Published by – Goutam Kumar Jena
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali Sep 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Sep-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali - 19th Sep 2018 )
19-09-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - तुम्हारे दर पर कोई भी आये उसे कुछ न कुछ ज्ञान धन देना है, पहले फॉर्म भराओ फिर दो बाप का परिचय दो''
प्रश्नः-
जादूगर बाप की जादूगरी कौन सी है?
उत्तर:-
जादूगर बाप की जादूगरी देखो - इतना ऊंचा बाप कहते हैं मैं तुम्हारी सेवा में आया हूँ, मैं तुम्हारा बच्चा भी बन जाता हूँ। तुम बच्चे जब मेरे पर बलि चढ़ो तो फिर मैं 21 जन्मों के लिए तुम्हारे पर बलि चढूँ। यह भी वन्डरफुल बातें हैं। बाप कितने प्यार से तुम्हें पढ़ाई पढ़ाते हैं। तुम्हारी सब मनोकामनायें पूरी करते हैं। तुमसे कोई भी फीस आदि नहीं लेते हैं। उन्हें कहा जाता है - राझू-रमज़बाज।
गीत:-
जो पिया के साथ है........
ओम् शान्ति।
पिया और वर्षा। जो पिया के साथ है उसके लिए बरसात है। किस प्रकार की? इसको ज्ञान वर्षा कहा जाता है। ज्ञान वर्षा कौन करते हैं? ज्ञान का सागर। अब यह गीत जिन्होंने गाया या बनाया वह तो कुछ नहीं जानते। तुम हो लक्की ज्ञान सितारे। तुम ज्ञान सागर के बच्चे बने हो इसलिए तुमको ज्ञान सितारे कहा जाता है। बाप से ज्ञान ले रहे हो। नॉलेज की हमेशा एम-ऑब्जेक्ट होती है। कुछ न कुछ प्राप्ति का रास्ता मिलता है। अब तुम बच्चे जानते हो बेहद के बाप द्वारा बेहद का वर्सा लेना है। वह है पारलौकिक बाप। तुम्हारे पास कभी कोई नये जिज्ञासू आते हैं तो फॉर्म भरने से डरते हैं। तो उनको समझाना चाहिए क्योंकि फिर भी तुम्हारे पास आये हैं तो कुछ न कुछ बिचारों को मिलना चाहिए। बहुत गरीब हैं। तुम्हारे पास तो अथॉरिटी है। हाँ, नम्बरवार कोई फुल पास होते हैं, कोई कम। यह तो नशा है हमारे पास ज्ञान रत्न ढेर हैं। ज्ञान सागर कोई महल में तो नहीं रहते हैं, झोपड़ी में रहते हैं। झोपड़ी में रहना पसन्द करते हैं। जब कोई कहे हम फॉर्म नहीं भरेंगे तो बोलो - अच्छा, अपना नाम तो लिखेंगे, हम बड़ी बहन जी को दिखायें कि फलाना आया है। कुछ समझने के लिए तो आये हो। अच्छा, अपना नाम लिखो। लौकिक फादर का भी नाम लिखना पड़े फिर समझाना है - दो बाप तो हैं। एक है लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक परमपिता परमात्मा। जब पिता कहते हो तो उनका नाम तो लिखो। परमपिता कहते हो तो वह सबका बाप है। हर एक को लौकिक और पारलौकिक बाप होते हैं। भक्ति मार्ग में दोनों बाप हैं। सतयुग-त्रेता में लौकिक फादर तो है, पारलौकिक का नाम भी नहीं लेंगे। यह बातें तुम बच्चों को समझकर फिर समझाना है। कितनी सहज बातें समझाई जाती हैं। जिसको गॉड फादर कहा जाता है - वह है परलोक में रहने वाला। बुद्धि में आता है - बरोबर, सतयुग-त्रेता में पारलौकिक बाप को याद नहीं करते। यहाँ तो सब याद करते हैं। तो समझाना है लौकिक फादर का नाम लिखा, अब पारलौकिक फादर का नाम लिखो। सब जीव की आत्मायें उस पारलौकिक परमपिता को याद करती हैं। वह एक ही है। जैसे आत्मा निराकार है, वैसे वह भी निराकार है। उनका तो कोई सूक्ष्म वा स्थूल शरीर नहीं है। उनको सर्वव्यापी तो कह नहीं सकते। लौकिक बाप को कभी सर्वव्यापी नहीं कह सकते हैं। क्या सर्वव्यापी कहने से वर्सा मिल सकता है? फिर पारलौकिक बाप को सर्वव्यापी क्यों कहते हो? पारलौकिक बाप को सब इतना याद करते हैं तो जरूर उनसे भी वर्सा मिलना चाहिए। रचना को रचता से वर्सा तो चाहिए ना। ऐसे नई-नई बातें समझाने से झट समझ जायेंगे। तुम अनुभव से बतलाते हो उस बाप से वर्सा पाने की युक्ति बताई जाती है। वह बाप है स्वर्ग का रचयिता। तुम जानते हो भारत जीवनमुक्त था, अब जीवनबंध है। दु:ख से लिबरेट करने वाला बाप ही है।
यह त्रिमूर्ति सहित लक्ष्मी-नारायण का चित्र बहुत अच्छा है। हर एक के पास होना चाहिए। इस पर समझाओ कि बरोबर यह लक्ष्मी-नारायण भारत के आदि सनातन देवी-देवता थे, सतयुग के मालिक थे। स्वर्ग का वर्सा जरूर पारलौकिक बाप स्वर्ग का रचयिता ही दे सकते हैं। कोई फॉर्म न भी भरे लेकिन यह बात लिखाना तो सहज है। दो बाप हैं, दोनों से वर्सा मिलता है। लक्ष्मी-नारायण अथवा उनके बच्चों आदि की जीवन कहानी तो है नहीं। कृष्ण के लिए कहते हैं उनको टोकरी में ले गये, यह हुआ। अच्छा, इन लक्ष्मी-नारायण को राज्य कहाँ से मिला? बरोबर आदि सनातन देवी-देवताओं का राज्य था, इनमें पहला नम्बर लक्ष्मी-नारायण हैं। उन्हों को यह स्वर्ग का वर्सा किसने दिया? यह प्रजापिता ब्रह्मा भी बैठा है, यह वर्सा लक्ष्मी-नारायण सामने खड़े हैं। फिर झाड़ पर ले आओ। यहाँ तपस्या कर रहे हैं - राजयोग की। इनसे यह लक्ष्मी-नारायण बनते हैं। यह समझाना कितना सहज है। लक्ष्मी-नारायण के भक्तों को समझाना बहुत सहज है। अब अन्दर कोई आते हैं तो कुछ न कुछ शिक्षा जरूर देनी पड़े। तुम्हारे द्वारा इन वेश्याओं, भीलनियों आदि का भी उद्धार होना है। परन्तु तुम्हारे में अभी वह ताकत नहीं है। बाबा ने समझाया है तुम अपने पति को भी भूं भूं करती रहो। स्त्री अपने पति से भी पूछ सकती है - तुम अपने लौकिक बाप का नाम बताओ। अच्छा, पारलौकिक बाप का नाम बताओ? जिसको तुम घड़ी-घड़ी जन्म बाई जन्म याद करते हो, जरूर उनसे कुछ जास्ती मिलता है। लक्ष्मी-नारायण को याद करने से तो कुछ मिलता नहीं है।
बाप आकर तुम्हारी कितनी सेवा करते हैं। बिगर मांगे तुमको पढ़ाते हैं। कहते हैं - आओ, तुमको स्वर्ग में ले चलें। सभी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं। नर-नारायण का भी चित्र है ना। पूजा लक्ष्मी की होती है। समझते हैं लक्ष्मी से सम्पत्ति मिलेगी। यह सब भक्ति मार्ग की बातें हैं। लक्ष्मी (स्त्री) धन कहाँ से लायेगी? उनको जरूर पति से मिलता है। पुजारी लोग यह कुछ भी नहीं जानते। तुम बच्चों को समझाना पड़े। तुम भी अभी समझते हो - आगे हम क्या करते थे? कुछ भी नहीं समझते थे। अब अच्छी रीति जान गये हैं। कृष्ण-जन्माष्टमी होती है तो सवेरे में उनको दूध पिलाते हैं, झूला झुलाते हैं और रात को फिर पूरी-तस्मई (खीर) आदि खिलाते हैं। क्या इतने में इतना बड़ा हो गया, जो पूरी तस्मई खाने लायक हो गया! यह भी समझने की बातें हैं ना। तुम जानते हो यह राधे-कृष्ण ही फिर लक्ष्मी-नारायण बनते हैं। शिवबाबा इन्हों को यह पद दिलाते हैं। शिव को कभी पूरी-तस्मई आदि नहीं खिलाते। उन पर सिर्फ दूध चढ़ाते हैं। अब शिवबाबा तो है निराकार, जिसका कोई नाम-रूप नहीं, उन पर दूध आदि चढ़ाने का मतलब क्या है? उनको कुछ खिलाते नहीं हैं। निराकार है ना, श्रीकृष्ण को रोटी आदि खाने के लिये मुख है। शिव पर कुछ नहीं चढ़ाते। शंकर पर चढ़ाते हैं, शिव पर नहीं। शंकर का तो फिर भी आकार रूप है ना। दोनों एक तो हो नहीं सकते। अब बाबा कितनी नॉलेज देते हैं। कितनी गुप्त बातें हैं।
तुम गोपिकायें शिवबाबा की हो। शिव को फिर बालक भी कहते हैं। यह भी शिवबाबा पूछते हैं तुमने शिव को बालक क्यों बनाया है? वर्सा बालक को दिया जाता है। पहले जब तुम बलि चढ़ो तब ही शिवबाबा बलि चढ़े। यह भी है बाप बच्चों पर बलि चढ़ते हैं परन्तु कहते हैं पहले तुमको बलि चढ़ना है, तब मैं चढूँ। बलि चढ़ना अर्थात् उनको अपना बच्चा बनाना, उनकी पालना करना। कितनी वन्डरफुल बातें हैं! मातायें हैं ना। पुरुष भी शिव बालक को अपना वारिस बनाते हैं। शिवबाबा को जादूगर कहते हैं ना। लक्ष्मी-नारायण जादूगर नहीं हैं। यह बड़ी गुप्त बातें हैं। विरला कोई समझ सकते हैं। अपरोक्ष भी बतलाते हैं। तुम बच्चे अनुभवी हो बाबा ने साक्षात्कार किया, मम्मा ने कोई साक्षात्कार नहीं किया फिर भी मम्मा सबसे तीखी गई। सबको तो साक्षात्कार नहीं होगा। ऐसे तो बहुतों को साक्षात्कार हुए, आज हैं नहीं। साक्षात्कार से कोई कनेक्शन नहीं है। यह तो हैं धारण करने और कराने की मीठी बातें। जादूगर राझू रमज़बाज तो है ना। जादूगर लोग बहुत तीखे-तीखे होते हैं। संतरे निकाल दिखाते हैं, सिर काटकर फिर जोड़ देते हैं। आगे बहुत जादूगरी दिखाते थे।
अब बच्चे जान गये हैं बाबा की ही महिमा गाई जाती है। तुम्हारी लीला अपरम-अपार है, तुम्हारी गति मत न्यारी है। बाप कितनी श्रीमत देते हैं। श्रीमत से तुमको श्रेष्ठ देवता बना रहे हैं। श्री श्री कहा जाता है निराकार शिवबाबा को। लक्ष्मी-नारायण को ऐसा श्रेष्ठ किसने बनाया? जरूर उनसे श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ होगा। बाबा से हम यह इलम (विद्या) सीखते हैं कि मनुष्य को देवता कैसे बनाया जाए। अभी तुम सब सीतायें रावण की जेल में, शोक वाटिका में दु:ख उठा रही हो। रामराज्य में कभी शोक होता ही नहीं। तो जिससे वर्सा मिलता है उनको याद करना है ना। हम आत्मा हैं यह भी मानते हैं। पूछो तुम्हारे लौकिक बाप का नाम क्या है? पारलौकिक बाप का नाम क्या है? बाप को सर्वव्यापी तो नहीं कहेंगे। बाप माना वर्सा। बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है। अब वह रावण ने छीना हुआ है इसलिए कहा जाता है माया जीते जगत जीत। माया पर जीत पानी है। मन तो तूफानी घोड़ा है। खूब पछाड़ने की कोशिश करेगा। बाबा ने अब तुम्हारी बुद्धि का ताला खोल दिया है। तुम राइट और रांग को समझ सकते हो। तुम समझा सकते हो अब यह दुनिया बदल रही है। महाभारी लड़ाई तो जरूर लगनी है, उसमें सब विनाश होंगे। यादव मूसलों से अपने ही यादव कुल का विनाश करते हैं। पाण्डव कुल की जीत होनी है। परन्तु दिखाया है 5 पाण्डव बचे, वह भी पहाडों पर गल मरे। बाकी क्या हुआ? कुछ नहीं। राजयोग सिखाया तो कुछ तो बचे होंगे। प्रलय थोड़ेही हो जाती है। यह सब बातें तुम अभी जानते हो। दिखाते हैं कृष्ण सागर में पत्ते पर आया। श्रीकृष्ण तो गर्भ महल में आते हैं। गर्भ जेल में दु:ख होता है। सागर तो गर्भ महल है। बड़े आराम से बैठा रहता है। जन्म-जन्मान्तर से यह गीता का ज्ञान भागवत आदि सुनते आये, भक्ति मार्ग के धक्के खाते आये, अभी बाप तुमको एक सेकेण्ड में स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। इसको भावी कहते हैं, परन्तु भावी किसकी? भावी ड्रामा की कहेंगे। बना-बनाया ड्रामा है ना। मनुष्य तो सिर्फ भावी कहते रहते हैं, समझते कुछ भी नहीं। तो जब कोई आये पहले-पहले यह बताओ कि दो बाप हैं। पारलौकिक बाप स्वर्ग का रचयिता है। उसने तो स्वर्ग का वर्सा दिया था। आज से 5 हजार वर्ष पहले स्वर्ग था। अभी तो नर्क है फिर तुम वर्सा ले सकते हो। हम भी बेहद के बाप से वर्सा ले रहे हैं। यह भारत भगवान् की जन्म भूमि है। जैसे इब्राहम, बुद्ध आदि की अपनी जन्म भूमि है। तुम बच्चे जानते हो बाप आये हुए हैं, वर्सा दे रहे हैं। तुम बच्चों को रहमदिल बनना है। कोई को भी यह समझाना तो बहुत सहज है। पारलौकिक बाप की पहचान देनी है। पारलौकिक फादर एक ही बार आते हैं। उनकी याद से हम स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं। बहुत सहज है। ऐसी-ऐसी बातें अच्छी रीति धारण करो और समझाओ। दान करो। पारलौकिक बाप स्वर्ग की राजाई देते हैं। लक्ष्मी-नारायण को दी है ना। इस सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण का बाप कौन है? हम आपको बताते हैं, स्वर्ग की स्थापना करने वाला फादर अब उन्हों को स्वर्ग की राजाई दे रहे हैं। बाकी आशीर्वाद क्या करेंगे। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे लक्की ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बापदादा का नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) राइट और रांग को समझ बुद्धि बल से मन रूपी तूफानी घोड़े को वश करके मायाजीत, जगतजीत बनना है। हार नहीं खानी है।
2) शिव को बालक बनाकर उनकी पालना करनी है अर्थात् पहले उन्हें अपना वारिस बनाना है। उन पर पूरा बलि चढ़ना है।
वरदान:-
''छोड़ो तो छूटो'' इस पाठ द्वारा नम्बरवन लेने वाले उड़ता पंछी भव
उड़ता पछी बनने के लिए यह पाठ पक्का करो कि ''छोड़ो तो छूटो''। किसी भी प्रकार की डाली को अपने बुद्धि रूपी पांव से पकड़कर नहीं बैठना। इसी पाठ से ब्रह्मा बाप नम्बरवन बने। यह नहीं सोचा कि साथी मुझे छोड़े तो छूटूं, सम्बन्धी छोड़ें तो छूटूं। विघ्न डालने वाले विघ्न डालने से छोड़ें तो छूटूं-स्वयं को सदा यही पाठ प्रैक्टिकल में पढ़ाया कि स्वयं छोड़ो तो छूटो। तो नम्बरवन में आने के लिए ऐसे फालो फादर करो।
स्लोगन:-
जिनके संकल्पों में एक बाबा है उनकी मन्सा सदा शक्तिशाली है।
19/09/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, give even a little wealth of knowledge to whoever comes to your door. First of all, ask them to fill in a form and then give the introduction of the two fathers.
Question:
What is the magic of the Father, the Magician?
Answer:
Look at the magic of the Magician Father! Such an elevated Father says: I have come to serve you. I also become your Child. When you children surrender yourselves to Me, I surrender Myself to you for 21 births. These are wonderful things. The Father teaches you with so much love. He fulfils all your desires. He doesn't even take any fees etc. from you. He is called the clever Entertainer.
Song:
The rain of knowledge is for those who are with the Beloved.
Om Shanti
The Beloved and the rain: the rain is for those who are with the Beloved. What type of rain? This is called the rain of knowledge. Who showers the rain of knowledge? The Ocean of Knowledge. Those who sang and composed this song don't know anything. You are the lucky stars of knowledge. You have become children of the Ocean of Knowledge and this is why you are called stars of knowledge. You are receiving knowledge from the Father. Knowledge always has an aim and objective; you find the path to one attainment or another. You children know that you now have to claim your unlimited inheritance from the unlimited Father. He is the parlokik Father ( the Father from beyond). Sometimes when new students come to you, they are afraid to fill in a form. Therefore, you should explain to them. Since they have come to you, they should at least receive a little something from you. They are very poor, whereas you have authority. Yes, it is numberwise: some pass fully and others pass to a lesser degree. You have the intoxication of having plenty of jewels of knowledge. The Ocean of Knowledge doesn't reside in a palace; He resides in a hut. He prefers to reside in a hut. If any of them say that they will not fill in a form, tell them: OK, just write your name so that we can show our senior sister that so-and-so came. You have come here to understand something; OK, write down your name. They also have to write down the name of their lokik (physical) father and you can then explain that they have two fathers. One is a lokik father and the other is the parlokik Father, the Supreme Father, the Supreme Soul. You speak of the Father, so at least write down His name. Since you call Him the Supreme Father, He must be the Father of all. Each one has a lokik and parlokik Father. On the path of devotion, there are both fathers. In the golden and silver ages you have a lokik father, but the name of the parlokik Father is not even mentioned. You children have to understand these things and then explain them to others. These matters that are explained to you are so easy. The One who is called God, the Father, is the One who resides in the world beyond. It enters your intellects that you really don't remember your parlokik Father in the golden and silver ages. Here, everyone remembers Him. Therefore, you have to explain: You have written down the name of your lokik father, now write down the name of your parlokik Father. All living, embodied souls remember that Supreme Father, the Supreme Soul. He is the only One. Just as souls are incorporeal, similarly, He is incorporeal; He doesn't have a subtle or a physical body. He cannot be called omnipresent. You can never say that your lokik father is omnipresent. Is it possible to receive an inheritance when you call him omnipresent? Then, why do you say that the parlokik Father is omnipresent? Everyone remembers the parlokik Father so much. Surely, the inheritance should therefore be received from Him. The creation also needs to receive the inheritance from the Creator. When you explain such new things, they will quickly understand. You can tell them from your experience: We are showing you the way to claim your inheritance from that Father. That Father is the Creator of heaven. You know that Bharat was liberated-in-life and that it is now in a life of bondage. Only the Father can liberate you from sorrow. This picture of Lakshmi and Narayan with the Trimurti is very good. Everyone should have one of these pictures. Explain using this picture: Truly, Lakshmi and Narayan were the original, eternal deities of Bharat; they were the masters of the golden age. It would definitely be the parlokik Father, the Creator of Heaven, who can give you the inheritance of heaven. Even if some don't fill in a form, it is easy to make them write this down: You have two fathers and you receive an inheritance from both of them. There isn’t a life story of Lakshmi and Narayan or their children. They say of Krishna that he was carried away in a basket and that this happened… OK, from whom did Lakshmi and Narayan receive their kingdom? It truly was the kingdom of the original eternal deities and the first number in that were Lakshmi and Narayan. Who gave them that inheritance of heaven? This Prajapita Brahma is sitting here, and this inheritance, Lakshmi and Narayan, are just standing in front of you. Then, take them to the picture of the tree. Here, they are performing Raja Yoga. This is how they become Lakshmi and Narayan. It is so easy to explain this. It is very easy to explain to the devotees of Lakshmi and Narayan. When anyone comes inside, you definitely have to give him some teachings. Even those prostitutes and the natives have to be uplifted through you. However, you don’t have that power as yet. Baba has explained: You can also continue to buzz knowledge to your husbands. A wife can ask her husband: Tell me the name of your lokik father. OK, what is the name of the parlokik Father whom you repeatedly remember for birth after birth? You must surely receive something more from Him; you don't receive anything by remembering Lakshmi and Narayan. The Father comes and serves you so much. He teaches you without your asking Him to do so. He says: Come and I will take you to heaven. He fulfils all your desires. There is also the image of the ordinary man who becomes Narayan. It is Lakshmi who is worshipped. They believe that they will receive wealth from Lakshmi. All of those things belong to the path of devotion. Where would Lakshmi (the wife) bring wealth from? She definitely receives it from her husband. The priests in the temples don't know any of this. You children have to explain to them. You now understand what you used to do previously. You too didn't understand anything at that time. You now know this very well. In the morning of Krishna Janamashtami they offer milk to him and rock him in a cradle. Then, at night, they feed him puris and rice pudding. Did he become so big in one day that he was able to eat puris and rice pudding? This too is something to be understood. You know that it is Radhe and Krishna who then become Lakshmi and Narayan. Shiv Baba gives them that status. They never offer puris and rice pudding to Shiva; they simply pour milk over His image. Shiv Baba is incorporeal, so He doesn't have any name or form. What is the meaning of pouring milk over Him etc? They don't feed Him anything. He is incorporeal, whereas Shri Krishna has a mouth and is able to eat chapattis etc. They don't offer anything to Shiva. They offer things to Shankar, but not to Shiva. Shankar at least has a subtle form. The two cannot be the same. Baba is now giving you so much knowledge. These are such incognito matters. You are Shiv Baba's gopikas. Shiva is also called the Child. Shiv Baba asks you: Why have you made Shiv Baba your Child? An inheritance is given to a child. When you surrender yourself to Him first, Shiv Baba will then surrender to you. It is true that the Father surrenders Himself to the children, but He still says: When you surrender yourselves first, I will then surrender Myself to you. To surrender to Him means to make Him your Child and sustain Him. These are such wonderful matters! There are the mothers, but even the men make Shiv Baba the Child, their Heir. Shiv Baba is called the Magician. Lakshmi and Narayan are not magicians. These are very incognito matters. Hardly anyone can understand them. You are shown all of these things without visions. You children are experienced. Baba had visions, but Mama didn't have any visions and yet Mama went ahead of everyone. Not everyone will have visions. Many did have visions, but they are no longer here today. There is no connection with visions. These are the sweet things that you have to imbibe and inspire others to imbibe. He is the Magician and the clever Entertainer. Magicians are very clever. They make tangerines emerge from nowhere and they cut off someone's head and put it back on again. Previously, they used to show a lot of magic. You children now know that this is only Baba’s praise: “Your divine activities are limitless! Your ways and means are unique!” The Father gives you so much shrimat (elevated directions). He is making you into elevated deities with shrimat. Incorporeal Shiv Baba is called Shri Shri. Who made Lakshmi and Narayan so elevated? It must definitely have been someone who was more elevated than them. We are learning from Baba the knowledge of how human beings can be made into deities. All of you Sitas are now experiencing sorrow in Ravan’s jail in the cottage of sorrow. There is never any sorrow in the kingdom of Rama. Therefore, you have to remember the One from whom you receive the inheritance. They also believe that they are souls. Ask them: What is the name of your lokik father? What is the name of your parlokik Father? The Father cannot be called omnipresent. The Father means the inheritance. You receive the unlimited inheritance from the unlimited Father. Ravan snatched that away from you. This is why it is said: Those who conquer Maya conquer the world. You have to conquer Maya. The mind is a wild horse; it will try very hard to make you fall. Baba has now opened the locks on your intellects. You can now understand right and wrong. You can explain that this world is now changing. The great war is definitely going to take place and everyone will be destroyed in that. The Yadavas destroy their own clan with the missiles that they themselves create. The Pandava clan is to be victorious. However, they have shown that only five Pandavas were saved, but that they melted away on the mountains. What happened to the rest of them? Nothing at all. Since He taught Raja Yoga, some must have been saved. Annihilation doesn't take place. You now know all of these things. They show Krishna coming on a pipal leaf floating in the ocean. Shri Krishna comes from the palace of a womb. There is sorrow in the jail of a womb. The ocean is the palace of a womb. He is sitting very comfortably. For birth after birth you have been listening to this knowledge of the Gita, the Bhagawad etc. and stumbling around on the path of devotion. The Father now makes you into the masters of heaven in a second. This is called destiny, but destiny of what? It would be called the destiny of the drama; it is the predestined drama. People simply say that it is destiny, but they don't understand anything. So, when anyone comes, first of all tell him that he has two fathers. The parlokik Father is the Creator of heaven. He gave you the inheritance of heaven. It became heaven exactly 5000 years ago. It is now hell and you can claim your inheritance once again. We are also claiming our inheritance from the unlimited Father. Just as Abraham and Buddha etc. have their own birthplace, so this Bharat is the birthplace of God. You children know that the Father has come and is giving you the inheritance. You children have to become merciful. It is very easy to explain this to anyone. You have to give them the introduction of the parlokik Father. The parlokik Father only comes once. We are claiming the inheritance of heaven by having remembrance of Him. It is very easy. Imbibe such things very well and explain them to others; donate them. The parlokik Father gives the kingdom of heaven. Lakshmi and Narayan were given this. Who is the father of the sun-dynasty Lakshmi and Narayan? We are telling you that the Father who established heaven is now giving them the kingdom of heaven. What blessings would He give? Achcha.
To the sweetest, beloved, lucky stars of knowledge, to the long-lost and now-found children, numberwise, according to the effort you make, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Understand right and wrong and control the wild horse of your mind with the power of your intellect and become a conqueror of Maya and a conqueror of the world. Don't be defeated.
2. Make Shiva your Child and sustain Him, that is, first of all make Him your Heir. Surrender yourself to Him fully.
Blessing:
May you be a flying bird and claim number one with the lesson of, “Let go and become free”.
In order to become a flying bird, make the lesson firm, “Let go and become free”. Do not hold onto any type of branch with the foot of your intellect and sit on it. Father Brahma became number one with this lesson. He never thought that he would become free when his companions free him or when his relatives made him free, when those who create obstacles stop creating obstacles he can be free - He always taught himself the lesson, “Let go and become free” in a practical way. So, in order to become number one, follow the father in the same way.
Slogan:
The minds of those who have the one Baba in their intellects are always powerful.
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