Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
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Details ( Page:- Murali 17-Aug- 2018 )
17-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - माया की पीड़ा से बचने के लिए बाप की शरण में आ जाओ, ईश्वर की शरण में आने से 21 जन्म के लिए माया के बंधन से छूट जायेंगे"
प्रश्नः-
तुम बच्चे किस पुरुषार्थ से मन्दिर लायक पूज्यनीय बन जाते हो?
उत्तर:-
मन्दिर लायक पूज्यनीय बनने के लिए भूतों से बचने का पुरुषार्थ करो। कभी भी किसी भूत की प्रवेशता नहीं होनी चाहिए। जब किसी में भूत देखो, कोई क्रोध करता है या मोह के वश हो जाता है तो उससे किनारा कर लो। पवित्र रहने की स्वयं से प्रतिज्ञा करो। सच्ची-सच्ची राखी बांधो।
गीत:-
तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है.....
ओम् शान्ति।
भक्त सदैव बुलाते हैं भगवान् को। भगवान् को परमपिता कहा जाता है। कहते हैं - हे पतित-पावन परमपिता परमात्मा, आकरके हम बच्चों को पतित से पावन बनाओ। तो जरूर सब पतित ठहरे क्योंकि रावण का राज्य है, पांच विकार सर्वव्यापी हैं। ऐसे नहीं कि सतयुग में भी 5 विकार सर्वव्यापक हैं। नहीं, उनको तो कहा जाता है सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया। यह है सम्पूर्ण विकारी दुनिया। भारत सम्पूर्ण निर्विकारी था - यह भूल गये हैं। मन्दिरों में जाकर देवताओं की उपमा भी करते हैं कि आप सर्वगुण सम्पन्न, सम्पूर्ण निर्विकारी हो। यहाँ सम्पूर्ण विकारी हैं, इसलिए बाप को बुलाते हैं। बाप आकर सम्पूर्ण विकारियों को शरण में लेते हैं। शरणागति होती है ना। अभी सब रिफ्युजी हैं तो पुकारते हैं। आत्मा पुकारती है बाप को - बाबा, हम आत्मायें बिल्कुल विकारी बन गई हैं, आप आकर निर्विकारी बनाओ। एक-दो को मारते रहते हैं, इसलिए इन्हों को डेविल भी कहा जाता है। भारत डीटी वर्ल्ड था - मनुष्य यह नहीं जानते। बरोबर भारत देवी-देवताओं की भूमि थी, वह राज्य करते थे। परन्तु आधाकल्प से माया ने धीरे-धीरे करके बिल्कुल ही पतित बना दिया है इसलिए कहते हैं अब हम पतितों को आकर शरण लो। अब तुमने आकर परमपिता परमात्मा की गोद ली है - भविष्य देवी-देवता बनने के लिए। यह है ईश्वरीय गॉड फादरली मिशन, पतित को पावन अथवा कांटों को फूल बनाने की मिशन है। बच्चों का धन्धा ही है परमपिता परमात्मा की मत पर कांटों को फूल बनाना, नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाना। तुम कहते हो ओ गॉड फादर, तो जरूर तुम उनको जानते हो ना। फिर ऐसे कह न सकें कि परमात्मा कहाँ है! अरे, आत्मा बोलती है ओ गाड फादर। आत्मायें पुकारती हैं परमात्मा को, वह इन आंखों से देखने में नहीं आता। आत्मा भी देखने में नहीं आती। यह तो समझ की बात है ना। आत्मा ज्योति स्वरूप है। परमपिता परमात्मा का भी वही रूप है। बाप कहते हैं तुम आत्मा एक चोला छोड़ दूसरा लेती हो। तुम आत्मा अविनाशी हो, शरीर विनाशी है। आत्मा शरीर छोड़ती है। कहेंगे हमारा बाप मर गया, परन्तु आत्मा मरती नहीं। आत्मा को बुलाते हैं। यह तुम अभी समझते हो। बाकी सारी दुनिया के मनुष्य मात्र बाप को बिल्कुल नहीं जानते हैं इसलिए आपस में कितना लड़ते-झगड़ते रहते हैं। अभी मूसलों से पता नहीं क्या करेंगे! इन्हों को कहा जाता है डेविल्स। बाबा कहते हैं मैं कोई ऐसी सृष्टि थोड़ेही रचता हूँ। बाबा तो स्वर्ग रचते हैं। स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। तो जरूर बाप को आना पड़े ना। बाप कहते हैं - बच्चे, मैं आया हूँ, जो पतित-दु:खी हो गये हैं, उनको सदा सुखी बनाने। वहाँ कोई ऐसे नहीं कहेंगे - पतित-पावन आओ या ओ गॉड फादर रहम करो। ऐसे कभी बुलाते नहीं हैं क्योंकि हैं ही सुखी। दु:ख में सभी याद करते हैं। आत्मा ही याद करती है। शरीर के साथ सुख-दु:ख होता है। शरीर नहीं है तो आत्मा सुख-दु:ख से न्यारी है। बाप कहते हैं मैं इनमें प्रवेश कर इनका नाम ब्रह्मा रखता हूँ। कई तो अच्छी रीति समझ लेते हैं, कई नहीं समझते हैं, तो समझा जाता है - यह पावन दुनिया में चलने लायक नहीं हैं इसलिए श्रीमत पर नहीं चलते हैं। यह है ही आसुरी रावण सम्प्र दाय। रावण को हर वर्ष जलाते हैं ना। यह निशानी है। हर वर्ष राखी भी बंधवाते हैं क्योंकि पवित्र नहीं रहते। राखी बंधवाते हैं फिर अपवित्र बन पड़ते हैं इसलिए वर्ष-वर्ष राखी बंधवाते हैं। राखी है पवित्रता की निशानी। विकारियों को राखी भेज देते हैं कि प्रतिज्ञा करो हम पवित्र रहेंगे। पवित्र बनने से 21 जन्म राज्य-भाग्य पायेंगे।
बाबा कहते हैं - मैं ही आकर तुम सबको पूज्य बनाता हूँ। अभी तुम पुजारी हो। देवताओं की, ठिक्कर-भित्तर की पूजा करते धक्के खाते रहते हो। मैं तुमको इन धक्कों से छुड़ाए पूज्य सो लक्ष्मी-नारायण बनाता हूँ। तुम यहाँ आये ही हो नर से नारायण बनने के लिए। आधाकल्प माया से पीड़ित हो अभी तुमने आकर शरण ली है परमपिता परमात्मा की। मम्मा ने भी ली है। इस बाबा ने भी शरण ली है शिवबाबा की। उनको तो अपना शरीर है नहीं। उनका नाम ही है शिव। शिवबाबा का नाम कभी बदलता नहीं है। मनुष्य आत्मा का नाम बदलता रहता है। 84 नाम मिलते हैं। इन बातों को मनुष्य नहीं जानते। 84 जन्म भी कहते हैं परन्तु 84 जन्म कौन लेते हैं, यह कोई नहीं जानते। भारतवासी, जो देवी-देवतायें थे, वही 84 जन्म लेते हैं। यह है बेहद का ड्रामा। इसे मनुष्य को ही तो जानना है। तुम जानते हो गॉड फादर स्वर्ग का रचयिता है तो जरूर स्वर्ग का वर्सा मिलना चाहिए। भारत स्वर्ग था। वह वर्सा फिर माया रावण ने छीन लिया। अब फिर माया पर जीत पानी है। माया जीते जगत जीत। रावण से हार खाई तो डेविल बने, अब डीटी (देवता) बनना है। कांटे को कली, कली को फिर फूल बनाना है। माया का तूफान आने से कलियां वा फूल झड़ जाते हैं। मात-पिता का बनकर फिर फ़ारकती दे देते हैं। यह समझने की बात है ना। अंगेअखरे (तिथि-तारीख सहित) प्रूफ देकर समझाया जाता है - यह मनुष्य सृष्टि का उल्टा झाड़ है, बीज ऊपर में है, तब तो ओ गॉड फादर कह याद करते हैं ना। यह नॉलेज बड़ी भारी है समझने की। तुम बच्चे समझते हो सब आत्माओं का जो बाप है उनको ही याद करते हैं। हम ब्रदर्स हैं। सबको बाप से वर्सा मिलना चाहिए। उनको ब्रदरहुड कहा जाता है। तुम हो भाई-भाई, वर्सा मिलना है बाप से। बाप सबको सुख, शान्ति का वर्सा देते हैं। बाप आकर टीचर रूप से पढ़ाते हैं फिर सतगुरू बन साथ ले जाते हैं। सत एक ही गॉड फादर को कहा जाता है। उनका यह है सतसंग। सत का संग तारे। अभी विनाश होना है। सबको शान्तिधाम, सुखधाम जाना है। कहते हैं नईया मेरी पार लगाओ, हम विषय सागर में डूबे हुए हैं। तो बाप को आना पड़े - शान्तिधाम सुखधाम ले जाने। आधाकल्प है सुखधाम, आधाकल्प है दु:खधाम। यह भारत बिल्कुल ही पतित, भोगी हो गया है। योगी नहीं कहेंगे। सतयुग-त्रेता को कहा जाता है योगेश्वर का राज्य। कृष्ण को योगेश्वर कहते हैं। ईश्वर के साथ योग लगाकर पद पाना है। सो तुम पा रहे हो। बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं। समझाने वाला है ज्ञान का सागर। मनुष्य ज्ञान सागर नहीं होता। यह (बाबा) अपने को ज्ञान सागर नहीं कहते। तुम अभी मास्टर ज्ञान सागर बन रहे हो। ज्ञान सागर से सारा ज्ञान हप कर लेते हो। जैसे टीचर द्वारा बैरिस्टरी का नॉलेज स्टूडेन्ट्स हप कर लेते हैं फिर बैरिस्टर बन जाते हैं। तुम सारे ज्ञान सागर को हप कर लेते हो। सारा ज्ञान आ जायेगा तब फिर तुम प्रालब्ध पा लेंगे। बाप निर्वाणधाम चले जायेंगे। तुम बच्चे नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार वर्सा ले लेते हो। इस नॉलेज से तुम सो देवी-देवता सदा सुखी बन जाते हो। अभी तुम ईश्वर की शरण में आते हो। बाबा तुमको 21 जन्म माया के बंधन से छुड़ा लेते हैं। बाप कितना सहज कर समझाते हैं। पारसबुद्धि बनने वाले जो होंगे वही बनेंगे।
तुम समझते हो हम बाबा से कल्प-कल्प वर्सा लेते हैं। माया छीन लेती है फिर मैं आकर तुमको सुख-शान्ति का वर्सा देता हूँ। रावण दु:ख का वर्सा देते हैं, राम सुख का वर्सा देते हैं। कितना जन्म, कितना समय दु:ख और सुख का वर्सा मिलता है - वह भी सब तुमको बतलाते हैं। बाप कहते हैं - सिर्फ मुझ बाप को याद करो। मैं आत्मा परमपिता परमात्मा का बच्चा हूँ। बस, बाप को याद करते रहो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे। तुम विकर्माजीत राजा बन जायेंगे। विकर्माजीत राजा का संवत एक से शुरू हुआ फिर विक्रम संवत 2500 वर्ष बाद शुरू होता है। विकर्माजीत और विक्रम, भारतवासियों के दो संवत हैं। विक्रम का संवत सभी जानते हैं, विकर्माजीत का संवत भूल गये हैं। यह है पढ़ाई।
देखो, मुरली भी कितना ट्रेवल (यात्रा) करती है। नहीं तो गोप-गापियों को मुरली कैसे पहुँचे? टेप्स भी जाती हैं। सब सेन्टर्स टेप सुनते रहेंगे। यह मुरली है वन्डरफुल। इसके लिए ही गायन है कि गोपियां तड़फती थी। बाप कहते हैं मैं तो आता ही हूँ पतित दुनिया में। सतयुग में देवताओं को अपार सुख है। इतना सुख कोई पा न सके। हीरे-जवाहरों के महल में रहते हैं। यहाँ तो सोना कितना महंगा है। वहाँ तो तुम सोने की ईटों के महल बनायेंगे। फिर उनमें हीरों की जड़त होती है। बाप बच्चों को क्या से क्या बना देते हैं! सिर्फ पवित्र रहने की प्रतिज्ञा करनी है। क्रोध का भूत नहीं होना चाहिए। समझा जाता है इनमें भूत की प्रवेशता है, इनको किनारे कर दो। बहुत हैं जिनका अभी तक मोह नष्ट नहीं होता है। जैसे बन्दरी का मोह होता है ना, ऐसे बच्चों आदि में मोह अटक जाता है। बन्दर में सबसे जास्ती विकार होते हैं। तुमको अब बन्दर से मन्दिर लायक बना रहे हैं।
रक्षाबन्धन का राज़ भी समझाया है। राखी बांधने की बात नहीं है। यह बाप से प्रतिज्ञा की जाती है। मीठे बाबा, बेहद के बाबा आधाकल्प, हम भक्तों ने आपको याद किया है। अब आप आये हो बैकुण्ठ का मालिक बनाने, इसलिए हम आपके मददगार बनते हैं। हम प्रतिज्ञा करते हैं कि कभी अपवित्र नहीं बनेंगे। पवित्र बन भारत को पवित्र बनायेंगे। कितनी सहज बात है! अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर पतित मनुष्यों को पावन देवता बनाने की सेवा करनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
2) ज्ञान सागर का सारा ज्ञान हप करना है। बाप की याद से विकर्मों को दग्ध कर विकर्माजीत बनना है।
वरदान:-श्रेष्ठ जीवन की स्मृति द्वारा विशाल स्टेज पर विशेष पार्ट बजाने वाले हीरो पार्टधारी भव
ब्रह्मा बाप ने आप बच्चों को दिव्य जन्म देते ही - पवित्र भव योगी भव का वरदान दिया। जन्मते ही बड़ी माँ के रूप में पवित्रता के प्यार से पालना की। सदा खुशियों के झूले में झुलाया, सर्वगुण मूर्त, ज्ञान मूर्त, सुख-शान्ति स्वरूप बनने की हर रोज़ लोरी दी, ऐसे मात-पिता के श्रेष्ठ बच्चे ब्रह्माकुमार कुमारी हैं, इस जीवन के महत्व को स्मृति में रख विश्व की विशाल स्टेज पर विशेष पार्ट, हीरो पार्ट बजाओ।
स्लोगन:-बिन्दू शब्द के महत्व को जान बिन्दू बन, बिन्दू बाप को याद करना ही योगी बनना है।
17/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, in order to be saved from deep suffering by Maya, take asylum with the Father. By taking asylum with God, you will be liberated from the bondage of Maya for 21 births.
Question:
By making which effort do you children become worthy of worship and worthy of being in a temple?
Answer:
In order to become worthy of worship and seated in a temple, make effort to save yourselves from evil spirits. No evil spirit should ever enter you. When you see an evil spirit in anyone, when someone is getting angry or influenced by attachment, step away from that person. Promise yourself that you will remain pure. Tie a true rakhi.
Song:
The heart desires to call out to You.
Om Shanti
Devotees always call out to God. God is called the Supreme Father, the Supreme Soul. They call out: O Purifier, Supreme Father, Supreme Soul, come and make us children pure from impure. Therefore, all are surely impure, because this is the kingdom of Ravan and the five vices are omnipresent. It isn't that the five vices are still omnipresent in the golden age; no. That is called the completely viceless world. This is the completely vicious world. They have forgotten that Bharat was completely viceless. They go to the temples and praise the deities: You are full of all virtues, completely viceless. Here, people are completely vicious. This is why they call out to the Father. The Father comes and gives asylum to those who are completely vicious. He gives them refuge. Now all are refugees and so they are calling out. Souls call out to their Father: Baba, we souls have become completely vicious. Come and make us viceless. People continue to kill one another and this is why they are called devilish. They don't know that Bharat was the deity world. Truly, people do not know that Bharat was the land of the deities and that they used to rule there. However, for half the cycle, Maya has gradually made everyone become totally impure. This is why people say: Now come and give us impure ones refuge. You have now come and taken the lap of the Supreme Father, the Supreme Soul, in order to become future deities. This is God’s spiritual Godfatherly mission; it is the mission for making impure ones pure and thorns into flowers. It is the children's business to follow the directions of the Supreme Father, the Supreme Soul, and change thorns into flowers and make residents of hell into residents of heaven. You say: O God, the Father! Therefore, you surely know Him, do you not? So then, you cannot ask where God is. The soul says: O God the Father! Souls call out to the Supreme Soul. He is not visible through these eyes. Souls too are not visible. This is something to be understood. Souls have the form of light. The Supreme Father, the Supreme Soul, has the same form. The Father says: You souls shed costumes and take others. You souls are imperishable whereas the bodies are perishable. The soul sheds the body. They say, "My father has died", but the soul doesn't actually die. They invoke the (departed) soul. You now understand this. Human beings of the world don’t know the Father at all. This is why they fight and quarrel so much among themselves. Now you can't tell what they will do with the missiles. They are said to be devilish. Baba says: I don't create such a world. Baba creates heaven. He makes you into the masters of heaven. Therefore, the Father surely has to come. The Father says: Children, I have come to make those who have become impure and unhappy ever happy. There, no one would say: O Purifier, come!, or: O God, the Father, have mercy! They never call out in this way because they are happy anyway. Everyone in sorrow remembers Him. Souls remember Him. There is happiness and sorrow experienced through their bodies. When a soul doesn't have a body, he is beyond happiness and sorrow. The Father says: I enter this one and name him Brahma. Some understand this very clearly whereas others don't. So, it is understood that they are not worthy of going to the pure world, and this is why they don’t follow shrimat. This is the devilish community of Ravan. People burn an effigy of Ravan every year. That is a symbol. They also have a rakhi tied every year because they don't remain pure. They have a rakhi tied and then become impure. This is why they have the rakhi tied year after year. The rakhi is a symbol of purity. A rakhi is sent to those who indulge in vice: Promise that you will remain pure. By becoming pure, you will receive the fortune of the kingdom for 21 births. Baba says: I alone come and make all of you worthy of worship. You are now worshippers. You worship deities, pebbles and stones etc. and continue to stumble around. I liberate you from that stumbling and make you worthy of worship like Lakshmi and Narayan. You have come here to change from an ordinary man into Narayan. You have been suffering from Maya for half the cycle and you have now taken asylum with the Supreme Father, the Supreme Soul. Mama too has taken asylum. This Baba has also taken asylum with Shiv Baba. That One doesn't have a body of His own. His name is Shiva. Shiv Baba's name never changes. The names of human souls keep changing. Souls receive 84 names. Human beings don't know these things. They speak of 84 births but no one knows who takes 84 births. The people of Bharat who were deities are the ones who take 84 births. This is the unlimited drama. It is human beings who have to know this. You know that God, the Father, is the Creator of heaven and so you should certainly receive your inheritance of heaven. Bharat was heaven and then Maya, Ravan, snatched away that inheritance. You now have to conquer Maya once again. Those who conquer Maya conquer the world. When you are defeated by Ravan, you become devils and you now have to become deities. Thorns have to become buds and then buds have to be made into flowers. When storms of Maya come, the buds and flowers fall off. Some belong to the Mother and Father and then divorce them. These matters have to be understood, do they not? Everything is explained with dates and time periods etc. This is the inverted human world tree and the Seed is up above. This is why people remember Him and say: O God, the Father! It is very difficult to understand this knowledge. You children know that everyone remembers the One who is the Father of all souls. We are brothers. Everyone should receive the inheritance from the Father. This is called a brotherhood. You are brothers. You have to receive the inheritance from the Father. He gives everyone the inheritance of happiness and peace. The Father comes and teaches you in the form of the Teacher. Then He becomes the Satguru and takes you back with Him. Only God, the Father, is called the Truth. This is His Company of the Truth. “The Company of the Truth takes you across.” Destruction now has to take place. You all have to go to the land of peace and the land of happiness. People say: Take my boat across. We are drowning in the ocean of poison. Therefore, the Father has to come to take you to the land of peace and the land of happiness. For half the cycle it is the land of happiness and for half the cycle it is the land of sorrow. This Bharat is completely impure. It has become the land of bhogis (people who indulge in sensual pleasures). It would not be called the land of yogis. The golden and silver ages are called the kingdom of Yogeshwar. They also call Krishna, Yogeshwar. You have to have yoga with God and claim that status. You are now claiming that. The Father explains to you so well. The One who is explaining to you is the Ocean of Knowledge. There cannot be a human ocean of knowledge. This Baba doesn't call himself an ocean of knowledge. You are now becoming master oceans of knowledge. You swallow all the knowledge from the Ocean of Knowledge. Just as students swallow all the knowledge from a teacher and become barristers, in the same way, you swallow the whole ocean of knowledge. When you have taken all the knowledge, you will then receive your reward. The Father will go back to the land of nirvana. You children claim your inheritance, numberwise, according to your efforts. Through this knowledge, you become deities and are constantly happy. You are now in God's asylum. Baba is liberating you from the bondage of Maya for 21 births. The Father explains to you and makes everything very easy. Only those who are to become ones with divine intellects will become those. You understand that you claim your inheritance from Baba every cycle. Maya snatches it away from you and then I come and give you your inheritance of happiness and peace. Ravan gives you the inheritance of sorrow and Rama gives you the inheritance of happiness. Baba tells you for how many births and for how long you receive the inheritances of happiness and sorrow. The Father says: Simply remember Me, the Father. I, the soul, am a child of the Supreme Father, the Supreme Soul. That’s all! Continue to remember the Father and your sins will be absolved. You will become the kings who are conquerors of sin. The era of King Vikarmajeet (who conquered sins) began in year one and then, after 2500 years, the era of King Vikram (who committed sins) began. Vikarmajeet and Vikram are the two eras of Bharat. Everyone knows about the era of Vikram, but they have forgotten about the era of Vikarmajeet. This is a study. Look how far the murli travels . How else would the murlis reach the brothers and sisters? Tapes are also sent everywhere. People at all the centres will continue to listen to the tapes. This murli is wonderful. It is remembered of this that the gopis were desperate to listen to it. The Father says: I come into the impure world. In the golden age, the deities have limitless happiness. No one else can have as much happiness. They live in palaces studded with diamonds and jewels. Here, gold is so expensive. There, you will build palaces with golden bricks. There, they will be studded with diamonds. Look what the Father makes you children from what you were. You simply have to promise to remain pure. There should be no evil spirit of anger. One understands when that evil spirit has entered someone. Therefore, you have to separate that one from everyone else. There are many who are unable to destroy their attachment even now. Just as a female monkey has attachment, so people, too, have attachment to their children. Monkeys have the vices in them the most. From being like monkeys, you are now being made worthy of being in a temple. The significance of Raksha Bandhan has been explained to you. It is not just a question of tying a rakhi. A promise is made to the Father. Sweet Baba, unlimited Baba, for half the cycle we devotees remembered You. You have now come to make us into the masters of Paradise. This is why we become Your helpers. We promise that we will never become impure. We will become pure and make Bharat pure.This is such an easy thing. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Follow shrimat and do the service of making impure human beings into pure deities. Become a full helper of the Father.
2. Swallow all the knowledge of the Ocean of Knowledge. Burn away your sins with remembrance of the Father and become a conqueror of sinful actions.
Blessing:
May you be a hero actor who plays a special part on the special stage with the awareness of an elevated life.
As soon as you children were given a divine birth through Father Brahma, he gave you the blessing, “May you be pure, may you be yogi”. As soon as you took birth, he sustained you in the form of the senior mother with love for purity. He made you constantly swing in the swings of happiness, and sang you the lullaby of becoming images of all virtues, images of knowledge, and embodiments of happiness and peace. The elevated children of such a mother and Father are the Brahma Kumars and Kumaris. By keeping the importance of this life in your awareness, you play special parts, hero parts on the special stage.
Slogan:To know the importance of the word “point”, to become a point and to remember the Father, the Point, is to be a yogi.
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