Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali 01-Aug- 2018 | 125037 | 2018-09-07 17:27:03 | |
2 | Murali 02-Aug- 2018 | 115306 | 2018-09-07 17:27:03 | |
3 | Murali 03-Aug- 2018 | 122767 | 2018-09-07 17:27:03 | |
4 | Murali 04-Aug- 2018 | 131649 | 2018-09-07 17:27:03 | |
5 | Murali 05-Aug- 2018 | 122005 | 2018-09-07 17:27:03 | |
6 | Murali 06-Aug- 2018 | 122804 | 2018-09-07 17:27:03 | |
7 | Murali 07-Aug- 2018 | 120104 | 2018-09-07 17:27:03 | |
8 | Murali 08-Aug- 2018 | 127824 | 2018-09-07 17:27:03 | |
9 | Murali 09-Aug- 2018 | 127466 | 2018-09-07 17:27:03 | |
10 | Murali 10-Aug- 2018 | 121746 | 2018-09-07 17:27:03 | |
11 | Murali 11-Aug- 2018 | 122692 | 2018-09-07 17:27:03 | |
12 | Murali 12-Aug- 2018 | 111683 | 2018-09-07 17:27:03 | |
13 | Murali 13-Aug- 2018 | 123920 | 2018-09-07 17:27:03 | |
14 | Murali 14-Aug- 2018 | 111398 | 2018-09-07 17:27:03 | |
15 | Murali 15-Aug- 2018 | 128503 | 2018-09-07 17:27:03 | |
16 | Murali 16-Aug- 2018 | 127280 | 2018-09-07 17:27:03 | |
17 | Murali 17-Aug- 2018 | 107136 | 2018-09-07 17:27:03 | |
18 | Murali 18-Aug- 2018 | 120726 | 2018-09-07 17:27:03 | |
19 | Murali 19-Aug- 2018 | 108991 | 2018-09-07 17:27:03 | |
20 | Murali 20-Aug- 2018 | 124686 | 2018-09-07 17:27:03 | |
21 | Murali 21-Aug- 2018 | 119352 | 2018-09-07 17:27:03 | |
22 | Murali 22-Aug- 2018 | 131894 | 2018-09-07 17:27:03 | |
23 | Murali 23-Aug- 2018 | 124657 | 2018-09-07 17:27:03 | |
24 | Murali 24-Aug- 2018 | 130080 | 2018-09-07 17:27:03 | |
25 | Murali 25-Aug- 2018 | 132241 | 2018-09-07 17:27:03 | |
26 | Murali 26-Aug- 2018 | 132051 | 2018-09-07 17:27:03 | |
27 | Murali 27-Aug- 2018 | 125337 | 2018-09-07 17:27:03 | |
28 | Murali 28-Aug- 2018 | 119723 | 2018-09-07 17:27:03 | |
29 | Murali 29-Aug- 2018 | 114297 | 2018-09-07 17:27:03 | |
30 | Murali 30-Aug- 2018 | 124625 | 2018-09-07 17:27:04 | |
31 | Murali 31-Aug- 2018 | 109921 | 2018-09-07 17:27:04 |
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Details ( Page:- Murali 30-Aug- 2018 )
30-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - कर्म, अकर्म, विकर्म की गति को ध्यान में रखते हुए इन कर्मेन्द्रियों से कोई भी पाप कर्म नहीं करना, दे दान तो छूटे ग्रहण"
प्रश्नः-
किस बात में ब्रह्मा बाप को फालो करने वाले बच्चे भविष्य में तख्तनशीन बनते हैं?
उत्तर:-
जैसे ब्रह्मा बाप देह सहित पूरा बलि चढ़े, अपना सब कुछ ईश्वर अर्थ बच्चों की सेवा में लगा दिया, डायरेक्ट इनश्योर किया इसलिए विश्व की राजाई मिली, ऐसे ही फालो फादर। सपूत बनने का सर्टीफिकेट लेना है। सगे बन तन-मन-धन से सेवा करनी है। बाप का पूरा मददगार बनना है। सब कुछ इनश्योर कर 21 जन्मों की राजाई का हकदार बन सकते हो।
गीत:-
बचपन के दिन भुला न देना........
ओम् शान्ति।
मीठे-मीठे बच्चों ने गीत सुना। अब बच्चों ने जीते जी इस दुनिया से मरकर उस दुनिया में जाने के लिए बाप की गोद ली है। कौन-सा बाप है? परमपिता परम आत्मा माना परमात्मा। हमेशा जब समझाते हो तो ऐसे मत कहो बाबा ज्योतिर्लिंगम हैं, अथाह ज्योति स्वरूप है, हजार सूर्यों से तेजोमय हैं, यह कहना वास्तव में रांग है। क्या कहना है? परमपिता परमात्मा यानी परम आत्मा, वह सदैव परमधाम में रहते हैं। परम अर्थात् ऊंच ते ऊंच इनकारपोरियल फादर। वह सभी आत्माओं का बाप है इसलिए उनको सुप्रीम कहा जाता है। वह जन्म-मरण के चक्र में नहीं आते हैं। समझाते हैं - बच्चे, मैं भी अगर जन्म-मरण के चक्र में आऊं तो फिर सबका उद्धार कौन करे? मैं ही आकर सभी को दु:खों से पार कर ले जाता हूँ। दु:ख हर्ता और सुख देने वाला मैं हूँ परन्तु जानते नहीं हैं। भक्ति मार्ग में गाते रहते हैं - ओ परमपिता परमात्मा! जरूर समझते हैं वह फादर है। परन्तु हमारा बाप कैसे है, वह क्या चीज़ है - यह नहीं जानते हैं। मनुष्य जैसा रूप तो है नहीं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी याद करते हैं। वह तो इन आंखों से देखने में आते हैं। बाकी यह (शिव) कौन हैं, शिव के मन्दिर में जाते हैं परन्तु उनको क्यों याद करते हैं, यह नहीं जानते।
बाप बैठ समझाते हैं देवी-देवतायें जब वाममार्ग में आते हैं तो सोमनाथ का मन्दिर बनाते हैं। सिर्फ इतना समझते हैं कि शिवबाबा है, परन्तु यह नहीं जानते कि वह स्वर्ग का रचयिता है। हमको स्वर्ग का मालिक बनाने वाला है। अगर जानते तो औरों को शिवबाबा की बायोग्राफी बतलाते। ड्रामा में नूँध ही न जानने की है। जानना अर्थात् वर्सा पाना। न जानना अर्थात् वर्सा गँवाना। बाप कहते हैं मैं स्वर्ग का रचयिता तुमको सुख देता हूँ, पावन बनाता हूँ। फिर 5 विकार तुमको पतित बनाते हैं। कलायें कमती होती जाती हैं। तुम काले हो जाते हो। पहले तुम 16 कला सम्पूर्ण चन्द्रमा थे, पावन थे, अब तुम्हारे को ग्रहण लग गया है। बाबा कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण। पांच विकारों को ही ग्रहण कहा जाता है। जिससे तुम आत्मा दु:खी, काली बन पड़ती हो। बाप कहते हैं मैं तुम ब्राह्मणों का बाप हूँ। हे ब्राह्मणों, तुम्हारे पास जो यह 5 विकार हैं यह मुझे दान में दे दो तो ग्रहण छूटे। आज से दान देकर फिर कभी उनसे कुछ नहीं करना। माया के तूफान तो बहुत आयेंगे। लेकिन कर्मेन्द्रियों से क्रोध आदि करने से पाप हो जायेगा। कर्म-अकर्म-विकर्म की गति भी तुमको समझाता हूँ। तुम्हारा कर्म विकर्म नहीं बनना चाहिए। मैं तुम बच्चों को विकर्माजीत बनाता हूँ। यह तो राहू का ग्रहण है। दे दान तो छूटे ग्रहण। बाप कहते हैं - मेरे मीठे बच्चे, यह 5 भूतों का दान दो, इसमें पैसे आदि की तो कोई बात नहीं। यह तो बाप है, तुम सगे बच्चे हो। बाप को तो सगे बच्चों को मदद करनी ही है। तुम भी तन-मन-धन से सेवा करते हो। बाप का भी फ़र्ज है तुम्हारी सेवा करे। बाप कहते हैं - यह सब कुछ तुम बच्चों का है। भक्ति मार्ग में तुम भगवान् को देते आये हो। परन्तु ईश्वर कोई भूखा थोड़ेही है। यह तुम इनश्योर करते हो। ईश्वर को देने से ईश्वर फिर दूसरे जन्म में तुमको देंगे। यह इनश्योर करना हुआ ना। दूसरे जन्म में इसका फल मिलता है। ईश्वर है दाता। अभी तुम अपने को इनश्योर करते हो - 21 जन्म लिए। वह इनश्योर करते हैं एक जन्म के लिए। यहाँ तो सब कुछ इनश्योर हो जाता है - 21 जन्मों के लिए। कहा जाता है सन शोज़ फादर। देखो फादर (ब्रह्मा बाबा) के पास जो कुछ था सब ईश्वर अर्थ बच्चों की सेवा में लगा दिया, शिवबाबा को वारिस बना दिया, तन-मन-धन सब कुछ दे दिया तो उनके बदले में फिर अपने पुरुषार्थ से विश्व की बादशाही मिलती है क्योंकि डायरेक्ट है ना। तुम मेरा बनने से 21 जन्म स्वर्ग के मालिक बनते हो परन्तु जितना बलि चढ़ेंगे, उतना वर्सा मिलेगा। देह सहित सब कुछ बलि चढ़ाना है। जो मदर-फादर को फालो करेंगे वही तख्त पर भी बैठेंगे। तो बाप कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण। दान देकर और फिर अगर वापिस ले लिया तो दुर्गति को ही पायेंगे। पूरा पुरुषार्थ करना है। पुरुषार्थी स्टूडेन्ट अच्छी रीति पढ़ते तो नम्बर भी लेते हैं। तुम भी पुरुषार्थ कर ऊंच नम्बर लो। इसमें कोई तकलीफ की बात नहीं, सिर्फ पवित्र रहना है। इसके लिए बाबा से बल भी मिलता है। खुशी का पारा भी चढ़ता है।
हमको देवता बनना है तो कोई अवगुण नहीं होना चाहिए। 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी यहाँ ही बनना है तो कोई अवगुण नहीं होना चाहिए। आधाकल्प विकारी बने हो तो माया भी कहती है अभी यह निर्विकारी बनते हैं, हम फिर विकारी बनाती हूँ। यह चलती है माया की युद्ध। यह है मुश्किलात। माया पर जीत पानी है। उन्होंने फिर हिंसक लड़ाई दिखाए खण्डन कर दिया है। तुम माया पर जीत पाने से विश्व के मालिक बनते हो। बच्चे समझते हैं बाप को 5 विकारों का दान नहीं देंगे तो श्री नारायण वा लक्ष्मी को वर नहीं सकेंगे। तो तुम बच्चों को दिल दर्पण में देखना चाहिए - मैंने कर्मेन्द्रियों से तो नहीं कुछ किया? माया के तूफान तो आगे से भी जबरदस्त आयेंगे। वैद्य लोग दवाई देते हैं तो कहते हैं कि पहले वाली पुरानी बीमारी बाहर निकलेगी। इसमें डरना नहीं है। यह तो आयेंगे। यह भी सर्जन है। कहते हैं कि तुम मेरे बच्चे बनेंगे तो फिर तुम्हारी खूब रावण से युद्ध होगी। माया खूब वार करने लगेगी इसलिए तूफान से डरना नहीं है। बाप के बने हो तो यह बचपन भूल नहीं जाना। यह है ईश्वरीय बचपन। ईश्वर की गोद में एक बार आये फिर देवताई गोद में 21 बार जायेंगे। ईश्वरीय जन्म के बाद तुम स्वर्ग में जाते हो। सर्टीफिकेट लेना है। बाबा, हम आपका सपूत बच्चा हूँ या कपूत? तो बाबा बतला सकते हैं, सपूत भी किस नम्बर में हो? क्या ख़ामी है? बाबा बतला सकते हैं। खुद भी समझ सकते हैं कि हम सर्विस नहीं करते हैं तो इतना ऊंच पद कैसे पायेंगे? अच्छा, बाबा कहते हैं तुम क्या करो, एक हॉस्पिटल अथवा कॉलेज खोल दो। भल तुम इसमें जाना नहीं, और बहुत लोग शफा पायेंगे तो उसका इज़ाफा तुमको मिलेगा। मनुष्य धर्मशाला बनाते हैं, इसलिए कि बहुत आकर विश्राम पायेंगे तो दूसरे जन्म में उसको अच्छा महल मिलेगा। बाबा के पास बहुत आते हैं, कहते हैं यह हॉस्पिटल खोलो, हम मदद देंगे। बड़ी हॉस्पिटल खोलो। अगर ज्ञान उठाने की खुद को फुर्सत नहीं, तो अच्छा तीन पैर पृथ्वी के लेकर यह हॉस्पिटल कम कॉलेज खोल दो। हॉस्पिटल से एवरहेल्दी बनेंगे। कॉलेज से एवरवेल्दी बनते हैं। बहुत आकर बनेंगे तो तुम्हारा पुण्य होगा। जास्ती खर्चा भी नहीं है। आजकल पैसे कितने कमाते हैं, करोड़ों के आसामी हैं! क्या उनके पुत्र-पोत्रे खायेंगे? धूर भी नहीं, सब विनाश हो जायेगा। राजाई गरीबों को मिलती है। गरीब निवाज है ना। यह बाबा नम्बरवन साधारण था। हजार दो हैं तो उनको गरीब कहेंगे। यहाँ गरीब भी अच्छा पद पा सकते हैं। किसका लाख-करोड़ लेकर क्या करेंगे? गरीबों की पाई-पाई से ही स्थापना करते हैं। गांधी को कितना दान देते थे, उसमें कितने मरे! कितनी तकलीफें सहन की! तुमको तो कोई तकलीफ नहीं। बाप कहते हैं तुम पहले राजयोग सीखो तो तुमको राजाई देंगे। यह राज्य तो मृगतृष्णा सदृश्य है। कहानी है ना द्रोपदी ने दुर्योधन को निमंत्रण दिया। वह आया तो तालाब समझ वस्त्र उतारने लगा तो द्रोपदी ने कहा - अन्धे की औलाद अन्धे, यह तो रुण्य का पानी (मृगतृष्णा) है। सभी समझते हैं हमने स्वराज्य पा लिया है, परन्तु कितना दु:ख है! प्रजा कितनी दु:खी हैं, मौत सामने खड़ा है। बाप कहते हैं यह सब मरे पड़े हैं। कब्रिस्तान है, तुमको फिर परिस्तान बनाना है। हीरे-मोतियों के महल बनायेंगे। यहाँ तो यह पत्थरपुरी है, वहाँ होगी सोने की इसलिए बाप समझाते हैं - दे दान तो छूटे ग्रहण, फिर 16 कला सम्पूर्ण हो जायेंगे। अभी तुम पतित हो, मनुष्य कितने दु:खी हैं। लड़ाई लगती है तो नींद फिट जाती है। आराम नहीं आता है, नींद की गोली लेकर नींद करते हैं। यह है ही रावण राज्य। अभी दशहरे पर रावण को जलायेंगे, यह अन्त तक जलाते रहेंगे, जब तक कि विनाश हो। विनाश के बाद फिर रावण जलेगा नहीं। फिर द्वापर के बाद रावण निकालते हैं जलाने के लिए। साल-साल रावण को जलाते हैं परन्तु मरता ही नहीं। साल-साल तुम रक्षाबंधन मनाती हो, राखी बांधती हो फिर अपवित्र बन जाते हैं।
लक्ष्मी-नारायण के पास तो कितना अथाह धन था! कितनी उन्हों की पूजा होती है! पूजा सिर्फ लक्ष्मी की थोड़ेही करते हैं, चतुर्भुज की करते हैं। उसमें दोनों आ जाते हैं। लक्ष्मी के साथ नारायण तो जरूर चाहिए। इसलिए दोनों की पूजा करते हैं। जोड़ी बिगर काम कैसे चलेगा? प्रवृत्ति मार्ग है ना। तुम विश्व के मालिक बनते हो। बच्चे पूछते हैं दीवाली पर सब कहते हैं - अगर लक्ष्मी की पूजा नहीं करेंगे तो धन तुम्हारे पास नहीं आयेगा इसलिए बाबा राय देते हैं- बच्चे, इसमें भी साक्षी होकर पार्ट बजाओ, नहीं तो खिट-खिट होगी। जैसे बाबा कहते हैं - बच्ची की शादी करानी है तो साक्षी होकर पार्ट बजाओ, नहीं तो झगड़ा होगा। बच्चियां निर्विकारी नहीं रहना चाहती तो लाचारी हालत में उनकी शादी करा दो। पवित्र रहना नहीं चाहती हैं तो रवाना कर देना है, तंग नहीं करना है। कुमारी वह जो 21 कुल का उद्धार करे। तुम सब ब्रह्माकुमारियां हो, तुम्हारा धन्धा है ही सभी को स्वर्ग का मालिक बनाना। दिल से पूछो - हम कितने को आपसमान बनाते हैं? मिशन है ना। यहाँ तुम मनुष्य को देवता बनाते हो तो बहुत मेहनत करनी चाहिए। तुम खुदाई खिदमतगार हो। मैं तुमको दु:ख से छुड़ाए स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ। मैं हूँ ही निष्काम। तुमको राजाई देकर मैं वानप्रस्थ में चला जाता हूँ। मुझे राजाई करने की तमन्ना नहीं है। तुमको राज्य देता हूँ। तुम अपना राज्य-भाग्य फिर से ले लो। तुम जानते हो हम सो देवी-देवता थे, 84 जन्म पास कर आज हम रावण की सम्प्र दाय बने। रावण को हमेशा जलाते हैं। रावण की कभी पूजा नहीं करते हैं। जो सुख देता है उनको पूजा जाता है। रावण का चित्र बनाया और जलाया, वह तो सदैव दु:ख देने वाला है। दु:ख देने वाले की महिमा फिर कैसे करेंगे? शिवबाबा है सुखदाता। उन पर रोज़ जाकर फूल चढ़ाते हैं। आक्यूपेशन तो कुछ भी नहीं जानते। आजकल तो अन्धश्रद्धा बहुत है।
बाबा कहते हैं जिससे तुमको स्वर्ग का सुख मिलता है ऐसे बाप को भूल नहीं जाना। फिर स्वर्ग के सुख घनेरे मिल नहीं सकेंगे। मम्मा-बाबा कहा तो स्वर्ग में तो आयेंगे परन्तु आकर नौकर चाकर बनेंगे। गीत का अर्थ भी बच्चों ने समझा। ईश्वर का बनकर इस बचपन को भूल नहीं जाना। आसुरी सन्तान से बदल तुम ईश्वरीय सन्तान बनते हो फिर दैवी सन्तान बनेंगे। यह है ईश्वरीय जन्म। इस समय तुम सेवाधारी हो। तुम हो रूहानी सोशल वर्कर। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ईश्वरीय जन्म ले कोई भी अकर्तव्य नहीं करना है। सपूत बच्चा बनना है। अवगुण निकाल देवताई गुण धारण करने हैं।
2) खुदाई खिदमतगार बन रूहानी सेवा से सबको आप समान बनाना है। तीन पैर पृथ्वी लेकर रूहानी हॉस्पिटल वा कॉलेज खोल देना है। तन-मन-धन से पूरा मददगार बनना है।
वरदान:-पुराने हिसाब-किताब को समाप्त कर सम्पूर्णता का समारोह मनाने वाले बन्धनमुक्त भव
इस पराये देश में जब सभी बंधन-युक्त आत्मा बन जाते हैं तब बाप आकर स्वरूप और स्वदेश की स्मृति दिलाकर बन्धनमुक्त बनाए स्वदेश में ले जाते हैं और स्वराज्य अधिकारी बनाते हैं। तो अपने स्वदेश में चलने के लिए सब हिसाब-किताब के समाप्ति का समाप्ति समारोह मनाओ। जब अभी यह समारोह मनायेंगे तब अन्त में सम्पूर्णता समारोह मना सकेंगे। बहुतकाल के बन्धनमुक्त ही बहुतकाल के जीवनमुक्त पद को प्राप्त करते हैं।
स्लोगन:-अपने उमंग-उत्साह के सहयोग और मीठे बोल से कमजोर को शक्तिशाली बना देना ही शुभचिंतक बनना है।
30/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, pay attention to the philosophy of action, neutral action and sinful action and don't perform any sinful actions with your physical sense organs. Make a donation and the bad omens of the eclipse will be removed.
Question:
By following Father Brahma in which aspect do you children become seated on the throne in the future?
Answer:
Father Brahma surrendered everything he had including his body and gave everything to serve the children in the name of God. He insured himself directly and thereby received the kingdom of the world. Follow the father in the same way. You have to claim the certificate of being worthy. Become real children and serve with your bodies, minds and wealth. Become the Father's true helpers. By insuring everything, you can claim a right to a kingdom for 21 births.
Song:
Do not forget the days of your childhood
Om Shanti
You sweetest children heard the song. You children have now died alive and taken the lap of the Father in order to go from this world to that world. Which Father is He? “The Supreme Father, the Supreme Soul”, means God. Whenever you explain, you mustn’t say that Baba is a Jyotilingam, or that He is the form of light, brighter than a thousand suns. To say this is, in fact, wrong. What should you say? God, that is, the Supreme Father, the Supreme Soul, always resides in the supreme abode. The Supreme means the Highest on High, the incorporeal Father. He is the Father of all souls and this is why He is called the Supreme. He doesn’t enter the cycle of birth and death. He explains: Children, if I too entered the cycle of birth and death, who would uplift everyone? I alone come and take everyone beyond sorrow. I am the Remover of Sorrow and the Bestower of Happiness, but no one knows this. On the path of devotion, people continue to sing: O Supreme Father, Supreme Soul! They definitely consider Him to be the Father, but they don’t know what their Father is like or what He is. He doesn’t have the form of a human being. People also remember Brahma, Vishnu and Shankar. They can be seen with these eyes, but who is Shiva? People go to a Shiva Temple, but they don’t know why they remember Him. The Father sits here and explains: When the deities go on to the path of sin, they build the temple to Somnath. The only thing they understand is that He is Shiv Baba, but they don’t know that He is the Creator of heaven or that He is the One who makes us into the masters of heaven. If they knew this, they would tell others the biography of Shiv Baba. It is fixed in the drama for them not to know. To know means to receive the inheritance. Not to know means to lose the inheritance. The Father says: I, the Creator of heaven, give you happiness and make you pure. Then the five vices make you impure and the degrees continue to decrease. You then become ugly. At first, you were a 16 celestial degrees full moon; you were pure, but you are now eclipsed. Baba says: Make a donation and the bad omens of the eclipse will be removed. The five vices are said to be the eclipse of bad omens through which you souls become unhappy and ugly. The Father says: I am the Father of you Brahmins. O Brahmins, donate to Me the five vices that you have and the eclipse of the bad omens will be removed. After donating them today, don’t do anything with them. Many storms of Maya will come, but if you become angry, you would be committing sin through your physical organs. I explain the philosophy of action, neutral action and sinful action. Your actions should not become sinful. I am making you children into conquerors of sinful actions. Those are the omens of Rahu. When you make a donation, the eclipse of the omens will be removed. The Father says: My sweet children, donate those five evil spirits. There is no question of any money etc. in this. He is the Father and you are real children. The Father surely has to help the real children. You serve with your bodies, minds and wealth. The Father’s duty is to serve you. The Father says: All of this belongs to you children. You have been giving to God on the path of devotion. However, God is not greedy. You are insuring yourselves. By your giving to God, God will then give to you in your next birth. This is insuring, is it not? You receive the fruit of it in your next birth. God is the Bestower. You are now insuring yourselves for 21 births. Those people insure themselves for one birth. Here, everything is insured for 21 births. It is said: Son shows the Father. Look, whatever the father (Brahma Baba) had, he used it in the name of God to serve the children. He made Shiv Baba his Heir. He gave his body, mind and wealth and because he did everything directly, he received the sovereignty of the world in return through his own efforts. By belonging to Me, you become the masters of heaven for 21 births, but you will receive the inheritance to the extent that you surrender yourselves. You have to surrender everything including your body. Those who follow the mother and father will sit on the throne. The Father says: Make a donation and the eclipse of the omens will be removed. If you take something back after you have donated it, you will become degraded. You have to make full effort. Effort-making students who study well claim a number. You too can make effort and claim a high number. There is no question of any difficulty in this. You simply have to remain pure. You receive power from Baba for this and the mercury of happiness also rises. We want to become deities and so we mustn’t have any defects in us. You have to become 16 celestial degrees full and fully viceless here and so you mustn’t have any defects. You have been vicious for half the cycle and so Maya says: You are now trying to become viceless and so I will once again make you vicious. This is the war with Maya that continues. This is the difficulty. You have to conquer Maya. Those people have then shown a violent war and falsified everything. You become the masters of the world by conquering Maya. You children understand that if you don’t donate the five vices to the Father, you won’t be able to marry Shri Lakshmi or Narayan. Therefore, you children should look into the mirror of your heart: Did I do anything wrong through my physical sense organs? The storms of Maya that come will be stronger than they were previously. When herbalists give medicine, they warn you that all the old illnesses will erupt before you get better. You mustn’t be afraid of this. These will come. That One is also the Surgeon. He says: When you become My children, you will have a big war with Ravan. Maya will attack you a great deal. Therefore, you mustn’t be afraid of storms. You belong to the Father and so don’t forget this childhood: this is your Godly childhood. You come into God’s lap once and then into the lap of deities for 21 births. After your Godly birth you go to heaven. You each have to claim the certificate. Baba, am I a worthy child or an unworthy child of yours? Baba can tell you which number worthy child you are. Baba can tell you what is still lacking in you. You yourselves can understand: If I am not doing service, how can I claim such a high status? Achcha, Baba tells you what to do: Open a hospital-cum-college. You may not go there, but when many people receive a cure there, you will receive the reward of that. Human beings build dharamshalas so that many people can rest there, and so they would receive a very good palace in their next birth. Many children come to Baba and say: Open this hospital and we will help you. Open a big hospital. If you don’t have time to take this knowledge, then just take three feet of land and open this hospital-cum-college. Through the hospital you will become ever healthy and through the college you will become ever wealthy. When many people become this, you will accumulate the charity of that. There is not a lot of expense in this. People nowadays earn so much money. They have properties worth millions. Will their sons and grandsons etc. eat from that? They won’t even get the dust. Everything is to be destroyed. The poor ones receive a kingdom. Baba is the Lord of the Poor. This Baba was a number one ordinary person. Someone who just has one or two thousand would be called a poor person. Here, even the poor can claim a high status. What would you do with a hundred thousand or a million of someone’s? Establishment is carried out with every penny of the poor. Gandhiji used to receive so many donations, and yet so many people died in that. They endured so much difficulty. You don’t have any difficulty. The Father says: First of all, study Raja Yoga and the kingdom will be given to you. This kingdom here is like a mirage. There is the story of Draupadi inviting Duryodhan to her palace and when he came, he saw a lake and began to take off his clothes. So, Draupadi told him: Blind child of the blind, that is just a mirage. They all think that they have received their independence, but there is so much sorrow. People are so unhappy. Death is standing just ahead. The Father says: All are already dead. This is a graveyard and you have to make it into the land of angels. You will build palaces studded with diamonds and pearls. Here, it is the land of stones, whereas there, it will be the land of gold. Therefore, the Father explains: When you make a donation, the eclipse of the omens will be removed and you will then become 16 celestial degrees full. You are now impure. Human beings are so unhappy. When war takes place, people lose their sleep; they are unable to sleep. They sleep by taking sleeping tablets. This is the kingdom of Ravan. They will now burn Ravan on Dashera. They will continue to burn it till the end, until destruction takes place. After destruction, Ravan’s image will not be burnt. Then, in the copper age, they will again create Ravan in order to burn him. They burn Ravan every year, but he just doesn’t die. You celebrate Raksha Bandhan and have a rakhi tied every year and yet you also become impure again. Lakshmi and Narayan had so much wealth. They are worshipped so much. They don't worship Lakshmi alone; they worship the four-armed image. Both are included in that. Together with Lakshmi, Narayan is also needed; they worship both of them. How could anything function without a couple? This is the family path. You become the masters of the world. Children say that other people tell them: If you don't worship Lakshmi at Diwali, wealth will not come to you. Therefore, Baba advises you: Children, just play your parts as detached observers. Otherwise, there will be conflict. Baba says: If you have to get your daughter married, simply play your part as a detached observer. Otherwise, there will be a quarrel. If the daughter doesn't want to remain viceless, then, in those desperate circumstances, get her married. If she doesn't want to remain pure, then just let her go; don't harass her. A kumari is one who uplifts 21 generations. All of you are Brahma Kumaris and your business is to make everyone into a master of heaven. Ask your heart: How many do I make the same as myself? This is a mission. Here, you change human beings into deities and so you have to make a lot of effort. You are God’s helpers. I liberate you from sorrow and make you into the masters of heaven. I am altruistic. I give you the kingdom and go into retirement. I have no desire to rule a kingdom. I give you the kingdom. You can take your fortune of the kingdom once again. You know that you were deities. You went through 84 births and today you are part of Ravan’s community. People always burn an effigy of Ravan. They never worship Ravan. Those who give happiness are worshipped. They make an image of Ravan and then burn it; he always causes sorrow. How can you praise someone who causes you sorrow? Shiv Baba is the Bestower of Happiness. People go and offer flowers to Him every day, but they don't know His occupation. Nowadays, there is a lot of blind faith. Baba says: You mustn't forget the Father who gives you the happiness of heaven. Otherwise, you won't be able to receive the abundant happiness of heaven. Since you say "Mama, Baba" you will go to heaven, but you will become maids and servants. You children have understood the meaning of the song. After belonging to God, don't forget this childhood. You have changed from devilish children into Godly children and you are to become deity children. This is your Godly birth. At this time you are servers. You are spiritual social workers. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. After taking a Godly birth don’t perform any wrong actions. Become a worthy child. Remove the defects and imbibe divine virtues.
2. Become Godly helpers and make others equal to yourselves by doing spiritual service. Take three feet of land and open a spiritual hospital-cum-college. Become a full helper with your body, mind and wealth.
Blessing:
May you be free from bondage and celebrate the completion ceremony by finishing your old karmic accounts.
When all you souls in this foreign world are bound in bondage, the Father comes and makes you free from bondage by reminding you of your original form and original land. He makes you into masters of the self, self-sovereigns, and then takes you to your original land. So, in order to go back to your original land, celebrate the completion ceremony of finishing all karmic accounts. When you celebrate this ceremony now you will then be able to celebrate the perfection ceremony at the end. Only those who have been free from bondage over a long period of time are able to attain the status of liberation in life over a long period of time.
Slogan:To make weak souls powerful with the co-operation of your zeal and enthusiasm and sweet words is to have pure and positive thoughts for others.
"मीठे बच्चे - कर्म, अकर्म, विकर्म की गति को ध्यान में रखते हुए इन कर्मेन्द्रियों से कोई भी पाप कर्म नहीं करना, दे दान तो छूटे ग्रहण"
प्रश्नः-
किस बात में ब्रह्मा बाप को फालो करने वाले बच्चे भविष्य में तख्तनशीन बनते हैं?
उत्तर:-
जैसे ब्रह्मा बाप देह सहित पूरा बलि चढ़े, अपना सब कुछ ईश्वर अर्थ बच्चों की सेवा में लगा दिया, डायरेक्ट इनश्योर किया इसलिए विश्व की राजाई मिली, ऐसे ही फालो फादर। सपूत बनने का सर्टीफिकेट लेना है। सगे बन तन-मन-धन से सेवा करनी है। बाप का पूरा मददगार बनना है। सब कुछ इनश्योर कर 21 जन्मों की राजाई का हकदार बन सकते हो।
गीत:-
बचपन के दिन भुला न देना........
ओम् शान्ति।
मीठे-मीठे बच्चों ने गीत सुना। अब बच्चों ने जीते जी इस दुनिया से मरकर उस दुनिया में जाने के लिए बाप की गोद ली है। कौन-सा बाप है? परमपिता परम आत्मा माना परमात्मा। हमेशा जब समझाते हो तो ऐसे मत कहो बाबा ज्योतिर्लिंगम हैं, अथाह ज्योति स्वरूप है, हजार सूर्यों से तेजोमय हैं, यह कहना वास्तव में रांग है। क्या कहना है? परमपिता परमात्मा यानी परम आत्मा, वह सदैव परमधाम में रहते हैं। परम अर्थात् ऊंच ते ऊंच इनकारपोरियल फादर। वह सभी आत्माओं का बाप है इसलिए उनको सुप्रीम कहा जाता है। वह जन्म-मरण के चक्र में नहीं आते हैं। समझाते हैं - बच्चे, मैं भी अगर जन्म-मरण के चक्र में आऊं तो फिर सबका उद्धार कौन करे? मैं ही आकर सभी को दु:खों से पार कर ले जाता हूँ। दु:ख हर्ता और सुख देने वाला मैं हूँ परन्तु जानते नहीं हैं। भक्ति मार्ग में गाते रहते हैं - ओ परमपिता परमात्मा! जरूर समझते हैं वह फादर है। परन्तु हमारा बाप कैसे है, वह क्या चीज़ है - यह नहीं जानते हैं। मनुष्य जैसा रूप तो है नहीं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी याद करते हैं। वह तो इन आंखों से देखने में आते हैं। बाकी यह (शिव) कौन हैं, शिव के मन्दिर में जाते हैं परन्तु उनको क्यों याद करते हैं, यह नहीं जानते।
बाप बैठ समझाते हैं देवी-देवतायें जब वाममार्ग में आते हैं तो सोमनाथ का मन्दिर बनाते हैं। सिर्फ इतना समझते हैं कि शिवबाबा है, परन्तु यह नहीं जानते कि वह स्वर्ग का रचयिता है। हमको स्वर्ग का मालिक बनाने वाला है। अगर जानते तो औरों को शिवबाबा की बायोग्राफी बतलाते। ड्रामा में नूँध ही न जानने की है। जानना अर्थात् वर्सा पाना। न जानना अर्थात् वर्सा गँवाना। बाप कहते हैं मैं स्वर्ग का रचयिता तुमको सुख देता हूँ, पावन बनाता हूँ। फिर 5 विकार तुमको पतित बनाते हैं। कलायें कमती होती जाती हैं। तुम काले हो जाते हो। पहले तुम 16 कला सम्पूर्ण चन्द्रमा थे, पावन थे, अब तुम्हारे को ग्रहण लग गया है। बाबा कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण। पांच विकारों को ही ग्रहण कहा जाता है। जिससे तुम आत्मा दु:खी, काली बन पड़ती हो। बाप कहते हैं मैं तुम ब्राह्मणों का बाप हूँ। हे ब्राह्मणों, तुम्हारे पास जो यह 5 विकार हैं यह मुझे दान में दे दो तो ग्रहण छूटे। आज से दान देकर फिर कभी उनसे कुछ नहीं करना। माया के तूफान तो बहुत आयेंगे। लेकिन कर्मेन्द्रियों से क्रोध आदि करने से पाप हो जायेगा। कर्म-अकर्म-विकर्म की गति भी तुमको समझाता हूँ। तुम्हारा कर्म विकर्म नहीं बनना चाहिए। मैं तुम बच्चों को विकर्माजीत बनाता हूँ। यह तो राहू का ग्रहण है। दे दान तो छूटे ग्रहण। बाप कहते हैं - मेरे मीठे बच्चे, यह 5 भूतों का दान दो, इसमें पैसे आदि की तो कोई बात नहीं। यह तो बाप है, तुम सगे बच्चे हो। बाप को तो सगे बच्चों को मदद करनी ही है। तुम भी तन-मन-धन से सेवा करते हो। बाप का भी फ़र्ज है तुम्हारी सेवा करे। बाप कहते हैं - यह सब कुछ तुम बच्चों का है। भक्ति मार्ग में तुम भगवान् को देते आये हो। परन्तु ईश्वर कोई भूखा थोड़ेही है। यह तुम इनश्योर करते हो। ईश्वर को देने से ईश्वर फिर दूसरे जन्म में तुमको देंगे। यह इनश्योर करना हुआ ना। दूसरे जन्म में इसका फल मिलता है। ईश्वर है दाता। अभी तुम अपने को इनश्योर करते हो - 21 जन्म लिए। वह इनश्योर करते हैं एक जन्म के लिए। यहाँ तो सब कुछ इनश्योर हो जाता है - 21 जन्मों के लिए। कहा जाता है सन शोज़ फादर। देखो फादर (ब्रह्मा बाबा) के पास जो कुछ था सब ईश्वर अर्थ बच्चों की सेवा में लगा दिया, शिवबाबा को वारिस बना दिया, तन-मन-धन सब कुछ दे दिया तो उनके बदले में फिर अपने पुरुषार्थ से विश्व की बादशाही मिलती है क्योंकि डायरेक्ट है ना। तुम मेरा बनने से 21 जन्म स्वर्ग के मालिक बनते हो परन्तु जितना बलि चढ़ेंगे, उतना वर्सा मिलेगा। देह सहित सब कुछ बलि चढ़ाना है। जो मदर-फादर को फालो करेंगे वही तख्त पर भी बैठेंगे। तो बाप कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण। दान देकर और फिर अगर वापिस ले लिया तो दुर्गति को ही पायेंगे। पूरा पुरुषार्थ करना है। पुरुषार्थी स्टूडेन्ट अच्छी रीति पढ़ते तो नम्बर भी लेते हैं। तुम भी पुरुषार्थ कर ऊंच नम्बर लो। इसमें कोई तकलीफ की बात नहीं, सिर्फ पवित्र रहना है। इसके लिए बाबा से बल भी मिलता है। खुशी का पारा भी चढ़ता है।
हमको देवता बनना है तो कोई अवगुण नहीं होना चाहिए। 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी यहाँ ही बनना है तो कोई अवगुण नहीं होना चाहिए। आधाकल्प विकारी बने हो तो माया भी कहती है अभी यह निर्विकारी बनते हैं, हम फिर विकारी बनाती हूँ। यह चलती है माया की युद्ध। यह है मुश्किलात। माया पर जीत पानी है। उन्होंने फिर हिंसक लड़ाई दिखाए खण्डन कर दिया है। तुम माया पर जीत पाने से विश्व के मालिक बनते हो। बच्चे समझते हैं बाप को 5 विकारों का दान नहीं देंगे तो श्री नारायण वा लक्ष्मी को वर नहीं सकेंगे। तो तुम बच्चों को दिल दर्पण में देखना चाहिए - मैंने कर्मेन्द्रियों से तो नहीं कुछ किया? माया के तूफान तो आगे से भी जबरदस्त आयेंगे। वैद्य लोग दवाई देते हैं तो कहते हैं कि पहले वाली पुरानी बीमारी बाहर निकलेगी। इसमें डरना नहीं है। यह तो आयेंगे। यह भी सर्जन है। कहते हैं कि तुम मेरे बच्चे बनेंगे तो फिर तुम्हारी खूब रावण से युद्ध होगी। माया खूब वार करने लगेगी इसलिए तूफान से डरना नहीं है। बाप के बने हो तो यह बचपन भूल नहीं जाना। यह है ईश्वरीय बचपन। ईश्वर की गोद में एक बार आये फिर देवताई गोद में 21 बार जायेंगे। ईश्वरीय जन्म के बाद तुम स्वर्ग में जाते हो। सर्टीफिकेट लेना है। बाबा, हम आपका सपूत बच्चा हूँ या कपूत? तो बाबा बतला सकते हैं, सपूत भी किस नम्बर में हो? क्या ख़ामी है? बाबा बतला सकते हैं। खुद भी समझ सकते हैं कि हम सर्विस नहीं करते हैं तो इतना ऊंच पद कैसे पायेंगे? अच्छा, बाबा कहते हैं तुम क्या करो, एक हॉस्पिटल अथवा कॉलेज खोल दो। भल तुम इसमें जाना नहीं, और बहुत लोग शफा पायेंगे तो उसका इज़ाफा तुमको मिलेगा। मनुष्य धर्मशाला बनाते हैं, इसलिए कि बहुत आकर विश्राम पायेंगे तो दूसरे जन्म में उसको अच्छा महल मिलेगा। बाबा के पास बहुत आते हैं, कहते हैं यह हॉस्पिटल खोलो, हम मदद देंगे। बड़ी हॉस्पिटल खोलो। अगर ज्ञान उठाने की खुद को फुर्सत नहीं, तो अच्छा तीन पैर पृथ्वी के लेकर यह हॉस्पिटल कम कॉलेज खोल दो। हॉस्पिटल से एवरहेल्दी बनेंगे। कॉलेज से एवरवेल्दी बनते हैं। बहुत आकर बनेंगे तो तुम्हारा पुण्य होगा। जास्ती खर्चा भी नहीं है। आजकल पैसे कितने कमाते हैं, करोड़ों के आसामी हैं! क्या उनके पुत्र-पोत्रे खायेंगे? धूर भी नहीं, सब विनाश हो जायेगा। राजाई गरीबों को मिलती है। गरीब निवाज है ना। यह बाबा नम्बरवन साधारण था। हजार दो हैं तो उनको गरीब कहेंगे। यहाँ गरीब भी अच्छा पद पा सकते हैं। किसका लाख-करोड़ लेकर क्या करेंगे? गरीबों की पाई-पाई से ही स्थापना करते हैं। गांधी को कितना दान देते थे, उसमें कितने मरे! कितनी तकलीफें सहन की! तुमको तो कोई तकलीफ नहीं। बाप कहते हैं तुम पहले राजयोग सीखो तो तुमको राजाई देंगे। यह राज्य तो मृगतृष्णा सदृश्य है। कहानी है ना द्रोपदी ने दुर्योधन को निमंत्रण दिया। वह आया तो तालाब समझ वस्त्र उतारने लगा तो द्रोपदी ने कहा - अन्धे की औलाद अन्धे, यह तो रुण्य का पानी (मृगतृष्णा) है। सभी समझते हैं हमने स्वराज्य पा लिया है, परन्तु कितना दु:ख है! प्रजा कितनी दु:खी हैं, मौत सामने खड़ा है। बाप कहते हैं यह सब मरे पड़े हैं। कब्रिस्तान है, तुमको फिर परिस्तान बनाना है। हीरे-मोतियों के महल बनायेंगे। यहाँ तो यह पत्थरपुरी है, वहाँ होगी सोने की इसलिए बाप समझाते हैं - दे दान तो छूटे ग्रहण, फिर 16 कला सम्पूर्ण हो जायेंगे। अभी तुम पतित हो, मनुष्य कितने दु:खी हैं। लड़ाई लगती है तो नींद फिट जाती है। आराम नहीं आता है, नींद की गोली लेकर नींद करते हैं। यह है ही रावण राज्य। अभी दशहरे पर रावण को जलायेंगे, यह अन्त तक जलाते रहेंगे, जब तक कि विनाश हो। विनाश के बाद फिर रावण जलेगा नहीं। फिर द्वापर के बाद रावण निकालते हैं जलाने के लिए। साल-साल रावण को जलाते हैं परन्तु मरता ही नहीं। साल-साल तुम रक्षाबंधन मनाती हो, राखी बांधती हो फिर अपवित्र बन जाते हैं।
लक्ष्मी-नारायण के पास तो कितना अथाह धन था! कितनी उन्हों की पूजा होती है! पूजा सिर्फ लक्ष्मी की थोड़ेही करते हैं, चतुर्भुज की करते हैं। उसमें दोनों आ जाते हैं। लक्ष्मी के साथ नारायण तो जरूर चाहिए। इसलिए दोनों की पूजा करते हैं। जोड़ी बिगर काम कैसे चलेगा? प्रवृत्ति मार्ग है ना। तुम विश्व के मालिक बनते हो। बच्चे पूछते हैं दीवाली पर सब कहते हैं - अगर लक्ष्मी की पूजा नहीं करेंगे तो धन तुम्हारे पास नहीं आयेगा इसलिए बाबा राय देते हैं- बच्चे, इसमें भी साक्षी होकर पार्ट बजाओ, नहीं तो खिट-खिट होगी। जैसे बाबा कहते हैं - बच्ची की शादी करानी है तो साक्षी होकर पार्ट बजाओ, नहीं तो झगड़ा होगा। बच्चियां निर्विकारी नहीं रहना चाहती तो लाचारी हालत में उनकी शादी करा दो। पवित्र रहना नहीं चाहती हैं तो रवाना कर देना है, तंग नहीं करना है। कुमारी वह जो 21 कुल का उद्धार करे। तुम सब ब्रह्माकुमारियां हो, तुम्हारा धन्धा है ही सभी को स्वर्ग का मालिक बनाना। दिल से पूछो - हम कितने को आपसमान बनाते हैं? मिशन है ना। यहाँ तुम मनुष्य को देवता बनाते हो तो बहुत मेहनत करनी चाहिए। तुम खुदाई खिदमतगार हो। मैं तुमको दु:ख से छुड़ाए स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ। मैं हूँ ही निष्काम। तुमको राजाई देकर मैं वानप्रस्थ में चला जाता हूँ। मुझे राजाई करने की तमन्ना नहीं है। तुमको राज्य देता हूँ। तुम अपना राज्य-भाग्य फिर से ले लो। तुम जानते हो हम सो देवी-देवता थे, 84 जन्म पास कर आज हम रावण की सम्प्र दाय बने। रावण को हमेशा जलाते हैं। रावण की कभी पूजा नहीं करते हैं। जो सुख देता है उनको पूजा जाता है। रावण का चित्र बनाया और जलाया, वह तो सदैव दु:ख देने वाला है। दु:ख देने वाले की महिमा फिर कैसे करेंगे? शिवबाबा है सुखदाता। उन पर रोज़ जाकर फूल चढ़ाते हैं। आक्यूपेशन तो कुछ भी नहीं जानते। आजकल तो अन्धश्रद्धा बहुत है।
बाबा कहते हैं जिससे तुमको स्वर्ग का सुख मिलता है ऐसे बाप को भूल नहीं जाना। फिर स्वर्ग के सुख घनेरे मिल नहीं सकेंगे। मम्मा-बाबा कहा तो स्वर्ग में तो आयेंगे परन्तु आकर नौकर चाकर बनेंगे। गीत का अर्थ भी बच्चों ने समझा। ईश्वर का बनकर इस बचपन को भूल नहीं जाना। आसुरी सन्तान से बदल तुम ईश्वरीय सन्तान बनते हो फिर दैवी सन्तान बनेंगे। यह है ईश्वरीय जन्म। इस समय तुम सेवाधारी हो। तुम हो रूहानी सोशल वर्कर। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ईश्वरीय जन्म ले कोई भी अकर्तव्य नहीं करना है। सपूत बच्चा बनना है। अवगुण निकाल देवताई गुण धारण करने हैं।
2) खुदाई खिदमतगार बन रूहानी सेवा से सबको आप समान बनाना है। तीन पैर पृथ्वी लेकर रूहानी हॉस्पिटल वा कॉलेज खोल देना है। तन-मन-धन से पूरा मददगार बनना है।
वरदान:-पुराने हिसाब-किताब को समाप्त कर सम्पूर्णता का समारोह मनाने वाले बन्धनमुक्त भव
इस पराये देश में जब सभी बंधन-युक्त आत्मा बन जाते हैं तब बाप आकर स्वरूप और स्वदेश की स्मृति दिलाकर बन्धनमुक्त बनाए स्वदेश में ले जाते हैं और स्वराज्य अधिकारी बनाते हैं। तो अपने स्वदेश में चलने के लिए सब हिसाब-किताब के समाप्ति का समाप्ति समारोह मनाओ। जब अभी यह समारोह मनायेंगे तब अन्त में सम्पूर्णता समारोह मना सकेंगे। बहुतकाल के बन्धनमुक्त ही बहुतकाल के जीवनमुक्त पद को प्राप्त करते हैं।
स्लोगन:-अपने उमंग-उत्साह के सहयोग और मीठे बोल से कमजोर को शक्तिशाली बना देना ही शुभचिंतक बनना है।
30/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, pay attention to the philosophy of action, neutral action and sinful action and don't perform any sinful actions with your physical sense organs. Make a donation and the bad omens of the eclipse will be removed.
Question:
By following Father Brahma in which aspect do you children become seated on the throne in the future?
Answer:
Father Brahma surrendered everything he had including his body and gave everything to serve the children in the name of God. He insured himself directly and thereby received the kingdom of the world. Follow the father in the same way. You have to claim the certificate of being worthy. Become real children and serve with your bodies, minds and wealth. Become the Father's true helpers. By insuring everything, you can claim a right to a kingdom for 21 births.
Song:
Do not forget the days of your childhood
Om Shanti
You sweetest children heard the song. You children have now died alive and taken the lap of the Father in order to go from this world to that world. Which Father is He? “The Supreme Father, the Supreme Soul”, means God. Whenever you explain, you mustn’t say that Baba is a Jyotilingam, or that He is the form of light, brighter than a thousand suns. To say this is, in fact, wrong. What should you say? God, that is, the Supreme Father, the Supreme Soul, always resides in the supreme abode. The Supreme means the Highest on High, the incorporeal Father. He is the Father of all souls and this is why He is called the Supreme. He doesn’t enter the cycle of birth and death. He explains: Children, if I too entered the cycle of birth and death, who would uplift everyone? I alone come and take everyone beyond sorrow. I am the Remover of Sorrow and the Bestower of Happiness, but no one knows this. On the path of devotion, people continue to sing: O Supreme Father, Supreme Soul! They definitely consider Him to be the Father, but they don’t know what their Father is like or what He is. He doesn’t have the form of a human being. People also remember Brahma, Vishnu and Shankar. They can be seen with these eyes, but who is Shiva? People go to a Shiva Temple, but they don’t know why they remember Him. The Father sits here and explains: When the deities go on to the path of sin, they build the temple to Somnath. The only thing they understand is that He is Shiv Baba, but they don’t know that He is the Creator of heaven or that He is the One who makes us into the masters of heaven. If they knew this, they would tell others the biography of Shiv Baba. It is fixed in the drama for them not to know. To know means to receive the inheritance. Not to know means to lose the inheritance. The Father says: I, the Creator of heaven, give you happiness and make you pure. Then the five vices make you impure and the degrees continue to decrease. You then become ugly. At first, you were a 16 celestial degrees full moon; you were pure, but you are now eclipsed. Baba says: Make a donation and the bad omens of the eclipse will be removed. The five vices are said to be the eclipse of bad omens through which you souls become unhappy and ugly. The Father says: I am the Father of you Brahmins. O Brahmins, donate to Me the five vices that you have and the eclipse of the bad omens will be removed. After donating them today, don’t do anything with them. Many storms of Maya will come, but if you become angry, you would be committing sin through your physical organs. I explain the philosophy of action, neutral action and sinful action. Your actions should not become sinful. I am making you children into conquerors of sinful actions. Those are the omens of Rahu. When you make a donation, the eclipse of the omens will be removed. The Father says: My sweet children, donate those five evil spirits. There is no question of any money etc. in this. He is the Father and you are real children. The Father surely has to help the real children. You serve with your bodies, minds and wealth. The Father’s duty is to serve you. The Father says: All of this belongs to you children. You have been giving to God on the path of devotion. However, God is not greedy. You are insuring yourselves. By your giving to God, God will then give to you in your next birth. This is insuring, is it not? You receive the fruit of it in your next birth. God is the Bestower. You are now insuring yourselves for 21 births. Those people insure themselves for one birth. Here, everything is insured for 21 births. It is said: Son shows the Father. Look, whatever the father (Brahma Baba) had, he used it in the name of God to serve the children. He made Shiv Baba his Heir. He gave his body, mind and wealth and because he did everything directly, he received the sovereignty of the world in return through his own efforts. By belonging to Me, you become the masters of heaven for 21 births, but you will receive the inheritance to the extent that you surrender yourselves. You have to surrender everything including your body. Those who follow the mother and father will sit on the throne. The Father says: Make a donation and the eclipse of the omens will be removed. If you take something back after you have donated it, you will become degraded. You have to make full effort. Effort-making students who study well claim a number. You too can make effort and claim a high number. There is no question of any difficulty in this. You simply have to remain pure. You receive power from Baba for this and the mercury of happiness also rises. We want to become deities and so we mustn’t have any defects in us. You have to become 16 celestial degrees full and fully viceless here and so you mustn’t have any defects. You have been vicious for half the cycle and so Maya says: You are now trying to become viceless and so I will once again make you vicious. This is the war with Maya that continues. This is the difficulty. You have to conquer Maya. Those people have then shown a violent war and falsified everything. You become the masters of the world by conquering Maya. You children understand that if you don’t donate the five vices to the Father, you won’t be able to marry Shri Lakshmi or Narayan. Therefore, you children should look into the mirror of your heart: Did I do anything wrong through my physical sense organs? The storms of Maya that come will be stronger than they were previously. When herbalists give medicine, they warn you that all the old illnesses will erupt before you get better. You mustn’t be afraid of this. These will come. That One is also the Surgeon. He says: When you become My children, you will have a big war with Ravan. Maya will attack you a great deal. Therefore, you mustn’t be afraid of storms. You belong to the Father and so don’t forget this childhood: this is your Godly childhood. You come into God’s lap once and then into the lap of deities for 21 births. After your Godly birth you go to heaven. You each have to claim the certificate. Baba, am I a worthy child or an unworthy child of yours? Baba can tell you which number worthy child you are. Baba can tell you what is still lacking in you. You yourselves can understand: If I am not doing service, how can I claim such a high status? Achcha, Baba tells you what to do: Open a hospital-cum-college. You may not go there, but when many people receive a cure there, you will receive the reward of that. Human beings build dharamshalas so that many people can rest there, and so they would receive a very good palace in their next birth. Many children come to Baba and say: Open this hospital and we will help you. Open a big hospital. If you don’t have time to take this knowledge, then just take three feet of land and open this hospital-cum-college. Through the hospital you will become ever healthy and through the college you will become ever wealthy. When many people become this, you will accumulate the charity of that. There is not a lot of expense in this. People nowadays earn so much money. They have properties worth millions. Will their sons and grandsons etc. eat from that? They won’t even get the dust. Everything is to be destroyed. The poor ones receive a kingdom. Baba is the Lord of the Poor. This Baba was a number one ordinary person. Someone who just has one or two thousand would be called a poor person. Here, even the poor can claim a high status. What would you do with a hundred thousand or a million of someone’s? Establishment is carried out with every penny of the poor. Gandhiji used to receive so many donations, and yet so many people died in that. They endured so much difficulty. You don’t have any difficulty. The Father says: First of all, study Raja Yoga and the kingdom will be given to you. This kingdom here is like a mirage. There is the story of Draupadi inviting Duryodhan to her palace and when he came, he saw a lake and began to take off his clothes. So, Draupadi told him: Blind child of the blind, that is just a mirage. They all think that they have received their independence, but there is so much sorrow. People are so unhappy. Death is standing just ahead. The Father says: All are already dead. This is a graveyard and you have to make it into the land of angels. You will build palaces studded with diamonds and pearls. Here, it is the land of stones, whereas there, it will be the land of gold. Therefore, the Father explains: When you make a donation, the eclipse of the omens will be removed and you will then become 16 celestial degrees full. You are now impure. Human beings are so unhappy. When war takes place, people lose their sleep; they are unable to sleep. They sleep by taking sleeping tablets. This is the kingdom of Ravan. They will now burn Ravan on Dashera. They will continue to burn it till the end, until destruction takes place. After destruction, Ravan’s image will not be burnt. Then, in the copper age, they will again create Ravan in order to burn him. They burn Ravan every year, but he just doesn’t die. You celebrate Raksha Bandhan and have a rakhi tied every year and yet you also become impure again. Lakshmi and Narayan had so much wealth. They are worshipped so much. They don't worship Lakshmi alone; they worship the four-armed image. Both are included in that. Together with Lakshmi, Narayan is also needed; they worship both of them. How could anything function without a couple? This is the family path. You become the masters of the world. Children say that other people tell them: If you don't worship Lakshmi at Diwali, wealth will not come to you. Therefore, Baba advises you: Children, just play your parts as detached observers. Otherwise, there will be conflict. Baba says: If you have to get your daughter married, simply play your part as a detached observer. Otherwise, there will be a quarrel. If the daughter doesn't want to remain viceless, then, in those desperate circumstances, get her married. If she doesn't want to remain pure, then just let her go; don't harass her. A kumari is one who uplifts 21 generations. All of you are Brahma Kumaris and your business is to make everyone into a master of heaven. Ask your heart: How many do I make the same as myself? This is a mission. Here, you change human beings into deities and so you have to make a lot of effort. You are God’s helpers. I liberate you from sorrow and make you into the masters of heaven. I am altruistic. I give you the kingdom and go into retirement. I have no desire to rule a kingdom. I give you the kingdom. You can take your fortune of the kingdom once again. You know that you were deities. You went through 84 births and today you are part of Ravan’s community. People always burn an effigy of Ravan. They never worship Ravan. Those who give happiness are worshipped. They make an image of Ravan and then burn it; he always causes sorrow. How can you praise someone who causes you sorrow? Shiv Baba is the Bestower of Happiness. People go and offer flowers to Him every day, but they don't know His occupation. Nowadays, there is a lot of blind faith. Baba says: You mustn't forget the Father who gives you the happiness of heaven. Otherwise, you won't be able to receive the abundant happiness of heaven. Since you say "Mama, Baba" you will go to heaven, but you will become maids and servants. You children have understood the meaning of the song. After belonging to God, don't forget this childhood. You have changed from devilish children into Godly children and you are to become deity children. This is your Godly birth. At this time you are servers. You are spiritual social workers. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. After taking a Godly birth don’t perform any wrong actions. Become a worthy child. Remove the defects and imbibe divine virtues.
2. Become Godly helpers and make others equal to yourselves by doing spiritual service. Take three feet of land and open a spiritual hospital-cum-college. Become a full helper with your body, mind and wealth.
Blessing:
May you be free from bondage and celebrate the completion ceremony by finishing your old karmic accounts.
When all you souls in this foreign world are bound in bondage, the Father comes and makes you free from bondage by reminding you of your original form and original land. He makes you into masters of the self, self-sovereigns, and then takes you to your original land. So, in order to go back to your original land, celebrate the completion ceremony of finishing all karmic accounts. When you celebrate this ceremony now you will then be able to celebrate the perfection ceremony at the end. Only those who have been free from bondage over a long period of time are able to attain the status of liberation in life over a long period of time.
Slogan:To make weak souls powerful with the co-operation of your zeal and enthusiasm and sweet words is to have pure and positive thoughts for others.
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