Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 10-Aug- 2018 )
10-8-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - जिस मात-पिता से तुम्हें बेहद का वर्सा मिलता है उस मात-पिता का हाथ कभी छोड़ना नहीं, पढ़ाई छोड़ी तो छोरा-छोरी बन जायेंगे"
 
प्रश्नः-खुशनसीब बच्चों का पुरुषार्थ क्या रहता, उनकी निशानी सुनाओ?
 
उत्तर:-जो खुशनसीब बच्चे हैं - वह देही-अभिमानी रहने का पुरुषार्थ करते हैं। जो सुनते हैं उसका औरों को दान देते हैं। वह शंखध्वनि करने बिगर रह नहीं सकते। धारणा भी तब हो जब दान करें। खुशनसीब बच्चे दिन-रात सेवा में फर्स्टक्लास मेहनत करते हैं। कभी भी धर्मराज से डोंट केयर नहीं रहते। सिर्फ अच्छा-अच्छा खाया, अच्छा-अच्छा पहना, सर्विस नहीं की, श्रीमत पर नहीं चले तो माया बहुत बुरी गति कर देती है।
 
गीत:-भोलेनाथ से निराला........  ओम् शान्ति।
 
बिगड़ी को सुधारने वाला तो एक ही है - यह दुनिया नहीं जानती। तुम बच्चे समझते हो, जो यहाँ बैठे हो। तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार जानते हैं। बिगाड़ने वाली है माया। आसुरी मत पर चलने वाले ही बिगड़ते हैं। अब तुम बच्चे जानते हो भोलानाथ शिव को ही कहा जाता है। शंकर को भोलानाथ नहीं कहते हैं। भोलानाथ उनको कहा जाता है जो बिगड़ी को बनाने वाला है, बड़ा भोला है, गरीबों को अखुट खजाना देने वाला है। बच्चों को आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान देते हैं, जिसके यह चित्र बने हुए हैं। और कोई ऐसा नहीं समझाते कि यह उल्टा वृक्ष है। भगवानुवाच है कि इस झाड़ और ड्रामा का ज्ञान और कोई भी वेद शास्त्र में नहीं है। भगवान् ने ही दिया है। उनका ही शास्त्र है, जिसके लिए कहा जाता है सर्व शास्त्र शिरोमणी भगवत गीता।
 
परमपिता परमात्मा कितना मीठा बाबा है परन्तु उसकी याद माया भुला देती है। तुम शिवबाबा को याद करने की कोशिश करते हो, लेकिन माया बड़ी जबरदस्त है, वह तुमको याद करने नहीं देगी। अब बाबा तुमको इस रोने की दुनिया से दूर ले जाते हैं, जहाँ 21 जन्म तुमको रोने की दरकार ही नहीं रहती है। तुमने 63 जन्म तो रोया है। 84 जन्म नहीं कहेंगे। यह भी तुम बच्चे ही जानते हो। भोलानाथ बैठ समझाते हैं। जबसे रावण बिगाड़ना शुरू करते हैं, तब से तुम रोने लगते हो। मनुष्यों को समझाने के लिए ही यह बड़ा झाड़ और गोला बनवाया जाता है क्योंकि बड़े चित्रों पर अच्छी रीति समझाया जा सकता है। भल कोई बच्चे अपने कर्मों अनुसार इतना नहीं भी धारण कर सकते हैं। सभी तो राजा-रानी नहीं बनेंगे। अच्छे कर्म किये हैं तो उसका फल आगे जरूर मिलता है। कर्मों की गति है ना। बाप कहते हैं मैं कर्म-अकर्म-विकर्म की गति को जानता हूँ और समझाता हूँ। टीचर तो सभी को एक जैसा ही पढ़ाते हैं। फिर कोई अच्छे नम्बर से पास होते हैं, कोई नापास होते हैं। कहेंगे क्या करें, कर्मों का ऐसा ही हिसाब-किताब है जो हम पढ़ते नहीं। यहाँ भी ऐसा है। कोई तो अच्छा पढ़ते हैं, कोई तो पढ़ाई अथवा कॉलेज को ही छोड़ देते हैं। कॉलेज छोड़ा गोया बाप-टीचर-सतगुरू को छोड़ा। छोड़ने से छोरा बन जाते हैं। छोरा उनको कहा जाता है जिनके माँ-बाप नहीं होते हैं। तो मात-पिता, जिनसे स्वर्ग का वर्सा मिलता है उनको छोड़ा तो छोरा-छोरी बन जाते हैं। यहाँ भी कई समझते हैं - यहाँ से छूट पुरानी दुनिया में जायें। लेकिन वहाँ ज्ञान तो उठा नहीं सकते। वहाँ तो नाटक, बाइसकोप, घूमना-फिरना, अच्छा कपड़ा आदि मिलेगा। जिनकी तकदीर में नहीं है तो फिर ऐसे ख्यालात चलते हैं। विनाश काले विपरीत बुद्धि होती है तो फिर पुरानी दुनिया तरफ चले जाते हैं। तुम जानते हो पुरानी दुनिया तो जल्द ख़त्म होनी है। साथ में तो कुछ नहीं चलना है। तुमको इस देह-अभिमान को भी छोड़ना है। देह-अभिमान के कारण ही और सब विकार आते हैं। देही-अभिमानी बनने में बहुत मेहनत है। बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझो। मैं भी टैप्रेरी इस तन में आया हूँ। हम सो देवता थे, अब फिर हम सो शूद्र बने हैं। श्रीमत पर चल हम विश्व को स्वर्ग बनाते हैं। तुम बच्चे कितने खुशनसीब हो! जब शिवबाबा आते हैं तब तुम भारत माताओं को ही शक्ति सेना बनाते हैं इसलिए ही तुम्हारा नाम पड़ा है शिव शक्ति सेना। तुम शिव से शक्ति ले अपना स्वराज्य स्थापन कर रहे हो। ऊंच ते ऊंच है शिवबाबा। दुनिया तो बिल्कुल ही घोर अन्धियारे में है। तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार सोझरे में हैं। कोई-कोई की ज्योत जगती ही नहीं है। वह भी ड्रामा में नूँध है। किसी की ज्योत जगती भी है तो फिर माया बुझा देती है। चलते-चलते माया का तूफान लगने से फिर वैसे का वैसा बन जाते हैं। इस दुनिया में कोई तो बहुत साहूकार हैं, कोई 10 रूपया भी नहीं कमाते। कई मनुष्यों को भोजन भी मुश्किल से मिलता है। खाने के लिए कितना पुकारते हैं। बाबा उन द्वारा (विदेशों द्वारा) सहायता करवा रहे हैं। यह मनुष्य तो नहीं जानते। यह भी ड्रामा में राज़ है। तुम जब बहुत दु:खी होते हो तब बाप आते हैं। अगर उन्हों को प्रेरणा नहीं मिलती तो तुमको मदद नहीं करते। अभी तुम्हारी कम्पलीट राजधानी स्थापन नहीं हुई है।
 
तो यह चित्र हैं किसको समझाने के लिए। इनका बहुत महत्व है। जैसे मैप्स (नक्शे) होते हैं, मैप के सिवाए कैसे पता पड़े फलाना शहर कहाँ है। यह मैप्स वहाँ नहीं होंगे। यहाँ तो भारत कितना बड़ा है। वास्तव में भारत की सबसे जास्ती संख्या होनी चाहिए। तो रहने लिए कितनी जगह चाहिए। स्वर्ग में तो बहुत थोड़े रहेंगे। तुम्हारी बुद्धि में यह बातें हैं। विनाश होगा तो हम बाकी बहुत थोड़े रहेंगे। झाड़ का फाउन्डेशन है ना। फिर बाद में झाड़ वृद्धि को पाता रहेगा। फिर नम्बरवार और झाड़ लगते रहेंगे। तुम्हारे में भी बहुत थोड़े हैं जो इन बातों को समझते हैं और नशे में रहते हैं। हम बाबा द्वारा नॉलेजफुल बनते हैं। बाबा तो बहुत सहज बतलाते हैं। कहते हैं सिर्फ इस सृष्टि चक्र को ध्यान में रखो। सृष्टि चक्र और शंख। जो ज्ञान का शंख बजाने वाले नहीं होंगे तो उनको गीता सुनाने वाला ब्राह्मण कैसे कहेंगे? गीता सुनाने वाले भी नम्बरवार होते हैं। जो अच्छे पक्के विद्वान होंगे उन्हों को नशा रहेगा। कितने हजारों मनुष्य बैठ सुनते हैं। तुम्हारी तो हैं नई बातें। कहते हैं इन्हों का ज्ञान हिन्दुओं का है, मुसलमानों का है, पता नहीं कहाँ से लाया है। फिर भी कई तो समझते हैं ना - भोलानाथ बाबा, भक्तों का रक्षक भगवान्, पतित-पावन आया है। उनको आना जरूर है। बाप कहते हैं मेरी यादगार के भी मन्दिर हैं। मैं आया ही हूँ पतितों को पावन बनाने। यह तुम बच्चे जानते हो - बाबा आकर हमको 5 हजार वर्ष पहले समान समझा रहे हैं। तुम कहते हो - बाबा, हम भी 5 हजार वर्ष पहले आये थे, आपसे वर्सा लिया था। इतने ढेर बच्चे कहते हैं, इसमें अन्धश्रधा की कोई बात ही नहीं। सभी कहते हैं - बाबा, हम आपके पोत्रे, ब्रह्मा के बच्चे हैं। कोई से भी पूछो तो कहेंगे - हाँ, शिवबाबा के बच्चे तो सब भाई-भाई हैं। फिर साकार में ब्रह्मा की औलाद होने से बहन-भाई ब्रह्माकुमार-कुमारी हो गये। तो यह बुद्धि में रहना चाहिए। हम ब्रह्मा के बच्चे ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ ठहरे, इसमें विकार की कोई बात नहीं। एक ही कुल हो गया। प्रजापिता ब्रह्मा रचयिता है। जरूर यह प्रजा है ना। शिवबाबा आकर ब्रह्मा द्वारा बच्चे बनाते हैं, तो जरूर सतयुग के पहले आये होंगे। जो ब्राह्मण फिर देवता बनते हैं वह जरूर पवित्र रहेंगे। जो-जो पवित्र बनते हैं वह अपना राज्य-भाग्य लेते हैं। शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा यह रचना रच रहे हैं। तुम जानते हो हम 5 हजार वर्ष पहले भी संगम पर थे, अब भी हैं फिर हम देवता बनेंगे। सतयुग में वा कलियुग में कोई ब्रह्माकुमार-कुमारियां नहीं होते हैं, संगम पर ही होते हैं। ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ भाई-बहन बनते हैं - यह पवित्र रहने की युक्ति है। जो पवित्र नहीं बनते वह तो विश्व का राज्य ले सके। ब्राह्मण ही देवता बनने वाले हैं। बाप समझाते हैं - बच्चे, पुरुषार्थ करके धारण करो और दूसरों को कराओ। जब देवता बनने लायक बन जायेंगे तब विनाश होगा। विनाश सामने खड़ा है। जो अच्छे सर्विसएबुल बच्चे हैं उन्हों की बुद्धि में ठहरता है। दान नहीं करते तो बुद्धि में ठहरता ही नहीं है। कई ब्रह्माकुमार-कुमारियां अच्छी फर्स्टक्लास मेहनत करते हैं, कोई सेकेण्ड, कोई थर्ड क्लास करते हैं, तो मिलेगा भी ऐसा ही। सभी कहते हैं हमको फर्स्टक्लास ब्रह्माकुमारी भेजो। अब इतनी कहाँ से लायेंगे? यह भी शिवबाबा जानते हैं कि फर्स्टक्लास कौन हैं? हर एक की अवस्था को जानते हैं। बहुत बच्चियाँ अच्छी सर्विस करती हैं।
 
ब्राह्मणों (लौकिक ब्राह्मण) को खाने का बहुत रहता है, जगह-जगह धामा खाते रहते हैं। बच्चों में भी कोई-कोई हैं, अच्छा भोजन मिले तो आराम आये। बाबा-मम्मा का नाम बदनाम कर देते हैं। फिर समझाओ तो गुस्सा जाता हैं। कई धर्मराज को भी डोंटकेयर करने वाले हैं। वह फिर आश्चर्यवत् भागन्ती हो जाते हैं। माया ऐसी बुरी गति करा देती है, जो श्रीमत पर नहीं चलते। फिर विकार के लिए अबलाओं पर कितने अत्याचार करते हैं। अत्याचार भी अहो सौभाग्य है। बाप से वर्सा तो ले लेंगे ना। बहुतों पर अत्याचार होते हैं क्योंकि विष बिगर रह नहीं सकते। यह है दुर्गति की दुनिया। इसमें किसकी सद्गति हो नहीं सकती। मृत्युलोक और अमरलोक को कोई नहीं जानते। अमरलोक सतयुग में है आदि, मध्य, अन्त सुख। दिखाते हैं अमरनाथ ने पार्वती को कथा सुनाई। अब सूक्ष्मवतन में तो कथा सुनने की दरकार नहीं। तो यह कथायें आदि कहाँ से आई? अमरकथा सुनाई फिर सूक्ष्मवतन से कहाँ गये? कुछ भी पता नहीं। तो इन बातों को अच्छी रीति समझाना चाहिए। कथा सुनाने वाले तो बहुत हैं, पहले उन्हों की बात सुनकर फिर समझाना चाहिए। दशहरे पर बड़े-बड़े आदमी रावण को देखने जाते हैं। सेन्सीबुल मनुष्य समझेंगे कि बन्दर कैसे राम को सहायता करेंगे? कुछ भी नहीं समझते। इस समय तो नेशन (देश), नेशन से लड़ते रहते हैं। एक क्राइस्ट के बच्चे आपस में लड़ते हैं। बाप कहते हैं यह भी ड्रामा की भावी है। ड्रामा का मालूम पड़ा है तब तो तुम अब पुरुषार्थ करते हो। जानते हो अब खेल पूरा होता है, बाबा से वर्सा लेना है। यह ड्रामा का राज़ और कोई की बुद्धि में नहीं हैं। बाबा ने आकर सब राज़ समझाये हैं। पढ़ाने वाला, पतित-पावन वह बाप है। बलिहारी उनकी है। माया नींच बनाती है। ऊंच ते ऊंच बाप ही आकर ऊंच बनाते हैं। कहते हैं - बच्चे, अब मेरे से सुनो, पुरानी देह का भान छोड़ने का पुरुषार्थ करते रहो। अभी तो तुमको पतियों का पति मिल गया है, जो स्वर्ग की बादशाही देते हैं। वहाँ है ही सम्पूर्ण निर्विकारी। यह है सम्पूर्ण विकारी दुनिया। दुनिया एक ही है। वही सम्पूर्ण निर्विकारी फिर सम्पूर्ण विकारी बनते हैं। पहले भारत स्वर्ग था, अब नर्क है। यह चित्र बड़े वैल्युबुल हैं। विलायत में कोई को समझाकर दो तो कहेंगे कि यह चीज़ तो बड़ी अच्छी है। कैसे सृष्टि का चक्र फिरता है, किस-किस की डिनायस्टी चलती है, सबके चित्र इनमें हैं। कोई भी धर्म वाले को समझाने से खुश होंगे। हाँ, आगे चल एक-दो से सब सुनेंगे - यह तो बहुत अच्छी नॉलेज है। विलायत में कोई सेन्सीबुल जाये तो बहुत सर्विस हो सकती है। अच्छा!
 
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कर्म-अकर्म-विकर्म की गति को बुद्धि में रख श्रेष्ठ कर्म करने हैं। पढ़ाई कभी नहीं छोड़नी है।
2) ज्ञान दान करने से ही धारणा होगी इसलिए दान जरूर करना है। कभी भी बाप की आज्ञाओं को डोंटकेयर नहीं करना है।
 
वरदान:-अटेन्शन और चेकिंग की विधि द्वारा व्यर्थ के खाते को समाप्त करने वाले मा. सर्व-शक्तिमान् भव
 
ब्राह्मण जीवन में व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ बोल, व्यर्थ कर्म बहुत समय व्यर्थ गंवा देते हैं। जितनी कमाई करने चाहो उतनी नहीं कर सकते। व्यर्थ का खाता समर्थ बनने नहीं देता इसलिए सदा इस स्मृति में रहो कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ। शक्ति है तो जो चाहे वो कर सकते हैं। सिर्फ बार-बार अटेन्शन दो। जैसे क्लास के समय वा अमृतवेले की याद के समय अटेन्शन देते हो, ऐसे बीच-बीच में भी अटेन्शन और चेकिंग की विधि अपना लो तो व्यर्थ का खाता समाप्त हो जायेगा।
 
स्लोगन:-राजऋषि बनना है तो ब्राह्मण आत्माओं की दुआओं से अपनी स्थिति को निर्विघ्न बनाओ।
 
 
10/08/18         Morning Murli           Om Shanti      BapDada         Madhuban
Sweet children, never let go of the hand of the Mother and Father from whom you receive your unlimited inheritance. If you leave your study you become like street orphans.
 
Question:
 
What are the efforts of fortunate children? Say what indicates them.
 
Answer:
 
Fortunate children make effort to remain soul conscious. They donate to others whatever they hear. They cannot stay without blowing the conch shell. Only when you donate can you imbibe. Fortunate children make first-class efforts in service day and night. They never have a "don't care" attitude towards Dharamraj. If you simply eat good food, wear good clothes, don't do service and don't follow shrimat, Maya will make your condition very bad.
 
Song:
 
No one is unique like the Innocent Lord. 
 
Om Shanti
 
The world doesn't know that there is only the One who can put right that which has gone wrong. You children who are sitting here understand this. You also know, numberwise, according to the effort you make. It is Maya that spoils everything. Those who follow devilish directions are spoilt. You children now understand that Shiva is called the Innocent Lord. Shankar cannot be called the Innocent Lord. The Innocent Lord is the One who reforms that which has been spoilt. He is very innocent. He is the One who gives limitless treasures to the poor. He gives you children the knowledge of the beginning, the middle and the end. Pictures have been made of this. No one else explains that this is an inverted tree. God speaks: The knowledge of this tree and the drama is not written in any of the Vedas or scriptures. God alone has given it. It is His scripture that is also called the jewel of all scriptures, the Bhagwad Gita. The Supreme Father, the Supreme Soul, is such a sweet Baba, but Maya makes you forget Him. You try to remember Shiv Baba, but Maya is very powerful. She does not allow you to remember Him. Baba will now take you far away from this world of crying where you won't need to cry for 21 births. You have been crying for 63 births; you wouldn’t say 84 births. Only you children know this. The Innocent Lord sits here and explains to you. You began to cry from the moment Ravan began to spoil everything. Big pictures of the tree and the cycle are made in order to explain to people because you can explain very clearly using big pictures. Some children are unable to imbibe that much because of their karma. However, not everyone will become a king or queen. When someone has performed good actions, he definitely receives the fruit of that in his future births. This is the philosophy of karma. The Father says: I know the philosophy of karma, neutral karma and sinful karma and I explain it to you. A teacher would teach everyone in the same way. Some pass with good marks whereas others fail. They would say: What can we do? The account of karma is such that we are unable to study. It is the same here. Some study very well whereas others leave the study and college. To leave college means to leave the Father, Teacher and Satguru. Those who leave college are said to be street orphans. Street orphans are those who don't have parents. So, when you leave the Mother and Father from whom you receive the inheritance of heaven, you become like street orphans. Here, too, some think that they will leave here and go back to the old world. However, they won't be able to take knowledge there. There, you will have dramas, films, sightseeing, touring around, wearing good clothes etc. Those who don't have it in their fortune have such thoughts. Those who have non -loving intellects at the time of destruction go towards the old world. You know that the old world is going to end very soon. You are not going to take anything with you. You have to renounce that body consciousness. It is because of body consciousness that all the other vices come. It requires a lot of effort to become soul conscious. The Father says: Consider yourself to be a soul. I too have entered this body temporarily. We were deities and have now become shudras. We are making the world into heaven by following shrimat. You children are so fortunate. When Shiv Baba comes, He creates the Shakti Army of you mothers of Bharat. This is why your name is the Shiv Shakti Army. You are taking power (shakti) from Shiva and establishing your sovereignty. Shiv Baba is the Highest on High. The world is in complete darkness. You, too, are in the light, numberwise, according to the efforts you make. The lights of some are not ignited at all. That too is fixed in the drama. The lights of some are ignited and then Maya extinguishes them. While moving along, when there are storms of Maya, they become the same as they were before. In this world, some are very wealthy and others don't even earn ten rupees. Some people are hardly able to get food; they cry out so much for food. Baba is enabling them, that is, the foreign countries to give help. People don't know this. This too is a secret in the drama. The Father comes when you become very unhappy. If they didn't receive inspiration, they wouldn’t help you. Your kingdom is not completely established yet. So this picture is for explaining to anyone. It is very important, just as you have maps, because you couldn't tell where particular cities are without maps. These maps won't exist there. Here, Bharat is so large. In fact, Bharat should have the largest population. They need so much space to live here. There will be very few people in heaven. These things are in your intellects. When destruction takes place, very few of us will remain. There is the foundation of the tree and the tree later continues to grow. Then, numberwise, other trees also begin to grow. Amongst you, too, there are very few who understand these things and have the intoxication of becoming knowledge-full through Baba. Baba tells you very easily. He says: Simply pay attention to this world cycle - the world cycle and the conch shell. If you are not someone who blows the conch shell of knowledge, how could you be called a Brahmin who speaks the Gita? Those who relate the Gita are also numberwise. Those who are very clever scholars would have that intoxication. So many thousands of people sit there to listen to them. Everything of yours is new. They say: Their knowledge is neither that of the Hindus nor of the Muslims. You can't tell where they got their knowledge from. Nevertheless, some think that Baba, the Innocent Lord, God, the Protector of the Devotees, the Purifier, has come. He definitely has to come. The Father says: There are also temples as memorials to Me. I have come to make impure ones pure. You children know that Baba has come and is explaining to us as He did 5000 years ago. You say: Baba, we also came here 5000 years ago and claimed our inheritance from You. So many children say this and so there is no question of blind faith. All of you say: Baba, we are Your grandchildren, the children of Brahma. When any of you are asked, you would say: Yes, the children of Shiv Baba are all brothers. Then, in the corporeal form, because we are the children of Brahma, we are brothers and sisters, Brahma Kumars and Kumaris. Therefore, this should remain in your intellects. We children of Brahma are Brahma Kumars and Kumaris and so there is no question of vice here. There is just this one clan. Prajapita Brahma is the creator. So all of these are definitely his people. Shiv Baba comes and makes you His children through Brahma. Therefore, He would definitely have come before the golden age. Those who become Brahmins and then deities would definitely remain pure. Those who become pure claim their fortune of the kingdom. Shiv Baba is creating this creation through Brahma. You know that we were at the confluence age 5000 years ago, that we are there now and will then become deities. There are no Brahma Kumars and Kumars in the golden age or the iron age; they only exist at the confluence age. Brahma Kumars and Kumaris are brothers and sisters; this is a method to remain pure. Those who don't become pure cannot claim the kingdom of the world. Only Brahmins will become deities. The Father explains: Children, make effort and imbibe knowledge and inspire others to imbibe it. When you are worthy of becoming deities, destruction will take place. Destruction is just ahead. This will remain in the intellects of those who are good serviceable children. If you don't donate anything, it doesn't remain in your intellect. Some Brahma Kumars and Kumaris make very good first-class efforts. Some make second and third-class efforts and so they receive their rewards accordingly. Everyone says: Send us a first-class Brahma Kumari. Where would we get so many of them from? Shiv Baba knows who is first class. He knows each one's stage. Many daughters do very good service. Worldly brahmins are very interested in their food. They go to different places for their meals. Among the children too, there are some who aren’t able to rest if they don't have good food. They defame the names of Mama and Baba. Then, when you explain to them, they become angry. There are some who even have a “don't care” attitude towards Dharamraj. They become those who are amazed by knowledge and then run away. Maya makes their condition so bad that they don't follow shrimat. Then they assault innocent ones so much, for vice. It is great fortune for those who are assaulted because they can at least claim their inheritance from the Father. Many are assaulted because those people cannot stay without vice. This is the world of degradation and no one can receive salvation here. No one knows the land of death or the land of immortality. The land of immortality is in the golden age where there is happiness from the beginning through the middle to the end. They show the Lord of Immortality telling Parvati the story of immortality. There is no need to listen to religious stories in the subtle region. So, where did those religious stories come from? He told the story of immortality, but where did He then go from the subtle region? They don’t know anything at all. Therefore, you should explain these things very clearly. There are many who tell these stories, so you should first listen to them and then explain to them. Eminent people go to see an effigy of Ravan on Dashera. Sensible people would wonder how monkeys could help Rama. They don't understand anything at all. At this time, nations are fighting nations. Children of the one Christ are fighting among themselves. The Father says: This too is the destiny of the drama. The Father says: It is because you now know about the drama that you are making effort. You know that the play is now finishing and that you are to claim your inheritance from Baba. No one else has this secret of the drama in his intellect. Baba has come and explained all the secrets to you. The One who is teaching you is the Purifier Father. It is His greatness. Maya makes you degraded. The highest-on-high Father comes and makes you elevated. He says: Children, now listen to Me. Continue to make effort to renounce the awareness of your old bodies. You have now found the Husband of all husbands who gives you the sovereignty of heaven. There, you are completely viceless. This is the completely vicious world. The world is the same one. Those same completely viceless ones become completely vicious. At first Bharat was heaven and it is now hell. These pictures are very valuable. When you explain to those abroad and give them these pictures, they will say that these pictures are very good. Everything about how the world cycle turns and whose dynasty continues is all shown in these pictures. When you explain to anyone of any religion they will be happy. Yes, as you progress further, people will hear from each other that this is very good knowledge. When anyone sensible goes abroad, he can do very good service. Achcha.
 
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
 
Essence for Dharna:
 
1. Whilst keeping the philosophy of action, neutral action and sinful action in your intellect, perform elevated actions. Never stop studying.
 
2. You will only be able to imbibe knowledge by donating it. Therefore, you should definitely donate it. Never have a “don't care” attitude towards the Father's directions.
 
Blessing:
 
May you use the method of paying attention and checking to finish any account of waste as a master almighty authority.
 
In Brahmin life, a lot of time is wasted on wasteful thoughts, wasteful words and wasteful deeds and you are not able to earn as much as you want. Any account of waste does not allow you to become powerful. Therefore, always maintain this awareness: “I am a master almighty authority”. If you have power, you can do whatever you want. You simply need to pay attention again and again. Just as you pay attention during class and at amrit vela, similarly, adopt the method of paying attention and checking every now and again and any account of waste will finish.
 
Slogan:
 

In order to become a Raj rishi, make your stage free from obstacles with good wishes from Brahmin souls.

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