Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Nov - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Nov-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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3 | Murali 03-Nov-2018 | 128264 | 2018-12-19 02:03:55 | |
4 | Murali 04-Nov-2018 | 144078 | 2018-12-19 02:03:55 | |
5 | Murali 05-Nov-2018 | 130306 | 2018-12-19 02:03:55 | |
6 | Murali 06-Nov-2018 | 127941 | 2018-12-19 02:03:55 | |
7 | Murali 07-Nov-2018 | 126732 | 2018-12-19 02:03:55 | |
8 | Murali 08-Nov-2018 | 119781 | 2018-12-19 02:03:55 | |
9 | Murali 09-Nov-2018 | 119694 | 2018-12-19 02:03:55 | |
10 | Murali 10-Nov-2018 | 132633 | 2018-12-19 02:03:55 | |
11 | Murali 11-Nov-2018 | 135035 | 2018-12-19 02:03:55 | |
12 | Murali 12-Nov-2018 | 125277 | 2018-12-19 02:03:55 | |
13 | Murali 13-Nov-2018 | 126007 | 2018-12-19 02:03:55 | |
14 | Murali 14-Nov-2018 | 105753 | 2018-12-19 02:03:55 | |
15 | Murali 15-Nov-2018 | 114187 | 2018-12-19 02:03:55 | |
16 | Murali 16-Nov-2018 | 118921 | 2018-12-19 02:03:55 | |
17 | Murali 17-Nov-2018 | 129415 | 2018-12-19 02:03:55 | |
18 | Murali 18-Nov-2018 | 138287 | 2018-12-19 02:03:55 | |
19 | Murali 19-Nov-2018 | 127282 | 2018-12-19 02:03:56 | |
20 | Murali 20-Nov-2018 | 132762 | 2018-12-19 02:03:56 | |
21 | Murali 21-Nov-2018 | 126535 | 2018-12-19 02:03:56 | |
22 | Murali 22-Nov-2018 | 124513 | 2018-12-19 02:03:56 | |
23 | Murali 23-Nov-2018 | 114180 | 2018-12-19 02:03:56 | |
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Details ( Page:- Murali 30- Nov 2018 )
30-11-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मणों का यह नया झाड़ है, इसकी वृद्धि भी करनी है तो सम्भाल भी करनी है क्योंकि नये झाड़ को चिड़ियायें खा जाती हैं''
प्रश्नः-
ब्राह्मण झाड़ में निकले हुए पत्ते मुरझाते क्यों हैं? कारण और निवारण क्या है?
उत्तर:-
बाप जो ज्ञान के वन्डरफुल राज़ सुनाते हैं वह न समझने के कारण संशय उत्पन्न होता है इसलिए नये-नये पत्ते मुरझा जाते हैं फिर पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसमें समझाने वाले बच्चे बहुत होशियार चाहिए। अगर कोई संशय उठता है तो बड़ों से पूछना चाहिए। उत्तर नहीं मिलता तो बाप से भी पूछ सकते हैं।
गीत:-
प्रीतम आन मिलो........
ओम् शान्ति।
गीत तो बच्चों ने बहुत बार सुने हैं, दु:ख में भगवान् को सभी बुलाते हैं। तुम्हारे पास तो वह बैठे हैं। तुमको सभी दु:खों से लिबरेट कर रहे हैं। तुम जानते हो बरोबर दु:खधाम से सुखधाम ले जाने वाला सुखधाम का मालिक बतला रहे हैं। वह आया हुआ है, तुम्हारे सम्मुख बैठा हुआ है और राजयोग सिखला रहा है। यह कोई मनुष्य का काम नहीं। तुम कहेंगे परमपिता परमात्मा ने हमको मनुष्य से देवता बनाने के लिये राजयोग सिखलाया है। मनुष्य, मनुष्य को देवता नहीं बना सकते। मनुष्य से देवता किये करत न लागी वार.... यह किसकी महिमा है? बाबा की। बरोबर देवतायें तो सतयुग में होते हैं। इस समय देवतायें होते ही नहीं। तो जरूर स्वर्ग की स्थापना करने वाला ही मनुष्य को देवता बनायेगा। परमपिता परमात्मा जिसको शिव भी कहते हैं, उनको यहाँ आना पड़े पतितों को पावन बनाने। अब वह आये कैसे? पतित दुनिया में कृष्ण का भी तन मिल न सके। मनुष्य तो मूंझे हुए हैं। अब तुम बच्चे सम्मुख सुन रहे हो। तुम इस दुनिया की हिस्ट्री-जॉग्राफी को जानते हो। हिस्ट्री के साथ जॉग्राफी जरूर होती है और हिस्ट्री-जॉग्राफी होती है मनुष्य सृष्टि में। ब्रह्मा-विष्णु-शंकर की, सूक्ष्मवतन की कभी हिस्ट्री-जॉग्राफी नहीं कहेंगे। वह है सूक्ष्मवतन। वहाँ तो है मूवी। टॉकी तो यहाँ है। अब बाबा तुम बच्चों को सारी दुनिया की हिस्ट्री-जॉग्राफी और मूलवतन का समाचार, जिसको तीन लोक कहते हैं सब सुनाते हैं। अब तुम ब्राह्मणों का नया झाड़ लगा है। इसको झाड़ कहा जाता है। दूसरे जो मठ-पंथ हैं उनको झाड़ नहीं कहेंगे। भल क्रिश्चियन लोग हैं वह जानते हैं कि क्रिश्चियन ट्री अलग है लेकिन उनको यह पता नहीं है कि सभी टाल-टालियां इस बड़े झाड़ से निकली हुई हैं। समझाना चाहिए मनुष्य सृष्टि कैसे पैदा होगी। मात-पिता फिर बालक.... वह भी सब इकट्ठे तो नहीं निकलेंगे। दो से चार, पांच पत्ते होते हैं फिर कोई को तो चिड़िया भी खा जाती है। यहाँ भी चिड़िया खा जाती हैं। यह बहुत छोटा झाड़ है। धीरे-धीरे वृद्धि को पायेंगे, जैसे पहले पाया है। तुम बच्चों को अब कितनी नॉलेज है। तुम त्रिकालदर्शी हो तीनों कालों को जानने वाले हो, त्रिलोकीनाथ हो अर्थात् तीनों लोकों को जानने वाले हो। लक्ष्मी-नारायण को त्रिलोकीनाथ, त्रिकालदर्शी नहीं कहेंगे। मनुष्य फिर कृष्ण को त्रिलोकीनाथ कहते हैं। जो सर्विस करेंगे उनकी प्रजा बनेगी। अपना वारिस भी बनाना है, प्रजा भी बनानी है। तो यह बुद्धि में होना चाहिए - हम त्रिलोकीनाथ हैं। यह बातें बड़ी वन्डरफुल हैं। बच्चे पूरी रीति समझा नहीं सकते तो कन्स्ट्रक्शन के बदले डिस्ट्रक्शन कर लेते हैं। निकले हुए पत्तों को मुरझा देते हैं फिर पढ़ाई को छोड़ देते हैं। हम कहेंगे कल्प पहले भी ऐसा हुआ था, बीती सो बीती देखो। अब तुम बच्चे सारे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जान गये हो, हिस्ट्री और जॉग्राफी जानते हो। बाकी मनुष्य बातें तो बहुत बनाते हैं ना, क्या-क्या लिखते हैं, कैसे नाटक बनाते हैं!
भारत में बहुतों को अवतार मानते हैं। भारत ने ही अपना बेड़ा गर्क किया है। अब तुम बच्चे खास भारत को, आम दुनिया को सैलवेज करते हो। यह दुनिया का चक्र फिरता है, हम ऊपर होंगे तो नर्क नीचे होगा। जैसे सूर्य उतरता है तो कहेंगे समुद्र के नीचे जाता है। परन्तु जाता थोड़ेही है। समझते हैं द्वारिका आदि डूब गई। मनुष्यों की बुद्धि भी वन्डरफुल है ना। अब तुम कितने ऊंच बनते हो। कितनी खुशी होनी चाहिए। दु:ख के समय तुमको लॉटरी मिल रही है। देवताओं को तो मिली हुई है। यहाँ तुमको दु:ख से फिर अथाह सुख मिलते हैं। कितनी खुशी होती है, भविष्य 21 जन्मों लिए हम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
मनुष्य कहते हैं गीता का ज्ञान तो सतसंग है। कितने सतसंग सांई बाबा आदि के हैं। बहुत दुकानदारी है। यह तो एक ही हट्टी है ब्रह्माकुमारियों की। जगत अम्बा है ब्रह्मा की मुख वंशावली। सरस्वती ब्रह्मा की बेटी मशहूर है। तुम जानते हो मात-पिता से हमें सुख घनेरे मिले थे। अब वह मात-पिता मिला हुआ है। बहुत सुख घनेरे दे रहे हैं। अच्छा, मात-पिता को जन्म देने वाला कौन? शिवबाबा। हमको रत्न शिवबाबा से मिलते हैं। तुम हो गये पोत्रे। हम अब सुख घनेरे उस बेहद के बाप से, ब्रह्मा सरस्वती, मात-पिता द्वारा ले रहे हैं। देने वाला वह है। कितनी सहज बात है। फिर समझाना है हम इस भारत को स्वर्ग बनाते हैं। फिर सुख घनेरे जाकर पायेंगे। हम भारत के सेवक ठहरे। तन, मन, धन से हम सेवा करते हैं। गांधी को भी मदद करते थे ना। तुम समझा सकते हो यादव, कौरव, पाण्डव क्या करते थे? पाण्डवों की तरफ तो है परमपिता परमात्मा। पाण्डव हैं विनाश काले प्रीत बुद्धि, कौरव और यादव हैं विनाश काले विपरीत बुद्धि। जो परमपिता परमात्मा को मानते ही नहीं। ठिक्कर-भित्तर में ठोक देते हैं। तुम्हारी उनके सिवाए और कोई के साथ प्रीत नहीं है। तो बहुत हर्षित रहना चहिए। नाखून से लेकर चोटी तक खुशी रहनी चाहिए। बच्चे तो बहुत हैं ना। तुम मात-पिता द्वारा सुनते हो तो तुमको खुशी होती है। सारी सृष्टि में हमारे जैसा सौभाग्यशाली कोई हो नहीं सकता! हमारे में भी कोई पद्मापद्म भाग्यशाली, कोई सौभाग्यशाली, कोई भाग्यशाली और कोई दुर्भाग्यशाली भी हैं। जो आश्चर्यवत् भागन्ती हो जाते हैं उनको कहेंगे महान् दुर्भाग्य-शाली। कोई न कोई कारण से बाप को फारकती दे देते हैं। बाप तो बहुत मीठा है। समझते हैं शिक्षा दूँ तो कहाँ फारकती न दे देवे। समझाते हैं तुम विकार में जाकर कुल का नाम बदनाम करते हो। अगर नाम बदनाम करेंगे तो बहुत सजायें खानी पड़ेंगी। उसे कहा जायेगा सतगुरू का निंदक...... उन्होंने फिर अपने लौकिक गुरू के लिए समझ लिया है। अबलाओं को पुरुष भी डराते हैं। अमरनाथ बाबा अभी तुमको अमरकथा सुना रहे हैं। बाबा कहते हैं मैं तो टीचर, सर्वेन्ट हूँ ना। टीचर के पांव धोकर पीते हैं क्या? बच्चे जो मालिक बनने वाले हैं क्या हम उनसे पांव धुलाऊं? नहीं। गाया भी जाता है निराकार, निरहंकारी। यह भी उनके संग में निरहंकारी बन गया है।
अबलाओं पर अत्याचार भी गाया हुआ है। कल्प पहले भी अत्याचार हुए थे। रक्त की नदियां बहेंगी, पाप का घड़ा भरेगा। अभी तुम योगबल से बेहद की बादशाही लेते हो। तुम जानते हो हम बाप से अटल-अखण्ड बादशाही लेते हैं। हम तो सूर्यवंशी बनेंगे। हाँ, इसमें हिम्मत भी चाहिए। अपना मुँह देखते रहो-हमारे में कोई विकार तो नहीं हैं। कोई भी बात न समझो तो बड़ों से पूछो, अपना संशय मिटाओ। अगर ब्राह्मणी संशय मिटा नहीं सकती तो फिर बाबा से पूछो। अभी तो तुम बच्चों को बहुत कुछ बातें समझने की हैं। जहाँ तक जियेंगे बाबा समझाते रहेंगे। बोलो, अभी तो हम पढ़ रहे हैं, बाबा से हम पूछेंगे या तो बोलो यह बातें अब तक बाबा ने समझाई नहीं हैं। आगे चलकर समझायेंगे, फिर पूछना। बहुत प्वाइंट्स निकलती रहती हैं। कोई कहेंगे लड़ाई का क्या होगा? बाबा त्रिकालदर्शी हैं समझा सकते हैं, परन्तु अभी तो बाबा ने बतलाया नहीं है। अर्जी हमारी, मर्जी उनकी। अपने को छुड़ा लेना चाहिए।
गार्डन में बाबा ने बच्चों से प्रश्न पूछा कि बाबा है ज्ञान का सागर तो जरूर वह ज्ञान डांस करता होगा। अच्छा, जबकि भक्ति मार्ग में शिवबाबा सबकी मनोकामनायें पूरी करने का पार्ट बजाते हैं तो उस समय उनको यह संकल्प होगा कि हमको भारत में संगम पर जाकर बच्चों को यह राजयोग सिखलाना है? स्वर्ग का मालिक बनाना है? यह संकल्प उठेगा वा जब आने का समय होगा तब संकल्प उठेगा?
विचार है यह संकल्प नहीं होगा। भल उसमें ज्ञान मर्ज है परन्तु इमर्ज तब होता है जब आने का समय होता है। ऐसे तो हमारे में भी 84 जन्मों का पार्ट मर्ज है ना। गाया भी जाता है भगवान् को नई सृष्टि रचने का संकल्प उठा, सो तो जब समय होगा तब संकल्प चलेगा। वह भी ड्रामा में बंधायमान है। यह बहुत गुह्य बातें हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
रात्रि-क्लास 13.1.69
बच्चे जब यहाँ आकर बैठते हैं तो बाप पूछते हैं बच्चे शिवबाबा को याद करते हो? फिर विश्व की बादशाही को याद करते हो? बेहद के बाप का नाम शिव है। फिर भाषा के कारण अलग-अलग नाम रख देते हैं। जैसे बम्बई में बबुलनाथ कहते हैं क्योंकि वह काँटों को फूल बनाते हैं। सतयुग में हैं फूल, यहाँ सभी हैं काँटे। तो बाप रूहानी बच्चों से पूछते हैं बेहद के बाप की याद में कितना समय रहते हो? उनका नाम है शिव, कल्याणकारी। तुम जितना याद करेंगे उतना जन्म-जन्मान्तर के पाप कट जायेंगे। सतयुग में पाप होते ही नहीं। वह है पुण्यात्माओं की दुनिया, यह है पापात्माओं की दुनिया। पाप कराने वाले हैं 5 विकार। सतयुग में रावण होता ही नहीं। यह है सारी दुनिया का दुश्मन। इस समय सारी दुनिया पर रावण का राज्य है। सभी दु:खी, तमोप्रधान हैं तब कहते हैं बच्चों मामेकम् याद करो। यह गीता के अक्षर हैं। बाप खुद कहते हैं देह सहित सभी सम्बन्ध छोड़ मामेकम् याद करो। पहले-पहले तुम सुख के सम्बन्ध में थे, फिर रावण के बन्धन में आये हो। फिर अभी सुख के सम्बन्ध में आना है। अपने को आत्मा समझो और बाप को याद करो - यह शिक्षा बाप संगमयुग पर ही देते हैं। बाप खुद कहते हैं मैं परमधाम का रहवासी हूँ, इस शरीर में प्रवेश किया है तुमको समझाने लिए। बाप कहते हैं पवित्र बनने बिगर तुम मेरे पास नहीं आ सकते हो। अब पावन कैसे बनेंगे? सिर्फ मेरे को याद करो। भक्ति मार्ग में भी सिर्फ मेरी पूजा करते, उनको अव्यभिचारी पूजा कहा जाता है। अभी मैं पतित-पावन हूँ। तो तुम मुझे याद करो तो तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के पाप कट जायेंगे। 63 जन्मों के पाप हैं। सन्यासी कब राजयोग सिखा न सके, बाप ही सिखलाते हैं। वास्तव में यह शास्त्र, भक्ति आदि प्रवृत्ति मार्ग वालों के लिए है। सन्यासी तो जंगल में जाकर बैठते हैं और ब्रह्म को याद करते हैं। अभी बाप कहते हैं - सर्व का सद्गति दाता मैं हूँइसलिए मुझे याद करो तो तुम यह (लक्ष्मी-नारायण) बनेंगे। एम-आबजेक्ट सामने हैं। जितना पढ़ेंगे पढ़ायेंगे उतना ही ऊंच पद दैवी राजधानी में पायेंगे। अल्फ है एक बाप। रचना से रचना को वर्सा नहीं मिलता। यह है बेहद का बाप तो बेहद का वर्सा देते हैं। तुम स्वर्ग में सद्गति में होंगे। बाकी सभी आत्मायें वापस घर चली जायेंगी। मुक्ति-जीवन-मुक्ति, गति-सद्गति अक्षर ही हैं शान्तिधाम, सुखधाम के। बाप की याद बिगर घर जा नहीं सकेंगे। आत्मा को पवित्र जरूर बनना है। यहाँ सभी हैं नास्तिक। बाप को नहीं जानते। तुम अभी आस्तिक बनते हो। गायन भी है विनाश काले विपरीत बुद्धि विनश्यन्ति। अभी विनाश काल है ना। चक्र जरूर फिरना है। विनाश काले जिनकी प्रीत बुद्धि है वह हैं विजयन्ति। बाप कितना सहज कर सुनाते हैं, परन्तु माया-रावण भुला देती है। अभी इस पुरानी दुनिया का अन्त है। वह है अमरलोक, वहाँ काल होता नहीं। बाप को कहते हैं आओ साथ में हम सभी को ले चलो। तो काल ठहरा ना। सतयुग में कितना छोटा झाड़ है! अभी बहुत बड़ा झाड़ है।
ब्रह्मा और विष्णु का आक्युपेशन क्या है? विष्णु को देवता कहते हैं। ब्रह्मा को तो कोई जेवर आदि है नहीं। वहाँ न ब्रह्मा, न विष्णु, न शंकर हैं। प्रजापिता ब्रह्मा तो यहाँ है। सूक्ष्मवतन का सिर्फ साक्षात्कार होता है। स्थूल, सूक्ष्म, मूल है ना! सूक्ष्मवतन में है मूवी। यह समझने की बातें हैं। यह गीता पाठशाला है, जहाँ तुम राजयोग सीखते हो। शिवबाबा पढ़ाते हैं तो जरूर शिवबाबा ही याद आयेंगे ना। अच्छा!
रूहानी बच्चों को रूहानी बापदादा का याद-प्यार गुडनाईट। रूहानी बच्चों को रूहानी बाप की नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दु:ख के समय अपार सुखों की जो लाटरी मिली है, एक बाप से सच्ची प्रीत हुई है, उसका सिमरण कर सदा खुशी में रहना है।
2) बापदादा समान निराकारी और निरहंकारी बनना है। हिम्मत रख विकारों पर जीत पानी है। योगबल से बादशाही लेनी है।
वरदान:-सारथी बन न्यारी और प्यारी स्थिति का अनुभव कराने वाले नम्बरवन सिद्धि स्वरूप भव
सारथी अर्थात् आत्म-अभिमानी। इसी विधि से ब्रह्मा बाप ने नम्बरवन की सिद्धि प्राप्त की। जैसे बाप देह को अधीन कर प्रवेश होते, सारथी बनते हैं, देह के अधीन नहीं बनते इसलिए न्यारे और प्यारे हैं। ऐसे ही आप ब्राह्मण आत्मायें भी बाप समान सारथी की स्थिति में रहो। चलते-फिरते यह चेक करो कि मैं सारथी अर्थात् शरीर को चलाने वाली न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हूँ? इससे ही नम्बरवन सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे।
स्लोगन:-बाप के आज्ञाकारी होकर रहो तो गुप्त दुआयें समय पर मदद करती रहेंगी।
30/11/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, this is the new tree of you Brahmins. You have to look after it well and make it grow because sparrows eat away at a new tree.
Question:
Why do the new leaves that emerge on the Brahmin tree wilt? What is the reason for it and what is the solution to it?
Answer:
When souls don’t understand the wonderful secrets of knowledge that the Father explains, doubts arise in their mind. This is why new leaves wilt and they stop studying. Very clever children are needed to explain to them. If you have any doubts about anything, ask the seniors. If you still don’t receive an answer, you can ask the Father.
Song:
Come and meet us, O Beloved!
Om Shanti
You children have heard this song many times. Everyone calls out to God at a time of sorrow, whereas He is now sitting with you and is liberating you from all sorrow. You understand that the Master of the land of happiness, the One who takes you from the land of sorrow to the land of happiness, is explaining to you. He has come and is sitting in front of you and teaching you Raja Yoga. This is not a task for a human being. You say that the Supreme Father, the Supreme Soul, taught you Raja Yoga and changed you from humans into deities. Human beings cannot change humans into deities. “It didn’t take God long to change humans into deities.” Whose praise is this? It is Baba’s praise. Deities definitely exist in the golden age. Deities do not exist at this time. Therefore, it is surely the One who creates heaven who changes humans into deities. The Supreme Father, the Supreme Soul, the One who is called Shiva, has to come here to purify the impure. Now, how can He come? He cannot have the body of Krishna in the impure world. Human beings are confused. You children are now personally listening to Him. You know the history and geography of this world. Together with the history, there is definitely also the geography. History and geography exist in the human world. There can never be any history or geography of Brahma, Vishnu and Shankar of the subtle region. That is the subtle region where there is ‘movie’, whereas here there is ‘talkie’. Baba now tells you children the history and geography of the whole world and also gives you news of the incorporeal world. He tells you everything about the three worlds. The new tree of Brahmins is now being planted. This is called a tree; other paths and cults are not called trees. Although Christians believe that the tree of Christians is separate from this tree, they don’t know that all the branches have emerged from this large tree. You have to explain how the human world is created. There are the mother and father and then the children, but they do not all emerge at the same time. Two leaves, then four or five leaves emerge and some are eaten by sparrows. Here, too, sparrows eat them. This is a very small tree. Growth will take place gradually as it did in the previous cycle. You children now have so much knowledge! You are trikaldarshi, the ones who know the three aspects of time, and you are trilokinath, that is, the ones who know the three worlds. Lakshmi and Narayan cannot be called trilokinath or trikaldarshi. People call Krishna trilokinath. Those who do service will create their subjects. You have to create your heirs as well as your subjects. It should remain in your intellects that you are trilokinath. These are such wonderful aspects! Some children are not able to explain accurately, and so, instead of construction, they cause destruction. They make the leaves that have emerged wilt. They then stop studying. One would say that this also happened in the previous cycle, and so, see this as ‘past is past’! You children have now come to know the beginning, the middle and the end of the history and geography of the whole world. However, people say and make up many things. They write books and create plays about all sorts of things. In Bharat, they believe many to be incarnations. Bharat has sunk its own boat. You children are now salvaging the boat of Bharat in particular and the world in general. The cycle of the world continues to turn. When we are up above, hell will be down below just as when the sun sets, people say that it goes beneath the sea. However, that doesn’t really happen. They think that Dwaraka sank beneath the sea. The intellects of human beings are so wonderful! You have now become so elevated. You should have so much happiness. You are winning a lottery at the time of sorrow. The deities had received it. Here, having experienced sorrow, you are now receiving limitless happiness. You have the great happiness that you are to become the masters of heaven for the future 21 births. People say that to listen to the knowledge of the Gita means to be in a satsang. There are countless satsangs such as those of Sai Baba etc. That is such a huge market whereas this is only the one shop, that of the Brahma Kumaris. Jagadamba is a mouth-born child of Brahma. Saraswati, the daughter of Brahma, is very famous. You understand that you received limitless treasures through the mother and father. You have now found that mother and father. They are giving you many treasures of happiness. Achcha, who gave birth to the mother and father? Shiv Baba. We receive jewels from Shiv Baba. You are His grandchildren. We are now receiving unlimited happiness from that unlimited Father through Brahma and Saraswati, the father and mother. That One is the Bestower. This is such an easy thing! Then you have to explain how we are changing this Bharat into heaven and how we will receive the treasures of happiness there. We are servers of Bharat. We serve through our minds, bodies and wealth. People used to help Gandhi too. You can explain what the Yadavas, the Pandavas and the Kauravas do. The Supreme Father, the Supreme Soul, is on the side of the Pandavas. At the time of destruction, the Pandavas have loving intellects, whereas the Kauravas and the Yadavas have no love for God in their intellects. They are ones who don’t believe in the Supreme Father, the Supreme Soul. They have put Him into the pebbles and stones etc. You do not have love for anyone except Him. Therefore, you should remain very cheerful. You should have happiness from the tip of your toes to the top of your head. There are many children. Those of you who listen through the mother and father experience happiness. There is no one in the whole world as fortunate as you. However, among you, too, some are multimillion times fortunate, some are one hundred times fortunate, whereas others are just fortunate or even unfortunate. Those who are amazed and then run away are said to be greatly unfortunate. For one reason or another, they divorce the Father. The Father is very sweet. He understands that, if He gives them certain instructions, they might divorce Him. He explains that if you indulge in vice, you defame the name of the clan and that if you defame the name of the clan you will have to endure a great deal of punishment. Such a person is called one who defames the name of the Satguru. People misunderstand this and think that it applies to their physical guru. Men also frighten their innocent wives with this. Baba, the Immortal Lord, is telling you the story of immortality. Baba says: I am the Teacher, the Servant. Do students wash the feet of their teacher and then drink that water? Can I make the children, who are to become the masters of the world, wash My feet? No. The praise of that incorporeal and egoless One has been remembered. This one has also become egoless in His company. The beating of innocent ones has also been remembered. These assaults also happened in the previous cycle. The urn of sin will become full and rivers of blood will flow. You are now claiming your unlimited kingdom with the power of yoga. You understand that you are claiming the unshakeable and immovable kingdom from the Father. We will definitely become part of the sun dynasty. Yes, courage is needed for this. Continue to check your face to see whether there are any vices in you. If you don’t understand something, you can ask the seniors and have any doubts removed. If a teacher is not able to remove your doubts, then ask Baba. As yet, there are still many things that you children have to understand. Baba will continue to explain to you for as long as you live. To answer their question, you can tell them that you are still studying and that you will ask Baba about it. Or, tell them that Baba has not yet explained that point, that He will explain it in the future and they can ask about it then. Many points continue to emerge. Some ask what will happen about the war. Baba is Trikaldarshi. He can explain. However, tell them that Baba has not yet explained that aspect and that you will put in an application to Him, but that it is up to Him. You should free yourself in this way. Baba asked some children a question in the garden: Baba is the Ocean of Knowledge, so He has to dance the dance of knowledge. Achcha, when Shiv Baba plays the part of fulfilling everyone’s desires on the path of devotion, does He think at that time that He has to go to Bharat at the confluence age and teach you children Raja Yoga and that He has to make you into the masters of heaven? Does this thought arise at that time or does it arise when it is the time for Him to come? Baba thinks that there probably will not be this thought. Although this knowledge is merged in Him, it will only emerge when it is the time for Him to come, just as the parts of 84 births are merged in you. It is said that God had the thought of creating a new world. That thought will come when it is the right time. He too is bound by the drama. These are very deep matters. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Night Class: 13/01/69
When you children come and sit here, Baba asks you: Children, are you remembering Shiv Baba? Then, do you also remember the kingdom of the world? The name of the unlimited Father is Shiva. Many different names are given to Him, because of the many languages. For example, there is a temple called Babulnath (Lord of Thorns) in Bombay, because He transforms thorns into flowers. There are flowers in the golden age, whereas here all are thorns. Therefore, Baba asks the spiritual children: For how long do you stay in remembrance of the unlimited Father? His name is Shiva, the Benefactor. The more you remember Him, the more your sins of innumerable births will be absolved. There is no sin in the golden age. That is the world of pure charitable souls whereas this is the world of sinful souls. It is the five vices that make you commit sin. Ravan does not exist in the golden age. He is the enemy of the whole world. At this time, it is the kingdom of Ravan over the whole world. All are unhappy and tamopradhan. This is why Baba says: Children, remember Me alone. These words are from the Gita. The Father Himself says: Renounce the consciousness of your bodies and bodily relations and remember Me alone. At first, you were in relationships of happiness and you then came into the bondage of Ravan. Now, once again, you have to go into relationships of happiness. Consider yourselves to be souls and remember the Father. The Father gives these teachings at the confluence age. The Father Himself says: I am the Resident of the supreme region. I have entered this body in order to explain to you. The Father says: You cannot come to Me without first becoming pure. Now, how will you become pure? Simply remember Me. Even on the path of devotion, there were those who worshipped Me alone. That is called unadulterated worship. Now, I am the Purifier. Therefore remember Me and the sins of your innumerable births will be absolved. There are the sins of 63 births. Sannyasis can never teach Raja Yoga. Only the Father can teach it. In fact, all of those scriptures and devotion etc. are for householders. Sannyasis go and sit in the jungles and remember the brahm element. Now, the Father says: I am the One who grants salvation to all. Therefore, remember Me and you will become like Lakshmi and Narayan. The aim and objective is in front of you. The more you study and teach others, the higher the status you will claim in the kingdom of deities. Alpha is the one Father. A creation cannot receive an inheritance from a creation. That is the unlimited Father and He therefore gives the unlimited inheritance. In the golden age, you will be in salvation whereas all the rest of the souls will have returned home. The words ‘liberation’, ‘liberation-in-life’ and ‘salvation’ are for the land of peace and the land of happiness. You cannot go back home without having remembrance of the Father. Souls definitely have to become pure. Here, all are atheists: they do not know the Father. You have now become theists. It is said that those whose intellects have no love for God are destroyed. It is now the time for destruction. The cycle definitely has to turn. Those whose intellects have love for God become victorious. The Father explains everything in a very simple manner, but Maya, Ravan makes you forget. It is now the end of this old world. That is the land of immortality; there is no untimely death there. We say to the Father: Come and take us all back with You. Therefore, He is the Death of all Deaths. The tree is very small in the golden age. The tree is now very big. What is the occupation of Brahma and Vishnu? Vishnu is called a deity. Brahma does not have any jewellery etc. There is no Brahma, Vishnu or Shankar there. The Father of Humanity, Brahma, is here. You only receive visions in the subtle region. There are the corporeal, the subtle and the incorporeal. There is ‘movie’ in the subtle region. This is something to be understood. This is the Gita Pathshala where you study Raja Yoga. It is Shiv Baba who is teaching you and so it is surely Shiv Baba who should be remembered. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good night. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. You have received the lottery of limitless happiness at the time of sorrow. Have true love for the one Father. Remember Him and remain constantly happy.
2. Become as incorporeal and egoless as BapDada. Have courage and conquer the vices. Claim your kingdom with your power of yoga.
Blessing:May you become a number one embodiment of success who gives the experience of the stage of being loving and detached by being a co-charioteer.
A co-charioteer means one who has soul consciousness. With this method, Father Brahma claimed number one success. The Father enters by controlling the body and becomes a co-charioteer. He is not dependent on the body and this is why He is detached and loving. In the same way, you Brahmin souls also remain stable in the stage of a co-charioteer, like the Father. While walking and moving along, check: Am I in the stage of a co-charioteer, that is, am I stable in a loving and detached stage and making the body function? It is only with this method that you will become a number one embodiment of success.
Slogan:Remain obedient to the Father and incognito blessings will continue to help you at times of need.
"मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मणों का यह नया झाड़ है, इसकी वृद्धि भी करनी है तो सम्भाल भी करनी है क्योंकि नये झाड़ को चिड़ियायें खा जाती हैं''
प्रश्नः-
ब्राह्मण झाड़ में निकले हुए पत्ते मुरझाते क्यों हैं? कारण और निवारण क्या है?
उत्तर:-
बाप जो ज्ञान के वन्डरफुल राज़ सुनाते हैं वह न समझने के कारण संशय उत्पन्न होता है इसलिए नये-नये पत्ते मुरझा जाते हैं फिर पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसमें समझाने वाले बच्चे बहुत होशियार चाहिए। अगर कोई संशय उठता है तो बड़ों से पूछना चाहिए। उत्तर नहीं मिलता तो बाप से भी पूछ सकते हैं।
गीत:-
प्रीतम आन मिलो........
ओम् शान्ति।
गीत तो बच्चों ने बहुत बार सुने हैं, दु:ख में भगवान् को सभी बुलाते हैं। तुम्हारे पास तो वह बैठे हैं। तुमको सभी दु:खों से लिबरेट कर रहे हैं। तुम जानते हो बरोबर दु:खधाम से सुखधाम ले जाने वाला सुखधाम का मालिक बतला रहे हैं। वह आया हुआ है, तुम्हारे सम्मुख बैठा हुआ है और राजयोग सिखला रहा है। यह कोई मनुष्य का काम नहीं। तुम कहेंगे परमपिता परमात्मा ने हमको मनुष्य से देवता बनाने के लिये राजयोग सिखलाया है। मनुष्य, मनुष्य को देवता नहीं बना सकते। मनुष्य से देवता किये करत न लागी वार.... यह किसकी महिमा है? बाबा की। बरोबर देवतायें तो सतयुग में होते हैं। इस समय देवतायें होते ही नहीं। तो जरूर स्वर्ग की स्थापना करने वाला ही मनुष्य को देवता बनायेगा। परमपिता परमात्मा जिसको शिव भी कहते हैं, उनको यहाँ आना पड़े पतितों को पावन बनाने। अब वह आये कैसे? पतित दुनिया में कृष्ण का भी तन मिल न सके। मनुष्य तो मूंझे हुए हैं। अब तुम बच्चे सम्मुख सुन रहे हो। तुम इस दुनिया की हिस्ट्री-जॉग्राफी को जानते हो। हिस्ट्री के साथ जॉग्राफी जरूर होती है और हिस्ट्री-जॉग्राफी होती है मनुष्य सृष्टि में। ब्रह्मा-विष्णु-शंकर की, सूक्ष्मवतन की कभी हिस्ट्री-जॉग्राफी नहीं कहेंगे। वह है सूक्ष्मवतन। वहाँ तो है मूवी। टॉकी तो यहाँ है। अब बाबा तुम बच्चों को सारी दुनिया की हिस्ट्री-जॉग्राफी और मूलवतन का समाचार, जिसको तीन लोक कहते हैं सब सुनाते हैं। अब तुम ब्राह्मणों का नया झाड़ लगा है। इसको झाड़ कहा जाता है। दूसरे जो मठ-पंथ हैं उनको झाड़ नहीं कहेंगे। भल क्रिश्चियन लोग हैं वह जानते हैं कि क्रिश्चियन ट्री अलग है लेकिन उनको यह पता नहीं है कि सभी टाल-टालियां इस बड़े झाड़ से निकली हुई हैं। समझाना चाहिए मनुष्य सृष्टि कैसे पैदा होगी। मात-पिता फिर बालक.... वह भी सब इकट्ठे तो नहीं निकलेंगे। दो से चार, पांच पत्ते होते हैं फिर कोई को तो चिड़िया भी खा जाती है। यहाँ भी चिड़िया खा जाती हैं। यह बहुत छोटा झाड़ है। धीरे-धीरे वृद्धि को पायेंगे, जैसे पहले पाया है। तुम बच्चों को अब कितनी नॉलेज है। तुम त्रिकालदर्शी हो तीनों कालों को जानने वाले हो, त्रिलोकीनाथ हो अर्थात् तीनों लोकों को जानने वाले हो। लक्ष्मी-नारायण को त्रिलोकीनाथ, त्रिकालदर्शी नहीं कहेंगे। मनुष्य फिर कृष्ण को त्रिलोकीनाथ कहते हैं। जो सर्विस करेंगे उनकी प्रजा बनेगी। अपना वारिस भी बनाना है, प्रजा भी बनानी है। तो यह बुद्धि में होना चाहिए - हम त्रिलोकीनाथ हैं। यह बातें बड़ी वन्डरफुल हैं। बच्चे पूरी रीति समझा नहीं सकते तो कन्स्ट्रक्शन के बदले डिस्ट्रक्शन कर लेते हैं। निकले हुए पत्तों को मुरझा देते हैं फिर पढ़ाई को छोड़ देते हैं। हम कहेंगे कल्प पहले भी ऐसा हुआ था, बीती सो बीती देखो। अब तुम बच्चे सारे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जान गये हो, हिस्ट्री और जॉग्राफी जानते हो। बाकी मनुष्य बातें तो बहुत बनाते हैं ना, क्या-क्या लिखते हैं, कैसे नाटक बनाते हैं!
भारत में बहुतों को अवतार मानते हैं। भारत ने ही अपना बेड़ा गर्क किया है। अब तुम बच्चे खास भारत को, आम दुनिया को सैलवेज करते हो। यह दुनिया का चक्र फिरता है, हम ऊपर होंगे तो नर्क नीचे होगा। जैसे सूर्य उतरता है तो कहेंगे समुद्र के नीचे जाता है। परन्तु जाता थोड़ेही है। समझते हैं द्वारिका आदि डूब गई। मनुष्यों की बुद्धि भी वन्डरफुल है ना। अब तुम कितने ऊंच बनते हो। कितनी खुशी होनी चाहिए। दु:ख के समय तुमको लॉटरी मिल रही है। देवताओं को तो मिली हुई है। यहाँ तुमको दु:ख से फिर अथाह सुख मिलते हैं। कितनी खुशी होती है, भविष्य 21 जन्मों लिए हम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
मनुष्य कहते हैं गीता का ज्ञान तो सतसंग है। कितने सतसंग सांई बाबा आदि के हैं। बहुत दुकानदारी है। यह तो एक ही हट्टी है ब्रह्माकुमारियों की। जगत अम्बा है ब्रह्मा की मुख वंशावली। सरस्वती ब्रह्मा की बेटी मशहूर है। तुम जानते हो मात-पिता से हमें सुख घनेरे मिले थे। अब वह मात-पिता मिला हुआ है। बहुत सुख घनेरे दे रहे हैं। अच्छा, मात-पिता को जन्म देने वाला कौन? शिवबाबा। हमको रत्न शिवबाबा से मिलते हैं। तुम हो गये पोत्रे। हम अब सुख घनेरे उस बेहद के बाप से, ब्रह्मा सरस्वती, मात-पिता द्वारा ले रहे हैं। देने वाला वह है। कितनी सहज बात है। फिर समझाना है हम इस भारत को स्वर्ग बनाते हैं। फिर सुख घनेरे जाकर पायेंगे। हम भारत के सेवक ठहरे। तन, मन, धन से हम सेवा करते हैं। गांधी को भी मदद करते थे ना। तुम समझा सकते हो यादव, कौरव, पाण्डव क्या करते थे? पाण्डवों की तरफ तो है परमपिता परमात्मा। पाण्डव हैं विनाश काले प्रीत बुद्धि, कौरव और यादव हैं विनाश काले विपरीत बुद्धि। जो परमपिता परमात्मा को मानते ही नहीं। ठिक्कर-भित्तर में ठोक देते हैं। तुम्हारी उनके सिवाए और कोई के साथ प्रीत नहीं है। तो बहुत हर्षित रहना चहिए। नाखून से लेकर चोटी तक खुशी रहनी चाहिए। बच्चे तो बहुत हैं ना। तुम मात-पिता द्वारा सुनते हो तो तुमको खुशी होती है। सारी सृष्टि में हमारे जैसा सौभाग्यशाली कोई हो नहीं सकता! हमारे में भी कोई पद्मापद्म भाग्यशाली, कोई सौभाग्यशाली, कोई भाग्यशाली और कोई दुर्भाग्यशाली भी हैं। जो आश्चर्यवत् भागन्ती हो जाते हैं उनको कहेंगे महान् दुर्भाग्य-शाली। कोई न कोई कारण से बाप को फारकती दे देते हैं। बाप तो बहुत मीठा है। समझते हैं शिक्षा दूँ तो कहाँ फारकती न दे देवे। समझाते हैं तुम विकार में जाकर कुल का नाम बदनाम करते हो। अगर नाम बदनाम करेंगे तो बहुत सजायें खानी पड़ेंगी। उसे कहा जायेगा सतगुरू का निंदक...... उन्होंने फिर अपने लौकिक गुरू के लिए समझ लिया है। अबलाओं को पुरुष भी डराते हैं। अमरनाथ बाबा अभी तुमको अमरकथा सुना रहे हैं। बाबा कहते हैं मैं तो टीचर, सर्वेन्ट हूँ ना। टीचर के पांव धोकर पीते हैं क्या? बच्चे जो मालिक बनने वाले हैं क्या हम उनसे पांव धुलाऊं? नहीं। गाया भी जाता है निराकार, निरहंकारी। यह भी उनके संग में निरहंकारी बन गया है।
अबलाओं पर अत्याचार भी गाया हुआ है। कल्प पहले भी अत्याचार हुए थे। रक्त की नदियां बहेंगी, पाप का घड़ा भरेगा। अभी तुम योगबल से बेहद की बादशाही लेते हो। तुम जानते हो हम बाप से अटल-अखण्ड बादशाही लेते हैं। हम तो सूर्यवंशी बनेंगे। हाँ, इसमें हिम्मत भी चाहिए। अपना मुँह देखते रहो-हमारे में कोई विकार तो नहीं हैं। कोई भी बात न समझो तो बड़ों से पूछो, अपना संशय मिटाओ। अगर ब्राह्मणी संशय मिटा नहीं सकती तो फिर बाबा से पूछो। अभी तो तुम बच्चों को बहुत कुछ बातें समझने की हैं। जहाँ तक जियेंगे बाबा समझाते रहेंगे। बोलो, अभी तो हम पढ़ रहे हैं, बाबा से हम पूछेंगे या तो बोलो यह बातें अब तक बाबा ने समझाई नहीं हैं। आगे चलकर समझायेंगे, फिर पूछना। बहुत प्वाइंट्स निकलती रहती हैं। कोई कहेंगे लड़ाई का क्या होगा? बाबा त्रिकालदर्शी हैं समझा सकते हैं, परन्तु अभी तो बाबा ने बतलाया नहीं है। अर्जी हमारी, मर्जी उनकी। अपने को छुड़ा लेना चाहिए।
गार्डन में बाबा ने बच्चों से प्रश्न पूछा कि बाबा है ज्ञान का सागर तो जरूर वह ज्ञान डांस करता होगा। अच्छा, जबकि भक्ति मार्ग में शिवबाबा सबकी मनोकामनायें पूरी करने का पार्ट बजाते हैं तो उस समय उनको यह संकल्प होगा कि हमको भारत में संगम पर जाकर बच्चों को यह राजयोग सिखलाना है? स्वर्ग का मालिक बनाना है? यह संकल्प उठेगा वा जब आने का समय होगा तब संकल्प उठेगा?
विचार है यह संकल्प नहीं होगा। भल उसमें ज्ञान मर्ज है परन्तु इमर्ज तब होता है जब आने का समय होता है। ऐसे तो हमारे में भी 84 जन्मों का पार्ट मर्ज है ना। गाया भी जाता है भगवान् को नई सृष्टि रचने का संकल्प उठा, सो तो जब समय होगा तब संकल्प चलेगा। वह भी ड्रामा में बंधायमान है। यह बहुत गुह्य बातें हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
रात्रि-क्लास 13.1.69
बच्चे जब यहाँ आकर बैठते हैं तो बाप पूछते हैं बच्चे शिवबाबा को याद करते हो? फिर विश्व की बादशाही को याद करते हो? बेहद के बाप का नाम शिव है। फिर भाषा के कारण अलग-अलग नाम रख देते हैं। जैसे बम्बई में बबुलनाथ कहते हैं क्योंकि वह काँटों को फूल बनाते हैं। सतयुग में हैं फूल, यहाँ सभी हैं काँटे। तो बाप रूहानी बच्चों से पूछते हैं बेहद के बाप की याद में कितना समय रहते हो? उनका नाम है शिव, कल्याणकारी। तुम जितना याद करेंगे उतना जन्म-जन्मान्तर के पाप कट जायेंगे। सतयुग में पाप होते ही नहीं। वह है पुण्यात्माओं की दुनिया, यह है पापात्माओं की दुनिया। पाप कराने वाले हैं 5 विकार। सतयुग में रावण होता ही नहीं। यह है सारी दुनिया का दुश्मन। इस समय सारी दुनिया पर रावण का राज्य है। सभी दु:खी, तमोप्रधान हैं तब कहते हैं बच्चों मामेकम् याद करो। यह गीता के अक्षर हैं। बाप खुद कहते हैं देह सहित सभी सम्बन्ध छोड़ मामेकम् याद करो। पहले-पहले तुम सुख के सम्बन्ध में थे, फिर रावण के बन्धन में आये हो। फिर अभी सुख के सम्बन्ध में आना है। अपने को आत्मा समझो और बाप को याद करो - यह शिक्षा बाप संगमयुग पर ही देते हैं। बाप खुद कहते हैं मैं परमधाम का रहवासी हूँ, इस शरीर में प्रवेश किया है तुमको समझाने लिए। बाप कहते हैं पवित्र बनने बिगर तुम मेरे पास नहीं आ सकते हो। अब पावन कैसे बनेंगे? सिर्फ मेरे को याद करो। भक्ति मार्ग में भी सिर्फ मेरी पूजा करते, उनको अव्यभिचारी पूजा कहा जाता है। अभी मैं पतित-पावन हूँ। तो तुम मुझे याद करो तो तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के पाप कट जायेंगे। 63 जन्मों के पाप हैं। सन्यासी कब राजयोग सिखा न सके, बाप ही सिखलाते हैं। वास्तव में यह शास्त्र, भक्ति आदि प्रवृत्ति मार्ग वालों के लिए है। सन्यासी तो जंगल में जाकर बैठते हैं और ब्रह्म को याद करते हैं। अभी बाप कहते हैं - सर्व का सद्गति दाता मैं हूँइसलिए मुझे याद करो तो तुम यह (लक्ष्मी-नारायण) बनेंगे। एम-आबजेक्ट सामने हैं। जितना पढ़ेंगे पढ़ायेंगे उतना ही ऊंच पद दैवी राजधानी में पायेंगे। अल्फ है एक बाप। रचना से रचना को वर्सा नहीं मिलता। यह है बेहद का बाप तो बेहद का वर्सा देते हैं। तुम स्वर्ग में सद्गति में होंगे। बाकी सभी आत्मायें वापस घर चली जायेंगी। मुक्ति-जीवन-मुक्ति, गति-सद्गति अक्षर ही हैं शान्तिधाम, सुखधाम के। बाप की याद बिगर घर जा नहीं सकेंगे। आत्मा को पवित्र जरूर बनना है। यहाँ सभी हैं नास्तिक। बाप को नहीं जानते। तुम अभी आस्तिक बनते हो। गायन भी है विनाश काले विपरीत बुद्धि विनश्यन्ति। अभी विनाश काल है ना। चक्र जरूर फिरना है। विनाश काले जिनकी प्रीत बुद्धि है वह हैं विजयन्ति। बाप कितना सहज कर सुनाते हैं, परन्तु माया-रावण भुला देती है। अभी इस पुरानी दुनिया का अन्त है। वह है अमरलोक, वहाँ काल होता नहीं। बाप को कहते हैं आओ साथ में हम सभी को ले चलो। तो काल ठहरा ना। सतयुग में कितना छोटा झाड़ है! अभी बहुत बड़ा झाड़ है।
ब्रह्मा और विष्णु का आक्युपेशन क्या है? विष्णु को देवता कहते हैं। ब्रह्मा को तो कोई जेवर आदि है नहीं। वहाँ न ब्रह्मा, न विष्णु, न शंकर हैं। प्रजापिता ब्रह्मा तो यहाँ है। सूक्ष्मवतन का सिर्फ साक्षात्कार होता है। स्थूल, सूक्ष्म, मूल है ना! सूक्ष्मवतन में है मूवी। यह समझने की बातें हैं। यह गीता पाठशाला है, जहाँ तुम राजयोग सीखते हो। शिवबाबा पढ़ाते हैं तो जरूर शिवबाबा ही याद आयेंगे ना। अच्छा!
रूहानी बच्चों को रूहानी बापदादा का याद-प्यार गुडनाईट। रूहानी बच्चों को रूहानी बाप की नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दु:ख के समय अपार सुखों की जो लाटरी मिली है, एक बाप से सच्ची प्रीत हुई है, उसका सिमरण कर सदा खुशी में रहना है।
2) बापदादा समान निराकारी और निरहंकारी बनना है। हिम्मत रख विकारों पर जीत पानी है। योगबल से बादशाही लेनी है।
वरदान:-सारथी बन न्यारी और प्यारी स्थिति का अनुभव कराने वाले नम्बरवन सिद्धि स्वरूप भव
सारथी अर्थात् आत्म-अभिमानी। इसी विधि से ब्रह्मा बाप ने नम्बरवन की सिद्धि प्राप्त की। जैसे बाप देह को अधीन कर प्रवेश होते, सारथी बनते हैं, देह के अधीन नहीं बनते इसलिए न्यारे और प्यारे हैं। ऐसे ही आप ब्राह्मण आत्मायें भी बाप समान सारथी की स्थिति में रहो। चलते-फिरते यह चेक करो कि मैं सारथी अर्थात् शरीर को चलाने वाली न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हूँ? इससे ही नम्बरवन सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे।
स्लोगन:-बाप के आज्ञाकारी होकर रहो तो गुप्त दुआयें समय पर मदद करती रहेंगी।
30/11/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, this is the new tree of you Brahmins. You have to look after it well and make it grow because sparrows eat away at a new tree.
Question:
Why do the new leaves that emerge on the Brahmin tree wilt? What is the reason for it and what is the solution to it?
Answer:
When souls don’t understand the wonderful secrets of knowledge that the Father explains, doubts arise in their mind. This is why new leaves wilt and they stop studying. Very clever children are needed to explain to them. If you have any doubts about anything, ask the seniors. If you still don’t receive an answer, you can ask the Father.
Song:
Come and meet us, O Beloved!
Om Shanti
You children have heard this song many times. Everyone calls out to God at a time of sorrow, whereas He is now sitting with you and is liberating you from all sorrow. You understand that the Master of the land of happiness, the One who takes you from the land of sorrow to the land of happiness, is explaining to you. He has come and is sitting in front of you and teaching you Raja Yoga. This is not a task for a human being. You say that the Supreme Father, the Supreme Soul, taught you Raja Yoga and changed you from humans into deities. Human beings cannot change humans into deities. “It didn’t take God long to change humans into deities.” Whose praise is this? It is Baba’s praise. Deities definitely exist in the golden age. Deities do not exist at this time. Therefore, it is surely the One who creates heaven who changes humans into deities. The Supreme Father, the Supreme Soul, the One who is called Shiva, has to come here to purify the impure. Now, how can He come? He cannot have the body of Krishna in the impure world. Human beings are confused. You children are now personally listening to Him. You know the history and geography of this world. Together with the history, there is definitely also the geography. History and geography exist in the human world. There can never be any history or geography of Brahma, Vishnu and Shankar of the subtle region. That is the subtle region where there is ‘movie’, whereas here there is ‘talkie’. Baba now tells you children the history and geography of the whole world and also gives you news of the incorporeal world. He tells you everything about the three worlds. The new tree of Brahmins is now being planted. This is called a tree; other paths and cults are not called trees. Although Christians believe that the tree of Christians is separate from this tree, they don’t know that all the branches have emerged from this large tree. You have to explain how the human world is created. There are the mother and father and then the children, but they do not all emerge at the same time. Two leaves, then four or five leaves emerge and some are eaten by sparrows. Here, too, sparrows eat them. This is a very small tree. Growth will take place gradually as it did in the previous cycle. You children now have so much knowledge! You are trikaldarshi, the ones who know the three aspects of time, and you are trilokinath, that is, the ones who know the three worlds. Lakshmi and Narayan cannot be called trilokinath or trikaldarshi. People call Krishna trilokinath. Those who do service will create their subjects. You have to create your heirs as well as your subjects. It should remain in your intellects that you are trilokinath. These are such wonderful aspects! Some children are not able to explain accurately, and so, instead of construction, they cause destruction. They make the leaves that have emerged wilt. They then stop studying. One would say that this also happened in the previous cycle, and so, see this as ‘past is past’! You children have now come to know the beginning, the middle and the end of the history and geography of the whole world. However, people say and make up many things. They write books and create plays about all sorts of things. In Bharat, they believe many to be incarnations. Bharat has sunk its own boat. You children are now salvaging the boat of Bharat in particular and the world in general. The cycle of the world continues to turn. When we are up above, hell will be down below just as when the sun sets, people say that it goes beneath the sea. However, that doesn’t really happen. They think that Dwaraka sank beneath the sea. The intellects of human beings are so wonderful! You have now become so elevated. You should have so much happiness. You are winning a lottery at the time of sorrow. The deities had received it. Here, having experienced sorrow, you are now receiving limitless happiness. You have the great happiness that you are to become the masters of heaven for the future 21 births. People say that to listen to the knowledge of the Gita means to be in a satsang. There are countless satsangs such as those of Sai Baba etc. That is such a huge market whereas this is only the one shop, that of the Brahma Kumaris. Jagadamba is a mouth-born child of Brahma. Saraswati, the daughter of Brahma, is very famous. You understand that you received limitless treasures through the mother and father. You have now found that mother and father. They are giving you many treasures of happiness. Achcha, who gave birth to the mother and father? Shiv Baba. We receive jewels from Shiv Baba. You are His grandchildren. We are now receiving unlimited happiness from that unlimited Father through Brahma and Saraswati, the father and mother. That One is the Bestower. This is such an easy thing! Then you have to explain how we are changing this Bharat into heaven and how we will receive the treasures of happiness there. We are servers of Bharat. We serve through our minds, bodies and wealth. People used to help Gandhi too. You can explain what the Yadavas, the Pandavas and the Kauravas do. The Supreme Father, the Supreme Soul, is on the side of the Pandavas. At the time of destruction, the Pandavas have loving intellects, whereas the Kauravas and the Yadavas have no love for God in their intellects. They are ones who don’t believe in the Supreme Father, the Supreme Soul. They have put Him into the pebbles and stones etc. You do not have love for anyone except Him. Therefore, you should remain very cheerful. You should have happiness from the tip of your toes to the top of your head. There are many children. Those of you who listen through the mother and father experience happiness. There is no one in the whole world as fortunate as you. However, among you, too, some are multimillion times fortunate, some are one hundred times fortunate, whereas others are just fortunate or even unfortunate. Those who are amazed and then run away are said to be greatly unfortunate. For one reason or another, they divorce the Father. The Father is very sweet. He understands that, if He gives them certain instructions, they might divorce Him. He explains that if you indulge in vice, you defame the name of the clan and that if you defame the name of the clan you will have to endure a great deal of punishment. Such a person is called one who defames the name of the Satguru. People misunderstand this and think that it applies to their physical guru. Men also frighten their innocent wives with this. Baba, the Immortal Lord, is telling you the story of immortality. Baba says: I am the Teacher, the Servant. Do students wash the feet of their teacher and then drink that water? Can I make the children, who are to become the masters of the world, wash My feet? No. The praise of that incorporeal and egoless One has been remembered. This one has also become egoless in His company. The beating of innocent ones has also been remembered. These assaults also happened in the previous cycle. The urn of sin will become full and rivers of blood will flow. You are now claiming your unlimited kingdom with the power of yoga. You understand that you are claiming the unshakeable and immovable kingdom from the Father. We will definitely become part of the sun dynasty. Yes, courage is needed for this. Continue to check your face to see whether there are any vices in you. If you don’t understand something, you can ask the seniors and have any doubts removed. If a teacher is not able to remove your doubts, then ask Baba. As yet, there are still many things that you children have to understand. Baba will continue to explain to you for as long as you live. To answer their question, you can tell them that you are still studying and that you will ask Baba about it. Or, tell them that Baba has not yet explained that point, that He will explain it in the future and they can ask about it then. Many points continue to emerge. Some ask what will happen about the war. Baba is Trikaldarshi. He can explain. However, tell them that Baba has not yet explained that aspect and that you will put in an application to Him, but that it is up to Him. You should free yourself in this way. Baba asked some children a question in the garden: Baba is the Ocean of Knowledge, so He has to dance the dance of knowledge. Achcha, when Shiv Baba plays the part of fulfilling everyone’s desires on the path of devotion, does He think at that time that He has to go to Bharat at the confluence age and teach you children Raja Yoga and that He has to make you into the masters of heaven? Does this thought arise at that time or does it arise when it is the time for Him to come? Baba thinks that there probably will not be this thought. Although this knowledge is merged in Him, it will only emerge when it is the time for Him to come, just as the parts of 84 births are merged in you. It is said that God had the thought of creating a new world. That thought will come when it is the right time. He too is bound by the drama. These are very deep matters. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Night Class: 13/01/69
When you children come and sit here, Baba asks you: Children, are you remembering Shiv Baba? Then, do you also remember the kingdom of the world? The name of the unlimited Father is Shiva. Many different names are given to Him, because of the many languages. For example, there is a temple called Babulnath (Lord of Thorns) in Bombay, because He transforms thorns into flowers. There are flowers in the golden age, whereas here all are thorns. Therefore, Baba asks the spiritual children: For how long do you stay in remembrance of the unlimited Father? His name is Shiva, the Benefactor. The more you remember Him, the more your sins of innumerable births will be absolved. There is no sin in the golden age. That is the world of pure charitable souls whereas this is the world of sinful souls. It is the five vices that make you commit sin. Ravan does not exist in the golden age. He is the enemy of the whole world. At this time, it is the kingdom of Ravan over the whole world. All are unhappy and tamopradhan. This is why Baba says: Children, remember Me alone. These words are from the Gita. The Father Himself says: Renounce the consciousness of your bodies and bodily relations and remember Me alone. At first, you were in relationships of happiness and you then came into the bondage of Ravan. Now, once again, you have to go into relationships of happiness. Consider yourselves to be souls and remember the Father. The Father gives these teachings at the confluence age. The Father Himself says: I am the Resident of the supreme region. I have entered this body in order to explain to you. The Father says: You cannot come to Me without first becoming pure. Now, how will you become pure? Simply remember Me. Even on the path of devotion, there were those who worshipped Me alone. That is called unadulterated worship. Now, I am the Purifier. Therefore remember Me and the sins of your innumerable births will be absolved. There are the sins of 63 births. Sannyasis can never teach Raja Yoga. Only the Father can teach it. In fact, all of those scriptures and devotion etc. are for householders. Sannyasis go and sit in the jungles and remember the brahm element. Now, the Father says: I am the One who grants salvation to all. Therefore, remember Me and you will become like Lakshmi and Narayan. The aim and objective is in front of you. The more you study and teach others, the higher the status you will claim in the kingdom of deities. Alpha is the one Father. A creation cannot receive an inheritance from a creation. That is the unlimited Father and He therefore gives the unlimited inheritance. In the golden age, you will be in salvation whereas all the rest of the souls will have returned home. The words ‘liberation’, ‘liberation-in-life’ and ‘salvation’ are for the land of peace and the land of happiness. You cannot go back home without having remembrance of the Father. Souls definitely have to become pure. Here, all are atheists: they do not know the Father. You have now become theists. It is said that those whose intellects have no love for God are destroyed. It is now the time for destruction. The cycle definitely has to turn. Those whose intellects have love for God become victorious. The Father explains everything in a very simple manner, but Maya, Ravan makes you forget. It is now the end of this old world. That is the land of immortality; there is no untimely death there. We say to the Father: Come and take us all back with You. Therefore, He is the Death of all Deaths. The tree is very small in the golden age. The tree is now very big. What is the occupation of Brahma and Vishnu? Vishnu is called a deity. Brahma does not have any jewellery etc. There is no Brahma, Vishnu or Shankar there. The Father of Humanity, Brahma, is here. You only receive visions in the subtle region. There are the corporeal, the subtle and the incorporeal. There is ‘movie’ in the subtle region. This is something to be understood. This is the Gita Pathshala where you study Raja Yoga. It is Shiv Baba who is teaching you and so it is surely Shiv Baba who should be remembered. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good night. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. You have received the lottery of limitless happiness at the time of sorrow. Have true love for the one Father. Remember Him and remain constantly happy.
2. Become as incorporeal and egoless as BapDada. Have courage and conquer the vices. Claim your kingdom with your power of yoga.
Blessing:May you become a number one embodiment of success who gives the experience of the stage of being loving and detached by being a co-charioteer.
A co-charioteer means one who has soul consciousness. With this method, Father Brahma claimed number one success. The Father enters by controlling the body and becomes a co-charioteer. He is not dependent on the body and this is why He is detached and loving. In the same way, you Brahmin souls also remain stable in the stage of a co-charioteer, like the Father. While walking and moving along, check: Am I in the stage of a co-charioteer, that is, am I stable in a loving and detached stage and making the body function? It is only with this method that you will become a number one embodiment of success.
Slogan:Remain obedient to the Father and incognito blessings will continue to help you at times of need.
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