Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Nov - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Nov-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali 1st Nov 2018 | 107807 | 2018-12-19 02:03:55 | |
2 | Murali 02-Nov-2018 | 132943 | 2018-12-19 02:03:55 | |
3 | Murali 03-Nov-2018 | 128264 | 2018-12-19 02:03:55 | |
4 | Murali 04-Nov-2018 | 144078 | 2018-12-19 02:03:55 | |
5 | Murali 05-Nov-2018 | 130306 | 2018-12-19 02:03:55 | |
6 | Murali 06-Nov-2018 | 127941 | 2018-12-19 02:03:55 | |
7 | Murali 07-Nov-2018 | 126732 | 2018-12-19 02:03:55 | |
8 | Murali 08-Nov-2018 | 119781 | 2018-12-19 02:03:55 | |
9 | Murali 09-Nov-2018 | 119694 | 2018-12-19 02:03:55 | |
10 | Murali 10-Nov-2018 | 132633 | 2018-12-19 02:03:55 | |
11 | Murali 11-Nov-2018 | 135035 | 2018-12-19 02:03:55 | |
12 | Murali 12-Nov-2018 | 125277 | 2018-12-19 02:03:55 | |
13 | Murali 13-Nov-2018 | 126007 | 2018-12-19 02:03:55 | |
14 | Murali 14-Nov-2018 | 105753 | 2018-12-19 02:03:55 | |
15 | Murali 15-Nov-2018 | 114187 | 2018-12-19 02:03:55 | |
16 | Murali 16-Nov-2018 | 118921 | 2018-12-19 02:03:55 | |
17 | Murali 17-Nov-2018 | 129415 | 2018-12-19 02:03:55 | |
18 | Murali 18-Nov-2018 | 138287 | 2018-12-19 02:03:55 | |
19 | Murali 19-Nov-2018 | 127282 | 2018-12-19 02:03:56 | |
20 | Murali 20-Nov-2018 | 132762 | 2018-12-19 02:03:56 | |
21 | Murali 21-Nov-2018 | 126535 | 2018-12-19 02:03:56 | |
22 | Murali 22-Nov-2018 | 124513 | 2018-12-19 02:03:56 | |
23 | Murali 23-Nov-2018 | 114180 | 2018-12-19 02:03:56 | |
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Details ( Page:- Murali 19-Nov-2018 )
19-11-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - ज्ञान योग की शक्ति से वायुमण्डल को शुद्ध बनाना है, स्वदर्शन चक्र से माया पर जीत पानी है''
प्रश्नः-किस एक बात से सिद्ध हो जाता है कि आत्मा कभी भी ज्योति में लीन नहीं होती?
उत्तर:-
कहते हैं बनी बनाई बन रही........ तो जरूर आत्मा अपना पार्ट रिपीट करती है। अगर ज्योति ज्योत में लीन हो जाए तो पार्ट समाप्त हो गया फिर अनादि ड्रामा कहना भी ग़लत हो जाता है। आत्मा एक पुराना चोला छोड़ दूसरा नया लेती है, लीन नहीं होती।
गीत:-ओ दूर के मुसाफिर........
ओम् शान्ति।
अब जो योगी और ज्ञानी बच्चे हैं, जो औरों को समझा सकते हैं, वह इस गीत का अर्थ यथार्थ रीति समझ सकते हैं। जो भी मनुष्य मात्र हैं सब कब्रदाखिल हैं। कब्रदाखिल उनको कहा जाता है जिनकी ज्योति उझाई हुई होती है, जो तमोप्रधान हैं। जिन्होंने स्थापना की है और जन्म बाई जन्म पालना अर्थ निमित्त बने हुए हैं, उन सबने अपने जन्म पूरे कर लिए हैं। आदि से लेकर अन्त तक किस-किस धर्म की स्थापना हुई है - हिसाब निकाल सकते हैं। हद का जो नाटक होता है उसमें भी मुख्य ड्रामा के क्रियेटर, डायरेक्टर, एक्टर जो होते हैं, उनका ही मान होता है। कितनी प्राइज़ मिलती है। जलवा दिखलाते हैं ना। तुम्हारा फिर है ज्ञान-योग का जलवा। अब मनुष्यों को यह तो पता नहीं है कि मौत सामने है, हम इस ड्रामा में कितने जन्म लेते हैं, कहाँ से आते हैं? डिटेल सभी जन्मों को तो हम-तुम नहीं जान सकते हैं। बाकी इस समय हमारा भविष्य के लिए पुरुषार्थ चल रहा है। देवता तो बनेंगे परन्तु किस पद को पायेंगे, उसके लिए पुरुषार्थ करना है। तुम जानते हो इन लक्ष्मी-नारायण ने 84 जन्म लिए हैं। अब यह जरूर राजा-रानी बनेंगे। फीचर्स भी जानते हैं। प्रैक्टिकल में साक्षात्कार कराते हैं। भक्ति मार्ग में भी साक्षात्कार होते हैं। वह तो जिसका ध्यान करते हैं उनका साक्षात्कार होता है। चित्र कृष्ण का सांवरा देखा, उसका ध्यान करेंगे तो ऐसा साक्षात्कार हो जायेगा। बाकी कृष्ण ऐसा सांवरा है नहीं। मनुष्यों को इन बातों का ज्ञान तो कुछ भी रहता नहीं है। अभी तुम प्रैक्टिकल में हो। सूक्ष्म वतन में भी देखते हो, बैकुण्ठ में भी देखते हो। आत्मा और परमात्मा का ज्ञान है। आत्मा का ही साक्षात्कार होता है। यहाँ तुम जो साक्षात्कार करते हो उसकी तुम्हारे पास नॉलेज है। बाहर वालों को भल आत्मा का साक्षात्कार होता है परन्तु नॉलेज नहीं है। वह तो आत्मा सो परमात्मा कह देते हैं। आत्मा स्टॉर तो बरोबर है ही। यह तो बहुत दिखाई पड़ते हैं। जितने मनुष्य हैं उतनी आत्मायें हैं। मनुष्यों के शरीर इन आंखों से देखने में आते हैं। आत्मा को दिव्य दृष्टि द्वारा देखा जा सकता है। मनुष्यों के रंग-रूप भिन्न-भिन्न हैं, आत्मायें भिन्न-भिन्न नहीं, सब एक जैसी ही हैं। सिर्फ पार्ट हर आत्मा का भिन्न-भिन्न है। जैसे मनुष्य छोटे-बड़े होते हैं वैसे आत्मा छोटी-बड़ी नहीं होती है। आत्मा की साईज़ एक ही है। अगर आत्मा ज्योति में लीन हो जाए तो पार्ट रिपीट कैसे करेगी? गाया भी जाता है बनी बनाई बन रही..... यह अनादि वर्ल्ड ड्रामा चक्र लगाता रहता है। यह तुम बच्चे जानते हो। मच्छरों सदृश्य आत्मायें वापस जाती हैं। मच्छरों को तो इन आंखों से देखा जाता है। आत्मा को दिव्य दृष्टि बिना देख नहीं सकते। सतयुग में तो आत्मा के साक्षात्कार की दरकार नहीं रहती। समझते हैं कि हम आत्मा को एक पुराना शरीर छोड़ दूसरा नया लेना है। परमात्मा को तो जानते ही नहीं। अगर परमात्मा को जानते तो सृष्टि चक्र को भी जानना चाहिए।
तो गीत में कहते हैं - हमको भी साथ ले लो। पिछाड़ी में बहुत पछताते हैं। सबको निमंत्रण मिलता है। कितनी युक्तियां बन रही हैं निमंत्रण देने की।
पीस-पीस तो सब कहते हैं लेकिन पीस का अर्थ कोई भी समझते नहीं हैं। पीस कैसे होती है, वह तुम जानते हो। जैसे घानी में सरसों पीस जाते हैं वैसे सबके शरीर विनाश में ख़त्म हो जाते हैं। आत्मायें नहीं पीसेंगी। वह तो चली जायेंगी। ऐसे लिखा हुआ भी है कि आत्मायें मच्छरों सदृश्य भागती हैं। ऐसे तो नहीं सब परमात्मायें भागेंगे। मनुष्य कुछ भी समझते नहीं। आत्मा और परमात्मा में क्या भेद है, यह भी नहीं जानते। कहते हैं हम सब भाई-भाई हैं तो भाई-भाई होकर रहना चाहिए। उनको यह पता नहीं है कि सतयुग में भाई-भाई अथवा भाई-बहन सब आपस में क्षीरखण्ड होकर चलते हैं। वहाँ लूनपानी की बात ही नहीं है। यहाँ देखो अभी-अभी क्षीरखण्ड हैं, अभी-अभी लूनपानी हो जाते हैं। एक तरफ कहते हैं चीनी-हिन्दू भाई-भाई फिर उनका बुत बनाकर आग लगाते रहते हैं। जिस्मानी भाई-भाई की यह हालत देखो। रूहानी सम्बन्ध को तो जानते नहीं। तुमको बाप समझाते हैं अपने को आत्मा समझना है। देह-अभिमान में फंसना नहीं है। कोई-कोई देह-अभिमान में फँस पड़ते हैं। बाप कहते हैं देह सहित देह के जो भी सम्बन्ध हैं, सबको छोड़ना है। यह मकान आदि सब भूलो। वास्तव में तुम परमधाम निवासी हो। अभी-अभी फिर वहाँ चलना है, जहाँ से पार्ट बजाने आये हैं, फिर हम तुमको सुख में भेज देंगे। तो बाप कहते हैं लायक बनना है। गॉड किंगडम स्थापन कर रहे हैं। क्राइस्ट की कोई किंगडम नहीं थी। वह तो बाद में जब लाखों क्रिश्चियन बने होंगे तब अपनी किंगडम बनाई होगी। यहाँ तो फट से सतयुगी राजाई बन जाती है। कितनी सहज बात है। बरोबर भगवान् ने आकर स्थापना की है। कृष्ण का नाम डालने से सारा घोटाला कर दिया है। गीता में है प्राचीन राजयोग और ज्ञान। वह तो प्राय:लोप हो जाता है। अंग्रेजी अक्षर अच्छे हैं। तुम कहेंगे बाबा अंग्रेजी नहीं जानते। बाबा कहते हैं मैं कहाँ तक सब भाषायें बैठ बोलूंगा। मुख्य है ही हिन्दी। तो मैं हिन्दी में ही मुरली चलाता हूँ। जिसका शरीर धारण किया है वह भी हिन्दी ही जानता है। तो जो इनकी भाषा है वही मैं भी बोलता हूँ। और कोई भाषा में थोड़ेही पढ़ाऊंगा। मैं फ्रैन्च बोलूँ तो यह कैसे समझेगा? मुख्य तो इनकी (ब्रह्मा की) बात है। इनको तो पहले समझना है ना। दूसरे कोई का शरीर थोड़ेही लेंगे।
गीत में भी कहते हैं मुझे ले चलो क्योंकि बाप और बाप के घर का तो किसको भी पता नहीं है। गपोड़ा मारते रहते हैं। अनेक मनुष्यों की अनेक मतें हैं इसलिए सूत मूंझा हुआ है। बाप देखो कैसे बैठे हुए हैं। यह चरण किसके हैं? (शिवबाबा के) वह तो हमारे हैं ना। मैंने लोन दिया है। शिवबाबा तो टैप्रेरी यूज़ करते हैं। वैसे यह चरण तो मेरे हैं ना। शिव के मन्दिर में चरण नहीं रखते हैं। चरण कृष्ण के रखते हैं। शिव तो है ऊंच ते ऊंच, तो उनके चरण कहाँ से आये। हाँ, शिवबाबा ने उधार लिया है। चरण तो ब्रह्मा के ही हैं। मन्दिरों में बैल दिखाया है। बैल पर सवारी कैसे होगी? बैल पर शिवबाबा कैसे चढ़ेंगे? सालिग्राम आत्मा सवारी करती है मनुष्य के तन पर। बाप कहते हैं मैं जो तुमको ज्ञान सुनाता हूँ वह प्राय:लोप हो गया है। आटे में नमक मिसल रह गया है। उसको कोई भी समझ नहीं सकते। मैं ही आकर उसका सार समझाता हूँ। मैंने ही श्रीमत देकर सृष्टि चक्र का राज़ समझाया था, उन्होंने फिर देवताओं को स्वदर्शन चक्र दिखा दिया है। उनके पास तो ज्ञान है नहीं। यह है सारी ज्ञान की बात। आत्मा को सृष्टि चक्र की नॉलेज मिलती है जिससे माया का सिर काटा जाता है। उन्होंने फिर स्वदर्शन चक्र असुरों के पिछाड़ी फेंकते हुए दिखाया है। इस स्वदर्शन चक्र से तुम माया पर जीत पाते हो। कहाँ की बात कहाँ ले गये हैं। तुम्हारे में भी कोई बिरले यह बातें धारण कर और समझा सकते हैं। नॉलेज है ऊंची। उसमें समय लगता है। पिछाड़ी में तुम्हारे में ज्ञान और योग की शक्ति रहती है। यह ड्रामा में नूंध है। उन्हों की बुद्धि भी नर्म होती जाती है। तुम वायुमण्डल को शुद्ध करते हो। कितना यह गुप्त ज्ञान है। लिखा हुआ है अजामिल जैसे पापियों का उद्धार किया परन्तु उसका अर्थ भी समझते नहीं। वह समझते हैं कि ज्योति ज्योत में समा गया। सागर में लीन हो गया। पांच पाण्डव हिमालय में गल गये। प्रलय हो गई। एक तरफ दिखाते हैं वह राजयोग सीखे फिर प्रलय दिखा दी है और फिर दिखाते हैं कि कृष्ण अंगूठा चूसता हुआ पीपल के पत्ते पर आया। उसका भी अर्थ नहीं समझते। वह तो गर्भ महल में था। अंगूठा तो बच्चे चूसते हैं। कहाँ की बात कहाँ लगा दी है। मनुष्य तो जो सुनते वह सत-सत कहते रहते हैं।
सतयुग को कोई जानते नहीं। झूठ उनको कहा जाता है जो चीज़ होती ही नहीं। जैसे कहते हैं परमात्मा का नाम-रूप है ही नहीं। परन्तु उनकी तो पूजा करते रहते हैं। तो परमात्मा है अति सूक्ष्म। उन जैसी सूक्ष्म चीज़ कोई है नहीं। एकदम बिन्दी है। सूक्ष्म होने कारण ही कोई जानते नहीं। भल आकाश को भी सूक्ष्म कहा जाता है परन्तु वह तो पोलार है। 5 तत्व हैं। 5 तत्वों के शरीर में आकर प्रवेश करते हैं। वह कितनी सूक्ष्म चीज़ है। एकदम बिन्दी है। स्टॉर कितना छोटा है। यहाँ परमात्मा स्टॉर बाजू में आकर बैठे तब तो बोल सके। कितनी सूक्ष्म बातें हैं। मोटी बुद्धि वाले तो जरा भी समझ न सकें। बाप कितनी अच्छी-अच्छी बातें समझाते हैं। ड्रामा अनुसार जो कल्प पहले पार्ट बजाया है, वही बजाते हैं। बच्चे समझते हैं बाबा रोज़ आकर नई-नई बातें सुनाते हैं, तो नया ज्ञान होगा ना। तो रोज़ पढ़ना पड़े। रोज़ कोई नहीं आते हैं तो फ्रैन्ड के पास जाकर पूछते हैं कि आज क्लास में क्या हुआ? यहाँ तो कोई पढ़ना ही छोड़ देते हैं। बस, कह देते हैं अविनाशी ज्ञान रत्नों का वर्सा नहीं चाहिए। अरे, पढ़ना छोड़ा तो तुम्हारा क्या हाल होगा? बाप से वर्सा क्या लेंगे? बस, तकदीर में नहीं है। यहाँ स्थूल मिलकियत की तो कोई बात नहीं है, ज्ञान का खजाना बाप से मिलता है। वह मिलकियत आदि तो सब कुछ विनाश होना है, उसका नशा कोई रख न सके। बाप से ही वर्सा मिलना है। तुम्हारे पास भल करोड़ों की मिलकियत है, वह भी मिट्टी में मिल जानी है। इस समय की ही सारी बात है। यह भी लिखा हुआ है किसकी दबी रहेगी धूल में, किसकी जलाये आग........ इस समय की बातें पिछाड़ी में चली आती हैं। विनाश तो अभी होना है। विनाश के बाद फिर है स्थापना। अभी वह स्थापना कर रहे हैं। वह है अपनी राजधानी। तुम दूसरों के लिए नहीं करते हो, जो कुछ करेंगे वह अपने लिए। जो श्रीमत पर चलेगा वह मालिक बनेगा। तुम तो नये विश्व में नये भारत के मालिक बनते हो। नई विश्व अर्थात् सतयुग में तुम मालिक थे। अभी यह पुराना युग है फिर तुमको पुरुषार्थ कराया जाता है नई दुनिया के लिए। कितनी अच्छी-अच्छी बातें समझने की हैं। आत्मा और परमात्मा का ज्ञान, सेल्फ रियलाइजेशन। सेल्फ का फादर कौन है? बाप कहते हैं मैं आता हूँ तुम आत्माओं को सिखलाने। अब फादर को रियलाइज किया है फादर द्वारा। बाप समझाते हैं तुम हमारे सिकीलधे बच्चे हो। कल्प के बाद फिर से आकर मिले हो वर्सा लेने के लिए। तो पुरुषार्थ करना चाहिए ना। नहीं तो बहुत पछताना होगा, बहुत सजा खानी पड़ेगी। जो बच्चे बनकर और फिर कुकर्म करते हैं, उनकी तो बात मत पूछो। ड्रामा में देखो बाबा का कितना पार्ट है। सब कुछ दे दिया। बाबा फिर कहते हैं भविष्य 21 जन्मों के लिए रिटर्न दूंगा। आगे तुम इनडायरेक्ट देते थे तो भविष्य में एक जन्म के लिए देता था। अभी डायरेक्ट देते हो तो भविष्य 21 जन्मों के लिए इन्श्योर कर देता हूँ। डायरेक्ट, इनडायरेक्ट में कितना फ़र्क है। वह द्वापर-कलियुग के लिए इन्श्योर करते हैं ईश्वर को। तुम सतयुग-त्रेता के लिए इन्श्योर करते हो। डायरेक्ट होने के कारण 21 जन्मों के लिए मिलता है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अविनाशी बाप से अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना ले तकदीरवान बनना है। नया ज्ञान, नई पढ़ाई रोज़ पढ़नी है। वायुमण्डल को शुद्ध बनाने की सेवा करनी है।
2) भविष्य 21 जन्मों के लिए अपना सब कुछ इन्श्योर कर देना है। बाप का बनने के बाद कोई भी कुकर्म नहीं करना है।
वरदान:-ज्ञान अमृत की वर्षा द्वारा मुर्दे से महान बनने वाले मरजीवा भव
पहले चिंताओं की चिता पर जल रहे थे, अभी बाप ने ज्ञान अमृत की वर्षा कर जलती हुई चिता से मरजीवा बना दिया। जिंदा कर दिया। बाप ने अमृत पिलाया और अमर बना दिया। पहले मरे हुए मुर्दे के समान थे और अब मुर्दे से महान बन गये। पहले कहते थे भगवान मुर्दे को भी जिंदा करता है लेकिन कैसे करता है, वह नहीं जानते थे, अभी खुशी है कि बाप ने हमें अब जलती हुई चिता से उठाकर अमर बना दिया।
स्लोगन:-धर्म में स्थित हो कर्म करने वाले ही धर्मात्मा हैं।
19/11/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, purify the atmosphere with the power of gyan and yoga. Conquer Maya with the discus of self-realisation.
Question:
Which one aspect proves that souls never merge into the light?
Answer:
It is said: That which is predestined is taking place. Therefore, each soul surely repeats his part. If you say that the light merges into the light, the part would also come to an end. In that case, it would be wrong to say that the drama is eternal. A soul sheds an old costume and takes a new one; it does not merge into anything.
Song:
O Traveller of the faraway land!
Om Shanti
The children who are yogi and gyani and are able to explain the meaning of this song to others must understand the meaning of it accurately. All human beings are buried in the graveyard. Those whose lights have become extinguished and who are tamopradhan are said to be buried in the graveyard. Those who carried out establishment and who were instruments for sustenance for birth after birth have now completed all their births. You can calculate which religions have been established from the beginning to the end. In limited plays, there is regard mainly for the creator, the director and the principal actor of the play. They receive so many prizes; they show their splendour. Your splendour is that of knowledge and yoga. People don't know that death is just ahead of them or how many births they take in this drama or where they come from. You and I can’t know the details of all the births. However, at this time, we are making effort for the future. You will become deities, but what status will you claim? You have to make effort for that. You know that Lakshmi and Narayan have taken 84 births. They will definitely become the King and Queen. You know their features. Baba gives you visions in a practical way. Even on the path of devotion people have visions; they have visions of whomever they meditate on. If they look at a picture of the bluish Krishna and they meditate on that, the vision they have will be of that one. However, Krishna isn't like that. People don't have any knowledge of these things. You are now here in the practical form. You see him in the subtle region and also in Paradise. You have the knowledge of souls and of God. People only have visions of a soul. You have knowledge of everything you have a vision of. Although people outside have visions of a soul, they don't have knowledge of it. They say that each soul is the Supreme Soul. A soul is truly a star. Many of those are visible. There are as many souls as there are human beings. The body of a person is visible with these eyes but the soul can be seen with divine vision. People have different features, but souls are not different; all are the same. It is just that the part of every soul is different. Human beings are big or small whereas souls are not bigger or smaller; the size of souls is the same. If a soul were to merge into the light, how would he repeat his part? It is remembered that that which was destined is taking place. This eternal world drama continues to rotate. You children know this. Souls return home like mosquitoes. Mosquitoes can be seen with these eyes. Souls cannot be seen except through divine vision. In the golden age, there is no need to have a vision of souls. There, you understand that you, the soul, have to shed an old body and take another new one. They don't know God at all. If they were to know God, they would also know the world cycle. In the song, it says: Also take me with You. At the end, they repent a great deal. Everyone receives an invitation. So many methods are invented to give them an invitation. Everyone speaks of peace, but no one understands the meaning of peace. You know how peace can be achieved. Just as mustard seeds are crushed in a mortar with a pestle, in the same way, everyone's body will be destroyed in destruction. Souls will not be crushed; they will return home. It is written that souls run away like mosquitoes. It isn’t that all Supreme Souls will run away! People don't understand anything. They don’t know what the difference is between souls and the Supreme Soul. They say that they are all brothers, and so they should live like brothers. They don’t know that in the golden age all brothers and all brothers and sisters live together like milk and sugar. There is no question of salt water there. Here, one moment, they are like milk and sugar and the next moment, they become like salt water. On the one hand, they say that the Chinese and the Hindus are brothers and then they make effigies and continue to burn them. Look at the condition of physical brothers! They don’t know about spiritual relationships at all. The Father explains to you: You have to consider yourselves to be souls. You mustn't become trapped in body consciousness. Some people become trapped in body consciousness. The Father says: You have to renounce all the relationships of the body, including your own body. Forget this building etc. Originally, you are residents of the supreme abode. You now have to return to where you came from to play your parts. Then I will send you into happiness. So the Father says: You have to become worthy. God is establishing a kingdom. Christ did not have a kingdom. It was later when there were hundreds of thousands of Christians that they would have created their kingdom. Here, the golden-aged kingdom is created instantly. It is such an easy matter. Truly, God came and carried out establishment. By inserting Krishna’s name, they have confused everything. Ancient Raja Yoga and knowledge are mentioned in the Gita. They disappear. The English words are good. You would say that Baba doesn't know English. Baba says: To what extent would I sit and speak in all the languages? The main language is Hindi. So, I speak the murli in Hindi. The one whose body I have adopted also speaks Hindi. Therefore, I also speak the same language that he speaks. I would not teach you in any other language. If I were to speak French, how would this one understand? The main question is about this one (Brahma). He has to understand first. I would not take the body of anyone else. It also says in the song: “Take me with You.” No one knows about the Father or His home. They continue to tell lies. There are innumerable opinions of all the people and this is why the thread has become tangled. Look how the Father is sitting here! Whose feet are these? (Shiv Baba's.) They are my feet; I have given them on loan. Shiv Baba only uses them temporarily, but otherwise they are my feet. They don't show feet in the Shiva Temple; they show Krishna’s feet. Shiva is the Highest on High, and so where could His feet come from? Yes, Shiv Baba has taken them on loan, but they are Brahma's feet. They have shown a bull in the temples. How could He ride a bull? How would Shiv Baba sit on a bull? The saligram soul rides the human body. The Father says: The knowledge that I spoke to you has disappeared. It remains just like a pinch of salt in a sackful of flour. No one can understand it. I Myself come and speak the essence of it to you. I gave you shrimat and explained the secrets of the world cycle to you, and they then gave the discus of self-realisation to the deities. They don't have any knowledge. All of these things are matters of knowledge. Souls receive knowledge of the world cycle with which Maya’s head is cut off. They have then shown the discus of self-realisation being thrown at devils. You gain victory over Maya with this discus of self-realisation. They have taken the things of one time period into another. Amongst you too, scarcely a few are able to imbibe these things and then relate them to others. The knowledge is elevated and it takes time. At the end, there will just be the powers of knowledge and yoga in you. This is fixed in the drama. Their intellects are continuing to become soft. You are purifying the atmosphere. This knowledge is so incognito. It is written that sinners like Ajamil were also uplifted, but no one understands the meaning of that. They believe that souls merge into the light or that they merged into the ocean, that the five Pandavas melted on the Himalayas and that annihilation took place. On the one hand, they have shown that they studied Raja Yoga and they have then shown annihilation. Then they have shown Krishna coming, floating on a pipal leaf sucking his thumb. They don't understand the meaning of that either. That was the palace of a womb. A baby would be sucking his thumb. They have taken the things of one place somewhere else. People continue to say "It’s true, it’s true" to whatever is said. No one knows the golden age. Anything that doesn't exist is said to be false. For instance, they say that God doesn't have a name or form, but they continue to worship Him. So, God is extremely subtle. There isn't anything as subtle as He is. He is an absolutely tiny point. It is because He is so subtle that no one knows Him. Although the sky is also said to be subtle, it is called space. There are the five elements. He comes and enters a body of the five elements. He is so subtle. He is an absolutely tiny point. A star is so tiny. Only when God, the Star, comes and sits next to this one can He speak. These are such subtle matters. Those with gross intellects cannot understand anything. The Father explains such good things. According to the drama, whatever part He played in the previous cycle, He is playing that part now. You children understand that Baba comes every day and tells us new points. Therefore, that would be new knowledge, would it not? So, you have to study every day. When a student doesn't go to class every day, he asks his friend what happened in class that day. Here, some completely stop studying. That's it! They simply say that they don't want their inheritance of the imperishable jewels of knowledge. Oh, but what will become of you if you stop studying? What inheritance will you receive from the Father? That's it! It isn't in their fortune. Here, it is not a question of physical property. You receive the treasures of knowledge from the Father. All of that property is going to be destroyed. No one can have intoxication about that. Only from the Father will you receive your inheritance. Although you have property worth millions, all of it is also going to turn to dust. All of that refers to the present time. It is also written: Some people's wealth will remain buried underground, some people's wealth will be burnt… The things of the present time then continue to happen until the end. Destruction now has to take place. After destruction, there will be establishment. Establishment is now taking place. That is our kingdom. You are not doing anything for anyone else; whatever you do, you are doing that for yourself. Those who follow shrimat will become the masters. You become the masters of the new Bharat in the new world. You were the masters in the new world, that is, in the golden age. This is now the old age and you are inspired to make effort for the new world. These are such good things to understand. This is knowledge of souls and the Supreme Soul: self-realisation. Who is the Father of the self? The Father says: I come to teach you souls. You have now realised the Father through the Father. The Father explains: You are My long-lost and now-found children. You have come and met Me again after a cycle in order to claim your inheritance. So you should make effort, should you not? Otherwise, you will have to repent a great deal and there will have to be a lot of punishment. Don't even ask about those who become children and then perform wrong actions! Look how much Baba’s part is in the drama! He gave away everything. Baba then says: I will give you the return in the future for 21 births. Previously, you would give indirectly and so I would give you the return of that for just one future birth. You are now giving directly and so I insure it for you for 21 births. There is so much difference between direct and indirect. Those people insure themselves with God for the copper and iron ages. You insure everything for the golden and silver ages. Because it is direct, you receive the return for 21 births. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, numberwise, according to the effort you make, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Take the treasure of the imperishable jewels of knowledge from the eternal Father and become fortunate. Study the new knowledge and the new study every day. Do the service of making the atmosphere pure.
2. Insure everything of yours for your future 21 births. After belonging to the Father, don't perform any wrong actions.
Blessing:May you die alive and by being showered with the nectar of knowledge become great from being a corpse.
[font=Calibri]Previously, you were burning on a pyre of worries but the Father has now showered you with the nectar of knowledge and made you die alive. He has brought you from the burning pyre back to life. The Father gave you nectar to drink and made you immortal. Previously, you were like a dead corpse and now, you have become great from being a corpse. Previously, people used to say that God made corpses come back to life but they didn’t know how He did that. Now you have the happiness that the Father has lifted you off from the burning pyre and made you immortal.[/font]
Slogan:Those who remain stable in their religion and perform actions are righteous souls.
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