Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 21-Aug- 2018 )
21-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे लाडले बच्चे - बाप आये हैं तुम्हारे लिए स्वर्ग की नई दुनिया स्थापन करने, इसलिए इस नर्क से दिल न लगाओ, इनको भूलते जाओ"
प्रश्नः-
रहमदिल बाप तुम बच्चों पर किस रूप से कौन-सा रहम करते हैं?
उत्तर:-
बाबा कहते हैं - मैं बाप रूप से मीठी सैक्रीन बन तुम बच्चों को इतना प्यार देता हूँ जो दुनिया में दूसरा कोई भी दे न सके। मैं तुम्हें पवित्र प्यार की दुनिया का मालिक बना देता हूँ। टीचर बन तुम्हें ऐसी पढ़ाई पढ़ाता हूँ जो तुम बहिश्त की बीबी बन जाते हो। यह पढ़ाई है मनुष्य से देवता बनने की। यह ज्ञान रत्न तुम्हें विश्व का मालिक बना देते हैं।
गीत:-
कौन है माता, कौन है पिता. .....
ओम् शान्ति।
बच्चों को ओम् शान्ति का अर्थ समझाया जाता है। ओम् का अर्थ है - आई एम आत्मा, मैं आत्मा निराकार परमात्मा की सन्तान हूँ। शरीर का फादर वह है, जिसने जन्म दिया है। उनको कहा जाता है शरीर को जन्म देने वाला फादर और शिवबाबा है आत्माओं का बाप। वह तो है ही है। ढेर के ढेर करोड़ों आत्मायें अपनी निराकारी दुनिया में रहती हैं। वहाँ सदैव निर्विकारी ही हैं, विकारी तो परमधाम में रह न सकें। पहले तो यह बात पक्की करनी पड़ेगी - मैं आत्मा, मेरा बाप परमात्मा। आत्मा के सम्बन्धी सब भाई-भाई हैं। इस शरीर के बाप को कहा जाता है लौकिक बाप। आत्मा के बाप को कहा जाता है पारलौकिक बाप। जो सभी का एक ही है। पुकारते भी हैं ना - "ओ गॉड फादर, ओ पतित पावन, रहमदिल।" यह आत्मा ने पुकारा बाप को। आत्मा इस शरीर के साथ दु:खी है। फिर सतयुग में आत्मा को शरीर के साथ सुख है, इसलिए उसका नाम ही है सुखधाम, स्वर्ग। यह है नर्क। गाया भी जाता है ना दु:ख में सिमरण सब करें. . . . याद करते हैं पतित-पावन को। समझते हैं - पतित-पावन बाप ऊपर परमधाम में रहता है। गंगा को पतित-पावनी नहीं कहेंगे। गंगा को तो इन आंखों से देखा जाता है। निराकार बाप को अथवा आत्मा को नहीं देखा जा सकता। परमपिता परमात्मा प्राण दाता, जो दिव्य चक्षु विधाता है, उनको कहा जाता है ओ गॉड फादर, क्रियेटर। अच्छा, फिर मदर कहाँ से आई? मदर बिगर बाप सृष्टि की रचना कैसे रचें? मदर तो जरूर चाहिए ना। गॉड फादर मनुष्य सृष्टि का रचयिता, वह है सबका बाप। फादर है तो मदर भी जरूर होगी। बाप आकर समझाते हैं मैं हूँ ही निराकार। मैं जब आऊं, शादी करुँ तब बच्चे होंगे। परन्तु शादी तो करनी नहीं है। बच्चे पैदा करने हैं - शादी बिगर। बच्चों को मैं एडाप्ट करता हूँ। समझो कोई को स्त्री नहीं है, चाहते हैं कि अपनी मिलकियत किसको देकर जाऊं, फिर धर्म के बच्चे बनाते हैं, एडाप्ट करते हैं तो माँ-बाप दोनों ठहरे ना। तो बेहद का बाप कहते हैं कि मैं भी फादर हूँ। मैं कैसे रचूँ? समझ की बात है ना। बाप खुद आकर समझाते हैं मुझे शरीर तो चाहिए ना। तो इनका आधार लेता हूँ। तुम कहते हो हम ईश्वर की सन्तान हैं। ईश्वर की सन्तान तो सब हैं, परन्तु इस समय बाप सम्मुख आया हुआ है। तुम बच्चों को गोद में लेते हैं। तुम समझते हो हम बाबा के बच्चे बने हैं। बाप है स्वर्ग का रचयिता। स्वर्ग का मालिक बनाने के लिए राजयोग सिखलाते हैं। खुद बैठ बतलाते हैं - मैं निराकार गॉड फादर हूँ। निराकार को मनुष्य सृष्टि का रचयिता कैसे कह सकते? तो बच्चों को एडाप्ट कर उन्हों को ही बैठ समझाते हैं कि मैं शिव निराकार हूँ। तुम भी निराकार आत्मायें हो। तुम गर्भ जेल में आते हो, मैं गर्भ जेल में नहीं आता हूँ। तुम्हारे लिए है आधा कल्प गर्भ महल, आधा कल्प है गर्भ जेल क्योंकि आधाकल्प माया रावण पाप कराती है। सतयुग में माया होती नहीं जो पतित दु:खी बनाये। मैं 21 जन्मों के लिए तुमको स्वर्ग का वर्सा देता हूँ। नई दुनिया स्वर्ग को कहा जाता है। मकान भी पुराना होता है तो पुराने को छोड़ नये में जाते हैं। यह भी पुरानी दुनिया है ना। वह है नई दुनिया गोल्डन एज, पावन दुनिया। तो बाप कहते हैं - लाडले बच्चे, मैं तुम्हारे लिए स्वर्ग स्थापन कर रहा हूँ, तुम फिर नर्क से दिल क्यों लगाते हो? अब नर्क को भूल जाओ। मुझ बाप और स्वर्ग को याद करो, पुरानी दुनिया को भूलते जाओ। यह है बेहद का सन्यास। पुरानी देह सहित जो कुछ भी देखते हो, उनका भी ममत्व छोड़ो। समझो, हम सब कुछ ईश्वर को देते हैं। यह शरीर, धन, दौलत, बच्चे आदि सब ख़त्म हो जाने वाले हैं। यह वही महाभारी महाभारत लड़ाई है, जिसके द्वारा मुक्ति-जीवनमुक्ति के गेट्स खुलने हैं। हरी का द्वार कहते हैं ना। हरी कहा जाता है कृष्ण को, उनका द्वार है बैकुण्ठ। बैकुण्ठ के गेट बाप आकर खोलते हैं। वहाँ कोई पतित जा नहीं सकता इसलिए पतित से पावन बनाते हैं, दु:ख से लिबरेट करते हैं। और कोई लिबरेट कर न सके। दु:ख हर्ता, सुख कर्ता बाप ही है। बाप कहते हैं - मैं तुमको राजयोग सिखाता हूँ। सदा के लिए सुख देने आया हूँ। मैं तुम्हारे लिए बैकुण्ठ हथेली पर लाया हूँ। तुम राजयोग सीखकर मनुष्य से देवता बनते हो। बुद्धि भी कहती है कि बरोबर समझ की बातें हैं। समझो, यह पुरानी दुनिया है फिर यह नई बनेगी। सर्वशक्तिमान एक ही बाप है जो अपनी शक्ति से स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। चाहते भी हैं एक राज्य हो, ऑलमाइटी अथॉरिटी राज्य हो। सो तो सतयुग-त्रेता में अटल, अखण्ड, सुख-शान्तिमय देवी-देवताओं की राजधानी थी, कोई विघ्न नहीं था। उनको अद्वैत राज्य कहा जाता है। दूसरा धर्म ही नहीं, जो दु:खी बनें। अभी देखो भल क्रिश्चियन एक ही धर्म के हैं तो भी उन्हों की आपस में बहुत लड़ाई होती है क्योंकि माया का राज्य है। सतयुग में माया होती नहीं। अभी कहते हैं - ओ गॉड फादर रहम करो। बाप कहते हैं - रहम तो सब पर करुँगा। सब बच्चों को पापों से मुक्त करता हूँ अर्थात् पतित दुनिया से लिबरेट करता हूँ। तुम सब आत्माओं को ले जाता हूँ निराकारी दुनिया में। बाकी शरीर तो भस्म हो जायेंगे। नैचुरल कैलेमिटीज गाई हुई है। आसार भी देख रहे हो। फैमन पड़ना जरूर है।
अब बाप कहते हैं इस छी-छी दुनिया से ममत्व तोड़ो। बेहद का बाप है पीन। कहते हैं मैं जो तुमको प्यार करता हूँ, सो कोई कर न सके। अभी तुमको पवित्र दुनिया का मालिक बनाता हूँ। राजाई के लिए तुम पढ़ रहे हो। एम ऑब्जेक्ट बुद्धि में है। नया तो कोई समझ न सके, जब तक कि कोई बैठ उनको समझावे। एक हफ्ता बैठ समझें कि मनुष्य से देवता बनना है इसलिए बाप को जादूगर कहा जाता है। ज्ञान रत्नों से मनुष्य को देवता बनाता हूँ। उनको रत्नागर, सौदागर, मुसाफिर भी कहते हैं। तुमको आकर स्वर्ग की महारानी-महाराजा बनाते हैं। मुसाफिर कितना हसीन है! तुम जो कोई काम के नहीं थे, अब तुमको पढ़ाकर बहिश्त की बीबी बनाता हूँ। तुम जानते हो हम सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी बनने के लिए पढ़ रहे हैं। परमात्मा पढ़ाते हैं। तुम यहाँ क्या पढ़ते हो? तुम कहेंगे मनुष्य से देवता बनने के लिए पढ़ रहे हैं क्योंकि यह आसुरी गुणों वाली मनुष्य सृष्टि विनाश होने वाली है। कहते भी हैं मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही। तो वही रहमदिल बाप बैठकर तुमको पढ़ाते हैं। सभी धर्मों वाले एक निराकार बाप को ही परमात्मा मानेंगे। मनुष्य भल गॉड फादर कहते हैं परन्तु जानते नहीं कि वह कौन है, कहाँ आते हैं? अभी तुम जानते हो वह पुरानी पतित दुनिया में आते हैं क्योंकि पावन दुनिया स्थापन करते हैं। पुरानी दुनिया को नई दुनिया बनाते हैं। नई दुनिया में तो सुख ही सुख है। बाबा कहते हैं नई दुनिया स्थापन करने कल्प-कल्प मुझे आना ही है। यह तो बुद्धि समझती है कि रात के बाद है दिन। फिर चक्र में कलियुग आता है। कलियुग के बाद फिर सतयुग जरूर होगा ना। तुम बच्चों को कहा ही जाता है स्वदर्शन चक्रधारी। आत्मा जानती है मैं 84 जन्म कैसे लेती हूँ। कोई मनुष्य, मनुष्य को सद्गति दे न सके। मैं ही आकर समझाता हूँ। हम तुमको पावन बनाते हैं, योगबल से तुम विश्व पर जीत पाते हो। बाप है सर्वशक्तिमान। बाप से तुमको बेहद का वर्सा मिलता है। आकाश, पृथ्वी, सागर आदि सब तुम्हारा हो जायेगा। यहाँ तो देखो आकाश पर भी हद, पानी पर भी हद लगी है ना। कहते हैं हमारे पानी के अन्दर तुम नहीं आओ। तुम तो वहाँ सारे विश्व पर राज्य करते हो ना। स्वर्ग तो फिर क्या! स्वर्ग को भूल नहीं सकते। मनुष्य जब मरते है तो कहते हैं स्वर्गवासी हुआ। परन्तु स्वर्ग है कहाँ? ज़रूर नर्क है ना। यह है ही हेल। सब मनुष्य दु:खी हैं, सब पतित हैं। यह राज्य ही रावण का है, जिसको जलाते रहते हैं परन्तु जलता ही नहीं है। रावण को एक सौ फुट लम्बा बनाते हैं और बढ़ाते रहते हैं। दिन-प्रतिदिन लम्बा करते रहते हैं परन्तु समझते नहीं हैं। यह समझ की बातें हैं।
यहाँ देखो मुरली चलती है तो फिर टेप में भरी जाती है क्योंकि गोपिकायें मुरली बिगर रह न सकें। तो यह प्रबन्ध है। मुरली बिगर तो तड़फते हैं क्योंकि यह मुरली है जीवन हीरे जैसा बनाने वाली। यहाँ बाबा पढ़ाते हैं, जो मुरली फिर लण्डन-अमेरिका तक जाती है। बच्चे सुनकर बहुत खुश होते हैं। गाया हुआ है गोपिकायें मुरली बिगर रह नहीं सकती थी। यह नॉलेज गॉड फादर ही सुनाते हैं। मुख्य एक बात समझानी है कि यह हमारा बेहद का बाप है, इनसे स्वर्ग का वर्सा मिलता है। आत्मा कहती है मेरा बाप परमात्मा है, वह आत्माओं को पढ़ा रहे हैं। ऐसा और कोई कह न सके कि मैं परमात्मा तुम आत्माओं को पढ़ाता हूँ। ऐसे भी नहीं कहेंगे कि मैं परम आत्मा नॉलेजफुल हूँ। तुम बच्चों को बहुत अच्छी रीति समझाया जाता है, परन्तु सबकी बुद्धि एकरस तो नहीं होती है। कोई की सतोप्रधान बुद्धि है, कोई की सतो, रजो, तमो.... इसमें टीचर क्या करेंगे? टीचर कहेंगे पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन नहीं देते थे। गॉड फादर है नॉलेजफुल। जैसे टीचर नॉलेजफुल है, स्टूडेन्ट को पढ़ाते हैं, आप समान बनाते हैं, वैसे इस सृष्टि चक्र की नॉलेज गॉड फादर के पास ही है, और कोई नहीं जानते। बाप ही नॉलेज सिखलाए नॉलेजफुल बनाते हैं। बाप है नॉलेजफुल, सबसे ऊंच है। ऊंचा जिसका नाम है, ऊंचा ठांव है। ब्रह्मा-विष्णु-शंकर है सूक्ष्मवतनवासी। थर्ड ग्रेट में हैं मनुष्य। मनुष्यों में भी ग्रेड है। सतयुग में मनुष्यों की ग्रेड बड़ी ऊंची रहती है। तुम गोल्डन एज में जाते हो। आइरन एज खत्म हो जायेगा। गोल्डन एज है तो सिल्वर एज नहीं, कॉपर एज है तो आइरन एज नहीं। यह सब बातें बुद्धि में रखनी है, इसलिए चित्र बनवाये हैं। सतयुग में बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं। कलियुग में तो ढेर के ढेर मनुष्य हैं। पूछते हैं - बाबा, विनाश कब होगा? विनाश तब होगा जब नाटक पूरा होगा, सब चले जायेंगे। बाबा है मुक्ति जीवनमुक्ति का गाइड। वह रहते हैं परमधाम में। तुम भी वहाँ के रहने वाले हो, यहाँ आये हो पार्ट बजाने। बाप कहते हैं - बच्चे, तुम्हें माया पर जीत पानी है। इसमें हिंसा की कोई बात नहीं है। सतयुग में हिंसा होती नहीं। वहाँ हैं ही सम्पूर्ण निर्विकारी देवी-देवतायें। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि से बेहद का सन्यास करना है। पुरानी देह सहित जो कुछ इन आंखों से दिखाई देता है उनसे ममत्व निकाल बाप और स्वर्ग को याद करना है।
2) पढ़ाई को अच्छी रीति धारण कर बुद्धि को सतोप्रधान बनाना है। मुरली ही पढ़ाई है। मुरली पर बहुत-बहुत ध्यान देना है।
वरदान:-ब्राह्मण जीवन में सदा आनंद वा मनोरंजन का अनुभव करने वाले खुशनसीब भव
खुशनसीब बच्चे सदा खुशी के झूले में झूलते ब्राह्मण जीवन में आनंद वा मनोरंजन का अनुभव करते हैं। यह खुशी का झूला सदा एकरस तब रहेगा जब याद और सेवा की दोनों रस्सियां टाइट हों। एक भी रस्सी ढीली होगी तो झूला हिलेगा और झूलने वाला गिरेगा इसलिए दोनों रस्सियां मजबूत हो तो मनोरंजन का अनुभव करते रहेंगे। सर्वशक्तिमान का साथ हो और खुशियों का झूला हो तो इस जैसी खुशनसीबी और क्या होगी।
स्लोगन:-सबके प्रति दया भाव और कृपा दृष्टि रखने वाले ही महान आत्मा हैं।
21/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet, beloved children, the Father has come to create the new world of heaven for you. Therefore, do not attach your hearts to this hell, but continue to forget it.
Question:
In which form does the merciful Father have mercy for you children?
Answer:
The Father says: In the form of the Father, I become as sweet as saccharine and give you children much more love than any human being could ever give you. I make you into the masters of the world of pure love. In the form of the Teacher, I give you such an education that you become queens of Paradise. This study is for becoming deities from human beings. These jewels of knowledge make you into the masters of the world.
Song:
Who is the Mother and who is the Father?
Om Shanti
The meaning of “Om shanti” has been explained to you children. The meaning of “Om” is: I am a soul. I, the soul, am a child of the incorporeal Supreme Soul. The father of the body is the one who gave it a birth. He is called the father who gives birth to this body, whereas Shiv Baba is the Father of souls. He is always the Father. Millions and billions of souls reside in the incorporeal world where they are constantly viceless. Impure souls cannot reside in the supreme abode. First of all, you have to make the aspect of being souls firm and that your Father is the Supreme Soul. In the relationship of souls, all are brothers. The father of this body is called the physical father. The Father of the soul is called the Father from beyond. He is the one Father of everyone. People call out: “O God the Father! O Purifier! Merciful One!” It is souls that call out to the Father. Souls along with their bodies are unhappy. Then, in the golden age, souls experience happiness in their bodies, which is why that is called the land of happiness, heaven. This is hell. It is sung that everyone remembers God at the time of sorrow…. They remember the Purifier.
They understand that the Father, the Purifier, resides up above in the supreme abode. The Ganges cannot be the Purifier. The Ganges can be seen with your physical eyes. It is not possible to see the incorporeal Father or a soul. The Supreme Father, the Supreme Soul, who is the Bestower of Life and also the Bestower of Divine Insight, is called God, the Father, the Creator. Achcha, so where did the Mother come from? How can the Father create the world without the Mother? The Mother is definitely needed. God, the Father, the Creator of the human world, is the Father of all. Since there is the Father, there must also be the Mother. The Father comes and explains: I am the incorporeal One. It is only when I come and get married that I can have children. However, I am not going to get married. Children have to be created without My getting married; therefore, I adopt you children. For instance, when a man wants an heir to leave his property to, but doesn’t have a wife, he would adopt someone; he himself becomes the mother and the father. Therefore, the unlimited Father says: I too am your Father. How I create children is a matter to be understood. The Father Himself comes and explains: I need a body. Therefore, I take the support of this one. You say that you are the children of God. Everyone is a child of God, but it is at this time that God appears personally in front of you children. He comes and adopts you. You understand that you have become Baba’s children. The Father is the Creator of heaven. He teaches you Raja Yoga in order to make you into the masters of heaven. He Himself sits here and explains: I am incorporeal God, the Father. How can the incorporeal One be the Creator of the human world? He adopts you children and He sits and explains to you: I am Shiva, the incorporeal One. You souls are also incorporeal. You go into the jail of a womb, whereas I do not go into the jail of a womb. For half the cycle, a womb is like a palace for you, and for the other half, it is like a jail, because for half a cycle Maya, Ravan makes you commit sin. Maya doesn’t exist in the golden age to make you impure and unhappy. I give you your inheritance of heaven for 21 births. The new world is called heaven. When a house grows old, you leave it and go to a new one. This world is also old. That is the new world, the golden age, the pure world. Therefore, the Father says: Beloved children, I am establishing heaven for you, and so why do you attach your hearts to this hell? Now, forget this hell. Remember Me, your Father, and heaven; continue to forget the old world. This is unlimited renunciation. Remove all your attachment from everything you see, including your old bodies. Just think that you have given everything to God. Your bodies, wealth, property and children are all to be destroyed. This is the same great Mahabharat War, through which the gates to liberation and liberation-in-life will be opened. It is called Haridwar (Gateway to God). Krishna is called Hari (Remover of Sorrow) and his gateway leads to Paradise. The Father comes and opens the gates to Paradise. No one impure can go there. This is why He purifies the impure and He liberates everyone from sorrow. No one else can liberate you. Only the Father is the Remover of Sorrow and the Bestower of Happiness. He says: I teach you Raja Yoga. I have come to give you constant happiness. I have brought Paradise on the palm of My hand for you. You become deities from human beings by studying Raja Yoga. The intellect also says that this is a matter to be understood. Consider this world to be old and that it is to become new again. Only the one Father is the Almighty Authority who, with His power, makes you into the masters of heaven. People want to have one kingdom, one Almighty Authority kingdom. That was there in the golden and silver ages, when there was the unshakeable, undivided, peaceful and happy kingdom of deities. There were no obstacles then. It was called the undivided kingdom. There was no other religion through which you could become unhappy. Just look, at present, although all the Christians belong to the one religion, there is a lot of conflict amongst them because this is the kingdom of Maya. Maya doesn’t exist in the golden age. Now they call out: O God, the Father, have mercy on us! Baba says: I have mercy on everyone. I liberate all of you children from sin, that is, I liberate you from this impure world. I take all of you souls back to the incorporeal world, but your bodies will be burnt here. Natural calamities have been remembered. You can see signs of them. There will definitely be famine. Now, the Father says: Remove your attachment from this dirty world. The unlimited Father is the Saccharine. He says: No one can love you as much as I love you. I am now making you into the masters of the pure world. You are now studying for the kingdom. Your aim and objective is in your intellects. No one new can understand anything until someone sits and explains to him. He has to sit over a period of one week and understand that he has to become a deity from a human being. This is why the Father is called the Magician. I make human beings into deities with the jewels of knowledge. He is also called the Jeweller, the Businessman and the Traveller. He comes and makes you into the emperors and empresses of heaven. He is such a beautiful Traveller. You were of no use. I now teach you and make you into the queens of Paradise. You understand that you are studying in order to become part of the sun and moon dynasties. The Supreme Soul is teaching you. What are you studying here? You would say: We are studying to become deities from human beings, because this world of human beings with devilish traits is to be destroyed. People even sing that they are virtueless, they have no virtue. Therefore, the merciful Father sits here and teaches you. People of all religions will accept the one incorporeal Father as God. Although human beings say: “God, the Father”, they don’t know who He is or where He comes. You now know that He comes into this old impure world, because He establishes the pure world. He makes this old world new. There is nothing but happiness in the new world. Baba says: I have to come every cycle in order to establish the new world. The intellect understands that, after the night, there is the day. There is the iron age in the cycle. After the iron age, the golden age will definitely come. You children are called spinners of the discus of self-realisation. The soul understands how he takes 84 births. No human being can grant salvation to another human being. It is I who come and explain to you. I enable you to become pure and gain victory over the world with the power of yoga. The Father is the Almighty Authority. You receive the unlimited inheritance from the Father. The earth, sky and sea etc. will all belong to you. Just look, here, they put boundaries in the sky and the water. They say that you mustn’t enter their waters. There, you rule over the whole world. Just imagine what heaven will be like! You cannot forget heaven. When someone dies, they say that he has gone to heaven but where is heaven? This must surely be hell. This is hell itself. All human beings are impure and unhappy. This is the kingdom of Ravan. They continue to burn his effigy but he doesn’t die. They make an effigy of Ravan 100 feet tall; they continue to increase its size. Day by day, they continue to make him taller, but they don’t understand anything. These things have to be understood. Just see, while the murli is being conducted, it is also being recorded on tape for the gopikas because they cannot live without the murli. Therefore, this arrangement has been made. Without the murli, they become desperate, because this murli is such that it makes your life as valuable as a diamond. Baba teaches you here and then this murli goes up to London and America etc. Children become very happy listening to it. It has been sung that the gopikas weren’t able to live without the murli. Only God, the Father, speaks this knowledge to you. One main aspect has to be explained: That One is our unlimited Father from whom we receive our inheritance of heaven. The soul says: My Father is the Supreme Soul and He is teaching us souls. No one else can say, “I, the Supreme Soul, am teaching you souls”, or “I, the Supreme Soul, am knowledge-full”. Everything has been explained to you children very clearly, but not everyone’s intellect is the same. Some have satopradhan intellects, some sato intellects, some rajo intellects and some tamo intellects, and so what can the Teacher do? The Teacher would say that you didn’t pay full attention to your studies. God, the Father, is knowledge-full. Just as a teacher is knowledge-full and teaches students and makes them similar to himself, in the same way, it is only God, the Father, who has the knowledge of this world cycle. No one else has it. Only the Father teaches you this knowledge and makes you knowledge-full. The Father, the Highest on High is knowledge-full. His name is the highest and His abode is the highest. Brahma, Vishnu and Shankar are residents of the subtle region. Then, human beings are in the third grade. There are still grades amongst human beings. The grades of human beings in the golden age remain high. You go to the golden age; the iron age will be destroyed. When it is the golden age, the silver age doesn’t exist, and when it is the copper age, the iron age doesn’t exist. All of these things have to be kept in your intellects, and this is why these pictures have been made. There are very few human beings in the golden age whereas there are countless human beings in the iron age. Children ask: Baba, when will destruction take place? Destruction will take place when this play comes to an end and everyone will then return home. Baba is the Guide to liberation and liberation-in-life. He resides in the supreme abode. You also reside there, but you come here to play your parts. The Father says: Children, you have to gain victory over Maya. There is no question of violence in this. There is no violence in the golden age. Only totally viceless deities exist there. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Make your intellect have unlimited renunciation. Remove your attachment from all the old things you can see with your physical eyes, including your body, and remember the Father and heaven.
2. Imbibe this study very well and make your intellect satopradhan. The murli is your study and so you have to pay a lot of attention to the murli.
Blessing:
May you have the fortune of happiness by experiencing bliss and being constantly entertained in Brahmin life.
Children who have the fortune of happiness constantly swing in the swing of happiness and experience bliss and entertainment in Brahmin life. This swing of happiness will remain stable all the time when the two strings of remembrance and service are tight. If even one string is loose, the swing would shake and the person swinging on it would fall. So, let both the strings be tight and strong and you will continue to be entertained. Have the company of the Almighty Authority and the swing of happiness and what more fortune of happiness could you want?
Slogan:
Those who have feelings of mercy and a compassionate vision for all are great souls.
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