Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 23-Aug- 2018 )
23-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - याद की लम्बी सीढ़ी पर तब चढ़ सकेंगे जब कि बाप से सच्ची प्रीत होगी, याद की दौड़ी से ही विजय माला में आयेंगे"
प्रश्नः-
एक बाप से सच्ची प्रीत है तो उसकी निशानी क्या दिखाई देगी?
उत्तर:-
अगर सच्ची प्रीत एक बाप से है तो पुरानी दुनिया, पुराने शरीर से प्यार खत्म हो जायेगा। जीते जी मर जाना ही प्रीत की निशानी है। बाप के सिवाए किसी से भी प्यार न हो। बुद्धि में रहे अब घर जाना है, यह हमारा अन्तिम जन्म है। बाबा कहते - बच्चे, तुमने 84 जन्मों का खेल पूरा किया, अब सब कुछ भूल मुझे याद करो तो मैं तुम्हें साथ ले जाऊंगा।
गीत:-
बनवारी रे........
ओम् शान्ति।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने यह गीत सुना कि यह है झूठी दुनिया। झूठ खण्ड भारत के लिए कहा जाता है। हर एक को अपने-अपने बर्थ प्लेस का ख्याल रहता है। अभी बच्चे कहते हैं हमारा इस झूठ खण्ड से कोई तैलुक नहीं क्योंकि इसमें तो बहुत दु:ख हैं। अभी तो सुख का नाम निशान नहीं है। झूठ खण्ड की आयु अब बहुत थोड़ी रही है। यह अन्तिम जन्म है इसको झूठ खण्ड मृत्युलोक कहा जाता है। वह है अमरलोक। मृत्युलोक में काल खा जाता है। फिर पुनर्जन्म झूठी दुनिया में ही लेते हैं। बच्चे जानते हैं कि अब हमने 84 जन्म पूरे किये, अब हमारा इस दुनिया से कोई वास्ता नहीं। बाबा आये हैं लेने लिए तो इस पुरानी दुनिया से हमारा कोई तैलुक नहीं। तुम्हारी बाप से प्रीत जुटी है तो वर्सा भी तुमको मिलता है। बाकी यादव कौरवों की है विपरीत बुद्धि अर्थात् बाप को जानते ही नहीं। अभी तुम बच्चों की एक बाप के साथ ही प्रीत बुद्धि है। बाप कहते हैं कि गृहस्थ व्यवहार में भल रहो, बाप को याद करो। अभी सब एक्टर्स का पार्ट पूरा होता है। सबके शरीर छूटने हैं। सबको वापिस घर ले जाना है। मनुष्य मरना नहीं चाहते हैं। तुम तो जीते जी मर चुके हो। इस दुनिया में कोई से प्यार नहीं। इस शरीर से भी प्यार नहीं। आत्मा को रोशनी मिली है, हम बाप के बच्चे हैं हमारे 84 जन्म अब पूरे हुए। अब खेल पूरा हुआ। हम सो देवता थे फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनें। अब हम फिर ब्राह्मण बने हैं यह चक्र पूरा याद रखना है। आत्मा कहती है कि बरोबर पुनर्जन्म लेते-लेते अभी यह अन्तिम जन्म है। बाप आया है लेने लिए। अनेक बार हमने 84 जन्मों का चक्र लगाया है। स्वदर्शन चक्रधारी बने हो ना। समझाया जाता है कि ऐसे हमने 84 जन्मों का चक्र लगाया है। सभी भारतवासियों के पूरे 84 जन्म नहीं कहेंगे। जो ब्राह्मण बनते हैं वही समझते हैं। 5 हजार वर्ष पहले भी समझाया था - हे बच्चे, तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो। 84 लाख जन्मों का तो कोई वर्णन भी न कर सके।
अभी तुमको सभी धर्मो के चक्र का भी पता पड़ गया है। हिसाब-किताब में जो होशियार होंगे वह झट समझ जायेंगे। बरोबर फलाने धर्म को इतने जन्म लेने चाहिए। तुमको भी पूरा निश्चय है कि हमने 84 जन्म पूरे किये, अब बाप वापिस लेने लिए आये हैं जिसके लिए ही यह महाभारी लड़ाई है। उन सबकी है विनाश काले विपरीत बुद्धि। विनाशकाल है ही कलियुग के अन्त और सतयुग आदि के संगम पर। सतयुग और त्रेता के संगम को विनाशकाल नहीं कहेंगे। वहाँ तो वृद्धि को पाते रहते हैं। अभी सबका विनाश होना है इसको विनाश काल कहा जाता है। अभी तुम्हारा अन्तिम जन्म है। इसके पहले बाप आये तो कह न सके कि तुम्हारा यह अन्तिम जन्म है। जब खेल पूरा होता है तब ही मैं आता हूँ। तुम जानते हो बरोबर हम आत्मायें 84 जन्म लेती हैं। गाया भी जाता है कि कुमारी वह जो 21 कुल का उद्धार करे। अब वह तो समझते नहीं कि 21 कुल किसको कहा जाता है। भारत में कुमारियों की बहुत मान्यता है, पूजते हैं। जगदम्बा भी कुमारी है ना। कुमारी को फिर जगदम्बा कहना इसका भी अर्थ चाहिए ना। जगत अम्बा है तो जगत पिता भी चाहिए ना। जगत पिता के साथ माता भी चाहिए। ऐसे तो बहुत मातायें हैं जिनको जगत माता भी कहते हैं। अखबार में भी पड़ा था - कोई माता को जगत माता लिखा था। अब जगत माना सारी सृष्टि। तो जगत की माँ एक होगी या 10-20 होंगी। रचता बाप एक है तो माता भी एक चाहिए ना। इतनी मातायें सब जगत के मालिक हैं। जगत की माता तो एक है ना जगत अम्बा। तो अभी तुम बच्चों की प्रीत है एक शिवबाबा से। तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार हैं जिनकी पूरी प्रीत है। सजनी की एक साजन से, बच्चों की एक बाप से प्रीत होनी चाहिए। और सबसे प्रीत तोड़नी पड़े। नष्टोमोहा बनना है। पुरानी दुनिया से मोह नष्ट। जैसे पुराना घर होता है तो बाप नया बनाते हैं। जब नया बन जाता है तो उसमें बैठ पुराने को ख़लास कर देते हैं। बाप कहते हैं मैं तुम्हारे लिए स्वर्ग नई दुनिया रचता हूँ। नई दुनिया में नई देहली है। यही जमुना का कण्ठा है जहाँ तुम राज्य करते हो। तुम जानते हो भक्ति का बहुत बड़ा विस्तार है। ज्ञान तो बिल्कुल थोड़ा है - एक सेकेण्ड का। बीज को जानने से सारा झाड़ आ जाता है। भिन्न-भिन्न वैराइटी धर्मो का झाड़ है, उसमें मुख्य फाउण्डेशन है देवी-देवता धर्म। आधाकल्प में सिवाए एक धर्म के और कोई धर्म है नहीं। बाकी आधाकल्प में देखो कितने धर्मों की स्थापना होती है! कहा जाता है कि परमपिता परमात्मा ब्रह्मा मुख द्वारा देवता धर्म और क्षत्रिय धर्म की स्थापना करते हैं। सो तो देखते हो ब्राह्मण तो तुम हो ही। तुम्हारे में भी कोई सूर्यवंशी, कोई चन्द्रवंशी बनने वाले हैं। ऊंच ते ऊंच है ब्राह्मण धर्म। भारतवासी अपने धर्म को ही नहीं जानते हैं। कहा जाता है कि रिलीजन इज माइट। अभी बाप धर्म स्थापन करते हैं तो तुम बाप से कितनी ताकत लेते हो बाप का बनने से। गोया सर्वशक्तिमान बाप ही बच्चों को योग से शक्तिवान बनाते हैं। बाप है कितना गुप्त! उनको अपना शरीर है नहीं। सर्वशक्तिमान कहा जाता है तो जरूर शक्ति देंगे ना। तुम्हारा नाम ही है शिवशक्तियां। शिव से शक्ति लेने वाली हो। नर्क को स्वर्ग बनाती हो। यह तुमको बल मिलता है। योगबल से तुम रावण पर जीत पाती हो। तो तुम्हारी अब सर्व-शक्तिमान बाप से प्रीत है नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार। बहुत विपरीत बुद्धि भी हैं क्योंकि याद नहीं करते हैं। बहुत प्रीत उन्हों की है जो बहुत याद करते हैं। थोड़ी प्रीत है तो समझो याद नहीं करते। कहते हैं - क्या करें...., घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं....। अरे, साजन को तुम याद नहीं कर सकते हो? बाप, जिससे स्वर्ग का वर्सा मिलता है, ऐसे बाप को याद नहीं कर सकते हो? कारण बताओ? बच्चा कहे बाप को याद नहीं कर सकता हूँ! अरे, फिर वर्सा कैसे मिलेगा? जितना बाप को याद करते हो उतनी शक्ति मिलती है। ऐसे नहीं कि शिवबाबा को भी याद करो और साथ-साथ काला मुँह भी करते रहो फिर राज्य-भाग्य मिल न सके। कहते हैं - बाबा, हम भूल जाते हैं, मुरझा जाते हैं। बाबा कहे - अरे, तुम ईश्वर की सन्तान बने हो, तुमको तो बहुत नशा चढ़ना चाहिए। ऐसे बाप को तो निरन्तर याद करना चाहिए। प्रीत बुद्धि बनना चाहिए। शिवबाबा से प्रीत नहीं तो ब्रह्मा से भी नहीं होगी। वह ऐसे ही सबसे लड़ते-झगड़ते रहेंगे। योग ही नहीं तो वर्सा कैसे ले सकते? गॉडली बुलबुल नहीं बन सकते। बुलबुल बनना चाहिए ना। बाबा के पास गॉडली बुलबुल हैं, मैनायें भी हैं, तोते भी हैं, कोई काबर भी हैं। सबसे लड़ते-झगड़ते हैं। कोई फिर पिज्जन (कबूतर) भी हैं। वह आवाज नहीं कर सकते हैं। बगीचे में भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल होते हैं। हरेक अपने से पूछे कि मैं कौन-सा फूल हूँ? गुलाब का हूँ वा रुहे गुलाब हूँ? मैं मम्मा-बाबा जैसी सर्विस करता हूँ? क्या हम श्री नारायण को वा श्री लक्ष्मी को वर सकता हूँ? ऐसा अपने से पूछना है कि मैं कितना बाप को याद करता हूँ? कितनी सेवा करता हूँ? बाप से तो जरूर वर्सा मिलना है। निराकार परमपिता परमात्मा भारत में आये हैं, जरूर भारत को स्वर्ग बनाया होगा। जरूर शिवबाबा आये तब तो सतयुग बनायेंगे ना। शिव की जयन्ती मनाते हैं। शिव का भी बर्थ प्लेस है, तो श्रीकृष्ण का भी बर्थ प्लेस है। कृष्ण की जयन्ती तो बड़े धूमधाम से मनाते हैं। अभी तो शिव जयन्ति की छुट्टियां भी नहीं करते। अन्धेर नगरी है ना। यहाँ पर है ही प्रजा का प्रजा पर राज्य। होना चाहिए राजा-रानी का राज्य। वह तो ड्रामा अनुसार है ही नहीं।
तुम जानते हो कि भारत पवित्र राजस्थान हो जायेगा, तो उन्हों को भी जगाना है। फिर से दैवी राजस्थान स्थापन होता है। अभी आसुरी राजस्थान हो गया है। पहले भारतवासी पवित्र थे, अभी तो अपवित्र बने हैं तब तो लोग उन्हों की पूजा करते हैं। अभी तो नो राजस्थान। तुम चिट्ठी लिख सकते हो अथवा अखबार में भी डाल सकते हो कि भारत 5 हजार वर्ष पहले दैवी राजस्थान था, अभी नहीं है। तुम हो ईश्वरीय बहन-भाई। तुम हो बहुत थोड़े। गाया भी जाता है - राम गयो, रावण गयो....। समझना चाहिए कि हम बाकी बहुत थोड़ा समय हैं। बाप से वर्सा तो लेते रहें। साथ-साथ भविष्य का भी ख्याल करो। यह भी धन्धा करो, शरीर निर्वाह भी करना है। यह है भविष्य के लिए। इसमें मेहनत कुछ नहीं, बिल्कुल सहज है। सेकेण्ड में जीवनमुक्ति 21 जन्म के लिए मिलती है। बाप को और चक्र को याद करना है। बाप को याद करने से ही पावन बनेंगे। पतित कोई जा न सके। बहुत सजायें खानी पड़ेंगी। तो विनाशकाल अभी है। यादव और कौरव की है विपरीत बुद्धि। पाण्डवों की प्रीत बुद्धि थी, जिनकी ही विजय हुई। अभी वही समय है। बाप समझाते हैं - सिर्फ यह याद करो कि अब वापिस जाना है। बाकी थोड़ा समय है, नाटक पूरा होता है। गृहस्थ व्यवहार में रहते सिर्फ बाबा को याद करना है। याद की ही लम्बी सीढ़ी है। रुद्र माला बननी है फिर इनाम मिलेगा। राज्य भाग्य पाना है, उसके लिए विचार सागर मंथन करना है। यह है बुद्धि-योग की यात्रा। बाप के पास दौड़ना है। देखना है कि सारे दिन में बाप को कितना याद किया? कितने को कांटों से फूल बनाया। प्रजा नहीं बनायेंगे तो किस पर राज्य करेंगे इसलिए पहले 8 मुख्य बनते हैं, फिर 108, फिर 16108 हो जाते हैं। विवेक भी कहता है - यह तो जरूर है, वृद्धि तो होती रहेगी। राजधानी वृद्धि को पाती रहेगी। अभी भी ढेर लाखों आयेंगे। बुद्धि में यह पक्का याद रखो - अभी हमको घर जाना है। इस पुरानी दुनिया में दु:ख बहुत हैं। बस, एक बाप को याद करते रहो। बड़ी लम्बी यात्रा है। पिछाड़ी में आने वाले इतना ऊंच पद पा न सकें। कितनी मेहनत करनी पड़ती है! कर्मभोग कितना चलता है! फिर पिछाड़ी में आने वाले इतनी मेहनत कैसे कर सकते हैं, जो विकर्म विनाश हो जाएं? जनक भी त्रेता में चला गया। सूर्यवंशी राजा बन न सका। राजा था, सरेन्डर भी हुआ, परन्तु टूलेट आया तो चन्द्रवंशी में चला गया। इन बातों को ब्राह्मण ही समझ सकते हैं, शूद्र समझ न सकें। हाँ, कईयों को प्योरिटी अच्छी लगती है परन्तु प्योरिटी में रहकर भी दिखायें ना? सन्यासियों के फालोअर्स कहलाते हैं, खुद तो पवित्र बनते नहीं तो फालोअर्स कैसे हुए? यह भी झूठ हुआ ना। कोई भी सतसंग में एम ऑबजेक्ट होती नहीं। कितने ढेर सतसंग हैं। यह तो बाप ही आकर मनुष्य से देवता बनाते हैं। विश्व का मालिक तुम बनते हो एक शिवबाबा की याद से। बाप को याद ही नहीं करेंगे तो वर्सा कैसे मिलेगा? यह तो तुम्हारा काम है - पुरुषार्थ कर निरन्तर याद करना। निरन्तर याद रहे, वह अवस्था अन्त में होगी। अभी नहीं है। पिछाड़ी में 8 ही विन करते हैं, याद करते-करते सबसे पहले जाते हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विनाश काल का समय है इसलिए देहधारियों से प्रीत तोड़ एक बाप से सच्ची प्रीत रखनी है। इस पुराने घर से मोह नष्ट कर देना है।
2) ज्ञान की बुलबुल बन आप समान कांटों को फूल बनाने की सेवा करनी है। याद की दौड़ लगानी है।
वरदान:-समस्याओं रूपी पहाड़ को उड़ती कला द्वारा सेकण्ड में पार करने वाले सहज पुरुषार्थी भव
हिमालय पर्वत जितनी बड़ी समस्या को भी पार करने के लिए उड़ती कला की विधि को अपनाओ। सदा अपने सामने सर्व प्राप्तियों को इमर्ज रखो, और उड़ती कला में उड़ते रहो तो समस्या रूपी पहाड़ को सेकण्ड में पार कर लेंगे। सिर्फ वर्तमान और भविष्य प्रालब्ध के अनुभवी बनो। जैसे स्थूल नेत्रों द्वारा स्थूल वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है ऐसे बुद्धि के अनुभव के नेत्र द्वारा प्रालब्ध स्पष्ट दिखाई दे, हर कदम में पदमों की कमाई जमा करते रहो।
स्लोगन:-जो सबका आदर करते हैं वही आदर्श मूर्त बनते हैं।
23/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, you can climb the steep ladder of remembrance when you have true love for the Father. It is only through the race of remembrance that you will be able to enter the rosary of victory.
Question:
What are the visible signs of your having true love for the one Father?
Answer:
If you have true love for the one Father, your love for the old world and old bodies will finish. To die alive is a sign of love. Let there be no love for anyone except the Father. Let it remain in your intellects that this is your final birth and that you now have to return home. Baba says: Children, you have completed the play of 84 births. Now forget everything and remember Me and I will take you back with Me.
Song:
O dweller of the forest, your name is the support for my life.
Om Shanti
Sweetest, beloved, long-lost and now-found children heard in the song how this is the false world. The term ‘land of falsehood’ refers to Bharat. Everyone is concerned about his or her own birthplace. You children say that you now have no connection with this land of falsehood because there is a lot of sorrow here. There is now no name or trace of happiness. A very short time now remains for the land of falsehood. In this final birth it is called the land of falsehood, the land of death. That is the land of immortality. Death comes to you in the land of death. Then you take rebirth in the false world. You children know that you have now completed your 84 births. We now have no connection with this world. The Father has come to take us back and so we have no connection with this old world. Your love is connected to the Father and so you receive the inheritance, whereas the Yadavas and Kauravas have intellects with no love, that is, they don't know the Father. You children now have loving intellects for the one Father. The Father says: You may live at home with your family, but remember the Father. The parts of all the actors are now coming to an end. Everyone is to shed his or her body. Baba has to take everyone back home. People don't want to die, whereas you have died alive. You don't have love for anyone in this world, not even for this body. The soul has received enlightenment: I am a child of the Father and I have now completed my 84 births. The play is now ending. We were deities and we then became warriors, merchants and shudras. We have now become Brahmins once again. You have to remember this cycle fully. The soul says: Having taken rebirth after rebirth, this is truly my last birth. The Father has come to take us back. We have been around the cycle of 84 births many times. You have become spinners of the discus of self-realisation. It is explained that you have been around the cycle of 84 births in this way. It would not be said that all the people of Bharat take the full 84 births. Only those who become Brahmins understand this. It was also explained to you 5000 years ago: O children, you don't know your own births. No one can speak about 8.4 million births. You now know about all the religions in the cycle. Those who are clever at calculating would quickly understand that those of such and such a religion truly have to take so many births. You now have full faith that you have completed 84 births. The Father has now come to take you back. There is to be a great war for this. All of those people have non-loving intellects at the time of destruction. The task of destruction takes place at the confluence of the end of the iron age and the beginning of the golden age. The confluence of the golden and silver ages is not called the period of destruction. There, growth still continues. Now there has to be destruction of everyone. This is called the time of destruction. This is now your final birth. If the Father came prior to this, you couldn’t say that that was your final birth. I come when the play comes to an end. You souls know that you truly do take 84 births. It is remembered that a kumari is one who uplifts 21 clans. They don't understand what the 21 clans are. In Bharat, there is a lot of importance given to kumaris; they are worshipped. Jagadamba is also a kumari. There has to be a meaning to calling a kumari Jagadamba. When there is Jagadamba, Jagadpita is also required. Together with the World Father, a mother is also needed. There are many mothers who are also called world mothers. It was written in the newspapers that a particular mother was called the World Mother. The world means the whole world. So, would there be one mother of the world or 10 to 20? The Father, the Creator, is only one and so there has to be one mother too. All of you mothers are the masters of the world. There is one World Mother, Jagadamba. So, you children now have love for one Shiv Baba. Those among you who have full love are also numberwise, according to your efforts. You brides should have love for the one Bridegroom and children should have love for the one Father. You have to break your love away from everyone else. Become destroyers of attachment. Destroy your attachment to the old world. When a home has become old, the father builds a new one. When the new one is completed, the old one is demolished. The Father says: I create heaven, the new world, for you. There is New Delhi in the new world. It is on the same bank of this River Jamuna where you rule the kingdom. You know that there is a huge expansion of devotion. Knowledge is very short, just one second. By knowing the Seed, you know the whole tree. There is the tree of the variety of religions and the foundation of that is the deity religion. For half the cycle there are no religions except that one, but look how many religions are established in the other half. It is said: The Supreme Father, the Supreme Soul, establishes the deity and warrior religions through the mouth of Brahma. You can see that. You are the only Brahmins. Among you, too, some will become the sun dynasty and others will become the moon dynasty. The Brahmin religion is the highest on high. The people of Bharat do not know their own religion. It is said: Religion is might. The Father is now establishing religion and so you are claiming so much strength from the Father by belonging to Him. This means that only the Almighty Authority Father makes you children powerful through yoga. The Father is so incognito. He doesn't have a body of His own. He is called the Almighty Authority and so He would definitely give you might. Your name is Shiv Shaktis. You are those who take power from Shiva. You change hell into heaven. You are receiving power. You conquer Ravan with the power of yoga. Therefore, you now love the Almighty Authority Father, numberwise, according to the effort you make. Many have intellects with no love because they don't remember the Father. Those who remember the Father a great deal have a lot of love. For those who have less love, you can understand that they don't remember the Father. They say: What can I do? I repeatedly forget. Ah, but can you not remember your Bridegroom? Can you not remember the Father from whom you receive the inheritance of heaven? Tell Baba the reason for this. A child says that he can't remember the Father! How would you then receive your inheritance? The more you remember the Father, the more power you receive. Don't think that you can remember Shiv Baba and also continue to dirty your face at the same time. In that case, you won't be able to receive your fortune of the kingdom. Some say: Baba, I forget You. I wilt. Baba says: Ah, you have become a child of God, so you should be very intoxicated. You should remember such a Father constantly. Become those with loving intellects. If you don't have love for Shiv Baba, you won't have love for Brahma. Such children will just continue to fight and quarrel with everyone. If you don’t have yoga, how can you claim your inheritance? You cannot become Godly nightingales. You have to become nightingales. Baba has Godly nightingales, parrots and even some crows who continue to fight and quarrel with everyone. Some are even pigeons; they cannot make any sound. There are different types of flowers in a garden. Each of you can ask yourself: What kind of flower am I? Am I a rose or a spiritual rose? Am I doing service like Mama and Baba? Can I marry Shri Narayan or Shri Lakshmi? You have to ask yourself: How much do I remember the Father? How much service do I do? You definitely are to receive the inheritance from the Father. The incorporeal Supreme Father, the Supreme Soul, came in Bharat. Therefore, He must surely have made Bharat into heaven. It would definitely be when Shiv Baba comes that He creates the golden age. People celebrate the birthday of Shiva. There is the birthplace of Shiva and also the birthplace of Krishna. People celebrate the birthday of Krishna with a lot of pomp and splendour. Now, they don't even have a public holiday for Shiv Jayanti. This is the city of darkness. Here, the people rule the people. There should really be the kingdom of kings and queens. According to the drama, that doesn’t exist now. You know that Bharat will become the pure land of kings. Therefore, those people have to be woken up. The divine land of kings is now being established once again. It has now become the land of devilish kings. At first, the people of Bharat were pure but they have now become impure. This is why people worship those (pure) beings. There is now no land of kings. You can write a letter or even print in a newspaper: Five thousand years ago Bharat was the divine land of kings; it is no longer that. You are Godly brothers and sisters. There are very few of you. It is sung: Rama went and Ravan went. You should understand that you are here for only a little while longer. Continue to claim your inheritance from the Father and also think about the future. Do this business and also do business for your livelihood. This is for the future. There is no labour in this. It is very easy. You receive liberation-in-life for 21 births in a second. You have to remember the Father and the cycle. Only by remembering the Father will you become pure. Impure beings cannot return home. A lot of punishment will have to be experienced. So the time of destruction is now. The Yadavas and the Kauravas had intellects without love. The Pandavas who became victorious had loving intellects. It is now that same period of time. The Father explains: Simply remember that you now have to return home. Very little time remains: the play is coming to an end. While living at home, simply continue to remember Baba. The ladder of remembrance is very steep. The rosary of Rudra has to be created and you will then receive a prize. You have to claim your fortune of the kingdom and you have to churn the ocean of knowledge for that. This is the pilgrimage of the intellects’ yoga. You have to race to the Father. Check: How much did I remember the Father throughout the day? How many did I change from thorns into flowers? If you don't create subjects, over whom would you rule? Therefore, there are first the eight main ones, then there are 108 and then 16,108. Reason also says that expansion will definitely continue to take place. The kingdom will continue to grow. Hundreds of thousands of people will come even now. Keep this firmly in your intellects: We now have to return home. There is a lot of sorrow in this old world. Simply continue to remember the one Father. The pilgrimage is very long. Those who come at the end will be unable to claim such a high status. So much effort has to be made. There is so much suffering of karma. Then, how could those who come at the end make sufficient effort that their sins will be absolved? King Janak went into the silver age; he couldn't become a sun-dynasty king. He was a king, he became surrendered, but he came too late and so he went into the moon dynasty. Only Brahmins can understand these things; shudras cannot understand these things. Yes, some do like purity, but they have to demonstrate it by living in a state of purity. Some are called followers of sannyasis, but they don't become pure. Therefore, how could they be called followers? That is a lie. In no other spiritual gathering do they have an aim or objective. There are so many spiritual gatherings. Only the Father comes and changes human beings into deities. You become the masters of the world by having remembrance of the one Shiv Baba. If you don’t remember the Father, how would you receive the inheritance? It is your duty to make effort and constantly remember Baba. The stage where you have constant remembrance will be at the end. You don't have that stage now. At the end, only eight win. It is by having remembrance that they go ahead of everyone. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. This is the time of destruction. Therefore, break your love away from bodily beings and have true love for the one Father. Destroy your attachment to this old home.
2. Become a nightingale of knowledge and do the service of making thorns into flowers like yourself. Run the race of remembrance.
Blessing:
May you be a true effort-maker and overcome a mountain of problems in a second with your flying stage.
In order to overcome a problem as big as the Himalayas, adopt the method of the flying stage. Constantly keep all attainments emerged in front of you and continue to fly in the flying stage and you will be able to overcome a problem as big as a mountain in a second. Simply experience your present and future reward. Just as you are able to see physical things very clearly with your physical eyes, in the same way, with your intellect’s eye of experience, see your reward very clearly. Continue to accumulate an income of multimillions at every step.
Slogan:Those who respect everyone become ideal images.
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