Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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1 | Murali 01-Aug- 2018 | 125037 | 2018-09-07 17:27:03 | |
2 | Murali 02-Aug- 2018 | 115306 | 2018-09-07 17:27:03 | |
3 | Murali 03-Aug- 2018 | 122767 | 2018-09-07 17:27:03 | |
4 | Murali 04-Aug- 2018 | 131649 | 2018-09-07 17:27:03 | |
5 | Murali 05-Aug- 2018 | 122005 | 2018-09-07 17:27:03 | |
6 | Murali 06-Aug- 2018 | 122804 | 2018-09-07 17:27:03 | |
7 | Murali 07-Aug- 2018 | 120104 | 2018-09-07 17:27:03 | |
8 | Murali 08-Aug- 2018 | 127824 | 2018-09-07 17:27:03 | |
9 | Murali 09-Aug- 2018 | 127466 | 2018-09-07 17:27:03 | |
10 | Murali 10-Aug- 2018 | 121746 | 2018-09-07 17:27:03 | |
11 | Murali 11-Aug- 2018 | 122692 | 2018-09-07 17:27:03 | |
12 | Murali 12-Aug- 2018 | 111683 | 2018-09-07 17:27:03 | |
13 | Murali 13-Aug- 2018 | 123920 | 2018-09-07 17:27:03 | |
14 | Murali 14-Aug- 2018 | 111398 | 2018-09-07 17:27:03 | |
15 | Murali 15-Aug- 2018 | 128503 | 2018-09-07 17:27:03 | |
16 | Murali 16-Aug- 2018 | 127280 | 2018-09-07 17:27:03 | |
17 | Murali 17-Aug- 2018 | 107136 | 2018-09-07 17:27:03 | |
18 | Murali 18-Aug- 2018 | 120726 | 2018-09-07 17:27:03 | |
19 | Murali 19-Aug- 2018 | 108991 | 2018-09-07 17:27:03 | |
20 | Murali 20-Aug- 2018 | 124686 | 2018-09-07 17:27:03 | |
21 | Murali 21-Aug- 2018 | 119352 | 2018-09-07 17:27:03 | |
22 | Murali 22-Aug- 2018 | 131894 | 2018-09-07 17:27:03 | |
23 | Murali 23-Aug- 2018 | 124657 | 2018-09-07 17:27:03 | |
24 | Murali 24-Aug- 2018 | 130080 | 2018-09-07 17:27:03 | |
25 | Murali 25-Aug- 2018 | 132241 | 2018-09-07 17:27:03 | |
26 | Murali 26-Aug- 2018 | 132051 | 2018-09-07 17:27:03 | |
27 | Murali 27-Aug- 2018 | 125337 | 2018-09-07 17:27:03 | |
28 | Murali 28-Aug- 2018 | 119723 | 2018-09-07 17:27:03 | |
29 | Murali 29-Aug- 2018 | 114297 | 2018-09-07 17:27:03 | |
30 | Murali 30-Aug- 2018 | 124625 | 2018-09-07 17:27:04 | |
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Details ( Page:- Murali 26-Aug- 2018 )
26-08-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 31-12-83 मधुबन
"श्रीमत रूपी हाथ सदा हाथ में है तो सारा युग हाथ में हाथ देकर चलते रहेंगे"
आज सागर के कण्ठे पर अर्थात् मधुबन के कण्ठे पर मधुर मिलन मनाने के लिए माशुक अपने रूहानी आशिकों से मिलने आये हैं। कितना दूर-दूर से मिलन मनाने के लिए आये हैं, क्यों? ऐसा वण्डरफुल माशूक सारे कल्प में मिल नहीं सकता। एक माशूक और आशिक कितने हैं? अनेक आशिक एक माशूक के। तो आज विशेष आशिकों की महफिल में आये हैं। महफिल में मनाना होता है, सुनाना नहीं होता है। तो आज सुनाने नहीं आये हैं, मिलने और मनाने आये हैं। विशेष डबल विदेशी बच्चे आज का दिन मनाने के लिए आये हैं। नया वर्ष मनाने का संकल्प लेकर आये हैं। बापदादा भी नये वर्ष में स्नेह और सहयोग सम्पन्न बधाई दे रहे हैं। संगमयुग नया युग है। भविष्य सतयुग इस वर्तमान नये युग के नये जीवन की प्रालब्ध है। ब्राह्मणों के लिए नवयुग श्रेष्ठ युग अभी है। जब से ब्राह्मण बने नया युग, नया संसार, नया दिन, नयी रातें शुरू हो गई। इसी नये युग के नये जीवन की हर घड़ी पदमों तुल्य है। हीरे तुल्य है। सतयुग में यह गीत नहीं गायेंगे नया दिन लागे, नयी रात लागे। यह अब की बात है। बापदादा ने शुरू से किस गीत से बच्चों को जगाया है! वह गीत याद है? जाग सजनियाँ जाग.... क्यों जागो? नवयुग आया। बचपन का यही गीत है ना! अभी तो नये-नये गीत बना दिये हैं। आदि गीत बाप ने यही सुनाया ना। तो नवयुग कब हुआ? अब। पुराने के आगे नया लगता है ना! पुरानी दुनिया, पुरानी जीवन बदल गई। नयी जीवन में आ गये ना। बेहोश थे। अपना होश था कि मैं कौन हूँ? तो बेहोश हुए ना। बेहोश से होश में आये। नया जीवन अनुभव किया ना! ऑख खुलते नया सम्बन्ध, नया संसार देखा ना। तो नये युग की, नये युग में, नये वर्ष की बधाई।
लौकिक दुनिया में भी हैप्पी न्यू ईयर कहते हैं। वैसे एवर हैपी होते नहीं हैं लेकिन कहेंगे हैपी न्यू ईयर। अब आप सभी रीयल रूप में कहेंगे हैपी न्यू ईयर तो क्या लेकिन हैपी न्यू युग। सारा ही युग खुशी का युग है। हैपी न्यू ईयर कहते हो तो बधाई देने के समय क्या करते हो? पहले तो फारेन का रिवाज़ है - हाथ से हाथ जरूर मिलायेंगे। बापदादा हाथ से हाथ कैसे मिलाते? स्थूल हाथ तो एक सेकण्ड के लिए मिलाते हैं, लेकिन बापदादा सारा ही युग हाथ मिलाए अर्थात् एक ही श्रेष्ठ मत रूपी हाथ दे, हाथ में हाथ मिलाए अन्त में भी साथ में ले जाते हैं। श्रीमत का हाथ सदा आप सबके साथ है इसलिए सारा ही युग हाथ में हाथ देकर चलते हैं। हाथ में हाथ देकर चलना, यह स्नेह की भी निशानी है और सहयोग की भी निशानी है। कभी भी कोई चलते-चलते थक जाते हैं तो दूसरा उसका हाथ पकड़कर ले जाते हैं ना। रूहानी माशूक आशिकों का हाथ कभी नहीं छोड़ते। अन्त तक वायदा है हाथ और साथ सदा ही रहेगा। सभी आशिकों ने हाथ तो पक्का पकड़ लिया है ना! ढीला तो नहीं है! छोड़ने वाले तो नहीं हो ना! जो छोड़ते और लेते रहते हैं वह हाथ उठाओ। कभी छोड़ते, कभी पकड़ते ऐसा कोई है? यह विशेषता है इन्हों की, छिपाने वाले नहीं हैं। साफ बोलने वाले हैं इसलिए भी आधा विघ्न साफ सुनाने से खत्म हो जाता है। लेकिन कच्चा सौदा कब तक? पुराने वर्ष में पुरानी रीति रसम समाप्त करनी है ना! या नये वर्ष में भी यही रीति रसम चलेगी? अब तक जो हुआ उसको फुलस्टाप की बिन्दी लगाए, सदा साथ और हाथ रहने के स्मृति की बिन्दी अब से लगाओ। बड़े दिन वा खुशी के दिन पर विशेष सुहाग, भाग्य और बधाई की बिन्दी अर्थात् तिलक लगाते हैं। आप लोग भी विशेष याद की भट्ठी के दिन स्मृति की बिन्दी लगाते हो ना! क्यों लगाते हो! भट्ठी के दिन बिन्दी खास क्यों लगाते हो? दृढ़ संकल्प की निशानी बिन्दी लगाते हो कि आज का दिन सारा ही सहज योगी और श्रेष्ठ योगी के स्वरूप में रहेंगे। तो आज भी जो थोड़ा सा कच्चा हो, तो दृढ़ संकल्प द्वारा फुलस्टाप की बिन्दी लगाओ, दूसरी समर्थ स्वरूप की बिन्दी लगाओ। बिन्दी लगाने आती है? पाण्डवों को बिन्दी लगाने आती है? अच्छा शक्तियों को बिन्दी लगाने आती है? अविनाशी बिन्दी। आज सुबह भी सभी ने क्या वायदा किया? समारोह मनाना है ना? (मैरेज समारोह मनाना है) अभी मैरेज की नहीं है क्या? बाल बच्चे पैदा नहीं किये हैं? मैरेज तो हो गई है लेकिन मैरेज का दिन मनाने आये हो। जिसकी मैरेज नहीं हुई है, वह हाथ उठाओ। कितना भी नाज़ नखरे करो लेकिन माशुक छोड़ने वाला नहीं है क्योंकि जानते हैं कि छोड़कर जायेंगे कहाँ। जैसे आजकल विदेश का रिवाज है ना कि छोड़कर हिप्पी बन जाते हैं, तो हिप्पी बनना है क्या! एवर हैपी बनना है या हिप्पी बनना है? क्या हालत होती है, जो देख भी नहीं सकते। आप सब तो राज्य अधिकारी हो इसलिए बापदादा जानते हैं कि कभी-कभी नटखट बन जाते हैं। लेकिन बापदादा ने जो वायदा किया है कि साथ ले जायेंगे तो बाप वायदा नहीं छोड़ सकता इसलिए साथ चलना ही है। अच्छा!
नये वर्ष में नवीनता क्या करेंगे? कोई नई बात तो करेंगे ना। कोई प्लैन बनाया है? निमित्त टीचर ने कोई नया प्लैन बनाया है? गीता का भगवान तो देश में प्रत्यक्ष करेंगे। विदेश में क्या करेंगे? जो रही हुई बातें हैं, उन बातों को प्रैक्टिकल में लाना, यह तो बहुत अच्छी बात है। समय प्रमाण सब बातें प्रैक्टिकल होती जा रही हैं। इस बात से भारत में तो नगाड़ा बजायेंगे ही। धर्म नेताओं को जगायेंगे, हलचल भी मचायेंगे। जो थोड़ा-सा जागकर बहुत अच्छा कह फिर सो जाते हैं, उन्हों के लिए जैसे कोई नींद से नहीं उठता है तो उस पर ठण्डा-ठण्डा पानी डालते हैं। तो भारत वालों पर भी विशेष ठण्डा पानी डालने से जागेंगे। अच्छा - तो इस वर्ष क्या नवीनता करेंगे?
जितना लौकिक दुनिया में जिस स्थान पर हलचल हो, उसी हलचल के स्थान पर सदा खुशी की अचल स्थिति का झण्डा लहराना। गवर्मेन्ट हलचल में हो और गुप्त प्रभु रत्न सदा सम्पन्न सदा अचल का विशेष झण्डा लहरायें। गवर्मेन्ट का भी अटेन्शन हो जाए कि यह इस देश में गुप्त वेषधारी कौन-सी विचित्र आत्मायें हैं जो सारे देश में न्यारी और प्यारी हैं। जो अपने को धन से कमज़ोर समझते हैं उन्हों को अविनाशी धन से सम्पन्न कर, हम सबसे भरपूर हैं, हम सदा पद्मापद्मपति हैं, यह अनुभव कराओ। धन की गरीबी का दु:ख उन्हों को भूल जाए, ऐसी लहर फैलाओ। जो भी आवे वह समझे कि अखुट खज़ानों से भरपूर हो गये, और भी कोई धन होता है, वह अनुभव करें। और इसी धन द्वारा यह स्थूल धन भी स्वत: ही समीप आता है। दु:ख नहीं देगा। अच्छा! तो विदेश में नये वर्ष की नवीनता क्या करेंगे? सेन्टर्स तो खुलते जा रहे हैं और खुलते रहेंगे। अभी इस वर्ष विदेश में भी विशेष क्वालिटी की सर्विस विशेष रूप से होनी चाहिए। आप सबकी विशेष क्वालिटी तो रही लेकिन आप सभी क्वालिटी वाले और भी विशेष क्वालिटी वाली आत्मायें जो स्थापना के कार्य में सहयोगी बन जाएं, ऐसा विदेश में चारों ओर से एक ग्रुप तैयार करो जो ग्रुप मिलकर भारतवासियों की सेवा के अर्थ विशेष निमित्त बने। नामीग्रामी आवाज़ फैलाने वाले अलग ग्रुप हैं लेकिन यह हैं सम्बन्ध वाले, वह हैं सम्पर्क वाले। और यह ग्रुप चाहिए क्वालिटी वाला, जो समीप सम्बन्ध में हो। विशेष जीवन के परिवर्तन के अनुभवी हों, जिसके अनुभवों द्वारा और भी विशेष क्वालिटी वाली आत्मायें, वारिस क्वालिटी निकलती रहें। वह है सेवा के निमित्त ग्रुप और यह है वारिस क्वालिटी सेवाधारी ग्रुप। नागीग्रामी भी हो और वारिस भी हो। ऐसा ग्रुप विदेश में तैयार होने से देश में सेवा का चक्कर लगायें। राज नेता, धर्म नेता सर्व प्रकार की आत्माओं को अपने अनुभव की शक्ति द्वारा अनुभव करने की इच्छा उत्पन्न करा सकें। तो ऐसा चक्कर लगाने वाले वारिस सेवाधारी क्वालिटी का ग्रुप तैयार करो। समझा!
विदेश में चारों ओर आवाज फैलाने के साधन सहज हैं इसलिए विदेश में आवाज फैल भी रहा है और फैलता भी रहेगा। लेकिन भारत में आवाज फैलाने के साधन इतने सहज नहीं। भारतवासियों को जगाने के लिए पर्सनल सेवा चाहिए। और वह भी बहुत सिम्पल अनुभव के आवाज की सेवा हो। भारतवासी विशेष परिवर्तन के अनुभव से परिवर्तन होंगे। ऐसे विशेष अनुभवी जिन्हों के अनुभव में ऐसी शक्तिशाली परिवर्तन की बातें हो - ऐसी कहानियाँ सुन करके भारतवासी ज्यादा आकर्षित होंगे। भारत में कथा कहानियाँ सुनने का रिवाज है। समझा - विदेशियों को क्या करना है। इतनी सब टीचर्स आई हैं तो ऐस ग्रुप तैयार करके लाना। अच्छा!
नये वर्ष की विशेष सौगात बापदादा वरदान माला दे रहे हैं। सेरीमनी मनाते हैं तो वरमाला डालते हैं। बापदादा सभी आशिकों को वरदान माला की सौगात दे रहे हैं। सदा सन्तुष्टता से सन्तुष्ट रहो और सन्तुष्ट करो। हर संकल्प में विशेषता हो, हर बोल और कर्म में विशेषता हो। ऐसे विशेषता सम्पन्न सदा रहो। सदा सरल स्वभाव, सरल बोल, सरलता सम्पन्न कर्म हों। ऐसे सरल स्वरूप रहे। सदा एक की मत पर, एक से सर्व सम्बन्ध, एक से सर्व प्राप्ति ऐसे एक द्वारा सदा एक रस रहने के सहज अभ्यासी रहो। सदा खुश रहो, खुशी का खजाना बांटो। खुशी की लहर सर्व में फैलाओ। ऐसे सदा खुशी की मुस्कराहट चेहरे पर चमकती रहे। ऐसे हर्षित मुख रहो। सदा याद में रहो। वृद्धि को पाओ। ऐसे वरदान माला सदा साथ रहे। समझा। यह है नये वर्ष की सौगात। अच्छा!
ऐसे सदा के वरदानी, सदा हाथ और साथ के अमर श्रेष्ठ आत्मायें, हर संकल्प में नवीनता की विशेषता को जीवन में लाने वाले, ऐसी विशेष आत्माओं को, नव युग के, नये वर्ष की अमर याद-प्यार। उड़ती कला का याद-प्यार और नमस्ते।
पर्सनल मुलाकात:-
सदा अपने को पुण्य आत्मा समझते हो? सबसे बड़े ते बड़ा पुण्य है बाप को सन्देश दे बाप का बनाना। ऐसा श्रेष्ठ कर्म करने वाली पुण्य आत्मा हो क्योंकि अब की पुण्य आत्मा सदाकाल के लिए पूज्य बन जाती है। पुण्य आत्मा ही पूज्य आत्मा बनती है। अल्पकाल का पुण्य भी फल की प्राप्ति कराता है, वह है अल्प-काल का, यह है अविनाशी पुण्य क्योंकि अविनाशी बाप का बनाते हो। इसका फल भी अविनाशी मिलता है। जन्म-जन्म के लिए पूज्य आत्मा बन जायेंगे। तो सदा पुण्य आत्मा समझते हुए हर कर्म पुण्य का करते रहो। पाप का खाता खत्म। पिछला पाप का खाता भी खत्म क्योंकि पुण्य करते-करते पुण्य का तरफ ऊंचा हो जायेगा तो पाप नीचे दब जायेगा। पुण्य करते रहो तो पुण्य का बैलेन्स बढ़ जायेगा और पाप नीचे हो जायेगा अर्थात् खत्म हो जायेगा। सिर्फ चेक करो हर संकल्प पुण्य का संकल्प हुआ, हर बोल पुण्य के बोल हुए। व्यर्थ बोल भी नहीं। व्यर्थ से पाप नहीं कटेगा और पुण्य का फल भी नहीं मिलेगा इसलिए हर कर्म, हर बोल, हर संकल्प पुण्य का हो। ऐसे सदा श्रेष्ठ पुण्य का कर्म करने वाली पुण्य आत्मा हैं, यही सदा याद रखो। संगमयुगी ब्राह्मणों का काम ही क्या है? पुण्य करना और जितना पुण्य का काम करते हो उतना खुशी भी होती है। चलते-फिरते किसको सन्देश देते हो तो उसकी खुशी कितना समय रहती है। तो पुण्य कर्म सदा खुशी का खजाना बढ़ाता है और पाप कर्म खुशी गँवाता है। अगर कभी खुशी गुम होती है तो समझो कोई न कोई बड़ा पाप नहीं तो छोटा अंश मात्र भी जरूर किया होगा। देह-अभिमान में आना यह भी पाप है ना क्योंकि बाप याद नहीं रहा तो पाप ही होगा ना इसलिए सदा पुण्य आत्मा भव। अच्छा।
रात्रि 12 बजे के बाद सभी बच्चों को बधाई
चारों ओर के स्नेही सिकीलधे सदा सेवाधारी बच्चों को सदा नये उमंग, नये उत्साह भरे जीवन की, नये वर्ष की बधाई हो। संगमयुग नवयुग, जिसमें हर घड़ी नई हो, हर संकल्प नये ते नया उमंग उत्साह दिलाता है। ऐसे युग में नये वर्ष की मुबारक तो सदा बापदादा देते ही हैं फिर भी विशेष दिन पर विशेष याद दे रहे हैं कि सदैव स्वयं भी नये सेवा में स्वयं के प्रति प्लैन बनाते हुए प्रैक्टिकल में लाते रहो और दूसरों को भी अपने नवीन जीवन से प्रेरणा देते रहो। लण्डन निवासी वा जो भी विदेश में हैं, सभी के याद प्यार और हैपी न्यू ईयर के कार्ड भी पाये, बहुत-बहुत पत्र भी पाये, छोटी बड़ी सौगातें भी पाई। बापदादा ऐसे नये युग में श्रेष्ठ कर्म करने वाले और नया युग रचने वाले बच्चों को विशेष वरदानों सहित नये वर्ष की बधाई दे रहे हैं। सभी बहुत अच्छे मुहब्बत और मेहनत से सेवा कर रहे हैं और सदा ही सेवा में बिजी रह औरों को भी सेवा द्वारा बाप के वर्से का अधिकारी बनाते हैं। अच्छा! देश-विदेश के सभी बच्चों को फिर भी बार-बार शुभ बधाईयों से याद-प्यार।
वरदान:-अपने बचे हुए तन-मन-धन को ईश्वरीय कार्य में लगाकर जमा करने वाले सदा सहयोगी भव
यादगार में जो गोवर्धन पर्वत को उठाने में हर एक की अंगुली दिखाई है - यह आपके सहयोग की निशानी है। चित्र में बाप का साथ भी दिखाते हैं तो सेवा भी दिखाते हैं। अभी आप बच्चे बापदादा के सहयोगी बने हो तब यादगार बना है। भक्ति में तो तन-मन-धन जो कुछ लगाया उसमें 99 परसेन्ट गंवा दिया। बाकी जो 1 परसेन्ट बचा है उसे अब सच्ची दिल से ईश्वरीय कार्य में लगाओ तो फिर से पदमगुणा जमा हो जायेगा।
स्लोगन:-जो निर्मान बनते हैं उन्हें स्वत: सर्व का मान प्राप्त होता है।
26/08/18 Madhuban Avyakt BapDada Om Shanti 31/12/83
If the hand of shrimat is in your hands, you will continue to move with your hand in His hand throughout the whole age.
Today, the Beloved has come to the shores of the ocean, that is, to the shore of Madhuban to celebrate a sweet meeting with His spiritual lovers. All of you have come from so far away to celebrate a meeting. Why? You will not find such a wonderful Beloved throughout the whole cycle. There is just the one Beloved, but how many lovers are there? The one Beloved has so many lovers. So, today, Baba has especially come to the gathering of lovers. You celebrate in a gathering; you don't have to say anything. So, today, Baba has not come to speak knowledge to you; He has come to meet you and to celebrate a meeting. The double foreign children have especially come to celebrate today. You have come with the thought of celebrating the New Year. In this New Year, BapDada is also giving you greetings filled with love and co-operation. The confluence age is the new age. The future golden age is the reward of the present new age and new life. For Brahmins, it is now the new and elevated age. The new age, the new world, the new days and new nights began for you the moment you became Brahmins. Every moment of this new age and new life is worth multimillions; it is worth diamonds. In the golden age you won't sing the song: This day feels like a new day, this night feels like a new night. This refers to the present time. From the beginning, with which song did BapDada awaken you? Do you remember that song? Awaken o brides, awaken! Why should you awaken? Because the new age has come. This is the song of your childhood, is it not? You have now created new songs. The original song that the Father played was that one, was it not? So, when is it the new age? Now! Beside the old, this is new, is it not? Your old world and old life have now changed. You have come into a new life. You were unconscious. Were you aware of who you are? So you were unconscious, were you not? From being unconscious, you became conscious. You experienced a new life, did you not? As soon as you opened your eyes, you saw your new relationship and new world, did you not? So, greetings for the New Age and the New Year, in this new age.
In the world outside too, people say to one another "Happy New Year!" In fact, they are never ever happy, but they say, "Happy New Year!" Now, not only will all of you genuinely say "Happy New Year!" but you will say "Happy New Age!" The whole age is an age of happiness. When you say "Happy New Year", what do you do when you give these greetings? The custom abroad is to first of all shake hands. How does BapDada shake hands with you? They shake hands physically for just a second. However, BapDada shakes hands with you throughout the whole age, that is, He gives you His hand of one elevated direction (shrimat), shakes hands with you and takes you back with Him at the end. You always have the hand of shrimat with you and this is why you continue to move along with your hand in His hand throughout the whole age. To walk hand-in-hand is also a sign of love and co-operation. Whenever someone walking gets tired, another person holds his hand and they walk together. The spiritual Beloved never lets go of the hands of the lovers. His promise is that you will have His hand and company till the end. All of you lovers have caught hold of His hand very firmly, have you not? You are not holding it loosely, are you? You are not going to let go of it, are you? Those who let go of it and then hold onto it again, raise your hands! Is there anyone here who sometimes holds it and then sometimes lets go of it?
This is their speciality; they are not those who hide anything. They are those who speak honestly and, just by them speaking about it honestly, half the obstacle is thereby removed. However, for how long will you continue with a weak bargain? In the old year, you are going to finish all the customs and systems of the past, are you not? Or, will the same customs and systems continue in the New Year? Whatever has happened up to now, put a full stop to that and, from now on, apply the tilak of awareness of constantly holding His hand and keeping His company. On an important day or a day of happiness, they especially apply a tilak as a symbol of happiness, and fortune. It is also the symbol of being wed. On the day of a special bhatthi of remembrance, you apply a tilak of awareness, do you not? Why do you apply it? Why do you especially apply a tilak on the day of a bhatthi? You apply a tilak on that day as a symbol of the determination to remain the embodiment of an easy and elevated yogi throughout the whole day. So, today, those who are a little weak, with your determined thoughts, put a tilak as a full stop and secondly, apply a tilak of your form of power. Do you know how to put a full-stop? Do the Pandavas know how to apply a full stop? Achcha, do the Shaktis know how to apply a full stop? An indelible full stop? What did all of you promise this morning? You are going to celebrate a ceremony, are you not? (We are going to have a marriage ceremony.) Are you not already married? Have you not produced any children yet? You are already married, but you have come to celebrate your wedding anniversary. Those who are not yet married, raise your hands! No matter how much mischief you get up to, the Beloved is not going to leave you alone, because He knows that, if He lets go of you, where would you go? Nowadays, the custom abroad is that they leave the family and become hippies. So, do you want to be a hippy? Do you want to become ever happy or a hippy? Look at their condition; you can't even bear to look at them. All of you are sovereigns. This is why BapDada knows that you sometimes become mischievous. However, BapDada has promised you that He will take you back with Him and so He cannot break His promise. This is why you have to go with Him. Achcha.
What newness will you bring about in the New Year? You will do something new, will you not? Have you made any plans? Have the instrument teachers made any plans? You will reveal in this land who the God of the Gita is, but what will you do abroad? To put into a practical form the things that are still missing is very good. According to the time, everything is becoming practical. With this aspect, you will beat the drums in Bharat. You will awaken the religious leaders and also create a lot of upheaval. When someone has woken up a little and says "This is very good" and goes back to sleep, then, when they don't wake up from sleep again, you pour very cold water on them. So by especially pouring very cold water on the people of Bharat, they will awaken. Achcha. So what newness will you bring about this year?
In the world outside, wherever there is an upheaval, you have to hoist at that place the flag of a constantly unshakeable stage of happiness. The Government may be in upheaval, but let the incognito jewels of God constantly keep flying the flag of being complete and unshakeable. Let the Government's attention also be drawn to the unique incognito souls in this country who are completely unique and lovely to the whole world. Make those who consider themselves to be poor become full to overflowing with imperishable wealth, and give them the experience of being the most overflowing souls who are constantly multimillionaires. Spread such a wave that they forget the sorrow of their poverty. Let whoever comes here feel that they have become overflowing with limitless treasures and also experience that there is another type of wealth - that with this wealth, physical wealth will automatically come close to you. It doesn't cause you sorrow. Achcha. So, what newness will you bring about abroad in the New Year? Centres continue to open and will continue to be opened. Now, this year, abroad too, let there be especially be quality service in a unique way. All of you have a special quality anyway, but now all of you quality souls have to prepare a special group of even more quality souls who can become co-operative in the task of establishment. Now prepare such a group abroad from people from all around the world, so that this group can especially become instruments to serve the people of Bharat. The well-known ones who spread the sound are a different group. However, this group has to be of those who are in a relationship with you, whereas the other group is of those who are only in contact with you. This group has to be of quality and in closer relationship. You are experienced in the special transformation of life. Therefore, through your experience, enable more heir-quality souls, with even more quality, to continue to emerge. That is the group who are instruments for service and this is the group of heir-quality servers. They need to be well known and also heirs. When such a group is prepared abroad, let them go on a tour of this land. With the power of your experience, inspire all the politicians, religious leaders and all types of souls to want to have the same experience. Therefore, now prepare a group of heir quality serviceable souls who can tour around. Do you understand?
The facilities to spread the sound abroad everywhere are easy. This is why the sound is spreading abroad and will continue to spread. However, the facilities to spread sound in Bharat are not so easy. You need to do personal service to awaken the people of Bharat. In that too, let it be service through your very simple experiences. People of Bharat especially will be transformed when they hear about the special experiences of transformation. People of Bharat are much more attracted when they hear the experiences of experienced people who have stories of such powerful transformation in their lives. In Bharat they have the system of listening to stories etc. Do you understand? What do the people abroad have to do? So many teachers have come, so prepare such a group and bring it here. Achcha.
BapDada is giving a rosary of blessings as the special gift for the New Year. When a ceremony takes place, you are garlanded. BapDada is giving all you lovers a gift of a rosary of blessings. "May you always remain content and with this contentment make others content. Let every thought be filled with speciality. Let every word and deed be filled with speciality. Remain constantly full of such speciality. Always have an easy nature, easy words and actions filled with easiness. Remain embodiments of such easiness. Always follow the directions of the One, have all relationships with the One, have all attainments from the One and have the easy practice of being constantly with the One. Remain constantly happy and distribute the treasures of happiness. Spread waves of happiness over everyone. In the same way, let the smile of happiness sparkle on your face. Always remain cheerful in this way. Always stay in remembrance and make progress. Always keep the rosary of blessings with you. Do you understand? This is the gift for the New Year. Achcha.
To those who constantly have all blessings, to the elevated souls who are immortal with their hands in His hand and are in His company, to those who bring the speciality of newness in every thought in their practical lives, to such special souls, immortal love and remembrance for the New Year of the New Age; love, remembrance and namaste for the flying stage.
Personal Meetings:
Do you constantly consider yourselves to be charitable souls? The greatest charity of all is to give others the Father's message and make them belong to the Father. You are the charitable souls who perform such elevated actions because a charitable soul at this time becomes a soul worthy of worship for all time. Only a charitable soul becomes worthy of worship. Charity for a short time too enables you to attain fruit. That is for a temporary period whereas this is imperishable charity because you make them belong to the eternal Father. The fruit received from this is imperishable. You become souls worthy of worship for birth after birth. Therefore, constantly continue to perform charitable deeds whilst considering yourselves to be charitable souls. The account of sin has ended. The account of past sins has also ended, because by performing charity, the weight of charitable deeds becomes greater, and the sins therefore decrease. Continue to perform charitable deeds and the balance of charity will increase and that of sins will reduce, that is, it will end. Simply check that every thought is a charitable thought and that every word is a charitable word. There mustn't be any wasteful words. Sins will not be cut away with waste and you won’t receive the fruit of charity. Therefore, let every action, every word and every thought be of charity. Always remember that you are such elevated, charitable souls who constantly perform elevated actions. What is the work of the confluence-aged Brahmin souls? To perform charity, for the more charitable work you do, the more happiness you experience. When you give someone a message whilst simply moving along, that happiness lasts for so long. So charitable deeds always increase your treasures of happiness, whereas sinful deeds make you lose your happiness. If your happiness vanishes, then understand that even if you have not committed a big sin, a small sin has definitely been committed. To become body conscious is also a sin, because when you don't remember the Father, that would definitely be sin, would it not? Therefore, may you be a constantly charitable soul. Achcha.
Midnight greetings to all the children:
To all the loving long-lost and now-found constantly serviceable children, greetings for new zeal and a new life filled with new enthusiasm and for the New Year. The confluence age is the New Age in which every moment is new. Every thought brings newest zeal and enthusiasm. In such an age, BapDada constantly gives you congratulations for the New Age. Nevertheless, He is giving special love and remembrance on the special day, so that you too always make new service plans for yourself and put them into a practical form. Also continue to inspire others with your new life. BapDada received letters of love and remembrance and greetings cards for the New Year from all the residents of London and all those abroad. He also received several gifts. In such a New Age, BapDada is especially giving greetings filled with blessings for the New Year to the children who perform elevated actions and who create the New Age. All of you are doing very good service with love and effort. May you always remain busy in service and, through your service, enable others to have the right to receive the inheritance from the Father. Achcha.
To all the children in this land and abroad, special good wishes over and over again filled with love and remembrance. Achcha.
Blessing:
May you be constantly co-operative and accumulate everything by using what still remains of your body, mind and wealth for the Godly task.
Each one’s finger has been shown in the memorial of lifting the Goverdhan mountain. This is a sign of your co-operation. In the picture of the memorial, they have portrayed the Father’s company and also service. You children are now co-operating with BapDada and this is why the memorial has been created. However much of your body, mind and wealth you used on the path of devotion, 99% of that was wasted. Apply the remaining one per cent for God’s task with a true heart and you will once again accumulate multi-million fold.
Slogan:Those who are humble automatically receive respect from everyone.
"श्रीमत रूपी हाथ सदा हाथ में है तो सारा युग हाथ में हाथ देकर चलते रहेंगे"
आज सागर के कण्ठे पर अर्थात् मधुबन के कण्ठे पर मधुर मिलन मनाने के लिए माशुक अपने रूहानी आशिकों से मिलने आये हैं। कितना दूर-दूर से मिलन मनाने के लिए आये हैं, क्यों? ऐसा वण्डरफुल माशूक सारे कल्प में मिल नहीं सकता। एक माशूक और आशिक कितने हैं? अनेक आशिक एक माशूक के। तो आज विशेष आशिकों की महफिल में आये हैं। महफिल में मनाना होता है, सुनाना नहीं होता है। तो आज सुनाने नहीं आये हैं, मिलने और मनाने आये हैं। विशेष डबल विदेशी बच्चे आज का दिन मनाने के लिए आये हैं। नया वर्ष मनाने का संकल्प लेकर आये हैं। बापदादा भी नये वर्ष में स्नेह और सहयोग सम्पन्न बधाई दे रहे हैं। संगमयुग नया युग है। भविष्य सतयुग इस वर्तमान नये युग के नये जीवन की प्रालब्ध है। ब्राह्मणों के लिए नवयुग श्रेष्ठ युग अभी है। जब से ब्राह्मण बने नया युग, नया संसार, नया दिन, नयी रातें शुरू हो गई। इसी नये युग के नये जीवन की हर घड़ी पदमों तुल्य है। हीरे तुल्य है। सतयुग में यह गीत नहीं गायेंगे नया दिन लागे, नयी रात लागे। यह अब की बात है। बापदादा ने शुरू से किस गीत से बच्चों को जगाया है! वह गीत याद है? जाग सजनियाँ जाग.... क्यों जागो? नवयुग आया। बचपन का यही गीत है ना! अभी तो नये-नये गीत बना दिये हैं। आदि गीत बाप ने यही सुनाया ना। तो नवयुग कब हुआ? अब। पुराने के आगे नया लगता है ना! पुरानी दुनिया, पुरानी जीवन बदल गई। नयी जीवन में आ गये ना। बेहोश थे। अपना होश था कि मैं कौन हूँ? तो बेहोश हुए ना। बेहोश से होश में आये। नया जीवन अनुभव किया ना! ऑख खुलते नया सम्बन्ध, नया संसार देखा ना। तो नये युग की, नये युग में, नये वर्ष की बधाई।
लौकिक दुनिया में भी हैप्पी न्यू ईयर कहते हैं। वैसे एवर हैपी होते नहीं हैं लेकिन कहेंगे हैपी न्यू ईयर। अब आप सभी रीयल रूप में कहेंगे हैपी न्यू ईयर तो क्या लेकिन हैपी न्यू युग। सारा ही युग खुशी का युग है। हैपी न्यू ईयर कहते हो तो बधाई देने के समय क्या करते हो? पहले तो फारेन का रिवाज़ है - हाथ से हाथ जरूर मिलायेंगे। बापदादा हाथ से हाथ कैसे मिलाते? स्थूल हाथ तो एक सेकण्ड के लिए मिलाते हैं, लेकिन बापदादा सारा ही युग हाथ मिलाए अर्थात् एक ही श्रेष्ठ मत रूपी हाथ दे, हाथ में हाथ मिलाए अन्त में भी साथ में ले जाते हैं। श्रीमत का हाथ सदा आप सबके साथ है इसलिए सारा ही युग हाथ में हाथ देकर चलते हैं। हाथ में हाथ देकर चलना, यह स्नेह की भी निशानी है और सहयोग की भी निशानी है। कभी भी कोई चलते-चलते थक जाते हैं तो दूसरा उसका हाथ पकड़कर ले जाते हैं ना। रूहानी माशूक आशिकों का हाथ कभी नहीं छोड़ते। अन्त तक वायदा है हाथ और साथ सदा ही रहेगा। सभी आशिकों ने हाथ तो पक्का पकड़ लिया है ना! ढीला तो नहीं है! छोड़ने वाले तो नहीं हो ना! जो छोड़ते और लेते रहते हैं वह हाथ उठाओ। कभी छोड़ते, कभी पकड़ते ऐसा कोई है? यह विशेषता है इन्हों की, छिपाने वाले नहीं हैं। साफ बोलने वाले हैं इसलिए भी आधा विघ्न साफ सुनाने से खत्म हो जाता है। लेकिन कच्चा सौदा कब तक? पुराने वर्ष में पुरानी रीति रसम समाप्त करनी है ना! या नये वर्ष में भी यही रीति रसम चलेगी? अब तक जो हुआ उसको फुलस्टाप की बिन्दी लगाए, सदा साथ और हाथ रहने के स्मृति की बिन्दी अब से लगाओ। बड़े दिन वा खुशी के दिन पर विशेष सुहाग, भाग्य और बधाई की बिन्दी अर्थात् तिलक लगाते हैं। आप लोग भी विशेष याद की भट्ठी के दिन स्मृति की बिन्दी लगाते हो ना! क्यों लगाते हो! भट्ठी के दिन बिन्दी खास क्यों लगाते हो? दृढ़ संकल्प की निशानी बिन्दी लगाते हो कि आज का दिन सारा ही सहज योगी और श्रेष्ठ योगी के स्वरूप में रहेंगे। तो आज भी जो थोड़ा सा कच्चा हो, तो दृढ़ संकल्प द्वारा फुलस्टाप की बिन्दी लगाओ, दूसरी समर्थ स्वरूप की बिन्दी लगाओ। बिन्दी लगाने आती है? पाण्डवों को बिन्दी लगाने आती है? अच्छा शक्तियों को बिन्दी लगाने आती है? अविनाशी बिन्दी। आज सुबह भी सभी ने क्या वायदा किया? समारोह मनाना है ना? (मैरेज समारोह मनाना है) अभी मैरेज की नहीं है क्या? बाल बच्चे पैदा नहीं किये हैं? मैरेज तो हो गई है लेकिन मैरेज का दिन मनाने आये हो। जिसकी मैरेज नहीं हुई है, वह हाथ उठाओ। कितना भी नाज़ नखरे करो लेकिन माशुक छोड़ने वाला नहीं है क्योंकि जानते हैं कि छोड़कर जायेंगे कहाँ। जैसे आजकल विदेश का रिवाज है ना कि छोड़कर हिप्पी बन जाते हैं, तो हिप्पी बनना है क्या! एवर हैपी बनना है या हिप्पी बनना है? क्या हालत होती है, जो देख भी नहीं सकते। आप सब तो राज्य अधिकारी हो इसलिए बापदादा जानते हैं कि कभी-कभी नटखट बन जाते हैं। लेकिन बापदादा ने जो वायदा किया है कि साथ ले जायेंगे तो बाप वायदा नहीं छोड़ सकता इसलिए साथ चलना ही है। अच्छा!
नये वर्ष में नवीनता क्या करेंगे? कोई नई बात तो करेंगे ना। कोई प्लैन बनाया है? निमित्त टीचर ने कोई नया प्लैन बनाया है? गीता का भगवान तो देश में प्रत्यक्ष करेंगे। विदेश में क्या करेंगे? जो रही हुई बातें हैं, उन बातों को प्रैक्टिकल में लाना, यह तो बहुत अच्छी बात है। समय प्रमाण सब बातें प्रैक्टिकल होती जा रही हैं। इस बात से भारत में तो नगाड़ा बजायेंगे ही। धर्म नेताओं को जगायेंगे, हलचल भी मचायेंगे। जो थोड़ा-सा जागकर बहुत अच्छा कह फिर सो जाते हैं, उन्हों के लिए जैसे कोई नींद से नहीं उठता है तो उस पर ठण्डा-ठण्डा पानी डालते हैं। तो भारत वालों पर भी विशेष ठण्डा पानी डालने से जागेंगे। अच्छा - तो इस वर्ष क्या नवीनता करेंगे?
जितना लौकिक दुनिया में जिस स्थान पर हलचल हो, उसी हलचल के स्थान पर सदा खुशी की अचल स्थिति का झण्डा लहराना। गवर्मेन्ट हलचल में हो और गुप्त प्रभु रत्न सदा सम्पन्न सदा अचल का विशेष झण्डा लहरायें। गवर्मेन्ट का भी अटेन्शन हो जाए कि यह इस देश में गुप्त वेषधारी कौन-सी विचित्र आत्मायें हैं जो सारे देश में न्यारी और प्यारी हैं। जो अपने को धन से कमज़ोर समझते हैं उन्हों को अविनाशी धन से सम्पन्न कर, हम सबसे भरपूर हैं, हम सदा पद्मापद्मपति हैं, यह अनुभव कराओ। धन की गरीबी का दु:ख उन्हों को भूल जाए, ऐसी लहर फैलाओ। जो भी आवे वह समझे कि अखुट खज़ानों से भरपूर हो गये, और भी कोई धन होता है, वह अनुभव करें। और इसी धन द्वारा यह स्थूल धन भी स्वत: ही समीप आता है। दु:ख नहीं देगा। अच्छा! तो विदेश में नये वर्ष की नवीनता क्या करेंगे? सेन्टर्स तो खुलते जा रहे हैं और खुलते रहेंगे। अभी इस वर्ष विदेश में भी विशेष क्वालिटी की सर्विस विशेष रूप से होनी चाहिए। आप सबकी विशेष क्वालिटी तो रही लेकिन आप सभी क्वालिटी वाले और भी विशेष क्वालिटी वाली आत्मायें जो स्थापना के कार्य में सहयोगी बन जाएं, ऐसा विदेश में चारों ओर से एक ग्रुप तैयार करो जो ग्रुप मिलकर भारतवासियों की सेवा के अर्थ विशेष निमित्त बने। नामीग्रामी आवाज़ फैलाने वाले अलग ग्रुप हैं लेकिन यह हैं सम्बन्ध वाले, वह हैं सम्पर्क वाले। और यह ग्रुप चाहिए क्वालिटी वाला, जो समीप सम्बन्ध में हो। विशेष जीवन के परिवर्तन के अनुभवी हों, जिसके अनुभवों द्वारा और भी विशेष क्वालिटी वाली आत्मायें, वारिस क्वालिटी निकलती रहें। वह है सेवा के निमित्त ग्रुप और यह है वारिस क्वालिटी सेवाधारी ग्रुप। नागीग्रामी भी हो और वारिस भी हो। ऐसा ग्रुप विदेश में तैयार होने से देश में सेवा का चक्कर लगायें। राज नेता, धर्म नेता सर्व प्रकार की आत्माओं को अपने अनुभव की शक्ति द्वारा अनुभव करने की इच्छा उत्पन्न करा सकें। तो ऐसा चक्कर लगाने वाले वारिस सेवाधारी क्वालिटी का ग्रुप तैयार करो। समझा!
विदेश में चारों ओर आवाज फैलाने के साधन सहज हैं इसलिए विदेश में आवाज फैल भी रहा है और फैलता भी रहेगा। लेकिन भारत में आवाज फैलाने के साधन इतने सहज नहीं। भारतवासियों को जगाने के लिए पर्सनल सेवा चाहिए। और वह भी बहुत सिम्पल अनुभव के आवाज की सेवा हो। भारतवासी विशेष परिवर्तन के अनुभव से परिवर्तन होंगे। ऐसे विशेष अनुभवी जिन्हों के अनुभव में ऐसी शक्तिशाली परिवर्तन की बातें हो - ऐसी कहानियाँ सुन करके भारतवासी ज्यादा आकर्षित होंगे। भारत में कथा कहानियाँ सुनने का रिवाज है। समझा - विदेशियों को क्या करना है। इतनी सब टीचर्स आई हैं तो ऐस ग्रुप तैयार करके लाना। अच्छा!
नये वर्ष की विशेष सौगात बापदादा वरदान माला दे रहे हैं। सेरीमनी मनाते हैं तो वरमाला डालते हैं। बापदादा सभी आशिकों को वरदान माला की सौगात दे रहे हैं। सदा सन्तुष्टता से सन्तुष्ट रहो और सन्तुष्ट करो। हर संकल्प में विशेषता हो, हर बोल और कर्म में विशेषता हो। ऐसे विशेषता सम्पन्न सदा रहो। सदा सरल स्वभाव, सरल बोल, सरलता सम्पन्न कर्म हों। ऐसे सरल स्वरूप रहे। सदा एक की मत पर, एक से सर्व सम्बन्ध, एक से सर्व प्राप्ति ऐसे एक द्वारा सदा एक रस रहने के सहज अभ्यासी रहो। सदा खुश रहो, खुशी का खजाना बांटो। खुशी की लहर सर्व में फैलाओ। ऐसे सदा खुशी की मुस्कराहट चेहरे पर चमकती रहे। ऐसे हर्षित मुख रहो। सदा याद में रहो। वृद्धि को पाओ। ऐसे वरदान माला सदा साथ रहे। समझा। यह है नये वर्ष की सौगात। अच्छा!
ऐसे सदा के वरदानी, सदा हाथ और साथ के अमर श्रेष्ठ आत्मायें, हर संकल्प में नवीनता की विशेषता को जीवन में लाने वाले, ऐसी विशेष आत्माओं को, नव युग के, नये वर्ष की अमर याद-प्यार। उड़ती कला का याद-प्यार और नमस्ते।
पर्सनल मुलाकात:-
सदा अपने को पुण्य आत्मा समझते हो? सबसे बड़े ते बड़ा पुण्य है बाप को सन्देश दे बाप का बनाना। ऐसा श्रेष्ठ कर्म करने वाली पुण्य आत्मा हो क्योंकि अब की पुण्य आत्मा सदाकाल के लिए पूज्य बन जाती है। पुण्य आत्मा ही पूज्य आत्मा बनती है। अल्पकाल का पुण्य भी फल की प्राप्ति कराता है, वह है अल्प-काल का, यह है अविनाशी पुण्य क्योंकि अविनाशी बाप का बनाते हो। इसका फल भी अविनाशी मिलता है। जन्म-जन्म के लिए पूज्य आत्मा बन जायेंगे। तो सदा पुण्य आत्मा समझते हुए हर कर्म पुण्य का करते रहो। पाप का खाता खत्म। पिछला पाप का खाता भी खत्म क्योंकि पुण्य करते-करते पुण्य का तरफ ऊंचा हो जायेगा तो पाप नीचे दब जायेगा। पुण्य करते रहो तो पुण्य का बैलेन्स बढ़ जायेगा और पाप नीचे हो जायेगा अर्थात् खत्म हो जायेगा। सिर्फ चेक करो हर संकल्प पुण्य का संकल्प हुआ, हर बोल पुण्य के बोल हुए। व्यर्थ बोल भी नहीं। व्यर्थ से पाप नहीं कटेगा और पुण्य का फल भी नहीं मिलेगा इसलिए हर कर्म, हर बोल, हर संकल्प पुण्य का हो। ऐसे सदा श्रेष्ठ पुण्य का कर्म करने वाली पुण्य आत्मा हैं, यही सदा याद रखो। संगमयुगी ब्राह्मणों का काम ही क्या है? पुण्य करना और जितना पुण्य का काम करते हो उतना खुशी भी होती है। चलते-फिरते किसको सन्देश देते हो तो उसकी खुशी कितना समय रहती है। तो पुण्य कर्म सदा खुशी का खजाना बढ़ाता है और पाप कर्म खुशी गँवाता है। अगर कभी खुशी गुम होती है तो समझो कोई न कोई बड़ा पाप नहीं तो छोटा अंश मात्र भी जरूर किया होगा। देह-अभिमान में आना यह भी पाप है ना क्योंकि बाप याद नहीं रहा तो पाप ही होगा ना इसलिए सदा पुण्य आत्मा भव। अच्छा।
रात्रि 12 बजे के बाद सभी बच्चों को बधाई
चारों ओर के स्नेही सिकीलधे सदा सेवाधारी बच्चों को सदा नये उमंग, नये उत्साह भरे जीवन की, नये वर्ष की बधाई हो। संगमयुग नवयुग, जिसमें हर घड़ी नई हो, हर संकल्प नये ते नया उमंग उत्साह दिलाता है। ऐसे युग में नये वर्ष की मुबारक तो सदा बापदादा देते ही हैं फिर भी विशेष दिन पर विशेष याद दे रहे हैं कि सदैव स्वयं भी नये सेवा में स्वयं के प्रति प्लैन बनाते हुए प्रैक्टिकल में लाते रहो और दूसरों को भी अपने नवीन जीवन से प्रेरणा देते रहो। लण्डन निवासी वा जो भी विदेश में हैं, सभी के याद प्यार और हैपी न्यू ईयर के कार्ड भी पाये, बहुत-बहुत पत्र भी पाये, छोटी बड़ी सौगातें भी पाई। बापदादा ऐसे नये युग में श्रेष्ठ कर्म करने वाले और नया युग रचने वाले बच्चों को विशेष वरदानों सहित नये वर्ष की बधाई दे रहे हैं। सभी बहुत अच्छे मुहब्बत और मेहनत से सेवा कर रहे हैं और सदा ही सेवा में बिजी रह औरों को भी सेवा द्वारा बाप के वर्से का अधिकारी बनाते हैं। अच्छा! देश-विदेश के सभी बच्चों को फिर भी बार-बार शुभ बधाईयों से याद-प्यार।
वरदान:-अपने बचे हुए तन-मन-धन को ईश्वरीय कार्य में लगाकर जमा करने वाले सदा सहयोगी भव
यादगार में जो गोवर्धन पर्वत को उठाने में हर एक की अंगुली दिखाई है - यह आपके सहयोग की निशानी है। चित्र में बाप का साथ भी दिखाते हैं तो सेवा भी दिखाते हैं। अभी आप बच्चे बापदादा के सहयोगी बने हो तब यादगार बना है। भक्ति में तो तन-मन-धन जो कुछ लगाया उसमें 99 परसेन्ट गंवा दिया। बाकी जो 1 परसेन्ट बचा है उसे अब सच्ची दिल से ईश्वरीय कार्य में लगाओ तो फिर से पदमगुणा जमा हो जायेगा।
स्लोगन:-जो निर्मान बनते हैं उन्हें स्वत: सर्व का मान प्राप्त होता है।
26/08/18 Madhuban Avyakt BapDada Om Shanti 31/12/83
If the hand of shrimat is in your hands, you will continue to move with your hand in His hand throughout the whole age.
Today, the Beloved has come to the shores of the ocean, that is, to the shore of Madhuban to celebrate a sweet meeting with His spiritual lovers. All of you have come from so far away to celebrate a meeting. Why? You will not find such a wonderful Beloved throughout the whole cycle. There is just the one Beloved, but how many lovers are there? The one Beloved has so many lovers. So, today, Baba has especially come to the gathering of lovers. You celebrate in a gathering; you don't have to say anything. So, today, Baba has not come to speak knowledge to you; He has come to meet you and to celebrate a meeting. The double foreign children have especially come to celebrate today. You have come with the thought of celebrating the New Year. In this New Year, BapDada is also giving you greetings filled with love and co-operation. The confluence age is the new age. The future golden age is the reward of the present new age and new life. For Brahmins, it is now the new and elevated age. The new age, the new world, the new days and new nights began for you the moment you became Brahmins. Every moment of this new age and new life is worth multimillions; it is worth diamonds. In the golden age you won't sing the song: This day feels like a new day, this night feels like a new night. This refers to the present time. From the beginning, with which song did BapDada awaken you? Do you remember that song? Awaken o brides, awaken! Why should you awaken? Because the new age has come. This is the song of your childhood, is it not? You have now created new songs. The original song that the Father played was that one, was it not? So, when is it the new age? Now! Beside the old, this is new, is it not? Your old world and old life have now changed. You have come into a new life. You were unconscious. Were you aware of who you are? So you were unconscious, were you not? From being unconscious, you became conscious. You experienced a new life, did you not? As soon as you opened your eyes, you saw your new relationship and new world, did you not? So, greetings for the New Age and the New Year, in this new age.
In the world outside too, people say to one another "Happy New Year!" In fact, they are never ever happy, but they say, "Happy New Year!" Now, not only will all of you genuinely say "Happy New Year!" but you will say "Happy New Age!" The whole age is an age of happiness. When you say "Happy New Year", what do you do when you give these greetings? The custom abroad is to first of all shake hands. How does BapDada shake hands with you? They shake hands physically for just a second. However, BapDada shakes hands with you throughout the whole age, that is, He gives you His hand of one elevated direction (shrimat), shakes hands with you and takes you back with Him at the end. You always have the hand of shrimat with you and this is why you continue to move along with your hand in His hand throughout the whole age. To walk hand-in-hand is also a sign of love and co-operation. Whenever someone walking gets tired, another person holds his hand and they walk together. The spiritual Beloved never lets go of the hands of the lovers. His promise is that you will have His hand and company till the end. All of you lovers have caught hold of His hand very firmly, have you not? You are not holding it loosely, are you? You are not going to let go of it, are you? Those who let go of it and then hold onto it again, raise your hands! Is there anyone here who sometimes holds it and then sometimes lets go of it?
This is their speciality; they are not those who hide anything. They are those who speak honestly and, just by them speaking about it honestly, half the obstacle is thereby removed. However, for how long will you continue with a weak bargain? In the old year, you are going to finish all the customs and systems of the past, are you not? Or, will the same customs and systems continue in the New Year? Whatever has happened up to now, put a full stop to that and, from now on, apply the tilak of awareness of constantly holding His hand and keeping His company. On an important day or a day of happiness, they especially apply a tilak as a symbol of happiness, and fortune. It is also the symbol of being wed. On the day of a special bhatthi of remembrance, you apply a tilak of awareness, do you not? Why do you apply it? Why do you especially apply a tilak on the day of a bhatthi? You apply a tilak on that day as a symbol of the determination to remain the embodiment of an easy and elevated yogi throughout the whole day. So, today, those who are a little weak, with your determined thoughts, put a tilak as a full stop and secondly, apply a tilak of your form of power. Do you know how to put a full-stop? Do the Pandavas know how to apply a full stop? Achcha, do the Shaktis know how to apply a full stop? An indelible full stop? What did all of you promise this morning? You are going to celebrate a ceremony, are you not? (We are going to have a marriage ceremony.) Are you not already married? Have you not produced any children yet? You are already married, but you have come to celebrate your wedding anniversary. Those who are not yet married, raise your hands! No matter how much mischief you get up to, the Beloved is not going to leave you alone, because He knows that, if He lets go of you, where would you go? Nowadays, the custom abroad is that they leave the family and become hippies. So, do you want to be a hippy? Do you want to become ever happy or a hippy? Look at their condition; you can't even bear to look at them. All of you are sovereigns. This is why BapDada knows that you sometimes become mischievous. However, BapDada has promised you that He will take you back with Him and so He cannot break His promise. This is why you have to go with Him. Achcha.
What newness will you bring about in the New Year? You will do something new, will you not? Have you made any plans? Have the instrument teachers made any plans? You will reveal in this land who the God of the Gita is, but what will you do abroad? To put into a practical form the things that are still missing is very good. According to the time, everything is becoming practical. With this aspect, you will beat the drums in Bharat. You will awaken the religious leaders and also create a lot of upheaval. When someone has woken up a little and says "This is very good" and goes back to sleep, then, when they don't wake up from sleep again, you pour very cold water on them. So by especially pouring very cold water on the people of Bharat, they will awaken. Achcha. So what newness will you bring about this year?
In the world outside, wherever there is an upheaval, you have to hoist at that place the flag of a constantly unshakeable stage of happiness. The Government may be in upheaval, but let the incognito jewels of God constantly keep flying the flag of being complete and unshakeable. Let the Government's attention also be drawn to the unique incognito souls in this country who are completely unique and lovely to the whole world. Make those who consider themselves to be poor become full to overflowing with imperishable wealth, and give them the experience of being the most overflowing souls who are constantly multimillionaires. Spread such a wave that they forget the sorrow of their poverty. Let whoever comes here feel that they have become overflowing with limitless treasures and also experience that there is another type of wealth - that with this wealth, physical wealth will automatically come close to you. It doesn't cause you sorrow. Achcha. So, what newness will you bring about abroad in the New Year? Centres continue to open and will continue to be opened. Now, this year, abroad too, let there be especially be quality service in a unique way. All of you have a special quality anyway, but now all of you quality souls have to prepare a special group of even more quality souls who can become co-operative in the task of establishment. Now prepare such a group abroad from people from all around the world, so that this group can especially become instruments to serve the people of Bharat. The well-known ones who spread the sound are a different group. However, this group has to be of those who are in a relationship with you, whereas the other group is of those who are only in contact with you. This group has to be of quality and in closer relationship. You are experienced in the special transformation of life. Therefore, through your experience, enable more heir-quality souls, with even more quality, to continue to emerge. That is the group who are instruments for service and this is the group of heir-quality servers. They need to be well known and also heirs. When such a group is prepared abroad, let them go on a tour of this land. With the power of your experience, inspire all the politicians, religious leaders and all types of souls to want to have the same experience. Therefore, now prepare a group of heir quality serviceable souls who can tour around. Do you understand?
The facilities to spread the sound abroad everywhere are easy. This is why the sound is spreading abroad and will continue to spread. However, the facilities to spread sound in Bharat are not so easy. You need to do personal service to awaken the people of Bharat. In that too, let it be service through your very simple experiences. People of Bharat especially will be transformed when they hear about the special experiences of transformation. People of Bharat are much more attracted when they hear the experiences of experienced people who have stories of such powerful transformation in their lives. In Bharat they have the system of listening to stories etc. Do you understand? What do the people abroad have to do? So many teachers have come, so prepare such a group and bring it here. Achcha.
BapDada is giving a rosary of blessings as the special gift for the New Year. When a ceremony takes place, you are garlanded. BapDada is giving all you lovers a gift of a rosary of blessings. "May you always remain content and with this contentment make others content. Let every thought be filled with speciality. Let every word and deed be filled with speciality. Remain constantly full of such speciality. Always have an easy nature, easy words and actions filled with easiness. Remain embodiments of such easiness. Always follow the directions of the One, have all relationships with the One, have all attainments from the One and have the easy practice of being constantly with the One. Remain constantly happy and distribute the treasures of happiness. Spread waves of happiness over everyone. In the same way, let the smile of happiness sparkle on your face. Always remain cheerful in this way. Always stay in remembrance and make progress. Always keep the rosary of blessings with you. Do you understand? This is the gift for the New Year. Achcha.
To those who constantly have all blessings, to the elevated souls who are immortal with their hands in His hand and are in His company, to those who bring the speciality of newness in every thought in their practical lives, to such special souls, immortal love and remembrance for the New Year of the New Age; love, remembrance and namaste for the flying stage.
Personal Meetings:
Do you constantly consider yourselves to be charitable souls? The greatest charity of all is to give others the Father's message and make them belong to the Father. You are the charitable souls who perform such elevated actions because a charitable soul at this time becomes a soul worthy of worship for all time. Only a charitable soul becomes worthy of worship. Charity for a short time too enables you to attain fruit. That is for a temporary period whereas this is imperishable charity because you make them belong to the eternal Father. The fruit received from this is imperishable. You become souls worthy of worship for birth after birth. Therefore, constantly continue to perform charitable deeds whilst considering yourselves to be charitable souls. The account of sin has ended. The account of past sins has also ended, because by performing charity, the weight of charitable deeds becomes greater, and the sins therefore decrease. Continue to perform charitable deeds and the balance of charity will increase and that of sins will reduce, that is, it will end. Simply check that every thought is a charitable thought and that every word is a charitable word. There mustn't be any wasteful words. Sins will not be cut away with waste and you won’t receive the fruit of charity. Therefore, let every action, every word and every thought be of charity. Always remember that you are such elevated, charitable souls who constantly perform elevated actions. What is the work of the confluence-aged Brahmin souls? To perform charity, for the more charitable work you do, the more happiness you experience. When you give someone a message whilst simply moving along, that happiness lasts for so long. So charitable deeds always increase your treasures of happiness, whereas sinful deeds make you lose your happiness. If your happiness vanishes, then understand that even if you have not committed a big sin, a small sin has definitely been committed. To become body conscious is also a sin, because when you don't remember the Father, that would definitely be sin, would it not? Therefore, may you be a constantly charitable soul. Achcha.
Midnight greetings to all the children:
To all the loving long-lost and now-found constantly serviceable children, greetings for new zeal and a new life filled with new enthusiasm and for the New Year. The confluence age is the New Age in which every moment is new. Every thought brings newest zeal and enthusiasm. In such an age, BapDada constantly gives you congratulations for the New Age. Nevertheless, He is giving special love and remembrance on the special day, so that you too always make new service plans for yourself and put them into a practical form. Also continue to inspire others with your new life. BapDada received letters of love and remembrance and greetings cards for the New Year from all the residents of London and all those abroad. He also received several gifts. In such a New Age, BapDada is especially giving greetings filled with blessings for the New Year to the children who perform elevated actions and who create the New Age. All of you are doing very good service with love and effort. May you always remain busy in service and, through your service, enable others to have the right to receive the inheritance from the Father. Achcha.
To all the children in this land and abroad, special good wishes over and over again filled with love and remembrance. Achcha.
Blessing:
May you be constantly co-operative and accumulate everything by using what still remains of your body, mind and wealth for the Godly task.
Each one’s finger has been shown in the memorial of lifting the Goverdhan mountain. This is a sign of your co-operation. In the picture of the memorial, they have portrayed the Father’s company and also service. You children are now co-operating with BapDada and this is why the memorial has been created. However much of your body, mind and wealth you used on the path of devotion, 99% of that was wasted. Apply the remaining one per cent for God’s task with a true heart and you will once again accumulate multi-million fold.
Slogan:Those who are humble automatically receive respect from everyone.
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