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Type: Article
Created By: BK Sheetal
Title: Murali 22oct
Unique Id: 171022041405 Create Time: 2017-10-22 15:14:05 Update Time: 22-10-2017 15:14:05 Category: Religion, Ethics , Spirituality & New Age Subcategory: Murali Summary: Murali brahmakumaris
Table of Content of This Article
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1 Image Murali
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Details ( Page:- Murali )

*22-10-17 अव्यक्त बापदादा 18-02-83 रिवाइज्ड*

*सदा उमंग-उत्साह में रहने की युक्तियाँ*

उमंग है - मुझे बाप समान सर्व शक्तियों, सर्व गुणों, सर्व ज्ञान के खजानों से सम्पन्न होना ही है - क्योंकि कल्प पहले भी मैं श्रेष्ठ आत्मा बना था। एक कल्प की तकदीर नहीं लेकिन अनेक बार के तकदीर की लकीर भाग्य विधाता द्वारा खींची हुई है। इसी उमंग के आधार पर उत्साह स्वत: होता है। उत्साह क्या होता? 'वाह मेरा भाग्य'। जो भी बापदादा ने भिन्न-भिन्न टाइटिल दिये हैं, उसी स्मृति स्वरूप में रहने से उत्साह अर्थात् खुशी स्वत: ही और सदा ही रहती है। सबसे बड़े ते बड़े उत्साह की बात है कि अनेक जन्म आपने बाप को ढूंढा लेकिन इस समय बापदादा ने आप लोगों को ढूंढा।

*वरदान:-*यथार्थ विधि द्वारा व्यर्थ को समाप्त कर नम्बरवन लेने वाले परमात्म सिद्धि स्वरूप भव 

जैसे रोशनी से अंधकार स्वत: खत्म हो जाता है। ऐसे समय, संकल्प, श्वांस को सफल करने से व्यर्थ स्वत: समाप्त हो जाता है, क्योंकि सफल करने का अर्थ है श्रेष्ठ तरफ लगाना। तो श्रेष्ठ तरफ लगाने वाले व्यर्थ पर विन कर नम्बरवन ले लेते हैं। उन्हें व्यर्थ को स्टॉप करने की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। यही परमात्म सिद्धि है। वह रिद्धि सिद्धि वाले अल्पकाल का चमत्कार दिखाते हैं और आप यथार्थ विधि द्वारा परमात्म सिद्धि को प्राप्त करते हो।

*स्लोगन:-*अपकारी पर भी उपकार करने वाला ही ज्ञानी तू आत्मा 

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