Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali 01-Aug- 2018 | 125037 | 2018-09-07 17:27:03 | |
2 | Murali 02-Aug- 2018 | 115306 | 2018-09-07 17:27:03 | |
3 | Murali 03-Aug- 2018 | 122767 | 2018-09-07 17:27:03 | |
4 | Murali 04-Aug- 2018 | 131649 | 2018-09-07 17:27:03 | |
5 | Murali 05-Aug- 2018 | 122005 | 2018-09-07 17:27:03 | |
6 | Murali 06-Aug- 2018 | 122804 | 2018-09-07 17:27:03 | |
7 | Murali 07-Aug- 2018 | 120104 | 2018-09-07 17:27:03 | |
8 | Murali 08-Aug- 2018 | 127824 | 2018-09-07 17:27:03 | |
9 | Murali 09-Aug- 2018 | 127466 | 2018-09-07 17:27:03 | |
10 | Murali 10-Aug- 2018 | 121746 | 2018-09-07 17:27:03 | |
11 | Murali 11-Aug- 2018 | 122692 | 2018-09-07 17:27:03 | |
12 | Murali 12-Aug- 2018 | 111683 | 2018-09-07 17:27:03 | |
13 | Murali 13-Aug- 2018 | 123920 | 2018-09-07 17:27:03 | |
14 | Murali 14-Aug- 2018 | 111398 | 2018-09-07 17:27:03 | |
15 | Murali 15-Aug- 2018 | 128503 | 2018-09-07 17:27:03 | |
16 | Murali 16-Aug- 2018 | 127280 | 2018-09-07 17:27:03 | |
17 | Murali 17-Aug- 2018 | 107136 | 2018-09-07 17:27:03 | |
18 | Murali 18-Aug- 2018 | 120726 | 2018-09-07 17:27:03 | |
19 | Murali 19-Aug- 2018 | 108991 | 2018-09-07 17:27:03 | |
20 | Murali 20-Aug- 2018 | 124686 | 2018-09-07 17:27:03 | |
21 | Murali 21-Aug- 2018 | 119352 | 2018-09-07 17:27:03 | |
22 | Murali 22-Aug- 2018 | 131894 | 2018-09-07 17:27:03 | |
23 | Murali 23-Aug- 2018 | 124657 | 2018-09-07 17:27:03 | |
24 | Murali 24-Aug- 2018 | 130080 | 2018-09-07 17:27:03 | |
25 | Murali 25-Aug- 2018 | 132241 | 2018-09-07 17:27:03 | |
26 | Murali 26-Aug- 2018 | 132051 | 2018-09-07 17:27:03 | |
27 | Murali 27-Aug- 2018 | 125337 | 2018-09-07 17:27:03 | |
28 | Murali 28-Aug- 2018 | 119723 | 2018-09-07 17:27:03 | |
29 | Murali 29-Aug- 2018 | 114297 | 2018-09-07 17:27:03 | |
30 | Murali 30-Aug- 2018 | 124625 | 2018-09-07 17:27:04 | |
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Details ( Page:- Murali 24-Aug- 2018 )
24-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - संगमयुग ब्राह्मणों के लिए कल्याणकारी है इसलिए सदा फखुर में रहना है, किसी बात का फिक्र नहीं करना है"
प्रश्नः-जिनकी अवस्था अच्छी है, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर:-
उन्हें किसी भी बात में रोना नहीं आयेगा। मुरझायेंगे नहीं, गम वा अफसोस नहीं होगा। हर सीन साक्षी होकर देखेंगे। कभी क्यों, क्या के प्रश्न नहीं करेंगे। किसी के नाम रूप को याद नहीं करेंगे, एक बाबा की याद में हर्षितमुख रहेंगे।
गीत:-
माता ओ माता ....
ओम् शान्ति।
मीठे बच्चों को फरमान है कि बेहद के बाप को याद करते रहो। जो भी नाम रूप वाले बच्चे बाप की सर्विस में हैं, उनसे यह ज्ञान और योग सुनना है। वह भी यही सुनायेंगे कि बाप को याद करो क्योंकि वर्सा उनसे मिलता है। मम्मा भी तो वही सुनाती है, बच्चे भी वही सुनाते हैं कि शिवबाबा को याद करो। तुम बच्चे यहाँ शिवबाबा की याद में बैठे हो, तुम्हें कोई फिकर नहीं करना है क्योंकि तुम बेहद के बाप से यह वर्सा ले रहे हो। इनमें कोई भी शरीर छोड़कर जाते हैं तो हम कहेंगे कि यह भी भावी है। कल्प पहले भी यह हुआ था क्योंकि ड्रामा के ऊपर भी तो चलना पड़े ना, जिससे कोई फिक्र नहीं रहे। आज मम्मा गई, कल और भी कोई चले जायेंगे फिर भी बाप को मुरली सुनानी है जरूर। बाबा तुम बच्चों को नई-नई प्वाईन्ट्स सुनाते, उनका अर्थ समझाते रहते हैं और यही सबको कहते हैं कि बच्चे बाप को याद करो, कोई भी नाम रूप में फसों मत। यह तो सब बच्चों के लिए ज्ञान है। आगे चल करके और भी बहुत कुछ वन्डरफुल बातें देखने की हैं। इस समय तो हैं ही दु:ख की बातें, परन्तु उस दु:ख का हमें कोई फिकर नहीं है। देखो, यह बाबा (साकार) तो कोई फिकर में नहीं है क्योंकि जानते हैं कि हमको तो बाबा को ही याद करना है, हमको बाबा से वर्सा लेना है। बाबा ने समझाया है कि क्रियेशन से कोई वर्सा नहीं मिलता है, क्रियेशन को क्रियेटर से वर्सा मिलना है इसलिये जो भी क्रियेशन (बच्चे और बच्चियां) हैं, उन्हें एक क्रियेटर को याद करना है। चाहे कुछ भी हो जाये। समझो कोई भी ऐसा विघ्न पड़ता है तो उसमें संशय की तो कोई बात ही नहीं है क्योंकि एक शिवबाबा को ही याद करना है, इसमें ही बच्चों का कल्याण है। अगर कोई अच्छी सर्विस करते-करते चला जाता है तो समझना चाहिए कि जो भी कोई जाता है, उसे जा करके और कहाँ पार्ट बजाना है। कोई न कोई कल्याण के कारण यह सब कुछ होता है क्योंकि बाप कल्याणकारी है और यह संगमयुग ब्राह्मणों का है ही कल्याणकारी। हर एक बात में कल्याण समझ फखुर में ही रहना है क्योंकि हम ईश्वरीय सन्तान हैं। ईश्वर से वर्सा लेते हैं, वर्सा लेते-लेते कोई चले जाते हैं तो जरूर उनका कोई और पार्ट होगा, इससे भी जास्ती कोई कार्य करना है।
अहो सौभाग्य! जो हमारा ही पार्ट है कल्प पहले मुआफिक बाप के मददगार बनने का। मददगार बनते-बनते कोई जनरल भी मर पड़ते हैं। हम समझते हैं ड्रामा अनुसार ही यह सब कुछ होता है, कोई गया तो क्या हुआ। हमें उनके लिए कुछ करना नहीं है। हमारा तो सब कुछ गुप्त है। वास्तव में अवस्था उनकी अच्छी है, जिन्हें कभी आंसू न आये। कभी ऐसे भी न समझे कि मम्मा का शरीर छूट गया, अब क्या होगा! ऑसू आये तो नापास हो जायेंगे क्योंकि बाप बैठा है ना, जो हम सबको वर्सा दे रहे हैं। वह तो अमर ही है, उसके लिये कभी कोई ऑसू आने की दरकार भी नहीं है। हम तो खुद भी खुशी से शरीर छोड़ने के लिये पुरुषार्थ कर रहे हैं। मम्मा का भी कोई कार्य अर्थ इस समय जाने का था, यह भी ड्रामा है। कोई भी अपनी अवस्था अनुसार शरीर छोड़े तो उनका कल्याण है। बहुत अच्छे घर में जन्म लेकरके वहाँ भी कुछ अपनी खुशी देंगे। छोटे-छोटे बच्चे भी सबको खुश कर देते हैं। सभी उनकी बहुत महिमा करते हैं। तो बच्चों का ड्रामा के ऊपर और बाप के ऊपर मदार है। जो कुछ भी होता है, सेकण्ड बाय सेकण्ड.. वह ड्रामा की नूँध है, ऐसा समझ करके खुशी में, सदा हर्षित रहना चाहिए।
कोई भी नाम रूप में हम लोगों को फंसना नहीं है। पता है यह शरीर है, इसको तो जाना ही है। हरेक का पार्ट नूँधा हुआ है, हम रोयेंगे तो क्या रोने से उनका पार्ट बदल सकता है, इसलिये बच्चों को बिल्कुल अशरीरी, शान्त और फिर हर्षितमुख रहना है। अटल, अखण्ड राज्य लेना है तो ऐसा बनना भी है। कोई भी इत़फाक हो जावे तो कहेंगे भावी है ड्रामा की, अफसोस की तो कोई बात नहीं। कल्प पहले भी ऐसे ही हुआ था। इतफाक तो होने ही हैं, चलते-चलते अर्थक्वेक्स हो जाते हैं। ऐसे नहीं है कि तुम्हारे में से कोई नहीं मरने हैं, नहीं। कोई भी मर सकते हैं, कोई भी इत़फाक हो सकता है इसलिए बाबा समझाते हैं कि बच्चे हमेशा बाप की याद में, फ़खुर में रहो। इसमें जो पार्ट जिसको मिला हुआ है वह बजाता है, उसमें हमको क्या करना है। हमारा ज्ञान ही ऐसा है - अम्मा मरे तब भी हलुआ खाना, यानि ज्ञान रत्न देना। समझो बाबा कहता है, यह बाबा भी चला जाये... तो तुम बच्चों को फिर भी नॉलेज तो मिली हुई है कि हमको शिवबाबा से वर्सा लेना है, इनसे तो नहीं लेने का है। बाप कहते हैं यह सब बच्चे जो हैं मेरे से वर्सा ले करके दूसरों को रास्ता बताते हैं। तुम बच्चों को अन्धों की लाठी बनना है, बाप का परिचय देना है। हरेक के ऊपर मेहर करना है। तुम्हारा यही पुरुषार्थ है कि यह बिचारे दु:खी हैं, इनको सुख का रास्ता बतायें। इस दुनिया में सिवाए एक बाप के और कोई भी सुख का रास्ता बताने वाला है ही नहीं। लिबरेटर, दु:ख हर्ता सुख कर्ता एक ही है, उनको ही याद करना है।
यहाँ दु:ख की कोई भी बात नहीं होनी चाहिए, कुछ भी हो जाये। भले हम जानते हैं तुम्हारी मम्मा सर्विसएबुल सबसे नम्बरवन गाई जाती है। उनके हाथ में सितार दिखाते हैं, बरोबर जगदम्बा यानि मातेश्वरी वह बहुत अच्छा समझाती थी। वह भी कहती थी कि शिवबाबा को याद करो। मुझे नहीं याद करना। मनमनाभव, मध्याजीभव - यह दो अक्षर मशहूर हैं। बाकी तो डिटेल है।
तो कोई भी हालत में, कोई भी संशय किसको पड़े, यह क्या हुआ, ऐसा क्यों हुआ... तो इससे अपना ही नुकसान कर देंगे। तुम बच्चों को कोई भी हालत में दु:ख की महसूसता नहीं आनी चाहिए। भले बीमारी हो, कुछ भी हो... यह तो कर्मभोग है। बाबा से पूछते हैं - बाबा यह क्या है? बाबा कहेंगे यह तुम्हारा कर्मभोग है। अगर कोई बात ड्रामा में पहले से बताने की नहीं है तो मैं कैसे बताऊं...! यह बाबा भी साक्षी हो करके देखते हैं, तो बच्चों को भी साक्षी हो करके देखना है और बाप की याद में फ़खुर में रहना है कि हम ईश्वर की सन्तान हैं, ईश्वर के पोत्रे और पौत्रियाँ हैं। ईश्वर से वर्सा ले रहे हैं। बरोबर हम जानते हैं मम्मा ने भी ईश्वर का वर्सा लेते-लेते, शरीर छोड़ दिया। हम हर एक को तो बस बाप और वर्से को याद करना है। सारा मदार पुरुषार्थ पर है। यह बच्चे भी महसूस कर सकते हैं कि जितना हम पढ़ेंगे उतना ऊंचा पद पायेंगे। ऊंचा प्रिन्स बनेंगे। सूर्यवंशी भी प्रिन्स और चन्द्रवंशी भी प्रिन्स एण्ड प्रिन्सेस हैं। तो बच्चों को पढ़ाई पढ़ना ही है, कुछ भी हो जाये पढ़ना जरूर है। ऐसे थोड़ेही है - कोई का माँ/बाप मरता है तो बच्चा पढ़ाई छोड़ देगा, नहीं। तो तुमको भी पढ़ाई रोज़ पढ़ना है। तुम्हें एक दिन भी पढ़ाई नहीं छोड़नी है, सर्विस भी हर हालत में जरूर करनी है। हर वक्त बुद्धि में वही एक बाबा याद रहे। तुम्हें वही पढ़ा रहे हैं और उनसे ही वर्सा लेना है। उसने ही हमारी बुद्धि का ताला खोला है। सारे ब्रह्माण्ड, सूक्ष्मवतन और फिर सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान हमारे बुद्धि में है। इसी ज्ञान से हम चक्रवर्ती बनते हैं। बस, उसी नशे में, मौज में रह सबको सुनाना भी ऐसे ही है क्योंकि तुम बच्चे जो पक्के ब्राह्मण बने हो, तुन्हें कोई फिक्र नहीं है। इसमें कोई मुरझाने की, फिक्र करने की बात ही नहीं है। ऐसी अच्छी अवस्था चाहिए।
तुम समझते हो कि अन्त में विजय हमारी होनी ही है, ढेर के ढेर अपना वर्सा लेने के लिये आयेंगे। कुछ भी हो, तुम्हारे सर्विस की वृद्धि होती ही रहेगी, सिर्फ तुम्हारी एक्टिविटी दैवी चाहिए। उसमें कोई भी आसुरी गुण नहीं चाहिए। किससे लड़ना, झगड़ना, किससे कडुवा बोलना या अन्दर में कुछ लालच, लोभ, क्रोध ..आदि अगर होगा तो बहुत कड़ी सजा खानी पड़ेगी इसलिए कोई को भी दु:ख नहीं देना है। सबको सुख का रास्ता बताना है। कोई छोटे बच्चे हैं, चंचलता करते हैं तो भी चमाट नहीं मारनी है। उन्हें भी प्यार से चलाना है। घर में भी बड़ा युक्ति से चलना है। कई हैं जो यहाँ बहुत अच्छी तरह से समझते हैं, घर में जाते हैं तो उन्हें माया हैरान करती है। यह भी बाप समझते हैं कि बच्चे तूफान जोर से आते रहेंगे, दिनप्रतिदिन तूफान और विघ्न पड़ते रहेंगे, तुम्हें घबराना नहीं है। बाप कहते हैं इस हमारे रूद्र ज्ञान यज्ञ में अथाह विघ्न पड़ेंगे, क्योंकि यह नई नॉलेज है।
कोई पूछते हैं तुम शास्त्रों को मानते हो? बोलो हाँ, मानते हैं यह सब भक्तिमार्ग के शास्त्र हैं। यह ज्ञान मार्ग है। ज्ञानेश्वर बाप कहते हैं मुझे याद करो बस, हम भी तुमको कहते हैं बाप को याद करो। करो न करो तुम्हारी मर्जी। अभी नर्क है, रावण राज्य है। अब बाप और स्वर्ग को याद करो। तुम गंगा में स्नान तो जन्म-जन्मान्तर करते आये हो, फिर भी दुनिया पतित बनती आई है। अभी बाप कहते हैं बस, मुझे याद करो। जो यहाँ के होंगे उनके संस्कार ही देखने में आयेंगे, वह झट समझ जायेंगे।
तुम अभी बेहद के बुद्धिवान हो। सयाने को बुद्धिवान कहा जाता है। तो तुम्हें उसी नशे में रहना है। बाकी गम की कोई बात नहीं है, यह हम जान गये कि ड्रामा चल रहा है। तुम कहेंगे वाह! मम्मा गई! वह एक्टर दूसरा एक्ट करने गई। इसमें मूंझने की, रोने की, दु:ख की दरकार नहीं है। वह कोई ऊंची सर्विस करने के लिये गई। तुम दिन-प्रतिदिन ऊंचे बनते जाते हो। कोई शरीर छोड़ेगा तो भी ऊंची सर्विस जाके करेगा, इसलिए बच्चों को कोई भी दु:ख नहीं होना चाहिए। मम्मा क्या, सभी जायेंगे। हमको भी बाबा के पास जाना है, हमारा काम है बाबा से। सबका काम है बाबा से, मम्मा का काम था बाबा से। अभी उनसे वह नॉलेज पा करके सर्विस करके जाके कोई दूसरी सर्विस के लिये दूसरा पार्ट बजाने गई। हम साक्षी हो करके देखते हैं। ऐसे नहीं कि मम्मा चली गई, फलानी चली गई, यह चली गई... अरे आत्मा सर्विस के लिये गई। शरीर तो सब खाक में ही मिलने हैं। इसलिये कभी भी बच्चों को कोई प्रकार का फिक्र नहीं करना है। हाँ, यह सत्य है, यह जो स्टूडेन्ट बाबा का था, यह बड़ा अच्छा था। अच्छा समझाता था... गाया जाता है। अगर कोई भी प्रकार का संशय आया तो यह खत्म हुआ, पद से भ्रष्ट हो जायेगा इसलिये बाबा बच्चों को समझाते रहते हैं बच्चे, कोई प्रकार का फिक्र नहीं करो। डायरेक्शन्स जो मिलते हैं उन्हें अमल में लाते रहो। ऐसे मत समझो कि यह क्या हो गया? फिक्र उनको होगा जो बाप को और नॉलेज को भूलेगा। तुम बच्चे सभी मास्टर नॉलेजफुल हो। जिसका जो पार्ट है, उसमें हम कर ही क्या सकते हैं?
अच्छा - रात्रि को तो सब याद में बैठे, अच्छी कमाई हो गई। बाबा यहाँ आ करके बच्चों को देखते हैं, खुश होते हैं कि यह बगीचा बन रहा है। अभी ब्राह्मण हैं, इसके पीछे देवी-देवताओं का बगीचा बनना है। अभी यहाँ सब पुरुषार्थी हैं। कोशिश कर रहे हैं अच्छा फूल बनने की। कांटे को फूल बनाने का शो करेंगे। तुम्हें यहाँ स्थेरियम होकर बैठना है। बाबा देखो कितना पक्का कराते हैं। बाबा का फरमान मिला हुआ है सिर्फ मुझे याद करो। कोई ने रोया तो बाबा कहेंगे जिन रोया तिन खोया। बाबा देख रहा है कोई मुरझाया हुआ फूल तो नहीं है? नहीं। सब महावीर हैं। ऐसे-ऐसे विघ्न तो आने ही हैं। ड्रामा है, भावी है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी दैवी एक्टिविटी बनानी है। कभी भी लड़ना, झगड़ना नहीं है, कडुवा नहीं बोलना है, लोभ लालच नहीं रखना है। कोई को दु:ख नहीं देना है। सबको सुख का रास्ता बताना है।
2) कोई भी विघ्न में संशय नहीं उठाना है, ड्रामा की निश्चित भावी समझ फखुर में रहना है, फिक्र नहीं करना है।
वरदान:-सदा भरपूरता की अनुभूति द्वारा टेढ़े रास्ते को सीधा बनाने वाले शक्ति अवतार भव
सदा शक्ति के, गुणों के, ज्ञान के, खुशी के खजाने से भरपूर रहो तो भरपूता के नशे से टेढ़ा रास्ता भी सीधा हो जायेगा। अगर खाली होंगे तो खड्डा बन जायेगा और खड्डे में गिरने से मोच आयेगी। जो कमजोर और खाली होते हैं उन्हें संकल्पों की मोच आती है। शक्ति अवतार अर्थात् टेढ़े को सीधा करने का कान्ट्रैक्ट लेने वाले। ऐसा कान्ट्रैक्ट लेने वाले कभी यह नहीं कह सकते कि रास्ता टेढा है। अगर कोई गिरते हैं तो अटेन्शन की कमी है या बुद्धि भरपूर नहीं है।
स्लोगन:-रूहाब को धारण करने वाले ही रूहानी गुलाब हैं।
24/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, the confluence age is beneficial for Brahmins. Therefore, always have spiritual intoxication. Don't worry about anything.
Question:
What are the signs of those whose stage is good?
Answer:
They never cry about anything. They never wilt. They never feel sorrow or regret. They watch every scene as detached observers. They never ask "Why?" or "What?" They never remember the name or form of anyone. They remain cheerful in remembrance of one Baba.
Song:
Mother, o Mother, you are the bestower of fortune for the world!
Om Shanti
(These elevated versions were spoken by BapDada on 25th June 1965
when Mateshwari left her body. Please read this murli with that awareness.)
You sweet children have been given an order to continue to remember the unlimited Father. Listen to this knowledge of yoga from all the children with a name and form who are engaged in the Father's service. They too will tell you: Remember the Father because you receive the inheritance from Him. This too is what Mama said. Children also say: Remember Shiv Baba. You children are sitting here in remembrance of Shiv Baba. You don't have to worry about anything because you are receiving your inheritance from the unlimited Father. When anyone sheds his or her body and goes away, we would say that that was destined, that it also happened in the previous cycle. You have to move along with the drama so that there are no worries. Today, Mama has gone and tomorrow, someone else will go, but the Father definitely has to speak the murli. Baba continues to tell you children new points and explain their meaning. He tells everyone: Children, remember the Father. Don't become trapped in anyone's name or form. This knowledge is for all children. As you progress further, you will see many wonderful things. At this time, there are things of sorrow. However, we are not worried about that sorrow. Look, this Baba (sakar Baba) doesn't have any worries because he knows that he has to remember Baba alone and claim his inheritance from Baba. Baba has explained that no inheritance is received from the creation. The creation is to receive their inheritance from the Creator. Therefore, all the creation (sons and daughters) have to remember the one Creator, no matter what happens. When any such obstacle comes, there is no question of doubt about it because you only have to remember one Shiv Baba. It is in this that there is benefit for you children. If someone goes away having done good service, it should be understood that whoever goes away has to go and play his part somewhere else. All of this happens for one benefit or another because the Father is the Benefactor and this confluence age is also beneficial for Brahmins. Maintain spiritual intoxication by knowing that there is benefit in everything because we are the children of God. We are claiming our inheritance from God. If they go away while claiming their inheritance, they must definitely have another part to play; they have to carry out a greater task. It is our great fortune that we have the parts to become the Father's helpers as we did in the previous cycle. Generally, even while being a helper, anyone can die. We understand that all of this happens according to the drama. So what if someone has gone? We don’t have to do anything for that person. Everything of ours is incognito. In fact, those who never shed tears have a good stage. Never think: Mama has left her body and so what will happen now? If you shed tears, you fail. The Father who is giving all of us the inheritance is sitting here. He is immortal and so there is no need to shed any tears for Him. We ourselves are making effort to shed our bodies in happiness. Mama had to go somewhere else for a particular task and that too was in the drama. There is benefit according to their stage for those who leave their bodies. They will take birth in very good homes and give them happiness. Even little children make everyone happy. Everyone praises such children. So, everything of the children depends on the drama and the Father. Always consider that whatever happens, second by second, is also fixed in the drama and remain constantly happy and cheerful. We people must never become trapped in anyone's name or form. We know that this is a body and that it has to go at some point. Each one's part is fixed. If we cry, would that person's part be changed by our crying? This is why you children have to remain absolutely bodiless, peaceful and cheerful. If you want to claim the unshakeable immovable kingdom, you have to become like this. When any incident takes place, it would be said to be the destiny of the drama. There is nothing to regret in that. The same thing also happened in the previous cycle. Incidents will take place. Earthquakes take place as you move along. It isn't that any one of you is not going to die; no; anyone can die. Any incident can take place. This is why Baba explains: Children, always stay in remembrance of the Father and maintain your spiritual intoxication. Whatever part each one has received, he plays that part. What do we have to do with that? Our knowledge is such that even if your mother dies you have to eat halva, which means that you have to give the jewels of knowledge. For instance, Baba says: This Baba might also go away. Nevertheless, you children have already received the knowledge that you have to claim your inheritance from Shiv Baba, not from this one. The Father says: All of these children of Mine are claiming their inheritance from Me and showing the path to others. You children have to become sticks for the blind. Give the Father's introduction. Have mercy for everyone. Your effort is that when you see someone is unhappy, you have to show that person the path to happiness. No one in this world, apart from the one Father, can show you the path to happiness. The Liberator and Remover of Sorrow and Bestower of Happiness is only the One. You have to remember Him alone. No matter what happens, there can be no question of sorrow here. We know that your Mama is remembered as the number one serviceable child. She has been portrayed with a sitar in her hands. Truly, Jagadamba, that is, Mateshwari used to explain very well. She also used to say: Remember Shiv Baba. Don't remember me. Manmanabhav, madhyajibhav. These two terms are very well known. The rest is detail. No matter what the circumstances are, if any of you have doubts as to what happened or why it happened, you are only bringing a loss to yourselves. You children should not experience sorrow in any situation. Even if you are ill, or if there is something else, that is the suffering of karma. Some ask Baba: Baba, what is this? Baba would reply: That is the suffering of your karma. If something in the drama is not to be told to you in advance, how can I tell you that? This Baba also watches everything as a detached observer. So, you children also have to watch everything as detached observers and stay in remembrance of the Father with spiritual intoxication: I am a child of God. We are God's grandsons and granddaughters. We are claiming our inheritance from God. We know that Mama left her body while claiming her inheritance from God. Each one of us has to remember the Father and the inheritance. Everything depends on effort. You children can also realise that, to the extent you study, you can claim a high status and become elevated princes. There are the sun-dynasty princes and princesses and the moon-dynasty princes and princesses. Therefore, you children have to study. No matter what happens, you definitely have to study. It isn't that if someone's mother or father dies, he stops studying; no. So, you too have to study every day. You mustn't miss the study for even one day. You definitely also have to do service under all circumstances. Just keep Baba alone in your intellects at every moment. He alone is teaching you and you have to claim your inheritance from Him alone. He has opened the locks on our intellects. We have the knowledge of Brahmand, the subtle region and the beginning, the middle and the end of the world in our intellects. Through this knowledge we become the rulers of the globe. Simply stay in this pleasure and intoxication and tell everyone this knowledge in the same way because you children who have become firm Brahmins don't have any worries. There is nothing to make you wilt or worry about in this. You need to have a good stage. You understand that you are definitely going to gain victory at the end. Many people will come to claim their inheritance. No matter what happens, your service will continue to grow. Just let your activity be divine. There mustn't be any devilish traits here. If you fight or quarrel with anyone or say bitter words to someone or are tempted or have greed or anger etc., there will have to be very severe punishment. Therefore, you mustn't cause sorrow for anyone. Show everyone the path to happiness. Even if a small child is causing mischief, you mustn't smack him. Interact with him too with love. Be very tactful at home with everyone. There are some who understand everything very well here, but as soon as they go home, Maya distresses them. The Father understands that storms will continue to come forcefully to you children. Day by day, there will continue to be storms and obstacles. You mustn't be afraid. The Father says: There will be many obstacles in this sacrificial fire of knowledge of Mine because this is new knowledge. When someone asks if you believe in the scriptures, tell him: Yes, we believe in them. All of those scriptures are of the path of devotion whereas this is the path of knowledge. The Father, the Lord of Knowledge (Gyaneshwar), says: Remember Me. That’s all! I also tell you: Remember the Father. Whether you do it or not is up to you. It is now hell, the kingdom of Ravan. Now remember the Father and heaven. You have been bathing in the Ganges for birth after birth. In spite of that, the world has continued to become impure. The Father now says: Simply remember Me. You will see those sanskars in those who belong here; they will understand very quickly. You now have unlimited intellects. Those who are sensible are called those with wise intellects. So, you have to maintain that intoxication. There is no question of sorrow etc. We now know that the drama is being enacted. You would say: Wah! Mama left! That actor went to perform another act. There is no need to be confused, to cry or experience sorrow. She has gone to do elevated service. Day by day, you become elevated. Even if some shed their bodies, they will go and do elevated service. This is why you children should not feel any sorrow. Not just Mama, everyone will go. We too have to go to Baba. Our connection is with Baba. Everyone is only connected with Baba. Mama was also connected with Baba. She took this knowledge from Him, did service and has now gone to play another part for some other service. We observe all of this as detached observers. You shouldn't feel: Mama has gone. So-and-so has gone. This one has gone. The soul has gone to do service. All the bodies are going to turn to dust anyway. Therefore, you children should not worry about anything. Yes, it is true that that student of Baba’s was very good. It is remembered that she used to explain very well. If any type of doubt arises, then everything is over; your status will be destroyed. This is why Baba continues to explain to you children: Children, don't worry about anything. Continue to put into practice the directions you receive. Don't think: What happened? Those who forget the Father and the knowledge will worry. All of you children are master knowledge-full. Whatever part each one has, what can we do about that? Achcha.
All of you sat in remembrance during the night and you earned a good income. Baba comes here and sees the children. He is pleased that a garden is being created. You are now Brahmins and the garden of deities will then be created. Here, all of you are effort-makers. You are trying to become good flowers. There will be a show of thorns transformed into flowers. You have to sit here while being very stable. Look how Baba is making you so strong. You have received Baba's order: Simply remember Me alone. If someone cries, Baba would say: Those who cry lose out. Baba is seeing whether someone is a wilted flower. No; all of you are mahavirs. Such obstacles will come. This is the drama and this is destiny. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, the stars of knowledge, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Make your activities divine. Never fight or quarrel. Don't use bitter words. Don’t have any temptation or greed. Don't cause anyone sorrow. Show everyone the path to happiness.
2. Don't have doubts when obstacles come. Understand the guaranteed destiny of the drama and maintain your spiritual intoxication. Don't worry about anything.
Blessing:
May you be an incarnation of Shakti (power) and make the crooked path straight with the experience of being constantly full.
Remain constantly full with the treasures of power, virtues, knowledge and happiness and, with the intoxication of your being full, the crooked paths will become straight. If you are empty, a hole will be created and by falling into the hole, you might sprain your ankle. The thoughts of those who are weak and empty are sprained. An “incarnation of Shakti” means one who takes the contract of making a crooked path straight. Those who take such contracts never say that the path is crooked. If someone falls, it means he had a lack of paying attention or that his intellect was not full.
Slogan:Those who imbibe spiritual intoxication are spiritual roses.
"मीठे बच्चे - संगमयुग ब्राह्मणों के लिए कल्याणकारी है इसलिए सदा फखुर में रहना है, किसी बात का फिक्र नहीं करना है"
प्रश्नः-जिनकी अवस्था अच्छी है, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर:-
उन्हें किसी भी बात में रोना नहीं आयेगा। मुरझायेंगे नहीं, गम वा अफसोस नहीं होगा। हर सीन साक्षी होकर देखेंगे। कभी क्यों, क्या के प्रश्न नहीं करेंगे। किसी के नाम रूप को याद नहीं करेंगे, एक बाबा की याद में हर्षितमुख रहेंगे।
गीत:-
माता ओ माता ....
ओम् शान्ति।
मीठे बच्चों को फरमान है कि बेहद के बाप को याद करते रहो। जो भी नाम रूप वाले बच्चे बाप की सर्विस में हैं, उनसे यह ज्ञान और योग सुनना है। वह भी यही सुनायेंगे कि बाप को याद करो क्योंकि वर्सा उनसे मिलता है। मम्मा भी तो वही सुनाती है, बच्चे भी वही सुनाते हैं कि शिवबाबा को याद करो। तुम बच्चे यहाँ शिवबाबा की याद में बैठे हो, तुम्हें कोई फिकर नहीं करना है क्योंकि तुम बेहद के बाप से यह वर्सा ले रहे हो। इनमें कोई भी शरीर छोड़कर जाते हैं तो हम कहेंगे कि यह भी भावी है। कल्प पहले भी यह हुआ था क्योंकि ड्रामा के ऊपर भी तो चलना पड़े ना, जिससे कोई फिक्र नहीं रहे। आज मम्मा गई, कल और भी कोई चले जायेंगे फिर भी बाप को मुरली सुनानी है जरूर। बाबा तुम बच्चों को नई-नई प्वाईन्ट्स सुनाते, उनका अर्थ समझाते रहते हैं और यही सबको कहते हैं कि बच्चे बाप को याद करो, कोई भी नाम रूप में फसों मत। यह तो सब बच्चों के लिए ज्ञान है। आगे चल करके और भी बहुत कुछ वन्डरफुल बातें देखने की हैं। इस समय तो हैं ही दु:ख की बातें, परन्तु उस दु:ख का हमें कोई फिकर नहीं है। देखो, यह बाबा (साकार) तो कोई फिकर में नहीं है क्योंकि जानते हैं कि हमको तो बाबा को ही याद करना है, हमको बाबा से वर्सा लेना है। बाबा ने समझाया है कि क्रियेशन से कोई वर्सा नहीं मिलता है, क्रियेशन को क्रियेटर से वर्सा मिलना है इसलिये जो भी क्रियेशन (बच्चे और बच्चियां) हैं, उन्हें एक क्रियेटर को याद करना है। चाहे कुछ भी हो जाये। समझो कोई भी ऐसा विघ्न पड़ता है तो उसमें संशय की तो कोई बात ही नहीं है क्योंकि एक शिवबाबा को ही याद करना है, इसमें ही बच्चों का कल्याण है। अगर कोई अच्छी सर्विस करते-करते चला जाता है तो समझना चाहिए कि जो भी कोई जाता है, उसे जा करके और कहाँ पार्ट बजाना है। कोई न कोई कल्याण के कारण यह सब कुछ होता है क्योंकि बाप कल्याणकारी है और यह संगमयुग ब्राह्मणों का है ही कल्याणकारी। हर एक बात में कल्याण समझ फखुर में ही रहना है क्योंकि हम ईश्वरीय सन्तान हैं। ईश्वर से वर्सा लेते हैं, वर्सा लेते-लेते कोई चले जाते हैं तो जरूर उनका कोई और पार्ट होगा, इससे भी जास्ती कोई कार्य करना है।
अहो सौभाग्य! जो हमारा ही पार्ट है कल्प पहले मुआफिक बाप के मददगार बनने का। मददगार बनते-बनते कोई जनरल भी मर पड़ते हैं। हम समझते हैं ड्रामा अनुसार ही यह सब कुछ होता है, कोई गया तो क्या हुआ। हमें उनके लिए कुछ करना नहीं है। हमारा तो सब कुछ गुप्त है। वास्तव में अवस्था उनकी अच्छी है, जिन्हें कभी आंसू न आये। कभी ऐसे भी न समझे कि मम्मा का शरीर छूट गया, अब क्या होगा! ऑसू आये तो नापास हो जायेंगे क्योंकि बाप बैठा है ना, जो हम सबको वर्सा दे रहे हैं। वह तो अमर ही है, उसके लिये कभी कोई ऑसू आने की दरकार भी नहीं है। हम तो खुद भी खुशी से शरीर छोड़ने के लिये पुरुषार्थ कर रहे हैं। मम्मा का भी कोई कार्य अर्थ इस समय जाने का था, यह भी ड्रामा है। कोई भी अपनी अवस्था अनुसार शरीर छोड़े तो उनका कल्याण है। बहुत अच्छे घर में जन्म लेकरके वहाँ भी कुछ अपनी खुशी देंगे। छोटे-छोटे बच्चे भी सबको खुश कर देते हैं। सभी उनकी बहुत महिमा करते हैं। तो बच्चों का ड्रामा के ऊपर और बाप के ऊपर मदार है। जो कुछ भी होता है, सेकण्ड बाय सेकण्ड.. वह ड्रामा की नूँध है, ऐसा समझ करके खुशी में, सदा हर्षित रहना चाहिए।
कोई भी नाम रूप में हम लोगों को फंसना नहीं है। पता है यह शरीर है, इसको तो जाना ही है। हरेक का पार्ट नूँधा हुआ है, हम रोयेंगे तो क्या रोने से उनका पार्ट बदल सकता है, इसलिये बच्चों को बिल्कुल अशरीरी, शान्त और फिर हर्षितमुख रहना है। अटल, अखण्ड राज्य लेना है तो ऐसा बनना भी है। कोई भी इत़फाक हो जावे तो कहेंगे भावी है ड्रामा की, अफसोस की तो कोई बात नहीं। कल्प पहले भी ऐसे ही हुआ था। इतफाक तो होने ही हैं, चलते-चलते अर्थक्वेक्स हो जाते हैं। ऐसे नहीं है कि तुम्हारे में से कोई नहीं मरने हैं, नहीं। कोई भी मर सकते हैं, कोई भी इत़फाक हो सकता है इसलिए बाबा समझाते हैं कि बच्चे हमेशा बाप की याद में, फ़खुर में रहो। इसमें जो पार्ट जिसको मिला हुआ है वह बजाता है, उसमें हमको क्या करना है। हमारा ज्ञान ही ऐसा है - अम्मा मरे तब भी हलुआ खाना, यानि ज्ञान रत्न देना। समझो बाबा कहता है, यह बाबा भी चला जाये... तो तुम बच्चों को फिर भी नॉलेज तो मिली हुई है कि हमको शिवबाबा से वर्सा लेना है, इनसे तो नहीं लेने का है। बाप कहते हैं यह सब बच्चे जो हैं मेरे से वर्सा ले करके दूसरों को रास्ता बताते हैं। तुम बच्चों को अन्धों की लाठी बनना है, बाप का परिचय देना है। हरेक के ऊपर मेहर करना है। तुम्हारा यही पुरुषार्थ है कि यह बिचारे दु:खी हैं, इनको सुख का रास्ता बतायें। इस दुनिया में सिवाए एक बाप के और कोई भी सुख का रास्ता बताने वाला है ही नहीं। लिबरेटर, दु:ख हर्ता सुख कर्ता एक ही है, उनको ही याद करना है।
यहाँ दु:ख की कोई भी बात नहीं होनी चाहिए, कुछ भी हो जाये। भले हम जानते हैं तुम्हारी मम्मा सर्विसएबुल सबसे नम्बरवन गाई जाती है। उनके हाथ में सितार दिखाते हैं, बरोबर जगदम्बा यानि मातेश्वरी वह बहुत अच्छा समझाती थी। वह भी कहती थी कि शिवबाबा को याद करो। मुझे नहीं याद करना। मनमनाभव, मध्याजीभव - यह दो अक्षर मशहूर हैं। बाकी तो डिटेल है।
तो कोई भी हालत में, कोई भी संशय किसको पड़े, यह क्या हुआ, ऐसा क्यों हुआ... तो इससे अपना ही नुकसान कर देंगे। तुम बच्चों को कोई भी हालत में दु:ख की महसूसता नहीं आनी चाहिए। भले बीमारी हो, कुछ भी हो... यह तो कर्मभोग है। बाबा से पूछते हैं - बाबा यह क्या है? बाबा कहेंगे यह तुम्हारा कर्मभोग है। अगर कोई बात ड्रामा में पहले से बताने की नहीं है तो मैं कैसे बताऊं...! यह बाबा भी साक्षी हो करके देखते हैं, तो बच्चों को भी साक्षी हो करके देखना है और बाप की याद में फ़खुर में रहना है कि हम ईश्वर की सन्तान हैं, ईश्वर के पोत्रे और पौत्रियाँ हैं। ईश्वर से वर्सा ले रहे हैं। बरोबर हम जानते हैं मम्मा ने भी ईश्वर का वर्सा लेते-लेते, शरीर छोड़ दिया। हम हर एक को तो बस बाप और वर्से को याद करना है। सारा मदार पुरुषार्थ पर है। यह बच्चे भी महसूस कर सकते हैं कि जितना हम पढ़ेंगे उतना ऊंचा पद पायेंगे। ऊंचा प्रिन्स बनेंगे। सूर्यवंशी भी प्रिन्स और चन्द्रवंशी भी प्रिन्स एण्ड प्रिन्सेस हैं। तो बच्चों को पढ़ाई पढ़ना ही है, कुछ भी हो जाये पढ़ना जरूर है। ऐसे थोड़ेही है - कोई का माँ/बाप मरता है तो बच्चा पढ़ाई छोड़ देगा, नहीं। तो तुमको भी पढ़ाई रोज़ पढ़ना है। तुम्हें एक दिन भी पढ़ाई नहीं छोड़नी है, सर्विस भी हर हालत में जरूर करनी है। हर वक्त बुद्धि में वही एक बाबा याद रहे। तुम्हें वही पढ़ा रहे हैं और उनसे ही वर्सा लेना है। उसने ही हमारी बुद्धि का ताला खोला है। सारे ब्रह्माण्ड, सूक्ष्मवतन और फिर सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान हमारे बुद्धि में है। इसी ज्ञान से हम चक्रवर्ती बनते हैं। बस, उसी नशे में, मौज में रह सबको सुनाना भी ऐसे ही है क्योंकि तुम बच्चे जो पक्के ब्राह्मण बने हो, तुन्हें कोई फिक्र नहीं है। इसमें कोई मुरझाने की, फिक्र करने की बात ही नहीं है। ऐसी अच्छी अवस्था चाहिए।
तुम समझते हो कि अन्त में विजय हमारी होनी ही है, ढेर के ढेर अपना वर्सा लेने के लिये आयेंगे। कुछ भी हो, तुम्हारे सर्विस की वृद्धि होती ही रहेगी, सिर्फ तुम्हारी एक्टिविटी दैवी चाहिए। उसमें कोई भी आसुरी गुण नहीं चाहिए। किससे लड़ना, झगड़ना, किससे कडुवा बोलना या अन्दर में कुछ लालच, लोभ, क्रोध ..आदि अगर होगा तो बहुत कड़ी सजा खानी पड़ेगी इसलिए कोई को भी दु:ख नहीं देना है। सबको सुख का रास्ता बताना है। कोई छोटे बच्चे हैं, चंचलता करते हैं तो भी चमाट नहीं मारनी है। उन्हें भी प्यार से चलाना है। घर में भी बड़ा युक्ति से चलना है। कई हैं जो यहाँ बहुत अच्छी तरह से समझते हैं, घर में जाते हैं तो उन्हें माया हैरान करती है। यह भी बाप समझते हैं कि बच्चे तूफान जोर से आते रहेंगे, दिनप्रतिदिन तूफान और विघ्न पड़ते रहेंगे, तुम्हें घबराना नहीं है। बाप कहते हैं इस हमारे रूद्र ज्ञान यज्ञ में अथाह विघ्न पड़ेंगे, क्योंकि यह नई नॉलेज है।
कोई पूछते हैं तुम शास्त्रों को मानते हो? बोलो हाँ, मानते हैं यह सब भक्तिमार्ग के शास्त्र हैं। यह ज्ञान मार्ग है। ज्ञानेश्वर बाप कहते हैं मुझे याद करो बस, हम भी तुमको कहते हैं बाप को याद करो। करो न करो तुम्हारी मर्जी। अभी नर्क है, रावण राज्य है। अब बाप और स्वर्ग को याद करो। तुम गंगा में स्नान तो जन्म-जन्मान्तर करते आये हो, फिर भी दुनिया पतित बनती आई है। अभी बाप कहते हैं बस, मुझे याद करो। जो यहाँ के होंगे उनके संस्कार ही देखने में आयेंगे, वह झट समझ जायेंगे।
तुम अभी बेहद के बुद्धिवान हो। सयाने को बुद्धिवान कहा जाता है। तो तुम्हें उसी नशे में रहना है। बाकी गम की कोई बात नहीं है, यह हम जान गये कि ड्रामा चल रहा है। तुम कहेंगे वाह! मम्मा गई! वह एक्टर दूसरा एक्ट करने गई। इसमें मूंझने की, रोने की, दु:ख की दरकार नहीं है। वह कोई ऊंची सर्विस करने के लिये गई। तुम दिन-प्रतिदिन ऊंचे बनते जाते हो। कोई शरीर छोड़ेगा तो भी ऊंची सर्विस जाके करेगा, इसलिए बच्चों को कोई भी दु:ख नहीं होना चाहिए। मम्मा क्या, सभी जायेंगे। हमको भी बाबा के पास जाना है, हमारा काम है बाबा से। सबका काम है बाबा से, मम्मा का काम था बाबा से। अभी उनसे वह नॉलेज पा करके सर्विस करके जाके कोई दूसरी सर्विस के लिये दूसरा पार्ट बजाने गई। हम साक्षी हो करके देखते हैं। ऐसे नहीं कि मम्मा चली गई, फलानी चली गई, यह चली गई... अरे आत्मा सर्विस के लिये गई। शरीर तो सब खाक में ही मिलने हैं। इसलिये कभी भी बच्चों को कोई प्रकार का फिक्र नहीं करना है। हाँ, यह सत्य है, यह जो स्टूडेन्ट बाबा का था, यह बड़ा अच्छा था। अच्छा समझाता था... गाया जाता है। अगर कोई भी प्रकार का संशय आया तो यह खत्म हुआ, पद से भ्रष्ट हो जायेगा इसलिये बाबा बच्चों को समझाते रहते हैं बच्चे, कोई प्रकार का फिक्र नहीं करो। डायरेक्शन्स जो मिलते हैं उन्हें अमल में लाते रहो। ऐसे मत समझो कि यह क्या हो गया? फिक्र उनको होगा जो बाप को और नॉलेज को भूलेगा। तुम बच्चे सभी मास्टर नॉलेजफुल हो। जिसका जो पार्ट है, उसमें हम कर ही क्या सकते हैं?
अच्छा - रात्रि को तो सब याद में बैठे, अच्छी कमाई हो गई। बाबा यहाँ आ करके बच्चों को देखते हैं, खुश होते हैं कि यह बगीचा बन रहा है। अभी ब्राह्मण हैं, इसके पीछे देवी-देवताओं का बगीचा बनना है। अभी यहाँ सब पुरुषार्थी हैं। कोशिश कर रहे हैं अच्छा फूल बनने की। कांटे को फूल बनाने का शो करेंगे। तुम्हें यहाँ स्थेरियम होकर बैठना है। बाबा देखो कितना पक्का कराते हैं। बाबा का फरमान मिला हुआ है सिर्फ मुझे याद करो। कोई ने रोया तो बाबा कहेंगे जिन रोया तिन खोया। बाबा देख रहा है कोई मुरझाया हुआ फूल तो नहीं है? नहीं। सब महावीर हैं। ऐसे-ऐसे विघ्न तो आने ही हैं। ड्रामा है, भावी है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी दैवी एक्टिविटी बनानी है। कभी भी लड़ना, झगड़ना नहीं है, कडुवा नहीं बोलना है, लोभ लालच नहीं रखना है। कोई को दु:ख नहीं देना है। सबको सुख का रास्ता बताना है।
2) कोई भी विघ्न में संशय नहीं उठाना है, ड्रामा की निश्चित भावी समझ फखुर में रहना है, फिक्र नहीं करना है।
वरदान:-सदा भरपूरता की अनुभूति द्वारा टेढ़े रास्ते को सीधा बनाने वाले शक्ति अवतार भव
सदा शक्ति के, गुणों के, ज्ञान के, खुशी के खजाने से भरपूर रहो तो भरपूता के नशे से टेढ़ा रास्ता भी सीधा हो जायेगा। अगर खाली होंगे तो खड्डा बन जायेगा और खड्डे में गिरने से मोच आयेगी। जो कमजोर और खाली होते हैं उन्हें संकल्पों की मोच आती है। शक्ति अवतार अर्थात् टेढ़े को सीधा करने का कान्ट्रैक्ट लेने वाले। ऐसा कान्ट्रैक्ट लेने वाले कभी यह नहीं कह सकते कि रास्ता टेढा है। अगर कोई गिरते हैं तो अटेन्शन की कमी है या बुद्धि भरपूर नहीं है।
स्लोगन:-रूहाब को धारण करने वाले ही रूहानी गुलाब हैं।
24/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, the confluence age is beneficial for Brahmins. Therefore, always have spiritual intoxication. Don't worry about anything.
Question:
What are the signs of those whose stage is good?
Answer:
They never cry about anything. They never wilt. They never feel sorrow or regret. They watch every scene as detached observers. They never ask "Why?" or "What?" They never remember the name or form of anyone. They remain cheerful in remembrance of one Baba.
Song:
Mother, o Mother, you are the bestower of fortune for the world!
Om Shanti
(These elevated versions were spoken by BapDada on 25th June 1965
when Mateshwari left her body. Please read this murli with that awareness.)
You sweet children have been given an order to continue to remember the unlimited Father. Listen to this knowledge of yoga from all the children with a name and form who are engaged in the Father's service. They too will tell you: Remember the Father because you receive the inheritance from Him. This too is what Mama said. Children also say: Remember Shiv Baba. You children are sitting here in remembrance of Shiv Baba. You don't have to worry about anything because you are receiving your inheritance from the unlimited Father. When anyone sheds his or her body and goes away, we would say that that was destined, that it also happened in the previous cycle. You have to move along with the drama so that there are no worries. Today, Mama has gone and tomorrow, someone else will go, but the Father definitely has to speak the murli. Baba continues to tell you children new points and explain their meaning. He tells everyone: Children, remember the Father. Don't become trapped in anyone's name or form. This knowledge is for all children. As you progress further, you will see many wonderful things. At this time, there are things of sorrow. However, we are not worried about that sorrow. Look, this Baba (sakar Baba) doesn't have any worries because he knows that he has to remember Baba alone and claim his inheritance from Baba. Baba has explained that no inheritance is received from the creation. The creation is to receive their inheritance from the Creator. Therefore, all the creation (sons and daughters) have to remember the one Creator, no matter what happens. When any such obstacle comes, there is no question of doubt about it because you only have to remember one Shiv Baba. It is in this that there is benefit for you children. If someone goes away having done good service, it should be understood that whoever goes away has to go and play his part somewhere else. All of this happens for one benefit or another because the Father is the Benefactor and this confluence age is also beneficial for Brahmins. Maintain spiritual intoxication by knowing that there is benefit in everything because we are the children of God. We are claiming our inheritance from God. If they go away while claiming their inheritance, they must definitely have another part to play; they have to carry out a greater task. It is our great fortune that we have the parts to become the Father's helpers as we did in the previous cycle. Generally, even while being a helper, anyone can die. We understand that all of this happens according to the drama. So what if someone has gone? We don’t have to do anything for that person. Everything of ours is incognito. In fact, those who never shed tears have a good stage. Never think: Mama has left her body and so what will happen now? If you shed tears, you fail. The Father who is giving all of us the inheritance is sitting here. He is immortal and so there is no need to shed any tears for Him. We ourselves are making effort to shed our bodies in happiness. Mama had to go somewhere else for a particular task and that too was in the drama. There is benefit according to their stage for those who leave their bodies. They will take birth in very good homes and give them happiness. Even little children make everyone happy. Everyone praises such children. So, everything of the children depends on the drama and the Father. Always consider that whatever happens, second by second, is also fixed in the drama and remain constantly happy and cheerful. We people must never become trapped in anyone's name or form. We know that this is a body and that it has to go at some point. Each one's part is fixed. If we cry, would that person's part be changed by our crying? This is why you children have to remain absolutely bodiless, peaceful and cheerful. If you want to claim the unshakeable immovable kingdom, you have to become like this. When any incident takes place, it would be said to be the destiny of the drama. There is nothing to regret in that. The same thing also happened in the previous cycle. Incidents will take place. Earthquakes take place as you move along. It isn't that any one of you is not going to die; no; anyone can die. Any incident can take place. This is why Baba explains: Children, always stay in remembrance of the Father and maintain your spiritual intoxication. Whatever part each one has received, he plays that part. What do we have to do with that? Our knowledge is such that even if your mother dies you have to eat halva, which means that you have to give the jewels of knowledge. For instance, Baba says: This Baba might also go away. Nevertheless, you children have already received the knowledge that you have to claim your inheritance from Shiv Baba, not from this one. The Father says: All of these children of Mine are claiming their inheritance from Me and showing the path to others. You children have to become sticks for the blind. Give the Father's introduction. Have mercy for everyone. Your effort is that when you see someone is unhappy, you have to show that person the path to happiness. No one in this world, apart from the one Father, can show you the path to happiness. The Liberator and Remover of Sorrow and Bestower of Happiness is only the One. You have to remember Him alone. No matter what happens, there can be no question of sorrow here. We know that your Mama is remembered as the number one serviceable child. She has been portrayed with a sitar in her hands. Truly, Jagadamba, that is, Mateshwari used to explain very well. She also used to say: Remember Shiv Baba. Don't remember me. Manmanabhav, madhyajibhav. These two terms are very well known. The rest is detail. No matter what the circumstances are, if any of you have doubts as to what happened or why it happened, you are only bringing a loss to yourselves. You children should not experience sorrow in any situation. Even if you are ill, or if there is something else, that is the suffering of karma. Some ask Baba: Baba, what is this? Baba would reply: That is the suffering of your karma. If something in the drama is not to be told to you in advance, how can I tell you that? This Baba also watches everything as a detached observer. So, you children also have to watch everything as detached observers and stay in remembrance of the Father with spiritual intoxication: I am a child of God. We are God's grandsons and granddaughters. We are claiming our inheritance from God. We know that Mama left her body while claiming her inheritance from God. Each one of us has to remember the Father and the inheritance. Everything depends on effort. You children can also realise that, to the extent you study, you can claim a high status and become elevated princes. There are the sun-dynasty princes and princesses and the moon-dynasty princes and princesses. Therefore, you children have to study. No matter what happens, you definitely have to study. It isn't that if someone's mother or father dies, he stops studying; no. So, you too have to study every day. You mustn't miss the study for even one day. You definitely also have to do service under all circumstances. Just keep Baba alone in your intellects at every moment. He alone is teaching you and you have to claim your inheritance from Him alone. He has opened the locks on our intellects. We have the knowledge of Brahmand, the subtle region and the beginning, the middle and the end of the world in our intellects. Through this knowledge we become the rulers of the globe. Simply stay in this pleasure and intoxication and tell everyone this knowledge in the same way because you children who have become firm Brahmins don't have any worries. There is nothing to make you wilt or worry about in this. You need to have a good stage. You understand that you are definitely going to gain victory at the end. Many people will come to claim their inheritance. No matter what happens, your service will continue to grow. Just let your activity be divine. There mustn't be any devilish traits here. If you fight or quarrel with anyone or say bitter words to someone or are tempted or have greed or anger etc., there will have to be very severe punishment. Therefore, you mustn't cause sorrow for anyone. Show everyone the path to happiness. Even if a small child is causing mischief, you mustn't smack him. Interact with him too with love. Be very tactful at home with everyone. There are some who understand everything very well here, but as soon as they go home, Maya distresses them. The Father understands that storms will continue to come forcefully to you children. Day by day, there will continue to be storms and obstacles. You mustn't be afraid. The Father says: There will be many obstacles in this sacrificial fire of knowledge of Mine because this is new knowledge. When someone asks if you believe in the scriptures, tell him: Yes, we believe in them. All of those scriptures are of the path of devotion whereas this is the path of knowledge. The Father, the Lord of Knowledge (Gyaneshwar), says: Remember Me. That’s all! I also tell you: Remember the Father. Whether you do it or not is up to you. It is now hell, the kingdom of Ravan. Now remember the Father and heaven. You have been bathing in the Ganges for birth after birth. In spite of that, the world has continued to become impure. The Father now says: Simply remember Me. You will see those sanskars in those who belong here; they will understand very quickly. You now have unlimited intellects. Those who are sensible are called those with wise intellects. So, you have to maintain that intoxication. There is no question of sorrow etc. We now know that the drama is being enacted. You would say: Wah! Mama left! That actor went to perform another act. There is no need to be confused, to cry or experience sorrow. She has gone to do elevated service. Day by day, you become elevated. Even if some shed their bodies, they will go and do elevated service. This is why you children should not feel any sorrow. Not just Mama, everyone will go. We too have to go to Baba. Our connection is with Baba. Everyone is only connected with Baba. Mama was also connected with Baba. She took this knowledge from Him, did service and has now gone to play another part for some other service. We observe all of this as detached observers. You shouldn't feel: Mama has gone. So-and-so has gone. This one has gone. The soul has gone to do service. All the bodies are going to turn to dust anyway. Therefore, you children should not worry about anything. Yes, it is true that that student of Baba’s was very good. It is remembered that she used to explain very well. If any type of doubt arises, then everything is over; your status will be destroyed. This is why Baba continues to explain to you children: Children, don't worry about anything. Continue to put into practice the directions you receive. Don't think: What happened? Those who forget the Father and the knowledge will worry. All of you children are master knowledge-full. Whatever part each one has, what can we do about that? Achcha.
All of you sat in remembrance during the night and you earned a good income. Baba comes here and sees the children. He is pleased that a garden is being created. You are now Brahmins and the garden of deities will then be created. Here, all of you are effort-makers. You are trying to become good flowers. There will be a show of thorns transformed into flowers. You have to sit here while being very stable. Look how Baba is making you so strong. You have received Baba's order: Simply remember Me alone. If someone cries, Baba would say: Those who cry lose out. Baba is seeing whether someone is a wilted flower. No; all of you are mahavirs. Such obstacles will come. This is the drama and this is destiny. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, the stars of knowledge, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Make your activities divine. Never fight or quarrel. Don't use bitter words. Don’t have any temptation or greed. Don't cause anyone sorrow. Show everyone the path to happiness.
2. Don't have doubts when obstacles come. Understand the guaranteed destiny of the drama and maintain your spiritual intoxication. Don't worry about anything.
Blessing:
May you be an incarnation of Shakti (power) and make the crooked path straight with the experience of being constantly full.
Remain constantly full with the treasures of power, virtues, knowledge and happiness and, with the intoxication of your being full, the crooked paths will become straight. If you are empty, a hole will be created and by falling into the hole, you might sprain your ankle. The thoughts of those who are weak and empty are sprained. An “incarnation of Shakti” means one who takes the contract of making a crooked path straight. Those who take such contracts never say that the path is crooked. If someone falls, it means he had a lack of paying attention or that his intellect was not full.
Slogan:Those who imbibe spiritual intoxication are spiritual roses.
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