Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 06-Aug- 2018 )
06-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन ( Hindi )
"मीठे बच्चे - खुशबूदार फूल बनो, श्रीकृष्ण है नम्बरवन खुशबूदार फूल इसलिये सभी को बहुत प्यारा लगता है, सभी नयनों पर रखते हैं"
प्रश्न:लौकिक में स्वीट सम्बन्ध कौन-सा है और स्वीटेस्ट किसे कहेंगे?
उत्तर:लौकिक में भी स्वीट फादर को ही कहा जाता है। तुम बच्चे भी कहते हो हमारा अति मोस्ट लवली स्वीट फादर है, हम उसके लवली बच्चे हैं। स्वीटेस्ट फिर टीचर को कहेंगे क्योंकि टीचर पढ़ाई पढ़ाते हैं। नॉलेज सोर्स ऑफ इनकम है। तुमको भी पहले नॉलेज मिलती है। गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए इस नॉलेज को धारण करना और दूसरों को कराना है।
गीत:-मरना तेरी गली में.... ओम् शान्ति।
बच्चों ने गीत सुना। जब कोई मरते हैं तो दूसरे माँ-बाप के पास जन्म लेते हैं। बाप को बधाई दी जाती है। अब तुम बच्चे जानते हो हम आत्मायें अविनाशी हैं। वह शरीर की बात है। एक शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं अर्थात् एक बाप को छोड़ दूसरे बाप के पास जाते हैं। तुमने 84 साकारी बाप लिये हैं। वास्तव में हो निराकार बाप के बच्चे। तुम आत्मायें रहने वाली भी निर्वाणधाम-शान्तिधाम की हो। जहाँ बाप के साथ सभी निवास करते हैं। उसे आत्माओं की दुनिया कहेंगे। तुम आत्मायें भी वहाँ रहती हो तो बाप भी वहाँ रहते हैं। यहाँ लौकिक बाप के बच्चे बनते हो तो उनको भूल जाते हो। सतयुग में तो बाप का कोई सिमरण नहीं करते हैं। बुद्धि नीचे आ जाती है। उनको याद करेंगे तो कहेंगे - ओ बाबा। इनको भी बाबा कहते हैं। वह भी फादर है। लौकिक बाप को यहाँ देखते हैं। पारलौकिक बाप को बुलाते हैं तो नज़र ऊपर जाती है। अभी तुम उस बाबा के बने हो। तुम जानते हो पहले हम पवित्र थे, राज्य-भाग्य किया, अब 84 जन्म पूरे हुए हैं। दु:खी हुए हैं इसलिये बाप को याद करते हैं। यह वस्त्र (शरीर) पहनते-पहनते अब तमोप्रधान बन गया है। पहले आत्मा और शरीर - दोनों सतोप्रधान थे। फिर आत्मा सतो, रजो, तमो में आती है। पहले गोल्डन थी फिर सिल्वर, कॉपर, आइरन में आये हैं। इसको जेवर भी कहा जाता है। सोने में खाद डालते हैं ना। बाप समझाते हैं अब तुम आत्मायें पतित हो गई हो। सोना काला हो गया है। तुम काले इमप्योर बन गये हो। पहले तुम आत्मा प्योर थी, शरीर भी प्योर था, अब फिर प्योर शरीर कैसे लेंगे? क्या स्नान करने से? स्नान करने से तो कुछ होता नहीं है। आत्मा पुकारती है - हे पतित-पावन बाबा। ‘बाबा' अक्षर कितना मीठा है! बड़ा अच्छा है। भारत में ही ‘बाबा' अक्षर है। बच्चे ‘बाबा-बाबा' करते रहते हैं। अभी तुम बच्चे जानते हो हम आत्म-अभिमानी बन बाप के बने हैं। बाप कहते हैं हमने पहले-पहले तुमको स्वर्ग में भेजा था। पार्ट बजाते-बजाते अभी अन्त में आकर पहुँचे हो। अन्दर में सदैव बाबा-बाबा कहते रहो। तुम बच्चे जानते हो बाबा आया हुआ है। उनको ही सभी याद करते हैं कि हे पतित-पावन बाबा आओ, हम पतितों को आकर पावन बनाओ। सभी अपनी-अपनी भाषा में पुकारते हैं। जब दुनिया पुरानी होती है तब पुकारते हैं। तो जरूर संगम पर ही आयेंगे। यह भी तुम जानते हो। शास्त्रों में तो अगड़म बगड़म बहुत लिख दिया है। तुम बच्चों को पक्का निश्चय है कि हमारा मोस्ट बिलवेड बाबा है, मोस्ट लवली बाबा है। बाबा भी कहते हैं स्वीट चिल्ड्रेन। स्वीट, स्वीटर, स्वीटेस्ट। अब स्वीट कौन है? लौकिक सम्बन्ध में भी फादर ही स्वीट होता है। फिर स्वीटेस्ट कहेंगे टीचर को। टीचर अच्छा होता है। फिर भी पढ़ाते हैं। कहा भी जाता है - नॉलेज इज सोर्स ऑफ इनकम। तो यह नॉलेज भी सोर्स ऑफ इनकम है।
योग को याद, ज्ञान को नॉलेज कहा जाता है। तुम बच्चे जानते हो - तुमको स्वर्ग का मालिक बनाया था। तब तो शिवजयन्ती मनाते हैं। परन्तु शिवबाबा कैसे आया - यह किसको भी पता नहीं है। चित्रों में त्रिमूर्ति है, शिव है ऊपर में। ब्रह्मा द्वारा स्थापना, स्थापना कौन कराते हैं? करनकरावनहार शिवबाबा है। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के ऊपर है शिव। वह हुई रचना। उनका रचता है शिव। वह निराकार है। यह है साकार सृष्टि। सृष्टि चक्र है, जो रिपीट होता है। सूक्ष्मवतन को सृष्टि का चक्र नहीं कहेंगे। यह मनुष्य सृष्टि ही चक्र लगाती है। बाकी न सूक्ष्मवतन में, न मूलवतन में चक्र की बात है। अभी है कलियुग नर्क। सतयुग है स्वर्ग। अब नर्कवासियों को स्वर्गवासी कौन बनावे? वाम मार्ग में जाने से ही पतित हो जाते हैं। दिन-प्रतिदिन सुख से दु:ख में आते जाते हैं। दुनिया तमोप्रधान बन जाती है, तब कहते हैं यह बिल्कुल ही तमोगुणी बुद्धि है। यह बहुत सतोप्रधान बुद्धि हैं, जैसे देवता समान हैं। वास्तव में पूजा देवताओं की होनी चाहिये। परन्तु देवता तो इस समय कोई हैं नहीं क्योंकि दैवीगुण उनमें हैं नहीं। क्रिश्चियन लोग क्राइस्ट को जानते हैं। उनको पूजते हैं। भारतवासी अपने को देवी-देवता कह नहीं सकते। नाम तो बहुतों के हैं - फलानी देवी, फलाना देवता। परन्तु वह गुण तो हैं नहीं। गाते भी हैं - मैं निर्गुण हारे में कोई गुण नाहीं...... आत्मा किसके सामने कहती है? बाप के सामने कहना चाहिये ना। बाप को भूल भाइयों के पीछे जाकर पड़े हैं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर भी ब्रदर्स हैं ना। उनसे कुछ भी मिलने का नहीं है। ब्रदर्स की पूजा करते रहते, नीचे गिरते जाते हैं। अब तुमको तो फादर से वर्सा मिलता है। फादर को कोई जानते नहीं। फादर को सर्वव्यापी कह देते हैं। अरे, फादर का नाम? कह देते हैं वह तो नाम-रूप से न्यारा है। अरे, तुम एक ओर अखण्ड ज्योति स्वरूप कहते हो फिर न्यारा कैसे कहते? यह भी समझते हैं - लॉ मुजीब सबको तमोप्रधान बनना ही है। फिर जब बाप आये तब सबको सतोप्रधान बनाये। आत्मा को प्योर जरूर होना है। सब आत्मायें बाप के साथ रहने वाली हैं। नई दुनिया सो पुरानी दुनिया होनी है।
तुम जानते हो अभी हम बाबा के बने हैं। बाबा आया हुआ है। ब्रह्मा द्वारा स्थापना कराते हैं। बाप कहते हैं मैं ब्रह्मा तन का आधार लेता हूँ। भाग्यशाली रथ में सवार होता हूँ। रथ में जरूर आत्मा तो होगी ना। कहते हैं भागीरथ ने गंगा लाई। अब गंगा जटाओं से कैसे आयेगी? यह तो पहाड़ों से मीठा पानी आता है। सागर से बादल भरकर फिर बरसते हैं। आजकल साइन्स की ताकत से पानी को मीठा बना देते हैं। नेचरल बादल कितने बरसते हैं। कितना पानी आ जाता है। बाढ़ हो जाती है। कहाँ से इतना पानी आता है? बादल ही खींचते हैं। बाकी इन्द्र आदि कुछ है नहीं। यह तो बादल भरकर फिर बरसते हैं। वास्तव में यह है ज्ञान की वर्षा। यह नॉलेज है ना। इनसे क्या होता है? पतित से पावन बनते हैं। गंगा-जमुना नदी सतयुग में भी तो होगी ही। कहते हैं कृष्ण वहाँ खेलपाल आदि करते थे। वास्तव में ऐसी कोई बात है नहीं। वहाँ तो कृष्ण की बहुत सम्भाल से पालना करते हैं। बहुत अच्छा फूल है ना। फूल कितना प्यारा लगता है। फूल से ही सुगन्ध लेते हैं। कांटे से कब सुगन्ध लेते हैं क्या? यह है ही कांटों का जंगल। निराकार बाप कहते हैं मैं आकर गॉर्डन ऑफ फ्लावर बनाता हूँ, इसलिए बबुलनाथ नाम भी रखते हैं। बबुल कांटों को फ्लावर बनाते हैं इसलिए महिमा गाई जाती है - कांटों को फूल बनाने वाला नाथ। तो बाबा से कितना लव होना चाहिए। लौकिक बाप होते भी आत्मा पारलौकिक बाप को याद करती है, क्योंकि दु:खी है। यह भी खेल है। तुम आधा कल्प से याद करते आये हो। वह आते हैं तब तो शिव जयन्ती मनाते हो। तुम जानते हो अभी हम बेहद के बाप के बच्चे बने हैं। हमारा सम्बन्ध उनसे भी है। लौकिक से भी है। बेहद का बाप कहते हैं मुझे याद करने से तुम पावन बन जायेंगे। आत्मा जानती है यह लौकिक बाप है, वह पारलौकिक बाप है। आत्मा पारलौकिक बाप को ही पुकारती है। आत्मा कहती है - हे भगवान्, ओ गॉड फादर। जब फादर घर में बैठा है तो फिर ओ फादर कह क्यों पुकारते हैं? आत्मा उस अविनाशी बाप को याद करती है। वह कब आकर नई दुनिया रचते हैं - यह भी तुम अभी समझते हो। जरूर कहेंगे कि कलियुग अन्त और सतयुग आदि के संगम पर आयेगा। कलियुग की आयु फिर लाखों वर्ष कह देते हैं। मनुष्य भगवान् को पाने के लिये कितना भटकते हैं। सबसे जास्ती भक्ति कौन करते हैं? उनको तो पहले मिलना चाहिए ना। बाप ने समझाया है पहले-पहले भक्ति तुम ही शुरू करते हो। तुमको ही पहले ज्ञान मिलना चाहिए। तुम पहले आसुरी गुणों वाले थे। अब तुम दैवी गुणवान देवता बनते हो। इतने ऊंचे स्वर्ग के तुम मालिक बनते हो। वहाँ की हर चीज फर्स्टक्लास होती है। तुम बहुत बड़े आदमी बनते हो। तुम्हारे लिये वहाँ हीरे-जवाहरों के महल बनेंगे।
जब तक ब्राह्मण न बने तब तक शिवबाबा से वर्सा मिल न सके। शूद्र वर्सा ले न सकें। यह यज्ञ है ना। इसमें ब्राह्मण जरूर चाहिये। यज्ञ हमेशा ब्राह्मणों का ही होता है। शिव को रुद्र भी कहा जाता है। तो यह है रुद्र ज्ञान यज्ञ। रुद्र शिवबाबा ने यह ज्ञान यज्ञ रचा हुआ है। भक्ति पूरी होती है तो यज्ञ रचा जाता है। मनुष्य यज्ञ रचते हैं भक्ति मार्ग में। सतयुग में देवतायें कभी यज्ञ आदि नहीं रचते। परन्तु यह है राजस्व अश्वमेध अविनाशी रुद्र ज्ञान यज्ञ। इस नाम से शास्त्रों में भी गायन है। भक्ति और ज्ञान आधा-आधा है। भक्ति है रात, ज्ञान है दिन। यह बाबा समझाते हैं। सदैव बाबा-बाबा करते रहो। बाबा हमको विश्व का मालिक बनाने वाला है। मोस्ट बिलवेड बाबा है। उनसे जास्ती प्यारा दुनिया में कोई हो नहीं सकता। आधाकल्प बाप को याद किया है। अब जानते हो उस बाप के हम बने हैं। बाप कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रहते बाप को याद करो। सब तो यहाँ रह न सकें। हाँ, उस बाबा के पास रह सकते हो। कहाँ? कौन सा बाबा? उसका नाम? शिवबाबा पास कहाँ रहेंगे? परमधाम में। वहाँ सभी आत्मायें रह सकती हैं। यहाँ तो नहीं रह सकती। यहाँ तो थोड़े ही रहेंगे। यहाँ तो तुम बच्चों को नॉलेज लेनी है। यह पढ़ाई है ना।
कोई भी मिलते हैं तो उनको यह बताना चाहिए कि दो बाप हैं - लौकिक और पारलौकिक। दु:ख में पारलौकिक बाप को ही याद करते हैं। वह बाप अब आया हुआ है। मोस्ट बिलवेड शिवबाबा है। कृष्ण भी सबका मोस्ट बिलवेड है। परन्तु शिवबाबा है निराकार और कृष्ण है साकार। कृष्ण को सबका बाप नहीं कहेंगे। वह है विश्व का मालिक। उनको भी बनाने वाला शिव है। दोनों ही प्यारे हैं। परन्तु दोनों में जास्ती प्यारा कौन है? कहेंगे शिव। शिव ही कृष्ण को ऐसा बनाते हैं। बाकी कृष्ण क्या करते हैं? कुछ भी नहीं। तमोप्रधान आत्माओं को बाप ही आकर सतोप्रधान बनाते हैं। तो गायन उनका ही होगा ना। कृष्ण तो बच्चा है, उनका डांस आदि दिखाते हैं। शिवबाबा क्या डांस करेंगे? बाप समझाते हैं तुम सब पार्वतियां हो। शिव अमरनाथ तुमको कथा सुना रहे हैं। दूसरी कोई पार्वती है नहीं। अर्जुन भी एक नहीं, तुम सब अर्जुन हो। द्रोपदियां भी तुम सब हो। वह दुशासन हैं जो नंगन करते हैं। तब पुकारते हैं बाबा हमारी रक्षा करो। बाबा कहते हैं - बच्चे, नंगन कभी नहीं होना। दिखाते हैं ना जब द्रोपदी को नंगन कर रहे थे तो फिर कृष्ण ने उनको 21 चीर दिये। अब 21 साड़ी पहनी जाती हैं क्या? यह भी जैसे एक खेल दिखाते हैं। कृष्ण ऊपर से साड़ियां देते जाते हैं। अब 21 साड़ियां कैसे पहन सकेंगे? वास्तव में अर्थ यह है - बाप नंगन होने से ऐसा बचाते हैं जो तुम 21 जन्म कभी नंगन नहीं होते हो। अच्छा!
मीठे-मीठे स्वीट चिल्ड्रेन प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अन्दर में बाबा-बाबा कहते बाबा समान स्वीट बनना है। आत्म-अभिमानी होकर रहना है। पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है।
2) मोस्ट लवली बाप को याद कर पावन जरूर बनना है। याद की अग्नि से विकारों की खाद निकाल सच्चा सोना बनना है।
वरदान:समानता द्वारा समीपता की सीट ले फर्स्ट डिवीजन में आने वाले विजयी रत्न भव!
समय की समीपता के साथ-साथ अब स्वयं को बाप के समान बनाओ। संकल्प, बोल, कर्म, संस्कार और सेवा सबमें बाप जैसे समान बनना अर्थात् समीप आना। हर संकल्प में बाप के साथ का, सहयोग का स्नेह का अनुभव करो। सदा बाप के साथ और हाथ में हाथ की अनुभूति करो तो फर्स्ट डिवीजन में आ जायेंगे। निरन्तर याद और सम्पूर्ण स्नेह एक बाप से हो तो विजय माला के विजयी रत्न बन जायेंगे। अभी भी चांस है, टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है।
स्लोगन:सुखदाता बन अनेक आत्माओं को दु:ख अशान्ति से मुक्त करने की सेवा करना ही सुखदेव बनना है।
06/08/18 -Morning Murli Om Shanti -BapDada -Madhuban ( English )
Sweet children, become fragrant flowers. Shri Krishna is the number one fragrant flower. This is why he is loved by everyone. Everyone places him on their eyes (has deep regard for him).
Question:
Which worldly relationship is sweet and which do you call the sweetest?
Answer:
In worldly relationships, it is the father who is said to be sweet. You children also say that your Father is extremely sweet and most lovely and that you are His lovely children. The Teacher is then said to be the sweetest because the Teacher teaches you. Knowledge is your source of income . You also receive knowledge first. While living at home with the family, you have to imbibe this knowledge and inspire others to imbibe it.
Song:To live in Your lane and to die in Your lane. ,,,,,,,Om Shanti
You children heard the song. When a person dies, he takes birth to another set of parents and the father is congratulated. You children now know that souls are imperishable. That song refers to the bodies. You shed a body and take another, that is, you leave one father and go to another father. You have had 84 corporeal fathers. In fact, you are the children of the incorporeal Father. You souls are residents of the land of nirvana, the land of peace, where everyone resides with the Father. That is called the world of souls. You souls reside there and the Father also resides there. Here, you forget Him because you become children of worldly fathers. In the golden age, no one remembers the Father; their intellects are already down here. Here, when people remember Him, they say: O Baba! This one is also called Baba. This one is also a father. You see the worldly father here. When you call out to the Father from beyond, you look upward. You now belong to that Baba. You know that, at first, you were pure and had your fortune of the kingdom and that your 84 births are now coming to an end. You have become unhappy and this is why you remember the Father. This costume (body) has now become tamopradhan by being worn all the time. At first, both souls and bodies were satopradhan. Then the souls went through the stages of sato, rajo and tamo. At first they were golden, and then they went through the stages of silver, copper and iron. They are also called jewellery. Alloy is mixed into gold. The Father explains: You souls have now become impure and the gold has become tarnished. You have become ugly and impure . At first, you souls were pure and you had pure bodies. How will you now receive pure bodies? Is it by bathing? Nothing happens just by bathing. The souls call out: O Purifier Baba! The word ‘Baba’ is so sweet. It is very good. The word ‘Baba’ is only used in Bharat. You children continue to say, "Baba! Baba!" You children know that you have now become soul conscious and that you belong to the Father. The Father says: I first of all sent you to heaven. Having played your parts , you have now reached the end. Continue to say "Baba! "Baba!" internally. You children know that Baba has come. Everyone remembers Him: O Purifier Baba, come! Come and make us impure ones pure! They all call out in their own language. When the world becomes old, they call out, so He would surely come at the confluence age. Only you know this. They have written many confusing things in the scriptures. You children have the firm faith that Baba is your most beloved, most lovely Baba. Baba too says: Sweet children. Sweet, sweeter, sweetest; who is sweet? In worldly relationships it is the father who is sweet. Then the teacher is said to be the sweetest. The teacher is good because he teaches you. It is said: Knowledge is a source of income. Therefore, this knowledge is also your source of income. Yoga is called remembrance and gyan is called knowledge. You children know that you were made into the masters of heaven. This is why people celebrate the birthday of Shiva. However, no one knows how Shiv Baba came. The Trimurti is shown in the pictures and Shiva is shown up above. “Establishment through Brahma”: who carries out establishment through Brahma? Shiv Baba is Karankaravanhar. Shiva is above Brahma, Vishnu and Shankar. That is the creation and their Creator is Shiva. He is incorporeal and this is the corporeal world. The world cycle continues to repeat. The subtle region is not called the world cycle. It is the human world that goes around, but there is no question of a cycle in the subtle region or the incorporeal world. It is now the iron age, hell, whereas the golden age is heaven. Who would make the residents of hell into residents of heaven? As soon as they go on to the path of sin, they become impure. Day by day, they continue to become unhappy from being happy. When the world becomes tamopradhan, it is said: This is a completely tamoguni (degraded) intellect. That is a completely satopradhan intellect, just like those of the deities. In fact, deities should be worshipped. However, no one at this time is a deity because no one has divine virtues. Christians know Christ and worship him. The people of Bharat cannot call themselves deities. Many people have the name, "Deity so-and-so", "Deity so-and-so”, but they don't have those virtues. It is sung: I am without virtue, I do not have any virtues. In front of whom do souls say this? They should say this in front of the Father. They have forgotten the Father and chase after the brothers. Brahma, Vishnu and Shankar are also brothers. You are not going to receive anything from them. They continue to worship brothers and continue to fall. You are to receive your inheritance from the Father. No one knows the Father. They call the Father omnipresent but what is the Father's name? They say: He is beyond name and form. On the one hand, you say that He is a constant form of light, and so how can you say that He is beyond name and form? You understand that, according to the law, everyone has to become tamopradhan. Then, only when the Father comes can He make everyone satopradhan. Souls definitely have to become pure. All souls are going to reside with the Father. The new world had to become the old world. You know that you now belong to Baba and that Baba has come. He is carrying out establishment through Brahma. The Father says: I take the support of the body of Brahma. I ride in the lucky chariot. There would definitely be a soul in the chariot. It is said that Bhagirath brought the Ganges. How could the Ganges flow through locks of hair? That is just sweet water that flows from the mountains. Clouds fill themselves from the ocean and then rain. Nowadays, science has the power to make water sweet. Clouds rain so much naturally. So much water comes from them that there are even floods. Where does so much water come from? The clouds draw up that water. There is no Indra, no God of Rain, etc. Those are just the clouds that fill themselves and then rain. In fact, this is the rain of knowledge. This is knowledge, is it not? What happens through it? Impure ones become pure. The Rivers Ganges and Jamuna will also exist in the golden age. It is said that Krishna used to play games there. In fact, there was nothing like that. There, they sustain Krishna with a lot of care. He is a very good flower. A flower is so lovely. People receive fragrance from a flower. Would anyone take fragrance from thorns? This is the forest of thorns. The incorporeal Father says: I come and create the garden of flowers. This is why He is also called Babulnath (Lord of Thorns), the One who changes thorns into flowers. Babul changes the thorns into flowers. This is why His praise is sung: The Lord who changes thorns into flowers. So, there should be so much love for Baba. Even though souls have physical fathers, they remember the Father from beyond because they are very unhappy. This is also a game. You have been remembering the Father for half the cycle. It is because He comes that people celebrate the birthday of Shiva. You know that you have now become children of the unlimited Father. Your relationship is with that One as well as your physical fathers. The unlimited Father says: You will become pure by remembering Me. Each soul knows that this one is a physical father and that that One is the Father from beyond. Souls only call out to their Father from beyond. Souls say: O God! O, God, the Father! If the father were sitting at home, why would they call out: O Father? Souls remember that eternal Father. It is now that you understand when He comes and makes the world new. It is said that He surely comes at the confluence of the end of the iron age and the beginning of the golden age. People have then said that the duration of the iron age is hundreds of thousands of years. People wander around so much in order to attain God. Who does the most devotion? They should meet the Father first, should they not? The Father has explained: You are the ones who begin devotion first. You should receive knowledge first. Formerly, you were those who had devilish traits. You are now becoming deities with divine virtues. You are becoming the masters of such an elevated heaven. There, everything is first-class. You become very important people. Palaces studded with diamonds and jewels will be built for you there. You cannot receive the inheritance from Shiv Baba until you become Brahmins. Shudras cannot claim the inheritance. This is the sacrificial fire in which Brahmins are definitely needed. A sacrificial fire is always conducted by a brahmin priest. Shiva is also called Rudra. Therefore, this is the sacrificial fire of the knowledge of Rudra. Rudra Shiv Baba has created this sacrificial fire of knowledge. When devotion comes to an end, the sacrificial fire is created. Human beings create sacrificial fires on the path of devotion. In the golden age, deities never create sacrificial fires. However, this is the imperishable sacrificial fire of the knowledge of Rudra in which the horse is sacrificed to attain self-sovereignty. It has been remembered by this name even in the scriptures. Devotion and knowledge are half and half: devotion is the night and knowledge is the day. Baba explains this. Always continue to say, "Baba, Baba!" Baba is the One who makes us into the masters of the world. Baba is the most beloved. There cannot be anyone in the world lovelier than He is. You have been remembering the Father for half the cycle. You now know that you belong to that Father. The Father says: While living at home with your family, remember the Father. Not everyone can stay here. Yes, you can all stay with that Baba. Where? Which Baba? What is His name? Where will you stay with Shiv Baba? In the supreme abode. All souls can stay there. They cannot all stay here. Only a few would remain here. You children have to take knowledge here. This is a study. When you meet anyone, you should tell him: There are two fathers: the physical father and the Father from beyond. Everyone remembers the Father from beyond when they experience sorrow. That Father has now come. Shiv Baba is the most beloved. Krishna is also everyone's most beloved. However, Shiv Baba is incorporeal whereas Krishna is corporeal. Krishna cannot be called the Father of everyone. He is a master of the world. It was Shiva who made him that. Both are lovely, but which one is the lovelier of the two? It would be said to be Shiva. Shiva Himself makes Krishna like that, but what does Krishna do? Nothing at all! Only the Father comes and makes the tamopradhan souls satopradhan. Therefore, He would be praised. Krishna is a child and they show his dance. What dance would Shiv Baba perform? The Father explains: All of you are Parvatis. Shiva, the Lord of Immortality, is telling you the story. There is no other Parvati. There isn’t just one Arjuna; all of you are Arjunas. All of you are Draupadis. It is Dushashan who strips women. This is why they call out: Baba, protect us! Baba says: Children, never be stripped. It is shown that when Draupadi was going to be stripped, Shri Krishna provided her with 21 sarees. Would anyone be able to wear 21 sarees? That is just a play they have shown where Krishna is giving her sarees from up above. How could anyone wear 21 sarees? In fact, the meaning of it is that the Father protects you from being stripped and you are therefore never stripped for 21 births. Achcha.
To the sweetest, sweet, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Continue to say internally, "Baba! Baba!" and become as sweet as Baba. Remain soul conscious. Pay full attention to the study.
2. Remember the most lovely Father and definitely become pure. Remove the alloy of vices with the fire of remembrance and become pure gold.
Blessing:May you be a victorious jewel who goes into the first division and claims a close seat through your equality.
As time comes closer, make yourself equal to the Father. To become equal to the Father in your thoughts, words, deeds, sanskars and service means to come close. Experience the Father’s company, His co-operation and His love in every thought. Constantly experience the Father’s company and your hand in His hand and you will go into the first division. Let there be constant remembrance of the Father and complete love for the one Father and you will become a victorious jewel in the rosary of victory. You still have a chance, the board of “too late”, has not yet been put up.
Slogan:To be a bestower of happiness and do the service of liberating souls from sorrow and peacelessness is to be Sukhdev; a deity of happiness.
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