Published by – Goutam Kumar Jena
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali Sep 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Sep-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali - 16th - Sep - 2018 )
16-09-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 16-01-84 मधुबन
'स्वराज्य' - आपका बर्थ राईट है।
आज बापदादा राज्य अधिकारी सभा देख रहे हैं। सारे कल्प में बड़े ते बड़ी राज्य अधिकारी सभा इस संगमयुग पर ही लगती है। बापदादा सारे विश्व के ब्राह्मण बच्चों की सभा देख रहे हैं। सभी राज्य अधिकारी नम्बरवार अपने सम्पूर्ण स्थिति की सीट पर सेट हो स्वराज्य के रूहानी नशे में कैसे बेफिकर बादशाह बन बैठे हुए हैं। हर एक के मस्तक के बीच चमकती हुई मणि कितनी सुन्दर सज रही है। सभी के सिर पर नम्बरवार चमकता हुआ लाइट का ताज देख रहे हैं। ताजधारी तो सब हैं लेकिन नम्बरवार हैं। सभी के नयनों में बापदादा की याद समाई हुई होने कारण नयनों से याद का प्रकाश चारों ओर फैल रहा है। ऐसी सजी-सजाई सभा देख बापदादा हर्षित हो रहे हैं। वाह मेरे राज्य अधिकारी बच्चे वाह! यह स्वराज्य, मायाजीत का राज्य सभी को जन्म सिद्ध अधिकार में मिला है। विश्व रचता के बच्चे स्वराज्य अधिकारी स्वत: ही हैं। स्वराज्य आप सभी का अनेक बार का बर्थ राइट है। अब का नहीं लेकिन बहुत पुराना अनेक बार प्राप्त किया हुआ अधिकार याद है। याद है ना! अनेक बार स्वराज्य द्वारा विश्व का राज्य प्राप्त किया है। डबल राज्य अधिकारी हो। स्वराज्य और विश्व का राज्य। स्वराज्य सदा के लिए राजयोगी सो राज्य अधिकारी बना देता है। स्वराज्य त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी, तीनों लोकों के नॉलेजफुल अर्थात् त्रिलोकीनाथ बना देता है। स्वराज्य सारे विश्व में कोटों में कोई, कोई में भी कोई विशेष आत्मा बना देता है। स्वराज्य बाप के गले का हार बना देता है। भक्तों के सिमरण की माला बना देता है। स्वराज्य बाप के तख्तनशीन बना देता है। स्वराज्य सर्व प्राप्तियों के खजाने का मालिक बना देता है। अटल, अचल, अखण्ड सर्व अधिकार प्राप्त करा देता है। ऐसे स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मायें हो ना!
''मैं कौन'' यह पहेली अच्छी तरह से जान ली है ना! मैं कौन, इस टाइटल्स की माला कितनी बड़ी है! याद करते जाओ और एक-एक मणके को चलाते जाओ। कितनी खुशी होगी। अपनी माला स्मृति में लाओ तो कितना नशा रहेगा। ऐस नशा रहता है? डबल विदेशियों को डबल नशा होगा ना। अविनाशी नशा है ना! इस नशे को कोई कम कर सकता है क्या! आलमाइटी अथॉरिटी के आगे और कौन-सी अथॉरिटी है! सिर्फ अलबेलेपन की गहरी नींद में सो जाते हो तो आपके अथॉरिटी की चाबी अर्थात् स्मृति माया चोरी कर लेती है। कई ऐसे नींद में सोते हैं जो पता नहीं पड़ता है। यह अलबेलेपन की नींद कभी-कभी धोखा भी दे देती है और फिर अनुभव ऐसे करते कि मैं सोया हुआ ही नहीं हूँ, जाग रहा हूँ। लेकिन चोरी हो जाती है, वह पता नहीं पड़ता है। वैसे जागती ज्योत आलमाइटी अथॉरिटी के आगे कोई अथॉरिटी है ही नहीं। स्वप्न में भी कोई अथॉरिटी हिला नहीं सकती। ऐसे राज्य अधिकारी हो। समझा। अच्छा-
आज तो मिलन महफिल में आये हैं। जैसे बच्चे इन्तजार करते हैं अपने मिलने के टर्न का। वैसे बाप भी बच्चों से मिलने का आह्वान करते हैं। बाप को सभी से प्यारे ते प्यारा काम है ही बच्चों से मिलने का। चाहे अव्यक्त रूप में, चाहे व्यक्त रूप में। बाप की दिनचर्या का विशेष कार्य सिकीलधे स्नेही बच्चों से मिलने का है। उन्हों को सजाने, पालना करने, समान बनाए विश्व के आगे निमित्त बनाना, यही कार्य है। इसी में बिज़ी रहते हैं। साइन्स वालों को प्रेरते हैं, वह भी बच्चों के लिए। भक्तों को भावना का फल देते हैं तो भी बच्चों को ही आगे करते हैं। बिन्दू को तो कोई जानता नहीं। देवी-देवताओं को ही जानते हैं। भक्तों के आगे भी बच्चों को ही प्रत्यक्ष करते हैं। सबको मुक्ति में ले जाते हैं तो भी आप बच्चों को सुख-शान्तिमय राज्य देने के लिए। अच्छा।
ऐसे सदा के स्वराज्य अधिकारी, सदा अटल अखण्ड, अचल स्थिति में स्थित रहने वाले, सदा रुहानी नशे में अविनाशी रहने वाले, डबल राज्य अधिकारी, बापदादा के नयनों में समाये हुए नूरे रत्नों को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते।
दादी जी मद्रास, बैंगलूर, मैसूर तथा कलकत्ता का चक्र लगाकर मधुबन पहुँची हैं, दादी जी को देख बापदादा बोले:-
कदमों में पदमों की सेवा समाई हुई है। चक्रवर्ती बन चक्र लगाए अपने यादगार स्थान बना लिए। कितने तीर्थ बने! महावीर बच्चों का चक्र लगाना माना यादगार बनना। हर चक्र में अपनी-अपनी विशेषता होती है। इस चक्र में भी कई आत्माओं के दिलों की आशा पूर्ण करने की विशेषता रही। यह दिल की आशा पूर्ण करना अर्थात् वरदानी बनना। वरदानी भी बनी और महादानी भी बनी। ड्रामा अनुसार जो प्रोग्राम बनता है उसमें कई राज़ भरे हुए होते हैं। राज़ उड़ाके ले जाते हैं। अच्छा-
जानकी दादी से:- आप सभी को नाम का दान देती हो! नाम का दान क्या है? आपका नाम क्या है! नाम का दान देना अर्थात् ट्रस्टी बनकर वरदान देना। आपका नाम लेते ही सबको क्या याद आयेगा? सेकण्ड में जीवन मुक्ति। ट्रस्टी बनना। यह आपके नाम की विशेषता है इसलिए नामदान भी दे दो तो किसका भी बेड़ा पार हो जायेगा। बाप ने अभी आपके ट्रस्टीपन की विशेषता का गायन किया है, वही यादगार है। वही जनक अक्षर उनको मिल गया होगा। एक ही जनक की दो कहानियां हैं। एक जनक जो सेकण्ड में विदेही बन गया। दूसरा जनक जो सेकण्ड में ट्रस्टी बन गया। मेरा नहीं तेरा। त्रेता वाला जनक भी दिखाते हैं। लेकिन आप तो बाप की जनक हो, सीता वाली नहीं। नाम दान का महत्व क्यों हैं, इस पर क्लास कराना। नाम की नईया द्वारा भी पार हो जाते हैं। और कुछ समझ में न भी आये लेकिन शिवबाबा, शिवबाबा भी कहा तो स्वर्ग की गेट पास तो मिल जाती है। अच्छा।
आस्ट्रेलिया पार्टी से:- बापदादा को आस्ट्रेलिया निवासी अति प्रिय हैं, क्यों? आस्ट्रेलिया की विशेषता क्या है? आस्ट्रेलिया की विशेषता है जो स्वयं में हिम्मत रख चारों ओर सेवाधारी बन सेवा स्थान खोलने की विधि अच्छी है। जहाँ हिम्मत है वहाँ बाप हिम्मत वाले बच्चों को देख विशेष खुश होते हैं। लण्डन की भी विशेषता है वहाँ विशेष पालना अनेक अनुभवी रत्नों द्वारा मिलती रहती है और आस्ट्रेलिया को इतनी पालना का चांस नहीं मिलता है। लेकिन फिर भी अपने पांव पर खड़े होकर सेवा में वृद्धि और सफलता अच्छी कर रहे हैं। सभी याद और सेवा के शौक में अच्छे रहते हैं। याद में अच्छी रुचि रखते हैं इसलिए आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ते रहेंगे। मैजारिटी निर्विघ्न हैं। कुछ अच्छे-अच्छे बच्चे चले भी गये हैं। लेकिन फिर भी बाप को अभी भी याद करते रहते हैं इसलिए उन्हों के प्रति भी सदा शुभ भावना रख उन्हों को भी फिर से बाप के समीप जरूर लाना है। ऐसा उमंग आता है ना। थोड़ा बहुत वृक्ष से फल तो गिरते ही हैं, नई बात नहीं है इसलिए अभी स्वयं को और दूसरों को ऐसा पक्का बनाओ जो भी सफलता स्वरूप बनें। यह ग्रुप जो आया है, वह पक्का है ना। माया तो नहीं पकड़ेगी। अगर कोई कमजोरी हो भी तो यहाँ मधुबन में सम्पन्न होकर ही जाना। मधुबन से अमर भव का वरदान लेकर जाना। ऐसा वरदान सदा अपने साथ रखना और दूसरों को भी इसी वरदान से सुरजीत करना। बापदादा को डबल विदेशी बच्चों पर नाज़ हैं। आपको भी बाप पर नाज़ है ना! आपको भी यह नशा है ना कि सारे विश्व में से हमने बाप को पहचाना। सदा इसी नशे और खुशी में अविनाशी रहो। अभी बापदादा ने सभी का फोटो निकाल लिया है। फिर फोटो दिखायेंगे कि देखो आप आये थे। माया के भी नॉलेजफुल बनकर चलो। नॉलेजफुल कभी भी धोखा नहीं खाते क्योंकि माया कब आती और कैसे आती, इसकी नॉलेज होने कारण सदा सेफ रहते हैं। मालूम है ना कि माया कब आती है? जब बाप से किनारा कर अकेले बनते हो तब माया आती है। सदा कम्बाइन्ड रहने से माया कभी नहीं आयेगी। आस्ट्रेलिया की विशेषता है जो अधिकतर पाण्डव सेना जिम्मेवार है। नहीं तो मैजारिटी शक्तियां होती हैं। यहाँ पाण्डवों ने कमाल की है। पाण्डव अर्थात् पाण्डव पति के सदा साथ रहने वाले। हिम्मत अच्छी की है, बापदादा बच्चों की सेवा पर मुबारक देते हैं। अभी सिर्फ अविनाशी भव का वरदान सदा साथ रखना। अच्छा।
ब्राजील:- बापदादा जानते हैं कि स्नेही आत्मायें स्नेह के सागर में समाई हुई रहती हैं। कितना भी शरीर से दूर रहते हैं लेकिन सदा स्नेही बच्चे बापदादा के सम्मुख हैं। लगन सभी विघ्नों को पार कराते हुए बाप के समीप पहुँचाने में मददगार बनती हैं, इसीलिए बापदादा बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। बापदादा जानते हैं कि कितनी मेहनत को मुहब्बत में परिवर्तन कर यहाँ तक पहुँचते हैं इसीलिए स्नेह के हाथों से बापदादा बच्चों को सदा दबाते रहते हैं। जो अति स्नेही बच्चे होते हैं उनकी माँ-बाप सदैव मालिश करते हैं ना प्यार से। बापदादा बच्चों के तकदीर के सितारे को देखते हैं। चमकते हुए सितारे हो। देश की हालत क्या भी हो लेकिन बाप के बच्चे सदा बाप के स्नेह में रहने के कारण सेफ रहेंगे। बापदादा की छत्रछाया सदा साथ है। ऐसे लाडले सिकीलधे हो। बच्चों ने अनेक पत्रों की माला बापदादा के गले में डाली, सभी बच्चों को इसके रिटर्न में बापदादा याद प्यार दे रहे हैं। सबको कहना कि जितने प्यार से पत्र लिखे हैं, समाचार दिये हैं, उतने ही स्नेह से उसे स्वीकार किया और हिम्मते बच्चे मददे बाप सदा ही है और सदा ही रहेगा। माला मिली और माला के मणकों की माला अभी भी बापदादा सिमरण कर रहे हैं।
बापदादा जानते हैं कि तन से भल दूर हैं लेकिन मन से मधुबन निवासी हैं। मन से सदा मनमनाभव होने के कारण बाप के समीप और सम्मुख हैं। ऐसे समीप और सम्मुख रहने वाले बच्चों को बापदादा सम्मुख देख नाम सहित हरेक को याद-प्यार दे रहे हैं और सदा श्रेष्ठ बन श्रेष्ठ बनाने की सेवा में आगे बढ़ते रहो, यह वरदान सभी सिकीलधे बच्चों को दे रहे हैं। सभी अपने नाम सहित याद-प्यार स्वीकार करें। अच्छा।
वरदान:-
शान्ति की शक्ति द्वारा सर्व को आकर्षित करने वाले मास्टर शान्ति देवा भव
जैसे वाणी द्वारा सेवा करने का तरीका आ गया है ऐसे अब शान्ति का तीर चलाओ, इस शान्ति की शक्ति द्वारा रेत में भी हरियाली कर सकते हो। कितना भी कड़ा पहाड़ हो उसमें भी पानी निकाल सकते हो। इस शान्ति की महान शक्ति को संकल्प, बोल और कर्म में प्रैक्टिकल लाओ तो मास्टर शान्ति देवा बन जायेंगे। फिर शान्ति की किरणें विश्व की सर्व आत्माओं को शान्ति के अनुभूति की तरफ आकर्षित करेंगी और आप शान्ति के चुम्बक बन जायेंगे।
स्लोगन:-
आत्म-अभिमानी स्थिति का व्रत धारण कर लो तो वृत्तियाँ परिवर्तन हो जायेंगी।
16/09/18 Madhuban Avyakt BapDada Om Shanti 16/01/84
Self-sovereignty is your birthright.
Today, BapDada is seeing the gathering of those who have a right to the kingdom. Throughout the whole cycle, it is only at this confluence age that the biggest gathering of those who have a right to the kingdom takes place. BapDada is seeing the gathering of Brahmin children from all over the world. All of you who have a right to the kingdom are set on the seat of your perfect stage, numberwise. Look how you are all sitting like carefree emperors with the spiritual intoxication of your self-sovereignty! The jewel sparkling in the centre of each one's forehead looks so beautiful. Baba is seeing on each one's head a crown of light that is sparkling numberwise. All of you have a crown, but you are numberwise. Because remembrance of BapDada is merged in each one's eyes, the light of remembrance is spreading everywhere through your eyes. BapDada is very pleased to see such a beautifully decorated gathering. Wah! My children who have a right to the kingdom, wah! All of you have received this self-sovereignty, the kingdom of those who have conquered Maya, as your birthright. The children of the Creator of the world automatically have a right to self-sovereignty. Self-sovereignty has been the birthright of all of you many times over, not just now. However, do you remember your rights that you attained many times in the past? You do remember them, do you not? You have attained the kingdom of the world many times through self-sovereignty. You are double sovereigns. You have self-sovereignty, and also the kingdom of the world. Self-sovereignty makes you into Raja Yogis who have a right to the kingdom for all time. Self-sovereignty makes you into one with the third eye, a knower of the three aspects of time and knowledgeable of the three worlds, that is, a master of the three worlds. Self-sovereignty makes you into a soul who is one of the souls selected out of millions of souls and a special soul among those selected few. Self-sovereignty puts you in the garland around the Father's neck. It makes you part of the rosary of which devotees turn the beads. Self-sovereignty seats you on the Father's heart-throne. Self-sovereignty makes you into masters of all the treasures of attainments. It makes you firm, unshakeable and constant and enables you to attain all rights. You are such elevated souls who have a right to self-sovereignty, are you not?
You now know very well the answer to the riddle "Who am I?" do you not? The rosary of the title "Who am I?" is so long. Continue to remember this and turn each bead. There will be so much happiness. Become aware of your own rosary and you will experience so much intoxication. Do you have such intoxication? Double foreigners would have double intoxication, would they not? You have imperishable intoxication, do you not? Can anyone reduce this intoxication of yours? In front of the Almighty Authority, what other authority is there? It is just that you fall asleep in the deep sleep of carelessness and so Maya steals the key of your authority, that is, your awareness. Some sleep in such a way that they are not aware of anything. This sleep of carelessness sometimes deceives you so that you feel that you are not sleeping, but are awake. However, even when something gets stolen, you are not aware of it. In fact, there is no other authority in front of the constantly ignited light of the Almighty Authority. No authority can shake you even in your dreams. You are such sovereigns who have a right to the kingdom. Do you understand? Achcha.
Today, Baba has come into the gathering to celebrate a meeting. Just as children are waiting for their turn to meet Baba, in the same way, the Father also invokes the meeting with you children. The loveliest work that the Father has to do is to meet you children, whether it is in the subtle form or the corporeal form. The most important task in the Father's daily schedule is to meet the long-lost and now-found loving children, to decorate them, to sustain them, to make them similar to Himself and make them instruments in front of the world. This is His work. This is what He is always busy doing. He inspires scientists, but that too is for you children. Even when He gives devotees the fruit of their love and devotion, he keeps you children in front. None of them knows the Point; they only know the deities. He reveals “Himself” to only you children even before the devotees. He takes everyone else into liberation, and that too is in order to give you children a happy and peaceful kingdom. Achcha.
To those who constantly have a right to self-sovereignty, to those who remain constantly stable in a firm, constant, unshakeable stage, to those who constantly remain in spiritual intoxication eternally, to those who have a right to the double kingdom, to the lights of the eyes who are merged in BapDada's eyes, BapDada's love, remembrance and namaste. Dadiji just arrived back in Madhuban from a tour of Madras, Bangalore, Mysore and Calcutta.
Seeing Dadiji, BapDada said:
Service of multimillions is merged in your every step. You became the ruler of the globe, went on a tour and created your memorial places. How many pilgrimage places did you create? For mahavir children, to tour around means to create their memorial. Every tour has its own speciality. In this tour too, there was the speciality of fulfilling the desires of many souls. To fulfil the desires of their hearts means to become a bestower of blessings. You became a bestower of blessings and also a great donor. According to the drama, whatever programmes are created are filled with significance. The significance make you fly. Achcha.
BapDada meeting Dadi Janki:
You give everyone the donation of a name. What is the donation of a name? What is your name? To give the donation of a name means to be a trustee and to give a blessing. What would everyone remember as soon as they mention your name? Liberation-in-life in a second and to become a trustee. This is the speciality of your name. Therefore, even if you donate a name, anyone's boat can go across. The Father just now praised your speciality of being a trustee. This is the memorial. He must have been given that word "Janak". There are two stories of the one Janak. One Janak is the one who became bodiless in a second, and the second Janak became a trustee in a second. "Not mine, but Yours." They also show the Janak of the silver age. However, you are the Janak who belongs to the Father, not the one who is Sita's father. Conduct a class on why there is significance in giving the donation of a name. One is able to go across even with the boat of just a name. Even if you don't understand anything else, even if you just say, "Shiv Baba, Shiv Baba", you can receive a gate pass to heaven. Achcha.
BapDada meeting a group from Australia:
BapDada has deep love for the residents of Australia. Why? What is the speciality of Australia? The speciality of Australia is the good method you have of maintaining courage in yourselves and becoming servers and opening centres everywhere. The Father is especially pleased to see children who have courage. The speciality of London is that everyone there continues to receive special sustenance from many experienced jewels, but Australia doesn't have the chance to receive so much sustenance. Nevertheless, you have been standing on your own feet and bringing about good growth and success in service. All of you have a keen interest in having remembrance and doing service. You have a great interest in having remembrance and this is why you are moving forward and will continue to do so. The majority of you are free from obstacles. Some good children have left, but they still continue to remember the Father even now. Therefore, constantly have good wishes for them too and definitely bring them close to the Father once again. You have such enthusiasm, do you not? Of course some fruit of a tree would fall; this is nothing new. Therefore, make yourself and others so strong that you become embodiments of success. All of you in this group that has come are strong, are you not? Maya will not catch hold of you, will she? If there is a weakness, remove it and become complete before you leave Madhuban. Take the blessing with you from Madhuban of being immortal. Keep such a blessing with you at all times and also revive others with this blessing. BapDada is proud of the double-foreign children. You are proud of the Father, too, are you not? You do have the intoxication that, out of the whole world, you are the ones who have recognised the Father, do you not? Eternally maintain this intoxication and happiness. BapDada has now taken everyone's photograph. Baba will then show you the photograph - that you had come here. Move along whilst being knowledge-full of Maya. Those who are knowledge-full are never deceived because when you know when and how Maya comes, you remain constantly safe. You know when Maya comes, do you not? When you step away from the Father and are alone, Maya comes. When you remain constantly combined, Maya will never come. The speciality of Australia is that it is mostly the Pandava Army who is responsible. Elsewhere, the majority is Shaktis. The Pandavas there have performed wonders. “Pandavas” means those who are always with the Father of the Pandavas (Pandava-Pati). You have maintained great courage. BapDada is congratulating you children for your service. Now simply keep the blessing of being immortal with you always. Achcha.
BapDada meeting a group from Brazil:
BapDada knows that loving souls remain merged in the Ocean of Love. No matter how far away you live physically, the children who are constantly loving are always personally in front of BapDada. Your love enables you to overcome all obstacles and helps you to come close to the Father. This is why BapDada is congratulating you children. BapDada knows how you have transformed so much effort into love and have reached here. This is why BapDada constantly massages you children with His hands of love. Parents constantly massage their much-loved children with a lot of love. BapDada sees the stars of fortune of you children. You are sparkling stars. No matter what the condition of the country is, the children of the Father will always remain safe because of the fact that they stay in the Father's love. You always have BapDada's canopy of protection over you. You are such beloved, long-lost and now-found children. Children have garlanded BapDada with garlands of many letters. In return, BapDada is giving all of those children love and remembrance. Tell everyone: Just as you have written letters and given your news with so much love, so Baba accepted them with just as much love. And, of course, children who remain courageous definitely receive the Father's help and He always will help them. He received a rosary and even now, BapDada is turning the beads of the rosary in remembrance.
BapDada knows that, although you may be far away physically, in your minds you are residents of Madhuban. Because of being constantly “Manmanabhav” in your minds, you are close to the Father and in front of Him. BapDada is seeing personally in front of Him such children who remain close and in front of Baba and is giving each one personal love and remembrance and is giving all the long-lost and now-found children the blessing of becoming elevated and moving forward in the service of making others elevated. All of you should accept love and remembrance, personally, by name. Achcha.
Blessing:
May you be a master bestower of peace and with the power of silence attract everyone.
Just as you have learned the art of serving through words, similarly, now shoot the arrow of peace. With this power of silence, you can make greenery appear even on sand. No matter how hard a mountain may be, you can make water come out of it. Put this great power of silence into a practical form through your thoughts, words and deeds and you will become a master bestower of peace. Then the rays of peace will attract all souls of the world to the experience of peace and you will become magnets of peace.
Slogan - Observe the fast of the stage of soul consciousness and attitudes will be transformed.
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