Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali 1st Oct 2018 | 113370 | 2018-11-13 01:33:45 | |
2 | Murali 02- Oct 2018 | 132948 | 2018-11-13 01:33:45 | |
3 | Murali 03-Oct-2018 | 125177 | 2018-11-13 01:33:45 | |
4 | Murali 04-Oct-2018 | 118934 | 2018-11-13 01:33:45 | |
5 | Murali 05-Oct-2018 | 133374 | 2018-11-13 01:33:45 | |
6 | Murali 06-Oct-2018 | 133043 | 2018-11-13 01:33:45 | |
7 | Murali 07-Oct-2018 | 135426 | 2018-11-13 01:33:45 | |
8 | Murali 08-Oct-2018 | 118475 | 2018-11-13 01:33:45 | |
9 | Murali 09-Oct-2018 | 113426 | 2018-11-13 01:33:46 | |
10 | Murali 10-Oct-2018 | 123819 | 2018-11-13 01:33:46 | |
11 | Murali 11-Oct-2018 | 133485 | 2018-11-13 01:33:46 | |
12 | Murali 12th Oct 2018 | 12264 | 2018-11-13 01:33:46 | |
13 | Murali 13th Oct 2018 | 120124 | 2018-11-13 01:33:46 | |
14 | Murali 14th Oct 2018 | 132308 | 2018-11-13 01:33:46 | |
15 | Murali 15th Oct 2018 | 124161 | 2018-11-13 01:33:46 | |
16 | Murali 16th Oct 2018 | 128293 | 2018-11-13 01:33:46 | |
17 | Murali 17th Oct 2018 | 120298 | 2018-11-13 01:33:46 | |
18 | Murali 18th Oct 2018 | 118916 | 2018-11-13 01:33:46 | |
19 | Murali 19th Oct 2018 | 117510 | 2018-11-13 01:33:46 | |
20 | Murali 20th Oct 2018 | 117518 | 2018-11-13 01:33:46 | |
21 | Murali 21st Oct 2018 | 130603 | 2018-11-13 01:33:46 | |
22 | Murali 22nd Oct 2018 | 135192 | 2018-11-13 01:33:46 | |
23 | Murali 23rd Oct 2018 | 113654 | 2018-11-13 01:33:46 | |
24 | Murali 24th Oct 2018 | 128826 | 2018-11-13 01:33:46 | |
25 | Murali 25th Oct 2018 | 124802 | 2018-11-13 01:33:46 | |
26 | Murali 26th Oct 2018 | 117905 | 2018-11-13 01:33:46 | |
27 | Murali 27th Oct 2018 | 125168 | 2018-11-13 01:33:46 | |
28 | Murali 28th Oct 2018 | 105833 | 2018-11-13 01:33:46 | |
29 | Murali 29th Oct 2018 | 124953 | 2018-11-13 01:33:46 | |
30 | Murali 30th Oct 2018 | 235865 | 2018-11-13 01:33:46 |
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Details ( Page:- Murali 24th Oct 2018 )
24-10-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - प्रभात के समय मन-बुद्धि से मुझ बाप को याद करो, साथ-साथ भारत को दैवी राजस्थान बनाने की सेवा करो''
प्रश्नः-सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ किस आधार पर मिलती है?
उत्तर:-
सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ लेना है तो बाप का पूरा मददगार बनो, श्रीमत पर चलते रहो। आशीर्वाद नहीं मांगनी है लेकिन योगबल से आत्मा को पावन बनाने का पुरुषार्थ करना है। देह सहित देह के सब सम्बन्धों को त्याग एक मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो तो तुम्हें सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ मिल जायेगी। उसमें पीस, प्योरिटी, प्रासपर्टी सब कुछ होगा।
गीत:-आखिर वह दिन आया आज.........
ओम् शान्ति।
ओम् शान्ति का अर्थ तो तुम बच्चों की बुद्धि में रहता ही है। बाप जो समझाते हैं वह इस दुनिया में सिवाए तुम्हारे और किसको समझ में नहीं आयेगा। वह ऐसे समझेंगे जैसे कोई मेडिकल कॉलेज में नया जाकर बैठे तो कुछ समझ न सके। ऐसे कोई सतसंग होता नहीं, जहाँ मनुष्य जाये और कुछ न समझे। वहाँ तो है ही शास्त्र आदि सुनाने की बातें। यह है बड़े ते बड़ी कॉलेज। नई बात नहीं है। फिर से वह दिन आया आज, जबकि बाप बैठ बच्चों को राजयोग सिखलाते हैं। इस समय भारत में राजाई तो है नहीं। तुम इस राजयोग से राजाओं का राजा बनते हो अर्थात् तुम जानते हो कि जो विकारी राजायें हैं उनके भी हम राजा बन रहे हैं। बुद्धि मिली है। जो कोई कर्म करते हैं वह बुद्धि में रहता है ना। तुम वारियर्स हो, जानते हो हम आत्मायें अब बाप के साथ योग रखने से भारत को पवित्र बनाते हैं और चक्र के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज धारण कर हम चक्रवर्ती राजा बन रहे हैं। यह बुद्धि में रहना चाहिए। हम युद्ध के मैदान में हैं। विजय तो हमारी है ही। यह तो सर्टेन है। बरोबर हम अब इस भारत को फिर से दैवी डबल सिरताज राजस्थान बना रहे हैं। बाबा चित्रों के लिए बहुत अच्छी रीति समझाते रहते हैं। हम 84 जन्म पूरे कर अब वापिस जाते हैं। फिर आकर राज्य करेंगे। यह सब ब्रह्माकुमार-कुमारियां क्या कर रहे हैं, ब्रह्माकुमारियों की यह संस्था क्या है? पूछते हैं ना। बी.के. फट से कहती हैं कि हम इस भारत को फिर से दैवी राजस्थान बना रहे हैं, श्रीमत पर। मनुष्य ‘श्री' का अर्थ भी नहीं जानते हैं। तुम जानते हो श्री श्री शिवबाबा हैं, उनकी ही माला बनती है। यह सारी रचना किसकी है? क्रियेटर तो बाप हुआ ना। सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी जो भी हैं, यह सारी माला है रुद्र शिवबाबा की। सब अपने रचता को जानते हैं परन्तु उनके आक्यूपेशन को नहीं जानते। वह कब और कैसे आकर पुरानी दुनिया को नया बनाते हैं - यह किसकी बुद्धि में भी नहीं है। वह तो समझते हैं - कलियुग अभी बहुत वर्ष चलना है।
अभी तुम जानते हो हम दैवी राजस्थान स्थापन करने के निमित्त बने हुए हैं। बरोबर दैवी राजस्थान होगा फिर क्षत्रिय राजस्थान होगा। पहले सूर्यवंशी कुल फिर क्षत्रिय कुल का राज्य होगा। तुमको चक्रवर्ती राजा रानी बनना है तो बुद्धि में चक्र फिरना चाहिए ना। तुम किसको भी इन चित्रों पर बहुत अच्छी रीति समझा सकते हो। यह लक्ष्मी-नारायण सूर्यवंशी कुल और यह राम-सीता हैं क्षत्रिय कुल। फिर वैश्य, शूद्र वंशी पतित कुल बन जाते हैं। पूज्य फिर पुजारी बनते हैं। सिंगल ताज वाले राजाओं का चित्र भी बनाना चाहिए। यह एग्जीवीशन बड़ी वन्डरफुल हो जायेगी। तुम जानते हो ड्रामा अनुसार सर्विस अर्थ यह एग्जीवीशन बहुत जरूरी है तब तो बच्चों की बुद्धि में बैठेगा। नई दुनिया कैसे स्थापन हो रही है - वह चित्रों द्वारा समझाया जाता है। बच्चों की बुद्धि में खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। यह तो समझाया है सतयुग में आत्मा का ज्ञान है सो भी जब बूढ़े होते हैं तब अनायास ख्याल आता है कि यह पुराना शरीर छोड़ फिर दूसरा नया शरीर लेना है। यह ख्यालात पिछाड़ी के टाइम में आता है। बाकी सारा टाइम खुशी-मौज में रहते हैं। पहले यह ज्ञान नहीं रहता है। बच्चों को समझाया है यह परमपिता परमात्मा का नाम, रूप, देश, काल कोई भी नहीं जानते, जब तक कि बाप आकर अपना परिचय दे और परिचय भी बहुत गम्भीर है। उनका रूप तो पहले लिंग ही कहना पड़ता। रुद्र यज्ञ रचते हैं तो मिट्टी के लिंग बनाते हैं, जिनकी पूजा होती आई है। बाप ने पहले यह नहीं बताया कि बिन्दी रूप है। बिन्दी रूप कहते तो तुम समझ नहीं सकते। जो बात जब समझानी है तब समझाते हैं। ऐसे नहीं कहेंगे पहले क्यों नहीं बताया जो आज समझाते हो। नहीं, ड्रामा में नूँध ही ऐसी है। इस एग्जीवीशन से बहुत सर्विस की वृद्धि होती है। इन्वेन्शन निकलती है तो फिर वृद्धि होती जाती है। जैसे बाबा मोटर का मिसाल देते हैं। पहले इन्वेन्शन करने में मेहनत लगी होगी फिर तो देखो बड़े बड़े कारखानों में एक मिनट में मोटर तैयार हो जाती है। कितनी साइन्स निकली है।
तुम जानते हो कितना बड़ा भारत है। कितनी बड़ी दुनिया है। फिर कितनी छोटी हो जायेगी। यह बुद्धि में अच्छी रीति बिठाना है। जो सर्विसएबुल बच्चे हैं, उन्हों की ही बुद्धि में रहेगा। बाकी का तो खान-पान, झरमुई-झगमुई में ही टाइम वेस्ट होता है। यह तुम जानते हो भारत में फिर से दैवी राजस्थान स्थापन हो रहा है। वास्तव में किंगडम अक्षर भी रांग है। भारत दैवी राजस्थान बन रहा है। इस समय आसुरी राजस्थान है, रावण का राज्य है। हरेक में 5 विकार प्रवेश हैं। कितनी करोड़ आत्मायें हैं, सब एक्टर्स हैं। अपने-अपने समय पर आकर और फिर चले जाते हैं। फिर हरेक को अपना पार्ट रिपीट करना होता है। सेकेण्ड बाई सेकेण्ड ड्रामा हूबहू रिपीट होता है। जो कल्प पहले पार्ट बजाया था, वही अब बजता है, इतना सब बुद्धि में रखना है। धन्धेधोरी में रहने से तो फिर मुश्किल हो जाता है परन्तु बाप कहते हैं प्रभात का तो गायन है। गाते हैं राम सिमर प्रभात मोरे मन........ बाप कहते हैं अभी और कुछ भी नहीं सिमरो, प्रभात के समय मुझे याद करो। बाप अभी सम्मुख कहते हैं, भक्ति मार्ग में फिर गायन चलता है। सतयुग-त्रेता में तो गायन होता नहीं। बाप समझाते हैं - हे आत्मा, अपने मन-बुद्धि से प्रभात के समय मुझ बाप को याद करो। भक्त लोग अक्सर करके रात को जागते हैं, कुछ न कुछ याद करते हैं। यहाँ की रस्म-रिवाज फिर भक्ति मार्ग में चली आई है। तुम बच्चों को समझाने की भिन्न-भिन्न युक्तियां मिलती रहती हैं। भारत इतना समय पहले दैवी राजस्थान था फिर क्षत्रिय राजस्थान हुआ फिर वैश्य राजस्थान बना। दिन-प्रतिदिन तमोप्रधान बनते जाते हैं, गिरना जरूर है। मुख्य है यह चक्र, चक्र को जानने से तुम चक्रवर्ती राजा बनते हो। अभी तुम कलियुग में बैठे हो। सामने सतयुग है। यह चक्र कैसे फिरता है, इसका तुमको ज्ञान है। जानते हो कल हम सतयुगी राजधानी में होंगे। कितना सहज है। ऊपर में त्रिमूर्ति शिव भी है। चक्र भी है। लक्ष्मी-नारायण भी इसमें आ जाते हैं। यह चित्र सामने रखा हुआ हो तो कोई को भी सहज रीति समझा सकते हो। भारत दैवी राजस्थान था, अभी नहीं है। सिंगल ताज वाले भी नहीं हैं। चित्रों पर ही तुम बच्चों को समझाना है। यह चित्र बहुत वैल्युबुल हैं। कितनी वन्डरफुल चीज़ है तो वन्डरफुल रीति समझाना भी पड़े। यह 30 X 40 का झाड़ त्रिमूर्ति भी सबको अपने-अपने घर में रखना पड़े। कोई भी मित्र-सम्बन्धी आदि आये तो इन चित्रों पर ही समझाना चाहिए। यह वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी है। हरेक बच्चे के पास यह चित्र जरूर होने चाहिए। साथ में अच्छे-अच्छे गीत भी हों। आखिर वह दिन आया आज - बरोबर बाबा आया हुआ है। हमको राजयोग सिखलाते हैं। चित्र तो कोई भी मांगे मिल सकते हैं। गरीबों को फ्री मिल सकते हैं। परन्तु समझाने की भी ताकत चाहिए। यह है अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना। तुम दानी हो, तुम्हारे जैसा अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कोई कर नहीं सकता। ऐसा दान कोई होता नहीं। तो दान करना चाहिए, जो आये उनको समझाना चाहिए। फिर एक-दो को देख बहुत आयेंगे। यह चित्र मोस्ट वैल्युबुल चीज़ हैं, अमूल्य हैं। जैसे तुम भी अमूल्य कहलाते हो। तुम कौड़ी से हीरे जैसा बनते हो। यह चित्र विलायत में ले जाकर कोई समझाये तो कमाल हो जाए। इतना समय यह सन्यासी लोग कहते आये कि हम भारत का योग सिखलाते हैं। हर एक अपने धर्म की महिमा करते हैं। बौद्ध धर्म वाले कितने को बौद्धी बना देते हैं, परन्तु उससे फायदा तो कुछ भी नहीं। तुम तो यहाँ मनुष्य को बन्दर से मन्दिर लायक बनाते हो। भारत में ही सम्पूर्ण निर्विकारी थे। भारत गोरा था, अभी भारत काला है। कितने मनुष्य हैं! सतयुग में तो बहुत थोड़े होंगे ना। संगम पर ही बाप आकर स्थापना करते हैं। राजयोग सिखलाते हैं। उन बच्चों को ही सिखलाते हैं, जिन्होंने कल्प पहले भी सीखा था। स्थापना तो होनी ही है। बच्चे रावण से हार खाते हैं फिर रावण पर जीत पाते हैं। कितना सहज है। तो बच्चों को बड़े चित्र बनवाकर उस पर सर्विस करनी चाहिए। बड़े-बड़े अक्षर होने चाहिए। लिखना चाहिए - यहाँ से भक्ति मार्ग शुरू होता है। जरूर जब दुर्गति पूरी होगी तब तो बाप सद्गति करने आयेंगे ना।
बाबा ने समझाया है ऐसे कभी भी किसको नहीं कहना कि भक्ति न करो। नहीं, बाप का परिचय दे समझाना है तब तीर लगेगा। तुम जानते हो महाभारत लड़ाई क्यों कहा जाता है? क्योंकि यह बड़ा भारी यज्ञ है, इस यज्ञ से ही यह लड़ाई प्रज्वलित हुई है। यह पुरानी दुनिया ख़त्म होनी है। यह बातें तुम्हारी बुद्धि में हैं। मनुष्यों को पीस प्राइज़ मिलती रहती है। परन्तु पीस तो होती नहीं। वास्तव में पीस स्थापन करने वाला तो एक ही बाप है। उनके साथ तुम मददगार हो। प्राइज भी तुमको मिलनी है। बाप को थोड़ेही प्राइज़ मिलती है। बाप तो है देने वाला। तुमको नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार प्राइज मिलती है। बेशुमार बच्चे होंगे। तुम अभी प्योरिटी, पीस, प्रासपर्टी स्थापन कर रहे हो। कितनी भारी प्राइज़ है! जानते हो जितना जो मेहनत करेंगे उनको सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ मिलेगी। बाप है श्रीमत देने वाला। ऐसे नहीं, बाबा आशीर्वाद करो। स्टूडेन्ट को राय दी जाती है कि बाप को याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। योगबल से ही तुम्हारी आत्मा पवित्र बनेगी। तुम सब सीतायें हो, आग से पार होती हो। या तो योगबल से पार होना है या तो आग में जलना पड़ेगा। देह सहित सब सम्बन्धों को त्याग एक मोस्ट बिलवेड बाप को याद करना है। परन्तु यह याद निरन्तर रहने में बड़ी मुश्किलात है। टाइम लगता है। गाया भी हुआ है योग अग्नि। भारत का प्राचीन योग और ज्ञान मशहूर है क्योंकि गीता है सर्व शास्त्रमई शिरोमणी। उसमें राजयोग अक्षर है, परन्तु राज अक्षर गुम कर सिर्फ योग अक्षर पकड़ लिया है। बाप बिगर कोई कह न सके कि इस राजयोग से मैं तुमको राजाओं का राजा बनाऊंगा। अभी तुम शिवबाबा के सम्मुख बैठे हो। जानते हो हम सब आत्मायें वहाँ परमधाम में निवास करने वाली हैं फिर शरीर धारण कर पार्ट बजाती हैं। पुनर्जन्म शिवबाबा तो नहीं लेते। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी पुनर्जन्म नहीं लेना है। बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ पतित से पावन बनाने इसलिए ही सब याद करते हैं पतित-पावन आओ, यह एक्यूरेट अक्षर है। बाप कहते हैं हम तुमको पावन सो देवी-देवता बना रहे हैं तो इतना नशा भी चढ़ना चाहिए। बाबा इनमें आकर हमको शिक्षा दे रहे हैं। इस फलों के बगीचे का बागवान बाबा है, बाबा का हमने हाथ पकड़ा है। इसमें सारी बुद्धि की बात है। बाबा हमको उस पार, विषय सागर से क्षीर सागर में ले जाते हैं। वहाँ विष होता नहीं, इसलिए उनको वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है। निर्विकारी भारत था, अब वह विकारी बना हुआ है। यह चक्र भारत के लिए ही है। भारतवासी ही चक्र लगाते हैं। और धर्म वाले पूरा चक्र नहीं लगाते। वह तो पिछाड़ी में आते हैं। यह बड़ा वन्डरफुल चक्र है। बुद्धि में नशा रहना चाहिए। इन चित्रों पर बड़ा अटेन्शन रहना चाहिए। सर्विस करके दिखाओ। विलायत में भी चित्र जायें तो नाम बाला होगा। विहंग मार्ग की सर्विस हो जाए। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना जो मिला है उसे दान करना है। अपना समय खाने-पीने, झरमुई-झगमुई में व्यर्थ नहीं गँवाना है।
2) कौड़ी जैसे मनुष्यों को हीरे जैसा बनाने की सेवा करनी है। बाप से आशीर्वाद या कृपा मांगनी नहीं है। उनकी राय पर चलते रहना है।
वरदान:-बाप को सामने रख ईर्ष्या रूपी पाप से बचने वाले विशेष आत्मा भव
ब्राह्मण आत्माओं में हमशरीक होने के कारण ईर्ष्या उत्पन्न होती है, ईर्ष्या के कारण संस्कारों का टक्कर होता है लेकिन इसमें विशेष सोचो कि यदि हमशरीक किसी विशेष कार्य के निमित्त बना है तो उनको निमित्त बनाने वाला कौन! बाप को सामने लाओ तो ईर्ष्या रूपी माया भाग जायेगी। अगर किसी की बात आपको अच्छी नहीं लगती है तो शुभ भावना से ऊपर दो, ईर्ष्या वश नहीं। आपस में रेस करो, रीस नहीं तो विशेष आत्मा बन जायेंगे।
स्लोगन:-आप बाप को अपना साथी बनाने वाले और माया के खेल को साक्षी हो देखने वाले हो।
24/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, at the time of the early morning hours, remember Me, your Father, with your mind and intellect. Together with that, do the service of making Bharat into the divine land of kings (Rajasthan).
Question:On what basis do you receive the prize of the sun-dynasty kingdom?
Answer:
In order to claim the prize of the sun-dynasty kingdom, become a complete helper of the Father. Continue to follow shrimat. Don't ask for blessings but make effort to make yourself the soul, pure with the power of yoga. Renounce your body and all bodily relations and remember the one most beloved Father and you will receive the prize of the sun-dynasty kingdom. There will be everything – peace, purity and prosperity in that.
Song:At last the day for which we had been waiting has come.
Om Shanti
The meaning of ‘Om shanti’ always remains in the intellects of you children. No one, apart from you children, would be able to understand the things the Father explains. It is like when a new person goes and sits in a medical college and wouldn't understand anything. There is no such spiritual gathering where people go and aren’t able to understand anything. There, they relate the things of the scriptures. This is the biggest college of all. This is not something new. The day has come once again when the Father sits here and teaches you children Raja Yoga. At this time there is no kingdom in Bharat. You become the kings of kings through this Raja Yoga, that is, you know that you are also becoming the kings of those who become vicious kings. You have received intellects. Whatever actions are performed remain in your intellect. You are warriors . You souls know that, by having yoga with the Father, you are making Bharat pure, and that by imbibing the knowledge of the beginning, the middle and the end of the cycle, you are becoming the kings who rule the globe. It should remain in your intellects that you are on a battlefield. Our victory is already guaranteed; it is certain. We are truly making this Bharat into the divine land of double-crowned kings. Baba continues to explain the pictures very well for you. We have completed our 84 births and are now to return home. We will then come and rule here. People ask: What are all these Brahma Kumars and Kumaris doing? What is this organisation of Brahma Kumaris? The BKs instantly say that they are making this Bharat into the divine land of kings once again by following shrimat. People don't know the meaning of “Shri”. You know that Shiv Baba is Shri Shri. His rosary is created. Whose creation is all of this? The Father is the Creator. Whoever it is, the sun dynasty or the moon dynasty, this is the whole rosary of Rudra Shiv Baba. Everyone knows their Creator, but they don't know His occupation. It is not in anyone's intellect how or when He comes and makes the old world new. They believe that the iron age is going to continue for many more years. You now know that you have become instruments to establish the divine land of kings. There will truly be the land of deity kings and there will then be the land of warrior kings. There will first be the kingdom of the sun-dynasty clan and then the warrior clan. If you want to become the kings and queens of the globe, the cycle should spin in your intellects. You can explain these pictures very well to anyone. This Lakshmi and Narayan belong to the sun-dynasty clan and Rama and Sita belong to the warrior clan. They then become the merchant and shudra dynasties, the impure clans. Those who are worthy of worship then become worshippers. Pictures of kings with a single crown should also be created. This exhibition will be very wonderful. You know that, according to the drama, this exhibition is extremely essential for service, for it is only then that it will sit in the intellects of the children. It is explained through the pictures how the new world is being established. The mercury of happiness should rise in the intellects of you children. It has been explained to you that, in the golden age, they have knowledge of the soul. That is, when someone becomes old, he suddenly has the thought that he has to shed his old body and take a new one. They have that thought at the end of their lifespans, but otherwise, they remain happy for the rest of the time. In the beginning, they don't have that knowledge. It has been explained to you children that no one knows the name, form, land or time of the Supreme Father, the Supreme Soul, until He comes and gives His own introduction. His introduction is very deep. At first, it has to be said that His form is that of a lingam. When they create a sacrificial fire of Rudra, they make lingams of clay, which they continue to worship. The Father didn't tell you of the point-form in the beginning. If He had told you of the point-form in the beginning, you wouldn't have understood it. He explains whatever has to be explained when it has to be explained. You cannot ask: Why didn't You explain to us earlier the things You are explaining to us today? No, it is fixed in the drama in this way. Service can grow a lot through this exhibition. After an invention has been created, it increases, just as Baba gives the example of the motor car. At first, it took effort to invent it, and then they started producing ‘a motor a minute’ in the big factories. Science has expanded so much. You know that Bharat is so big and that the world is also so big. Then, it will become so small. This has to be made to sit in your intellects very well. It will only sit in the intellects of serviceable children. All the others simply waste their time eating, drinking and gossiping. You know that the land of deity kings is once again being established in Bharat. In fact, to call it a kingdom is also wrong. Bharat is becoming the divine land of kings (Rajasthan). At this time, it is the land of devilish kings; it is the kingdom of Ravan: there is the influence of the five vices in everyone. There are millions of souls; all are actors. They come at their own time then go back and they all then have to repeat their parts at their own time. The drama repeats identically second by second. The part that was played in the previous cycle is the part that is being played now. All of this has to be kept in your intellects. It becomes difficult when you are engaged in your business etc; but the Father says: The early morning time has been remembered. They sing: O mind, remember Rama in the early morning hours. The Father says: Now, don't remember anyone else. Remember Me in the early morning hours. The Father now tells you this personally and it is then remembered on the path of devotion. There is no remembrance of this in the golden and silver ages. The Father says: O souls, remember Me, your Father, with your mind and intellect in the early morning hours. Generally, devotees remain awake at night and they remember something or other. The customs and systems of this time then continue on the path of devotion. You children continue to receive many different methods with which to explain. At such-and-such a time Bharat was the land of divine kings, then it became the land of warrior kings and then it became the land of merchant kings. They continue to become tamopradhan day by day. They definitely have to fall. This cycle is the main thing. By knowing the cycle, you become the kings who rule the globe. You are now sitting in the iron age. The golden age is in front of you. You have the knowledge of how this cycle turns. You know that you will be in the golden-aged kingdom tomorrow. It is so easy! At the top, there is Trimurti Shiva. There is the cycle. Lakshmi and Narayan are also included in that. When this picture is kept in front of them, it is easy to explain to anyone. Bharat was the divine land of kings, but it isn't that now. There aren’t even those with single crown. You children have to explain using the pictures. These pictures are very valuable. They are such wonderful things and so you have to explain them wonderfully. You should all keep these 30" x 40" pictures of the tree and the Trimurti in your homes. When your friends and relatives come, explain these pictures to them. This is world history and geography. All of you children should definitely have these pictures. Together with these, you should also have good songs. At last the day has come. Truly, Baba has now come. He is teaching us Raja Yoga. Anyone who asks for the pictures can have them. Poor people can receive them free. However, you have to have the courage to explain them. This is the treasure of the imperishable jewels of knowledge. You are donors. No one else can donate the imperishable jewels of knowledge like you do. There is no other donation like this. So you should donate these. You should explain to whoever comes. Seeing one or two come, many others will come. These pictures are most valuable things. They are invaluable, just as you are also said to be invaluable. You are becoming like diamonds from shells. If someone were to take these pictures abroad and explain them, there would be great wonders. For so long, sannyasis have been saying that they are teaching the yoga of Bharat. Each one praises his own religion. Those who belong to the Buddhist religion make so many others into Buddhists, but there is no benefit in that. Here, you are changing human beings from being like monkeys into those who are worthy to sit in a temple. Only in Bharat were they completely viceless. Bharat was beautiful and Bharat is now ugly. There are so many human beings. There will be very few people in the golden age. The Father only comes at the confluence age to carry out establishment. He teaches Raja Yoga. He only teaches it to the children who studied it in the previous cycle. Establishment has to take place. Children are defeated by Ravan and then they conquer Ravan. It is so easy! Therefore, you children should have big pictures made and do service using those pictures. The writing on them should be very large. You should write on them where it is that the path of devotion begins. The Father would surely come to grant salvation when degradation comes to an end. Baba has explained that you mustn't tell anyone not to do devotion; no. You have to give them the Father's introduction for only then will the arrow strike the target. You know that the war is called the Mahabharat War because this is the big sacrificial fire and that war starts from this sacrificial fire. This old world has to end. These things are in your intellect. People continue to receive peace prizes, but peace is not established. In fact, it is only the one Father who establishes peace. You are His helpers. You have to receive the prize. The Father doesn't receive the prize. The Father is the Bestower. You receive a prize, numberwise, according to the effort you make. There will be countless children. You are now establishing purity, peace and prosperity. It is such a big prize. You know that however much effort you make, you will accordingly receive the prize of the sun-dynasty kingdom. The Father is the One who gives you shrimat. You cannot say: Baba, give us blessings! Students are given advice: Remember the Father and your sins will be absolved. Only with the power of yoga will you souls become pure. All of you are Sitas. You go through fire. Either you go through with the power of yoga or you will have to burn in the fire. Renounce your body and all bodily relations and remember the one most beloved Father. However, it is difficult for this remembrance to remain constant; it takes time. The fire of yoga has been remembered. The ancient yoga and knowledge of Bharat are very well known because the Gita is the jewel, the mother, of all the scriptures. Raja Yoga is mentioned in it. However, they have lost the word “Raja” and just caught hold of the word “yoga”. No one except the Father can say: I will make you into the kings of kings with this Raja Yoga. You are now sitting personally in front of Shiv Baba. You know that all of you souls are going to reside there, in the supreme abode, and that you will then adopt bodies and play your parts. Shiv Baba doesn’t take rebirth. Brahma, Vishnu and Shankar also do not have to take rebirth. The Father says: I come to make impure ones pure. This is why everyone remembers Me and says: O Purifier, come! These words are accurate. The Father says: I am making you into pure deities and so you should also have that much intoxication. Baba enters this one and gives us teachings. Baba is the Master of this garden of flowers. We are holding on to Baba's hand. This is all a matter of the intellect. Baba is taking us across to that side, from the ocean of poison to the ocean of milk. There is no poison there. This is why that is called the viceless world. Bharat was viceless and it has now become vicious. This cycle is only for Bharat. Only the people of Bharat go around the cycle. Those of other religions do not go around the full cycle; they come later. This is a very wonderful cycle. There should be this intoxication in your intellects. There should be a lot of attention paid to these pictures. Demonstrate this by doing service. Your name will be glorified if these pictures are sent abroad. Service would then take place at a fast speed. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Donate the treasures of the imperishable jewels of knowledge that you have received. Do not waste your time eating, drinking and gossiping.
2. Do the service of making human beings become like diamonds from shells. Don't ask the Father for blessings or mercy. Continue to follow His directions.
Blessing:May you protect yourself from any sin of jealousy by keeping the Father in front of you and becoming a special soul.
Because Brahmin souls are equal, jealousy arises. Because of jealousy there is some conflict of sanskars. If this happens, specially consider who was it that made that one an instrument when your equal becomes an instrument for a special task. Bring the Father in front of you and Maya in the form of jealousy will run away. If you do not like something about someone, then speak about it to the seniors with good wishes, not with jealousy. Race among yourselves, but do not compete and you will each become a special soul.
Slogan:You are someone who makes the Father your Companion and who observes the games of Maya as a detached observer.
''मीठे बच्चे - प्रभात के समय मन-बुद्धि से मुझ बाप को याद करो, साथ-साथ भारत को दैवी राजस्थान बनाने की सेवा करो''
प्रश्नः-सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ किस आधार पर मिलती है?
उत्तर:-
सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ लेना है तो बाप का पूरा मददगार बनो, श्रीमत पर चलते रहो। आशीर्वाद नहीं मांगनी है लेकिन योगबल से आत्मा को पावन बनाने का पुरुषार्थ करना है। देह सहित देह के सब सम्बन्धों को त्याग एक मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो तो तुम्हें सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ मिल जायेगी। उसमें पीस, प्योरिटी, प्रासपर्टी सब कुछ होगा।
गीत:-आखिर वह दिन आया आज.........
ओम् शान्ति।
ओम् शान्ति का अर्थ तो तुम बच्चों की बुद्धि में रहता ही है। बाप जो समझाते हैं वह इस दुनिया में सिवाए तुम्हारे और किसको समझ में नहीं आयेगा। वह ऐसे समझेंगे जैसे कोई मेडिकल कॉलेज में नया जाकर बैठे तो कुछ समझ न सके। ऐसे कोई सतसंग होता नहीं, जहाँ मनुष्य जाये और कुछ न समझे। वहाँ तो है ही शास्त्र आदि सुनाने की बातें। यह है बड़े ते बड़ी कॉलेज। नई बात नहीं है। फिर से वह दिन आया आज, जबकि बाप बैठ बच्चों को राजयोग सिखलाते हैं। इस समय भारत में राजाई तो है नहीं। तुम इस राजयोग से राजाओं का राजा बनते हो अर्थात् तुम जानते हो कि जो विकारी राजायें हैं उनके भी हम राजा बन रहे हैं। बुद्धि मिली है। जो कोई कर्म करते हैं वह बुद्धि में रहता है ना। तुम वारियर्स हो, जानते हो हम आत्मायें अब बाप के साथ योग रखने से भारत को पवित्र बनाते हैं और चक्र के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज धारण कर हम चक्रवर्ती राजा बन रहे हैं। यह बुद्धि में रहना चाहिए। हम युद्ध के मैदान में हैं। विजय तो हमारी है ही। यह तो सर्टेन है। बरोबर हम अब इस भारत को फिर से दैवी डबल सिरताज राजस्थान बना रहे हैं। बाबा चित्रों के लिए बहुत अच्छी रीति समझाते रहते हैं। हम 84 जन्म पूरे कर अब वापिस जाते हैं। फिर आकर राज्य करेंगे। यह सब ब्रह्माकुमार-कुमारियां क्या कर रहे हैं, ब्रह्माकुमारियों की यह संस्था क्या है? पूछते हैं ना। बी.के. फट से कहती हैं कि हम इस भारत को फिर से दैवी राजस्थान बना रहे हैं, श्रीमत पर। मनुष्य ‘श्री' का अर्थ भी नहीं जानते हैं। तुम जानते हो श्री श्री शिवबाबा हैं, उनकी ही माला बनती है। यह सारी रचना किसकी है? क्रियेटर तो बाप हुआ ना। सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी जो भी हैं, यह सारी माला है रुद्र शिवबाबा की। सब अपने रचता को जानते हैं परन्तु उनके आक्यूपेशन को नहीं जानते। वह कब और कैसे आकर पुरानी दुनिया को नया बनाते हैं - यह किसकी बुद्धि में भी नहीं है। वह तो समझते हैं - कलियुग अभी बहुत वर्ष चलना है।
अभी तुम जानते हो हम दैवी राजस्थान स्थापन करने के निमित्त बने हुए हैं। बरोबर दैवी राजस्थान होगा फिर क्षत्रिय राजस्थान होगा। पहले सूर्यवंशी कुल फिर क्षत्रिय कुल का राज्य होगा। तुमको चक्रवर्ती राजा रानी बनना है तो बुद्धि में चक्र फिरना चाहिए ना। तुम किसको भी इन चित्रों पर बहुत अच्छी रीति समझा सकते हो। यह लक्ष्मी-नारायण सूर्यवंशी कुल और यह राम-सीता हैं क्षत्रिय कुल। फिर वैश्य, शूद्र वंशी पतित कुल बन जाते हैं। पूज्य फिर पुजारी बनते हैं। सिंगल ताज वाले राजाओं का चित्र भी बनाना चाहिए। यह एग्जीवीशन बड़ी वन्डरफुल हो जायेगी। तुम जानते हो ड्रामा अनुसार सर्विस अर्थ यह एग्जीवीशन बहुत जरूरी है तब तो बच्चों की बुद्धि में बैठेगा। नई दुनिया कैसे स्थापन हो रही है - वह चित्रों द्वारा समझाया जाता है। बच्चों की बुद्धि में खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। यह तो समझाया है सतयुग में आत्मा का ज्ञान है सो भी जब बूढ़े होते हैं तब अनायास ख्याल आता है कि यह पुराना शरीर छोड़ फिर दूसरा नया शरीर लेना है। यह ख्यालात पिछाड़ी के टाइम में आता है। बाकी सारा टाइम खुशी-मौज में रहते हैं। पहले यह ज्ञान नहीं रहता है। बच्चों को समझाया है यह परमपिता परमात्मा का नाम, रूप, देश, काल कोई भी नहीं जानते, जब तक कि बाप आकर अपना परिचय दे और परिचय भी बहुत गम्भीर है। उनका रूप तो पहले लिंग ही कहना पड़ता। रुद्र यज्ञ रचते हैं तो मिट्टी के लिंग बनाते हैं, जिनकी पूजा होती आई है। बाप ने पहले यह नहीं बताया कि बिन्दी रूप है। बिन्दी रूप कहते तो तुम समझ नहीं सकते। जो बात जब समझानी है तब समझाते हैं। ऐसे नहीं कहेंगे पहले क्यों नहीं बताया जो आज समझाते हो। नहीं, ड्रामा में नूँध ही ऐसी है। इस एग्जीवीशन से बहुत सर्विस की वृद्धि होती है। इन्वेन्शन निकलती है तो फिर वृद्धि होती जाती है। जैसे बाबा मोटर का मिसाल देते हैं। पहले इन्वेन्शन करने में मेहनत लगी होगी फिर तो देखो बड़े बड़े कारखानों में एक मिनट में मोटर तैयार हो जाती है। कितनी साइन्स निकली है।
तुम जानते हो कितना बड़ा भारत है। कितनी बड़ी दुनिया है। फिर कितनी छोटी हो जायेगी। यह बुद्धि में अच्छी रीति बिठाना है। जो सर्विसएबुल बच्चे हैं, उन्हों की ही बुद्धि में रहेगा। बाकी का तो खान-पान, झरमुई-झगमुई में ही टाइम वेस्ट होता है। यह तुम जानते हो भारत में फिर से दैवी राजस्थान स्थापन हो रहा है। वास्तव में किंगडम अक्षर भी रांग है। भारत दैवी राजस्थान बन रहा है। इस समय आसुरी राजस्थान है, रावण का राज्य है। हरेक में 5 विकार प्रवेश हैं। कितनी करोड़ आत्मायें हैं, सब एक्टर्स हैं। अपने-अपने समय पर आकर और फिर चले जाते हैं। फिर हरेक को अपना पार्ट रिपीट करना होता है। सेकेण्ड बाई सेकेण्ड ड्रामा हूबहू रिपीट होता है। जो कल्प पहले पार्ट बजाया था, वही अब बजता है, इतना सब बुद्धि में रखना है। धन्धेधोरी में रहने से तो फिर मुश्किल हो जाता है परन्तु बाप कहते हैं प्रभात का तो गायन है। गाते हैं राम सिमर प्रभात मोरे मन........ बाप कहते हैं अभी और कुछ भी नहीं सिमरो, प्रभात के समय मुझे याद करो। बाप अभी सम्मुख कहते हैं, भक्ति मार्ग में फिर गायन चलता है। सतयुग-त्रेता में तो गायन होता नहीं। बाप समझाते हैं - हे आत्मा, अपने मन-बुद्धि से प्रभात के समय मुझ बाप को याद करो। भक्त लोग अक्सर करके रात को जागते हैं, कुछ न कुछ याद करते हैं। यहाँ की रस्म-रिवाज फिर भक्ति मार्ग में चली आई है। तुम बच्चों को समझाने की भिन्न-भिन्न युक्तियां मिलती रहती हैं। भारत इतना समय पहले दैवी राजस्थान था फिर क्षत्रिय राजस्थान हुआ फिर वैश्य राजस्थान बना। दिन-प्रतिदिन तमोप्रधान बनते जाते हैं, गिरना जरूर है। मुख्य है यह चक्र, चक्र को जानने से तुम चक्रवर्ती राजा बनते हो। अभी तुम कलियुग में बैठे हो। सामने सतयुग है। यह चक्र कैसे फिरता है, इसका तुमको ज्ञान है। जानते हो कल हम सतयुगी राजधानी में होंगे। कितना सहज है। ऊपर में त्रिमूर्ति शिव भी है। चक्र भी है। लक्ष्मी-नारायण भी इसमें आ जाते हैं। यह चित्र सामने रखा हुआ हो तो कोई को भी सहज रीति समझा सकते हो। भारत दैवी राजस्थान था, अभी नहीं है। सिंगल ताज वाले भी नहीं हैं। चित्रों पर ही तुम बच्चों को समझाना है। यह चित्र बहुत वैल्युबुल हैं। कितनी वन्डरफुल चीज़ है तो वन्डरफुल रीति समझाना भी पड़े। यह 30 X 40 का झाड़ त्रिमूर्ति भी सबको अपने-अपने घर में रखना पड़े। कोई भी मित्र-सम्बन्धी आदि आये तो इन चित्रों पर ही समझाना चाहिए। यह वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी है। हरेक बच्चे के पास यह चित्र जरूर होने चाहिए। साथ में अच्छे-अच्छे गीत भी हों। आखिर वह दिन आया आज - बरोबर बाबा आया हुआ है। हमको राजयोग सिखलाते हैं। चित्र तो कोई भी मांगे मिल सकते हैं। गरीबों को फ्री मिल सकते हैं। परन्तु समझाने की भी ताकत चाहिए। यह है अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना। तुम दानी हो, तुम्हारे जैसा अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कोई कर नहीं सकता। ऐसा दान कोई होता नहीं। तो दान करना चाहिए, जो आये उनको समझाना चाहिए। फिर एक-दो को देख बहुत आयेंगे। यह चित्र मोस्ट वैल्युबुल चीज़ हैं, अमूल्य हैं। जैसे तुम भी अमूल्य कहलाते हो। तुम कौड़ी से हीरे जैसा बनते हो। यह चित्र विलायत में ले जाकर कोई समझाये तो कमाल हो जाए। इतना समय यह सन्यासी लोग कहते आये कि हम भारत का योग सिखलाते हैं। हर एक अपने धर्म की महिमा करते हैं। बौद्ध धर्म वाले कितने को बौद्धी बना देते हैं, परन्तु उससे फायदा तो कुछ भी नहीं। तुम तो यहाँ मनुष्य को बन्दर से मन्दिर लायक बनाते हो। भारत में ही सम्पूर्ण निर्विकारी थे। भारत गोरा था, अभी भारत काला है। कितने मनुष्य हैं! सतयुग में तो बहुत थोड़े होंगे ना। संगम पर ही बाप आकर स्थापना करते हैं। राजयोग सिखलाते हैं। उन बच्चों को ही सिखलाते हैं, जिन्होंने कल्प पहले भी सीखा था। स्थापना तो होनी ही है। बच्चे रावण से हार खाते हैं फिर रावण पर जीत पाते हैं। कितना सहज है। तो बच्चों को बड़े चित्र बनवाकर उस पर सर्विस करनी चाहिए। बड़े-बड़े अक्षर होने चाहिए। लिखना चाहिए - यहाँ से भक्ति मार्ग शुरू होता है। जरूर जब दुर्गति पूरी होगी तब तो बाप सद्गति करने आयेंगे ना।
बाबा ने समझाया है ऐसे कभी भी किसको नहीं कहना कि भक्ति न करो। नहीं, बाप का परिचय दे समझाना है तब तीर लगेगा। तुम जानते हो महाभारत लड़ाई क्यों कहा जाता है? क्योंकि यह बड़ा भारी यज्ञ है, इस यज्ञ से ही यह लड़ाई प्रज्वलित हुई है। यह पुरानी दुनिया ख़त्म होनी है। यह बातें तुम्हारी बुद्धि में हैं। मनुष्यों को पीस प्राइज़ मिलती रहती है। परन्तु पीस तो होती नहीं। वास्तव में पीस स्थापन करने वाला तो एक ही बाप है। उनके साथ तुम मददगार हो। प्राइज भी तुमको मिलनी है। बाप को थोड़ेही प्राइज़ मिलती है। बाप तो है देने वाला। तुमको नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार प्राइज मिलती है। बेशुमार बच्चे होंगे। तुम अभी प्योरिटी, पीस, प्रासपर्टी स्थापन कर रहे हो। कितनी भारी प्राइज़ है! जानते हो जितना जो मेहनत करेंगे उनको सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ मिलेगी। बाप है श्रीमत देने वाला। ऐसे नहीं, बाबा आशीर्वाद करो। स्टूडेन्ट को राय दी जाती है कि बाप को याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। योगबल से ही तुम्हारी आत्मा पवित्र बनेगी। तुम सब सीतायें हो, आग से पार होती हो। या तो योगबल से पार होना है या तो आग में जलना पड़ेगा। देह सहित सब सम्बन्धों को त्याग एक मोस्ट बिलवेड बाप को याद करना है। परन्तु यह याद निरन्तर रहने में बड़ी मुश्किलात है। टाइम लगता है। गाया भी हुआ है योग अग्नि। भारत का प्राचीन योग और ज्ञान मशहूर है क्योंकि गीता है सर्व शास्त्रमई शिरोमणी। उसमें राजयोग अक्षर है, परन्तु राज अक्षर गुम कर सिर्फ योग अक्षर पकड़ लिया है। बाप बिगर कोई कह न सके कि इस राजयोग से मैं तुमको राजाओं का राजा बनाऊंगा। अभी तुम शिवबाबा के सम्मुख बैठे हो। जानते हो हम सब आत्मायें वहाँ परमधाम में निवास करने वाली हैं फिर शरीर धारण कर पार्ट बजाती हैं। पुनर्जन्म शिवबाबा तो नहीं लेते। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी पुनर्जन्म नहीं लेना है। बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ पतित से पावन बनाने इसलिए ही सब याद करते हैं पतित-पावन आओ, यह एक्यूरेट अक्षर है। बाप कहते हैं हम तुमको पावन सो देवी-देवता बना रहे हैं तो इतना नशा भी चढ़ना चाहिए। बाबा इनमें आकर हमको शिक्षा दे रहे हैं। इस फलों के बगीचे का बागवान बाबा है, बाबा का हमने हाथ पकड़ा है। इसमें सारी बुद्धि की बात है। बाबा हमको उस पार, विषय सागर से क्षीर सागर में ले जाते हैं। वहाँ विष होता नहीं, इसलिए उनको वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है। निर्विकारी भारत था, अब वह विकारी बना हुआ है। यह चक्र भारत के लिए ही है। भारतवासी ही चक्र लगाते हैं। और धर्म वाले पूरा चक्र नहीं लगाते। वह तो पिछाड़ी में आते हैं। यह बड़ा वन्डरफुल चक्र है। बुद्धि में नशा रहना चाहिए। इन चित्रों पर बड़ा अटेन्शन रहना चाहिए। सर्विस करके दिखाओ। विलायत में भी चित्र जायें तो नाम बाला होगा। विहंग मार्ग की सर्विस हो जाए। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना जो मिला है उसे दान करना है। अपना समय खाने-पीने, झरमुई-झगमुई में व्यर्थ नहीं गँवाना है।
2) कौड़ी जैसे मनुष्यों को हीरे जैसा बनाने की सेवा करनी है। बाप से आशीर्वाद या कृपा मांगनी नहीं है। उनकी राय पर चलते रहना है।
वरदान:-बाप को सामने रख ईर्ष्या रूपी पाप से बचने वाले विशेष आत्मा भव
ब्राह्मण आत्माओं में हमशरीक होने के कारण ईर्ष्या उत्पन्न होती है, ईर्ष्या के कारण संस्कारों का टक्कर होता है लेकिन इसमें विशेष सोचो कि यदि हमशरीक किसी विशेष कार्य के निमित्त बना है तो उनको निमित्त बनाने वाला कौन! बाप को सामने लाओ तो ईर्ष्या रूपी माया भाग जायेगी। अगर किसी की बात आपको अच्छी नहीं लगती है तो शुभ भावना से ऊपर दो, ईर्ष्या वश नहीं। आपस में रेस करो, रीस नहीं तो विशेष आत्मा बन जायेंगे।
स्लोगन:-आप बाप को अपना साथी बनाने वाले और माया के खेल को साक्षी हो देखने वाले हो।
24/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, at the time of the early morning hours, remember Me, your Father, with your mind and intellect. Together with that, do the service of making Bharat into the divine land of kings (Rajasthan).
Question:On what basis do you receive the prize of the sun-dynasty kingdom?
Answer:
In order to claim the prize of the sun-dynasty kingdom, become a complete helper of the Father. Continue to follow shrimat. Don't ask for blessings but make effort to make yourself the soul, pure with the power of yoga. Renounce your body and all bodily relations and remember the one most beloved Father and you will receive the prize of the sun-dynasty kingdom. There will be everything – peace, purity and prosperity in that.
Song:At last the day for which we had been waiting has come.
Om Shanti
The meaning of ‘Om shanti’ always remains in the intellects of you children. No one, apart from you children, would be able to understand the things the Father explains. It is like when a new person goes and sits in a medical college and wouldn't understand anything. There is no such spiritual gathering where people go and aren’t able to understand anything. There, they relate the things of the scriptures. This is the biggest college of all. This is not something new. The day has come once again when the Father sits here and teaches you children Raja Yoga. At this time there is no kingdom in Bharat. You become the kings of kings through this Raja Yoga, that is, you know that you are also becoming the kings of those who become vicious kings. You have received intellects. Whatever actions are performed remain in your intellect. You are warriors . You souls know that, by having yoga with the Father, you are making Bharat pure, and that by imbibing the knowledge of the beginning, the middle and the end of the cycle, you are becoming the kings who rule the globe. It should remain in your intellects that you are on a battlefield. Our victory is already guaranteed; it is certain. We are truly making this Bharat into the divine land of double-crowned kings. Baba continues to explain the pictures very well for you. We have completed our 84 births and are now to return home. We will then come and rule here. People ask: What are all these Brahma Kumars and Kumaris doing? What is this organisation of Brahma Kumaris? The BKs instantly say that they are making this Bharat into the divine land of kings once again by following shrimat. People don't know the meaning of “Shri”. You know that Shiv Baba is Shri Shri. His rosary is created. Whose creation is all of this? The Father is the Creator. Whoever it is, the sun dynasty or the moon dynasty, this is the whole rosary of Rudra Shiv Baba. Everyone knows their Creator, but they don't know His occupation. It is not in anyone's intellect how or when He comes and makes the old world new. They believe that the iron age is going to continue for many more years. You now know that you have become instruments to establish the divine land of kings. There will truly be the land of deity kings and there will then be the land of warrior kings. There will first be the kingdom of the sun-dynasty clan and then the warrior clan. If you want to become the kings and queens of the globe, the cycle should spin in your intellects. You can explain these pictures very well to anyone. This Lakshmi and Narayan belong to the sun-dynasty clan and Rama and Sita belong to the warrior clan. They then become the merchant and shudra dynasties, the impure clans. Those who are worthy of worship then become worshippers. Pictures of kings with a single crown should also be created. This exhibition will be very wonderful. You know that, according to the drama, this exhibition is extremely essential for service, for it is only then that it will sit in the intellects of the children. It is explained through the pictures how the new world is being established. The mercury of happiness should rise in the intellects of you children. It has been explained to you that, in the golden age, they have knowledge of the soul. That is, when someone becomes old, he suddenly has the thought that he has to shed his old body and take a new one. They have that thought at the end of their lifespans, but otherwise, they remain happy for the rest of the time. In the beginning, they don't have that knowledge. It has been explained to you children that no one knows the name, form, land or time of the Supreme Father, the Supreme Soul, until He comes and gives His own introduction. His introduction is very deep. At first, it has to be said that His form is that of a lingam. When they create a sacrificial fire of Rudra, they make lingams of clay, which they continue to worship. The Father didn't tell you of the point-form in the beginning. If He had told you of the point-form in the beginning, you wouldn't have understood it. He explains whatever has to be explained when it has to be explained. You cannot ask: Why didn't You explain to us earlier the things You are explaining to us today? No, it is fixed in the drama in this way. Service can grow a lot through this exhibition. After an invention has been created, it increases, just as Baba gives the example of the motor car. At first, it took effort to invent it, and then they started producing ‘a motor a minute’ in the big factories. Science has expanded so much. You know that Bharat is so big and that the world is also so big. Then, it will become so small. This has to be made to sit in your intellects very well. It will only sit in the intellects of serviceable children. All the others simply waste their time eating, drinking and gossiping. You know that the land of deity kings is once again being established in Bharat. In fact, to call it a kingdom is also wrong. Bharat is becoming the divine land of kings (Rajasthan). At this time, it is the land of devilish kings; it is the kingdom of Ravan: there is the influence of the five vices in everyone. There are millions of souls; all are actors. They come at their own time then go back and they all then have to repeat their parts at their own time. The drama repeats identically second by second. The part that was played in the previous cycle is the part that is being played now. All of this has to be kept in your intellects. It becomes difficult when you are engaged in your business etc; but the Father says: The early morning time has been remembered. They sing: O mind, remember Rama in the early morning hours. The Father says: Now, don't remember anyone else. Remember Me in the early morning hours. The Father now tells you this personally and it is then remembered on the path of devotion. There is no remembrance of this in the golden and silver ages. The Father says: O souls, remember Me, your Father, with your mind and intellect in the early morning hours. Generally, devotees remain awake at night and they remember something or other. The customs and systems of this time then continue on the path of devotion. You children continue to receive many different methods with which to explain. At such-and-such a time Bharat was the land of divine kings, then it became the land of warrior kings and then it became the land of merchant kings. They continue to become tamopradhan day by day. They definitely have to fall. This cycle is the main thing. By knowing the cycle, you become the kings who rule the globe. You are now sitting in the iron age. The golden age is in front of you. You have the knowledge of how this cycle turns. You know that you will be in the golden-aged kingdom tomorrow. It is so easy! At the top, there is Trimurti Shiva. There is the cycle. Lakshmi and Narayan are also included in that. When this picture is kept in front of them, it is easy to explain to anyone. Bharat was the divine land of kings, but it isn't that now. There aren’t even those with single crown. You children have to explain using the pictures. These pictures are very valuable. They are such wonderful things and so you have to explain them wonderfully. You should all keep these 30" x 40" pictures of the tree and the Trimurti in your homes. When your friends and relatives come, explain these pictures to them. This is world history and geography. All of you children should definitely have these pictures. Together with these, you should also have good songs. At last the day has come. Truly, Baba has now come. He is teaching us Raja Yoga. Anyone who asks for the pictures can have them. Poor people can receive them free. However, you have to have the courage to explain them. This is the treasure of the imperishable jewels of knowledge. You are donors. No one else can donate the imperishable jewels of knowledge like you do. There is no other donation like this. So you should donate these. You should explain to whoever comes. Seeing one or two come, many others will come. These pictures are most valuable things. They are invaluable, just as you are also said to be invaluable. You are becoming like diamonds from shells. If someone were to take these pictures abroad and explain them, there would be great wonders. For so long, sannyasis have been saying that they are teaching the yoga of Bharat. Each one praises his own religion. Those who belong to the Buddhist religion make so many others into Buddhists, but there is no benefit in that. Here, you are changing human beings from being like monkeys into those who are worthy to sit in a temple. Only in Bharat were they completely viceless. Bharat was beautiful and Bharat is now ugly. There are so many human beings. There will be very few people in the golden age. The Father only comes at the confluence age to carry out establishment. He teaches Raja Yoga. He only teaches it to the children who studied it in the previous cycle. Establishment has to take place. Children are defeated by Ravan and then they conquer Ravan. It is so easy! Therefore, you children should have big pictures made and do service using those pictures. The writing on them should be very large. You should write on them where it is that the path of devotion begins. The Father would surely come to grant salvation when degradation comes to an end. Baba has explained that you mustn't tell anyone not to do devotion; no. You have to give them the Father's introduction for only then will the arrow strike the target. You know that the war is called the Mahabharat War because this is the big sacrificial fire and that war starts from this sacrificial fire. This old world has to end. These things are in your intellect. People continue to receive peace prizes, but peace is not established. In fact, it is only the one Father who establishes peace. You are His helpers. You have to receive the prize. The Father doesn't receive the prize. The Father is the Bestower. You receive a prize, numberwise, according to the effort you make. There will be countless children. You are now establishing purity, peace and prosperity. It is such a big prize. You know that however much effort you make, you will accordingly receive the prize of the sun-dynasty kingdom. The Father is the One who gives you shrimat. You cannot say: Baba, give us blessings! Students are given advice: Remember the Father and your sins will be absolved. Only with the power of yoga will you souls become pure. All of you are Sitas. You go through fire. Either you go through with the power of yoga or you will have to burn in the fire. Renounce your body and all bodily relations and remember the one most beloved Father. However, it is difficult for this remembrance to remain constant; it takes time. The fire of yoga has been remembered. The ancient yoga and knowledge of Bharat are very well known because the Gita is the jewel, the mother, of all the scriptures. Raja Yoga is mentioned in it. However, they have lost the word “Raja” and just caught hold of the word “yoga”. No one except the Father can say: I will make you into the kings of kings with this Raja Yoga. You are now sitting personally in front of Shiv Baba. You know that all of you souls are going to reside there, in the supreme abode, and that you will then adopt bodies and play your parts. Shiv Baba doesn’t take rebirth. Brahma, Vishnu and Shankar also do not have to take rebirth. The Father says: I come to make impure ones pure. This is why everyone remembers Me and says: O Purifier, come! These words are accurate. The Father says: I am making you into pure deities and so you should also have that much intoxication. Baba enters this one and gives us teachings. Baba is the Master of this garden of flowers. We are holding on to Baba's hand. This is all a matter of the intellect. Baba is taking us across to that side, from the ocean of poison to the ocean of milk. There is no poison there. This is why that is called the viceless world. Bharat was viceless and it has now become vicious. This cycle is only for Bharat. Only the people of Bharat go around the cycle. Those of other religions do not go around the full cycle; they come later. This is a very wonderful cycle. There should be this intoxication in your intellects. There should be a lot of attention paid to these pictures. Demonstrate this by doing service. Your name will be glorified if these pictures are sent abroad. Service would then take place at a fast speed. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Donate the treasures of the imperishable jewels of knowledge that you have received. Do not waste your time eating, drinking and gossiping.
2. Do the service of making human beings become like diamonds from shells. Don't ask the Father for blessings or mercy. Continue to follow His directions.
Blessing:May you protect yourself from any sin of jealousy by keeping the Father in front of you and becoming a special soul.
Because Brahmin souls are equal, jealousy arises. Because of jealousy there is some conflict of sanskars. If this happens, specially consider who was it that made that one an instrument when your equal becomes an instrument for a special task. Bring the Father in front of you and Maya in the form of jealousy will run away. If you do not like something about someone, then speak about it to the seniors with good wishes, not with jealousy. Race among yourselves, but do not compete and you will each become a special soul.
Slogan:You are someone who makes the Father your Companion and who observes the games of Maya as a detached observer.
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