Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali 1st Oct 2018 | 113370 | 2018-11-13 01:33:45 | |
2 | Murali 02- Oct 2018 | 132948 | 2018-11-13 01:33:45 | |
3 | Murali 03-Oct-2018 | 125177 | 2018-11-13 01:33:45 | |
4 | Murali 04-Oct-2018 | 118934 | 2018-11-13 01:33:45 | |
5 | Murali 05-Oct-2018 | 133374 | 2018-11-13 01:33:45 | |
6 | Murali 06-Oct-2018 | 133043 | 2018-11-13 01:33:45 | |
7 | Murali 07-Oct-2018 | 135426 | 2018-11-13 01:33:45 | |
8 | Murali 08-Oct-2018 | 118475 | 2018-11-13 01:33:45 | |
9 | Murali 09-Oct-2018 | 113426 | 2018-11-13 01:33:46 | |
10 | Murali 10-Oct-2018 | 123819 | 2018-11-13 01:33:46 | |
11 | Murali 11-Oct-2018 | 133485 | 2018-11-13 01:33:46 | |
12 | Murali 12th Oct 2018 | 12264 | 2018-11-13 01:33:46 | |
13 | Murali 13th Oct 2018 | 120124 | 2018-11-13 01:33:46 | |
14 | Murali 14th Oct 2018 | 132308 | 2018-11-13 01:33:46 | |
15 | Murali 15th Oct 2018 | 124161 | 2018-11-13 01:33:46 | |
16 | Murali 16th Oct 2018 | 128293 | 2018-11-13 01:33:46 | |
17 | Murali 17th Oct 2018 | 120298 | 2018-11-13 01:33:46 | |
18 | Murali 18th Oct 2018 | 118916 | 2018-11-13 01:33:46 | |
19 | Murali 19th Oct 2018 | 117510 | 2018-11-13 01:33:46 | |
20 | Murali 20th Oct 2018 | 117518 | 2018-11-13 01:33:46 | |
21 | Murali 21st Oct 2018 | 130603 | 2018-11-13 01:33:46 | |
22 | Murali 22nd Oct 2018 | 135192 | 2018-11-13 01:33:46 | |
23 | Murali 23rd Oct 2018 | 113654 | 2018-11-13 01:33:46 | |
24 | Murali 24th Oct 2018 | 128826 | 2018-11-13 01:33:46 | |
25 | Murali 25th Oct 2018 | 124802 | 2018-11-13 01:33:46 | |
26 | Murali 26th Oct 2018 | 117905 | 2018-11-13 01:33:46 | |
27 | Murali 27th Oct 2018 | 125168 | 2018-11-13 01:33:46 | |
28 | Murali 28th Oct 2018 | 105833 | 2018-11-13 01:33:46 | |
29 | Murali 29th Oct 2018 | 124953 | 2018-11-13 01:33:46 | |
30 | Murali 30th Oct 2018 | 235865 | 2018-11-13 01:33:46 |
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Details ( Page:- Murali 21st Oct 2018 )
21-10-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 20-02-84 मधुबन
एक सर्वश्रेष्ठ, महान और सुहावनी घड़ी
आज भाग्य बनाने वाले बाप श्रेष्ठ भाग्यवान सर्व बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। हर एक बच्चा कैसे कल्प पहले मुआफिक तकदीर जगाकर पहुँच गया है। तकदीर जगाकर आये हो। पहचानना अर्थात् तकदीर जगना। विशेष डबल विदेशी बच्चों का वरदान भूमि पर संगठन हो रहा है। यह संगठन तकदीरवान बच्चों का संगठन है। सबसे पहले तकदीर खुलने का श्रेष्ठ समय वा श्रेष्ठ घड़ी वही है जब बच्चों ने जाना, माना और कहा मेरा बाबा। वह घड़ी ही सारे कल्प के अन्दर श्रेष्ठ और सुहावनी है। सभी को उस घड़ी की स्मृति अब भी आती है ना। बनना, मिलना, अधिकार पाना यह तो सारा संगमयुग ही अनुभव करते रहेंगे। लेकिन वह घड़ी जिसमें अनाथ से सनाथ बने, क्या से क्या बने। बिछुड़े हुए फिर से मिले। अप्राप्त आत्मा प्राप्ति के दाता की बनी वह पहली परिवर्तन की घड़ी, तकदीर जगने की घड़ी कितनी श्रेष्ठ महान है। स्वर्ग के जीवन से भी वह पहली घड़ी महान है, जब बाप के बन गये। मेरा सो तेरा हो गया। तेरा माना और डबल लाइट बने। मेरे के बोझ से हल्के बन गये। खुशी के पंख लग गये। फर्श से अर्श पर उड़ने लगे। पत्थर से हीरा बन गये। अनेक चक्करों से छूट स्वदर्शन चक्रधारी बन गये। वह घड़ी याद है? वह ब्रहस्पति के दशा की घड़ी जिसमें तन-मन-धन-जन सर्व प्राप्ति की तकदीर भरी हुई है। ऐसी दशा, ऐसी रेखा वाली वेला में श्रेष्ठ तकदीरवान बने। तीसरा नेत्र खुला और बाप को देखा। सभी अनुभवी हो ना। दिल में गीत गाते हो ना वाह वह श्रेष्ठ घड़ी! कमाल तो उस घड़ी की है ना! बापदादा ऐसी महान वेला में, तकदीरवान वेला में आये हुए बच्चों को देख-देख खुश हो रहे हैं।
ब्रह्मा बाप भी बोले वाह मेरे आदि देव के आदि काल के राज्य-भाग्य अधिकारी बच्चे! शिव बाप बोले वाह मेरे अनादि काल के अनादि अविनाशी अधिकार को पाने वाले बच्चे! बाप और दादा दोनों के अधिकारी सिकीलधे, स्नेही, साथी बच्चे हो। बापदादा को नशा है - विश्व में सभी आत्मायें जीवन का साथी, सच्चा साथी, प्रीत की रीत निभाने वाले साथी बहुत ढूँढने के बाद पाते भी हैं फिर भी सन्तुष्ट नहीं होते। एक भी ऐसा साथी नहीं मिलता और बापदादा को कितने जीवन साथी मिले हैं! और एक-एक, एक दो से महान हैं। सच्चे साथी हो ना! ऐसे सच्चे साथी हो जो प्राण जाएं लेकिन प्रीत की रीत न जाए। ऐसे सच्चे साथी जीवन साथी हो।
बापदादा की जीवन क्या है, जानते हो? विश्व सेवा ही बापदादा की जीवन है। ऐसी जीवन के साथी आप सभी हो ना इसलिए सच्चे जीवन के साथी साथ निभाने वाले, बापदादा के कितने बच्चे हैं। दिन-रात किसमें बिजी रहते हो? साथ निभाने में ना। सभी जीवन साथी बच्चों के अन्दर सदा क्या संकल्प रहता है? सेवा का नगाड़ा बजावें। अभी भी सभी मुहब्बत में मगन हो। सेवा के साथी बन सेवा का सबूत लेकर आये हो ना। लक्ष्य प्रमाण सफलता को पाते जा रहे हो। जितना किया वह ड्रामा अनुसार बहुत अच्छा किया, और आगे बढ़ना है ना। इस वर्ष आवाज बुलन्द तो किया लेकिन अभी कोई-कोई तरफ के माइक लाये हैं। चारों ओर के माइक नहीं आये हैं इसलिए आवाज तो फैला लेकिन चारों ओर के निमित्त बने हुए आवाज बुलन्द करने वाले बड़े माइक कहो या सेवा के निमित्त आत्मायें कहो यहाँ आयें और हरेक अपने को अपने तरफ का मैसेन्जर समझकर जाएं। अभी जिस तरफ से आये उस तरफ के मैसेन्जर बनें। लेकिन चारों ओर के माइक आयें और मैसेन्जर बन जाएं। चारों तरफ हर कोने में ये मैसेज सर्व को मिल जाए तो एक ही समय चारों ओर का आवाज निकले। इसको कहा जाता है बड़ा नगाड़ा बजना। चारों ओर एक नगाड़ा बजे, एक ही है, एक हैं, तब कहेंगे प्रत्यक्षता का नगाड़ा।
अभी हर एक देश के बैण्ड बजे हैं। नगाड़ा बजना है अभी। बैण्ड अच्छी बजाई है इसलिए बापदादा भिन्न-भिन्न देश के निमित्त बनी हुई आत्माओं द्वारा वैराइटी बैण्ड सुन और देख खुश हो रहे हैं। भारत की भी बैण्ड सुनी। बैण्ड की आवाज और नगाड़े की आवाज में भी फर्क है। मन्दिरों में बैण्ड के बजाए नगाड़ा बजाते हैं। अब समझा आगे क्या करना है? संगठन रूप का आवाज, बुलन्द आवाज होता है। अभी भी सिर्फ एक हाँ जी कहे और सभी मिलकर हाँ जी कहें तो फर्क होगा ना। एक है, एक ही हैं, यही एक हैं। यह बुलन्द आवाज चारों ओर से एक ही समय पर निकले। टी.वी. में देखो, रेडियो में देखो, अखबारों में देखो, मुख में देखो यही एक बुलन्द आवाज हो। इन्टरनेशनल आवाज हो इसलिए तो बापदादा जीवन साथियों को देख खुश होते हैं। जिसके इतने जीवन साथी और एक-एक महान तो सर्व कार्य हुए ही पड़े हैं। सिर्फ बाप निमित्त बन श्रेष्ठ कर्म की प्रालब्ध बना रहे हैं। अच्छा!
अभी तो मिलने की सीजन है। सबसे छोटे और सिकीलधे पोलैण्ड वाले बच्चे हैं। छोटे बच्चे सदैव प्यारे होते हैं। पोलैण्ड वालों को यह नशा है ना कि हम सबसे ज्यादा सिकीलधे हैं। सर्व समस्याओं को पार कर फिर भी पहुँच तो गये हैं ना! इसको कहा जाता है लगन। लगन विघ्न को समाप्त कर देती है। बापदादा के भी और परिवार के भी प्यारे हो। पोलैण्ड और पोरचुगीज़ दोनों ही देश लगन वाले हैं। न भाषा देखी, न पैसे को देखा लेकिन लगन ने उड़ा लिया। जहाँ स्नेह है वहाँ सहयोग अवश्य प्राप्त होता है। असम्भव से सम्भव हो जाता है। तो बापदादा ऐसे स्वीट बच्चों का स्नेह देख हर्षित होते हैं और लगन से सेवा करने वाले निमित्त बने हुए बच्चों को भी आफरीन देते हैं। अच्छी ही मुहब्बत से मेहनत की है।
वैसे तो इस वर्ष अच्छे ग्रुप लाये हैं सभी ने। लेकिन इन देशों की भी विशेषता है, इसलिए बापदादा विशेष देख रहे हैं। सभी ने अपने-अपने स्थान पर वृद्धि को अच्छा प्राप्त किया है इसलिए स्थानों के नाम नहीं लेते। लेकिन हर स्थान की विशेषता अपनी-अपनी है। मधुबन तक पहुँचना, यही सेवा की विशेषता है। चारों ओर के जो भी निमित्त बच्चे हैं, उन्हों को बापदादा विशेष स्नेह के पुष्प भेंट कर रहे हैं। चारों ओर की एकानामी में नीचे ऊपर होते हुए भी इतनी आत्माओं को उड़ाकर ले आये हैं। यही मुहब्बत के साथ मेहनत की निशानी है। यह सफलता की निशानी है इसलिए हरेक नाम सहित स्नेह के पुष्प स्वीकार करना। जो नहीं भी आये हैं उन्हों के याद-पत्र बहुत मालायें लाई हैं। तो बापदादा आकार रूप से न पहुँचने वाले बच्चों को भी स्नेह भरी यादप्यार दे रहे हैं। चारों ओर की तरफ से आये हुए बच्चों की याद का रेसपान्ड दे रहे हैं। सभी स्नेही हो। बापदादा के जीवन साथी हो, सदा साथ निभाने वाले समीप रत्न हो, इसलिए सभी की याद पत्रों से पहले, मैसेन्जर के पहले ही बापदादा के पास पहुँच गई और पहुँचती रहती है। सभी बच्चे अब यही सेवा की धूम मचाओ। बाप द्वारा मिले हुए शान्ति और खुशी के खजाने सर्व आत्माओं को खूब बांटो। सर्व आत्माओं की यही आवश्यकता है। सच्ची खुशी और सच्ची शान्ति की। खुशी के लिए कितना समय, धन और शारीरिक शक्ति भी खत्म कर देते हैं। हिप्पी बन जाते हैं। उन्हों को अब हैपी बनाओ। सर्व की आवश्यकता को पूर्ण करने वाले अन्नपूर्णा के भण्डार बनो। यही सन्देश सर्व विदेश के बच्चों को भेज देना। सभी बच्चों को मैसेज दे रहे हैं। कई ऐसे भी बच्चे हैं जो चलते-चलते थोड़ा सा अलबेलेपन के कारण तीव्र पुरुषार्थी से ढीले पुरुषार्थी हो जाते हैं। और कई माया के थोड़े समय के चक्र में भी आ जाते हैं। फिर भी जब फंस जाते हैं तो पश्चाताप में आते हैं। पहले माया की आकर्षण के कारण चक्र नहीं लगता लेकिन आराम लगता है। फिर जब चक्र में फंस जाते हैं तो होश में आ जाते हैं और जब होश में आते हैं तो कहते बाबा-बाबा क्या करें। ऐसे चक्र के वश होने वाले बच्चों के भी बहुत पत्र आते हैं। ऐसे बच्चों को भी बापदादा यादप्यार दे रहे हैं और फिर से यही याद दिला रहे हैं। जैसे भारत में कहावत है कि रात का भूला अगर दिन में घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता। ऐसे फिर से जागृति आ गई तो बीती सो बीती। फिर से नया उमंग, नया उत्साह नई जीवन का अनुभव करके आगे बढ़ सकते हैं।
बापदादा भी तीन बार माफ करते हैं। तीन बार फिर भी चांस देते हैं, इसलिए कोई भी संकोच नहीं करें। संकोच को छोड़कर स्नेह में आ जायें तो फिर से अपनी उन्नति कर सकते हैं। ऐसे बच्चों को भी विशेष सन्देश देना। कोई-कोई सरकमस्टाँस के कारण नहीं आ सके हैं और वह बहुत तड़पते याद कर रहे हैं। बापदादा सभी बच्चों की सच्ची दिल को जानते हैं। जहाँ सच्ची दिल है वहाँ आज नहीं तो कल फल निकलता ही है। अच्छा!
सामने डबल विदेशी हैं। उन्हों की सीजन है ना। सीजन वालों को पहले खिलाया जाता है। सभी देश वाले अर्थात् भाग्यवान आत्माओं को, देश वालों को यह भी एडीशन में नशा है कि हम बाप के अवतरित भूमि वाले हैं। ऐसे सेवा की भारत भूमि, बाप की अवतरण भूमि और भविष्य की राज्य भूमि वाले सभी बच्चों को बापदादा विशेष यादप्यार दे रहे हैं क्योंकि सभी ने अपनी-अपनी लगन, उमंग-उत्साह प्रमाण सेवा की और सेवा द्वारा अनेक आत्माओं को बाप के समीप लाया इसलिए सेवा के रिटर्न में बापदादा सभी बच्चों को स्नेह के पुष्पों का गुलदस्ता दे रहे हैं। स्वागत कर रहे हैं। आप भी सभी को गुलदस्ता दे स्वागत करते हो ना। तो सभी बच्चों को गुलदस्ता भी दे रहे हैं और सफलता का बैज भी लगा रहे हैं। हरेक बच्चे अपने-अपने नाम से बापदादा द्वारा मिला हुआ बैज और गुलदस्ता स्वीकार करना। अच्छा!
ज़ोन वाली दादियाँ तो हैं ही चेयरमैन। चेयर-मैन अर्थात् सदा सीट पर सेट होने वाली, जो सदा सीट पर सेट हैं उनको ही चेयरमैन कहा जाता है। सदा चेयर के साथ नियर भी हैं इसलिए सदा बाप के आदि सो अन्त तक हर कदम के साथी हैं। बाप का कदम और उन्हों का कदम सदा एक है। कदम ऊपर कदम रखने वाली हैं, इसलिए ऐसे सदा के हर कदम के साथियों को पदम, पदम, पदम गुणा यादप्यार दे रहे हैं और बहुत सुन्दर हीरे का पदम पुष्प बाप द्वारा स्वीकार हो। महारथियों में भाई भी आ गये। पाण्डव सदा शक्तियों के साथी हैं। पाण्डवों को यह खुशी है कि शक्ति सेना और पाण्डव दोनों मिलकर जो बाप का कार्य है, उसमें निमित्त बन सफल करने वाले सफलता मूर्त हैं इसलिए पाण्डव भी कम नहीं, पाण्डव भी महान हैं। हर पाण्डव की विशेषता अपनी-अपनी है, विशेष सेवा कर रहे हैं। और उसी विशेषता के आधार पर बाप और परिवार के आगे विशेष आत्मायें हैं इसलिए ऐसी सेवा के निमित्त विशेष आत्माओं को विशेष रूप से बापदादा विजय के तिलक से स्वागत कर रहे हैं। समझा। अच्छा!
आप सभी को तो सब मिल गया ना। कमल, तिलक, गुलदस्ता, बैज सब मिला ना। डबल विदेशियों की स्वागत कितने प्रकार से हो गई। यादप्यार तो सभी को मिल ही गया। फिर भी डबल विदेशी और स्व देशी, सभी बच्चे सदा उन्नति को पाते रहो, विश्व को परिवर्तन कर सदा के लिए सुखों के झूले में झूलते रहो। ऐसे विशेष सेवाधारी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
ट्रीनीडाड पार्टी से:- सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें हैं, ऐसे समझते हो! ब्राह्मणों को सदा ऊंची चोटी की निशानी दिखाते हैं। ऊंचे ते ऊंचा बाप और ऊंचे ते ऊंचा समय तो स्वयं भी ऊंचे हुए। जो सदा ऊंची स्थिति पर स्थित रहते हैं वह सदा ही डबल लाइट स्वयं को अनुभव करते हैं। किसी भी प्रकार का बोझ नहीं। न सम्बन्ध का, न अपने कोई पुराने स्वभाव-संस्कार का, इसको कहते हैं सर्व बन्धनों से मुक्त। ऐसे फ्री हो। सारा ग्रुप निर्बन्धन ग्रुप है। आत्मा से और शरीर के सम्बन्ध से भी। निर्बन्धन आत्मायें क्या करेंगी? सेन्टर सम्भालेंगी ना। तो कितने सेवाकेन्द्र खोलने चाहिए। टाइम भी है और डबल लाइट भी हो तो आप समान बनायेंगे ना। जो मिला है वह औरों को देना है। समझते हो ना कि आज के विश्व की आत्माओं को इसी अनुभव की कितनी आवश्यकता है। ऐसे समय पर आप प्राप्ति स्वरूप आत्माओं का क्या कार्य है! तो अभी सेवा को और वृद्धि को प्राप्त कराओ। ट्रीनीडाड वैसे भी सम्पन्न देश है तो सबसे ज्यादा संख्या ट्रीनीडाड सेन्टर की होनी चाहिए। आसपास भी बहुत एरिया है, तरस नहीं पड़ता? सेन्टर भी खोलो और बड़े-बड़े माइक भी लाओ। इतनी हिम्मत वाली आत्मायें जो चाहे वह कर सकती हैं। जो श्रेष्ठ आत्मायें हैं उन्हों द्वारा श्रेष्ठ सेवा समाई हुई है। अच्छा!
वरदान:-वैरायटी अनुभूतियों द्वारा सदा उमंग-उत्साह से भरपूर रहने वाले विघ्न जीत भव
रोज़ अमृतवेले सारे दिन के लिए वैरायटी उमंग-उत्साह की प्वाइंट्स बुद्धि में इमर्ज करो। हर दिन की मुरली से उमंग-उत्साह की प्वाइंट्स नोट करो, वह वैरायटी प्वाइंटस उमंग-उत्साह बढ़ायेंगी। मनुष्य आत्मा का नेचर है कि वैरायटी पसन्द आती है इसलिए चाहे ज्ञान की प्वाइंट मनन करो या रूहरिहान करो, वैरायटी रूप से जीरो बन अपने हीरो पार्ट की स्मृति में रहो, तो उमंग-उत्साह से भरपूर रहेंगे और सब विघ्न सहज समाप्त हो जायेंगे।
स्लोगन:-अपनी अवस्था को ऐसा शान्त-चित बना लो जो क्रोध का भूत दूर से ही भाग जाए।
21/10/18 Madhuban Avyakt BapDada Om Shanti 20/02/84
A most elevated, great and beautiful moment.
Today, the Father who creates fortune is pleased to see the all the elevated, fortunate children. Each of you children has awakened your fortune and reached here as you did in the previous cycle. Having awakened your fortune you have come. To have recognition means to awaken your fortune. A special gathering of double-foreign children is especially taking place in the land of blessings. This is a gathering of the fortunate children. The elevated moment of your fortune first opening is when you children recognised, accepted and said, "My Baba!" That moment is the most elevated and beautiful moment of the whole cycle. All of you remember that moment even now, do you not? You will continue to experience throughout the confluence age belonging, meeting and claiming a right, but that moment was when, from being an orphan you belonged to the Lord and Master and became something totally different from what you were. Those who had been separated met again. A soul who had no attainment belonged to the Bestower of Attainment. That first moment of transformation, the moment of your fortune awakening, is such a great, elevated moment. That first moment when you belonged to the Father is even greater than the life of heaven. Everything “mine” became "Yours". As soon as you said "Yours" you became double light. You became light from the burden of "mine". You received wings of happiness. From being on the earth, you began to fly in the sky. You changed from stone to a diamond. You became free from the many types of spinning and become a spinner of the discus of self-realisation. Do you remember that moment? The moment when you attained the omens of Jupiter filled with the fortune of attainment of body, mind, wealth and people? When you had such omens and such a line of fortune, you became one with elevated fortune. Your third eye opened and you saw the Father. All of you experienced this, did you not? You sing this song in your hearts, do you not? "Wah, the most elevated moment, wah!" It is the wonder of that moment. BapDada is pleased to see the children who have come at such a great time, at such a fortunate time.
Father Brahma also says: Wah my children of Adi Dev who have a right to the fortune of the kingdom at the beginning. Father Shiva says: Wah, My children who eternally claim eternal and imperishable rights! You are the long-lost and now-found children who have all rights of both Bap and Dada, the loving children who are companions. BapDada has this intoxication. In the world, all souls try to find a life companion, a true companion, a companion who fulfils the responsibility of love. After searching a great deal they find some companion yet they are not content. They are unable to find even one such true companion whereas how many life companions has BapDada found? And, each one is greater than the next! You are true companions, are you not? You are such true companions that even if you lose your life, you will not let go of the responsibility of love. You are such true companions, life companions.
Do you know what BapDada's life is? World service is BapDada's life. All of you are companions of such a life, are you not? Therefore, BapDada has so many children who are true, life companions. What do you remain busy in day and night? In fulfilling the responsibility of giving your company. What thought do all of you life companions have inside you? To beat the drums of service. Even now, all of you are deeply lost in love. You have become service companions and have brought the proof of service. You are continuing to receive success according to your aim. Whatever you have done so far, according to the drama, has been good and you now have to make further progress. This year, you have made a loud sound heard. However, as yet, mikes from only a few places have come. Mikes have not come from everywhere. Therefore, although the sound has spread, now, instruments from everywhere who can make a loud sound be heard, who can be called big mikes or souls who are instruments for service, should come here and each of them should go back considering himself to be a messenger for wherever he has come from. They now have to become messengers for the place they come from. However, mikes from everywhere should come here and return there, as messengers. If everyone in every corner receives this message, the sound will then be heard everywhere at the same time. This is called beating the big drums. One drum should be beaten everywhere: We are one, we are one. Only then can you say that the drums of revelation have been beaten.
Now, bands of every country have played. The drums now have to be beaten. The bands have played very well. Therefore, BapDada is pleased to have heard and seen the variety of bands of the instrument souls of the different countries playing. He also heard the bands of Bharat. There is a difference between the sound of a band and the sound of drums. In temples, instead of bands playing they beat drums. Do you now understand what you have to do in the future? The sound of the gathering is a very loud sound. Even now, if one person says "Ha ji" and then everyone together says "Ha ji", there would be a difference, would there not? This is the One. There is just this One. This is the only One. This loud sound should be heard everywhere at the same time. When you look at the TV, radio, newspapers and people's mouths, just this one sound should be heard loudly. Let there be an international sound. Therefore, BapDada is pleased to see His life companions. When someone has so many life companions and each one is so great, then all the tasks are already accomplished. The Father simply becomes the Instrument to enable you to create the reward of elevated deeds. Achcha.
It is now the season of meeting. The children from Poland are the youngest long-lost and now-found ones. Young children are always loved so much. Those of you from Poland have the intoxication, do you not, of being the most long-lost and now-found children? You overcame all problems and at least arrived here. This is called deep love. Deep love ends all obstacles. You are loved by BapDada and the family. Both countries, Poland and Portugal, are those who have deep love. You didn't stop to consider the language or the money, for your love enabled you to fly. Where there is love, you definitely receive co-operation; from being impossible, everything becomes possible. BapDada is pleased to see the love of such sweet children and gives thanks to the instrument children who do service with such love. You have made very good effort with love.
In fact, this year, everyone has brought very good groups. However, these countries also have their own specialities and this is why BapDada is especially looking at them. You have all made your own service places grow very well and this is why BapDada is not mentioning the names of the places. However, each place has its own speciality. To reach Madhuban is the speciality of service. BapDada is especially presenting flowers of love to all the instrument children everywhere. Even though there is fluctuation in the economy everywhere, you have made so many souls fly and brought them here. This is a sign of effort with love. This is a sign of success. Therefore, each one of you should accept flowers of love personally by name. Many rosaries of letters of remembrance have also come from those who haven't come. Therefore, BapDada is also giving love-filled remembrance to those who haven't been able to come here in the corporeal form. BapDada is giving the response of remembrance to all the children who have come from everywhere. All of you are loving. You are BapDada's life companions. You are the close jewels who constantly fulfil the responsibility of companionship and this is why your remembrance reached BapDada before the letters of remembrance and the messengers and continues to reach Him even now. All you children must now create enthusiasm for this type of service. Distribute a great deal all the treasures of peace and happiness you have received from the Father to all the souls. The need of all souls is this: true happiness and true peace. People spend so much time, money and physical energy to attain happiness. They even become hippies. Now make them happy. Become the treasure-store of Annapurna (a goddess), who fulfils everyone's needs for food. Send this message to all the children abroad. BapDada is giving a message to all the children. There are even such children who, because of carelessness while moving along, become slack effort-makers from being intense effort-makers. Some even get caught up for some time in the spinning of Maya. Then, when they become trapped, they repent. At first, because of the attraction of Maya, it doesn't seem like spinning, it feels comfortable. However, when you become trapped in the spinning, you then become aware and, because you are aware, you ask Baba: Baba, what can I do? Baba receives many such letters from children who become influenced by such spinning. BapDada gives love and remembrance to even such children and reminds them of this once again. In Bharat there is a saying: If someone has forgotten his home at night and then comes back home during the day, he is not said to have forgotten his home. If you have been enlightened in this way once again, then the past is past. You can once again experience new zeal, new enthusiasm, a new life and continue to move forward.
BapDada forgives you three times. He gives you a chance three times. Therefore, no one should hesitate. If you stop hesitating and have love and come back, you can still make progress. Especially give this message to such children. Some have been unable to come because of their circumstances, and they are desperately remembering Baba. BapDada knows the true heart of each of the children. When you have a true heart, then, if not today, then tomorrow, there will definitely be success. Achcha.
The double foreigners are in front of BapDada. It is their season. Those whose season it is are fed first. To those of all lands, that is, to the fortunate souls – those from this land have the additional intoxication of belonging to the land that is the land of the Father’s incarnation. BapDada is giving special love and remembrance to all the children who belong to the land of Bharat where such service takes place, the land of the Father's incarnation and the land of your future kingdom, because all of you did service according to your own love, zeal and enthusiasm and your service brought many souls close to the Father. Therefore, in return for your service, BapDada is giving all of you children a bouquet of flowers of love. He is welcoming you. You also welcome everyone with a bouquet, do you not? Therefore, Baba is giving all of you children a bouquet and also putting a badge of success on you. Let each of you children accept from BapDada, personally by name, your badge and bouquet. Achcha.
The Dadis in charge of the zones are the chairmen. “Chairman” means always to be set on your seat. Only those who are always set on their seats are called chairmen. Together with the chair, you are always near too. This is why you are always the Father's companions from the beginning to the end at every step. The Father's steps and their steps are always one. You are those who place their footsteps in the Father's steps. Therefore, Baba is giving those who are always companions at every step multi-multi-multi million-fold love and remembrance. Also please accept from the Father a very beautiful lotus flower of diamonds. The brothers are also included in the maharathis. Pandavas are always companions of Shaktis. The Pandavas always have the happiness that whatever the Father's task is, both the Shakti Army and the Pandava Army become instruments together and are images of success who bring about success. This is why the Pandavas are no less. The Pandavas too are great. The speciality of every Pandava is his own. You are all doing special service and, on the basis of that speciality, you are special souls in front of the Father and the family. Therefore, BapDada is especially welcoming all of you special souls who are instruments for such service with a tilak of victory. Do you understand? Achcha.
All of you have now received everything, have you not? You all received the lotus, the tilak, the bouquet and the badge, did you not? The double foreigners have been welcomed in so many different ways. Everyone has already received love and remembrance anyway. Nevertheless, to the double foreigners and those of this land: May all of you children constantly continue to progress and transform the world and constantly swing in swings of happiness. To such special serviceable children, BapDada's love, remembrance and namaste.
BapDada meeting the Trinidad Group:
Do you always consider yourselves to be the elevated Brahmin souls of the confluence age? Brahmins are always shown with the symbol of a topknot. The Father is the Highest on High, the time is the highest on high and so you yourselves are also the highest. Those who always remain in an elevated stage experience themselves to be double light. They don’t have any type of burden: not of relationships or any old sanskars or nature. This is known as being free from all bondages. Are you free to this extent? The whole group is free from bondage, free: as a soul and in terms of relations of the body too. What would souls who are free from bondage do? They would look after a centre, would they not? So, how many service places should you open? You have the time and you are double light and so you will make others the same as yourselves, will you not? You have to give to others what you have received. You do understand, do you not, that the souls of today's world need this experience? At such a time, what is the duty of you souls who are embodiments of attainment? So, let service now increase and let there be growth. In any case, Trinidad is a country that is full, and so the largest number of students should be from the Trinidad centres. You have many areas (countries) around too. Do you not feel mercy for them? Open centres and also bring big mikes. Souls with so much courage can do whatever they want. Elevated service is destined to happen through elevated souls. Achcha.
Blessing:May you be a conqueror of obstacles and remain constantly filled with zeal and enthusiasm with a variety of experiences.
Every day at amrit vela, various points of zeal and enthusiasm should emerge in your intellect for the whole day. Note down from every day’s murli points of zeal and enthusiasm and these varieties of points will increase your zeal and enthusiasm. Human nature likes to have variety. Therefore, whether you churn points of knowledge or have a heart-to-heart conversation, become a zero with some form of variety and remain aware of your hero part and you will remain full of zeal and enthusiasm and all obstacles will easily finish.
Slogan:Make your stage so peaceful that any evil spirit of anger runs away from a distance.
एक सर्वश्रेष्ठ, महान और सुहावनी घड़ी
आज भाग्य बनाने वाले बाप श्रेष्ठ भाग्यवान सर्व बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। हर एक बच्चा कैसे कल्प पहले मुआफिक तकदीर जगाकर पहुँच गया है। तकदीर जगाकर आये हो। पहचानना अर्थात् तकदीर जगना। विशेष डबल विदेशी बच्चों का वरदान भूमि पर संगठन हो रहा है। यह संगठन तकदीरवान बच्चों का संगठन है। सबसे पहले तकदीर खुलने का श्रेष्ठ समय वा श्रेष्ठ घड़ी वही है जब बच्चों ने जाना, माना और कहा मेरा बाबा। वह घड़ी ही सारे कल्प के अन्दर श्रेष्ठ और सुहावनी है। सभी को उस घड़ी की स्मृति अब भी आती है ना। बनना, मिलना, अधिकार पाना यह तो सारा संगमयुग ही अनुभव करते रहेंगे। लेकिन वह घड़ी जिसमें अनाथ से सनाथ बने, क्या से क्या बने। बिछुड़े हुए फिर से मिले। अप्राप्त आत्मा प्राप्ति के दाता की बनी वह पहली परिवर्तन की घड़ी, तकदीर जगने की घड़ी कितनी श्रेष्ठ महान है। स्वर्ग के जीवन से भी वह पहली घड़ी महान है, जब बाप के बन गये। मेरा सो तेरा हो गया। तेरा माना और डबल लाइट बने। मेरे के बोझ से हल्के बन गये। खुशी के पंख लग गये। फर्श से अर्श पर उड़ने लगे। पत्थर से हीरा बन गये। अनेक चक्करों से छूट स्वदर्शन चक्रधारी बन गये। वह घड़ी याद है? वह ब्रहस्पति के दशा की घड़ी जिसमें तन-मन-धन-जन सर्व प्राप्ति की तकदीर भरी हुई है। ऐसी दशा, ऐसी रेखा वाली वेला में श्रेष्ठ तकदीरवान बने। तीसरा नेत्र खुला और बाप को देखा। सभी अनुभवी हो ना। दिल में गीत गाते हो ना वाह वह श्रेष्ठ घड़ी! कमाल तो उस घड़ी की है ना! बापदादा ऐसी महान वेला में, तकदीरवान वेला में आये हुए बच्चों को देख-देख खुश हो रहे हैं।
ब्रह्मा बाप भी बोले वाह मेरे आदि देव के आदि काल के राज्य-भाग्य अधिकारी बच्चे! शिव बाप बोले वाह मेरे अनादि काल के अनादि अविनाशी अधिकार को पाने वाले बच्चे! बाप और दादा दोनों के अधिकारी सिकीलधे, स्नेही, साथी बच्चे हो। बापदादा को नशा है - विश्व में सभी आत्मायें जीवन का साथी, सच्चा साथी, प्रीत की रीत निभाने वाले साथी बहुत ढूँढने के बाद पाते भी हैं फिर भी सन्तुष्ट नहीं होते। एक भी ऐसा साथी नहीं मिलता और बापदादा को कितने जीवन साथी मिले हैं! और एक-एक, एक दो से महान हैं। सच्चे साथी हो ना! ऐसे सच्चे साथी हो जो प्राण जाएं लेकिन प्रीत की रीत न जाए। ऐसे सच्चे साथी जीवन साथी हो।
बापदादा की जीवन क्या है, जानते हो? विश्व सेवा ही बापदादा की जीवन है। ऐसी जीवन के साथी आप सभी हो ना इसलिए सच्चे जीवन के साथी साथ निभाने वाले, बापदादा के कितने बच्चे हैं। दिन-रात किसमें बिजी रहते हो? साथ निभाने में ना। सभी जीवन साथी बच्चों के अन्दर सदा क्या संकल्प रहता है? सेवा का नगाड़ा बजावें। अभी भी सभी मुहब्बत में मगन हो। सेवा के साथी बन सेवा का सबूत लेकर आये हो ना। लक्ष्य प्रमाण सफलता को पाते जा रहे हो। जितना किया वह ड्रामा अनुसार बहुत अच्छा किया, और आगे बढ़ना है ना। इस वर्ष आवाज बुलन्द तो किया लेकिन अभी कोई-कोई तरफ के माइक लाये हैं। चारों ओर के माइक नहीं आये हैं इसलिए आवाज तो फैला लेकिन चारों ओर के निमित्त बने हुए आवाज बुलन्द करने वाले बड़े माइक कहो या सेवा के निमित्त आत्मायें कहो यहाँ आयें और हरेक अपने को अपने तरफ का मैसेन्जर समझकर जाएं। अभी जिस तरफ से आये उस तरफ के मैसेन्जर बनें। लेकिन चारों ओर के माइक आयें और मैसेन्जर बन जाएं। चारों तरफ हर कोने में ये मैसेज सर्व को मिल जाए तो एक ही समय चारों ओर का आवाज निकले। इसको कहा जाता है बड़ा नगाड़ा बजना। चारों ओर एक नगाड़ा बजे, एक ही है, एक हैं, तब कहेंगे प्रत्यक्षता का नगाड़ा।
अभी हर एक देश के बैण्ड बजे हैं। नगाड़ा बजना है अभी। बैण्ड अच्छी बजाई है इसलिए बापदादा भिन्न-भिन्न देश के निमित्त बनी हुई आत्माओं द्वारा वैराइटी बैण्ड सुन और देख खुश हो रहे हैं। भारत की भी बैण्ड सुनी। बैण्ड की आवाज और नगाड़े की आवाज में भी फर्क है। मन्दिरों में बैण्ड के बजाए नगाड़ा बजाते हैं। अब समझा आगे क्या करना है? संगठन रूप का आवाज, बुलन्द आवाज होता है। अभी भी सिर्फ एक हाँ जी कहे और सभी मिलकर हाँ जी कहें तो फर्क होगा ना। एक है, एक ही हैं, यही एक हैं। यह बुलन्द आवाज चारों ओर से एक ही समय पर निकले। टी.वी. में देखो, रेडियो में देखो, अखबारों में देखो, मुख में देखो यही एक बुलन्द आवाज हो। इन्टरनेशनल आवाज हो इसलिए तो बापदादा जीवन साथियों को देख खुश होते हैं। जिसके इतने जीवन साथी और एक-एक महान तो सर्व कार्य हुए ही पड़े हैं। सिर्फ बाप निमित्त बन श्रेष्ठ कर्म की प्रालब्ध बना रहे हैं। अच्छा!
अभी तो मिलने की सीजन है। सबसे छोटे और सिकीलधे पोलैण्ड वाले बच्चे हैं। छोटे बच्चे सदैव प्यारे होते हैं। पोलैण्ड वालों को यह नशा है ना कि हम सबसे ज्यादा सिकीलधे हैं। सर्व समस्याओं को पार कर फिर भी पहुँच तो गये हैं ना! इसको कहा जाता है लगन। लगन विघ्न को समाप्त कर देती है। बापदादा के भी और परिवार के भी प्यारे हो। पोलैण्ड और पोरचुगीज़ दोनों ही देश लगन वाले हैं। न भाषा देखी, न पैसे को देखा लेकिन लगन ने उड़ा लिया। जहाँ स्नेह है वहाँ सहयोग अवश्य प्राप्त होता है। असम्भव से सम्भव हो जाता है। तो बापदादा ऐसे स्वीट बच्चों का स्नेह देख हर्षित होते हैं और लगन से सेवा करने वाले निमित्त बने हुए बच्चों को भी आफरीन देते हैं। अच्छी ही मुहब्बत से मेहनत की है।
वैसे तो इस वर्ष अच्छे ग्रुप लाये हैं सभी ने। लेकिन इन देशों की भी विशेषता है, इसलिए बापदादा विशेष देख रहे हैं। सभी ने अपने-अपने स्थान पर वृद्धि को अच्छा प्राप्त किया है इसलिए स्थानों के नाम नहीं लेते। लेकिन हर स्थान की विशेषता अपनी-अपनी है। मधुबन तक पहुँचना, यही सेवा की विशेषता है। चारों ओर के जो भी निमित्त बच्चे हैं, उन्हों को बापदादा विशेष स्नेह के पुष्प भेंट कर रहे हैं। चारों ओर की एकानामी में नीचे ऊपर होते हुए भी इतनी आत्माओं को उड़ाकर ले आये हैं। यही मुहब्बत के साथ मेहनत की निशानी है। यह सफलता की निशानी है इसलिए हरेक नाम सहित स्नेह के पुष्प स्वीकार करना। जो नहीं भी आये हैं उन्हों के याद-पत्र बहुत मालायें लाई हैं। तो बापदादा आकार रूप से न पहुँचने वाले बच्चों को भी स्नेह भरी यादप्यार दे रहे हैं। चारों ओर की तरफ से आये हुए बच्चों की याद का रेसपान्ड दे रहे हैं। सभी स्नेही हो। बापदादा के जीवन साथी हो, सदा साथ निभाने वाले समीप रत्न हो, इसलिए सभी की याद पत्रों से पहले, मैसेन्जर के पहले ही बापदादा के पास पहुँच गई और पहुँचती रहती है। सभी बच्चे अब यही सेवा की धूम मचाओ। बाप द्वारा मिले हुए शान्ति और खुशी के खजाने सर्व आत्माओं को खूब बांटो। सर्व आत्माओं की यही आवश्यकता है। सच्ची खुशी और सच्ची शान्ति की। खुशी के लिए कितना समय, धन और शारीरिक शक्ति भी खत्म कर देते हैं। हिप्पी बन जाते हैं। उन्हों को अब हैपी बनाओ। सर्व की आवश्यकता को पूर्ण करने वाले अन्नपूर्णा के भण्डार बनो। यही सन्देश सर्व विदेश के बच्चों को भेज देना। सभी बच्चों को मैसेज दे रहे हैं। कई ऐसे भी बच्चे हैं जो चलते-चलते थोड़ा सा अलबेलेपन के कारण तीव्र पुरुषार्थी से ढीले पुरुषार्थी हो जाते हैं। और कई माया के थोड़े समय के चक्र में भी आ जाते हैं। फिर भी जब फंस जाते हैं तो पश्चाताप में आते हैं। पहले माया की आकर्षण के कारण चक्र नहीं लगता लेकिन आराम लगता है। फिर जब चक्र में फंस जाते हैं तो होश में आ जाते हैं और जब होश में आते हैं तो कहते बाबा-बाबा क्या करें। ऐसे चक्र के वश होने वाले बच्चों के भी बहुत पत्र आते हैं। ऐसे बच्चों को भी बापदादा यादप्यार दे रहे हैं और फिर से यही याद दिला रहे हैं। जैसे भारत में कहावत है कि रात का भूला अगर दिन में घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता। ऐसे फिर से जागृति आ गई तो बीती सो बीती। फिर से नया उमंग, नया उत्साह नई जीवन का अनुभव करके आगे बढ़ सकते हैं।
बापदादा भी तीन बार माफ करते हैं। तीन बार फिर भी चांस देते हैं, इसलिए कोई भी संकोच नहीं करें। संकोच को छोड़कर स्नेह में आ जायें तो फिर से अपनी उन्नति कर सकते हैं। ऐसे बच्चों को भी विशेष सन्देश देना। कोई-कोई सरकमस्टाँस के कारण नहीं आ सके हैं और वह बहुत तड़पते याद कर रहे हैं। बापदादा सभी बच्चों की सच्ची दिल को जानते हैं। जहाँ सच्ची दिल है वहाँ आज नहीं तो कल फल निकलता ही है। अच्छा!
सामने डबल विदेशी हैं। उन्हों की सीजन है ना। सीजन वालों को पहले खिलाया जाता है। सभी देश वाले अर्थात् भाग्यवान आत्माओं को, देश वालों को यह भी एडीशन में नशा है कि हम बाप के अवतरित भूमि वाले हैं। ऐसे सेवा की भारत भूमि, बाप की अवतरण भूमि और भविष्य की राज्य भूमि वाले सभी बच्चों को बापदादा विशेष यादप्यार दे रहे हैं क्योंकि सभी ने अपनी-अपनी लगन, उमंग-उत्साह प्रमाण सेवा की और सेवा द्वारा अनेक आत्माओं को बाप के समीप लाया इसलिए सेवा के रिटर्न में बापदादा सभी बच्चों को स्नेह के पुष्पों का गुलदस्ता दे रहे हैं। स्वागत कर रहे हैं। आप भी सभी को गुलदस्ता दे स्वागत करते हो ना। तो सभी बच्चों को गुलदस्ता भी दे रहे हैं और सफलता का बैज भी लगा रहे हैं। हरेक बच्चे अपने-अपने नाम से बापदादा द्वारा मिला हुआ बैज और गुलदस्ता स्वीकार करना। अच्छा!
ज़ोन वाली दादियाँ तो हैं ही चेयरमैन। चेयर-मैन अर्थात् सदा सीट पर सेट होने वाली, जो सदा सीट पर सेट हैं उनको ही चेयरमैन कहा जाता है। सदा चेयर के साथ नियर भी हैं इसलिए सदा बाप के आदि सो अन्त तक हर कदम के साथी हैं। बाप का कदम और उन्हों का कदम सदा एक है। कदम ऊपर कदम रखने वाली हैं, इसलिए ऐसे सदा के हर कदम के साथियों को पदम, पदम, पदम गुणा यादप्यार दे रहे हैं और बहुत सुन्दर हीरे का पदम पुष्प बाप द्वारा स्वीकार हो। महारथियों में भाई भी आ गये। पाण्डव सदा शक्तियों के साथी हैं। पाण्डवों को यह खुशी है कि शक्ति सेना और पाण्डव दोनों मिलकर जो बाप का कार्य है, उसमें निमित्त बन सफल करने वाले सफलता मूर्त हैं इसलिए पाण्डव भी कम नहीं, पाण्डव भी महान हैं। हर पाण्डव की विशेषता अपनी-अपनी है, विशेष सेवा कर रहे हैं। और उसी विशेषता के आधार पर बाप और परिवार के आगे विशेष आत्मायें हैं इसलिए ऐसी सेवा के निमित्त विशेष आत्माओं को विशेष रूप से बापदादा विजय के तिलक से स्वागत कर रहे हैं। समझा। अच्छा!
आप सभी को तो सब मिल गया ना। कमल, तिलक, गुलदस्ता, बैज सब मिला ना। डबल विदेशियों की स्वागत कितने प्रकार से हो गई। यादप्यार तो सभी को मिल ही गया। फिर भी डबल विदेशी और स्व देशी, सभी बच्चे सदा उन्नति को पाते रहो, विश्व को परिवर्तन कर सदा के लिए सुखों के झूले में झूलते रहो। ऐसे विशेष सेवाधारी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
ट्रीनीडाड पार्टी से:- सदा अपने को संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मायें हैं, ऐसे समझते हो! ब्राह्मणों को सदा ऊंची चोटी की निशानी दिखाते हैं। ऊंचे ते ऊंचा बाप और ऊंचे ते ऊंचा समय तो स्वयं भी ऊंचे हुए। जो सदा ऊंची स्थिति पर स्थित रहते हैं वह सदा ही डबल लाइट स्वयं को अनुभव करते हैं। किसी भी प्रकार का बोझ नहीं। न सम्बन्ध का, न अपने कोई पुराने स्वभाव-संस्कार का, इसको कहते हैं सर्व बन्धनों से मुक्त। ऐसे फ्री हो। सारा ग्रुप निर्बन्धन ग्रुप है। आत्मा से और शरीर के सम्बन्ध से भी। निर्बन्धन आत्मायें क्या करेंगी? सेन्टर सम्भालेंगी ना। तो कितने सेवाकेन्द्र खोलने चाहिए। टाइम भी है और डबल लाइट भी हो तो आप समान बनायेंगे ना। जो मिला है वह औरों को देना है। समझते हो ना कि आज के विश्व की आत्माओं को इसी अनुभव की कितनी आवश्यकता है। ऐसे समय पर आप प्राप्ति स्वरूप आत्माओं का क्या कार्य है! तो अभी सेवा को और वृद्धि को प्राप्त कराओ। ट्रीनीडाड वैसे भी सम्पन्न देश है तो सबसे ज्यादा संख्या ट्रीनीडाड सेन्टर की होनी चाहिए। आसपास भी बहुत एरिया है, तरस नहीं पड़ता? सेन्टर भी खोलो और बड़े-बड़े माइक भी लाओ। इतनी हिम्मत वाली आत्मायें जो चाहे वह कर सकती हैं। जो श्रेष्ठ आत्मायें हैं उन्हों द्वारा श्रेष्ठ सेवा समाई हुई है। अच्छा!
वरदान:-वैरायटी अनुभूतियों द्वारा सदा उमंग-उत्साह से भरपूर रहने वाले विघ्न जीत भव
रोज़ अमृतवेले सारे दिन के लिए वैरायटी उमंग-उत्साह की प्वाइंट्स बुद्धि में इमर्ज करो। हर दिन की मुरली से उमंग-उत्साह की प्वाइंट्स नोट करो, वह वैरायटी प्वाइंटस उमंग-उत्साह बढ़ायेंगी। मनुष्य आत्मा का नेचर है कि वैरायटी पसन्द आती है इसलिए चाहे ज्ञान की प्वाइंट मनन करो या रूहरिहान करो, वैरायटी रूप से जीरो बन अपने हीरो पार्ट की स्मृति में रहो, तो उमंग-उत्साह से भरपूर रहेंगे और सब विघ्न सहज समाप्त हो जायेंगे।
स्लोगन:-अपनी अवस्था को ऐसा शान्त-चित बना लो जो क्रोध का भूत दूर से ही भाग जाए।
21/10/18 Madhuban Avyakt BapDada Om Shanti 20/02/84
A most elevated, great and beautiful moment.
Today, the Father who creates fortune is pleased to see the all the elevated, fortunate children. Each of you children has awakened your fortune and reached here as you did in the previous cycle. Having awakened your fortune you have come. To have recognition means to awaken your fortune. A special gathering of double-foreign children is especially taking place in the land of blessings. This is a gathering of the fortunate children. The elevated moment of your fortune first opening is when you children recognised, accepted and said, "My Baba!" That moment is the most elevated and beautiful moment of the whole cycle. All of you remember that moment even now, do you not? You will continue to experience throughout the confluence age belonging, meeting and claiming a right, but that moment was when, from being an orphan you belonged to the Lord and Master and became something totally different from what you were. Those who had been separated met again. A soul who had no attainment belonged to the Bestower of Attainment. That first moment of transformation, the moment of your fortune awakening, is such a great, elevated moment. That first moment when you belonged to the Father is even greater than the life of heaven. Everything “mine” became "Yours". As soon as you said "Yours" you became double light. You became light from the burden of "mine". You received wings of happiness. From being on the earth, you began to fly in the sky. You changed from stone to a diamond. You became free from the many types of spinning and become a spinner of the discus of self-realisation. Do you remember that moment? The moment when you attained the omens of Jupiter filled with the fortune of attainment of body, mind, wealth and people? When you had such omens and such a line of fortune, you became one with elevated fortune. Your third eye opened and you saw the Father. All of you experienced this, did you not? You sing this song in your hearts, do you not? "Wah, the most elevated moment, wah!" It is the wonder of that moment. BapDada is pleased to see the children who have come at such a great time, at such a fortunate time.
Father Brahma also says: Wah my children of Adi Dev who have a right to the fortune of the kingdom at the beginning. Father Shiva says: Wah, My children who eternally claim eternal and imperishable rights! You are the long-lost and now-found children who have all rights of both Bap and Dada, the loving children who are companions. BapDada has this intoxication. In the world, all souls try to find a life companion, a true companion, a companion who fulfils the responsibility of love. After searching a great deal they find some companion yet they are not content. They are unable to find even one such true companion whereas how many life companions has BapDada found? And, each one is greater than the next! You are true companions, are you not? You are such true companions that even if you lose your life, you will not let go of the responsibility of love. You are such true companions, life companions.
Do you know what BapDada's life is? World service is BapDada's life. All of you are companions of such a life, are you not? Therefore, BapDada has so many children who are true, life companions. What do you remain busy in day and night? In fulfilling the responsibility of giving your company. What thought do all of you life companions have inside you? To beat the drums of service. Even now, all of you are deeply lost in love. You have become service companions and have brought the proof of service. You are continuing to receive success according to your aim. Whatever you have done so far, according to the drama, has been good and you now have to make further progress. This year, you have made a loud sound heard. However, as yet, mikes from only a few places have come. Mikes have not come from everywhere. Therefore, although the sound has spread, now, instruments from everywhere who can make a loud sound be heard, who can be called big mikes or souls who are instruments for service, should come here and each of them should go back considering himself to be a messenger for wherever he has come from. They now have to become messengers for the place they come from. However, mikes from everywhere should come here and return there, as messengers. If everyone in every corner receives this message, the sound will then be heard everywhere at the same time. This is called beating the big drums. One drum should be beaten everywhere: We are one, we are one. Only then can you say that the drums of revelation have been beaten.
Now, bands of every country have played. The drums now have to be beaten. The bands have played very well. Therefore, BapDada is pleased to have heard and seen the variety of bands of the instrument souls of the different countries playing. He also heard the bands of Bharat. There is a difference between the sound of a band and the sound of drums. In temples, instead of bands playing they beat drums. Do you now understand what you have to do in the future? The sound of the gathering is a very loud sound. Even now, if one person says "Ha ji" and then everyone together says "Ha ji", there would be a difference, would there not? This is the One. There is just this One. This is the only One. This loud sound should be heard everywhere at the same time. When you look at the TV, radio, newspapers and people's mouths, just this one sound should be heard loudly. Let there be an international sound. Therefore, BapDada is pleased to see His life companions. When someone has so many life companions and each one is so great, then all the tasks are already accomplished. The Father simply becomes the Instrument to enable you to create the reward of elevated deeds. Achcha.
It is now the season of meeting. The children from Poland are the youngest long-lost and now-found ones. Young children are always loved so much. Those of you from Poland have the intoxication, do you not, of being the most long-lost and now-found children? You overcame all problems and at least arrived here. This is called deep love. Deep love ends all obstacles. You are loved by BapDada and the family. Both countries, Poland and Portugal, are those who have deep love. You didn't stop to consider the language or the money, for your love enabled you to fly. Where there is love, you definitely receive co-operation; from being impossible, everything becomes possible. BapDada is pleased to see the love of such sweet children and gives thanks to the instrument children who do service with such love. You have made very good effort with love.
In fact, this year, everyone has brought very good groups. However, these countries also have their own specialities and this is why BapDada is especially looking at them. You have all made your own service places grow very well and this is why BapDada is not mentioning the names of the places. However, each place has its own speciality. To reach Madhuban is the speciality of service. BapDada is especially presenting flowers of love to all the instrument children everywhere. Even though there is fluctuation in the economy everywhere, you have made so many souls fly and brought them here. This is a sign of effort with love. This is a sign of success. Therefore, each one of you should accept flowers of love personally by name. Many rosaries of letters of remembrance have also come from those who haven't come. Therefore, BapDada is also giving love-filled remembrance to those who haven't been able to come here in the corporeal form. BapDada is giving the response of remembrance to all the children who have come from everywhere. All of you are loving. You are BapDada's life companions. You are the close jewels who constantly fulfil the responsibility of companionship and this is why your remembrance reached BapDada before the letters of remembrance and the messengers and continues to reach Him even now. All you children must now create enthusiasm for this type of service. Distribute a great deal all the treasures of peace and happiness you have received from the Father to all the souls. The need of all souls is this: true happiness and true peace. People spend so much time, money and physical energy to attain happiness. They even become hippies. Now make them happy. Become the treasure-store of Annapurna (a goddess), who fulfils everyone's needs for food. Send this message to all the children abroad. BapDada is giving a message to all the children. There are even such children who, because of carelessness while moving along, become slack effort-makers from being intense effort-makers. Some even get caught up for some time in the spinning of Maya. Then, when they become trapped, they repent. At first, because of the attraction of Maya, it doesn't seem like spinning, it feels comfortable. However, when you become trapped in the spinning, you then become aware and, because you are aware, you ask Baba: Baba, what can I do? Baba receives many such letters from children who become influenced by such spinning. BapDada gives love and remembrance to even such children and reminds them of this once again. In Bharat there is a saying: If someone has forgotten his home at night and then comes back home during the day, he is not said to have forgotten his home. If you have been enlightened in this way once again, then the past is past. You can once again experience new zeal, new enthusiasm, a new life and continue to move forward.
BapDada forgives you three times. He gives you a chance three times. Therefore, no one should hesitate. If you stop hesitating and have love and come back, you can still make progress. Especially give this message to such children. Some have been unable to come because of their circumstances, and they are desperately remembering Baba. BapDada knows the true heart of each of the children. When you have a true heart, then, if not today, then tomorrow, there will definitely be success. Achcha.
The double foreigners are in front of BapDada. It is their season. Those whose season it is are fed first. To those of all lands, that is, to the fortunate souls – those from this land have the additional intoxication of belonging to the land that is the land of the Father’s incarnation. BapDada is giving special love and remembrance to all the children who belong to the land of Bharat where such service takes place, the land of the Father's incarnation and the land of your future kingdom, because all of you did service according to your own love, zeal and enthusiasm and your service brought many souls close to the Father. Therefore, in return for your service, BapDada is giving all of you children a bouquet of flowers of love. He is welcoming you. You also welcome everyone with a bouquet, do you not? Therefore, Baba is giving all of you children a bouquet and also putting a badge of success on you. Let each of you children accept from BapDada, personally by name, your badge and bouquet. Achcha.
The Dadis in charge of the zones are the chairmen. “Chairman” means always to be set on your seat. Only those who are always set on their seats are called chairmen. Together with the chair, you are always near too. This is why you are always the Father's companions from the beginning to the end at every step. The Father's steps and their steps are always one. You are those who place their footsteps in the Father's steps. Therefore, Baba is giving those who are always companions at every step multi-multi-multi million-fold love and remembrance. Also please accept from the Father a very beautiful lotus flower of diamonds. The brothers are also included in the maharathis. Pandavas are always companions of Shaktis. The Pandavas always have the happiness that whatever the Father's task is, both the Shakti Army and the Pandava Army become instruments together and are images of success who bring about success. This is why the Pandavas are no less. The Pandavas too are great. The speciality of every Pandava is his own. You are all doing special service and, on the basis of that speciality, you are special souls in front of the Father and the family. Therefore, BapDada is especially welcoming all of you special souls who are instruments for such service with a tilak of victory. Do you understand? Achcha.
All of you have now received everything, have you not? You all received the lotus, the tilak, the bouquet and the badge, did you not? The double foreigners have been welcomed in so many different ways. Everyone has already received love and remembrance anyway. Nevertheless, to the double foreigners and those of this land: May all of you children constantly continue to progress and transform the world and constantly swing in swings of happiness. To such special serviceable children, BapDada's love, remembrance and namaste.
BapDada meeting the Trinidad Group:
Do you always consider yourselves to be the elevated Brahmin souls of the confluence age? Brahmins are always shown with the symbol of a topknot. The Father is the Highest on High, the time is the highest on high and so you yourselves are also the highest. Those who always remain in an elevated stage experience themselves to be double light. They don’t have any type of burden: not of relationships or any old sanskars or nature. This is known as being free from all bondages. Are you free to this extent? The whole group is free from bondage, free: as a soul and in terms of relations of the body too. What would souls who are free from bondage do? They would look after a centre, would they not? So, how many service places should you open? You have the time and you are double light and so you will make others the same as yourselves, will you not? You have to give to others what you have received. You do understand, do you not, that the souls of today's world need this experience? At such a time, what is the duty of you souls who are embodiments of attainment? So, let service now increase and let there be growth. In any case, Trinidad is a country that is full, and so the largest number of students should be from the Trinidad centres. You have many areas (countries) around too. Do you not feel mercy for them? Open centres and also bring big mikes. Souls with so much courage can do whatever they want. Elevated service is destined to happen through elevated souls. Achcha.
Blessing:May you be a conqueror of obstacles and remain constantly filled with zeal and enthusiasm with a variety of experiences.
Every day at amrit vela, various points of zeal and enthusiasm should emerge in your intellect for the whole day. Note down from every day’s murli points of zeal and enthusiasm and these varieties of points will increase your zeal and enthusiasm. Human nature likes to have variety. Therefore, whether you churn points of knowledge or have a heart-to-heart conversation, become a zero with some form of variety and remain aware of your hero part and you will remain full of zeal and enthusiasm and all obstacles will easily finish.
Slogan:Make your stage so peaceful that any evil spirit of anger runs away from a distance.
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