Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 23rd Oct 2018 )
23-10-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - जितना याद में रहेंगे, पवित्र बनेंगे उतना पारलौकिक मात-पिता की दुआयें मिलेंगी, दुआयें मिलने से तुम सदा सुखी बन जायेंगे।''
प्रश्नः-बाप सभी बच्चों को कौन-सी राय देकर कुकर्मों से बचाते हैं?
उत्तर:-बाबा राय देते - बच्चे, तुम्हारे पास जो भी धन-दौलत आदि है, वह सब अपने पास रखो लेकिन ट्रस्टी होकर चलो। तुम कहते आये हो हे भगवान् यह सब कुछ आपका है। भगवान् ने बच्चा दिया, धन-दौलत दिया, अब भगवान् कहते हैं इन सबसे बुद्धियोग निकाल तुम ट्रस्टी होकर रहो, श्रीमत पर चलो तो कोई भी कुकर्म नहीं होगा। तुम श्रेष्ठ बन जायेंगे।
गीत:-ले लो दुआयें माँ बाप की..........
ओम् शान्ति।
जो बच्चे कहते हैं हमारा मुख नहीं चलता है, समझा नहीं सकते हैं - उन्हें सेन्टर की ब्राह्मणियाँ कैसे सिखलायें, यह शिवबाबा समझाते हैं। चित्रों पर समझाना तो बहुत सहज है। छोटे बच्चों को चित्र दिखलाकर समझाना पड़े ना। ऐसे नहीं, क्लास में सब आकर बैठे और तुमने मुरली शुरू कर ली, नहीं। यह तो हड्डी (ज़िगरी) बैठ समझाना चाहिए। बच्चों ने गीत तो सुना - एक है पारलौकिक मात-पिता, जिसको याद करते रहते हैं तुम मात-पिता.... वह है सृष्टि का रचयिता। मात-पिता जरूर स्वर्ग ही रचेंगे। सतयुग में स्वर्गवासी बच्चे होते हैं। यहाँ के मात-पिता खुद ही नर्कवासी हैं तो बच्चे भी नर्कवासी ही पैदा करेंगे। गीत में कहा - ले लो दुआयें माँ-बाप की...... तुम जानते हो इस समय के माँ-बाप तो दुआयें नहीं देते। स्वर्गवासी दुआ करते हैं, जो दुआ फिर आधाकल्प चलती है। फिर आधाकल्प बाद श्रापित हो जाते हैं। खुद भी पतित बनते तो बच्चों को भी बनाते हैं। उसे आशीर्वाद तो नहीं कहेंगे। श्राप देते-देते भारतवासी श्रापित हो गये, कितना दु:ख ही दु:ख है, इसलिए मात-पिता को याद करते हैं। अभी वह मात-पिता दुआयें कर रहे हैं। पढ़ाकर पतित से पावन बना रहे हैं। यहाँ है आसुरी सम्प्रदाय, रावण राज्य। वहाँ है दैवी सम्प्रदाय, राम राज्य। रावण का जन्म भी भारत में है। शिवबाबा, जिसको राम कहते हैं, उनका जन्म भी भारत में है। तुम जब वाम मार्ग में जाते हो तो भारत में रावण राज्य शुरू होता है। तो भारत को ही राम परमपिता परमात्मा आकर पतित से पावन बनाते हैं। रावण आते हैं तो मनुष्य पतित बनते हैं। गाते भी हैं राम गयो, रावण गयो, जिनका बहु परिवार है। राम का परिवार तो बहुत छोटा है। और सब धर्म ख़त्म हो जाते हैं, सबका विनाश हो जाता है। बाकी तुम देवी-देवतायें रहेंगे। तुम अभी जो ब्राह्मण बने हो वही ट्रान्सफर होंगे सतयुग में। तो अब तुमको माँ-बाप की दुआयें मिल रही हैं। माँ-बाप तुमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। वहाँ तो सुख ही सुख है। इस समय कलियुग में है दु:ख, सभी धर्म दु:खी हैं। अभी कलियुग के बाद फिर सतयुग होना है। कलियुग में कितने ढेर मनुष्य हैं, सतयुग में तो इतने मनुष्य नहीं होंगे। जितने ब्राह्मण होंगे वही फिर वहाँ देवता बनेंगे। वह भी त्रेता तक वृद्धि को पाते रहेंगे। कहते हैं क्राइस्ट से 3000 वर्ष पहले सतयुग था। बिफोर क्राइस्ट और आफ्टर क्राइस्ट। सतयुग में तो एक ही धर्म, एक ही राज्य है। वहाँ मनुष्य भी थोड़े होंगे। सिर्फ भारत होगा और कोई धर्म नहीं होगा। सिर्फ सूर्यवंशी ही होंगे। चन्द्रवंशी भी नहीं होंगे। सूर्यवंशी को भगवान्-भगवती कह सकते हैं क्योंकि वे सम्पूर्ण हैं।
तुम बच्चे जानते हो पतित-पावन तो एक परमपिता परमात्मा ही है। (चक्र के चित्र तरफ इशारा) देखो, बाप ऊपर में बैठे हैं। यह ब्रह्मा द्वारा स्थापना करा रहे हैं। अभी तुम पढ़ रहे हो। जब इन देवताओं का राज्य रहता है तब और कोई धर्म नहीं रहता है। फिर आधाकल्प बाद वृद्धि होती जाती है। ऊपर से आत्मायें आती जाती हैं, वर्ण बदलते जाते हैं, जीव आत्मायें बढ़ती जाती हैं। सतयुग में होंगे 9 लाख, फिर करोड़ होंगे फिर वृद्धि को पाते जायेंगे। सतयुग में भारत श्रेष्ठाचारी था, अभी भ्रष्टाचारी है। ऐसे नहीं, सब धर्म वाले श्रेष्ठाचारी बन जायेंगे। कितने ढेर मनुष्य हैं। यहाँ भी भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बनने में कितनी मेहनत लगती है। घड़ी-घड़ी श्रेष्ठाचारी बनते-बनते फिर विकार में जाए भ्रष्टाचारी बन पड़ते हैं। बाप कहते हैं मैं आया हूँ, तुमको काले से गोरा बनाने, तुम घड़ी-घड़ी फिर गिर पड़ते हो। बेहद का बाप तो सीधी बात बतलाते हैं। कहते हैं यह क्या कुल कलंकित बनते हो, काला मुँह करते हो। क्या तुम गोरा नहीं बनेंगे? तुम आधाकल्प श्रेष्ठ थे फिर कलायें कम होती जाती हैं। कलियुग अन्त में तो कलायें एकदम पूरी ख़त्म हो जाती हैं। सतयुग में सिर्फ एक ही भारत था। अभी तो सब धर्म हैं। बाप आकर फिर सतयुगी श्रेष्ठ सृष्टि स्थापन करते हैं। तुमको भी श्रेष्ठाचारी बनना चाहिए। श्रेष्ठाचारी कौन आकर बनाते हैं? बाप है ही गरीब निवाज़। पैसे की बात नहीं। बेहद के बाप के पास श्रेष्ठ बनने आते हैं तो भी लोग कहते हैं तुम यहाँ क्यों जाते हो। कितने विघ्न डालते हैं। तुम जानते हो इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में असुरों के विघ्न बहुत पड़ते हैं। अबलाओं पर अत्याचार होते हैं। कोई फिर स्त्रियाँ भी बहुत तंग करती हैं। विकार के लिए शादी करते हैं। अब बाप काम चिता से उतार ज्ञान चिता पर बिठाते हैं। जन्म-जन्मान्तर का कान्ट्रैक्ट है। इस समय है ही रावण राज्य। गवर्मेन्ट कितने शादमाने करती है। रावण को जलाते हैं, खेल देखने जाते हैं। अब यह रावण कहाँ से आया? रावण का जन्म हुए तो 2500 वर्ष हुए हैं। रावण ने सबको शोक वाटिका में बिठा दिया है। सब दु:खी ही दु:खी हैं। राम राज्य में सब सुखी ही सुखी होते हैं। अभी है कलियुग का अन्त। विनाश सामने खड़ा है। इतने करोड़े मनुष्य मरेंगे तो जरूर लड़ाई लगेगी ना। सरसों मुआफिक सब पीस जाते हैं। अब देखते हो तैयारियाँ हो रही हैं। बाप स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं। यह ज्ञान और कोई भी दे न सके। यह ज्ञान बाप ही आकर देते हैं और पतित को पावन बनाते हैं। सद्गति करने वाला एक ही बाप है। सतयुग में है ही सद्गति। वहाँ गुरू की दरकार नहीं। अभी तुम इस नॉलेज से त्रिकालदर्शी बनते हो। सतयुग में लक्ष्मी-नारायण में यह ज्ञान बिल्कुल नहीं होगा। तो फिर परम्परा से यह ज्ञान कहाँ से आया? अभी है कलियुग का अन्त। बाप कहते हैं तुम मुझे याद करो। स्वर्ग की राजधानी स्थापन करने वाले बाप को और वर्से को याद करो। पवित्र तो जरूर रहना पड़ेगा। वह है पावन दुनिया, यह है पतित दुनिया। पावन दुनिया में कंस, जरासन्धी, हिरण्यकश्यप आदि होते नहीं। कलियुग की बातों को सतयुग में ले गये हैं। शिवबाबा आये हैं कलियुग के अन्त में। आज शिवबाबा आये हैं, कल श्रीकृष्ण आयेगा। तो शिवबाबा और श्रीकृष्ण के पार्ट को मिला दिया है। शिव भगवानुवाच - उन द्वारा पढ़कर कृष्ण की आत्मा यह पद पाती है। उन्होंने फिर भूल से गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है। यह भूल फिर भी होगी। मनुष्य भ्रष्टाचारी बनें तब तो बाप आकर श्रेष्ठाचारी बनाये। श्रेष्ठाचारी ही 84 जन्म पूरे कर भ्रष्टाचारी बनते हैं। इस चक्र पर समझाना तो बहुत सहज है। झाड़ में भी दिखाया हुआ है - नीचे तुम राजयोग की तपस्या कर रहे हो, ऊपर लक्ष्मी-नारायण का राज्य खड़ा है। अभी तुम थुर में बैठे हो, फाउन्डेशन लग रहा है। तुम जानते हो फिर सूर्यवंशी कुल (वैकुण्ठ में) जायेंगे। रामराज्य को वैकुण्ठ नहीं कहा जाता। वैकुण्ठ कृष्ण के राज्य को कहा जाता है।
अभी तो तुम्हारे पास बहुत आयेंगे। एग्जीवीशन आदि में तुम्हारा नाम बाला होगा। एक-दो को देखकर वृद्धि को पायेंगे। बाप आकर यह सब बातें समझाते हैं। चित्रों पर किसको समझाना बहुत सहज है। सतयुग की स्थापना भगवान् ही आकर करते हैं। और आते हैं पतित दुनिया में। सांवरे से गोरा बनाते हैं। तुम कृष्ण की राजधानी की वंशावली भी हो। प्रजा भी हो। बाप अच्छी रीति समझाते हैं। निराकार शिवबाबा आत्माओं को बैठ समझाते हैं कि आप मुझे याद करो। यह है रूहानी यात्रा। हे आत्मायें, तुम अपने शान्तिधाम, निर्वाणधाम को याद करो तो स्वर्ग का वर्सा मिलेगा। अभी तुम संगम पर बैठे हो। बाप कहते हैं मुझे और अपने वर्से को याद करो तो तुम यहाँ स्वर्ग में आ जायेंगे। जो जितना याद करेंगे और पवित्र रहेंगे उतना ऊंचा पद मिलेगा। तुमको कितनी बड़ी दुआयें मिल रही हैं - धनवान भव, पुत्रवान भव, आयुषवान भव। देवताओं की आयु बहुत बड़ी होती है। साक्षात्कार होता है अभी यह शरीर छोड़ जाकर बच्चा बनना है। तो यह अन्दर में आना चाहिए - हम आत्मा यह पुराना शरीर छोड़ जाकर गर्भ में निवास करेंगी। अन्त मते सो गते। बूढ़े से तो हम क्यों न बच्चा बन जाऊं। आत्मा इस शरीर के साथ है तब तकल़ीफ महसूस करती है। आत्मा शरीर से अलग है तो आत्मा को कोई तकल़ीफ महसूस नहीं होती है। शरीर से अलग हुआ ख़लास। हमको अब जाना है, मूलवतन से बाबा आते हैं लेने लिए। यह दु:खधाम है। अभी हम जायेंगे मुक्तिधाम। बाप कहते हैं सबको मुक्तिधाम ले जाता हूँ। जो भी धर्म वाले हैं सबको मुक्तिधाम जाना है। वह पुरुषार्थ भी मुक्ति में जाने के लिए करते हैं।
बाप कहते हैं मुझे याद करो तो मेरे पास आ जायेंगे। बाबा को याद कर भोजन खाओ तो तुमको ताकत मिलेगी। अशरीरी होकर तुम पैदल आबूरोड तक चले जाओ, कभी तुमको कुछ भी थकावट नहीं होगी। बाबा शुरू में यह प्रैक्टिस कराते थे। समझते थे हम आत्मा हैं। बहुत हल्के होकर पैदल चले जाते थे। कुछ भी थकावट नहीं होती थी। शरीर बिगर तुम आत्मा तो सेकेण्ड में बाबा पास पहुँच सकती हो। यहाँ एक शरीर छोड़ा सेकेण्ड में जाकर लण्डन में जन्म लेते हैं। आत्मा जैसी तीखी और कोई चीज़ होती नहीं। तो अब बाप कहते हैं - बच्चे, हम तुमको लेने लिए आये हैं। अब मुझ बाबा को याद करो। अभी तुमको प्रैक्टिकल में बेहद के पारलौकिक बाप की दुआयें मिल रही हैं। बाप बच्चों को श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत दे रहे हैं। धन दौलत आदि सब तुम अपने पास रखो। सिर्फ ट्रस्टी होकर चलो। तुम कहते भी आये हो - हे भगवान् यह सब कुछ आपका है। भगवान् ने बच्चा दिया, भगवान् ने यह धन-दौलत दिया। अच्छा, फिर भगवान् आकर कहते हैं इन सबसे बुद्धियोग निकाल तुम ट्रस्टी होकर चलो। श्रीमत पर चलो तो बाप को मालूम पड़ेगा। तुम कोई कुकर्म तो नहीं करते हो। श्रीमत पर चलने से ही तुम श्रेष्ठ बनेंगे। आसुरी मत पर चलने से तुम भ्रष्ट बने हो। आधाकल्प तुमको भ्रष्ट बनने में लगा है। 16 कला से फिर 14 कला बनते हो फिर धीरे-धीरे कलायें कम होती जाती है, तो इसमें टाइम लगता है ना। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) चलते-फिरते अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। भोजन एक बाप की याद में खाना है।
2) मात-पिता की दुआयें लेनी हैं। ट्रस्टी होकर रहना है। कोई भी कुकर्म नहीं करना है।
वरदान:-ज्ञान स्वरूप बन कर्म फिलासॅफी को पहचान कर चलने वाले कर्मबन्धन मुक्त भव
कई बच्चे जोश में आकर सब कुछ छोड़ किनारा कर तन से अलग हो जाते लेकिन मन का हिसाब-किताब होने के कारण खींचता रहता है। बुद्धि जाती रहती है, यह भी एक बड़ा विघ्न बन जाता है इसलिए कोई से किनारा भी करना है तो पहले निमित्त आत्माओं से वेरीफाय कराओ क्योंकि यह कर्मो की फिलासफी है। जबरदस्ती तोड़ने से मन बार-बार जाता रहता है। तो ज्ञान स्वरूप होकर कर्म फिलॉसफी को पहचानो और वेरीफाय कराओ तो सहज कर्मबन्धन से मुक्त हो जायेंगे।
स्लोगन:-अपने स्वमान की सीट पर सेट रहो तो माया आपके आगे सरेन्डर हो जायेगी।
23/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, the more you stay in remembrance and become pure, the more blessings you will receive from the parlokik Mother and Father. By receiving blessings you will become constantly happy.
Question:What advice does the Father give all of you children and thereby saves you from doing wrong things?
Answer:Baba advises you: Children, keep all the wealth and prosperity you have with you, but live as trustees. You have been saying: O God, all of this is Yours! God gave you a son, He gave you wealth and so God now says: Remove your intellect's yoga from all of that and remain a trustee. Follow shrimat and you won't do anything wrong; you will become elevated.
Song:Take blessings from the Mother and Father.
Om Shanti
Shiv Baba explains to the teachers at the centres how they should teach the children who say that their mouths do not open or that they are unable to explain. It is very easy to explain using the pictures. When you explain to little children, you have to use pictures, do you not? It shouldn't be that as soon as everyone comes and sits in class, you begin the murli, no. You have to sit and explain to them from deep within. You children heard the song. One is the parlokik Mother and Father whom you continue to remember: You are the Mother and Father. He is the Creator of the World. The Mother and Father definitely creates heaven. In the golden age, children are residents of heaven. Mothers and fathers here are themselves residents of hell and so they would create children who are residents of hell. In the song, it says: Take blessings from the mother and father. You know that mothers and fathers of this time don't give blessings. Those who reside in heaven give you blessings which then last for half the cycle. Then, after half the cycle, you become cursed. They become impure themselves and they also make their children impure. That would not be called blessings. By continually giving curses, the people of Bharat have become cursed; there is so much sorrow. This is why they remember the Mother and Father. That Mother and Father is now giving blessings. He is teaching you and making you pure from impure. Here, it is the devilish community, the kingdom of Ravan, whereas there, it is the deity community, the kingdom of Rama. The birth of Ravan takes place in Bharat. Shiv Baba, whom you call Rama, also takes birth in Bharat. When you go on to the path of sin, the kingdom of Ravan begins in Bharat. So, Rama, the Supreme Father, the Supreme Soul, comes and makes Bharat pure from impure. When Ravan comes, people become impure. It is sung: Rama went and Ravan went and their whole families went. The family of Rama is very small. All the other religions end; all of them are destroyed; only you deities then remain. You, who have now become Brahmins, are the only ones who will be transferred to the golden age. So you now receive blessings from the Mother and Father. The Mother and Father are making you into the masters of heaven. There, there is nothing but happiness. At this time, there is sorrow in the iron age, and so all religions are unhappy. Now, after the iron age, the golden age has to come. There are so many people in the iron age. There will not be as many people in the golden age. However many Brahmins there are, there will be that many deities there. The number of them will continue to increase till the end of the silver age. They say that 3000 years before Christ there was the golden age. There is ‘Before Christ’ (BC) and AD (After Christ – Anno Domini) . In the golden age there is just the one religion and one kingdom. There will be few people there. There will just be Bharat and there won't be any other religions. There will just be the sun dynasty; there won't even be the moon dynasty. The sun dynasty can be called gods and goddesses because they are perfect. You children know that the Purifier is only the one Supreme Father, the Supreme Soul. (Pointing to the picture of the cycle). Look, the Father is sitting up above. He is carrying out establishment through Brahma. You are now studying. When it is the kingdom of those deities, there are no other religions. Then, after half the cycle, expansion takes place. Souls continue to come down from up above. The clans continue to change and the number of human beings continues to increase. There will be 900,000 in the golden age and then there will be a million and they will continue to grow in number. In the golden age, Bharat was elevated, whereas now, it is corrupt. It isn't that those of all religions will become elevated. There are so many human beings. Here, as well, it takes so much effort to become elevated from corrupt. While becoming elevated, they often fall into vice and become corrupt. The Father says: I have come to make you beautiful from ugly. You repeatedly fall down. The unlimited Father tells you everything in a straightforward manner. He says: You become those who defame the name of the clan. You are dirtying your face. Will you not become beautiful? You were elevated for half the cycle and then your degrees continued to decrease. By the end of the iron age, the degrees have completely finished. In the golden age, there was just the one Bharat. Now, there are so many religions. The Father comes and once again establishes the elevated golden-aged world. You also have to become elevated. Who comes and makes you elevated? The Father is the Lord of the Poor. This is not a question of money. You come to the unlimited Father to become elevated but, nevertheless, people ask: Why do you go there? They create so many obstacles. You know that there are many obstacles created by devils to this sacrificial fire of the knowledge of Rudra. Many innocent ones are beaten. Some women also cause a lot of trouble; they get married for vice. The Father now removes you from the pyre of lust and sits you on the pyre of knowledge. This is a contract for birth after birth. At this time, it is the kingdom of Ravan. The Government has so many celebrations. They burn Ravan and they go to watch plays. Where did this Ravan come from? It is 2500 years since Ravan came. Ravan has made everyone sit in the cottage of sorrow. Everyone is now unhappy and only unhappy. In the kingdom of Rama, everyone is completely happy. It is now the end of the iron age; destruction is just ahead. If so many millions of people are going to die, then war would surely take place, would it not? Everyone will be crushed like mustard seeds. You can see how preparations are now taking place. The Father is establishing heaven. No one else can give this knowledge. Only the Father comes and gives you this knowledge and makes you pure from impure. It is only the one Father who grants you salvation. In the golden age, there is salvation. There is no need for gurus there. Through this knowledge, you are now becoming trikaldarshi. In the golden age, Lakshmi and Narayan will not have this knowledge at all. So, how could this knowledge have continued from time immemorial? It is now the end of the iron age. The Father says: Remember Me! Remember the Father who carries out the establishment of the kingdom of heaven and also remember the inheritance. You definitely do have to remain pure. That is the pure world and this is the impure world. Kans, Jarasanha, Hirnayakasyap etc. do not exist in the pure world. They have taken the things of the iron age into the golden age. Shiv Baba has come at the end of the iron age. Today, Shiv Baba has come and tomorrow, Shri Krishna will come. So they have mixed up the parts of Shiv Baba and Shri Krishna. God Shiva speaks: The Shri Krishna soul studies from Him and attains that status. They have then inserted Krishna’s name in the Gita by mistake. This mistake will take place again. Only when people become corrupt can the Father come and make them elevated. Only those who are elevated take the full 84 births and become corrupt. It is very easy to explain using this picture of the cycle. It is also shown in the picture of the tree: Down below, you are doing the tapasya of Raja Yoga and up above, there is the kingdom of Lakshmi and Narayan. You are now sitting beneath the trunk and the foundation is being laid. You know that you will then go to the sun-dynasty clan (to Paradise). The kingdom of Rama is not called Paradise. Paradise is the kingdom of Krishna. Many people will now come to you. Your name will be glorified through the exhibitions etc. When people see one another coming, there will be a lot of expansion. The Father comes and explains all of these things. It is very easy to explain to anyone by using these pictures. Only God comes and carries out establishment of the golden age, and He comes into the impure world. He makes ugly ones beautiful. You are part of the dynasty and also people of the kingdom of Krishna. The Father explains to you very well. Incorporeal Shiv Baba sits here and says to you souls: Remember Me! This is the spiritual pilgrimage. O souls, remember your land of peace, the land of liberation and you will receive the inheritance of heaven. You are now sitting at the confluence age. The Father says: Remember Me and your inheritance and you will come to heaven. The more someone stays in remembrance and remains pure, the higher the status he will claim. You are receiving so many great blessings. May you be wealthy! May you have a son! May you have a long life! The lifespan of deities is very long. They have visions when they have to shed their bodies and become children again. So, this should enter you: I, the soul, will shed this old body and go and reside in a womb. Your final thoughts will lead you to your destination. Instead of being old, why should I not become a child? When a soul is in a body, he experiences difficulty. When a soul is separate from the body, he doesn't experience any difficulty at all. As soon as a soul separates from his body, everything is over. We now have to return. Baba comes from the incorporeal world to take us back. This is the land of sorrow. We are now to go to the land of liberation. The Father says: I take everyone to the land of liberation. Those of all religions have to go to the land of liberation. They make effort to go to the land of liberation. The Father says: Remember Me and you will come to Me. Eat food in remembrance of Baba and you will receive strength. If you remain bodiless as you walk down to Abu Road, you won't feel any tiredness. Baba used to make the children practise this in the early days. They used to think: I am a soul. They used to be very light and would walk down. They didn't have any tiredness at all. Without a body, you souls can reach Baba in a second. You shed a body here and you go in a second and take another body in London. There is nothing as fast as a soul. So, the Father now says: Children, I have come to take you back. Now remember Me, your Baba. You are now receiving unlimited blessings from the parlokik Father in a practical way. The Father is giving you children the most elevated of all directions. You can keep all the wealth and prosperity you have. Simply live as trustees. You have been saying: O God, all of this is Yours. God gave a child. God gave this wealth and prosperity. Achcha. God then comes and says: Remove your intellect's yoga from all of that and live as a trustee. Follow shrimat and the Father will know whether you are doing anything wrong. Only by following shrimat will you become elevated. By following devilish dictates, you have become corrupt. It has taken you half the cycle to become corrupt. From being 16 celestial degrees, you become 14 degrees and then the degrees gradually decrease; that takes time. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. While walking and moving around, practise being bodiless. Eat food in remembrance of the one Father.
2. Take blessings from the Mother and Father. Remain a trustee. Don't do anything wrong.
Blessing:May you become an embodiment of knowledge who recognises the philosophy of karma and move along free from any bondage of karma.
Some children become forceful: they leave everything or step away from everything even their bodies. However, because there are karmic accounts of their minds, they are pulled. Their intellects are pulled continually. This becomes a huge obstacle, and so if you do want to step away from anyone, first of all have it verified by the instrument souls because this is part of the philosophy of karma. By breaking away forcefully, the mind is pulled back there again and again. Therefore, become an embodiment of knowledge, recognise the philosophy of karma and have it verified and you will easily become free from any bondage of karma.
Slogan:Remain set on your seat of self-respect and Maya will surrender to you.
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