Details ( Page:- Faith and innocence )
छोटी लड़की ने गुल्लक से सब सिक्के निकाले और उनको बटोर कर जेब में रख लिया ...!
निकल पड़ी घर से – पास ही केमिस्ट की दुकान थी ....
उसके जीने धीरे धीरे चढ़ गयी....!!
वो काउंटर के सामने खड़े होकर बोल रही थी पर छोटी सी लड़की किसी को नज़र नहीं आ रही थी ...
ना ही उसकी आवाज़ पर कोई गौर कर रहा था, सब व्यस्त थे...!!
दुकान मालिक का कोई दोस्त बाहर देश से आया था
वो भी उससे बात करने में व्यस्त था...!!
तभी उसने जेब से एक सिक्का निकाल कर काउंटर पर फेका सिक्के की आवाज़ से सबका ध्यान उसकी ओर गया....
उसकी तरकीब काम आ गयी....!
दुकानदार उसकी ओर आया...
और उससे प्यार से पूछा क्या चाहिए बेटा... ?
उसने जेब से सब सिक्के निकाल कर अपनी छोटी सी हथेली पर रखे... और बोली मुझे “चमत्कार” चाहिए ....!!!
दुकानदार समझ नहीं पाया उसने फिर से पूछा, वो फिर से बोली मुझे “चमत्कार” चाहिए...!!
दुकानदार हैरान होकर बोला – बेटा यहाँ चमत्कार नहीं मिलता....!
वो फिर बोली अगर दवाई मिलती है तो चमत्कार भी आपके यहाँ ही मिलेगा..!
दुकानदार बोला – बेटा आप से यह किसने कहा... ?
अब उसने विस्तार से बताना शुरु किया –
अपनी तोतली जबान से – मेरे भैया के सर में टुमर (ट्यूमर) हो गया है, पापा ने मम्मी को बताया है की डॉक्टर 4 लाख रुपये बता रहे थे – अगर समय पर इलाज़ न हुआ तो कोई चमत्कार ही इसे बचा सकता है ....
और कोई संभावना नहीं है...
वो रोते हुए माँ से कह रहे थे...
अपने पास कुछ बेचने को भी नहीं है...
न कोई जमीन जायदाद है न ही गहने – सब इलाज़ में पहले ही खर्च हो गए है....!
दवा के पैसे बड़ी मुश्किल से जुटा पा रहा हूँ...!!
वो मालिक का दोस्त उसके पास आकर बैठ गया और प्यार से बोला अच्छा.... कितने पैसे लाई हो तुम चमत्कार खरीदने को...?
उसने अपनी मुट्टी से सब रुपये उसके हाथो में रख दिए....!!
उसने वो रुपये गिने 21 रुपये 50 पैसे थे...!!!
वो व्यक्ति हँसा और लड़की से बोला तुमने चमत्कार खरीद लिया,
चलो मुझे अपने भाई के पास ले चलो...!!!
वो व्यक्ति जो उस केमिस्ट का दोस्त था अपनी छुट्टी बिताने भारत आया था... और न्यूयार्क का एक प्रसिद्द न्यूरो सर्जन था...उसने उस बच्चे का इलाज 21 रुपये 50 पैसे में किया और वो बच्चा सही हो गया...!!!
प्रभु ने लडकी को चमत्कार बेच दिया – वो बच्ची बड़ी श्रद्धा से उसको खरीदने चली थी वो उसको मिल भी गयी....!
नीयत साफ़ और मक़सद सही हो तो, किसी न किसी रूप में आपकी मदद करते ही है.....!!
#यही_आस्था_का_चमत्कार_है...!!!
अगर इस कहानी से आपकी पलकें नम हुई है तो किसी एक जरूरतमंद की मदद जरूर करें।
Om shanti
Shiv baba yaad hai
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Details ( Page:- TABIJ K KAMAAL )
*चमत्कारी ताबीज : -*
किसी गांव में राम नाम का एक नवयुवक रहता था। वह बहुत मेहनती था, पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता कि वो अपने कार्यक्षेत्र में सफल होगा या नहीं! कभी-कभी वो इसी चिंता के कारण आवेश में आ जाता और दूसरों पर क्रोधित भी हो उठता।
एक दिन उसके गांव में एक प्रसिद्ध महात्मा जी का आगमन हुआ।
खबर मिलते ही राम, महात्मा जी से मिलने पहुंचा और बोला,
“ महात्मा जी मैं कड़ी मेहनत करता हूँ, सफलता पाने के लिए हर-एक प्रयत्न करता हूँ; पर फिर भी मुझे सफलता नहीं मिलती। कृपया आप ही कुछ उपाय बताएँ।”
महात्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा- बेटा, तुम्हारी समस्या का समाधान इस चमत्कारी ताबीज में है, मैंने इसके अन्दर कुछ मन्त्र लिखकर डालें हैं जो तुम्हारी हर बाधा दूर कर देंगे। लेकिन इसे सिद्ध करने के लिए तुम्हे एक रात शमशान में अकेले गुजारनी होगी।”
शमशान का नाम सुनते ही राम का चेहरा पीला पड़ गया,
“ लल्ल..ल…लेकिन मैं रात भर अकेले कैसे रहूँगा…”, राम कांपते हुए बोला।
“घबराओ मत यह कोई मामूली ताबीज नहीं है, यह हर संकट से तुम्हे बचाएगा।”, महात्मा जी ने समझाया।
राम ने पूरी रात शमशान में बिताई और सुबह होती ही महात्मा जी के पास जा पहुंचा, “ हे महात्मन! आप महान हैं, सचमुच ये ताबीज दिव्य है, वर्ना मेरे जैसा डरपोक व्यक्ति रात बिताना तो दूर, शमशान के करीब भी नहीं जा सकता था। निश्चय ही अब मैं सफलता प्राप्त कर सकता हूँ।”
इस घटना के बाद राम बिलकुल बदल गया, अब वह जो भी करता उसे विश्वास होता कि ताबीज की शक्ति के कारण वह उसमें सफल होगा, और धीरे-धीरे यही हुआ भी…वह गाँव के सबसे सफल लोगों में गिना जाने लगा।
इस वाकये के करीब १ साल बाद फिर वही महात्मा गाँव में पधारे।
राम तुरंत उनके दर्शन को गया और उनके दिए चमत्कारी ताबीज का गुणगान करने लगा।
तब महात्मा जी बोले,- बेटे! जरा अपनी ताबीज निकालकर देना। उन्होंने ताबीज हाथ में लिया, और उसे खोला।
उसे खोलते ही राम के होश उड़ गए जब उसने देखा कि *ताबीज के अंदर कोई मन्त्र-वंत्र नहीं लिखा हुआ था…वह तो धातु का एक टुकड़ा मात्र था!*
राम बोला, *“ ये क्या महात्मा जी, ये तो एक मामूली ताबीज है, फिर इसने मुझे सफलता कैसे दिलाई?”*
महात्मा जी ने समझाते हुए कहा-
*"सही कहा तुमने, तुम्हें सफलता इस ताबीज ने नहीं बल्कि तुम्हारे विश्वास की शक्ति ने दिलाई है। पुत्र, हम इंसानों को भगवान ने एक विशेष शक्ति देकर यहाँ भेजा है। वो है, विश्वास की शक्ति। तुम अपने कार्यक्षेत्र में इसलिए सफल नहीं हो पा रहे थे क्योंकि तुम्हें खुद पर यकीन नहीं था…खुद पर विश्वास नहीं था। लेकिन जब इस ताबीज की वजह से तुम्हारे अन्दर वो विश्वास पैदा हो गया तो तुम सफल होते चले गए ! इसलिए जाओ किसी ताबीज पर यकीन करने की बजाय अपने कर्म पर, अपनी सोच पर और अपने लिए निर्णय पर विश्वास करना सीखो, इस बात को समझो कि जो हो रहा है वो अच्छे के लिए हो रहा है और निश्चय ही तुम सफलता के शीर्ष पर पहुँच जाओगे। “*
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