Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - Murali - Oct - 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - Oct-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
Who can see this article:- All
Your last visit to this page was @ 2018-11-24 19:48:34
Create/ Participate in Quiz Test
See results
Show/ Hide Table of Content of This Article
A |
Article Rating
|
Participate in Rating,
See Result
|
Achieved( Rate%:- NAN%, Grade:- -- ) |
B | Quiz( Create, Edit, Delete ) |
Participate in Quiz,
See Result
|
Created/ Edited Time:- 13-11-2018 01:33:45 |
C | Survey( Create, Edit, Delete) | Participate in Survey, See Result | Created Time:- |
D |
Page No | Photo | Page Name | Count of Characters | Date of Last Creation/Edit |
---|---|---|---|---|
1 | Murali 1st Oct 2018 | 113370 | 2018-11-13 01:33:45 | |
2 | Murali 02- Oct 2018 | 132948 | 2018-11-13 01:33:45 | |
3 | Murali 03-Oct-2018 | 125177 | 2018-11-13 01:33:45 | |
4 | Murali 04-Oct-2018 | 118934 | 2018-11-13 01:33:45 | |
5 | Murali 05-Oct-2018 | 133374 | 2018-11-13 01:33:45 | |
6 | Murali 06-Oct-2018 | 133043 | 2018-11-13 01:33:45 | |
7 | Murali 07-Oct-2018 | 135426 | 2018-11-13 01:33:45 | |
8 | Murali 08-Oct-2018 | 118475 | 2018-11-13 01:33:45 | |
9 | Murali 09-Oct-2018 | 113426 | 2018-11-13 01:33:46 | |
10 | Murali 10-Oct-2018 | 123819 | 2018-11-13 01:33:46 | |
11 | Murali 11-Oct-2018 | 133485 | 2018-11-13 01:33:46 | |
12 | Murali 12th Oct 2018 | 12264 | 2018-11-13 01:33:46 | |
13 | Murali 13th Oct 2018 | 120124 | 2018-11-13 01:33:46 | |
14 | Murali 14th Oct 2018 | 132308 | 2018-11-13 01:33:46 | |
15 | Murali 15th Oct 2018 | 124161 | 2018-11-13 01:33:46 | |
16 | Murali 16th Oct 2018 | 128293 | 2018-11-13 01:33:46 | |
17 | Murali 17th Oct 2018 | 120298 | 2018-11-13 01:33:46 | |
18 | Murali 18th Oct 2018 | 118916 | 2018-11-13 01:33:46 | |
19 | Murali 19th Oct 2018 | 117510 | 2018-11-13 01:33:46 | |
20 | Murali 20th Oct 2018 | 117518 | 2018-11-13 01:33:46 | |
21 | Murali 21st Oct 2018 | 130603 | 2018-11-13 01:33:46 | |
22 | Murali 22nd Oct 2018 | 135192 | 2018-11-13 01:33:46 | |
23 | Murali 23rd Oct 2018 | 113654 | 2018-11-13 01:33:46 | |
24 | Murali 24th Oct 2018 | 128826 | 2018-11-13 01:33:46 | |
25 | Murali 25th Oct 2018 | 124802 | 2018-11-13 01:33:46 | |
26 | Murali 26th Oct 2018 | 117905 | 2018-11-13 01:33:46 | |
27 | Murali 27th Oct 2018 | 125168 | 2018-11-13 01:33:46 | |
28 | Murali 28th Oct 2018 | 105833 | 2018-11-13 01:33:46 | |
29 | Murali 29th Oct 2018 | 124953 | 2018-11-13 01:33:46 | |
30 | Murali 30th Oct 2018 | 235865 | 2018-11-13 01:33:46 |
Rating for Article:– Prajapita Brahma kumaris Murali - Oct- 2018 ( UID: 181111102328 )
Rating Module ( How to get good rate? See Tips )
If an article has achieved following standard than it is accepted as a good article to promote. Article Grade will be automatically promoted to A grade. (1) Count of characters: >= 2500
(2) Writing Originality Grand total score: >= 75%
(3) Grand Total score: >= 75%
(4) Count of raters: >= 5 (including all group member (mandatory) of specific group)
(5) Language of Article = English
(6) Posted/ Edited date of Article <= 15 Days
(7) Article Heading score: >=50%
(8) Article Information Score: >50%
If the article scored above rate than A grade and also if it belongs to any of the below category of article than it is specially to made Dotted underlined "A Grade". This Article Will be chosen for Web Award.
Category of Article: Finance & banking, Insurance, Technology, Appliance, Vehicle related, Gadgets, software, IT, Income, Earning, Trading, Sale & purchase, Affiliate, Marketing, Medicine, Pharmaceuticals, Hospital, Money, Fashion, Electronics & Electricals, Jobs & Job work, Real estate, Rent Related, Advertising, Travel, Matrimonial, Marriage, Doctor, Food & beverages, Dining, Furniture & assets, Jewellery, ornaments, Gold, Diamond, Silver, Computer, Men Wear, Women’s wear, Dress, style, movie, film, entertainment.
* Give score to this article. Writer has requested to give score/ rating to this article.( Select rating from below ).
* Please give rate to all queries & submit to see final grand total result.
SN | Name Parameters For Grading | Achievement (Score) | Minimum Limit for A grade | Calculation of Mark |
---|---|---|---|---|
1 | Count of Raters ( Auto Calculated ) | 0 | 5 | 0 |
2 | Total Count of Characters in whole Articlein all pages.( Auto Calculated ) | 3715670 | 2500 | 1 |
3 | Count of Days from Article published date or, Last Edited date ( Auto Calculated ) | 2203 | 15 | 0 |
4 | Article informative score ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 40% | 0 |
5 | Total % secured for Originality of Writings for this Article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 60% | 0 |
6 | Total Score of Article heading suitability to the details description in Pages. ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 50% | 0 |
7 | Grand Total Score secured on over all article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 55% | 0 |
Grand Total Score & Article Grade | --- |
SI | Score Rated by Viewers | Rating given by (0) Users |
---|---|---|
(a) | Topic Information:- | NAN% |
(b) | Writing Skill:- | NAN% |
(c) | Grammer:- | NAN% |
(d) | Vocabulary Strength:- | NAN% |
(e) | Choice of Photo:- | NAN% |
(f) | Choice of Topic Heading:- | NAN% |
(g) | Keyword or summary:- | NAN% |
(h) | Material copied - Originality:- | NAN% |
Your Total Rating & % | NAN% |
Show/ Hide Rating Result
Details ( Page:- Murali 13th Oct 2018 )
13-10-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
''मीठे बच्चे - तुम्हारी दिल में खुशी के नगाड़े बजने चाहिए क्योंकि बेहद का बाप तुम्हें बेहद का वर्सा देने आया है''
प्रश्नः-माया ने मनुष्यों को किस भ्रम में भरमा दिया है जिस कारण वे स्वर्ग में चलने का पुरुषार्थ नहीं कर सकते?
उत्तर:-माया का यह जो पिछाड़ी का पाम्प है, 100 वर्ष के अन्दर एरोप्लेन, बिजली आदि क्या-क्या निकल गया है.... इस पाम्प को देखते हुए मनुष्य समझते हैं स्वर्ग तो यहाँ ही है। धन है, महल हैं, गाड़ियां हैं.... बस, हमारे लिए यहाँ ही स्वर्ग है। यह माया का सुख है जो भरमा देता है। इसके कारण ही वे स्वर्ग में चलने का पुरुषार्थ नहीं करते हैं।
गीत:-माता ओ माता.....
ओम् शान्ति।
अभी यह तो बच्चों को समझाया गया है कि जो होकर जाते हैं उनकी महिमा गाई जाती है। भारतवासी तो जानते नहीं। विद्धान पण्डित भी नहीं जानते। जगत अम्बा अर्थात् जगत के मनुष्यों को रचने वाली। तुम जानते हो जिसको जगत अम्बा कहते हैं वह अभी बच्चों के सम्मुख बैठी है। भक्तिमार्ग में तो ऐसे ही गाते आये हैं। तुम बच्चों को अभी ज्ञान मिला है अर्थात् जगत अम्बा का परिचय मिला है। जगत अम्बा के नाम से भी भिन्न-भिन्न अनेक चित्र बनाये हैं। वास्तव में है तो एक ही जगत अम्बा, उनको ही काली कहो, सरस्वती कहो, दुर्गा कहो, ढेर नाम रखने से मनुष्य मूँझ गये हैं। काली कलकत्ते वाली भी कहते हैं। परन्तु ऐसा चित्र तो होता नहीं। बाप कहते हैं यह सब भक्ति मार्ग की सामग्री है। जबसे भक्ति मार्ग शुरू होता है तब से रावण राज्य भी शुरू होता है। यह तो मनुष्य जानते नहीं कि रावण क्या है, राम क्या है, यह बेहद की कहानी है। तुम बच्चे अब जानते हो रावण राज्य पूरा हो फिर रामराज्य शुरू होता है। राम जरूर सुख देने वाला होगा, रावण जरूर दु:ख देने वाला होगा। भारत में रावण राज्य है तो उनको शोकवाटिका कहा जाता है। बाप ने समझाया है तुम सब इस समय रावण राज्य में हो। मुख्य भारत की ही बात है। रावण राज्य में तुम भ्रष्टाचारी बन गये हो। राम अर्थात् बेहद का बाप है सुख देने वाला। इस समय सभी मनुष्य हैं आसुरी मत पर। बाकी रावण कोई 10 शीश वाला नहीं है। यह है 5 विकारों की मत, जिसको रावण मत कहा जाता है। शिवबाबा की मत है श्रीमत। अभी आसुरी सम्प्रदाय है ना। यह बेहद की बात है। श्रीमत से 21 जन्म सुख पाते हो। आसुरी मत से 63 जन्म तुमने दु:ख पाया है।
तुम जानते हो यह रावण है बड़े ते बड़ा दुश्मन, जिसको जलाते रहते हैं। समझते नहीं कि आखरीन रावण को जलाना हम बन्द कब करेंगे? कहते हैं - यह रावण को जलाना तो परम्परा से चला आता है। एफ़ीजी बनाए जलाते रहते हैं। बरोबर इस रावण ने सबको दु:ख दिया है, ख़ास भारत को। तो रावण बड़ा दुश्मन हुआ ना। परन्तु इस बेहद के दुश्मन का किसको पता नहीं है। बेहद का बाप आकर बेहद का सुख देते हैं। ऐसी सहज बात भी कोई विद्वान-पण्डित आदि नहीं जानते। तुम बच्चे जानते हो - हमको बेहद के बाप से सुख का वर्सा लेना है। परन्तु फिर घड़ी-घड़ी तुम बाप को भूल जाते हो। भक्ति मार्ग में तुम पुकारते आये हो - हे बाबा, रहम करो, मर्सी ऑन मी। मर्सी तो करता रहता हूँ। जिस-जिस भावना से देवताओं की पूजा करते हैं तो अल्पकाल का सुख जरूर देता हूँ। और कोई सुख दे नहीं सकता। मैं ही हूँ सुख दाता। भक्ति मार्ग में भी देने वाला मैं हूँ। कहते हैं गॉड फादर ने यह दिया। भगवान् के लिए कहते हैं। फिर ऐसे क्यों कहते हो यह धन फलाने साधू ने दिया। जबकि सुख देने वाला है ही एक बाप। गाते भी हैं - हे भगवान्, हमारे दु:ख दूर करो। फिर ऐसे क्यों कहते फलाने साधू ने हमारा यह दु:ख दूर किया, बच्चा दिया। समझते हैं उनकी कृपा से सुख मिला। धन्धे में फ़ायदा होता है तो समझते हैं गुरू कृपा हुई। नुकसान होता है तो ऐसे नहीं कहते हैं कि गुरू की अकृपा हुई। बिचारे भक्त लोग समझने बिगर जो आया सो कहते रहते हैं। जो सुनते उस पर फालो करते रहते हैं। यह भी ड्रामा।
अब बाप आकर तुम्हें अपना बनाते हैं। बाप से प्रीत रखने में भी माया बहुत विघ्न डालती है। एकदम मुँह फिरा देती है। 21जन्म का सुख देने वाले बाप से फारकती दिला देती है। बाप समझाते हैं भक्ति मार्ग और ज्ञान मार्ग में रात-दिन का फ़र्क है। भक्ति करते-करते जब कंगाल बन जाते हैं तब फिर बाप आकर ज्ञान देकर 21 जन्म के लिए तुमको मालामाल कर देते हैं। वह भक्ति तो तुम जन्म बाई जन्म करते रहे, अल्पकाल सुख मिलता है। दु:ख तो बहुत है ना। बाप कहते हैं - मैं आया हूँ तुम्हारा जो गंवाया हुआ राज्य है वह देने। बेहद की बात हुई ना। बाकी और कोई बात नहीं। यह लक्ष्मी-नारायण आदि वाइसलेस देवतायें थे। उन्हों के महलों में कितने हीरे-जवाहरात होंगे। तुम आगे चलकर बहुत कुछ देखेंगे। जितना नज़दीक आते जायेंगे उतना स्वर्ग की सीन देखते जायेंगे। कितनी बड़ी-बड़ी दरबार होगी। खिड़कियों पर सोने, हीरे, जवाहरों का कितना अच्छा श्रृंगार होगा। बस, यह रात पूरी होकर दिन शुरू होगा। जो वैकुण्ठ तुम दिव्य दृष्टि से देखते हो वह प्रैक्टिकल में जरूर देखेंगे। जो विनाश दिव्य दृष्टि से देखा है वह फिर प्रैक्टिकल में देखेंगे। तुम्हारे अन्दर तो खुशी के नगाड़े बजने चाहिए। हम बेहद के बाप से बेहद का वर्सा ले रहे हैं। यह चित्र तो कोई एक्यूरेट नहीं हैं। वह तुम सब दिव्य दृष्टि से देखते हो। वहाँ जाकर रास आदि करते हो। कितने चित्र आदि बनाते थे। जो कुछ दिव्य दृष्टि से बाप ने दिखाया है वह फिर प्रैक्टिकल जरूर होगा। तुम जानते हो यह छी-छी दुनिया ख़त्म हो जायेगी। तुम यहाँ बैठे हो श्रीमत पर अपना स्वराज्य लेने के पुरुषार्थ में। कहाँ वह भक्ति मार्ग, कहाँ यह ज्ञान मार्ग। यहाँ भारत का हाल देखो क्या हुआ है - खाने के लिए अन्न नहीं, बड़े-बड़े प्लैन बना रहे हैं। टाइम है बाकी थोड़ा। उनका प्लैन और तुम्हारा प्लैन देखो कैसा है! यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं। रामायण आदि में कितनी कहानियां लिख दी हैं। परन्तु ऐसे तो है नहीं। रावण को फिर वर्ष-वर्ष क्यों जलाते हैं। रावण को जलाया तो वह ख़त्म हो जाना चाहिए ना। भक्ति मार्ग की आमदनी कैसी और ज्ञान मार्ग की आमदनी कैसी है! बाबा एकदम भण्डारा भर देते हैं। उसके लिए मेहनत है। पवित्र जरूर रहना पड़े। गाते भी हैं अमृत छोड़ विष काहे को खाए। अमृत नाम से अमृतसर में एक तालाब बना दिया है। तालाब में डुबकी मारते हैं। मानसरोवर नाम का भी एक तालाब बना दिया है। मानसरोवर का अर्थ भी नहीं समझते हैं। मानसरोवर अर्थात् निराकार परमपिता परमात्मा ज्ञान सागर मनुष्य के तन में आकर यह ज्ञान सुनाते हैं। मनुष्यों ने कथायें आदि कितनी बैठ बनाई हैं। सर्व शास्त्रमई शिरोमणी गीता........ फिर उसमें कृष्ण वाच लिख दिया है। फिर कृष्ण के लिए भी कितनी बातें लिख दी हैं। सर्प ने डसा, कृष्ण ने स्त्रियों को भगाया...... कितने झूठे कलंक लगाये हैं। अभी तुम समझा सकते हो। कृष्ण की तो बात ही नहीं। यह तो ब्रह्मा द्वारा परमपिता परमात्मा सभी वेदों शास्त्रों ग्रंथों का सार बैठ बतलाते हैं। नम्बरवन है श्रीमद्भगवत गीता। भारतवासियों का धर्मशास्त्र एक ही है, उसको खण्डन कर दिया है तो बाकी जो बाल-बच्चे वेद-शास्त्र हैं सब खण्डन हो गये।
बाप कितनी अच्छी रीति समझाते हैं फिर भी चलते-चलते माया के थप्पड़ खाते रहते हैं, धारणा नहीं करते हैं। यह है युद्धस्थल। तुम हो बच्चे, जो ब्राह्मण बने हो। गीता आदि में तो कोई ऐसी बातें लिखी नहीं हैं। ब्रह्मा की मुख वंशावली हैं, ब्रह्मा द्वारा यज्ञ रचा गया। रूद्र ज्ञान यज्ञ तो बरोबर है फिर युद्ध का मैदान कहाँ से आया? गाया भी हुआ है राजस्व अश्वमेध यज्ञ। यह जो रथ है उसको हम बलि चढ़ाते हैं। वह फिर दक्ष प्रजापति का यज्ञ रच घोडेम को बैठ स्वाहा करते हैं। क्या-क्या लिख दिया है। तुम जानते हो सतयुग में भारत स्वर्ग था तो जरूर वहाँ बहुत थोड़े ही होंगे। देवी-देवता थोड़े थे। जमुना के कण्ठे पर बरोबर राज्य होगा। सिर्फ देवी-देवतायें राज्य करते होंगे। वहाँ तो गर्मी आदि होती नहीं जो कश्मीर, शिमला आदि जाना पड़े। तत्व भी बिल्कुल सतोप्रधान हो जाते हैं। यह भी समझने वाले समझें। सतयुग को स्वर्ग कहा जाता है, कलियुग को नर्क कहा जाता है। द्वापर को इतना नर्क नहीं कहेंगे। त्रेता में भी दो कला कम होती हैं। सबसे जास्ती सुख स्वर्ग में है। कहते हैं फलाना स्वर्ग पधारा। परन्तु स्वर्ग का अर्थ नहीं समझते हैं। स्वर्गवासी हुआ, तो जरूर नर्क में था ना। हर एक मनुष्य नर्क में है। अभी बाप तुमको बेहद का राज्य देते हैं। वहाँ तो सब कुछ तुम्हारा रहेगा। तुम्हारी पृथ्वी, तुम्हारा आकाश...... तुम अटल, अखण्ड, शान्तिमय राज्य करेंगे। दु:ख का नाम ही नहीं होगा। तो उसके लिए कितना पुरुषार्थ करना चाहिए। अवस्थायें बच्चों की कैसी हैं। जानते भी हैं हमारे मम्मा बाबा बहुत अच्छी रीति पुरुषार्थ करते हैं, क्यों नहीं हम भी पुरुषार्थ कर वर्सा लेवें।
बाप कहते हैं - बच्चे, थक मत जाना, श्रीमत पर चलते रहना। श्रीमत को कभी भूलना नहीं। इसमें बड़ी सावधानी चाहिए। जो कुछ करो, पूछो - बाबा हम इसमें मूँझते हैं, इसे करने में हमारे ऊपर कोई पाप तो नहीं लगेगा। बाबा कभी कोई से लेता नहीं है। भक्तिमार्ग में भी ईश्वर अर्थ दान करते हैं तो रिटर्न में फिर लेते हैं। शिवबाबा लेकर क्या करेंगे उनको कोई महल तो नहीं बनाने हैं। सब कुछ बच्चों के लिए करते हैं। मकान बनवाते हैं वह भी तुम्हारे पिछाड़ी में रहने लिए। तुम्हारा यादगार मन्दिर भी यहाँ है। तुम भी यहाँ बैठे हो। जो सर्विसएबुल बच्चे हैं वह आगे चल बहुत रौनक देखेंगे। यहाँ बैठे-बैठे चक्र लगाते रहेंगे स्वर्ग में। फिर वहाँ जाकर महल बनायेंगे। मकान की काम्पीटीशन होती है ना। अभी 100 वर्ष में कितना बनाया है। भारत को जैसे बहिश्त बना दिया है। तो वहाँ 100 वर्ष में समझते हो क्या नहीं होगा। साइंस सारी तुमको वहाँ काम में आती है। साइंस का सुख ही वहाँ है। यहाँ तो दु:ख है। साइंस पर कितनी मेहनत करते हैं। तुम बच्चे समझते हो कि यह सिर्फ फाफा मार रहे हैं (अपनी बड़ाई कर रहे हैं), अल्पकाल क्षणभंगुर सुख है, यह माया का पिछाड़ी का पाम्प है। यह एरोप्लेन, रॉकेट आदि में अभी जाते हैं। आगे यह सब साधन थे नहीं। बिजली आदि भी नहीं थी। यह सब है माया का सुख, जो मनुष्य को भरमाता है। मनुष्य समझते हैं - बस, यही स्वर्ग है। विमान आदि स्वर्ग में थे, अभी स्वर्ग है ना। यह नहीं समझते कि स्वर्ग के लिए तो अब तैयारी हो रही है। समझते हैं धन है, महल हैं बस, हमारे लिए यहाँ ही स्वर्ग है। अच्छा, तुम्हारी तकदीर में यहीं स्वर्ग है। हमको तो मेहनत कर सच्चे-सच्चे स्वर्ग में चलना है, जिसके लिए तुम पुरुषार्थ करते हो। पुरुषार्थ में ढीला नहीं पड़ना है। गृहस्थ व्यवहार में रह पुरुषार्थ करना है। सर्विस करनी है। खुद पवित्र बन फिर अपने मित्र-सम्बन्धियों आदि को भी लायक बनाओ, मीठी-मीठी बातें सुनाओ। बाबा ने दो बाप की प्वाइन्ट बहुत अच्छी रीति समझाई है। वर्सा बाप से मिलता है जायदाद का। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पुरुषार्थ में कभी भी थकना नहीं है। बड़ी सावधानी से श्रीमत पर चलते रहना है। मूँझना नहीं है।
2) कोई भी पाप कर्म नहीं करना है। सच्चे-सच्चे स्वर्ग में चलने लिए पवित्र बनने और बनाने की सेवा करनी है।
वरदान:-अनासक्त बन लौकिक को सन्तुष्ट करते भी ईश्वरीय कमाई जमा करने वाले राज़युक्त भव
कई बच्चे लौकिक कार्य, लौकिक प्रवृत्ति, लौकिक सम्बन्ध-सम्पर्क निभाते हुए अपनी विशाल बुद्धि से सबको सन्तुष्ट भी करते और ईश्वरीय कमाई का राज़ जानते हुए विशेष हिस्सा भी निकाल लेते। ऐसे एकनामी और एकानामी वाले अनासक्त बच्चे हैं जो सर्व खजानें, समय, शक्तियां और स्थूल धन को लौकिक से एकानामी कर अलौकिक कार्य में फ्राकदिली से लगाते हैं। ऐसे युक्तियुक्त, राज़युक्त बच्चे ही महिमा योग्य हैं।
स्लोगन:-स्मृति स्वरूप बनकर हर कर्म करने वाले ही प्रकाश स्तम्भ (लाइट हाउस) बनते हैं।
13/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, drums of happiness should beat in your hearts because the unlimited Father has come to give you the unlimited inheritance.
Question:What illusion has Maya created for human beings due to which they are unable to make effort to go to heaven?
Answer:
When people see the pomp of Maya of the final period over the last hundred years, when they see the inventions of aeroplanes, electricity etc., they think that heaven is here. They have wealth, palaces, motor cars and so they think that this is it, that this is heaven for them. This happiness is from Maya and it has put them under an illusion. Because of this they don't make effort to go to heaven.
Song:Mother, o mother, you are the bestower of fortune for all.
Om Shanti
It has been explained to you children that praise is sung of those who have been and gone. The people of Bharat don't know this. Even the scholars and pundits do not know this. Jagadamba, the World Mother, means the one who creates the people of the world. You know that the one who is called Jagadamba is now sitting personally in front of you children. They have been singing this on the path of devotion (without any meaning). You children have now received knowledge, that is, you have received Jagadamba’s introduction. They have created many different pictures in the name of Jagadamba. In fact, whether she is called Kali, Saraswati or Durga, there is only one Jagadamba. By her being given many names, people have become confused. They also speak of Kali of Calcutta. However, there is no such person as the one in that picture. The Father says: All of that is the paraphernalia of the path of devotion. The kingdom of Ravan starts at the time that the path of devotion starts. People don’t know who Ravan is or who Rama is. This is an unlimited story. You children know that the kingdom of Ravan is now to end and that the kingdom of Rama is about to begin. Rama is definitely someone who gives you happiness and Ravan is definitely someone who causes you sorrow. There is the kingdom of Ravan in Bharat and so that is called the cottage of sorrow. The Father has explained that, at present, all of you are in the kingdom of Ravan. It is mainly about Bharat. You have become degraded in the kingdom of Ravan. Rama, the unlimited Father, is the One who gives you happiness. At this time all human beings are following devilish dictates. Actually, there isn't a Ravan with ten heads. Those are the dictates of the five vices, which are called the dictates of Ravan. Shiv Baba's directions are shrimat. It is now the devilish community. This is an unlimited matter. You receive happiness for 21 births by following shrimat. By following devilish dictates, you have received sorrow for 63 births. You know that Ravan, whom people have been burning, is the biggest enemy. They don't comprehend when they will finally stop burning Ravan. They say: Burning Ravan has continued from time immemorial. They create an effigy of him and continue to burn it. Truly, Ravan has caused everyone sorrow, especially in Bharat. Therefore, Ravan is a great enemy but no one knows about this unlimited enemy. The unlimited Father comes and gives you unlimited happiness. Even scholars and pundits don't know such an easy thing. You children know that you have to claim your inheritance of happiness from the unlimited Father. However, you repeatedly forget the Father. On the path of devotion you have been calling out: O Baba, have mercy! Have mercy on me! I continue to have mercy. With whatever feelings you worship the deities, I definitely give you temporary happiness for that. No one else can give you happiness. I alone am the Bestower of Happiness. I am also the Bestower on the path of devotion. They say: God, the Father, gave this. They say this of God. Then, why do you say that such-and-such a holy man gave you wealth, since it is only the one Father who gives you happiness? People even sing: O God, remove our sorrow! Then, why do they say that such-and-such a holy man removed their sorrow or gave them a child? They believe that they received happiness due to his blessings. When they profit in their business, they think that it is because of the blessing of their guru. If they have a loss, they don't think that it is due to the lack of their guru's blessings. Poor devotees continue to say whatever enters their minds without understanding anything; they continue to follow whatever they hear. This is also in the drama. The Father now comes and makes you belong to Him. Maya causes a lot of obstacles in your having love for the Father. She completely turns your face away. She makes you divorce the Father who gives you happiness for 21 births. The Father explains that there is the difference of day and night between the path of knowledge and the path of devotion. When people have become poverty-stricken by continually doing devotion, the Father comes, gives knowledge and makes you prosperous for 21 births. You have been doing that devotion for birth after birth and received temporary happiness. There is a lot of sorrow. The Father says: I have come to give you back the kingdom you lost. This is something unlimited. It is not anything else. Lakshmi and Narayan etc. were viceless deities. There would have been so many diamonds and jewels in their palaces. As you progress further, you will see a great deal. The closer you come, the more scenes of heaven you will see. There will be such big courts. There will be such good decorations of gold and diamonds on the windows etc. That is all. Just wait for the night to end and the day will begin. The Paradise that you see in divine visions, you will definitely see in a practical way. The destruction that you have seen in divine visions, you will definitely also see practically. Drums of happiness should beat inside you. You are claiming your unlimited inheritance from the unlimited Father. These pictures are not accurate. You see all of those things in divine visions. You go there and perform dances etc. You used to make so many pictures etc. Whatever the Father showed you in divine vision will definitely happen in a practical way. You know that this dirty world is going to end. You are sitting here making effort to claim your self-sovereignty by following shrimat. There is a lot of difference between that path of devotion and this path of knowledge. Look at what the condition of Bharat has become. They don't have food to eat and yet look at the big plans they make. There is very little time left. Look what their plans are and what your plans are! These things are not mentioned in the scriptures. They have written so many stories in the Ramayana etc., but it is not like that. Why do they burn Ravan every year? If Ravan had been burnt, he should have been destroyed, should he not? Look at the income on the path of devotion and the income on the path of knowledge! Baba fills your treasure-store completely. It takes effort. You definitely have to remain pure. It is remembered: Why should we renounce nectar and drink poison? They have created a lake in Amritsar and given it the name ‘Lake of Nectar’. They take a dip in the lake. There is also a lake with the name ‘Mansarovar’. They don't understand the meaning of ‘Mansarovar’. Mansarovar means that the incorporeal Supreme Father, the Supreme Soul, the Ocean of Knowledge, enters a human body and speaks this knowledge. People have sat and made up so many stories. The Gita is the mother, the jewel, of all the scriptures. They have then said that that was spoken by Krishna. They have also written so many things about Krishna: that he was bitten by a snake, that he abducted women. They have made so many false allegations. You can now explain to them that it does not relate to Krishna. It is the Supreme Father, the Supreme Soul, who sits here and tells you the essence of the Vedas, the scriptures and the Granth through Brahma. Number one is the Shrimad Bhagawad Gita. The people of Bharat only have one religious scripture. Because that has been falsified, all its children, the Vedas and the scriptures, have also become false. The Father explains to you so clearly. In spite of that, as you move along, you continue to be slapped by Maya; you don't imbibe anything. This is a battlefield. You are the children who have become Brahmins. Such things are not written in the Gita etc. There is the mouth-born creation of Brahma. The sacrificial fire was created through Brahma. There is truly the sacrificial fire of the knowledge of Rudra and so where did the battlefield come from? The sacrificial fire in which the horse was sacrificed for self-sovereignty is also remembered. We are sacrificing these chariots. They have then created a sacrificial fire of Daksh Prajapita and sat and sacrificed a horse in that. They have written all sorts of things. You know that Bharat was heaven in the golden age and so there would surely have been very few people there. There were few deities there. There will definitely be the kingdom by the banks of the River Jamuna. Just the deities will rule there. There will be no heat etc. there that they would have to go to Kashmir or Simla etc. The elements will also have become completely satopradhan. Only those who are to understand these things will understand them. The golden age is called heaven and the iron age is called hell. The copper age is not said to be that much of a hell. In the silver age the degrees are reduced by two. The maximum happiness is in heaven. They say that so-and-so has gone to heaven, but they don't understand the meaning of heaven. If he became a resident of heaven, then he was surely in hell prior to that. Every human being is in hell. The Father is now giving you the unlimited kingdom. Everything there will be yours; the earth, the sky etc. will all be yours. You will rule the unshakeable, constant and peaceful kingdom. There will be no mention of sorrow. Therefore, you should make so much effort for that. Look what the stage of the children is like. You know that your Mama and Baba are making very good effort. Why should you also not make effort and claim your inheritance? The Father says: Children, don’t become tired. Continue to follow shrimat. Never forget shrimat. You need to be very cautious about this. Whatever you do, ask Baba: Baba, I am confused about this. I will not accumulate sin by doing this, will I? Baba never takes anything from anyone. Even on the path of devotion, people donate in the name of God and then receive something in return. What would Shiv Baba do by taking something from you? He doesn’t have to build any palaces. He does everything for you children. He has buildings built for you to stay in at the end. Your memorial temple is here and you are also sitting here. Serviceable children will see a lot of splendour as they progress further. While sitting here, you will tour around heaven. Then, you will go there and build palaces. There is a competition of buildings. Look how much they have built in the last hundred years. They have made Bharat into Paradise. So, what would they not have in just one hundred years there? You can understand this. All of science will be useful to you there. The happiness of science will be experienced there. Here, there is sorrow. They make so much effort in science. You children know that they are just praising themselves. There is temporary, momentary happiness. It is the pomp of Maya of the final time. It is now that they travel in aeroplanes and rockets etc. None of those facilities existed before. Previously there wasn't electricity either. All of that is the comfort of Maya which creates an illusion for people. People think that this is heaven; there used to be vimans etc. in heaven, and so this is heaven. They don’t understand that preparations are being made for heaven now. They think that, because they have wealth, they have palaces and so that's it; this is heaven for them here. Achcha, let that heaven be in their fortune! We have to make effort and go to the true heaven. You make effort for that. You mustn't become slack in your efforts. You have to live at home with your family and make effort. You have to do service. You have to become pure and also make your friends and relatives worthy. Tell them sweet things. Baba has explained the point of the two fathers very clearly. You are to receive your inheritance of the Father’s property. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Never become tired of making effort. Be very cautious as you continue to follow shrimat. Never become confused.
2. Never perform any sinful acts. In order to go to the true heaven, do the service of becoming pure and making others pure.
Blessing:May you be a knower of all secrets and accumulate a Godly income while being free from any attractive temptation and by making your lokiks family.
Many children, while fulfilling their responsibilities in carrying out their family tasks of their household and family relationships and connections make everyone content with their unlimited intellects By knowing the secrets of the Godly income, they too claim their special share. There are such economical children who belong to the One. They are free from any attractive temptation and use all their treasures, time, powers and physical wealth economically on their family: they use it generously for their alokik tasks. Such yuktiyukt children who understand all secrets are worthy of praise.
Slogan:Those who perform every task while being embodiments of remembrance become towers of light. (Lighthouses).
''मीठे बच्चे - तुम्हारी दिल में खुशी के नगाड़े बजने चाहिए क्योंकि बेहद का बाप तुम्हें बेहद का वर्सा देने आया है''
प्रश्नः-माया ने मनुष्यों को किस भ्रम में भरमा दिया है जिस कारण वे स्वर्ग में चलने का पुरुषार्थ नहीं कर सकते?
उत्तर:-माया का यह जो पिछाड़ी का पाम्प है, 100 वर्ष के अन्दर एरोप्लेन, बिजली आदि क्या-क्या निकल गया है.... इस पाम्प को देखते हुए मनुष्य समझते हैं स्वर्ग तो यहाँ ही है। धन है, महल हैं, गाड़ियां हैं.... बस, हमारे लिए यहाँ ही स्वर्ग है। यह माया का सुख है जो भरमा देता है। इसके कारण ही वे स्वर्ग में चलने का पुरुषार्थ नहीं करते हैं।
गीत:-माता ओ माता.....
ओम् शान्ति।
अभी यह तो बच्चों को समझाया गया है कि जो होकर जाते हैं उनकी महिमा गाई जाती है। भारतवासी तो जानते नहीं। विद्धान पण्डित भी नहीं जानते। जगत अम्बा अर्थात् जगत के मनुष्यों को रचने वाली। तुम जानते हो जिसको जगत अम्बा कहते हैं वह अभी बच्चों के सम्मुख बैठी है। भक्तिमार्ग में तो ऐसे ही गाते आये हैं। तुम बच्चों को अभी ज्ञान मिला है अर्थात् जगत अम्बा का परिचय मिला है। जगत अम्बा के नाम से भी भिन्न-भिन्न अनेक चित्र बनाये हैं। वास्तव में है तो एक ही जगत अम्बा, उनको ही काली कहो, सरस्वती कहो, दुर्गा कहो, ढेर नाम रखने से मनुष्य मूँझ गये हैं। काली कलकत्ते वाली भी कहते हैं। परन्तु ऐसा चित्र तो होता नहीं। बाप कहते हैं यह सब भक्ति मार्ग की सामग्री है। जबसे भक्ति मार्ग शुरू होता है तब से रावण राज्य भी शुरू होता है। यह तो मनुष्य जानते नहीं कि रावण क्या है, राम क्या है, यह बेहद की कहानी है। तुम बच्चे अब जानते हो रावण राज्य पूरा हो फिर रामराज्य शुरू होता है। राम जरूर सुख देने वाला होगा, रावण जरूर दु:ख देने वाला होगा। भारत में रावण राज्य है तो उनको शोकवाटिका कहा जाता है। बाप ने समझाया है तुम सब इस समय रावण राज्य में हो। मुख्य भारत की ही बात है। रावण राज्य में तुम भ्रष्टाचारी बन गये हो। राम अर्थात् बेहद का बाप है सुख देने वाला। इस समय सभी मनुष्य हैं आसुरी मत पर। बाकी रावण कोई 10 शीश वाला नहीं है। यह है 5 विकारों की मत, जिसको रावण मत कहा जाता है। शिवबाबा की मत है श्रीमत। अभी आसुरी सम्प्रदाय है ना। यह बेहद की बात है। श्रीमत से 21 जन्म सुख पाते हो। आसुरी मत से 63 जन्म तुमने दु:ख पाया है।
तुम जानते हो यह रावण है बड़े ते बड़ा दुश्मन, जिसको जलाते रहते हैं। समझते नहीं कि आखरीन रावण को जलाना हम बन्द कब करेंगे? कहते हैं - यह रावण को जलाना तो परम्परा से चला आता है। एफ़ीजी बनाए जलाते रहते हैं। बरोबर इस रावण ने सबको दु:ख दिया है, ख़ास भारत को। तो रावण बड़ा दुश्मन हुआ ना। परन्तु इस बेहद के दुश्मन का किसको पता नहीं है। बेहद का बाप आकर बेहद का सुख देते हैं। ऐसी सहज बात भी कोई विद्वान-पण्डित आदि नहीं जानते। तुम बच्चे जानते हो - हमको बेहद के बाप से सुख का वर्सा लेना है। परन्तु फिर घड़ी-घड़ी तुम बाप को भूल जाते हो। भक्ति मार्ग में तुम पुकारते आये हो - हे बाबा, रहम करो, मर्सी ऑन मी। मर्सी तो करता रहता हूँ। जिस-जिस भावना से देवताओं की पूजा करते हैं तो अल्पकाल का सुख जरूर देता हूँ। और कोई सुख दे नहीं सकता। मैं ही हूँ सुख दाता। भक्ति मार्ग में भी देने वाला मैं हूँ। कहते हैं गॉड फादर ने यह दिया। भगवान् के लिए कहते हैं। फिर ऐसे क्यों कहते हो यह धन फलाने साधू ने दिया। जबकि सुख देने वाला है ही एक बाप। गाते भी हैं - हे भगवान्, हमारे दु:ख दूर करो। फिर ऐसे क्यों कहते फलाने साधू ने हमारा यह दु:ख दूर किया, बच्चा दिया। समझते हैं उनकी कृपा से सुख मिला। धन्धे में फ़ायदा होता है तो समझते हैं गुरू कृपा हुई। नुकसान होता है तो ऐसे नहीं कहते हैं कि गुरू की अकृपा हुई। बिचारे भक्त लोग समझने बिगर जो आया सो कहते रहते हैं। जो सुनते उस पर फालो करते रहते हैं। यह भी ड्रामा।
अब बाप आकर तुम्हें अपना बनाते हैं। बाप से प्रीत रखने में भी माया बहुत विघ्न डालती है। एकदम मुँह फिरा देती है। 21जन्म का सुख देने वाले बाप से फारकती दिला देती है। बाप समझाते हैं भक्ति मार्ग और ज्ञान मार्ग में रात-दिन का फ़र्क है। भक्ति करते-करते जब कंगाल बन जाते हैं तब फिर बाप आकर ज्ञान देकर 21 जन्म के लिए तुमको मालामाल कर देते हैं। वह भक्ति तो तुम जन्म बाई जन्म करते रहे, अल्पकाल सुख मिलता है। दु:ख तो बहुत है ना। बाप कहते हैं - मैं आया हूँ तुम्हारा जो गंवाया हुआ राज्य है वह देने। बेहद की बात हुई ना। बाकी और कोई बात नहीं। यह लक्ष्मी-नारायण आदि वाइसलेस देवतायें थे। उन्हों के महलों में कितने हीरे-जवाहरात होंगे। तुम आगे चलकर बहुत कुछ देखेंगे। जितना नज़दीक आते जायेंगे उतना स्वर्ग की सीन देखते जायेंगे। कितनी बड़ी-बड़ी दरबार होगी। खिड़कियों पर सोने, हीरे, जवाहरों का कितना अच्छा श्रृंगार होगा। बस, यह रात पूरी होकर दिन शुरू होगा। जो वैकुण्ठ तुम दिव्य दृष्टि से देखते हो वह प्रैक्टिकल में जरूर देखेंगे। जो विनाश दिव्य दृष्टि से देखा है वह फिर प्रैक्टिकल में देखेंगे। तुम्हारे अन्दर तो खुशी के नगाड़े बजने चाहिए। हम बेहद के बाप से बेहद का वर्सा ले रहे हैं। यह चित्र तो कोई एक्यूरेट नहीं हैं। वह तुम सब दिव्य दृष्टि से देखते हो। वहाँ जाकर रास आदि करते हो। कितने चित्र आदि बनाते थे। जो कुछ दिव्य दृष्टि से बाप ने दिखाया है वह फिर प्रैक्टिकल जरूर होगा। तुम जानते हो यह छी-छी दुनिया ख़त्म हो जायेगी। तुम यहाँ बैठे हो श्रीमत पर अपना स्वराज्य लेने के पुरुषार्थ में। कहाँ वह भक्ति मार्ग, कहाँ यह ज्ञान मार्ग। यहाँ भारत का हाल देखो क्या हुआ है - खाने के लिए अन्न नहीं, बड़े-बड़े प्लैन बना रहे हैं। टाइम है बाकी थोड़ा। उनका प्लैन और तुम्हारा प्लैन देखो कैसा है! यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं। रामायण आदि में कितनी कहानियां लिख दी हैं। परन्तु ऐसे तो है नहीं। रावण को फिर वर्ष-वर्ष क्यों जलाते हैं। रावण को जलाया तो वह ख़त्म हो जाना चाहिए ना। भक्ति मार्ग की आमदनी कैसी और ज्ञान मार्ग की आमदनी कैसी है! बाबा एकदम भण्डारा भर देते हैं। उसके लिए मेहनत है। पवित्र जरूर रहना पड़े। गाते भी हैं अमृत छोड़ विष काहे को खाए। अमृत नाम से अमृतसर में एक तालाब बना दिया है। तालाब में डुबकी मारते हैं। मानसरोवर नाम का भी एक तालाब बना दिया है। मानसरोवर का अर्थ भी नहीं समझते हैं। मानसरोवर अर्थात् निराकार परमपिता परमात्मा ज्ञान सागर मनुष्य के तन में आकर यह ज्ञान सुनाते हैं। मनुष्यों ने कथायें आदि कितनी बैठ बनाई हैं। सर्व शास्त्रमई शिरोमणी गीता........ फिर उसमें कृष्ण वाच लिख दिया है। फिर कृष्ण के लिए भी कितनी बातें लिख दी हैं। सर्प ने डसा, कृष्ण ने स्त्रियों को भगाया...... कितने झूठे कलंक लगाये हैं। अभी तुम समझा सकते हो। कृष्ण की तो बात ही नहीं। यह तो ब्रह्मा द्वारा परमपिता परमात्मा सभी वेदों शास्त्रों ग्रंथों का सार बैठ बतलाते हैं। नम्बरवन है श्रीमद्भगवत गीता। भारतवासियों का धर्मशास्त्र एक ही है, उसको खण्डन कर दिया है तो बाकी जो बाल-बच्चे वेद-शास्त्र हैं सब खण्डन हो गये।
बाप कितनी अच्छी रीति समझाते हैं फिर भी चलते-चलते माया के थप्पड़ खाते रहते हैं, धारणा नहीं करते हैं। यह है युद्धस्थल। तुम हो बच्चे, जो ब्राह्मण बने हो। गीता आदि में तो कोई ऐसी बातें लिखी नहीं हैं। ब्रह्मा की मुख वंशावली हैं, ब्रह्मा द्वारा यज्ञ रचा गया। रूद्र ज्ञान यज्ञ तो बरोबर है फिर युद्ध का मैदान कहाँ से आया? गाया भी हुआ है राजस्व अश्वमेध यज्ञ। यह जो रथ है उसको हम बलि चढ़ाते हैं। वह फिर दक्ष प्रजापति का यज्ञ रच घोडेम को बैठ स्वाहा करते हैं। क्या-क्या लिख दिया है। तुम जानते हो सतयुग में भारत स्वर्ग था तो जरूर वहाँ बहुत थोड़े ही होंगे। देवी-देवता थोड़े थे। जमुना के कण्ठे पर बरोबर राज्य होगा। सिर्फ देवी-देवतायें राज्य करते होंगे। वहाँ तो गर्मी आदि होती नहीं जो कश्मीर, शिमला आदि जाना पड़े। तत्व भी बिल्कुल सतोप्रधान हो जाते हैं। यह भी समझने वाले समझें। सतयुग को स्वर्ग कहा जाता है, कलियुग को नर्क कहा जाता है। द्वापर को इतना नर्क नहीं कहेंगे। त्रेता में भी दो कला कम होती हैं। सबसे जास्ती सुख स्वर्ग में है। कहते हैं फलाना स्वर्ग पधारा। परन्तु स्वर्ग का अर्थ नहीं समझते हैं। स्वर्गवासी हुआ, तो जरूर नर्क में था ना। हर एक मनुष्य नर्क में है। अभी बाप तुमको बेहद का राज्य देते हैं। वहाँ तो सब कुछ तुम्हारा रहेगा। तुम्हारी पृथ्वी, तुम्हारा आकाश...... तुम अटल, अखण्ड, शान्तिमय राज्य करेंगे। दु:ख का नाम ही नहीं होगा। तो उसके लिए कितना पुरुषार्थ करना चाहिए। अवस्थायें बच्चों की कैसी हैं। जानते भी हैं हमारे मम्मा बाबा बहुत अच्छी रीति पुरुषार्थ करते हैं, क्यों नहीं हम भी पुरुषार्थ कर वर्सा लेवें।
बाप कहते हैं - बच्चे, थक मत जाना, श्रीमत पर चलते रहना। श्रीमत को कभी भूलना नहीं। इसमें बड़ी सावधानी चाहिए। जो कुछ करो, पूछो - बाबा हम इसमें मूँझते हैं, इसे करने में हमारे ऊपर कोई पाप तो नहीं लगेगा। बाबा कभी कोई से लेता नहीं है। भक्तिमार्ग में भी ईश्वर अर्थ दान करते हैं तो रिटर्न में फिर लेते हैं। शिवबाबा लेकर क्या करेंगे उनको कोई महल तो नहीं बनाने हैं। सब कुछ बच्चों के लिए करते हैं। मकान बनवाते हैं वह भी तुम्हारे पिछाड़ी में रहने लिए। तुम्हारा यादगार मन्दिर भी यहाँ है। तुम भी यहाँ बैठे हो। जो सर्विसएबुल बच्चे हैं वह आगे चल बहुत रौनक देखेंगे। यहाँ बैठे-बैठे चक्र लगाते रहेंगे स्वर्ग में। फिर वहाँ जाकर महल बनायेंगे। मकान की काम्पीटीशन होती है ना। अभी 100 वर्ष में कितना बनाया है। भारत को जैसे बहिश्त बना दिया है। तो वहाँ 100 वर्ष में समझते हो क्या नहीं होगा। साइंस सारी तुमको वहाँ काम में आती है। साइंस का सुख ही वहाँ है। यहाँ तो दु:ख है। साइंस पर कितनी मेहनत करते हैं। तुम बच्चे समझते हो कि यह सिर्फ फाफा मार रहे हैं (अपनी बड़ाई कर रहे हैं), अल्पकाल क्षणभंगुर सुख है, यह माया का पिछाड़ी का पाम्प है। यह एरोप्लेन, रॉकेट आदि में अभी जाते हैं। आगे यह सब साधन थे नहीं। बिजली आदि भी नहीं थी। यह सब है माया का सुख, जो मनुष्य को भरमाता है। मनुष्य समझते हैं - बस, यही स्वर्ग है। विमान आदि स्वर्ग में थे, अभी स्वर्ग है ना। यह नहीं समझते कि स्वर्ग के लिए तो अब तैयारी हो रही है। समझते हैं धन है, महल हैं बस, हमारे लिए यहाँ ही स्वर्ग है। अच्छा, तुम्हारी तकदीर में यहीं स्वर्ग है। हमको तो मेहनत कर सच्चे-सच्चे स्वर्ग में चलना है, जिसके लिए तुम पुरुषार्थ करते हो। पुरुषार्थ में ढीला नहीं पड़ना है। गृहस्थ व्यवहार में रह पुरुषार्थ करना है। सर्विस करनी है। खुद पवित्र बन फिर अपने मित्र-सम्बन्धियों आदि को भी लायक बनाओ, मीठी-मीठी बातें सुनाओ। बाबा ने दो बाप की प्वाइन्ट बहुत अच्छी रीति समझाई है। वर्सा बाप से मिलता है जायदाद का। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पुरुषार्थ में कभी भी थकना नहीं है। बड़ी सावधानी से श्रीमत पर चलते रहना है। मूँझना नहीं है।
2) कोई भी पाप कर्म नहीं करना है। सच्चे-सच्चे स्वर्ग में चलने लिए पवित्र बनने और बनाने की सेवा करनी है।
वरदान:-अनासक्त बन लौकिक को सन्तुष्ट करते भी ईश्वरीय कमाई जमा करने वाले राज़युक्त भव
कई बच्चे लौकिक कार्य, लौकिक प्रवृत्ति, लौकिक सम्बन्ध-सम्पर्क निभाते हुए अपनी विशाल बुद्धि से सबको सन्तुष्ट भी करते और ईश्वरीय कमाई का राज़ जानते हुए विशेष हिस्सा भी निकाल लेते। ऐसे एकनामी और एकानामी वाले अनासक्त बच्चे हैं जो सर्व खजानें, समय, शक्तियां और स्थूल धन को लौकिक से एकानामी कर अलौकिक कार्य में फ्राकदिली से लगाते हैं। ऐसे युक्तियुक्त, राज़युक्त बच्चे ही महिमा योग्य हैं।
स्लोगन:-स्मृति स्वरूप बनकर हर कर्म करने वाले ही प्रकाश स्तम्भ (लाइट हाउस) बनते हैं।
13/10/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, drums of happiness should beat in your hearts because the unlimited Father has come to give you the unlimited inheritance.
Question:What illusion has Maya created for human beings due to which they are unable to make effort to go to heaven?
Answer:
When people see the pomp of Maya of the final period over the last hundred years, when they see the inventions of aeroplanes, electricity etc., they think that heaven is here. They have wealth, palaces, motor cars and so they think that this is it, that this is heaven for them. This happiness is from Maya and it has put them under an illusion. Because of this they don't make effort to go to heaven.
Song:Mother, o mother, you are the bestower of fortune for all.
Om Shanti
It has been explained to you children that praise is sung of those who have been and gone. The people of Bharat don't know this. Even the scholars and pundits do not know this. Jagadamba, the World Mother, means the one who creates the people of the world. You know that the one who is called Jagadamba is now sitting personally in front of you children. They have been singing this on the path of devotion (without any meaning). You children have now received knowledge, that is, you have received Jagadamba’s introduction. They have created many different pictures in the name of Jagadamba. In fact, whether she is called Kali, Saraswati or Durga, there is only one Jagadamba. By her being given many names, people have become confused. They also speak of Kali of Calcutta. However, there is no such person as the one in that picture. The Father says: All of that is the paraphernalia of the path of devotion. The kingdom of Ravan starts at the time that the path of devotion starts. People don’t know who Ravan is or who Rama is. This is an unlimited story. You children know that the kingdom of Ravan is now to end and that the kingdom of Rama is about to begin. Rama is definitely someone who gives you happiness and Ravan is definitely someone who causes you sorrow. There is the kingdom of Ravan in Bharat and so that is called the cottage of sorrow. The Father has explained that, at present, all of you are in the kingdom of Ravan. It is mainly about Bharat. You have become degraded in the kingdom of Ravan. Rama, the unlimited Father, is the One who gives you happiness. At this time all human beings are following devilish dictates. Actually, there isn't a Ravan with ten heads. Those are the dictates of the five vices, which are called the dictates of Ravan. Shiv Baba's directions are shrimat. It is now the devilish community. This is an unlimited matter. You receive happiness for 21 births by following shrimat. By following devilish dictates, you have received sorrow for 63 births. You know that Ravan, whom people have been burning, is the biggest enemy. They don't comprehend when they will finally stop burning Ravan. They say: Burning Ravan has continued from time immemorial. They create an effigy of him and continue to burn it. Truly, Ravan has caused everyone sorrow, especially in Bharat. Therefore, Ravan is a great enemy but no one knows about this unlimited enemy. The unlimited Father comes and gives you unlimited happiness. Even scholars and pundits don't know such an easy thing. You children know that you have to claim your inheritance of happiness from the unlimited Father. However, you repeatedly forget the Father. On the path of devotion you have been calling out: O Baba, have mercy! Have mercy on me! I continue to have mercy. With whatever feelings you worship the deities, I definitely give you temporary happiness for that. No one else can give you happiness. I alone am the Bestower of Happiness. I am also the Bestower on the path of devotion. They say: God, the Father, gave this. They say this of God. Then, why do you say that such-and-such a holy man gave you wealth, since it is only the one Father who gives you happiness? People even sing: O God, remove our sorrow! Then, why do they say that such-and-such a holy man removed their sorrow or gave them a child? They believe that they received happiness due to his blessings. When they profit in their business, they think that it is because of the blessing of their guru. If they have a loss, they don't think that it is due to the lack of their guru's blessings. Poor devotees continue to say whatever enters their minds without understanding anything; they continue to follow whatever they hear. This is also in the drama. The Father now comes and makes you belong to Him. Maya causes a lot of obstacles in your having love for the Father. She completely turns your face away. She makes you divorce the Father who gives you happiness for 21 births. The Father explains that there is the difference of day and night between the path of knowledge and the path of devotion. When people have become poverty-stricken by continually doing devotion, the Father comes, gives knowledge and makes you prosperous for 21 births. You have been doing that devotion for birth after birth and received temporary happiness. There is a lot of sorrow. The Father says: I have come to give you back the kingdom you lost. This is something unlimited. It is not anything else. Lakshmi and Narayan etc. were viceless deities. There would have been so many diamonds and jewels in their palaces. As you progress further, you will see a great deal. The closer you come, the more scenes of heaven you will see. There will be such big courts. There will be such good decorations of gold and diamonds on the windows etc. That is all. Just wait for the night to end and the day will begin. The Paradise that you see in divine visions, you will definitely see in a practical way. The destruction that you have seen in divine visions, you will definitely also see practically. Drums of happiness should beat inside you. You are claiming your unlimited inheritance from the unlimited Father. These pictures are not accurate. You see all of those things in divine visions. You go there and perform dances etc. You used to make so many pictures etc. Whatever the Father showed you in divine vision will definitely happen in a practical way. You know that this dirty world is going to end. You are sitting here making effort to claim your self-sovereignty by following shrimat. There is a lot of difference between that path of devotion and this path of knowledge. Look at what the condition of Bharat has become. They don't have food to eat and yet look at the big plans they make. There is very little time left. Look what their plans are and what your plans are! These things are not mentioned in the scriptures. They have written so many stories in the Ramayana etc., but it is not like that. Why do they burn Ravan every year? If Ravan had been burnt, he should have been destroyed, should he not? Look at the income on the path of devotion and the income on the path of knowledge! Baba fills your treasure-store completely. It takes effort. You definitely have to remain pure. It is remembered: Why should we renounce nectar and drink poison? They have created a lake in Amritsar and given it the name ‘Lake of Nectar’. They take a dip in the lake. There is also a lake with the name ‘Mansarovar’. They don't understand the meaning of ‘Mansarovar’. Mansarovar means that the incorporeal Supreme Father, the Supreme Soul, the Ocean of Knowledge, enters a human body and speaks this knowledge. People have sat and made up so many stories. The Gita is the mother, the jewel, of all the scriptures. They have then said that that was spoken by Krishna. They have also written so many things about Krishna: that he was bitten by a snake, that he abducted women. They have made so many false allegations. You can now explain to them that it does not relate to Krishna. It is the Supreme Father, the Supreme Soul, who sits here and tells you the essence of the Vedas, the scriptures and the Granth through Brahma. Number one is the Shrimad Bhagawad Gita. The people of Bharat only have one religious scripture. Because that has been falsified, all its children, the Vedas and the scriptures, have also become false. The Father explains to you so clearly. In spite of that, as you move along, you continue to be slapped by Maya; you don't imbibe anything. This is a battlefield. You are the children who have become Brahmins. Such things are not written in the Gita etc. There is the mouth-born creation of Brahma. The sacrificial fire was created through Brahma. There is truly the sacrificial fire of the knowledge of Rudra and so where did the battlefield come from? The sacrificial fire in which the horse was sacrificed for self-sovereignty is also remembered. We are sacrificing these chariots. They have then created a sacrificial fire of Daksh Prajapita and sat and sacrificed a horse in that. They have written all sorts of things. You know that Bharat was heaven in the golden age and so there would surely have been very few people there. There were few deities there. There will definitely be the kingdom by the banks of the River Jamuna. Just the deities will rule there. There will be no heat etc. there that they would have to go to Kashmir or Simla etc. The elements will also have become completely satopradhan. Only those who are to understand these things will understand them. The golden age is called heaven and the iron age is called hell. The copper age is not said to be that much of a hell. In the silver age the degrees are reduced by two. The maximum happiness is in heaven. They say that so-and-so has gone to heaven, but they don't understand the meaning of heaven. If he became a resident of heaven, then he was surely in hell prior to that. Every human being is in hell. The Father is now giving you the unlimited kingdom. Everything there will be yours; the earth, the sky etc. will all be yours. You will rule the unshakeable, constant and peaceful kingdom. There will be no mention of sorrow. Therefore, you should make so much effort for that. Look what the stage of the children is like. You know that your Mama and Baba are making very good effort. Why should you also not make effort and claim your inheritance? The Father says: Children, don’t become tired. Continue to follow shrimat. Never forget shrimat. You need to be very cautious about this. Whatever you do, ask Baba: Baba, I am confused about this. I will not accumulate sin by doing this, will I? Baba never takes anything from anyone. Even on the path of devotion, people donate in the name of God and then receive something in return. What would Shiv Baba do by taking something from you? He doesn’t have to build any palaces. He does everything for you children. He has buildings built for you to stay in at the end. Your memorial temple is here and you are also sitting here. Serviceable children will see a lot of splendour as they progress further. While sitting here, you will tour around heaven. Then, you will go there and build palaces. There is a competition of buildings. Look how much they have built in the last hundred years. They have made Bharat into Paradise. So, what would they not have in just one hundred years there? You can understand this. All of science will be useful to you there. The happiness of science will be experienced there. Here, there is sorrow. They make so much effort in science. You children know that they are just praising themselves. There is temporary, momentary happiness. It is the pomp of Maya of the final time. It is now that they travel in aeroplanes and rockets etc. None of those facilities existed before. Previously there wasn't electricity either. All of that is the comfort of Maya which creates an illusion for people. People think that this is heaven; there used to be vimans etc. in heaven, and so this is heaven. They don’t understand that preparations are being made for heaven now. They think that, because they have wealth, they have palaces and so that's it; this is heaven for them here. Achcha, let that heaven be in their fortune! We have to make effort and go to the true heaven. You make effort for that. You mustn't become slack in your efforts. You have to live at home with your family and make effort. You have to do service. You have to become pure and also make your friends and relatives worthy. Tell them sweet things. Baba has explained the point of the two fathers very clearly. You are to receive your inheritance of the Father’s property. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Never become tired of making effort. Be very cautious as you continue to follow shrimat. Never become confused.
2. Never perform any sinful acts. In order to go to the true heaven, do the service of becoming pure and making others pure.
Blessing:May you be a knower of all secrets and accumulate a Godly income while being free from any attractive temptation and by making your lokiks family.
Many children, while fulfilling their responsibilities in carrying out their family tasks of their household and family relationships and connections make everyone content with their unlimited intellects By knowing the secrets of the Godly income, they too claim their special share. There are such economical children who belong to the One. They are free from any attractive temptation and use all their treasures, time, powers and physical wealth economically on their family: they use it generously for their alokik tasks. Such yuktiyukt children who understand all secrets are worthy of praise.
Slogan:Those who perform every task while being embodiments of remembrance become towers of light. (Lighthouses).
End of Page
Please select any one of the below options to give a LIKE, how do you know this unit.