Published by – Goutam Kumar Jena
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali Sep 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Sep-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali - 03-Sep-2018 )
03-09-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - कोई भी भूल हो तो बाप से छिपाओ मत, अगर छिपायेंगे तो छिपाते-छिपाते स्वयं भी छिप जायेंगे''
प्रश्नः-बिगड़ी को बनाने वाला बाप तुम बच्चों की बिगड़ी किस आधार पर बनाते हैं?
उत्तर:-पवित्रता के आधार पर। तुम बच्चे जानते हो जब बाप बिगड़ी को सुधारने आते हैं तो इस पवित्रता पर ही अनेक झगड़े होते हैं। अबलाओं को सितम सहन करने पड़ते। पवित्र बनने बिगर देवता बन नहीं सकते। भारत को कौड़ी से हीरा, दु:खधाम से सुखधाम, पुराने को नया बनाने के लिए पवित्र जरूर बनना पड़े। तुम बच्चे इसी बात की मदद बाप को करते हो इसलिए बाप के साथ-साथ तुम्हारी भी पूजा होती है।
गीत:-भोलेनाथ से निराला........ ओम् शान्ति।
बच्चों ने गीत सुना? कौन से बच्चों ने? प्रजापिता ब्रह्माकुमार और कुमारियों ने। बाप कहते हैं मैं बी.के. के आगे ही ज्ञान सुनाता हूँ। बच्चे जानते हैं यहाँ कोई भी शूद्र कुमार वा रावण कुमार बैठ नहीं सकते। नाम ही पड़ा है ब्रह्माकुमार और कुमारियां अर्थात् प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान। तुम जानते हो कि हमारे ब्रह्मा बाबा का बाबा तो शिव है। हम आत्माओं का भी बाप शिव है। वह बाप ही है बिगड़ी को बनाने वाला। भारत की ही बिगड़ी है, उसको ही बनाते हैं। बाप कहते हैं भारत हीरे जैसा था, सुखधाम था। नई दुनिया में नया भारत, नया देवी-देवताओं का राज्य था। अभी भारत की बिगड़ी हुई है, असुरों का राज्य है। बिगड़ी को बनाने वाला अथवा सुधारने वाला कौन है? यह तुम ब्राह्मणों के सिवाए और कोई जान न सके। बरोबर भारत बहुत ऊंच था, अब नीच है। दूसरे कोई धर्म के लिए नहीं कहेंगे कि वह बहुत ऊंच थे, अब नीच हैं। जिन्होंने राजाई गंवाई है वही फिर से राजाई करते हैं। तब कहते हैं फिर से बिगड़ी को बनाने वाला। सतयुग के बाद फिर जरूर त्रेता, द्वापर, कलियुग आना ही है। सबकी बिगड़नी ही है। सतो, रजो, तमो में आना है जरूर। अब सभी की बिगड़ी हुई है। सब धर्मों का आपस में हंगामा बहुत है। चीनियों का आपस में, बौद्धियों का आपस में, सभी आपस में कितना लड़ते-झगड़ते रहते हैं। इतने जो अनेक धर्म हैं सबकी बिगड़ी हुई है। सब तमोप्रधान जड़-जड़ीभूत अवस्था में हैं। सबको सतोप्रधान से तमोप्रधान बनना ही है। रावण तमोप्रधान बना देते हैं फिर राम आकर रावण की बिगड़ी को बनाते हैं।
तुम जानते हो राम किसको कहा जाता है। राम-राम कह माला फेरते हैं तो परमात्मा को ही याद करते हैं। नाम ही है रूद्र माला। रूद्र शिव के गले की माला। सब धर्म वाले याद जरूर करते हैं। सभी धर्म वालों का सद्गति दाता शिव है। साथ में जरूर मददगार होंगे। रुद्र की माला बहुत सर्विस करती है। तुम बच्चों को बहुत सर्विस करनी है। सर्विस करते हो तब तो तुम्हारा पूजन होता है। रुद्र यज्ञ भी रचते हैं, न सिर्फ भारत में परन्तु सारी दुनिया में क्योंकि तुम सारी दुनिया को पावन बनाते हो। सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेकर तुम स्वर्ग बनाते हो तो जरूर सारी सृष्टि को तुम्हारी पूजा करनी चाहिए। रुद्र है बाप। उनका बड़ा शिवलिंग मिट्टी का बनाते हैं और छोटे-छोटे सालिग्राम भी बनाते हैं। नाम है रुद्र यज्ञ। तुम्हारी पूजा होती है क्योंकि तुम सेवा करके गये हो। रुद्र यज्ञ रचते हैं, बहुत पूजा करते हैं। लाखों सालिग्राम बनाते हैं। पहले है आठ की माला फिर है 108 की और 16108 की। उन्होंने मदद की है, जो मदद बहुत करेंगे वही नज़दीक वाले होंगे।
अभी तुम पुरुषार्थ करते हो रुद्र माला में नजदीक पिरो जायें। सिर्फ बाप को याद करना है। बहुत सहज है। बच्चे के लिए बाप को याद करना बहुत सहज है, जन्मते ही बाबा-मम्मा कहना सीख जाते हैं। तो तुम भी बाबा-मम्मा के बच्चे बने हो। कहते भी हो तुम मात-पिता......। अभी तुम जानते हो हम मात-पिता के सम्मुख बैठे हैं। वह मात-पिता हमको राजाई प्राप्त करने के लिए शिक्षा देते हैं। यूं तो शिक्षा राजा को देनी चाहिए, राजा बनाने की। जैसे बैरिस्टर बनाने की शिक्षा बैरिस्टर देते हैं परन्तु यहाँ तो वन्डरफुल बात है। परमपिता परमात्मा ही ज्ञान का सागर है। वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी है। सभी वेदों, शास्त्रों, ग्रंथों आदि को वह जानते हैं। वह है निराकार, नॉलेजफुल, ब्लिसफुल, रहमदिल। सबके ऊपर रहम करते हैं। सारी सृष्टि पर दया करते हैं क्योंकि सारी सृष्टि तमोप्रधान बनी हुई है। 5 तत्व भी तमोप्रधान हैं। उन पर भी दया करते हैं, वह भी सतोप्रधान बन जायेंगे इसलिए उनको बेहद का सर्वोदया कहा जाता है। यह भी ड्रामा में नूंध है। आत्मा पवित्र बनने से हर चीज़ पवित्र बन जाती है। अभी यह तत्व आदि भी कितने ऩुकसान करते हैं। वहाँ तत्व भी सतोप्रधान होते हैं। कभी कोई बूढ़े नहीं होते। तो बिगड़ी को बनाने वाला बाप है। उनको ही वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी कहा जाता है। वही वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी राज्य स्थापन करते हैं। खुद तो निराकार है, उनको महाराजा या विश्व का मालिक, विश्व पर राज्य करने वाला नहीं कहेंगे। वह तो करनकरावनहार है। देवी-देवताओं की राजधानी स्थापन कराते हैं। खुद राजाई करते नहीं हैं।
तुम बच्चे कहते हो हम वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी विश्व के मालिक बनते हैं। फिर तुम्हारे पर कोई की अथॉरिटी नहीं चलती। कोई हुक्म नहीं कर सकते। सतयुग-त्रेता में और कोई होते ही नहीं। तो तुम बच्चों को सिद्ध कर बताना है सर्व शास्त्र शिरोमणी गीता है। भगवान् ने ही राजयोग सिखलाया है। तुम बच्चे जानते हो हम मनुष्य से देवता बनते हैं। मनुष्यों की बिगड़ी है तब तो बाप आकर देवता बनाते हैं। सारा मदार है पवित्रता पर। बच्चियां लिखती हैं - बाबा, पवित्र बनने लिए बहुत सितम करते हैं। बच्चों को समझाया गया है बड़ा युक्ति से चलना चाहिए। इसमें बड़ी होशियारी चाहिए। एक खेल है जिसमें दिखाया है अपने को बचाने लिए स्त्री कितने चरित्र करती है। बाप कहते हैं - बच्चे, इसमें नष्टोमोहा बनना पड़े। बहुतों की पति में, बच्चों में मोह की रग जाती है। कन्या का तो सिर्फ माँ-बाप और भाई-बहन में मोह होगा फिर जब शादी करती है तो प्लस और भी बढ़ जाते हैं। पति, सासू फिर बच्चे पैदा हुए तो उनमें कितना मोह जुट जाता है। डबल वृद्धि हो जाती है इसलिए पहले तो नष्टोमोहा चाहिए, फिर परीक्षायें भी आती हैं। जैसे राजायें लोग घरबार छोड़ते हैं तो पहले गुरू के पास जाते हैं, वह फिर उनसे काठी (लकड़ी) कटाते, आश्रम की सफाई आदि कराते हैं ताकि देह-अभिमान टूट जाए। यहाँ भी ऐसे कायदे हैं। गरीब तो यह सब काम करते रहते हैं। बड़े घर वालों में बड़ा देह-अभिमान रहता है तो उन्हों की परीक्षा ली जाती है। शुरूआत में बाबा ने भी परीक्षा ली ना। देह-अभिमान तोड़ने लिए तुम सब कुछ करते थे। मोटर साफ करना, धोबी का काम करना। कोई भी आये तो बोलो - पहले तो यह काम करना पड़ेगा। बड़े घर वालों के लिए तो आना ही बड़ा मुश्किल है। गरीबों पर फिर मार खाने की मुसीबत है। पवित्र रहने नहीं देते हैं। उनके साथ फिर युक्ति से चलना पड़ता है लेकिन पूरा नष्टोमोहा जरूर चाहिए। अधूरे नष्टोमोहा होंगे तो एक टांग उस तरफ, एक टांग इस तरफ, लटक पड़ेंगे। फिर ऐसे बहुत लटक दु:खी हो पड़ते हैं। बाप को भूलने से छी-छी हो जाते हैं।
बाप बच्चों को निरन्तर याद करने के लिए कितनी युक्तियां बतलाते हैं। याद से ही विकर्माजीत बनेंगे। कल्प-कल्प श्रीमत देते आये हैं। राजधानी तो जरूर स्थापन होती है। जो कल्प पहले मुआफिक पुरुषार्थ करते हैं वह छिपे नहीं रह सकते। झट मालूम पड़ जाता है। दास-दासियां भी बनने हैं ना। यहाँ रहते हैं तो राजधानी में तो आ जाते हैं क्योंकि बच्चे तो फिर भी बने ना। दास-दासी बन फिर कुछ न कुछ पद पा लेते हैं। नहीं तो दास-दासियां कहाँ से आये। प्रजा को तो अन्दर आने का एलाउ हो न सके। दास-दासियां तो अन्दर रहते हैं। बहुत कहते हैं हम कृष्ण के दास-दासी बनें तो भी अच्छा है। माँ से भी जास्ती उनकी गोद में आयेगा। आजकल बच्चों को नर्सें ही सम्भालती हैं। वहाँ तो कृष्ण को सम्भालने में बड़ी खुशी होती है। कृष्ण जन्माष्टमी पर सब मातायें कृष्ण को झुलाती हैं। वहाँ भी दासियां सम्भालती हैं।
बापदादा को बच्चे बड़े अच्छे चाहिए। बाप तो कहते हैं, कितनी मेहनत करनी पड़ती है - राजधानी स्थापन करने में। झाड़-झाड़ की काठी है, सम्भालने वाले ही तंग हो जाते हैं। कोई-कोई पर चलते-चलते ग्रहचारी बैठ जाती है। बात मत पूछो। यह तो गुड़ जाने गुड़ की गोथरी जाने, यानी बापदादा जाने। गुड़ तो है ही बाप, मीठा है ना। उनकी गोथरी, जिनमें वह आते हैं तो वह जाने और यह जानें। माया रावण ऐसा थप्पड़ लगा देती जो पता भी नहीं पड़ता है। अवज्ञा हो जाती है तो म़ाफी तो ले लो, नहीं तो कर्म भोगना बहुत हो जाती है। समझाने से भी समझते नहीं। ऐसा माया का ग्रहण लग जाता है। बाबा खुद बतलाते हैं। कभी तो योग बड़ा अच्छा लगता है, कभी तो माया इतना त़ूफान में ले आती है, बात मत पूछो। बाबा कहते हैं पहले तुम अनुभव करेंगे, तब तो औरों को बतायेंगे ना। तो त़ूफान पहले सब बाबा के आगे आते हैं। बाबा बतलाते हैं अपने को मिया मिट्ठू नहीं समझना है। स़ाफ दिल है तो ऊंची मुराद हांसिल होती है। अन्दर बाहर दिल के स़ाफ हों तब ही सच्ची दिल पर साहेब राज़ी हो सकता है। तुम बच्चे जानते हो हमारी बिगड़ी को बाबा बना रहे हैं। हम एकदम बन्दर मिसल थे। बाबा मन्दिर लायक बनाते हैं। विश्व के हम मालिक बनते हैं फिर मन्दिर में बैठने की एक कोठरी मिलती है। सतयुग को कहा जाता है शिवालय। सारे विश्व के मालिक बन राज्य करते हैं फिर बाद में हमारे लिए मन्दिर बनते हैं जिनमें हम पूजे जाते हैं। पूजा करने वाले भी पहले हम ही थे, हम ही पूज्य थे फिर हम ही पुजारी बने हैं फिर पूज्य बनते हैं। समझाया तो बहुत अच्छा जाता है। माया अच्छे-अच्छे बच्चों का भी माथा खराब कर देती है। देह-अभिमान बड़ा ऩुकसान कर देता है फिर कुछ न कुछ पाप हो जाता है। शिवबाबा की शल कोई अवज्ञा न करे, उनसे कोई न छिपाये। धर्मराज भी है, बड़ा दण्ड देते हैं। उनका डर रहना चाहिए। अवज्ञा होती है तो क्षमा ले लेनी चाहिए - बाबा, आज हमसे यह भूल हुई। शिवबाबा थ्रू ब्रह्मा। डर रहता है ब्रह्मा तो पहले पढ़ेंगे। अरे, वह तो बाबा है, शिक्षा देते हैं। मम्मा भी शिक्षा देती है। तुमको भी कोई बतलाते हैं तो तुम फिर शिवबाबा को समाचार देते हो। मम्मा-बाबा को भी मालूम पड़ जाता है। समझाया तो बहुत जाता है। मकनाहाथी नहीं बनना है। हाथी को बहुत देह-अभिमान होता है। देह-अभिमान भी बहुत नुकसानकारक है, आधाकल्प चला है ना। वहाँ तो समझते हैं हम आत्मा हैं, यह पुराना शरीर छोड़ नया लेते हैं। वहाँ आत्म-अभिमानी कहेंगे। यहाँ तो सब देह-अभिमानी हैं। तो बच्चों को श्रीमत लेते रहना है। भूल कभी छिपाना नहीं चाहिए। छिपाते-छिपाते छिप ही जाते हैं। योग टूट पड़ता है। बिगड़ी को बनाने वाला एक ही भगवान् अथॉरिटी है। अभी तुम उनके बच्चे बने हो। अच्छा!
अति मीठे-मीठे सिकीलधे ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बापदादा का नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर-बाहर दिल की सफाई से साहेब बाप को राज़ी रखना है। माया के ग्रहण से बचने के लिए बाप को सच्चाई से सब सुनाना है।
2) नष्टोमोहा पूरा बनना है। जरा भी किसी देहधारी में रग नहीं रखनी है। देह-अभिमान को तोड़ने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।
वरदान:-मास्टर ज्ञान सूर्य बन सारे विश्व को सर्व शक्तियों की किरणें देने वाले विश्व कल्याणकारी भव
जैसे सूर्य अपनी किरणों द्वारा विश्व को रोशन करता है ऐसे आप सभी भी मास्टर ज्ञान सूर्य हो तो अपने सर्व शक्तियों की किरणें विश्व को देते रहो। यह ब्राह्मण जन्म मिला ही है विश्व कल्याण के लिए तो सदा इसी कर्तव्य में बिजी रहो। जो बिजी रहते हैं वो स्वयं भी निर्विघ्न रहते और सर्व के प्रति भी विघ्न-विनाशक बनते। उनके पास कोई भी विघ्न आ नहीं सकता।
स्लोगन:-जिम्मेवारी सम्भालते हुए सब कुछ बाप को अर्पण कर डबल लाइट रहना ही फरिश्ता बनना है।
03/09/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, if you make a mistake, do not hide it from the Father. By continuing to hide it, you will hide yourself.
Question:On what basis does the Father, who reforms that which has become spoilt, reform everything for you children?
Answer:On the basis of purity. You children know that when the Father comes to reform that which has been spoilt there are many quarrels over purity. Innocent ones have to tolerate being assaulted. You cannot become a deity without becoming pure. In order to change Bharat from a shell to a diamond, to change this land of sorrow into the land of happiness, to change the old into the new, you definitely have to become pure. You children help the Father in this respect. This is why, along with the Father, you children are also worshipped.
Song:No one is unique like the Innocent Lord.
Om Shanti
Did you children hear the song? Which children? You Prajapita Brahma Kumars and Kumaris heard the song. The Father says: I speak this knowledge to only the Brahma Kumars and Kumaris. You children know that no shudra kumar or Ravan kumar can sit here. Your very name is ‘Brahma Kumars and Kumaris’, that is, the children of Prajapita Brahma. You know that the Father of your Brahma Baba is Shiva, that the Father of you souls is also Shiva. That Father is the One who reforms that which has been spoilt. It is Bharat that has been spoilt and it is Bharat that He is putting right. The Father says: Bharat was like a diamond; it was the land of happiness. In the new world, Bharat was new; it was the new kingdom of deities. Now that everything of Bharat has been spoilt, it is the kingdom of devils. Who can rectify that which has been spoilt, that is, who can reform it? No one except you Brahmins knows this. Truly, Bharat was very elevated, but it is now degraded. For no other religion can it be said that it was very elevated but is now degraded. Those who lost their kingdom are once again going to rule it. Therefore, it is said: That One comes again to reform that which has been spoilt. After the golden age, the silver, copper and iron ages definitely have to come; everything will have to be spoilt again for everyone. You definitely have to go through the stages of sato, rajo and tamo. Everything at this time has been spoilt for everyone. There is a great deal of upheaval among all the religions. The Chinese are fighting among themselves and so are the Buddhists. They all fight so much among themselves. Everything of all the innumerable religions has been spoilt. Everyone has become tamopradhan and reached their stage of total decay. Everyone has to become tamopradhan from satopradhan. Ravan makes everyone tamopradhan and then Rama comes and reforms everything that Ravan has spoilt. You know who is called Rama. When people say “Rama, Rama” and turn the beads of a rosary, they are remembering God. The very name is ‘The rosary of Rudra’ or ‘The garland around the neck of Rudra, Shiva’. People of all religions definitely remember that One. The Bestower of Salvation for those of all religions is Shiva. There must certainly be helpers with Him. The rosary of Rudra does a lot of service. You children have to do a great deal of service. It is because you do service that you are worshipped. People create sacrificial fires of Rudra, not only in Bharat, but throughout the whole world as well, because you make the whole world pure. You take might from the Almighty Authority Father and create heaven. Therefore, the whole world should worship you children. The Father is Rudra. People make a large Shiva lingam out of clay to represent Him and they also make small saligrams. The name is ‘The sacrificial fire of Rudra’. You are worshipped because you did service when you were here. They create sacrificial fires of Rudra and do a lot of worshipping. They create hundreds of thousands of saligrams. First of all there is the rosary of eight, then 108 and then 16,108. They are the ones who help Baba. Those who help a great deal would be close. You are now making effort to be threaded close to Rudra in the rosary. You simply have to remember the Father. It is very easy. It is very easy for children to remember their father. Soon after a child takes birth, he learns to say “Baba and Mama”. So, you have become children of Baba and Mama. You also say “You are the Mother and the Father”. You now understand that you are sitting personally in front of the Mother and Father. The Mother and Father is giving you teachings to enable you to claim the kingdom. In fact, it should be a king giving you teachings to make you into kings, just as a barrister would teach you how to become a barrister. However, here, it is such a wonderful thing! The Supreme Father, the Supreme Soul, is the Ocean of Knowledge. He is the World Almighty Authority. He knows all the Vedas, the scriptures and the Granth etc. He is the Incorporeal, Knowledge-full, Blissful and Merciful One. He bestows mercy on everyone. He has mercy for the whole world because the whole world has become tamopradhan. The five elements are also tamopradhan. He also has mercy for them, so that they too become satopradhan. This is why He is called the unlimited Sarvodaya (the One who bestows unlimited mercy on all). This too is fixed in the drama. When souls become pure, everything becomes pure. Now even the elements of nature are causing so much damage. There, the elements are satopradhan. No one ever becomes old there. So, the Father is the One who reforms that which has gone wrong. He alone is called the World Almighty Authority. That World Almighty Authority is establishing a kingdom. He Himself is incorporeal; He cannot be called the Emperor, the Master of the World, or one who rules the world. He is Karankaravanhar. He inspires the kingdom of deities to be established. He Himself does not rule it. You children say: We are becoming world almighty authorities, the masters of the world. Then, no one else will have any authority over you; no one will be able to give you orders. There is no one else in the golden and silver ages. Therefore, you children have to prove that the Gita is the most elevated jewel of all the scriptures and that God taught Raja Yoga. You children know that you are becoming deities from human beings. When everything of human beings has been spoilt, the Father comes to make you into deities. Everything depends on purity. Daughters write: Baba, we are assaulted a lot when we say we want to remain pure. It has been explained to you children that you have to move along with great tact. You have to be very clever in this. There is a play in which a woman cleverly performs many acts in order to save herself. The Father says: Children, you have to become conquerors of attachment in this. There are many who have strings of attachment to their children and husband. A kumari would only have attachment to her parents and brothers and sisters. After she marries, there are additions and it therefore increases. There is her husband and mother-in-law and then, when she has children, she has so much attachment to all of them. There is double expansion. This is why you first of all have to become conquerors of attachment. Then you will also have to face tests. When a king wants to renounce his family, he first has to go to his guru. There, he is made to cut wood and clean the ashram so that his body consciousness breaks. Such systems exist here too. The poor continue do all of that work anyway. Those who come from grand families have a great deal of body consciousness. Therefore, they have to be tested. In the beginning, Baba also tested all of you. In order to break your body consciousness, you used to do everything - clean cars, do the laundry. So, when anyone comes, tell them that they will first have to do all of these tasks. It is very difficult for those from wealthy homes to come here. However, for the poor ones, there is the problem of being beaten. They don’t allow them to remain pure. You have to interact with them tactfully, but you must definitely be complete conquerors of attachment. When you only partly conquer attachment, you have one foot on one side and the other foot on the other side and you dangle in between. Many experience sorrow by dangling in this way. By forgetting the Father they become dirty. The Father gives you many methods with which you can constantly stay in remembrance. It is by having remembrance that you will become conquerors of sinful actions. Baba has been giving you shrimat cycle after cycle. The kingdom is definitely being established. Those who make effort as they did a cycle ago cannot remain hidden. They can be recognized instantly. Maids and servants also have to be created. Since you stay here and because you still remain the children, you will also come into the royal kingdom. However, you will become maids or servants and claim one status or another. Otherwise, where would the maids and servants come from? Subjects are not allowed to enter the palace; it is maids and servants who stay in palaces. Many say that it would be good if they even became the maids and servants of Krishna. He (Krishna) would be more in their lap than in his mother’s. Nowadays, nurses look after children. There, there will be great happiness experienced in looking after Krishna. All the mothers rock Krishna in a cradle on the festival of Krishna’s birthday. There, the maids will look after him. BapDada needs very good children. The Father says: I have to make a great deal of effort in order to establish the kingdom. There are many twigs of the various trees here. Those who look after them get fed up. While moving along, some are eclipsed by such bad omens, don’t even ask! Only the jaggery and its bag know this, that is, only BapDada knows. The Father is the jaggery. He is so sweet! His bag, the one He enters, knows and He Himself knows. Maya, Ravan, slaps you in such a way that you don’t even realise it. If you have disobeyed Baba, you should at least ask to be forgiven. Otherwise, you will have to endure a great deal of suffering. Some are eclipsed by Maya in such a way that even when it is explained to them they still do not understand. Baba himself says: Sometimes, I have very good yoga, whereas at other times Maya brings so many storms, don’t even ask! Baba says: It is only when you first experience all of this yourself that you are then able to explain to others. So, all the storms first come to Baba. Baba tells you: Do not consider yourself to be too clever; don’t think that you know everything. When your heart is clean, your elevated desires will be fulfilled. Only when your heart is clean inside and out and completely honest will the Lord be pleased with you. You children know that Baba is reforming that which has gone wrong for you. We were absolutely like monkeys. Baba is making us worthy of living in a temple. We become the masters of the world and we then receive an alcove in a temple to sit in. The golden age is called Shivalaya (Shiva Temple). We become the masters who rule the kingdom of the whole world. Later, temples are built to us in which we are worshipped. We are the first ones who worship. We were worthy of being worshipped and we then became worshippers. We are now once again becoming worthy of being worshipped. Everything is explained to you very clearly. However, Maya spoils the heads of even good children. Body consciousness causes such a great deal of damage that you commit one sin or another. May no one disobey Shiv Baba. May no one hide anything from Him. Dharamraj is also here to punish you a great deal. You should be afraid of Him. If you disobey Baba, you have to ask to be forgiven. Write to Shiv Baba c/o of Brahma: Baba, today I made this mistake. There is the fear that Brahma will read it first. Ah! But he is your father who gives you teachings. Mama also gives you teachings. When someone tells you anything, you then give this news to Shiv Baba. Mama and Baba also come to know. A great deal is explained to you. You must not become like a wild elephant. An elephant has a great deal of body consciousness. Body consciousness causes a lot of damage. It has continued for half a cycle. There, you have the awareness that you are a soul and that you have to shed your old body and take a new one. You are said to be soul conscious there. Here, all are body conscious. Therefore, you children should continue to take shrimat and never try to hide your mistakes. While continuing to hide them, you will hide yourself and then your yoga will break. God alone is the Authority to put right that which has gone wrong. You have now become His children! Achcha.
To the extremely sweet, beloved, long-lost and now-found children, stars of knowledge, numberwise, according to your efforts, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Make your heart clean inside and out and thereby please the Lord, your Father. In order to be protected from being eclipsed by Maya, tell the Father everything with honesty.
2. Become complete conquerors of attachment and don’t be pulled in the slightest way to any bodily beings. Make full effort to break body consciousness.
Blessing:May you be a world benefactor who, as a master sun of knowledge, gives rays of all powers to the whole world.
Just as the sun lights up the world with its rays, in the same way, all of you are master suns of knowledge and so you must continue to give the rays of all your powers to the world. You have received this Brahmin birth for world benefit and so you should always remain busy in this task. Those who remain busy remain free from obstacles and also become destroyers of obstacles for others. No obstacle can come to them.
Slogan:While looking after your responsibilities, to surrender everything to the Father and remain double light is to become an angel.
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