Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 02-Aug- 2018 )
02-08-2018 प्रात:मुरलीओम् शान्ति"बापदादा"' मधुबन
"मीठे बच्चे - बाप का बिन्दी स्वरूप है, उसे यथार्थ पहचानकर याद करो यही समझदारी है"
प्रश्न:बेहद की दृष्टि से स्वप्न का अर्थ क्या है? इस संसार को स्वप्नवत संसार क्यों कहा गया है?
उत्तर:स्वप्न अर्थात् जो बात बीत गई। तुम अभी जानते हो यह सारा संसार अभी स्वप्नवत् है अर्थात् सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक सब कुछ बीत चुका है तुम्हें अभी सेकेण्ड में इस स्वप्न-वत् संसार की स्मृति आ गई। तुम सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त, मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूल-वतन को जानकर मास्टर भगवान् बन गये हो।
गीत:-कौन आया मेरे मन के द्वारे..... ओम् शान्ति।
शिवबाबा अपने मीठे-मीठे बच्चों, सिकीलधे सालिग्रामों को बैठ समझाते हैं। सालिग्राम ही शिवबाबा के बच्चे ठहरे ना। बच्चे जानते हैं कि हमको वह पढ़ाते हैं, जिनको रिंचक भी कोई जानते नहीं हैं। शिव के मन्दिर में जाते हैं परन्तु वहाँ तो इतना बड़ा शिवलिंग देखते हैं। यह थोड़ेही समझते हैं कि हमारा बाबा बिन्दी है। जो बच्चे शिवबाबा को इतना बड़ा समझ याद करते हैं वा करते होंगे - वह भी भोले हैं क्योंकि वह भी रांग है। बाप समझाते हैं कि मैं बिन्दी हूँ, अब बिन्दी को कोई क्या समझ सके। भल कोई कहते हैं अखण्ड ज्योति स्वरूप है, फलाना है परन्तु नहीं, वह है बिन्दी। उनको याद करना बड़ा मुश्किल है। घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं। भक्ति मार्ग में आदत पड़ी हुई है शिवलिंग पर फूल चढ़ाने वा पूजा करने की तो वह याद रहता है। परन्तु यह घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं कि हमारा बाबा बिन्दी रूप है। सारे ड्रामा में उनका जो पार्ट है वह बजाते हैं। बिन्दी की बैठ महिमा करेंगे क्या कि सुख का सागर है, शान्ति का सागर है....। कितना छोटा बिन्दी रूप है।
बच्चे पूछते हैं किसको ध्यान में रखें? इन बातों को तो समझदार ही समझ सकें। नहीं तो वही शिव का लिंग याद आ जाता है। कृष्ण तो अच्छी रीति बुद्धि में बैठ सकता है। यह तो है बिन्दी। गीत में भी कहते हैं कि याद करो तो याद न आये फिर वह सूरत कैसी है? यह भी वन्डरफुल है, इतनी छोटी बिन्दी है! ज्ञान का डांस करते हैं। कहा जाता है - यह स्वप्नों का संसार है। बीती हुई बात को स्वप्न कहा जाता है। स्वप्नवत् संसार, जो बीत गया है वह तुम्हारी बुद्धि में आता है। सारा ब्रह्माण्ड मूलवतन, सूक्ष्मवतन, सतयुग, त्रेता, द्वापर - सारा स्वप्न हो गया। जो पास्ट हो जाता है वह स्वप्न हो गया। अब कलियुग का भी अन्त है। यह स्वप्नवत् संसार हुआ ना। वह हद के स्वप्न आते हैं। तुमको बेहद का बुद्धि में आता है। सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी भी सब स्वप्न हो गया। इसको कहा जाता है स्वप्नों का संसार। इतना राज़ और कोई नहीं जानते सिवाए तुम बच्चों के। सतयुग में कितने अथाह सुख थे - वह सब पास्ट हो गये। अभी तुम बच्चों की बुद्धि में आदि, मध्य, अन्त का पूरा ज्ञान है। एक बाप की ही याद रहनी चाहिए। बाप जो समझाते हैं और कोई समझा न सके। तुम्हारी बुद्धि में स्वप्नों का संसार है। यह यह पास्ट हो गया - बुद्धि जानती है ना। तुमको ऊपर से लेकर सारी नॉलेज बुद्धि में हैं - आदि से अन्त तक की। तुम अब त्रिकालदर्शी-त्रिलोकीनाथ बन गये हो। त्रिलोकीनाथ बनने से तुम जैसे भगवान् हो जाते हो। भगवान् बैठ तुमको शिक्षा देते हैं। सेकेण्ड में स्वप्न आता है ना। तो सेकेण्ड में तुमको सारा याद आना चाहिए - बीज और झाड़। बाबा भी कहते हैं - आदि, मध्य, अन्त का मेरे पास ज्ञान है इसलिए ही मुझे ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल, जानी-जाननहार कहते हैं। जानते हैं हरेक की अवस्था ऐसी ही रहेगी। एक-एक की अवस्था को हम क्या बैठ जानेंगे! जो अवस्था कल्प पहले थी, उस अवस्था में हैं। सो तो तुम भी जानते हो। पुरुषार्थ कराने के लिए कहते हैं - अच्छी रीति पुरुषार्थ करो।
अभी तुमको स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। तुम जानते हो यह-यह पास्ट हो गया है - ऐसे देवतायें राज्य करते थे फिर आकर राज्य करेंगे। पास्ट, प्रेजन्ट, फ्युचर यह याद करते रहेंगे। उनको ही स्वदर्शन चक्र कहा जाता है। शिवलिंग को याद करने में तो हिरे हुए हैं। तो समझते हैं कि बाबा ज्योर्तिलिंगम है। बिन्दी कहें तो मूँझ पड़े। वह समझते हैं आत्मा छोटी है, परमात्मा बड़ा है। अभी तुम बच्चे जानते हो - इस कलियुगी दुनिया में इस समय देखो भभका कितना है! इसको माया का भभका कहा जाता है। माया का पाम्प है। कहते हैं ना - अभी दुनिया कितनी अच्छी बन गई है। बड़े-बड़े महल बन गये हैं। अमेरिका का कितना भभका है! चीजें कितनी ऩफीस बनती हैं। हम समझते हैं कि यह तो मुलम्मे की चीजें हैं जो अभी खत्म हो जायेंगी। दिन-प्रतिदिन बड़ी-बड़ी इमारतें, डैम्स आदि ऐसे बनायेंगे, जैसे बिल्कुल नई दुनिया है। मायावी पुरुष हैं ना। आसुरी सम्प्रदाय का भभका है। यह सब है तिलस्म (जादू), अभी गया कि गया। बड़े-बड़े साइन्स घमन्डी जो हैं उन्हों की बुद्धि में है कि यह सब खत्म हो जायेंगे। एक-दो को कह देते हैं तुम इन्टरफियर न करो, नहीं तो सब ख़त्म हो जायेंगे। अमेरिका अपने को बलवान समझता है तो जरूर सेकेण्ड नम्बर में भी कोई होगा जो सामना करे। गाया हुआ है - दो बिल्ले लड़ते हैं। यादवों ने अपने कुल का विनाश किया, तो वह दो बिल्ले हुए ना। वही प्रैक्टिकल हो रहा है।
तुम बच्चे जानते हो - आगे भी इस समय तुमने ही नॉलेज ली थी। अब भी ले रहे हो। बाप आकर सारी नॉलेज समझाते हैं। जैसे बाप की बुद्धि में है वैसे तुम बच्चों की बुद्धि में भी है। शिव कहा जाता है बिन्दी को। आत्मा में भी सारा पार्ट है। तुम्हारा है आलराउन्ड पार्ट, सतयुग से लेकर कलियुग तक। सतयुग-त्रेता में तुम जब सुख भोगते हो तो उस समय बाप का कोई पार्ट नहीं। बाप कहते हैं कि मेरे से भी तुम्हारा जास्ती पार्ट है। तुम सुख में रहते हो तो मैं निर्वाणधाम में हूँ। मेरा कोई पार्ट ही नहीं। तुमने आलराउन्ड पार्ट बजाया है तो थके भी तुम होंगे इसलिए लिखा हुआ है - चरण दबाये हैं। बाप कहते हैं - बच्चे, तुम थक गये होंगे। तुमने आधाकल्प भक्ति की, दर-दर धक्के खाये हैं। भक्ति मार्ग में भटकते-भटकते तुम थक जाते हो फिर बाप आकर उजूरा देते हैं, पुजारी से पूज्य बना देते हैं। तुम जानते हो हम सो पूज्य थे फिर पुजारी बने हैं। ऐसे नहीं कि परमात्मा आपे ही पूज्य, आपे ही पुजारी है। नहीं, हम ही बनते हैं।
भारत ही अविनाशी खण्ड गाया जाता है। भारत है शिवबाबा की जन्मभूमि। जन्मभूमि पर ही मनुष्य कुर्बान होते हैं। कांग्रेसियों ने भी देखो, कितना माथा मारा जन्म भूमि के लिए। फॉरेनर्स को बाहर निकाल दिया। यह जन्म भूमि स्वर्ग थी। फिर 5 विकारों रूपी माया ने आकर हप किया है। हम रावण को बड़ा दुश्मन समझते हैं। यह कोई भी नहीं समझते कि बड़े ते बड़ा दुश्मन माया रावण है, जो हमारी राजाई खा गया है। यह जैसे कि गुप्त चूहे मुआफिक फूँक देता और काटता रहता है, जो किसको पता भी नहीं पड़ रहा है। काटते-काटते एकदम देवाला मार दिया है। किसको पता नहीं है, हमारा राज्य भाग्य छीन लिया है। कोई को पता नहीं है हमारा दुश्मन कौन है? हम कंगाल कैसे बने? माया बड़ा चूहा है - आधाकल्प खाते-खाते भारत को कौड़ी जैसा बना दिया है। बड़ा ही बलवान है। अभी फिर तुम चुपके से उस पर जीत पा रहे हो। तुम जानते हो कि हम कैसे गुप्त रीति राज्य ले लेते हैं। जैसे गुप्त रीति गँवाया है फिर लेते भी गुप्त रीति से हैं। कोई भी नहीं जानते - अभी फिर इस पर जीत पानी है। कितने महीन राज़ हैं! बाबा की मदद से हम फिर से राज्य-भाग्य लेते हैं। कोई हाथ-पांव नहीं चलाते हैं। गुप्त रीति से हम अपना बेहद के बाप से वर्सा लेते हैं, जो आधाकल्प रहेगा। वह चूहा माया तो आहिस्ते-आहिस्ते खाता है और तुम अभी राज्य एक ही बार ले लेते हो 21 जन्म के लिए। 84 जन्मों का राज़ भी तुमको समझाया गया है। इतने-इतने जन्म लिए हैं। तुम जानते हो सतयुग में हमारी आयु बहुत बड़ी थी। फिर अपवित्र भोगी बनते हैं तो द्वापर-कलियुग में 63 जन्म लेते हैं। यह बाबा बैठ समझाते हैं। कल्प-कल्प माया ऐसे राज्य लेती है फिर हम उनसे लेते हैं। गीत में गाते तो हैं - कौन देश से आया, कौन देश में है जाना.......? परन्तु समझते नहीं हैं। तुम तो जानते हो आत्मा किस देश से आई है? क्यों आई है? सारा चक्र बुद्धि में है। सारे ड्रामा में हीरो-हीरोइन पार्ट है शिवबाबा का। शिवबाबा के साथ पार्टधारी कौन-कौन हैं? पहले-पहले जन्म देते हैं - ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को फिर तुम बच्चों को। तुम बाप के साथ मददगार ठहरे। बाप अपना पार्ट बजाकर अपने धाम चले जाते हैं और तुम मददगारों को भी साथ में मुक्तिधाम में ले जाते हैं। तुम मुक्तिधाम जाकर फिर जीवनमुक्ति में चले जायेंगे। कितना अच्छी रीति बुद्धि में रखना चाहिए! तो यह है सपनों का संसार जो बीत गया।
तुम जानते हो कि सतयुग-त्रेता में देवी-देवतायें रहते थे, अभी नहीं हैं। गीत का कितना गुह्य राज़ है - कैसे सपनों का संसार बुद्धि में लेकर बैठे हैं? सारा चक्र कैसे फिरता है? जो नॉलेज बाबा में है वह हमारे में भी है। बेहद के बाप में ही यह सारी बेहद की नॉलेज हैं। बच्चे जानते हैं - यह भी स्वप्न हो जायेगा। यह बड़ी समझने और समझाने की बातें हैं। सतयुग-त्रेता में यह बातें किसकी बुद्धि में होती नहीं। गुह्य प्वाइन्ट्स मिलती रहती हैं। बुद्धि में सारा चक्र रहना चाहिए। भक्ति मार्ग क्या है, कब से शुरू होता है, इससे कुछ भी फ़ायदा नहीं हुआ। भक्ति करते-करते नुकसान में ही आ गये हैं। अब फिर से तुम कौड़ी से हीरे जैसा बनते हो। माया कौड़ी मिसल बना देती है। बाबा ज्ञान डान्स सिखलाते हैं। फिर वहाँ जाकर तुम डान्स करेंगे। यह बातें बड़ी वन्डरफुल जानने लायक हैं। यहाँ की रस्म-रिवाज वहाँ बिल्कुल नहीं होती है। वह है ही वाइसलेस वर्ल्ड। वहाँ माया का नाम-निशान नहीं होता। पहले तुम बाबा को याद करो, वर्सा तो ले लो, बाकी वहाँ की रस्म-रिवाज जो होगी, वही चलेगी। वहाँ की रस्म-रिवाज सब नई होगी। वहाँ यह उत्सव आदि होंगे नहीं। यहाँ गमी (उदासी) रहती है, तब शादमाना (उत्साह दिलाने वाले उत्सव) मनाते हैं। वहाँ तो नित्य है ही शादमाना। रोने की दरकार नहीं रहती। उत्सव मनाने की बात नहीं रहती। सदैव हमारे बड़े दिन होंगे। वहाँ शादी भी धूमधाम से होती है, दहेज मिलता है, दास-दासियाँ मिलती हैं। बाकी त्योहार आदि की दरकार नहीं रहती। यह हैं ही संगम के त्योहार, जो भक्ति मार्ग में मनाये जाते हैं। वहाँ तो सदैव खुशियाँ ही खुशियाँ हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:
स्वदर्शन चक्र फिराते माया पर गुप्त रीति विजय प्राप्त करनी है। बाप समान नॉलेजफुल होकर रहना है।
बाप जो है, जैसा है, उसे यथार्थ बिन्दी रूप में जानकर याद करना है। बिन्दू बन, बिन्दू बाप की याद में रहना है। भोला नहीं बनना है।
वरदान:अपनी सर्व विशेषताओं को कार्य में लगाकर उनका विस्तार करने वाले सिद्धि स्वरूप भव
जितना-जितना अपनी विशेषताओं को मन्सा सेवा वा वाणी और कर्म की सेवा में लगायेंगे तो वही विशेषता विस्तार को पाती जायेगी। सेवा में लगाना अर्थात् एक बीज से अनेक फल प्रगट करना। इस श्रेष्ठ जीवन में जो जन्म सिद्ध अधिकार के रूप में विशेषतायें मिली हैं उनको सिर्फ बीज रूप में नहीं रखो, सेवा की धरनी में डालो तो फल स्वरूप अर्थात् सिद्धि स्वरूप का अनुभव करेंगे।
स्लोगन:विस्तार को न देख सार को देखो और स्वयं में समा लो - यही तीव्र पुरुषार्थ है।
02/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban ( English )
Sweet children, the form of the Father is a point. To recognise Him accurately and remember Him is to be sensible.
Question:What is the meaning of a dream when we look at it in an unlimited way? Why is this world said to be like a dream?
Answer:A dream means that which has passed. You now know that this whole world is like a dream of everything that has passed from the golden age to the end of the iron age and you have now become aware in a second of the dream-like world. By knowing the beginning, the middle and the end of the world, the incorporeal world, the subtle region and the corporeal world, you have become master gods.
Song:Who has come to my door with the sound of ankle bells? ….Om Shanti
Shiv Baba sits here and explains to His sweetest children, to you the long-lost and now-found saligrams. Saligrams are the children of Shiv Baba. You children know that the One whom no one knows the slightest is teaching you. People go to a Shiva temple and they see such a huge lingam image there. They don't understand that their Baba is a point. The children who remember or must have been remembering Shiv Baba, considering Him to be that big, are innocent because they are wrong. The Father explains: I am a point. How can anyone understand a point? Although some say that He is the constant form of light, that He is so-and-so, that is not so. He is a point. It is very difficult to remember Him. They repeatedly forget Him. On the path of devotion, people have the habit of offering flowers to a Shiva lingam and worshipping it, and so they remember that. However, they repeatedly forget that their Baba is a point. He plays whatever part He has in the whole drama. Would they sit and praise a point, saying that He is the Ocean of Happiness and the Ocean of Peace? He is such a tiny point. Children ask: Whom should we keep in our minds? Only sensible children would be able to understand this. Otherwise, they would just remember that lingam image of Shiva. Krishna can sit in their intellects very well, but this One is a point. In the song, it is said that even when you try to remember Him, you can't remember Him and so what is His face like? This is so wonderful. He is such a tiny point. He performs the dance of knowledge. It is said: This is a world of dreams. Anything that has passed is said to be a dream. A dream-like world; whatever has passed enters your intellects. Brahmand, the incorporeal world, the subtle region, the golden age, the silver age, the copper age etc., the whole of it has become a dream. Anything that is the past becomes a dream. It is now also the end of the iron age. This is a dream-like world. Those dreams you have are limited. The unlimited enters your intellects. The sun and moon dynasties have also become dreams. This is called a world of dreams. No one, apart from you children, knows these secrets. There was so much happiness in the golden age. All of that has become the past. You children now have the full knowledge of the beginning, the middle and the end in your intellects. There should be the remembrance of only the one Father. No one else can explain what the Father explains. You have the world of dreams in your intellects. Your intellects know all the things that have become the past. You have all the knowledge from the top to the bottom in your intellects, from the beginning to the end. You have now become trikaldarshi and trilokinath. By becoming trilokinath, it is as though you have become gods. God sits here and gives you teachings. You have a dream in a second. Therefore, you should remember the Seed and the tree in a second. Baba also says: I have the knowledge of the beginning, the middle and the end. This is why I am called the Ocean of Knowledge, knowledge-full, Janijananhar (One who knows all secrets within). He knows what everyone's stage is like. Why would I sit and look at each one's stage? Whatever stage each of you had in the previous cycle, you are in that stage now. You also know that. In order to inspire you to make effort, He says: Make effort very well. You now have to become spinners of the discus of self-realisation. You know about the things that have become the past. Deities used to rule in that way and they will come and rule again. You will continue to remember the past, present and future. This is called the discus of self-realisation. People are used to remembering a Shivalingam image. Therefore, they believe that Baba is a Jyotilingam (oval-shaped image of light). If you were to call Him a point, people would become confused. They believe that a soul is tiny and that the Supreme Soul is big. You children now know that there is so much pomp and show in this iron-aged world at this time. This is called the pomp and show of Maya; the pomp of Maya. They say that the world has now become very good. There are now huge palaces. There is so much pomp and show in America. So many beautiful things are made. We understand that these things are just gilded and will soon be destroyed. Day by day, they build such tall buildings and dams etc. as though it is a completely new world. People are under the influence of Maya. This is the pomp and show of the devilish community. All of that is magic; it will soon vanish. It is in the intellects of the great scientists, who have the arrogance of science, that all of it will be destroyed. They tell one another: Do not interfere! Otherwise, everything will be destroyed. America considers itself to be powerful and so there must surely be someone second in line who would then confront it. It is remembered that two cats fought. The Yadavas destroyed their own clan. So they are the two cats. That is happening in a practical way now. You children know that you took this knowledge at this time in the previous cycle too. You are now taking it again. The Father comes and explains all the knowledge. It is in the intellects of you children in the same way as it is in the Father's intellect. The Point is called Shiva. The whole part is recorded in the soul. You have all-round parts, from the golden age to the iron age. At the time when you experience happiness in the golden and silver ages, the Father has no part. The Father says: You have bigger parts than I do. You stay in happiness whereas I stay in the land of nirvana. I do not have any part at that time. You have played all-round parts and so you are the ones who are tired. This is why it is written that God massaged your feet. The Father says: Children, you must be tired. You have performed devotion for half the cycle and stumbled around from door to door. By wandering around on the path of devotion, you have become tired and so the Father comes and gives you the return by making you worshippers worthy of worship. You know that you were worthy of worship and have now become worshippers. It isn’t that God is worthy of worship and then becomes a worshipper. No, we become that. Bharat is remembered as the imperishable land. Bharat is the birthplace of Shiv Baba. People sacrifice themselves for their birthplace. Look how much the Congress Party beat their heads to regain their birthplace; they chased away the foreigners. This birthplace was heaven. Then, Maya, the five vices, came and swallowed it. We consider Ravan to be a great enemy. No one understands that Maya, Ravan, who has eaten up our kingdom is the greatest enemy of all. She blows in an incognito way like a mouse and then bites so that no one knows. By biting you in that way, she has made you completely bankrupt. No one knows that she snatched away your fortune of the kingdom. No one knows who their enemy is or how they became poverty-stricken. Maya is a big mouse. By biting you for half the cycle, she has made Bharat worth a shell. She is very powerful. You are now quietly conquering her. You know how you are claiming your kingdom back in an incognito way. Just as you lost it in an incognito way, you are also claiming it back in an incognito way. No one knows this, but you now have to conquer her. This is such a deep secret. We are once again claiming our fortune of the kingdom with Baba's help. We do not use our hands or feet. We are claiming our inheritance from the unlimited Father in an incognito way and that will then continue for half the cycle. Maya, the mouse, bites very slowly but you now claim a kingdom for 21 births in one go. The secret of 84 births has also been explained to you. You take this many births. You know that in the golden age your lifespan is very long. Then, when you become impure and indulge in sensual pleasures, you take 63 births in the copper and iron ages. Baba sits here and explains this. Maya takes away our kingdom in this way every cycle and we then claim it back from her. It is sung in the song: From which land have you come and to which land do you have to go back? However, people don't understand this. You know from which land you souls have come and why you have come. You have the whole cycle in your intellects. In the whole drama, Shiv Baba has the hero-heroine part. Who are the actors with Shiv Baba? He first gives birth to Brahma, Vishnu and Shankar and then to you children. You are the Father’s helpers. The Father plays His part and goes back to His land and He also takes you, His helpers, to the land of liberation with Him. You will go to the land of liberation and then you will go to the land of liberation-in-life. You should keep this in your intellects very clearly. So, this is the world of dreams which has become the past. You know that deities used to reside in the golden and silver ages. They no longer exist. The song has such a deep meaning: how you are sitting with the world of dreams in your intellects and how the whole cycle turns. We also have the knowledge that Baba has. Only the unlimited Father has all this unlimited knowledge. You children know that this will also become a dream. This is something to be understood and explained. These things are not in anyone's intellect in the golden and silver ages. You continue to receive deep points. The whole cycle should remain in your intellects. What is the path of devotion and when does it begin? There has been no benefit through it. By performing devotion, people have only incurred a loss. You are now becoming like diamonds from shells. Maya makes you worth shells. Baba teaches you the dance of knowledge. Then you will go and dance there. These are very wonderful things and worth knowing. The customs and systems of this place don't exist there at all. That is the viceless world; there is no name or trace of Maya there. First of all, remember Baba and claim your inheritance. However, whatever the customs and systems of that place are, they will continue there. The customs and systems there will all be new. There won't be these festivals there. Here, there is unhappiness and this is why they celebrate festivals. There, every day is a celebration. There is no need to cry there. There is no question of celebrating a festival. There, every day is a big day for us. Marriages there also take place with a lot of splendour. The bride receives a dowry; she also receives maids and servants. However, there is no need for any festivals etc. These are the festivals of the confluence age which are celebrated on the path of devotion. There, there is always happiness. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Spin the discus of self-realisation and gain victory over Maya in an incognito way. Become knowledge-full, like the Father.
2. Know the Father accurately as He is and what He is and remember Him as a point form. Become a point and stay in the remembrance of the Father, a point. Don't be innocent.
Blessing:May you become an embodiment of success by using all your specialities and thereby increasing them.
The more you use your specialities by serving with your mind, words and deeds, the more those specialities will continue to increase. To use these for service means to receive a lot of fruit from one seed. Do not simply keep all the specialities you have received as your birthright in this elevated life in the seed form, but sow them in the field of service and you will experience their fruit, that is, you will experience yourself to be an embodiment of success.
Slogan:Do not look at the expansion, but look at the essence and merge it into yourself; this is intense effort.
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