Published by – Bk Ganapati
Category - Religion, Ethics , Spirituality & New Age & Subcategory - BK Murali Aug 2018
Summary - Satya Shree Trimurti Shiv Bhagawanubach Shrimad Bhagawat Geeta. Month - AUG-2018 ( Daily Murali - Prajapita Brahmakumaris - Magic Flute )
Who can see this article:- All
Your last visit to this page was @ 2018-09-19 23:50:33
Create/ Participate in Quiz Test
See results
Show/ Hide Table of Content of This Article
A |
Article Rating
|
Participate in Rating,
See Result
|
Achieved( Rate%:- NAN%, Grade:- -- ) |
B | Quiz( Create, Edit, Delete ) |
Participate in Quiz,
See Result
|
Created/ Edited Time:- 07-09-2018 17:27:02 |
C | Survey( Create, Edit, Delete) | Participate in Survey, See Result | Created Time:- |
D |
Page No | Photo | Page Name | Count of Characters | Date of Last Creation/Edit |
---|---|---|---|---|
1 | Murali 01-Aug- 2018 | 125037 | 2018-09-07 17:27:03 | |
2 | Murali 02-Aug- 2018 | 115306 | 2018-09-07 17:27:03 | |
3 | Murali 03-Aug- 2018 | 122767 | 2018-09-07 17:27:03 | |
4 | Murali 04-Aug- 2018 | 131649 | 2018-09-07 17:27:03 | |
5 | Murali 05-Aug- 2018 | 122005 | 2018-09-07 17:27:03 | |
6 | Murali 06-Aug- 2018 | 122804 | 2018-09-07 17:27:03 | |
7 | Murali 07-Aug- 2018 | 120104 | 2018-09-07 17:27:03 | |
8 | Murali 08-Aug- 2018 | 127824 | 2018-09-07 17:27:03 | |
9 | Murali 09-Aug- 2018 | 127466 | 2018-09-07 17:27:03 | |
10 | Murali 10-Aug- 2018 | 121746 | 2018-09-07 17:27:03 | |
11 | Murali 11-Aug- 2018 | 122692 | 2018-09-07 17:27:03 | |
12 | Murali 12-Aug- 2018 | 111683 | 2018-09-07 17:27:03 | |
13 | Murali 13-Aug- 2018 | 123920 | 2018-09-07 17:27:03 | |
14 | Murali 14-Aug- 2018 | 111398 | 2018-09-07 17:27:03 | |
15 | Murali 15-Aug- 2018 | 128503 | 2018-09-07 17:27:03 | |
16 | Murali 16-Aug- 2018 | 127280 | 2018-09-07 17:27:03 | |
17 | Murali 17-Aug- 2018 | 107136 | 2018-09-07 17:27:03 | |
18 | Murali 18-Aug- 2018 | 120726 | 2018-09-07 17:27:03 | |
19 | Murali 19-Aug- 2018 | 108991 | 2018-09-07 17:27:03 | |
20 | Murali 20-Aug- 2018 | 124686 | 2018-09-07 17:27:03 | |
21 | Murali 21-Aug- 2018 | 119352 | 2018-09-07 17:27:03 | |
22 | Murali 22-Aug- 2018 | 131894 | 2018-09-07 17:27:03 | |
23 | Murali 23-Aug- 2018 | 124657 | 2018-09-07 17:27:03 | |
24 | Murali 24-Aug- 2018 | 130080 | 2018-09-07 17:27:03 | |
25 | Murali 25-Aug- 2018 | 132241 | 2018-09-07 17:27:03 | |
26 | Murali 26-Aug- 2018 | 132051 | 2018-09-07 17:27:03 | |
27 | Murali 27-Aug- 2018 | 125337 | 2018-09-07 17:27:03 | |
28 | Murali 28-Aug- 2018 | 119723 | 2018-09-07 17:27:03 | |
29 | Murali 29-Aug- 2018 | 114297 | 2018-09-07 17:27:03 | |
30 | Murali 30-Aug- 2018 | 124625 | 2018-09-07 17:27:04 | |
31 | Murali 31-Aug- 2018 | 109921 | 2018-09-07 17:27:04 |
Rating for Article:– Prajapita Brahma kumaris Murali - Aug- 2018 ( UID: 180907052613 )
Rating Module ( How to get good rate? See Tips )
If an article has achieved following standard than it is accepted as a good article to promote. Article Grade will be automatically promoted to A grade. (1) Count of characters: >= 2500
(2) Writing Originality Grand total score: >= 75%
(3) Grand Total score: >= 75%
(4) Count of raters: >= 5 (including all group member (mandatory) of specific group)
(5) Language of Article = English
(6) Posted/ Edited date of Article <= 15 Days
(7) Article Heading score: >=50%
(8) Article Information Score: >50%
If the article scored above rate than A grade and also if it belongs to any of the below category of article than it is specially to made Dotted underlined "A Grade". This Article Will be chosen for Web Award.
Category of Article: Finance & banking, Insurance, Technology, Appliance, Vehicle related, Gadgets, software, IT, Income, Earning, Trading, Sale & purchase, Affiliate, Marketing, Medicine, Pharmaceuticals, Hospital, Money, Fashion, Electronics & Electricals, Jobs & Job work, Real estate, Rent Related, Advertising, Travel, Matrimonial, Marriage, Doctor, Food & beverages, Dining, Furniture & assets, Jewellery, ornaments, Gold, Diamond, Silver, Computer, Men Wear, Women’s wear, Dress, style, movie, film, entertainment.
* Give score to this article. Writer has requested to give score/ rating to this article.( Select rating from below ).
* Please give rate to all queries & submit to see final grand total result.
SN | Name Parameters For Grading | Achievement (Score) | Minimum Limit for A grade | Calculation of Mark |
---|---|---|---|---|
1 | Count of Raters ( Auto Calculated ) | 0 | 5 | 0 |
2 | Total Count of Characters in whole Articlein all pages.( Auto Calculated ) | 3787901 | 2500 | 1 |
3 | Count of Days from Article published date or, Last Edited date ( Auto Calculated ) | 2267 | 15 | 0 |
4 | Article informative score ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 40% | 0 |
5 | Total % secured for Originality of Writings for this Article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 60% | 0 |
6 | Total Score of Article heading suitability to the details description in Pages. ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 50% | 0 |
7 | Grand Total Score secured on over all article ( Calculated from Rating score Table ) | NAN% | 55% | 0 |
Grand Total Score & Article Grade | --- |
SI | Score Rated by Viewers | Rating given by (0) Users |
---|---|---|
(a) | Topic Information:- | NAN% |
(b) | Writing Skill:- | NAN% |
(c) | Grammer:- | NAN% |
(d) | Vocabulary Strength:- | NAN% |
(e) | Choice of Photo:- | NAN% |
(f) | Choice of Topic Heading:- | NAN% |
(g) | Keyword or summary:- | NAN% |
(h) | Material copied - Originality:- | NAN% |
Your Total Rating & % | NAN% |
Show/ Hide Rating Result
Details ( Page:- Murali 15-Aug- 2018 )
15-08-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - जब तुम बाप की गोद में आते हो तो यह दुनिया ही ख़त्म हो जाती है, तुम्हारा अगला जन्म नई दुनिया में होता है इसलिये कहावत है - आप मुये मर गई दुनिया"
प्रश्नः-
किस एक रस्म के आधार पर बाप के अवतरण को सिद्ध कर सकते हो?
उत्तर:-
भारत में हर वर्ष पित्र खिलाने की रस्म चली आई है, किसी ब्राह्मण में आत्मा को बुलाते हैं, फिर उनसे बातें करते हैं, उसकी आश पूछते हैं। अब शरीर तो आता नहीं, आत्मा ही आती है। यह भी ड्रामा में नूँध है। जैसे आत्मा प्रवेश कर सकती है वैसे ही परमात्मा का भी अवतरण होता है, यह तुम बच्चे सिद्ध कर समझा सकते हो।
गीत:-
मरना तेरी गली में.....
ओम् शान्ति।
यह भी गायन है इस समय का, जो फिर भक्ति मार्ग में चला आता है। इस समय जबकि तुम बाप के पास जीते जी मरते हो तो बरोबर सारी दुनिया ही ख़त्म हो जाती है। अज्ञान काल में मनुष्य मरते हैं तो इस ही दुनिया में जन्म लेते हैं। दुनिया कायम है। कहावत है - आप मुये मर गई दुनिया। परन्तु उनके मरने से दुनिया का विनाश तो नहीं हो जाता। इस ही दुनिया में फिर जन्म लेना पड़ता है। तुम मरेंगे तो यह दुनिया भी ख़त्म हो जायेगी। तुम जानते हो हम फिर नई दुनिया में आयेंगे। यह सिर्फ तुम ब्राह्मण ही जानते हो। ईश्वर का बच्चा होने से हमको सतयुग का बर्थ राइट मिलता है, स्वर्ग की बादशाही मिलती है। नर्क ख़त्म हो जाता है। इसमें कोई मेहनत नहीं है। सिर्फ बाप को याद करना है। मनुष्य जब कोई मरते हैं तब उसको कहते हैं राम-राम कहो। पिछाड़ी में उठाते समय कहते हैं - राम नाम सत्य है। यह भगवान् को ही कहते हैं। राम-नाम सत है अर्थात् परमपिता परमात्मा जो सत है, उसका ही नाम लेना चाहिये। माला भी राम-राम कह सिमरते हैं। यह राम नाम की धुनि ऐसी लगाते हैं जैसे कोई साज़ बजता है। तुम बच्चों को बाप समझाते हैं कि कोई भी आवाज़ नहीं करना है, सिर्फ बुद्धि से याद करना है। तुम जानते हो जीते जी ईश्वर की गोद में आने से फिर यह दु:ख रूपी दुनिया ख़त्म हो जाती है। बाबा, हम आपके गले का हार बन जायेंगे। गाया भी जाता है रुद्र माला। राम माला नहीं कहा जाता है। तुम रुद्र माला में पिरोने के लिए इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में बैठे हो, कल्प पहले मुआफिक। दूसरा कोई सत्संग नहीं, जहाँ ऐसे समझते हो कि हम ईश्वर बाप के गले में पिरोयेंगे। बाप से तो जरूर वर्सा मिलेगा। बाप कौन कहता है? आत्मा। आत्मा में ही बुद्धि है ना। बुद्धि समझती है फिर कहती है, पहले संकल्प आता है फिर कर्मेन्द्रियों से कहा जाता है। बरोबर हम बाबा के बने हैं, बाबा के ही होकर रहेंगे। इस अन्तिम जन्म में गॉड फादर कहते हैं ना। फिर पूछो तुम्हारे में गॉड फादर की नॉलेज है? तो कहेंगे गॉड तो सर्वव्यापी है। बोलो, तुम्हारी आत्मा कहती है परमपिता, तो पिता सर्वव्यापी कैसे होगा? बच्चे में बाप आ गया क्या? बाप को सर्वव्यापी कहना बिल्कुल रांग है। यह बातें बहुत अच्छी रीति समझकर फिर समझाना है।
रुद्र ज्ञान यज्ञ तो मशहूर है। रुद्र है निराकार। कृष्ण तो साकार है। आखरीन भगवान् किसको कहा जाये? कृष्ण को तो नहीं कह सकते। मनुष्य तो बहुत भोले होते हैं। कह देते हैं - गॉड इज़ ओमनी प्रेजन्ट। बाप तो अपने घर में ही रहता है, और कहाँ रहेगा? अब बाप इस बेहद के घर में आया हुआ है। यहाँ विराजमान है। कहते हैं कि मैंने इसमें प्रवेश किया है। जैसे ब्राह्मणों में पित्रों को बुलाते हैं। समझो, कोई अपने बाप के पित्र को खिलाते हैं तो आत्मा कहेगी कि मैं इनमें आया हुआ हूँ। मैंने इसमें प्रवेश किया हुआ है, कुछ पूछना हो तो पूछो। आगे पित्रों को बुलाने का बहुत रिवाज था। पित्र तो आत्मा है ना। पित्र को यानी आत्मा को खिलाया जाता है। कहेंगे आज हमारे दादे का पित्र है, आज फलाने का पित्र है। तो आत्मा को बुलाया जाता है, खिलाया जाता है। समझो किसका स्त्री से प्यार है, शरीर छोड़ दिया तो उसकी आत्मा को बुलाते हैं। कहते हैं हमने हीरे की फुल्ली पहनाने का वायदा किया था, तो ब्राह्मण को बुलाकर उनको हीरे की फुल्ली पहनाते हैं। बुलाया तो आत्मा को। शरीर थोड़ेही आयेगा। यह रस्म भारत में ही है। जैसे तुम सूक्ष्मवतन में जाते हो, कोई मर गया, उनका भोग लगाते हो तो सूक्ष्मवतन में वह आत्मा आती है। यह है बिल्कुल नई बातें। जब तक कोई अच्छी रीति समझ न जाये तब तक मनुष्यों को संशय पड़ता है कि यह क्या करते हैं?, ब्राह्मणों की रस्म-रिवाज देखो कैसी है! सभी मन्दिरों आदि में भोग लगाते हैं। पित्र को भोग लगाते हैं। गुरुनानक की आत्मा को भोग लगाया, अब वह कहाँ है? यह समझ नहीं सकते। तुम तो जानते हो जिन्होंने धर्म स्थापन किया हुआ है, वह सब यहाँ हैं। जैसे बाबा कहते हैं मैं तो ब्राह्मण धर्म स्थापन करता हूँ। यह तो पतित-पावन है। पावन आत्मा ही आकर धर्म स्थापन करती है। परन्तु सतोप्रधान आत्मा को फिर सतो, रजो, तमो में आना ही है। इस समय सभी आत्मायें कब्रदाखिल हैं। बाबा तो है ही पतित-पावन। वह कभी कब्रदाखिल नहीं होते। मनुष्य को पतित-पावन नहीं कहेंगे। पतित-पावन माना सारी दुनिया का पतित-पावन। पतित दुनिया को पावन बनाने वाला एक बाप के सिवाए कोई हो नहीं सकता। वह तो आते हैं अपने-अपने धर्म स्थापन करने। क्रिश्चियन धर्म का सारा सिजरा वहाँ है। पहले क्राइस्ट आया फिर उनके पिछाड़ी सब आते रहेंगे, वृद्धि को पाते रहेंगे। वह कोई पतित को पावन नहीं बनाते। नम्बरवार उन्हों की संख्या आती है। पतित-पावन तो इस समय चाहिए, जबकि सभी कब्रदाखिल हो जाते हैं। सबको पावन बनाने वाला एक वही है।
यह तुम समझते हो बरोबर इस समय सारी दुनिया जड़जड़ीभूत है। बनेन ट्री का मिसाल देते हैं, बहुत बड़ा झाड़ है, उसका फाउन्डेशन सड़ा हुआ है, बाकी टाल-टालियां सारी खड़ी हैं। यह भी झाड़ है। देवी-देवता धर्म का जो फाउन्डेशन है, उनकी जड़ एकदम कट गई है। बाकी सब हैं। बीज हो तो फिर से स्थापन करे ना। बाप कहते हैं, मैं फिर से आकर स्थापना कराता हूँ। ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा विनाश। बरोबर अनेक धर्मों का विनाश हुआ था। महाभारत लड़ाई के समय जो राजयोग सीखे, उनकी फिर राजधानी स्थापन हो गई। तुम जानते हो अभी हम बाप के पास जायेंगे फिर नई दुनिया में आयेंगे। फिर झाड़ वृद्धि को पाता जायेगा। देवी-देवता धर्म जो था वह प्राय:लोप हो गया है। बाप कहते हैं मैं फिर से आकर आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करता हूँ। भारत जो ऊंचे ते ऊंच था उनको अब ग्रहण लगा हुआ है। काम चिता पर बैठने से इस समय तुम्हारी आत्मा काली हो गई है। अब फिर तुम ज्ञान चिता पर बैठ गोरे बनते हो। तुम जो श्याम बन गये थे, श्याम को सुन्दर गोरा बनाने वाला है परमपिता परमात्मा। उनकी श्रीमत मिलती है। परमपिता परमात्मा की आत्मा एवर प्योर गोरी है। आत्मा में ही खाद पड़ती है। (सोने का मिसाल) अभी तुम जानते हो - इस पुरानी दुनिया का विनाश होना है, सभी का मौत है। फिर तुमको कहने वाला कोई नहीं रहेगा कि राम-राम कहो। अब देखो, नेहरू मरा तो उनकी राख को सब जगह गिराया। समझा, अच्छी खाद मिलेगी। झाड़ में कीड़ा आदि पड़ जाता है तो उसमें राख डालते हैं। अभी इस सारी पृथ्वी को कितनी राख मिलेगी। बड़े-बडे सन्यासी-महात्माएं मरते हैं तो उन्हों की राख ऐसे नहीं डालते हैं। सबसे उत्तम हैं सन्यासी। अभी तो कितने मरेंगे! कितनी खाद मिलेगी! तो क्यों नहीं सृष्टि फर्स्ट क्लास अनाज आदि देगी। सतयुग में सब हरे भरे सब्ज होते हैं। इस सृष्टि को नया बनाने में टाइम लगता है। तुम सूक्ष्मवतन में जाते हो, कितने बड़े-बड़े फल तुमको दिखाते हैं, शूबीरस पिलाते हैं। तुम विचार करो - कितनी खाद मिलेगी! सो भी ख़ास भारत को। वहाँ कितनी अच्छी-अच्छी चीजें निकलेंगी नई दुनिया के लिये। खाद पड़कर सारी दुनिया नई हो जायेगी। सूक्ष्मवतन में बैकुण्ठ का शूबीरस तुमको पिलाते हैं। बगीचे आदि का साक्षात्कार कराते हैं। बच्चों ने साक्षात्कार किया है। शूबीरस पीकर आते हैं। प्रिन्स-प्रिन्सेस बगीचे से फल ले आते थे। अब सूक्ष्मवतन में तो बगीचा हो न सके। जरूर बैकुण्ठ में गये होंगे। एक-एक को साक्षात्कार नहीं करायेंगे। जो निमित्त बनते हैं, उनको साक्षात्कार कराते हैं। हो सकता है अगर तुम याद में रहेंगे, बाबा के बच्चे बनकर रहेंगे तो पिछाड़ी में तुमको भी साक्षात्कार होगा। यह तो पहले गऊशाला बननी थी, भट्ठी में पकना था तो बहुत आ गये।
बच्चों को समझाया है सिर्फ कोई को लिटरेचर देने से समझ नहीं सकेंगे। समझाने वाला टीचर जरूर चाहिए। टीचर सेकेण्ड में समझायेगा - यह तुम्हारा बाबा है, यह दादा है, यह बेहद का बाप स्वर्ग का रचयिता है। सिर्फ कोई को लिटरेचर दिया तो देखकर फेंक देंगे, कुछ भी समझेंगे नहीं। इतना जरूर समझाना है कि बाप आया है। यह ढिंढोरा पिटवाना तुम्हारा फ़र्ज है। बरोबर यादव-कौरव भी हैं, महाभारी लड़ाई भी सामने खड़ी है। जरूर राजयोग सिखलाने वाला भी होगा। जरूर स्वर्ग की स्थापना भी होगी। एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश होगा। तुम जानते हो हम नर से नारायण, नारी से लक्ष्मी बनते हैं। यह है हमारी एम ऑब्जेक्ट। मनुष्य से देवता किये करत न लागी वार। देवता सिर्फ सूर्यवंशी को कहा जाता है। चन्द्रवंशी को क्षत्रिय कहा जाता है। पहले तो देवता बनना चाहिए ना। नापास होने से क्षत्रिय हो जाते हैं। तो बाप कहते हैं - मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे। कितने ढेर सिकीलधे बच्चे हैं! देखो, किसका बच्चा गुम हो जाता है, 6-8 मास के बाद आकर मिलता है तो कितना प्यार से आकर मिलेगा! बाप को कितनी खुशी होगी! यह बाप भी कहते हैं - लाडले सिकीलधे बच्चे, तुम 5 हजार वर्ष के बाद आकर मिले हो। लाडले बच्चे, तुम बिछुड़ गये थे, अब फिर आकर मिले हो बेहद का वर्सा लेने लिये। डीटी वर्ल्ड सावरन्टी इज योर गॉड फादरली बर्थ राइट। बाबा तुमको बेहद की बादशाही देने आया है। यह है हेविनली गॉड फादर। कहते हैं तुम बच्चों के लिये कितनी बड़ी सौगात लाई है! परन्तु इतना लायक बनना है, श्रीमत पर चलना है। मम्मा-बाबा कहकर फिर अगर भूल जाये या फ़ारकती दे तो गले का हार नहीं बनेंगे। बच्चों को कितना प्यार किया जाता है! बाप बच्चों को सिर पर रखते हैं। बेहद के बाप को कितने बच्चे हैं। बाबा कितना ऊंच माथे पर चढ़ाते हैं। पांव में जो गिरे हुए हैं उन्हों को माथे पर चढ़ाते हैं। तो कितना खुशी में रहना चाहिये! और श्रीमत पर चलना चाहिए। एक की श्रीमत पर चलना है। अपनी मनमत पर चला तो यह मरा। श्रीमत पर चलेंगे तो श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मनुष्य अर्थात् देवता बनेंगे। बाबा पूछते हैं ना कि कितने नम्बर में पास होंगे? बाप भी कहते हैं सूर्यवंशी बनो। तो मम्मा-बाबा को फालो करना पड़े। आप समान स्वदर्शन चक्रधारी बनाना है। शिवबाबा के आगे ले आते हैं तो बाबा पूछते हैं कितने को आप समान बनाया है? कितने मजें की बातें हैं। तुम ही समझ सकते हो, नया कोई बिल्कुल ही नहीं समझ सकेगा कि यह कोई मनुष्य से देवता बनने की कॉलेज है। कोई को तो 7 रोज़ में बहुत अच्छा रंग चढ़ जाता है। कोई को बिल्कुल नहीं चढ़ता। बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पहली-पहली बात बच्चों को समझाई कि पहले सबको बोलो कि बेहद के बाप को जानते हो? कहते हैं - हाँ, वह मेरे में भी है, सर्वव्यापी है। फिर तो पूछने की दरकार ही नहीं है। जब बाप कहते हो तो बाप तुम्हारे में वा मेरे में कैसे हो सकता है? बाप से तो वर्सा लिया जाता है। तो पहले-पहले अल्फ़ पर समझाओ।
बाप कहते हैं - "मेरे सिकीलधे बच्चे।" ऐसे कोई साधू-सन्यासी कह न सके। तुम जानते हो बरोबर हम शिवबाबा के सिकीलधे बच्चे हैं, 5 हजार वर्ष के बाद फिर आकर मिले हैं स्वर्ग का वर्सा लेने लिये। जानते हो हम ही स्वर्ग के मालिक थे फिर हम ही बनते हैं। स्वर्ग में जाना जरूर है। फिर पुरुषार्थ अनुसार ऊंच पद पाना है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मात-पिता को फालो कर आप समान बनाने की सेवा करनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना और बनाना है।
2) बाप के गले का हार बनने के लिये बुद्धि से बाप को याद करना है, आवाज़ नहीं करनी है। याद की धुन में रहना है।
वरदान:-भाग्य और भाग्य विधाता बाप की स्मृति में रह भाग्य बांटने वाले फ्राकदिल महादानी भव
भाग्य विधाता बाप और भाग्य दोनों ही याद रहें तब औरों को भी भाग्यवान बनाने का उमंग-उत्साह रहेगा। जैसे भाग्यविधाता बाप ब्रह्मा द्वारा भाग्य बांटते हैं ऐसे आप भी दाता के बच्चे हो, भाग्य बांटते चलो। वे लोग कपड़ा बांटेंगे, अनाज बांटेंगे, कोई गिफ्ट देंगे.. लेकिन उससे कोई तृप्त नहीं हो सकते। आप भाग्य बांटो तो जहाँ भाग्य है वहाँ सब प्राप्तियां हैं। ऐसे भाग्य बांटने में फ्राकदिल, श्रेष्ठ महादानी बनो। सदा देते रहो।
स्लोगन:-जो एकनामी रहते और एकॉनामी से चलते हैं वही प्रभू प्रिय हैं।
15/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, when you go into the lap of the Father, this world ends. Your next birth will be in the new world and this is why there is the saying, "When you die, the world is dead to you."
Question:
On the basis of which one custom can you prove the incarnation of the Father?
Answer:
The custom of feeding departed spirits every year has continued in Bharat. They invoke a soul into a brahmin priest and speak to that soul. They ask the departed soul if he has any desires. The body doesn't come back, just the soul comes back. This too is fixed in the drama. Just as a soul can enter, in the same way, God's incarnation takes place. You children can explain and prove this.
Song:
To live in Your lane and to die in Your lane.
Om Shanti
This song is of this time and continues on the path of devotion. It is at this time, when you die alive with the Father, that the whole world also truly ends. On the path of ignorance, when human beings die, they take birth in this world. The world exists all the time. There is the saying, "When you die, the world is dead to you." However, when a person dies, the world isn't destroyed. That soul has to take birth again in this same world. When you die, this world too will end. You know that you will then go into the new world. Only you Brahmins know this. Because of being children of God, you receive the birthright of the golden age; you receive the sovereignty of heaven; hell comes to an end. There is no effort in this. You simply have to remember the Father. When a person is dying, people tell him to chant the name of Rama. Finally, when they pick up the corpse, they chant, "The name of Rama is the Truth". They say of God: The name of Rama is the Truth. That is, they take the name of the Supreme Father, the Supreme Soul, who is the Truth. They turn the beads of a rosary whilst chanting the name of Rama. They continuously chant the name of Rama in such a way that it is as though they are playing music. The Father is explaining to you children: You don't have to make any sound. Simply keep remembrance of Me in your intellects. You know that by your going into God's lap whilst alive, this world of sorrow ends for you. Baba, I will become a garland around Your neck. The rosary of Rudra is remembered. It is not said, “The rosary of Rama”. You are sitting in this sacrificial fire of knowledge as you did in the previous cycle in order to be threaded in the rosary of Rudra. There is no other spiritual gathering where you would understand that you will become the garland around the neck of God, the Father. You definitely receive the inheritance from the Father. Who says, "Father"? The soul. The intellect is in the soul. Your intellect understands and then says something. First a thought arises and then it is carried out by the physical organs. Truly, I belong to Baba and will remain belonging to Baba. In this last birth, you call Him, “God, the Father”. So, ask them: Do you have knowledge of God, the Father? They would reply: God is omnipresent. Tell them: You, the soul, say, "Supreme Father", so how can the Father be omnipresent? Did the Father enter the child? To call the Father omnipresent is totally wrong. Understand these things very clearly and then explain to others. The sacrificial fire of the knowledge of Rudra is very well known. Rudra is incorporeal. Krishna is a corporeal being. Ultimately, who would be called God? Krishna cannot be called that. People are very innocent. They say: God is omnipresent. The Father resides in His own home. Where else would He reside? The Father has now come into this unlimited home. He is present here. He says: I have entered this one, just like departed spirits are invoked into brahmin priests. For instance, when the departed spirit of someone's father is fed, he would say: I have entered this one. I have entered this one, and so if you want to ask anything, you can do so. In earlier days, the system of invoking departed spirits was very popular. A departed spirit is also just a soul. They feed the departed spirit, that is, the soul. They would say: Today, we are feeding everyone because of the departed spirit of my grandfather or of so-and-so. Therefore, the soul is invoked and fed. Someone who loved his wife would call her departed soul back after she had died. He would say: I promised her a diamond nose stud. Therefore, he would invoke her into a brahmin priest and give her a diamond nose stud through him. He would call the soul; the body doesn’t come. This custom only exists in Bharat. It is just as when you go to the subtle region and offer bhog to someone who has died, that soul comes into the subtle region. These things are completely new. Until people understand very clearly, they have doubts as to what they (the brahmins) are doing. Look at the systems and customs of brahmin priests. Bhog is offered in all the temples. They offer bhog to the departed spirits. They offer bhog to the soul of Guru Nanak, but where is he? They cannot understand this. You know that all those who established a religion are here, just as Baba says: I establish the Brahmin religion. He is the Purifier. Pure souls come and establish a religion. However, a satopradhan soul then has to go through the stages of sato, rajo and tamo. At this time, all souls are in the graveyard. Baba is the Purifier. He is never buried in the graveyard. Human beings cannot be called the Purifier. Purifier means the Purifier of the whole world. There cannot be anyone except the one Father who makes the impure world pure. Those people come to establish their own religions. The whole genealogical tree of the Christian religion is up there. Christ came first and then all the others followed him. Expansion continued to take place. He doesn't purify the impure. His population comes down, numberwise. The Purifier is needed at this time when everyone is buried in the graveyard. He alone is the One who purifies everyone. You understand that, truly, the whole world is totally decayed at this time. The example of the banyan tree is given. The tree is very large; its foundation is decayed but the branches and twigs are still there. This too is a tree. The roots of the foundation of the deity religion have been cut away. All the rest of the tree exists. If the Seed exists, He can carry out establishment once again. The Father says: I come and once again carry out establishment. Establishment takes place through Brahma and destruction takes place through Shankar. There truly was the destruction of the innumerable religions. Those who studied Raja Yoga at the time of the Mahabharat War then established their own kingdom. You know that you will now go to the Father and then come into the new world. The tree will then continue to grow. The deity religion that used to exist has disappeared. The Father says: I come and once again carry out establishment of the original, eternal deity religion. Bharat that was the highest on high is now eclipsed. By sitting on the pyre of lust, you souls have now become ugly. You are now sitting on the pyre of knowledge and are becoming beautiful. You had become ugly. It is the Supreme Father, the Supreme Soul, who makes ugly ones beautiful. You receive His shrimat. The soul of the Supreme Father, the Supreme Soul, is ever pure and beautiful. Alloy is mixed in souls (example of gold). You know that this old world is now to be destroyed and that everyone is to die. There won't then be anyone left behind to tell you: Chant the name of Rama. Look, when Nehru died, his ashes were scattered all over the fields. It was understood that the fields would receive very good fertiliser. When a tree is full of insects, they use ashes (like an insecticide) on them. This whole world will now receive so many ashes. When great sannyasis or great souls die, their ashes aren't thrown away. The highest of all are the sannyasis. So many will now die and so much fertiliser will be received. So, why would the earth not give first-class grain? In the golden age, everything is green and fresh. It takes time for this world to be made new. When you go to the subtle region, you are shown such big fruit and you are given mango juice to drink. So, just think how much fertiliser will be received, and specially Bharat will receive that. So many good things will emerge there in the new world. By receiving this fertiliser, the whole world will become new. You are given the mango juice of Paradise in the subtle region. You are granted visions of gardens etc. Some children have had visions of that world. They go there and drink mango juice. Princes and princesses used to fetch fruit from the gardens. However, there cannot be a garden in the subtle region. Surely, they must have gone to Paradise. A vision would not be granted to everyone. Those who become instruments are granted visions. It is possible that if you stay in remembrance, if you remain Baba's children, then, at the end, you too will have visions. This cow shed first had to be made. You had to be baked in the furnace and so many came then. It has been explained to you children that people will not understand simply by being given literature. A teacher who can explain to them is definitely needed. A teacher would explain in a second: This is your Baba and this is your Dada (elder brother) . This unlimited Father is the Creator of heaven. If you just give someone literature, he would look at it and then throw it away. He wouldn't understand anything. At the very least, you definitely have to explain that the Father has come. It is your duty to beat the drums for this. There are truly the Yadavas and the Kauravas and the great war is also just ahead. There must definitely be someone to teach Raja Yoga. There must also be establishment of heaven. There will be the establishment of the one religion and the destruction of innumerable religions. You know that you are changing from an ordinary man into Narayan and an ordinary woman into Lakshmi. This is our aim and objective. It didn't take God long to change human beings into deities. Only those of the sun dynasty are called deities. Those of the moon dynasty are called warriors. You first of all have to become deities. By failing, you become warriors. The Father says: Sweetest beloved, long-lost and now-found children. There are so many long-lost and now-found children. Look, when someone's child is lost and then found after six to eight months, he is greeted with so much love; his father would be so happy. This Father also says: Beloved, long-lost and now-found children, you have come and met Me after 5000 years. Beloved children, you became separated and you have now met Me in order to claim your unlimited inheritance. Deity world sovereignty is your Godfatherly birthright. Baba has come to give you the unlimited sovereignty. That One is Heavenly God, the Father. He says: I have brought such a big gift for you children. However, you have to become worthy of it. You have to follow shrimat. If, after saying, "Mama, Baba", you forget Him or you divorce Him, you won't be able to become a garland around the neck. Children are loved so much. A father puts his children on his head. This unlimited Father has so many children. Baba places you so high on His head. He places on His head those who have fallen down to the feet. So, you should remain so happy. You should follow shrimat. You have to follow the shrimat of One. If you follow your own dictates, you die. If you follow shrimat you will become the most elevated human beings, that is, deities. Baba asks you, “With which number will you pass?”. The Father also says: Become part of the sun dynasty. Therefore, for this, you have to follow Mama and Baba. You have to make others into spinners of the discus of self-realisation, like yourselves. When you bring others in front of Shiv Baba, He asks you how many others you have made like yourselves. These are such enjoyable things. Only you can understand them. New ones would not be able to understand at all that this is a college for changing from human beings into deities. Some are coloured very well in seven days. Some are not coloured by it at all. A lot of effort has to be made. The first thing that is explained to you children is that you first of all have to ask everyone: Do you know the unlimited Father? They say: Yes, He is in me and in you; He is omnipresent. In that case, there is no need to ask them anything further. Since you say that He is the Father, how is it possible that He is in you and me? An inheritance is received from the Father. So, first of all, explain Alpha. The Father says: My long-lost and now-found children. None of the holy men or sannyasis can say this. You know that you truly are the long-lost and now-found children of Shiv Baba. You have come and met Him again after 5000 years in order to claim your inheritance of heaven. You know that you were the masters of heaven and that you are becoming that again. You definitely have to go to heaven. Then, you have to claim a high status according to your efforts. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Follow the mother and father and do the service of making others like yourselves. Become spinners of the discus of self-realisation and make others the same.
2. In order to become a garland around the neck of the Father, remember the Father with your intellect. Don't make any sound. Constantly stay in remembrance.
Blessing:
May you be a great, generous-hearted donor and donate fortune by staying in the awareness of your fortune and the Father, the Bestower of Fortune.
When you remember both the Father, the Bestower of Fortune and your fortune you will have the zeal and enthusiasm to make others fortunate. Just as the Father, the Bestower of Fortune, distributes fortune through Brahma, in the same way, you too are the children of the Bestower. Therefore, continue to distributes fortune. Those people distribute clothes, food and also gifts, but no one can become satisfied through those. You distribute fortune and where there is fortune, there are all attainments. In this way, become elevated, great donors and be generous hearted in distributing fortune. Constantly continue to give.
Slogan:Those who belong to the One and are also economical are loved by God.
"मीठे बच्चे - जब तुम बाप की गोद में आते हो तो यह दुनिया ही ख़त्म हो जाती है, तुम्हारा अगला जन्म नई दुनिया में होता है इसलिये कहावत है - आप मुये मर गई दुनिया"
प्रश्नः-
किस एक रस्म के आधार पर बाप के अवतरण को सिद्ध कर सकते हो?
उत्तर:-
भारत में हर वर्ष पित्र खिलाने की रस्म चली आई है, किसी ब्राह्मण में आत्मा को बुलाते हैं, फिर उनसे बातें करते हैं, उसकी आश पूछते हैं। अब शरीर तो आता नहीं, आत्मा ही आती है। यह भी ड्रामा में नूँध है। जैसे आत्मा प्रवेश कर सकती है वैसे ही परमात्मा का भी अवतरण होता है, यह तुम बच्चे सिद्ध कर समझा सकते हो।
गीत:-
मरना तेरी गली में.....
ओम् शान्ति।
यह भी गायन है इस समय का, जो फिर भक्ति मार्ग में चला आता है। इस समय जबकि तुम बाप के पास जीते जी मरते हो तो बरोबर सारी दुनिया ही ख़त्म हो जाती है। अज्ञान काल में मनुष्य मरते हैं तो इस ही दुनिया में जन्म लेते हैं। दुनिया कायम है। कहावत है - आप मुये मर गई दुनिया। परन्तु उनके मरने से दुनिया का विनाश तो नहीं हो जाता। इस ही दुनिया में फिर जन्म लेना पड़ता है। तुम मरेंगे तो यह दुनिया भी ख़त्म हो जायेगी। तुम जानते हो हम फिर नई दुनिया में आयेंगे। यह सिर्फ तुम ब्राह्मण ही जानते हो। ईश्वर का बच्चा होने से हमको सतयुग का बर्थ राइट मिलता है, स्वर्ग की बादशाही मिलती है। नर्क ख़त्म हो जाता है। इसमें कोई मेहनत नहीं है। सिर्फ बाप को याद करना है। मनुष्य जब कोई मरते हैं तब उसको कहते हैं राम-राम कहो। पिछाड़ी में उठाते समय कहते हैं - राम नाम सत्य है। यह भगवान् को ही कहते हैं। राम-नाम सत है अर्थात् परमपिता परमात्मा जो सत है, उसका ही नाम लेना चाहिये। माला भी राम-राम कह सिमरते हैं। यह राम नाम की धुनि ऐसी लगाते हैं जैसे कोई साज़ बजता है। तुम बच्चों को बाप समझाते हैं कि कोई भी आवाज़ नहीं करना है, सिर्फ बुद्धि से याद करना है। तुम जानते हो जीते जी ईश्वर की गोद में आने से फिर यह दु:ख रूपी दुनिया ख़त्म हो जाती है। बाबा, हम आपके गले का हार बन जायेंगे। गाया भी जाता है रुद्र माला। राम माला नहीं कहा जाता है। तुम रुद्र माला में पिरोने के लिए इस रुद्र ज्ञान यज्ञ में बैठे हो, कल्प पहले मुआफिक। दूसरा कोई सत्संग नहीं, जहाँ ऐसे समझते हो कि हम ईश्वर बाप के गले में पिरोयेंगे। बाप से तो जरूर वर्सा मिलेगा। बाप कौन कहता है? आत्मा। आत्मा में ही बुद्धि है ना। बुद्धि समझती है फिर कहती है, पहले संकल्प आता है फिर कर्मेन्द्रियों से कहा जाता है। बरोबर हम बाबा के बने हैं, बाबा के ही होकर रहेंगे। इस अन्तिम जन्म में गॉड फादर कहते हैं ना। फिर पूछो तुम्हारे में गॉड फादर की नॉलेज है? तो कहेंगे गॉड तो सर्वव्यापी है। बोलो, तुम्हारी आत्मा कहती है परमपिता, तो पिता सर्वव्यापी कैसे होगा? बच्चे में बाप आ गया क्या? बाप को सर्वव्यापी कहना बिल्कुल रांग है। यह बातें बहुत अच्छी रीति समझकर फिर समझाना है।
रुद्र ज्ञान यज्ञ तो मशहूर है। रुद्र है निराकार। कृष्ण तो साकार है। आखरीन भगवान् किसको कहा जाये? कृष्ण को तो नहीं कह सकते। मनुष्य तो बहुत भोले होते हैं। कह देते हैं - गॉड इज़ ओमनी प्रेजन्ट। बाप तो अपने घर में ही रहता है, और कहाँ रहेगा? अब बाप इस बेहद के घर में आया हुआ है। यहाँ विराजमान है। कहते हैं कि मैंने इसमें प्रवेश किया है। जैसे ब्राह्मणों में पित्रों को बुलाते हैं। समझो, कोई अपने बाप के पित्र को खिलाते हैं तो आत्मा कहेगी कि मैं इनमें आया हुआ हूँ। मैंने इसमें प्रवेश किया हुआ है, कुछ पूछना हो तो पूछो। आगे पित्रों को बुलाने का बहुत रिवाज था। पित्र तो आत्मा है ना। पित्र को यानी आत्मा को खिलाया जाता है। कहेंगे आज हमारे दादे का पित्र है, आज फलाने का पित्र है। तो आत्मा को बुलाया जाता है, खिलाया जाता है। समझो किसका स्त्री से प्यार है, शरीर छोड़ दिया तो उसकी आत्मा को बुलाते हैं। कहते हैं हमने हीरे की फुल्ली पहनाने का वायदा किया था, तो ब्राह्मण को बुलाकर उनको हीरे की फुल्ली पहनाते हैं। बुलाया तो आत्मा को। शरीर थोड़ेही आयेगा। यह रस्म भारत में ही है। जैसे तुम सूक्ष्मवतन में जाते हो, कोई मर गया, उनका भोग लगाते हो तो सूक्ष्मवतन में वह आत्मा आती है। यह है बिल्कुल नई बातें। जब तक कोई अच्छी रीति समझ न जाये तब तक मनुष्यों को संशय पड़ता है कि यह क्या करते हैं?, ब्राह्मणों की रस्म-रिवाज देखो कैसी है! सभी मन्दिरों आदि में भोग लगाते हैं। पित्र को भोग लगाते हैं। गुरुनानक की आत्मा को भोग लगाया, अब वह कहाँ है? यह समझ नहीं सकते। तुम तो जानते हो जिन्होंने धर्म स्थापन किया हुआ है, वह सब यहाँ हैं। जैसे बाबा कहते हैं मैं तो ब्राह्मण धर्म स्थापन करता हूँ। यह तो पतित-पावन है। पावन आत्मा ही आकर धर्म स्थापन करती है। परन्तु सतोप्रधान आत्मा को फिर सतो, रजो, तमो में आना ही है। इस समय सभी आत्मायें कब्रदाखिल हैं। बाबा तो है ही पतित-पावन। वह कभी कब्रदाखिल नहीं होते। मनुष्य को पतित-पावन नहीं कहेंगे। पतित-पावन माना सारी दुनिया का पतित-पावन। पतित दुनिया को पावन बनाने वाला एक बाप के सिवाए कोई हो नहीं सकता। वह तो आते हैं अपने-अपने धर्म स्थापन करने। क्रिश्चियन धर्म का सारा सिजरा वहाँ है। पहले क्राइस्ट आया फिर उनके पिछाड़ी सब आते रहेंगे, वृद्धि को पाते रहेंगे। वह कोई पतित को पावन नहीं बनाते। नम्बरवार उन्हों की संख्या आती है। पतित-पावन तो इस समय चाहिए, जबकि सभी कब्रदाखिल हो जाते हैं। सबको पावन बनाने वाला एक वही है।
यह तुम समझते हो बरोबर इस समय सारी दुनिया जड़जड़ीभूत है। बनेन ट्री का मिसाल देते हैं, बहुत बड़ा झाड़ है, उसका फाउन्डेशन सड़ा हुआ है, बाकी टाल-टालियां सारी खड़ी हैं। यह भी झाड़ है। देवी-देवता धर्म का जो फाउन्डेशन है, उनकी जड़ एकदम कट गई है। बाकी सब हैं। बीज हो तो फिर से स्थापन करे ना। बाप कहते हैं, मैं फिर से आकर स्थापना कराता हूँ। ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा विनाश। बरोबर अनेक धर्मों का विनाश हुआ था। महाभारत लड़ाई के समय जो राजयोग सीखे, उनकी फिर राजधानी स्थापन हो गई। तुम जानते हो अभी हम बाप के पास जायेंगे फिर नई दुनिया में आयेंगे। फिर झाड़ वृद्धि को पाता जायेगा। देवी-देवता धर्म जो था वह प्राय:लोप हो गया है। बाप कहते हैं मैं फिर से आकर आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करता हूँ। भारत जो ऊंचे ते ऊंच था उनको अब ग्रहण लगा हुआ है। काम चिता पर बैठने से इस समय तुम्हारी आत्मा काली हो गई है। अब फिर तुम ज्ञान चिता पर बैठ गोरे बनते हो। तुम जो श्याम बन गये थे, श्याम को सुन्दर गोरा बनाने वाला है परमपिता परमात्मा। उनकी श्रीमत मिलती है। परमपिता परमात्मा की आत्मा एवर प्योर गोरी है। आत्मा में ही खाद पड़ती है। (सोने का मिसाल) अभी तुम जानते हो - इस पुरानी दुनिया का विनाश होना है, सभी का मौत है। फिर तुमको कहने वाला कोई नहीं रहेगा कि राम-राम कहो। अब देखो, नेहरू मरा तो उनकी राख को सब जगह गिराया। समझा, अच्छी खाद मिलेगी। झाड़ में कीड़ा आदि पड़ जाता है तो उसमें राख डालते हैं। अभी इस सारी पृथ्वी को कितनी राख मिलेगी। बड़े-बडे सन्यासी-महात्माएं मरते हैं तो उन्हों की राख ऐसे नहीं डालते हैं। सबसे उत्तम हैं सन्यासी। अभी तो कितने मरेंगे! कितनी खाद मिलेगी! तो क्यों नहीं सृष्टि फर्स्ट क्लास अनाज आदि देगी। सतयुग में सब हरे भरे सब्ज होते हैं। इस सृष्टि को नया बनाने में टाइम लगता है। तुम सूक्ष्मवतन में जाते हो, कितने बड़े-बड़े फल तुमको दिखाते हैं, शूबीरस पिलाते हैं। तुम विचार करो - कितनी खाद मिलेगी! सो भी ख़ास भारत को। वहाँ कितनी अच्छी-अच्छी चीजें निकलेंगी नई दुनिया के लिये। खाद पड़कर सारी दुनिया नई हो जायेगी। सूक्ष्मवतन में बैकुण्ठ का शूबीरस तुमको पिलाते हैं। बगीचे आदि का साक्षात्कार कराते हैं। बच्चों ने साक्षात्कार किया है। शूबीरस पीकर आते हैं। प्रिन्स-प्रिन्सेस बगीचे से फल ले आते थे। अब सूक्ष्मवतन में तो बगीचा हो न सके। जरूर बैकुण्ठ में गये होंगे। एक-एक को साक्षात्कार नहीं करायेंगे। जो निमित्त बनते हैं, उनको साक्षात्कार कराते हैं। हो सकता है अगर तुम याद में रहेंगे, बाबा के बच्चे बनकर रहेंगे तो पिछाड़ी में तुमको भी साक्षात्कार होगा। यह तो पहले गऊशाला बननी थी, भट्ठी में पकना था तो बहुत आ गये।
बच्चों को समझाया है सिर्फ कोई को लिटरेचर देने से समझ नहीं सकेंगे। समझाने वाला टीचर जरूर चाहिए। टीचर सेकेण्ड में समझायेगा - यह तुम्हारा बाबा है, यह दादा है, यह बेहद का बाप स्वर्ग का रचयिता है। सिर्फ कोई को लिटरेचर दिया तो देखकर फेंक देंगे, कुछ भी समझेंगे नहीं। इतना जरूर समझाना है कि बाप आया है। यह ढिंढोरा पिटवाना तुम्हारा फ़र्ज है। बरोबर यादव-कौरव भी हैं, महाभारी लड़ाई भी सामने खड़ी है। जरूर राजयोग सिखलाने वाला भी होगा। जरूर स्वर्ग की स्थापना भी होगी। एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश होगा। तुम जानते हो हम नर से नारायण, नारी से लक्ष्मी बनते हैं। यह है हमारी एम ऑब्जेक्ट। मनुष्य से देवता किये करत न लागी वार। देवता सिर्फ सूर्यवंशी को कहा जाता है। चन्द्रवंशी को क्षत्रिय कहा जाता है। पहले तो देवता बनना चाहिए ना। नापास होने से क्षत्रिय हो जाते हैं। तो बाप कहते हैं - मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे। कितने ढेर सिकीलधे बच्चे हैं! देखो, किसका बच्चा गुम हो जाता है, 6-8 मास के बाद आकर मिलता है तो कितना प्यार से आकर मिलेगा! बाप को कितनी खुशी होगी! यह बाप भी कहते हैं - लाडले सिकीलधे बच्चे, तुम 5 हजार वर्ष के बाद आकर मिले हो। लाडले बच्चे, तुम बिछुड़ गये थे, अब फिर आकर मिले हो बेहद का वर्सा लेने लिये। डीटी वर्ल्ड सावरन्टी इज योर गॉड फादरली बर्थ राइट। बाबा तुमको बेहद की बादशाही देने आया है। यह है हेविनली गॉड फादर। कहते हैं तुम बच्चों के लिये कितनी बड़ी सौगात लाई है! परन्तु इतना लायक बनना है, श्रीमत पर चलना है। मम्मा-बाबा कहकर फिर अगर भूल जाये या फ़ारकती दे तो गले का हार नहीं बनेंगे। बच्चों को कितना प्यार किया जाता है! बाप बच्चों को सिर पर रखते हैं। बेहद के बाप को कितने बच्चे हैं। बाबा कितना ऊंच माथे पर चढ़ाते हैं। पांव में जो गिरे हुए हैं उन्हों को माथे पर चढ़ाते हैं। तो कितना खुशी में रहना चाहिये! और श्रीमत पर चलना चाहिए। एक की श्रीमत पर चलना है। अपनी मनमत पर चला तो यह मरा। श्रीमत पर चलेंगे तो श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मनुष्य अर्थात् देवता बनेंगे। बाबा पूछते हैं ना कि कितने नम्बर में पास होंगे? बाप भी कहते हैं सूर्यवंशी बनो। तो मम्मा-बाबा को फालो करना पड़े। आप समान स्वदर्शन चक्रधारी बनाना है। शिवबाबा के आगे ले आते हैं तो बाबा पूछते हैं कितने को आप समान बनाया है? कितने मजें की बातें हैं। तुम ही समझ सकते हो, नया कोई बिल्कुल ही नहीं समझ सकेगा कि यह कोई मनुष्य से देवता बनने की कॉलेज है। कोई को तो 7 रोज़ में बहुत अच्छा रंग चढ़ जाता है। कोई को बिल्कुल नहीं चढ़ता। बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पहली-पहली बात बच्चों को समझाई कि पहले सबको बोलो कि बेहद के बाप को जानते हो? कहते हैं - हाँ, वह मेरे में भी है, सर्वव्यापी है। फिर तो पूछने की दरकार ही नहीं है। जब बाप कहते हो तो बाप तुम्हारे में वा मेरे में कैसे हो सकता है? बाप से तो वर्सा लिया जाता है। तो पहले-पहले अल्फ़ पर समझाओ।
बाप कहते हैं - "मेरे सिकीलधे बच्चे।" ऐसे कोई साधू-सन्यासी कह न सके। तुम जानते हो बरोबर हम शिवबाबा के सिकीलधे बच्चे हैं, 5 हजार वर्ष के बाद फिर आकर मिले हैं स्वर्ग का वर्सा लेने लिये। जानते हो हम ही स्वर्ग के मालिक थे फिर हम ही बनते हैं। स्वर्ग में जाना जरूर है। फिर पुरुषार्थ अनुसार ऊंच पद पाना है। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) मात-पिता को फालो कर आप समान बनाने की सेवा करनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना और बनाना है।
2) बाप के गले का हार बनने के लिये बुद्धि से बाप को याद करना है, आवाज़ नहीं करनी है। याद की धुन में रहना है।
वरदान:-भाग्य और भाग्य विधाता बाप की स्मृति में रह भाग्य बांटने वाले फ्राकदिल महादानी भव
भाग्य विधाता बाप और भाग्य दोनों ही याद रहें तब औरों को भी भाग्यवान बनाने का उमंग-उत्साह रहेगा। जैसे भाग्यविधाता बाप ब्रह्मा द्वारा भाग्य बांटते हैं ऐसे आप भी दाता के बच्चे हो, भाग्य बांटते चलो। वे लोग कपड़ा बांटेंगे, अनाज बांटेंगे, कोई गिफ्ट देंगे.. लेकिन उससे कोई तृप्त नहीं हो सकते। आप भाग्य बांटो तो जहाँ भाग्य है वहाँ सब प्राप्तियां हैं। ऐसे भाग्य बांटने में फ्राकदिल, श्रेष्ठ महादानी बनो। सदा देते रहो।
स्लोगन:-जो एकनामी रहते और एकॉनामी से चलते हैं वही प्रभू प्रिय हैं।
15/08/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban
Sweet children, when you go into the lap of the Father, this world ends. Your next birth will be in the new world and this is why there is the saying, "When you die, the world is dead to you."
Question:
On the basis of which one custom can you prove the incarnation of the Father?
Answer:
The custom of feeding departed spirits every year has continued in Bharat. They invoke a soul into a brahmin priest and speak to that soul. They ask the departed soul if he has any desires. The body doesn't come back, just the soul comes back. This too is fixed in the drama. Just as a soul can enter, in the same way, God's incarnation takes place. You children can explain and prove this.
Song:
To live in Your lane and to die in Your lane.
Om Shanti
This song is of this time and continues on the path of devotion. It is at this time, when you die alive with the Father, that the whole world also truly ends. On the path of ignorance, when human beings die, they take birth in this world. The world exists all the time. There is the saying, "When you die, the world is dead to you." However, when a person dies, the world isn't destroyed. That soul has to take birth again in this same world. When you die, this world too will end. You know that you will then go into the new world. Only you Brahmins know this. Because of being children of God, you receive the birthright of the golden age; you receive the sovereignty of heaven; hell comes to an end. There is no effort in this. You simply have to remember the Father. When a person is dying, people tell him to chant the name of Rama. Finally, when they pick up the corpse, they chant, "The name of Rama is the Truth". They say of God: The name of Rama is the Truth. That is, they take the name of the Supreme Father, the Supreme Soul, who is the Truth. They turn the beads of a rosary whilst chanting the name of Rama. They continuously chant the name of Rama in such a way that it is as though they are playing music. The Father is explaining to you children: You don't have to make any sound. Simply keep remembrance of Me in your intellects. You know that by your going into God's lap whilst alive, this world of sorrow ends for you. Baba, I will become a garland around Your neck. The rosary of Rudra is remembered. It is not said, “The rosary of Rama”. You are sitting in this sacrificial fire of knowledge as you did in the previous cycle in order to be threaded in the rosary of Rudra. There is no other spiritual gathering where you would understand that you will become the garland around the neck of God, the Father. You definitely receive the inheritance from the Father. Who says, "Father"? The soul. The intellect is in the soul. Your intellect understands and then says something. First a thought arises and then it is carried out by the physical organs. Truly, I belong to Baba and will remain belonging to Baba. In this last birth, you call Him, “God, the Father”. So, ask them: Do you have knowledge of God, the Father? They would reply: God is omnipresent. Tell them: You, the soul, say, "Supreme Father", so how can the Father be omnipresent? Did the Father enter the child? To call the Father omnipresent is totally wrong. Understand these things very clearly and then explain to others. The sacrificial fire of the knowledge of Rudra is very well known. Rudra is incorporeal. Krishna is a corporeal being. Ultimately, who would be called God? Krishna cannot be called that. People are very innocent. They say: God is omnipresent. The Father resides in His own home. Where else would He reside? The Father has now come into this unlimited home. He is present here. He says: I have entered this one, just like departed spirits are invoked into brahmin priests. For instance, when the departed spirit of someone's father is fed, he would say: I have entered this one. I have entered this one, and so if you want to ask anything, you can do so. In earlier days, the system of invoking departed spirits was very popular. A departed spirit is also just a soul. They feed the departed spirit, that is, the soul. They would say: Today, we are feeding everyone because of the departed spirit of my grandfather or of so-and-so. Therefore, the soul is invoked and fed. Someone who loved his wife would call her departed soul back after she had died. He would say: I promised her a diamond nose stud. Therefore, he would invoke her into a brahmin priest and give her a diamond nose stud through him. He would call the soul; the body doesn’t come. This custom only exists in Bharat. It is just as when you go to the subtle region and offer bhog to someone who has died, that soul comes into the subtle region. These things are completely new. Until people understand very clearly, they have doubts as to what they (the brahmins) are doing. Look at the systems and customs of brahmin priests. Bhog is offered in all the temples. They offer bhog to the departed spirits. They offer bhog to the soul of Guru Nanak, but where is he? They cannot understand this. You know that all those who established a religion are here, just as Baba says: I establish the Brahmin religion. He is the Purifier. Pure souls come and establish a religion. However, a satopradhan soul then has to go through the stages of sato, rajo and tamo. At this time, all souls are in the graveyard. Baba is the Purifier. He is never buried in the graveyard. Human beings cannot be called the Purifier. Purifier means the Purifier of the whole world. There cannot be anyone except the one Father who makes the impure world pure. Those people come to establish their own religions. The whole genealogical tree of the Christian religion is up there. Christ came first and then all the others followed him. Expansion continued to take place. He doesn't purify the impure. His population comes down, numberwise. The Purifier is needed at this time when everyone is buried in the graveyard. He alone is the One who purifies everyone. You understand that, truly, the whole world is totally decayed at this time. The example of the banyan tree is given. The tree is very large; its foundation is decayed but the branches and twigs are still there. This too is a tree. The roots of the foundation of the deity religion have been cut away. All the rest of the tree exists. If the Seed exists, He can carry out establishment once again. The Father says: I come and once again carry out establishment. Establishment takes place through Brahma and destruction takes place through Shankar. There truly was the destruction of the innumerable religions. Those who studied Raja Yoga at the time of the Mahabharat War then established their own kingdom. You know that you will now go to the Father and then come into the new world. The tree will then continue to grow. The deity religion that used to exist has disappeared. The Father says: I come and once again carry out establishment of the original, eternal deity religion. Bharat that was the highest on high is now eclipsed. By sitting on the pyre of lust, you souls have now become ugly. You are now sitting on the pyre of knowledge and are becoming beautiful. You had become ugly. It is the Supreme Father, the Supreme Soul, who makes ugly ones beautiful. You receive His shrimat. The soul of the Supreme Father, the Supreme Soul, is ever pure and beautiful. Alloy is mixed in souls (example of gold). You know that this old world is now to be destroyed and that everyone is to die. There won't then be anyone left behind to tell you: Chant the name of Rama. Look, when Nehru died, his ashes were scattered all over the fields. It was understood that the fields would receive very good fertiliser. When a tree is full of insects, they use ashes (like an insecticide) on them. This whole world will now receive so many ashes. When great sannyasis or great souls die, their ashes aren't thrown away. The highest of all are the sannyasis. So many will now die and so much fertiliser will be received. So, why would the earth not give first-class grain? In the golden age, everything is green and fresh. It takes time for this world to be made new. When you go to the subtle region, you are shown such big fruit and you are given mango juice to drink. So, just think how much fertiliser will be received, and specially Bharat will receive that. So many good things will emerge there in the new world. By receiving this fertiliser, the whole world will become new. You are given the mango juice of Paradise in the subtle region. You are granted visions of gardens etc. Some children have had visions of that world. They go there and drink mango juice. Princes and princesses used to fetch fruit from the gardens. However, there cannot be a garden in the subtle region. Surely, they must have gone to Paradise. A vision would not be granted to everyone. Those who become instruments are granted visions. It is possible that if you stay in remembrance, if you remain Baba's children, then, at the end, you too will have visions. This cow shed first had to be made. You had to be baked in the furnace and so many came then. It has been explained to you children that people will not understand simply by being given literature. A teacher who can explain to them is definitely needed. A teacher would explain in a second: This is your Baba and this is your Dada (elder brother) . This unlimited Father is the Creator of heaven. If you just give someone literature, he would look at it and then throw it away. He wouldn't understand anything. At the very least, you definitely have to explain that the Father has come. It is your duty to beat the drums for this. There are truly the Yadavas and the Kauravas and the great war is also just ahead. There must definitely be someone to teach Raja Yoga. There must also be establishment of heaven. There will be the establishment of the one religion and the destruction of innumerable religions. You know that you are changing from an ordinary man into Narayan and an ordinary woman into Lakshmi. This is our aim and objective. It didn't take God long to change human beings into deities. Only those of the sun dynasty are called deities. Those of the moon dynasty are called warriors. You first of all have to become deities. By failing, you become warriors. The Father says: Sweetest beloved, long-lost and now-found children. There are so many long-lost and now-found children. Look, when someone's child is lost and then found after six to eight months, he is greeted with so much love; his father would be so happy. This Father also says: Beloved, long-lost and now-found children, you have come and met Me after 5000 years. Beloved children, you became separated and you have now met Me in order to claim your unlimited inheritance. Deity world sovereignty is your Godfatherly birthright. Baba has come to give you the unlimited sovereignty. That One is Heavenly God, the Father. He says: I have brought such a big gift for you children. However, you have to become worthy of it. You have to follow shrimat. If, after saying, "Mama, Baba", you forget Him or you divorce Him, you won't be able to become a garland around the neck. Children are loved so much. A father puts his children on his head. This unlimited Father has so many children. Baba places you so high on His head. He places on His head those who have fallen down to the feet. So, you should remain so happy. You should follow shrimat. You have to follow the shrimat of One. If you follow your own dictates, you die. If you follow shrimat you will become the most elevated human beings, that is, deities. Baba asks you, “With which number will you pass?”. The Father also says: Become part of the sun dynasty. Therefore, for this, you have to follow Mama and Baba. You have to make others into spinners of the discus of self-realisation, like yourselves. When you bring others in front of Shiv Baba, He asks you how many others you have made like yourselves. These are such enjoyable things. Only you can understand them. New ones would not be able to understand at all that this is a college for changing from human beings into deities. Some are coloured very well in seven days. Some are not coloured by it at all. A lot of effort has to be made. The first thing that is explained to you children is that you first of all have to ask everyone: Do you know the unlimited Father? They say: Yes, He is in me and in you; He is omnipresent. In that case, there is no need to ask them anything further. Since you say that He is the Father, how is it possible that He is in you and me? An inheritance is received from the Father. So, first of all, explain Alpha. The Father says: My long-lost and now-found children. None of the holy men or sannyasis can say this. You know that you truly are the long-lost and now-found children of Shiv Baba. You have come and met Him again after 5000 years in order to claim your inheritance of heaven. You know that you were the masters of heaven and that you are becoming that again. You definitely have to go to heaven. Then, you have to claim a high status according to your efforts. Achcha.
To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.
Essence for Dharna:
1. Follow the mother and father and do the service of making others like yourselves. Become spinners of the discus of self-realisation and make others the same.
2. In order to become a garland around the neck of the Father, remember the Father with your intellect. Don't make any sound. Constantly stay in remembrance.
Blessing:
May you be a great, generous-hearted donor and donate fortune by staying in the awareness of your fortune and the Father, the Bestower of Fortune.
When you remember both the Father, the Bestower of Fortune and your fortune you will have the zeal and enthusiasm to make others fortunate. Just as the Father, the Bestower of Fortune, distributes fortune through Brahma, in the same way, you too are the children of the Bestower. Therefore, continue to distributes fortune. Those people distribute clothes, food and also gifts, but no one can become satisfied through those. You distribute fortune and where there is fortune, there are all attainments. In this way, become elevated, great donors and be generous hearted in distributing fortune. Constantly continue to give.
Slogan:Those who belong to the One and are also economical are loved by God.
End of Page
Please select any one of the below options to give a LIKE, how do you know this unit.