Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 14-Aug- 2018 )
14-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम्हें नशा होना चाहिए कि हमारी तकदीर स्वयं बाप ने जगाई है, अभी हम भारत की सोई हुई तकदीर जगाने के निमित्त बने हैं"
 
प्रश्नः-निरन्तर खुशी में खग्गियां कौन मारते हैं?
 
उत्तर:-
 
1- जो दिन-रात अपने को सेवा में बिज़ी रखते हैं। 2-जो कभी भी मात-पिता से रूठते नहीं। अगर किसी भी बात से आपस में या मात पिता से रूठ जाते, पढ़ाई छोड़ देते तो खुशी में खग्गियां नहीं मार सकते। माया उनको थप्पड़ मार देती है। जो सबको हंसाने वाले हैं वह कभी किसी से रूठ नहीं सकते।
 
गीत:-
 
आने वाले कल की तुम तकदीर हो........ 
 
ओम् शान्ति।
 
बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं। पतित-पावन है ही सतगुरू। सतगुरू की भेंट में झूठे भी जरूर हैं। जैसे गाया जाता है झूठी माया झूठी काया.......सतयुग में ऐसे नहीं कहेंगे। उसका नाम ही है सचखण्ड। भारत सचखण्ड था। सचखण्ड नाम क्यों पड़ा? क्योंकि बेहद के बाप की यह जन्मभूमि है। यह बात और कोई की बुद्धि में नहीं है कि परमपिता परमात्मा को ट्रूथ अर्थात् सत कहते हैं और भारत उनकी जन्म भूमि है। बाप आकर यह समझाते हैं। यह भारत वास्तव में स्वर्ग था, अब तो नर्क है। मैं भारत को स्वर्ग बनाने आता हूँ।
 
अभी तुम जानते हो कि बरोबर पहले फॉरेनर्स का राज्य था, तब भी नर्क था, अभी तो और ही रौरव नर्क है। आपस में कितना मतभेद में आकर लड़ते हैं। भाषाओं पर भी कितनी फ्रैक्शन पड़ गई है। गपोड़े मारते रहते हैं - हम सब एक ही हैं। वास्तव में इतने सब मनुष्य ब्रदरहुड हैं। कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। धर्मों में भी मतभेद नहीं होना चाहिए। परन्तु कितना मतभेद है! अभी तो भाषाओं का भी मतभेद हो गया है। भावी ड्रामा की। भारत रौरव नर्क बन गया है। कितनी आपस में दुश्मनी है! कौरवों और पाण्डवों की लड़ाई तो लगी नहीं। पाण्डव तो तुम यहाँ बैठे हो। तुम सच्चे-सच्चे ब्राह्मण कुल भूषण भारत की तकदीर हो। तुम्हारा नाम कितना अच्छा है - स्वदर्शन चक्रधारी, त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी। त्रिमूर्ति शिवबाबा तुम्हें ब्रह्मा द्वारा त्रिकालदर्शी बनाते हैं। तीसरा नेत्र खोलते हैं। तीजरी की कथा अथवा सत्य नारायण की कथा वा अमरकथा बात एक ही है। तुम सब भारतवासी अमरकथा सुन रहे हो। जैसे बाप समझाते हैं वैसे तुम बच्चों को भी समझाना चाहिए। पूछते हैं - बाबा, सर्विस कैसे करें? बाबा ने समझाया है जो ब्राह्मण कुल भूषण मनुष्य को हीरे जैसा बनाते हैं, वह अपने पास बोर्ड लगा दें। शिवबाबा का चित्र लगा हुआ हो। शिवबाबा के चित्र के नीचे लिखना है - "बेहद के बाप से जन्म सिद्ध अधिकार स्वर्ग की बादशाही कैसे प्राप्त होती है - वह आकर समझो।" तो मनुष्य आकर समझेंगे। समझानी तो सहज है। बाप आया है, आकर स्वर्ग बना रहा है। यह शिवबाबा की अवतरण भूमि है। परमधाम से बाबा भारत में ही आते हैं। भारत ही सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है। सबको मानना चाहिए। गुरुनानक, बुद्ध आदि जो भी हैं सबका पतित-पावन बाप जो है उनकी यह जन्म भूमि है। अभी तो आसुरी राज्य है। यथा राजा रानी काले तथा प्रजा भी काली होगी फिर गोरे बन जायेंगे। इसको कहा जाता है आइरन एज, वह है गोल्डन एज। पावन दुनिया तो है शिवालय। अंग्रेज लोग भी समझते हैं कि गॉड-गॉडेज का राज्य भारत में था। परन्तु कब था, यह नहीं समझते। भारत बहुत साहूकार था, अब तो कंगाल है इसलिए भारत को पैसे देते हैं। गरीब को दान दिया जाता है, तो अब दान देते हैं। भारत से ही बहुत पैसे ले गये हैं। अब फिर भारत को देते रहते हैं। बाप कहते हैं मेरा पार्ट है भारत को हीरे जैसा बनाना। तुम ब्रह्माकुमार-कुमारियां हो, तुमको ही देवी-देवता बनाते हैं। गाया जाता है परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्धारा ब्राह्मण और देवता धर्म स्थापन करते हैं। परन्तु भारतवासी जानते नहीं। जानना ही नूँध है। तो यह बोर्ड लगा दो कि लौकिक बाप से जन्म-जन्मान्तर हद का वर्सा लेते आये हो, अब पारलौकिक बाप से आकर स्वर्ग का वर्सा लो। प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान संगम पर ही होते हैं। तुम ब्रह्माकुमारियां हो तो जरूर शिवबाबा के पोत्रे-पोत्रियां ठहरे। यह सबको समझाओ कि तुम प्रजापिता ब्रह्मा की औलाद हो और सतयुगी दैवी स्वराज्य के हकदार हो। कितनी सहज बाते हैं। यह ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ शिवबाबा के पोत्रे-पोत्रियां ठहरे। कल्प पहले भी बने थे, अभी फिर बने हो, सो देवी-देवता बनने के लिए। शिवबाबा का चित्र भी साथ में हो। भारत को स्वर्ग बनाने में जो मदद करते हैं, उनको इज़ाफा जरूर मिलता है। जो ब्राह्मण जैसी-जैसी सेवा करते हैं, वैसा पद लेंगे। बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए पवित्र जरूर बनना है। तुम बच्चों को अन्दर में खुशी होती है कि हम श्रीमत पर चल स्वर्ग की राजाई का वर्सा पा रहे हैं। नशा तो जरूर चढ़ना चाहिए। स्वर्ग के मालिक तो सब बनेंगे परन्तु पुरुषार्थ कर अपना ऊंच मर्तबा प्राप्त करो। बाप का नाम बाला करो। गाते हैं - गुरू का निंदक ठौर पाये। परन्तु उनसे पूछो - कौन सी ठौर? अब तो यह सतगुरू गैरन्टी करते हैं - मैं आया हूँ तुम सबको वापिस ले जाने। तुमको दु:खों से छुड़ाए घर वापिस ले जाऊंगा। यह बाबा ही कह सकते हैं। गाया हुआ है कि मच्छरों सदृश्य गये। विनाश होगा तो भंभोर को आग लगेगी। यह भी गाया हुआ है कि पाण्डवों के लाखा भवन को आग लगाई। लाखा भवन था ना। इनका नाम लखीराज था। तो बरोबर घासलेट ले आये थे जलाने के लिए। प्रैक्टिकल की बातें हैं। आग लगी नहीं, यह तो सिर्फ लिख दिया है। तो तुम बच्चों को कितना फ़खुर से रहना चाहिए क्योंकि तुम भारत की तकदीर बनाने वाले हो। उन्हों ने तो तकदीर को लकीर लगा दी है। अब पैसे आदि सब बाहर से रहे हैं। यह रिटर्न सर्विस हो रही है। विनाश सामने खड़ा है। उन्होंने तुम्हारे से बहुत लिया है, भारत को बहुत लूटा है। कितना गुप्त राज़ ड्रामा में नूंधा हुआ है! विलायत वाले तो अब भारत के प्रति दाता हैं। ड्रामा अनुसार यह नूँध है। कल्प पहले भी ऐसे हुआ था। बाप समझाते हैं कल्प-कल्प हम तुम मिले हैं। कल्प-कल्प श्रीमत द्वारा बाप से तुम अपना स्वराज्य पाते हो और कुछ करना नहीं है। अहिंसा परमोधर्म से श्रीमत पर तुम विश्व के मालिक बनते हो।श्री श्री' गुरूओं को नहीं कहा जा सकता है। शिवबाबा को हीश्री श्री' कहा जा सकता है। भगवानुवाच - यह वही समय है 5000 वर्ष पहले वाला, जब मैं सभी का उद्धार करने आया हूँ। तुम भी शिवबाबा के पोत्रे-पोत्रियाँ ब्रह्मा के बच्चे ब्रह्माकुमार-कुमारी हो। बड़ी पोजीशन वालों को भी समझा सकते हो। कोई सोशल वर्कर होते हैं, उन्हों को भी अच्छी रीति समझा सकते हो। सर्विस से ही वृद्धि होती है। हिम्मत करनी चाहिए। यह तो जानते हो कि माया भी कम नहीं है। चमाट मारकर ऐसा मुँह फेर देती है, जो राम से विपरीत बुद्धि हो जाते हैं। एक खिलौना है ना - अभी राम के, अभी रावण के बन पड़ते हैं। बाबा ने कहा था विराट रूप भी बनाओ। उसमें वर्ण दिखाने हैं - देवता वर्ण, फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र वर्ण में आये। शूद्र से अब फिर ब्राह्मण वर्ण में आये हो। चौरासी का चक्र भारत का ऐसा चलता है। तुम किसको भी यह समझा सकते हो। इसको कहा जाता है सहज राजयोग। तुम राजयोगी राजऋषि हो, वह हठयोग ऋषि हैं।
 
तुम अभी श्रीमत पर चल पवित्र बनते हो। सतयुग-त्रेता में है ही सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया। वहाँ माया होती नहीं। बच्चे जैसे पैदा होने होंगे वैसे होंगे। तुम यह प्रश्न क्यों करते हो कि बच्चे कैसे पैदा होंगे? पहले वर्सा तो ले लो। रस्म-रिवाज जो होगी सो होगी। यह क्यों पूछते हो? तुमको तो निर्विकारी बनना है, फिर रस्म जो होगी वही चलेगी। श्रीकृष्ण ने भी गर्भ से जन्म लिया। उनको सम्पूर्ण निर्विकारी कहा जाता है। वह तो गर्भ महल में बड़े आराम से बैठा था। यहाँ तो गर्भ जेल में बहुत सजायें खाकर त्राहि-त्राहि करते हैं। तो ऐसी-ऐसी बातें समझानी हैं। सर्विस करनी है। मित्र, सम्बन्धी, पड़ोसी आदि सबको ज्ञान देना है। बाप का परिचय देते चलो। बेहद का बाप स्वर्ग की स्थापना करने वाला है। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे। प्रतिज्ञा करो कि - बाबा, मैं आपका मददगार बन पवित्रता का वर्सा जरूर लूँगा। पुरुषार्थ पर सारा मदार है। फालो मदर-फादर। पूछना क्या है? एम ऑब्जेक्ट है ही राजयोग, राजाई के लिए योग। प्रजा का योग नहीं है। राजा बनेंगे तो प्रजा भी जरूर चाहिए। भारत में सदैव राजा-रानी का राज्य चला आया है। अभी तो नो राजा-रानी। बाप फिर से राजा-रानी का राज्य स्थापन कर रहे हैं। इसको कहा जाता है प्रवृत्ति मार्ग। पतित-पावन बाप बैठ समझाते हैं। पतित-पावन जरूर कहना पड़े। पतित-पावन बाप हमको राजयोग सिखलाते हैं। तो सत बाप भी हो गया। सत शिक्षक और सतगुरू भी हो गया। पतित-पावन है फर्स्ट। गुरू की महिमा बहुत भारी है।
 
जिसके भी घर में कलह होती है तो कहा जाता है कलह-क्लेष से पानी के मटके भी सूख जाते हैं। फिर विघ्न डालने वालों पर दोष पड़ जाता है। ड्रामा अनुसार उनकी बुद्धि का ताला बन्द हो जाता है। कुछ भी बोल नहीं सकेंगे। अगर जाकर निन्दा करेंगे तो गला घुट जाता है। सतगुरू का निन्दक ठौर पाये। यह तो सत बाप, सत शिक्षक, सतगुरू है। बाप कहते हैं अगर मेरी निन्दा करायेंगे तो ऊंच पद पा नहीं सकेंगे। विनाश की रिहर्सल भी होती रहेगी। तो मनुष्य कुछ जागेंगे। तुम भल जगाते हो, लेकिन वह घोर नींद में बिल्कुल सोये पड़े हैं। शास्त्रों में तो ग्लानी की बातें लिख दी हैं। सतयुग का नाम गुम कर दिया है। खुशी में तो अन्दर में खग्गियाँ मारनी चाहिए। मात-पिता से मत रूठना। तूफान आयेंगे परन्तु कभी भी बाप को फ़ारकती नहीं देनी है। मात-पिता से कभी मुँह नहीं मोड़ना। माया बड़ी कड़ी है। तुम बच्चों को कभी भी रूठना नहीं चाहिए। तुम सबको हँसाते रहो। बाप द्वारा बड़ी लॉटरी मिली है तो सदैव हर्षित रहना चाहिए। कोई को भी दु: नहीं देना है। दु: देंगे तो दु:खी होकर मरेंगे। मुख से हमेशा रत्न ही निकलने चाहिए, पत्थर नहीं। पत्थर निकलेंगे तो पत्थरबुद्धि बन जायेंगे। अभी तो कोई सम्पूर्ण बने नहीं हैं। सम्पूर्ण बनने का पुरुषार्थ करना चाहिए। अच्छा!
 
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
1) बाप का मददगार बन उनसे इज़ाफा (इनाम) लेना है। सतगुरू का नाम बाला करना है। ग्लानी नहीं करानी है।
 
2) आपस में कलह नहीं करनी है। मुख से सदैव रत्न निकालने हैं, पत्थर नहीं। सबको हँसाना है, रूठना नहीं है।
 
वरदान:-समर्थ स्थिति के आसन पर बैठ व्यर्थ और समर्थ का निर्णय करने वाले स्मृति स्वरूप भव
 
इस ज्ञान का इसेन्स है स्मृति स्वरूप बनना। हर कार्य करने के पहले इस वरदान द्वारा समर्थ स्थिति के आसन पर बैठ निर्णय करो कि यह व्यर्थ है वा समर्थ है फिर कर्म में आओ, कर्म करने के बाद फिर चेक करो कि कर्म का आदि, मध्य और अन्त तीनों काल समर्थ रहा? यह समर्थ स्थिति का आसन ही हंस आसन है, इसकी विशेषता ही निर्णय शक्ति है। निर्णय शक्ति द्वारा सदा ही मर्यादा पुरुषोत्तम स्थिति में आगे बढ़ते जायेंगे।
 
स्लोगन:-अनेक प्रकार के मानसिक रोगों को दूर भगाने का साधन है - साइलेन्स की शक्ति।
 
 
14/08/18              Morning Murli   Om Shanti           BapDada              Madhuban
Sweet children, you should have the intoxication that the Father Himself has awakened your fortune and that you have now become instruments to awaken the sleeping fortune of Bharat.
 
Question:
 
Who can constantly laugh and jump with joy?
 
Answer:
 
1. Those who keep themselves busy in doing service day and night. 2. Those who never sulk with the Mother and Father. If you sulk with each other or with the Mother and Father and stop studying, you won't be able to laugh and jump with joy. Maya slaps such children. Those who make everyone laugh can never sulk with anyone.
 
Song:
 
You are the fortune of tomorrow. 
 
Om Shanti
 
The Father sits here and explains to you children. The Purifier is the Satguru. In comparison to the true Guru, the Satguru, there are definitely also those who are false. It is sung: Maya is false, the body is false and the whole world is false. This would not be said in the golden age. The very name of that place is the land of truth. Bharat was the land of truth. Why was it given the name, the land of truth? Because it is the birthplace of the unlimited Father. It isn’t in the intellect of anyone else that the Supreme Father, the Supreme Soul, is called the Truth and that Bharat is His birthplace. The Father comes here and explains this. In fact, this Bharat was heaven, whereas it is now hell. I come to make Bharat into heaven. You now understand that earlier it was truly the rule of foreigners . It was hell then, but it is now extreme hell. People have conflicting opinions and fight so much. There is so much friction because of the different languages too. They continue to tell lies. They say: We are all one. In fact, so many souls are all a brotherhood. There shouldn't be any conflict of opinion. There shouldn't be any conflict of opinion between different religions, but there is so much conflict. There is now conflict even over different languages. That is the destiny of the drama. Bharat has become extreme hell. There is so much enmity for one another. There wasn't a war between the Kauravas and the Pandavas. You Pandavas are sitting here. You, the true decoration of the Brahmin clan, are the fortune of Bharat. Your names are good: Swadarshanchakradhari (spinner of the discus of self-realisation), trinetri (One with a third eye), Trikaldarshi (Knower of the three aspects of time). Trimurti Shiv Baba is making you trikaldarshi through Brahma Baba. He opens your third eye. The story of the third eye, the story of the true Narayan and the story of immortality are all one and the same. All of you people of Bharat are listening to the story of immortality. Just as the Father is explaining to you, so you children then have to explain to others. Some ask: Baba, how can I do service? Baba has explained that you decoration of the Brahmin clan, who change human beings to become like diamonds, should put up a board. Let there be Shiv Baba's picture put up. At the bottom of Shiv Baba's picture, write: Come in and understand how you can claim your birthright of the sovereignty of heaven from the unlimited Father. Then people will come and understand. The explanation is easy. The Father has come and is creating heaven. This is the land of Shiv Baba's incarnation. Baba comes from the supreme abode into Bharat. Bharat is the biggest pilgrimage place of all. Everyone should accept this. This is the birthplace of the Purifier Father of everyone, such as Guru Nanak, Buddha etc. It is now the devilish kingdom. As the king and queen are ugly, so the people will also be ugly. Then they will become beautiful. This is called the iron age and that is the golden age . Shivalaya is the pure world. British people believe that there used to be a kingdom of gods and goddesses in Bharat, but they don't know when that was. Bharat was very wealthy, but it is now poverty-stricken and this is why Bharat is given money. Donations are given to the poor and so they now donate to Bharat. They took a lot of wealth from Bharat and so they now continue to give to Bharat. The Father says: My part is to make Bharat like a diamond. You are Brahma Kumars and Kumaris and you are made into deities. It is remembered that the Supreme Father, the Supreme Soul, establishes the Brahmin and deity religions through Brahma. However, the people of Bharat don't know this. It is fixed for them not to know. Therefore, put up the board: You have been claiming a limited inheritance from your physical fathers for birth after birth. Now come in and claim your inheritance of heaven from the Father from beyond. The children of Prajapita Brahma only exist at the confluence age. You are BKs and so you are definitely the grandsons and granddaughters of Shiv Baba. Explain to everyone that you are the children of Prajapita Brahma and that you have a right to the golden-aged, deity sovereignty. These are such easy matters. These Brahma Kumars and Kumaris are the grandsons and granddaughters of Shiv Baba. They became that in the previous cycle and are now once again becoming that in order to become deities. You should also have a picture of Shiv Baba with you. Those who help to make Bharat into heaven definitely receive a prize. Whatever service Brahmins do, they will accordingly receive a status. In order to claim your full inheritance from the Father, you definitely have to become pure. You children have the happiness inside that you are following shrimat and claiming your inheritance of the kingdom of heaven. Your intoxication should definitely rise. All of you will become the masters of heaven, but you have to make effort to attain your high status. Glorify the Father's name. It is remembered: Those who defame the Guru cannot reach their destination. However, ask them: What destination? This Satguru now guarantees: I have come to take all of you back home. I will liberate you from sorrow and take you back home. Only Baba can say this. It is remembered that all went back like a swarm of mosquitoes. When destruction takes place, the haystack will be set on fire. It is also remembered that Lakha Bhavan of the Pandavas was set on fire. There was a building, Lakha Bhavan. This one's name was Lekhraj. People really did bring petrol to set his place on fire. These are things that happened in a practical way. There wasn't a fire, but they have just written such things. So you children should live with so much spiritual intoxication because you are the ones who are creating the fortune of Bharat. Those people crossed out their fortune. Now all the money etc. is coming from outside. Return service is taking place. Destruction is just ahead. Those people took a lot from you; they looted Bharat. Such an incognito secret is fixed in the drama. Those from abroad are now bestowers for Bharat. This is fixed according to the drama. The same thing also happened in the previous cycle. The Father explains: You and I meet every cycle. Every cycle you attain your self-sovereignty from the Father by following shrimat. You don’t have to do anything else. By following the highest religion of non-violence according to shrimat, you are becoming the masters of the world. Gurus are not called Shri Shri. Shiv Baba alone is called Shri Shri. God speaks: This is the same time period as it was 5000 years ago when I came to uplift everyone. You too are Shiv Baba's grandsons and granddaughters, the children of Brahma, Brahma Kumars and Kumaris. You can explain this to those in high positions. You can also explain this very well to social workers. Growth takes place through service. You should maintain courage. You know that Maya is no less. She slaps you and turns your faces away so that your intellects become divorced from Rama. There is a toy where, one minute Sita belongs to Rama and the next minute, she belongs to Ravan. Baba has said: Also create a picture of the variety-form image. The clans should show how you went into the deity, warrior, merchant and shudra clans. From the shudra clan, you have now come into the Brahmin clan. This is how the cycle of 84 births of Bharat rotates. You can explain this to anyone. This is called easy Raja Yoga. You are Raja Yogis and Raj Rishis, whereas those people are hatha yoga rishis. You are now following shrimat and becoming pure. In the golden and silver ages, it is the completely viceless world. Maya doesn't exist there. Children will be born there in whatever way they are meant to. Why do you ask: How will children take birth there? First of all, claim your inheritance. Whatever the customs and systems are there, they will continue. Why do you ask this? You have to become viceless. Then, whatever customs there are, they will continue. Shri Krishna took birth through a womb. He is called completely viceless. He sat very comfortably in the palace of a womb. Here, souls experience a lot of punishment in the jail of a womb and cry out in distress. So, you have to explain such things. Do service! You have to give knowledge to all your friends, relative and neighbours etc. Continue to give the Father's introduction. The unlimited Father establishes heaven. The Father says: Remember Me and your sins will be absolved. Make this promise: Baba, I will become Your helper and definitely claim my inheritance of purity. Everything depends on effort. Follow Mother and Father. What do you need to ask? Your aim and objective is Raja Yoga, yoga for the kingdom. This is not praja yoga to become subjects. If you become kings, your subjects are also surely needed. There has always been the kingdom of kings and queens in Bharat. Now there are no kings or queens. The Father is once again establishing the kingdom of kings and queens. This is called the family path. The Purifier Father sits here and explains to you. He definitely has to be called the Purifier. The Purifier Father is teaching us Raja Yoga. Therefore, He is the true Father and the true Teacher and the true Guru (Satguru). He is first the Purifier. The praise of the Guru is very great. Where there is conflict in a home, it is said: Due to sorrow and conflict even the urns of water dry up. Then, those who create obstacles are blamed. According to the drama, their intellects become locked; they won't be able to say anything. If someone goes and defames others, he will choke. Those who defame the Satguru cannot reach their destination. That One is the true Father, the true Teacher and the true Guru (Satguru). The Father says: If you have Me defamed, you won't be able to claim a high status. Rehearsals for destruction will also continue to take place so that people can wake up. You are awake, but those people are in a deep sleep. They have written defamatory things in the scriptures. They have made the name of the golden age disappear. You should laugh and jump with joy inside. Don't sulk with the Mother and Father. Storms will come but you must never divorce the Father. Never turn your face away from the Mother and Father. Maya is very strong. You children should never sulk. Just continue to make everyone laugh. You have won a big lottery from the Father and so always remain cheerful. You mustn't cause anyone sorrow. If you do cause sorrow, you will die in sorrow. Let only jewels, and not stones, emerge from your mouths. If stones emerge, your intellects will become stone. No one has as yet become complete. You should make effort to become complete. Achcha.
 
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
 
Essence for Dharna:
 
1. Become the Father's helpers and claim a prize from Him. You have to glorify the name of the Satguru. You mustn't have Him defamed.
 
2. Don't allow there to be conflict among you. Let only jewels and not stones always emerge from your mouths. You mustn’t sulk but make everyone laugh.
 
Blessing:
 
May you be an embodiment of remembrance who discerns between the wasteful and the powerful by being seated on the seat of a powerful stage.
 
The essence of this knowledge is to become an embodiment of remembrance. Before performing any task, first of all sit on the seat of a powerful stage with this blessing and discern whether that task is wasteful or powerful and then act. After performing that deed, check whether all three stages of that act – beginning, middle and end – were powerful. The seat of a powerful stage is the seat of a swan and its speciality is the power to discern. With the power of discernment you will always have the stage of an elevated being who follows the highest code of conduct and you will continue to move forward.
 
Slogan:The way to chase away all types of mental illness is the power of silence.

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