. Continue to remember the Father. To the extent that you remember Him, accordingly your sins will be absolved. Everyone continues to commit sin. None of you should think that you don’t commit sin; no one should have that much arrogance. There are also many incognito sins committed. You have to be very cautious about them. From this clock, you become aware of the time. People think that the iron age is still a child. They are in extreme darkness. You now have to awaken the corpses. You should wake up early in the morning and remember the Father. Those who remain sleeping lose out, that is, you mustn’t waste the time that is for remembrance. Otherwise, you will remain like corpses. Some remain buds. In storms, even good buds fall. Flowers as well as buds fall. They then remain as they were, like thorns. They will become part of the deity dynasty, but as subjects. You belong to the rose tree, but you mustn’t become happy with just that. Although people say that so-and-so went to heaven, what did he become? There must be a reason for that. You children can understand that you would become most beloved to the extent you are a most serviceable child of Baba’s. This is something common. Worthy, obedient and honest children are loved by their parents. Maya makes you completely dishonest. You are not even able to realise when you are making a great mistake. The Father says: Those who do something definitely have to receive the reward of that. You mustn’t commit any sin for which you would have to experience punishment. Some experience the punishment of their sins here. There is the suffering of karma. There is the suffering of karma in the jail of a womb. You have to be liberated from that with great caution. Maya is very devilish and this is why you should continue to remember the most beloved Father at every moment. Just as a physical father knows his children, in the same way, the spiritual Father also knows each and every child. The Father Himself sits here and tells you: I only come into this one body. There are so many children, and many more will come. The tree continues to grow. There will be a crowd of devotees in front of God. There wouldn’t be as great a crowd in the Shiva Temple. Here, you understand how many crowds there will be. The sun and moon dynasty kingdoms are to be established. You need a very broad and unlimited intellect for these things. When God truly comes in front of the devotees who perform so much devotion, there will be such a great crowd. You know that Baba is teaching us Raja Yoga, but you still forget Him while living at home. This is something so unique that, even though you live together, you forget. There isn’t that much love and regard. If a needle is rusty, a magnet wouldn’t be able to pull it. Only when there is knowledge and yoga can the rust be removed. You also need God’s blessings. Souls are covered with the rust of Maya. Anything that is rusty is immersed in kerosene. Your rust is removed by yoga and the soul also becomes pure. Therefore, the Father explains: Children, make yourself into flowers. The time will also come soon when whoever you sit in front of will immediately begin to have visions. So many have visions of Brahma or Vishnu. They give them a direction to go to the BKs. Brahma is sitting there and there are also the Brahma Kumars and Brahma Kumaris. As you progress further, many will have visions. Baba gives a vision: Go there. I am teaching Raja Yoga there and, through that, you can claim such-and-such a status. This is a matter of a second. Manmanbhav, remember Me and you will become part of the sun dynasty. There, it is the deity clan whereas here, it is the devilish clan. This is explained to you so clearly. In order to make something fine, it is ground. They make so much effort to make the foundation of a building strong. The Father also says: Remember Me as much as possible. Remember the land of Shiva and the land of Vishnu. Continue to talk to yourself internally in this way. First think about these things , then talk to yourself about them in order to understand and explain to others. Some children make so much effort for the exhibitions. It is all a matter of explaining. No one would be able to understand with just slogans. The Father sits here and explains how the deities received their kingdom. Who taught them Raja Yoga? God speaks: I teach Raja Yoga. I tell you to remember Me. Remember the land of Shiva and the land of Vishnu. You children now have to explain very clearly at the exhibitions. You also have to explain about meditation. We also practise meditation. While walking and moving around, we remember the Father and continue to talk to Him. When you have to go to a programme, your intellect is aware: Today, I have to go to so-and-so. As soon as you receive a programme, your intellect runs in that direction. When the time comes close, you will understand that you now have to go there. You should also feel inside: That’s it! We now have to go to Baba. We have to shed these old skins. We have to leave this land of Ravan and go to the land of Shiva. This world is very dirty. We are now sitting at the confluence age. These are iron-aged bodies. Baba says: Remember Me and I will take you souls to the land of Shiva. Krishna will not take you there. These matters have to be explained. Now the Father says: Remember Me, Shiv Baba. You are now studying Raja Yoga. You have to go to the land of Shiva and you will then automatically go to the land of Vishnu. It is easy to explain this. You will go from the land of Shiva, the land of liberation, to the land of Vishnu, the land of liberation-in-life. The Father of all is the One. You have to explain this main thing. No matter how many slogans etc. you make, that is unnecessary expense. You have all the pictures etc. In Karachi, so many used to come to you. You used to keep a table and chair outside on the big area of ground. You would sit and explain to whoever came there. Previously, there wasn’t that much knowledge. You have now received easy knowledge. You also know the Father. The Father is the Creator of heaven. His order is: Remember Me and the inheritance. Show the picture and explain that. Previously, when you used to explain the pictures, while they were listening to you they would go into trance. At that time, you were small buds. All of that was Baba’s magic. He used to pull the string. There is now a great need to explain everything. Nowadays, people are very bad. You cannot tell what someone’s occupation is unless you ask him to fill in a form. Just as there are those teachers etc. who teach you how to become a barrister, so too, this unlimited Father is such a great Teacher. Those teachers would perhaps make you into a barrister. However, if you shed your body while studying, everything you had studied to become a barrister would be finished. It isn’t that that study will continue in the next birth. Whatever you do here, you take that with you. A soul has the sanskars within him. Yes, little children have small organs and are therefore unable to speak. They are unable to do anything with their physical organs, but they do carry those sanskars with them. This knowledge is imperishable, so they will come and take knowledge when they grow older. That soul will definitely come here again. He will bring benefit to someone, somewhere or other. He will pull his parents in this direction. Although he will be a small child, as soon as he sees Mama and Baba, there will be a pull of that love. Because the physical organs are small, he wouldn’t be able to speak, but there would be that love for his equals. So, this knowledge is very unique, entertaining and simple. Some are such that they remain as they are, like thorns. The golden age is a rose tree. You are now thorns. Then, some closed buds emerge from that. There are those who are constant roses, but they are still numberwise. They will become part of the subjects. To become a bud and then wilt and die is as though you have not studied. If a bud remains closed, that one will end up among the subjects. Those who become flowers will become part of the kingdom. When Baba goes into the garden, He brings flowers from there in order to explain to you children. If you don’t make effort and become a flower now, there will be a lot of repentance later on. Firstly, there is already the burden on your heads of the sins committed. So then, of what use is it to experience punishment and then claim a status among the subjects? You understand that your deity kingdom is being established. Baba can understand what each one of you will become. It will remain in His heart to what extent you study and what you will become. If someone studies well, He will continue to have that love inside. He would understand that you will become part of the kingdom. As you progress further, you will have many visions. Those who don’t study will repent a lot at that time. There is very little time left. So, how will you be able to gallop sufficiently? The Father says: If you perform sinful actions after becoming a child, there will have to be one hundred-fold punishment. It becomes the business of many thieves who go to jail: to experience punishment and go to jail. You are now making effort to become the highest-on-high sun-dynasty emperors and empresses. It is numberwise. What will be the condition of those who run away? The Father explains to you so well, but if it is not in your fortune and you don’t understand, what can the One who inspires you to make effort do? The Father says: Become a flower. Don’t forget the Father. Never let go of the hand of such a Father. Maya, the snake, will swallow you raw. Don’t make any mistakes so that you lose your fortune of the kingdom. Your activity of every cycle would then be seen to be the same as your activity of this time. Some have satopradhan behaviour, some have rajo and others have tamo behaviour. Some very good children have very severe omens over them. Internally, they are ugly whereas externally they look good. If you make any mistakes, the soul will become ugly. There is then a dark shadow. This is why Baba says: Hear it through one ear and let it out through the other: close your ears to anything evil. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Always have the deep desire to have your sins absolved. Take care that you don’t commit any sins now.
2. In order to remain safe from the eclipse of the omens of Maya, close your ears to evil things. Let your behaviour be satopradhan. Remain clean inside and out.
Blessing:
May you be an easy effort-maker and keep your daily timetable accurate with the foundation of amrit vela.
Just as a train automatically moves along fine when it is on the rails, similarly, remain concentrated each day, on the line of remembrance at amrit vela. If amrit vela is fine, then the rest of the day will be fine. If the foundation of amrit vela is firm, you will then continue to receive co-operation for the whole day and your efforts will become easy. Those who are true Sitas and constantly stay within the line of remembrance and shrimat of the Father remains aware of the one Rama in their every vein.
Slogan:
In order to catch Baba’s help, keep your intellect concentrated.
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